< תְהִלִּים 80 >

לַמְנַצֵּ֥חַ אֶל־שֹׁשַׁנִּ֑ים עֵד֖וּת לְאָסָ֣ף מִזְמֹֽור׃ רֹ֘עֵ֤ה יִשְׂרָאֵ֨ל ׀ הַאֲזִ֗ינָה נֹהֵ֣ג כַּצֹּ֣אן יֹוסֵ֑ף יֹשֵׁ֖ב הַכְּרוּבִ֣ים הֹופִֽיעָה׃ 1
संगीत निर्देशक के लिये. “वाचा की कुमुदिनी” धुन पर आधारित. आसफ की रचना. एक स्तोत्र. इस्राएल के चरवाहे, हमारी सुनिए, आप ही हैं, जो योसेफ़ की अगुवाई भेड़ों के वृन्द की रीति से करते हैं. आप, जो करूबों के मध्य विराजमान हैं, प्रकाशमान हों!
לִפְנֵ֤י אֶפְרַ֨יִם ׀ וּבִנְיָ֘מִ֤ן וּמְנַשֶּׁ֗ה עֹורְרָ֥ה אֶת־גְּבֽוּרָתֶ֑ךָ וּלְכָ֖ה לִישֻׁעָ֣תָה לָּֽנוּ׃ 2
एफ्राईम, बिन्यामिन तथा मनश्शेह के सामने अपने सामर्थ्य को प्रगट कीजिए; और हमारी रक्षा कीजिए.
אֱלֹהִ֥ים הֲשִׁיבֵ֑נוּ וְהָאֵ֥ר פָּ֝נֶ֗יךָ וְנִוָּשֵֽׁעָה׃ 3
परमेश्वर, हमें हमारी पूर्व स्थिति प्रदान कीजिए; हम पर अपना मुख प्रकाशित कीजिए, कि हमारा उद्धार हो जाए.
יְהוָ֣ה אֱלֹהִ֣ים צְבָאֹ֑ות עַד־מָתַ֥י עָ֝שַׁ֗נְתָּ בִּתְפִלַּ֥ת עַמֶּֽךָ׃ 4
याहवेह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर, कब तक आपकी प्रजा की प्रार्थनाओं के प्रति, आपका कोप भीतर ही भीतर सुलगता रहेगा?
הֶ֭אֱכַלְתָּם לֶ֣חֶם דִּמְעָ֑ה וַ֝תַּשְׁקֵ֗מֹו בִּדְמָעֹ֥ות שָׁלִֽישׁ׃ 5
आपने आंसुओं को उनका आहार बना छोड़ा है; आपने उन्हें विवश कर दिया है, कि वे कटोरे भर-भर आंसू पिएं.
תְּשִׂימֵ֣נוּ מָ֭דֹון לִשְׁכֵנֵ֑ינוּ וְ֝אֹיְבֵ֗ינוּ יִלְעֲגוּ־לָֽמֹו׃ 6
आपने हमें अपने पड़ोसियों के लिए विवाद का कारण बना दिया है, हमारे शत्रु हमारा उपहास करते हैं.
אֱלֹהִ֣ים צְבָאֹ֣ות הֲשִׁיבֵ֑נוּ וְהָאֵ֥ר פָּ֝נֶ֗יךָ וְנִוָּשֵֽׁעָה׃ 7
सर्वशक्तिमान परमेश्वर, हमें हमारी पूर्व स्थिति प्रदान कर दीजिए; हम पर अपना मुख प्रकाशित कीजिए, कि हमारा उद्धार हो जाए.
גֶּ֭פֶן מִמִּצְרַ֣יִם תַּסִּ֑יעַ תְּגָרֵ֥שׁ גֹּ֝ויִ֗ם וַתִּטָּעֶֽהָ׃ 8
मिस्र देश से आप एक द्राक्षालता ले आए; आपने जनताओं को काटकर इसे वहां रोप दिया.
פִּנִּ֥יתָ לְפָנֶ֑יהָ וַתַּשְׁרֵ֥שׁ שָׁ֝רָשֶׁ֗יהָ וַתְּמַלֵּא־אָֽרֶץ׃ 9
आपने इसके लिए भूमि तैयार की, इस लता ने जड़ पकड़ी और इसने समस्त भूमि आच्छादित कर दी.
כָּסּ֣וּ הָרִ֣ים צִלָּ֑הּ וַ֝עֲנָפֶ֗יהָ אַֽרְזֵי־אֵֽל׃ 10
इसकी छाया ने तथा मजबूत देवदार की शाखाओं ने, पर्वतों को ढंक लिया था.
תְּשַׁלַּ֣ח קְצִירֶ֣הָ עַד־יָ֑ם וְאֶל־נָ֝הָ֗ר יֹֽונְקֹותֶֽיהָ׃ 11
वह अपनी शाखाएं समुद्र तक, तथा किशलय नदी तक फैली हुई थी.
לָ֭מָּה פָּרַ֣צְתָּ גְדֵרֶ֑יהָ וְ֝אָר֗וּהָ כָּל־עֹ֥בְרֵי דָֽרֶךְ׃ 12
आपने इसकी सुरक्षा की दीवारें क्यों ढाह दीं, कि आते जाते लोग इसके द्राक्षा तोड़ते जाएं?
יְכַרְסְמֶ֣נָּֽה חֲזִ֣יר מִיָּ֑עַר וְזִ֖יז שָׂדַ֣י יִרְעֶֽנָּה׃ 13
जंगली सूअर इसे निगल जाते, तथा मैदान के पशु इसे अपना आहार बनाते हैं.
אֱלֹהִ֣ים צְבָאֹות֮ שֽׁ֫וּב־נָ֥א הַבֵּ֣ט מִשָּׁמַ֣יִם וּרְאֵ֑ה וּ֝פְקֹ֗ד גֶּ֣פֶן זֹֽאת׃ 14
सर्वशक्तिमान परमेश्वर, हम आग्रह करते हैं, आप लौट आइए! स्वर्ग से दृष्टिपात कीजिए! और इस ओर ध्यान दीजिए,
וְ֭כַנָּה אֲשֶׁר־נָטְעָ֣ה יְמִינֶ֑ךָ וְעַל־בֵּ֝֗ן אִמַּ֥צְתָּה לָּֽךְ׃ 15
और इस द्राक्षालता की हां उस पौधे की जिसे आपके दायें हाथ ने लगाया है, तथा उस पुत्र को देखिए, जिसे आपने स्वयं सशक्त बनाया है.
שְׂרֻפָ֣ה בָאֵ֣שׁ כְּסוּחָ֑ה מִגַּעֲרַ֖ת פָּנֶ֣יךָ יֹאבֵֽדוּ׃ 16
आपकी इस द्राक्षालता को काट डाला गया है, इसे अग्नि में भस्म कर दिया गया है; आपकी फटकार-मात्र आपकी प्रजा को नष्ट करने के लिए काफ़ी है.
תְּֽהִי־יָ֭דְךָ עַל־אִ֣ישׁ יְמִינֶ֑ךָ עַל־בֶּן־אָ֝דָ֗ם אִמַּ֥צְתָּ לָּֽךְ׃ 17
उस पुरुष पर आपके दायें हाथ का आश्वासन स्थिर रहे, जो आपके दायें पक्ष में उपस्थित है, वह मनुष्य का पुत्र जिसे आपने अपने लिए तैयार किया है.
וְלֹא־נָסֹ֥וג מִמֶּ֑ךָּ תְּ֝חַיֵּ֗נוּ וּבְשִׁמְךָ֥ נִקְרָֽא׃ 18
तब हम आपसे दूर न होंगे; हमें जिलाइए, हम आपके ही नाम को पुकारेंगे.
יְה֘וָ֤ה אֱלֹהִ֣ים צְבָאֹ֣ות הֲשִׁיבֵ֑נוּ הָאֵ֥ר פָּ֝נֶ֗יךָ וְנִוָּשֵֽׁעָה׃ 19
याहवेह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर, हमें पुनर्स्थापित कीजिए; अपना मुख हम पर प्रकाशित कीजिए कि हम सुरक्षित रहेंगे.

< תְהִלִּים 80 >