< תְהִלִּים 89 >

מַ֝שְׂכִּ֗יל לְאֵיתָ֥ן הָֽאֶזְרָחִֽי׃ חַֽסְדֵ֣י יְ֭הוָה עֹולָ֣ם אָשִׁ֑ירָה לְדֹ֥ר וָדֹ֓ר ׀ אֹודִ֖יעַ אֱמוּנָתְךָ֣ בְּפִֽי׃ 1
एतान एज्रावंशी का मश्कील मैं यहोवा की सारी करुणा के विषय सदा गाता रहूँगा; मैं तेरी सच्चाई पीढ़ी से पीढ़ी तक बताता रहूँगा।
כִּֽי־אָמַ֗רְתִּי עֹ֭ולָם חֶ֣סֶד יִבָּנֶ֑ה שָׁמַ֓יִם ׀ תָּכִ֖ן אֱמוּנָתְךָ֣ בָהֶֽם׃ 2
क्योंकि मैंने कहा, “तेरी करुणा सदा बनी रहेगी, तू स्वर्ग में अपनी सच्चाई को स्थिर रखेगा।”
כָּרַ֣תִּֽי בְ֭רִית לִבְחִירִ֑י נִ֝שְׁבַּ֗עְתִּי לְדָוִ֥ד עַבְדִּֽי׃ 3
तूने कहा, “मैंने अपने चुने हुए से वाचा बाँधी है, मैंने अपने दास दाऊद से शपथ खाई है,
עַד־עֹ֭ולָם אָכִ֣ין זַרְעֶ֑ךָ וּבָנִ֨יתִי לְדֹר־וָדֹ֖ור כִּסְאֲךָ֣ סֶֽלָה׃ 4
‘मैं तेरे वंश को सदा स्थिर रखूँगा; और तेरी राजगद्दी को पीढ़ी-पीढ़ी तक बनाए रखूँगा।’” (सेला)
וְיֹ֘וד֤וּ שָׁמַ֣יִם פִּלְאֲךָ֣ יְהוָ֑ה אַף־אֱ֝מֽוּנָתְךָ֗ בִּקְהַ֥ל קְדֹשִֽׁים׃ 5
हे यहोवा, स्वर्ग में तेरे अद्भुत काम की, और पवित्रों की सभा में तेरी सच्चाई की प्रशंसा होगी।
כִּ֤י מִ֣י בַ֭שַּׁחַק יַעֲרֹ֣ךְ לַיהוָ֑ה יִדְמֶ֥ה לַ֝יהוָ֗ה בִּבְנֵ֥י אֵלִים׃ 6
क्योंकि आकाशमण्डल में यहोवा के तुल्य कौन ठहरेगा? बलवन्तों के पुत्रों में से कौन है जिसके साथ यहोवा की उपमा दी जाएगी?
אֵ֣ל נַ֭עֲרָץ בְּסֹוד־קְדֹשִׁ֣ים רַבָּ֑ה וְ֝נֹורָ֗א עַל־כָּל־סְבִיבָֽיו׃ 7
परमेश्वर पवित्र लोगों की गोष्ठी में अत्यन्त प्रतिष्ठा के योग्य, और अपने चारों ओर सब रहनेवालों से अधिक भययोग्य है।
יְהוָ֤ה ׀ אֱלֹ֘הֵ֤י צְבָאֹ֗ות מִֽי־כָֽמֹ֖וךָ חֲסִ֥ין ׀ יָ֑הּ וֶ֝אֱמֽוּנָתְךָ֗ סְבִיבֹותֶֽיךָ׃ 8
हे सेनाओं के परमेश्वर यहोवा, हे यहोवा, तेरे तुल्य कौन सामर्थी है? तेरी सच्चाई तो तेरे चारों ओर है!
אַתָּ֣ה מֹ֭ושֵׁל בְּגֵא֣וּת הַיָּ֑ם בְּשֹׂ֥וא גַ֝לָּ֗יו אַתָּ֥ה תְשַׁבְּחֵֽם׃ 9
समुद्र के गर्व को तू ही तोड़ता है; जब उसके तरंग उठते हैं, तब तू उनको शान्त कर देता है।
אַתָּ֤ה דִכִּ֣אתָ כֶחָלָ֣ל רָ֑הַב בִּזְרֹ֥ועַ עֻ֝זְּךָ֗ פִּזַּ֥רְתָּ אֹויְבֶֽיךָ׃ 10
१०तूने रहब को घात किए हुए के समान कुचल डाला, और अपने शत्रुओं को अपने बाहुबल से तितर-बितर किया है।
לְךָ֣ שָׁ֭מַיִם אַף־לְךָ֥ אָ֑רֶץ תֵּבֵ֥ל וּ֝מְלֹאָ֗הּ אַתָּ֥ה יְסַדְתָּֽם׃ 11
११आकाश तेरा है, पृथ्वी भी तेरी है; जगत और जो कुछ उसमें है, उसे तू ही ने स्थिर किया है।
צָפֹ֣ון וְ֭יָמִין אַתָּ֣ה בְרָאתָ֑ם תָּבֹ֥ור וְ֝חֶרְמֹ֗ון בְּשִׁמְךָ֥ יְרַנֵּֽנוּ׃ 12
१२उत्तर और दक्षिण को तू ही ने सिरजा; ताबोर और हेर्मोन तेरे नाम का जयजयकार करते हैं।
לְךָ֣ זְ֭רֹועַ עִם־גְּבוּרָ֑ה תָּעֹ֥ז יָ֝דְךָ֗ תָּר֥וּם יְמִינֶֽךָ׃ 13
१३तेरी भुजा बलवन्त है; तेरा हाथ शक्तिमान और तेरा दाहिना हाथ प्रबल है।
צֶ֣דֶק וּ֭מִשְׁפָּט מְכֹ֣ון כִּסְאֶ֑ךָ חֶ֥סֶד וֶ֝אֱמֶ֗ת יְֽקַדְּמ֥וּ פָנֶֽיךָ׃ 14
१४तेरे सिंहासन का मूल, धर्म और न्याय है; करुणा और सच्चाई तेरे आगे-आगे चलती है।
אַשְׁרֵ֣י הָ֭עָם יֹודְעֵ֣י תְרוּעָ֑ה יְ֝הוָ֗ה בְּֽאֹור־פָּנֶ֥יךָ יְהַלֵּכֽוּן׃ 15
१५क्या ही धन्य है वह समाज जो आनन्द के ललकार को पहचानता है; हे यहोवा, वे लोग तेरे मुख के प्रकाश में चलते हैं,
בְּ֭שִׁמְךָ יְגִיל֣וּן כָּל־הַיֹּ֑ום וּבְצִדְקָתְךָ֥ יָרֽוּמוּ׃ 16
१६वे तेरे नाम के हेतु दिन भर मगन रहते हैं, और तेरे धर्म के कारण महान हो जाते हैं।
כִּֽי־תִפְאֶ֣רֶת עֻזָּ֣מֹו אָ֑תָּה וּ֝בִרְצֹנְךָ֗ תָּרִים (תָּר֥וּם) קַרְנֵֽנוּ׃ 17
१७क्योंकि तू उनके बल की शोभा है, और अपनी प्रसन्नता से हमारे सींग को ऊँचा करेगा।
כִּ֣י לַֽ֭יהוָה מָֽגִנֵּ֑נוּ וְלִקְדֹ֖ושׁ יִשְׂרָאֵ֣ל מַלְכֵּֽנוּ׃ 18
१८क्योंकि हमारी ढाल यहोवा की ओर से है, हमारा राजा इस्राएल के पवित्र की ओर से है।
אָ֤ז דִּבַּ֥רְתָּֽ־בְחָ֡זֹון לַֽחֲסִידֶ֗יךָ וַתֹּ֗אמֶר שִׁוִּ֣יתִי עֵ֭זֶר עַל־גִּבֹּ֑ור הֲרִימֹ֖ותִי בָח֣וּר מֵעָֽם׃ 19
१९एक समय तूने अपने भक्त को दर्शन देकर बातें की; और कहा, “मैंने सहायता करने का भार एक वीर पर रखा है, और प्रजा में से एक को चुनकर बढ़ाया है।
מָ֭צָאתִי דָּוִ֣ד עַבְדִּ֑י בְּשֶׁ֖מֶן קָדְשִׁ֣י מְשַׁחְתִּֽיו׃ 20
२०मैंने अपने दास दाऊद को लेकर, अपने पवित्र तेल से उसका अभिषेक किया है।
אֲשֶׁ֣ר יָ֭דִי תִּכֹּ֣ון עִמֹּ֑ו אַף־זְרֹועִ֥י תְאַמְּצֶֽנּוּ׃ 21
२१मेरा हाथ उसके साथ बना रहेगा, और मेरी भुजा उसे दृढ़ रखेगी।
לֹֽא־יַשִּׁ֣א אֹויֵ֣ב בֹּ֑ו וּבֶן־עַ֝וְלָ֗ה לֹ֣א יְעַנֶּֽנּוּ׃ 22
२२शत्रु उसको तंग करने न पाएगा, और न कुटिल जन उसको दुःख देने पाएगा।
וְכַתֹּותִ֣י מִפָּנָ֣יו צָרָ֑יו וּמְשַׂנְאָ֥יו אֶגֹּֽוף׃ 23
२३मैं उसके शत्रुओं को उसके सामने से नाश करूँगा, और उसके बैरियों पर विपत्ति डालूँगा।
וֶֽאֶֽמוּנָתִ֣י וְחַסְדִּ֣י עִמֹּ֑ו וּ֝בִשְׁמִ֗י תָּר֥וּם קַרְנֹֽו׃ 24
२४परन्तु मेरी सच्चाई और करुणा उस पर बनी रहेंगी, और मेरे नाम के द्वारा उसका सींग ऊँचा हो जाएगा।
וְשַׂמְתִּ֣י בַיָּ֣ם יָדֹ֑ו וּֽבַנְּהָרֹ֥ות יְמִינֹֽו׃ 25
२५मैं समुद्र को उसके हाथ के नीचे और महानदों को उसके दाहिने हाथ के नीचे कर दूँगा।
ה֣וּא יִ֭קְרָאֵנִי אָ֣בִי אָ֑תָּה אֵ֝לִ֗י וְצ֣וּר יְשׁוּעָתִֽי׃ 26
२६वह मुझे पुकारकर कहेगा, ‘तू मेरा पिता है, मेरा परमेश्वर और मेरे उद्धार की चट्टान है।’
אַף־אָ֭נִי בְּכֹ֣ור אֶתְּנֵ֑הוּ עֶ֝לְיֹ֗ון לְמַלְכֵי־אָֽרֶץ׃ 27
२७फिर मैं उसको अपना पहलौठा, और पृथ्वी के राजाओं पर प्रधान ठहराऊँगा।
לְ֭עֹולָ֗ם אֶשְׁמֹור־ (אֶשְׁמָר)־לֹ֣ו חַסְדִּ֑י וּ֝בְרִיתִ֗י נֶאֱמֶ֥נֶת לֹֽו׃ 28
२८मैं अपनी करुणा उस पर सदा बनाए रहूँगा, और मेरी वाचा उसके लिये अटल रहेगी।
וְשַׂמְתִּ֣י לָעַ֣ד זַרְעֹ֑ו וְ֝כִסְאֹ֗ו כִּימֵ֥י שָׁמָֽיִם׃ 29
२९मैं उसके वंश को सदा बनाए रखूँगा, और उसकी राजगद्दी स्वर्ग के समान सर्वदा बनी रहेगी।
אִם־יַֽעַזְב֣וּ בָ֭נָיו תֹּורָתִ֑י וּ֝בְמִשְׁפָּטַ֗י לֹ֣א יֵלֵכֽוּן׃ 30
३०यदि उसके वंश के लोग मेरी व्यवस्था को छोड़ें और मेरे नियमों के अनुसार न चलें,
אִם־חֻקֹּתַ֥י יְחַלֵּ֑לוּ וּ֝מִצְוֹתַ֗י לֹ֣א יִשְׁמֹֽרוּ׃ 31
३१यदि वे मेरी विधियों का उल्लंघन करें, और मेरी आज्ञाओं को न मानें,
וּפָקַדְתִּ֣י בְשֵׁ֣בֶט פִּשְׁעָ֑ם וּבִנְגָעִ֥ים עֲוֹנָֽם׃ 32
३२तो मैं उनके अपराध का दण्ड सोंटें से, और उनके अधर्म का दण्ड कोड़ों से दूँगा।
וְ֭חַסְדִּי לֹֽא־אָפִ֣יר מֵֽעִמֹּ֑ו וְלֹֽא־אֲ֝שַׁקֵּ֗ר בֶּאֱמוּנָתִֽי׃ 33
३३परन्तु मैं अपनी करुणा उस पर से न हटाऊँगा, और न सच्चाई त्याग कर झूठा ठहरूँगा।
לֹא־אֲחַלֵּ֥ל בְּרִיתִ֑י וּמֹוצָ֥א שְׂ֝פָתַ֗י לֹ֣א אֲשַׁנֶּֽה׃ 34
३४मैं अपनी वाचा न तोड़ूँगा, और जो मेरे मुँह से निकल चुका है, उसे न बदलूँगा।
אַ֭חַת נִשְׁבַּ֣עְתִּי בְקָדְשִׁ֑י אִֽם־לְדָוִ֥ד אֲכַזֵּֽב׃ 35
३५एक बार मैं अपनी पवित्रता की शपथ खा चुका हूँ; मैं दाऊद को कभी धोखा न दूँगा।
זַ֭רְעֹו לְעֹולָ֣ם יִהְיֶ֑ה וְכִסְאֹ֖ו כַשֶּׁ֣מֶשׁ נֶגְדִּֽי׃ 36
३६उसका वंश सर्वदा रहेगा, और उसकी राजगद्दी सूर्य के समान मेरे सम्मुख ठहरी रहेगी।
כְּ֭יָרֵחַ יִכֹּ֣ון עֹולָ֑ם וְעֵ֥ד בַּ֝שַּׁ֗חַק נֶאֱמָ֥ן סֶֽלָה׃ 37
३७वह चन्द्रमा के समान, और आकाशमण्डल के विश्वासयोग्य साक्षी के समान सदा बना रहेगा।” (सेला)
וְאַתָּ֣ה זָ֭נַחְתָּ וַתִּמְאָ֑ס הִ֝תְעַבַּ֗רְתָּ עִם־מְשִׁיחֶֽךָ׃ 38
३८तो भी तूने अपने अभिषिक्त को छोड़ा और उसे तज दिया, और उस पर अति क्रोध किया है।
נֵ֭אַרְתָּה בְּרִ֣ית עַבְדֶּ֑ךָ חִלַּ֖לְתָּ לָאָ֣רֶץ נִזְרֹֽו׃ 39
३९तूने अपने दास के साथ की वाचा को त्याग दिया, और उसके मुकुट को भूमि पर गिराकर अशुद्ध किया है।
פָּרַ֥צְתָּ כָל־גְּדֵרֹתָ֑יו שַׂ֖מְתָּ מִבְצָרָ֣יו מְחִתָּה׃ 40
४०तूने उसके सब बाड़ों को तोड़ डाला है, और उसके गढ़ों को उजाड़ दिया है।
שַׁ֭סֻּהוּ כָּל־עֹ֣בְרֵי דָ֑רֶךְ הָיָ֥ה חֶ֝רְפָּ֗ה לִשְׁכֵנֽ͏ָיו׃ 41
४१सब बटोही उसको लूट लेते हैं, और उसके पड़ोसियों से उसकी नामधराई होती है।
הֲ֭רִימֹותָ יְמִ֣ין צָרָ֑יו הִ֝שְׂמַ֗חְתָּ כָּל־אֹויְבָֽיו׃ 42
४२तूने उसके विरोधियों को प्रबल किया; और उसके सब शत्रुओं को आनन्दित किया है।
אַף־תָּ֭שִׁיב צ֣וּר חַרְבֹּ֑ו וְלֹ֥א הֲ֝קֵימֹתֹ֗ו בַּמִּלְחָמָֽה׃ 43
४३फिर तू उसकी तलवार की धार को मोड़ देता है, और युद्ध में उसके पाँव जमने नहीं देता।
הִשְׁבַּ֥תָּ מִטְּהָרֹ֑ו וְ֝כִסְאֹ֗ו לָאָ֥רֶץ מִגַּֽרְתָּה׃ 44
४४तूने उसका तेज हर लिया है, और उसके सिंहासन को भूमि पर पटक दिया है।
הִ֭קְצַרְתָּ יְמֵ֣י עֲלוּמָ֑יו הֶֽעֱטִ֨יתָ עָלָ֖יו בּוּשָׁ֣ה סֶֽלָה׃ 45
४५तूने उसकी जवानी को घटाया, और उसको लज्जा से ढाँप दिया है। (सेला)
עַד־מָ֣ה יְ֭הוָה תִּסָּתֵ֣ר לָנֶ֑צַח תִּבְעַ֖ר כְּמֹו־אֵ֣שׁ חֲמָתֶֽךָ׃ 46
४६हे यहोवा, तू कब तक लगातार मुँह फेरे रहेगा, तेरी जलजलाहट कब तक आग के समान भड़की रहेगी।
זְכָר־אֲנִ֥י מֶה־חָ֑לֶד עַל־מַה־שָּׁ֝֗וְא בָּרָ֥אתָ כָל־בְּנֵי־אָדָֽם׃ 47
४७मेरा स्मरण कर, कि मैं कैसा अनित्य हूँ, तूने सब मनुष्यों को क्यों व्यर्थ सिरजा है?
מִ֤י גֶ֣בֶר יִֽ֭חְיֶה וְלֹ֣א יִרְאֶה־מָּ֑וֶת יְמַלֵּ֨ט נַפְשֹׁ֖ו מִיַּד־שְׁאֹ֣ול סֶֽלָה׃ (Sheol h7585) 48
४८कौन पुरुष सदा अमर रहेगा? क्या कोई अपने प्राण को अधोलोक से बचा सकता है? (सेला) (Sheol h7585)
אַיֵּ֤ה ׀ חֲסָדֶ֖יךָ הָרִאשֹׁנִ֥ים ׀ אֲדֹנָ֑י נִשְׁבַּ֥עְתָּ לְ֝דָוִ֗ד בֶּאֱמוּנָתֶֽךָ׃ 49
४९हे प्रभु, तेरी प्राचीनकाल की करुणा कहाँ रही, जिसके विषय में तूने अपनी सच्चाई की शपथ दाऊद से खाई थी?
זְכֹ֣ר אֲ֭דֹנָי חֶרְפַּ֣ת עֲבָדֶ֑יךָ שְׂאֵתִ֥י בְ֝חֵיקִ֗י כָּל־רַבִּ֥ים עַמִּֽים׃ 50
५०हे प्रभु, अपने दासों की नामधराई की सुधि ले; मैं तो सब सामर्थी जातियों का बोझ लिए रहता हूँ।
אֲשֶׁ֤ר חֵרְפ֖וּ אֹויְבֶ֥יךָ ׀ יְהוָ֑ה אֲשֶׁ֥ר חֵ֝רְפ֗וּ עִקְּבֹ֥ות מְשִׁיחֶֽךָ׃ 51
५१तेरे उन शत्रुओं ने तो हे यहोवा, तेरे अभिषिक्त के पीछे पड़कर उसकी नामधराई की है।
בָּר֖וּךְ יְהוָ֥ה לְ֝עֹולָ֗ם אָ֘מֵ֥ן ׀ וְאָמֵֽן׃ 52
५२यहोवा सर्वदा धन्य रहेगा! आमीन फिर आमीन।

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