< תְהִלִּים 4 >

לַמְנַצֵּ֥חַ בִּנְגִינֹ֗ות מִזְמֹ֥ור לְדָוִֽד׃ בְּקָרְאִ֡י עֲנֵ֤נִי ׀ אֱלֹ֘הֵ֤י צִדְקִ֗י בַּ֭צָּר הִרְחַ֣בְתָּ לִּ֑י חָ֝נֵּ֗נִי וּשְׁמַ֥ע תְּפִלָּתִֽי׃ 1
जब मै पुकारूँ तो मुझे जबाब दे ऐ मेरी सदाक़त के ख़ुदा! तंगी में तूने मुझे कुशादगी बख़्शी, मुझ पर रहम कर और मेरी दुआ सुन ले।
בְּנֵ֥י אִ֡ישׁ עַד־מֶ֬ה כְבֹודִ֣י לִ֭כְלִמָּה תֶּאֱהָב֣וּן רִ֑יק תְּבַקְשׁ֖וּ כָזָ֣ב סֶֽלָה׃ 2
ऐ बनी आदम! कब तक मेरी 'इज़्ज़त के बदले रुस्वाई होगी? तुम कब तक बकवास से मुहब्बत रखोगे और झूट के दर पे रहोगे?
וּדְע֗וּ כִּֽי־הִפְלָ֣ה יְ֭הוָה חָסִ֣יד לֹ֑ו יְהוָ֥ה יִ֝שְׁמַ֗ע בְּקָרְאִ֥י אֵלָֽיו׃ 3
जान लो कि ख़ुदावन्द ने दीनदार को अपने लिए अलग कर रखा है; जब मैं ख़ुदावन्द को पुकारूँगा तो वह सुन लेगा।
רִגְז֗וּ וְֽאַל־תֶּ֫חֱטָ֥אוּ אִמְר֣וּ בִ֭לְבַבְכֶם עַֽל־מִשְׁכַּבְכֶ֗ם וְדֹ֣מּוּ סֶֽלָה׃ 4
थरथराओ और गुनाह न करो; अपने अपने बिस्तर पर दिल में सोचो और ख़ामोश रहो।
זִבְח֥וּ זִבְחֵי־צֶ֑דֶק וּ֝בִטְח֗וּ אֶל־יְהוָֽה׃ 5
सदाक़त की कु़र्बानियाँ पेश करो, और ख़ुदावन्द पर भरोसा करो।
רַבִּ֥ים אֹמְרִים֮ מִֽי־יַרְאֵ֪נוּ֫ טֹ֥וב נְֽסָה־עָ֭לֵינוּ אֹ֨ור פָּנֶ֬יךָ יְהוָֽה׃ 6
बहुत से कहते हैं कौन हम को कुछ भलाई दिखाएगा? ऐ ख़ुदावन्द तू अपने चेहरे का नूर हम पर जलवह गर फ़रमा।
נָתַ֣תָּה שִׂמְחָ֣ה בְלִבִּ֑י מֵעֵ֬ת דְּגָנָ֖ם וְתִֽירֹושָׁ֣ם רָֽבּוּ׃ 7
तूने मेरे दिल को उससे ज़्यादा खु़शी बख़्शी है, जो उनको ग़ल्ले और मय की बहुतायत से होती थी।
בְּשָׁלֹ֣ום יַחְדָּו֮ אֶשְׁכְּבָ֪ה וְאִ֫ישָׁ֥ן כִּֽי־אַתָּ֣ה יְהוָ֣ה לְבָדָ֑ד לָ֝בֶ֗טַח תֹּושִׁיבֵֽנִי׃ 8
मैं सलामती से लेट जाऊँगा और सो रहूँगाः क्यूँकि ऐ ख़ुदावन्द! सिर्फ़ तू ही मुझे मुत्मईन रखता है!

< תְהִלִּים 4 >