< תְהִלִּים 46 >

לַמְנַצֵּ֥חַ לִבְנֵי־קֹ֑רַח עַֽל־עֲלָמֹ֥ות שִֽׁיר׃ אֱלֹהִ֣ים לָ֭נוּ מַחֲסֶ֣ה וָעֹ֑ז עֶזְרָ֥ה בְ֝צָרֹ֗ות נִמְצָ֥א מְאֹֽד׃ 1
प्रधान बजानेवाले के लिये कोरहवंशियों का, अलामोत की राग पर एक गीत परमेश्वर हमारा शरणस्थान और बल है, संकट में अति सहज से मिलनेवाला सहायक।
עַל־כֵּ֣ן לֹא־נִ֭ירָא בְּהָמִ֣יר אָ֑רֶץ וּבְמֹ֥וט הָ֝רִ֗ים בְּלֵ֣ב יַמִּֽים׃ 2
इस कारण हमको कोई भय नहीं चाहे पृथ्वी उलट जाए, और पहाड़ समुद्र के बीच में डाल दिए जाएँ;
יֶהֱמ֣וּ יֶחְמְר֣וּ מֵימָ֑יו יִֽרְעֲשֽׁוּ־הָרִ֖ים בְּגַאֲוָתֹ֣ו סֶֽלָה׃ 3
चाहे समुद्र गरजें और फेन उठाए, और पहाड़ उसकी बाढ़ से काँप उठे। (सेला)
נָהָ֗ר פְּלָגָ֗יו יְשַׂמְּח֥וּ עִיר־אֱלֹהִ֑ים קְ֝דֹ֗שׁ מִשְׁכְּנֵ֥י עֶלְיֹֽון׃ 4
एक नदी है जिसकी नहरों से परमेश्वर के नगर में अर्थात् परमप्रधान के पवित्र निवास भवन में आनन्द होता है।
אֱלֹהִ֣ים בְּ֭קִרְבָּהּ בַּל־תִּמֹּ֑וט יַעְזְרֶ֥הָ אֱ֝לֹהִ֗ים לִפְנֹ֥ות בֹּֽקֶר׃ 5
परमेश्वर उस नगर के बीच में है, वह कभी टलने का नहीं; पौ फटते ही परमेश्वर उसकी सहायता करता है।
הָמ֣וּ גֹ֖ויִם מָ֣טוּ מַמְלָכֹ֑ות נָתַ֥ן בְּ֝קֹולֹ֗ו תָּמ֥וּג אָֽרֶץ׃ 6
जाति-जाति के लोग झल्ला उठे, राज्य-राज्य के लोग डगमगाने लगे; वह बोल उठा, और पृथ्वी पिघल गई।
יְהוָ֣ה צְבָאֹ֣ות עִמָּ֑נוּ מִשְׂגָּֽב־לָ֝נוּ אֱלֹהֵ֖י יַעֲקֹ֣ב סֶֽלָה׃ 7
सेनाओं का यहोवा हमारे संग है; याकूब का परमेश्वर हमारा ऊँचा गढ़ है। (सेला)
לְֽכוּ־חֲ֭זוּ מִפְעֲלֹ֣ות יְהוָ֑ה אֲשֶׁר־שָׂ֖ם שַׁמֹּ֣ות בָּאָֽרֶץ׃ 8
आओ, यहोवा के महाकर्म देखो, कि उसने पृथ्वी पर कैसा-कैसा उजाड़ किया है।
מַשְׁבִּ֥ית מִלְחָמֹות֮ עַד־קְצֵ֪ה הָ֫אָ֥רֶץ קֶ֣שֶׁת יְ֭שַׁבֵּר וְקִצֵּ֣ץ חֲנִ֑ית עֲ֝גָלֹ֗ות יִשְׂרֹ֥ף בָּאֵֽשׁ׃ 9
वह पृथ्वी की छोर तक लड़ाइयों को मिटाता है; वह धनुष को तोड़ता, और भाले को दो टुकड़े कर डालता है, और रथों को आग में झोंक देता है!
הַרְפּ֣וּ וּ֭דְעוּ כִּי־אָנֹכִ֣י אֱלֹהִ֑ים אָר֥וּם בַּ֝גֹּויִ֗ם אָר֥וּם בָּאָֽרֶץ׃ 10
१०“चुप हो जाओ, और जान लो कि मैं ही परमेश्वर हूँ। मैं जातियों में महान हूँ, मैं पृथ्वी भर में महान हूँ!”
יְהוָ֣ה צְבָאֹ֣ות עִמָּ֑נוּ מִשְׂגָּֽב־לָ֝נוּ אֱלֹהֵ֖י יַעֲקֹ֣ב סֶֽלָה׃ 11
११सेनाओं का यहोवा हमारे संग है; याकूब का परमेश्वर हमारा ऊँचा गढ़ है। (सेला)

< תְהִלִּים 46 >