< תְהִלִּים 109 >

לַ֭מְנַצֵּחַ לְדָוִ֣ד מִזְמֹ֑ור אֱלֹהֵ֥י תְ֝הִלָּתִ֗י אַֽל־תֶּחֱרַֽשׁ׃ 1
संगीत निर्देशक के लिये. दावीद की रचना. एक स्तोत्र. परमेश्वर, मेरे स्तुति पात्र, निष्क्रिय और चुप न रहिए.
כִּ֤י פִ֪י רָשָׁ֡ע וּֽפִי־מִ֭רְמָה עָלַ֣י פָּתָ֑חוּ דִּבְּר֥וּ אִ֝תִּ֗י לְשֹׁ֣ון שָֽׁקֶר׃ 2
दुष्ट और झूठे पुरुषों ने मेरी निंदा करना प्रारंभ कर दिया है; वे जो कुछ कहकर मेरी निंदा कर रहे हैं, वह सभी झूठ है.
וְדִבְרֵ֣י שִׂנְאָ֣ה סְבָב֑וּנִי וַיִּֽלָּחֲמ֥וּנִי חִנָּֽם׃ 3
उन्होंने मुझ पर घिनौने शब्दों की बौछार कर दी; अकारण ही उन्होंने मुझ पर आक्रमण कर दिया है.
תַּֽחַת־אַהֲבָתִ֥י יִשְׂטְנ֗וּנִי וַאֲנִ֥י תְפִלָּֽה׃ 4
उन्होंने मेरी मैत्री के बदले मुझ पर आरोप लगाये, किंतु मैं प्रार्थना का आदमी हूं!
וַיָּ֘שִׂ֤ימוּ עָלַ֣י רָ֭עָה תַּ֣חַת טֹובָ֑ה וְ֝שִׂנְאָ֗ה תַּ֣חַת אַהֲבָתִֽי׃ 5
उन्होंने मेरे हित का प्रतिफल बुराई में दिया है, तथा मेरी मैत्री का प्रतिफल घृणा में.
הַפְקֵ֣ד עָלָ֣יו רָשָׁ֑ע וְ֝שָׂטָ֗ן יַעֲמֹ֥ד עַל־יְמִינֹֽו׃ 6
आप उसका प्रतिरोध करने के लिए किसी दुष्ट पुरुष को ही बसा लीजिए; उसके दायें पक्ष पर कोई विरोधी खड़ा हो जाए.
בְּ֭הִשָּׁ֣פְטֹו יֵצֵ֣א רָשָׁ֑ע וּ֝תְפִלָּתֹ֗ו תִּהְיֶ֥ה לַֽחֲטָאָֽה׃ 7
जब उस पर न्याय चलाया जाए तब वह दोषी पाया जाए, उसकी प्रार्थनाएं उसके लिए दंड-आज्ञा हो जाएं.
יִֽהְיֽוּ־יָמָ֥יו מְעַטִּ֑ים פְּ֝קֻדָּתֹ֗ו יִקַּ֥ח אַחֵֽר׃ 8
उसकी आयु कम हो जाए; उसके पद को कोई अन्य हड़प ले.
יִֽהְיוּ־בָנָ֥יו יְתֹומִ֑ים וְ֝אִשְׁתֹּו אַלְמָנָֽה׃ 9
उसकी संतान पितृहीन हो जाए तथा उसकी पत्नी विधवा.
וְנֹ֤ועַ יָנ֣וּעוּ בָנָ֣יו וְשִׁאֵ֑לוּ וְ֝דָרְשׁ֗וּ מֵחָרְבֹותֵיהֶֽם׃ 10
उसकी संतान भटकें और भीख मांगें; वे अपने उजड़े घर से दूर जाकर भोजन के लिए तरस जाएं.
יְנַקֵּ֣שׁ נֹ֭ושֶׁה לְכָל־אֲשֶׁר־לֹ֑ו וְיָבֹ֖זּוּ זָרִ֣ים יְגִיעֹֽו׃ 11
महाजन उसका सर्वस्व हड़प लें; उसके परिश्रम की संपूर्ण निधि परदेशी लोग लूट लें.
אַל־יְהִי־לֹ֖ו מֹשֵׁ֣ךְ חָ֑סֶד וְֽאַל־יְהִ֥י חֹ֝ונֵ֗ן לִיתֹומָֽיו׃ 12
उसे किसी की भी कृपा प्राप्‍त न हो और न कोई उसकी पितृहीन संतान पर करुणा प्रदर्शित करे.
יְהִֽי־אַחֲרִיתֹ֥ו לְהַכְרִ֑ית בְּדֹ֥ור אַ֝חֵ֗ר יִמַּ֥ח שְׁמָֽם׃ 13
उसका वंश ही मिट जाए, आगामी पीढ़ी की सूची से उनका नाम मिट जाए.
יִזָּכֵ֤ר ׀ עֲוֹ֣ן אֲ֭בֹתָיו אֶל־יְהוָ֑ה וְחַטַּ֥את אִ֝מֹּ֗ו אַל־תִּמָּֽח׃ 14
याहवेह के सामने उसके पूर्वजों का अपराध स्मरण दिलाया जाए; उसकी माता का पाप कभी क्षमा न किया जाए.
יִהְי֣וּ נֶֽגֶד־יְהוָ֣ה תָּמִ֑יד וְיַכְרֵ֖ת מֵאֶ֣רֶץ זִכְרָֽם׃ 15
याहवेह के सामने उन सभी के पाप बने रहें, कि वह उन सबका नाम पृथ्वी पर से ही मिटा दें.
יַ֗עַן אֲשֶׁ֤ר ׀ לֹ֥א זָכַר֮ עֲשֹׂ֪ות חָ֥סֶד וַיִּרְדֹּ֡ף אִישׁ־עָנִ֣י וְ֭אֶבְיֹון וְנִכְאֵ֨ה לֵבָ֬ב לְמֹותֵֽת׃ 16
करुणाभाव उसके मन में कभी आया ही नहीं, वह खोज कर निर्धनों, दीनों तथा खेदितमनवालों की हत्या करता है.
וַיֶּאֱהַ֣ב קְ֭לָלָה וַתְּבֹואֵ֑הוּ וְֽלֹא־חָפֵ֥ץ בִּ֝בְרָכָ֗ה וַתִּרְחַ֥ק מִמֶּֽנּוּ׃ 17
शाप देना उसे अत्यंत प्रिय है, वही शाप उस पर आ पड़े. किसी की हितकामना करने में उसे कोई आनंद प्राप्‍त नहीं होता— उत्तम यही होगा कि हित उससे ही दूर-दूर बना रहे.
וַיִּלְבַּ֥שׁ קְלָלָ֗ה כְּמַ֫דֹּ֥ו וַתָּבֹ֣א כַמַּ֣יִם בְּקִרְבֹּ֑ו וְ֝כַשֶּׁ֗מֶן בְּעַצְמֹותָֽיו׃ 18
उसके लिए वस्त्र धारण करने जैसे ही हो गया शाप देना; जैसा जल शरीर का अंश होता है; वैसे ही हो गया शाप, हां, जैसे तेल हड्डियों का अंश हो जाता है!
תְּהִי־לֹ֖ו כְּבֶ֣גֶד יַעְטֶ֑ה וּ֝לְמֵ֗זַח תָּמִ֥יד יַחְגְּרֶֽהָ׃ 19
शाप ही उसका वस्त्र बन जाए, कटिबंध समान, जो सदैव समेटे रहता है.
זֹ֤את פְּעֻלַּ֣ת שֹׂ֭טְנַי מֵאֵ֣ת יְהוָ֑ה וְהַדֹּבְרִ֥ים רָ֝֗ע עַל־נַפְשִֽׁי׃ 20
याहवेह की ओर से मेरे विरोधियों के लिए यही प्रतिफल हो, उनके लिए, जो मेरी निंदा करते रहते हैं.
וְאַתָּ֤ה ׀ יְה֘וִ֤ה אֲדֹנָ֗י עֲ‍ֽשֵׂה־אִ֭תִּי לְמַ֣עַן שְׁמֶ֑ךָ כִּי־טֹ֥וב חַ֝סְדְּךָ֗ הַצִּילֵֽנִי׃ 21
किंतु आप, सर्वसत्ताधारी याहवेह, अपनी महिमा के अनुरूप मुझ पर कृपा कीजिए; अपने करुणा-प्रेम के कारण मेरा उद्धार कीजिए.
כִּֽי־עָנִ֣י וְאֶבְיֹ֣ון אָנֹ֑כִי וְ֝לִבִּ֗י חָלַ֥ל בְּקִרְבִּֽי׃ 22
मैं दीन और दरिद्र हूं, और मेरा हृदय घायल है.
כְּצֵל־כִּנְטֹותֹ֥ו נֶהֱלָ֑כְתִּי נִ֝נְעַ֗רְתִּי כָּֽאַרְבֶּֽה׃ 23
संध्याकालीन छाया-समान मेरा अस्तित्व समाप्‍ति पर है; मुझे ऐसे झाड़ दिया जाता है मानो मैं अरबेह टिड्डी हूं.
בִּ֭רְכַּי כָּשְׁל֣וּ מִצֹּ֑ום וּ֝בְשָׂרִ֗י כָּחַ֥שׁ מִשָּֽׁמֶן׃ 24
उपवास के कारण मेरे घुटने दुर्बल हो चुके हैं; मेरा शरीर क्षीण और कमजोर हो गया है.
וַאֲנִ֤י ׀ הָיִ֣יתִי חֶרְפָּ֣ה לָהֶ֑ם יִ֝רְא֗וּנִי יְנִיע֥וּן רֹאשָֽׁם׃ 25
मेरे विरोधियों के लिए मैं घृणास्पद हो चुका हूं; मुझे देखते ही वे सिर हिलाने लगते हैं.
עָ֭זְרֵנִי יְהוָ֣ה אֱלֹהָ֑י הֹ֭ושִׁיעֵ֣נִי כְחַסְדֶּֽךָ׃ 26
याहवेह मेरे परमेश्वर, मेरी सहायता कीजिए; अपने करुणा-प्रेम के कारण मेरा उद्धार कीजिए.
וְֽ֭יֵדְעוּ כִּי־יָ֣דְךָ זֹּ֑את אַתָּ֖ה יְהוָ֣ה עֲשִׂיתָֽהּ׃ 27
उनको यह स्पष्ट हो जाए कि, वह आपके बाहुबल के कारण ही हो रहा है, यह कि याहवेह, यह सब आपने ही किया है.
יְקַֽלְלוּ־הֵמָּה֮ וְאַתָּ֪ה תְבָ֫רֵ֥ךְ קָ֤מוּ ׀ וַיֵּבֹ֗שׁוּ וְֽעַבְדְּךָ֥ יִשְׂמָֽח׃ 28
वे शाप देते रहें, किंतु आप आशीर्वचन ही कहें; तब जब वे, आक्रमण करेंगे, उन्हें लज्जित होना पड़ेगा, यह आपके सेवक के लिए आनंद का विषय होगा.
יִלְבְּשׁ֣וּ שֹׂוטְנַ֣י כְּלִמָּ֑ה וְיַעֲט֖וּ כַמְעִ֣יל בָּשְׁתָּֽם׃ 29
मेरे विरोधियों को अनादर के वस्त्रों के समान धारण करनी होगी, वे अपनी ही लज्जा को कंबल जैसे लपेट लेंगे.
אֹ֘ודֶ֤ה יְהוָ֣ה מְאֹ֣ד בְּפִ֑י וּבְתֹ֖וךְ רַבִּ֣ים אֲהַֽלְלֶֽנּוּ׃ 30
मेरे मुख की वाणी याहवेह के सम्मान में उच्चतम धन्यवाद होगी; विशाल जनसमूह के सामने मैं उनका स्तवन करूंगा,
כִּֽי־יַ֭עֲמֹד לִימִ֣ין אֶבְיֹ֑ון לְ֝הֹושִׁ֗יעַ מִשֹּׁפְטֵ֥י נַפְשֹֽׁו׃ 31
क्योंकि याहवेह दुःखितों के निकट दायें पक्ष पर आ खड़े रहते हैं, कि वह उनके जीवन को उन सबसे सुरक्षा प्रदान करें, जिन्होंने उसके लिए मृत्यु दंड निर्धारित किया था.

< תְהִלִּים 109 >