< תְהִלִּים 36 >

לַמְנַצֵּ֬חַ ׀ לְעֶֽבֶד־יְהוָ֬ה לְדָוִֽד׃ נְאֻֽם־פֶּ֣שַׁע לָ֭רָשָׁע בְּקֶ֣רֶב לִבִּ֑י אֵֽין־פַּ֥חַד אֱ֝לֹהִ֗ים לְנֶ֣גֶד עֵינָֽיו׃ 1
प्रधान बजानेवाले के लिये यहोवा के दास दाऊद का भजन दुष्ट जन का अपराध उसके हृदय के भीतर कहता है; परमेश्वर का भय उसकी दृष्टि में नहीं है।
כִּֽי־הֶחֱלִ֣יק אֵלָ֣יו בְּעֵינָ֑יו לִמְצֹ֖א עֲוֹנֹ֣ו לִשְׂנֹֽא׃ 2
वह अपने अधर्म के प्रगट होने और घृणित ठहरने के विषय अपने मन में चिकनी चुपड़ी बातें विचारता है।
דִּבְרֵי־פִ֭יו אָ֣וֶן וּמִרְמָ֑ה חָדַ֖ל לְהַשְׂכִּ֣יל לְהֵיטִֽיב׃ 3
उसकी बातें अनर्थ और छल की हैं; उसने बुद्धि और भलाई के काम करने से हाथ उठाया है।
אָ֤וֶן ׀ יַחְשֹׁ֗ב עַֽל־מִשְׁכָּ֫בֹ֥ו יִ֭תְיַצֵּב עַל־דֶּ֣רֶךְ לֹא־טֹ֑וב רָ֝֗ע לֹ֣א יִמְאָֽס׃ 4
वह अपने बिछौने पर पड़े-पड़े अनर्थ की कल्पना करता है; वह अपने कुमार्ग पर दृढ़ता से बना रहता है; बुराई से वह हाथ नहीं उठाता।
יְ֭הוָה בְּהַשָּׁמַ֣יִם חַסְדֶּ֑ךָ אֱ֝מֽוּנָתְךָ֗ עַד־שְׁחָקִֽים׃ 5
हे यहोवा, तेरी करुणा स्वर्ग में है, तेरी सच्चाई आकाशमण्डल तक पहुँची है।
צִדְקָֽתְךָ֨ ׀ כְּֽהַרְרֵי־אֵ֗ל מִ֭שְׁפָּטֶךָ תְּהֹ֣ום רַבָּ֑ה אָ֤דָֽם־וּבְהֵמָ֖ה תֹושִׁ֣יעַ יְהוָֽה׃ 6
तेरा धर्म ऊँचे पर्वतों के समान है, तेरा न्याय अथाह सागर के समान हैं; हे यहोवा, तू मनुष्य और पशु दोनों की रक्षा करता है।
מַה־יָּקָ֥ר חַסְדְּךָ֗ אֱלֹ֫הִ֥ים וּבְנֵ֥י אָדָ֑ם בְּצֵ֥ל כְּ֝נָפֶ֗יךָ יֶחֱסָיֽוּן׃ 7
हे परमेश्वर, तेरी करुणा कैसी अनमोल है! मनुष्य तेरे पंखो के तले शरण लेते हैं।
יִ֭רְוְיֻן מִדֶּ֣שֶׁן בֵּיתֶ֑ךָ וְנַ֖חַל עֲדָנֶ֣יךָ תַשְׁקֵֽם׃ 8
वे तेरे भवन के भोजन की बहुतायत से तृप्त होंगे, और तू अपनी सुख की नदी में से उन्हें पिलाएगा।
כִּֽי־עִ֭מְּךָ מְקֹ֣ור חַיִּ֑ים בְּ֝אֹורְךָ֗ נִרְאֶה־אֹֽור׃ 9
क्योंकि जीवन का सोता तेरे ही पास है; तेरे प्रकाश के द्वारा हम प्रकाश पाएँगे।
מְשֹׁ֣ךְ חַ֭סְדְּךָ לְיֹדְעֶ֑יךָ וְ֝צִדְקָֽתְךָ֗ לְיִשְׁרֵי־לֵֽב׃ 10
१०अपने जाननेवालों पर करुणा करता रह, और अपने धर्म के काम सीधे मनवालों में करता रह!
אַל־תְּ֭בֹואֵנִי רֶ֣גֶל גַּאֲוָ֑ה וְיַד־רְ֝שָׁעִ֗ים אַל־תְּנִדֵֽנִי׃ 11
११अहंकारी मुझ पर लात उठाने न पाए, और न दुष्ट अपने हाथ के बल से मुझे भगाने पाए।
שָׁ֣ם נָ֭פְלוּ פֹּ֣עֲלֵי אָ֑וֶן דֹּ֝ח֗וּ וְלֹא־יָ֥כְלוּ קֽוּם׃ 12
१२वहाँ अनर्थकारी गिर पड़े हैं; वे ढकेल दिए गए, और फिर उठ न सकेंगे।

< תְהִלִּים 36 >