< תְהִלִּים 116 >

אָ֭הַבְתִּי כִּֽי־יִשְׁמַ֥ע ׀ יְהוָ֑ה אֶת־קֹ֝ולִ֗י תַּחֲנוּנָֽי׃ 1
मैं प्रेम रखता हूँ, इसलिए कि यहोवा ने मेरे गिड़गिड़ाने को सुना है।
כִּֽי־הִטָּ֣ה אָזְנֹ֣ו לִ֑י וּבְיָמַ֥י אֶקְרָֽא׃ 2
उसने जो मेरी ओर कान लगाया है, इसलिए मैं जीवन भर उसको पुकारा करूँगा।
אֲפָפ֤וּנִי ׀ חֶבְלֵי־מָ֗וֶת וּמְצָרֵ֣י שְׁאֹ֣ול מְצָא֑וּנִי צָרָ֖ה וְיָגֹ֣ון אֶמְצָֽא׃ (Sheol h7585) 3
मृत्यु की रस्सियाँ मेरे चारों ओर थीं; मैं अधोलोक की सकेती में पड़ा था; मुझे संकट और शोक भोगना पड़ा। (Sheol h7585)
וּבְשֵֽׁם־יְהוָ֥ה אֶקְרָ֑א אָנָּ֥ה יְ֝הוָ֗ה מַלְּטָ֥ה נַפְשִֽׁי׃ 4
तब मैंने यहोवा से प्रार्थना की, “हे यहोवा, विनती सुनकर मेरे प्राण को बचा ले!”
חַנּ֣וּן יְהֹוָ֣ה וְצַדִּ֑יק וֵ֖אלֹהֵ֣ינוּ מְרַחֵֽם׃ 5
यहोवा करुणामय और धर्मी है; और हमारा परमेश्वर दया करनेवाला है।
שֹׁמֵ֣ר פְּתָאיִ֣ם יְהֹוָ֑ה דַּ֝לֹּותִ֗י וְלִ֣י יְהֹושִֽׁיעַ׃ 6
यहोवा भोलों की रक्षा करता है; जब मैं बलहीन हो गया था, उसने मेरा उद्धार किया।
שׁוּבִ֣י נַ֭פְשִׁי לִמְנוּחָ֑יְכִי כִּֽי־יְ֝הוָ֗ה גָּמַ֥ל עָלָֽיְכִי׃ 7
हे मेरे प्राण, तू अपने विश्रामस्थान में लौट आ; क्योंकि यहोवा ने तेरा उपकार किया है।
כִּ֤י חִלַּ֥צְתָּ נַפְשִׁ֗י מִ֫מָּ֥וֶת אֶת־עֵינִ֥י מִן־דִּמְעָ֑ה אֶת־רַגְלִ֥י מִדֶּֽחִי׃ 8
तूने तो मेरे प्राण को मृत्यु से, मेरी आँख को आँसू बहाने से, और मेरे पाँव को ठोकर खाने से बचाया है।
אֶ֭תְהַלֵּךְ לִפְנֵ֣י יְהוָ֑ה בְּ֝אַרְצֹ֗ות הַֽחַיִּֽים׃ 9
मैं जीवित रहते हुए, अपने को यहोवा के सामने जानकर नित चलता रहूँगा।
הֶ֭אֱמַנְתִּי כִּ֣י אֲדַבֵּ֑ר אֲ֝נִ֗י עָנִ֥יתִי מְאֹֽד׃ 10
१०मैंने जो ऐसा कहा है, इसे विश्वास की कसौटी पर कसकर कहा है, “मैं तो बहुत ही दुःखित हूँ;”
אֲ֭נִי אָמַ֣רְתִּי בְחָפְזִ֑י כָּֽל־הָאָדָ֥ם כֹּזֵֽב׃ 11
११मैंने उतावली से कहा, “सब मनुष्य झूठें हैं।”
מָֽה־אָשִׁ֥יב לַיהוָ֑ה כָּֽל־תַּגְמוּלֹ֥והִי עָלָֽי׃ 12
१२यहोवा ने मेरे जितने उपकार किए हैं, उनके बदले मैं उसको क्या दूँ?
כֹּוס־יְשׁוּעֹ֥ות אֶשָּׂ֑א וּבְשֵׁ֖ם יְהוָ֣ה אֶקְרָֽא׃ 13
१३मैं उद्धार का कटोरा उठाकर, यहोवा से प्रार्थना करूँगा,
נְ֭דָרַי לַיהוָ֣ה אֲשַׁלֵּ֑ם נֶגְדָה־נָּ֝֗א לְכָל־עַמֹּֽו׃ 14
१४मैं यहोवा के लिये अपनी मन्नतें, सभी की दृष्टि में प्रगट रूप में, उसकी सारी प्रजा के सामने पूरी करूँगा।
יָ֭קָר בְּעֵינֵ֣י יְהוָ֑ה הַ֝מָּ֗וְתָה לַחֲסִידָֽיו׃ 15
१५यहोवा के भक्तों की मृत्यु, उसकी दृष्टि में अनमोल है।
אֽ͏ָנָּ֣ה יְהוָה֮ כִּֽי־אֲנִ֪י עַ֫בְדֶּ֥ךָ אֲ‍ֽנִי־עַ֭בְדְּךָ בֶּן־אֲמָתֶ֑ךָ פִּ֝תַּ֗חְתָּ לְמֹוסֵרָֽי׃ 16
१६हे यहोवा, सुन, मैं तो तेरा दास हूँ; मैं तेरा दास, और तेरी दासी का पुत्र हूँ। तूने मेरे बन्धन खोल दिए हैं।
לְֽךָ־אֶ֭זְבַּח זֶ֣בַח תֹּודָ֑ה וּבְשֵׁ֖ם יְהוָ֣ה אֶקְרָֽא׃ 17
१७मैं तुझको धन्यवाद-बलि चढ़ाऊँगा, और यहोवा से प्रार्थना करूँगा।
נְ֭דָרַי לַיהוָ֣ה אֲשַׁלֵּ֑ם נֶגְדָה־נָּ֝֗א לְכָל־עַמֹּֽו׃ 18
१८मैं यहोवा के लिये अपनी मन्नतें, प्रगट में उसकी सारी प्रजा के सामने
בְּחַצְרֹ֤ות ׀ בֵּ֤ית יְהוָ֗ה בְּֽתֹ֘וכֵ֤כִי יְֽרוּשָׁלָ֗͏ִם הַֽלְלוּ־יָֽהּ׃ 19
१९यहोवा के भवन के आँगनों में, हे यरूशलेम, तेरे भीतर पूरी करूँगा। यहोवा की स्तुति करो!

< תְהִלִּים 116 >