< מִשְׁלֵי 23 >

כִּֽי־תֵ֭שֵׁב לִלְחֹ֣ום אֶת־מֹושֵׁ֑ל בִּ֥ין תָּ֝בִ֗ין אֶת־אֲשֶׁ֥ר לְפָנֶֽיךָ׃ 1
जब तुम किसी अधिकारी के साथ भोजन के लिए बैठो, जो कुछ तुम्हारे समक्ष है, सावधानीपूर्वक उसका ध्यान करो.
וְשַׂמְתָּ֣ שַׂכִּ֣ין בְּלֹעֶ֑ךָ אִם־בַּ֖עַל נֶ֣פֶשׁ אָֽתָּה׃ 2
उपयुक्त होगा कि तुम अपनी भूख पर नियंत्रण रख भोजन की मात्रा कम ही रखो.
אַל־תִּ֭תְאָו לְמַטְעַמֹּותָ֑יו וְ֝ה֗וּא לֶ֣חֶם כְּזָבִֽים׃ 3
उसके उत्कृष्ट व्यंजनों की लालसा न करना, क्योंकि वे सभी धोखे के भोजन हैं.
אַל־תִּיגַ֥ע לְֽהַעֲשִׁ֑יר מִֽבִּינָתְךָ֥ חֲדָֽל׃ 4
धनाढ्य हो जाने की अभिलाषा में स्वयं को अतिश्रम के बोझ के नीचे दबा न डालो.
הֲתָעוּף (הֲתָ֤עִיף) עֵינֶ֥יךָ בֹּ֗ו וְֽאֵ֫ינֶ֥נּוּ כִּ֤י עָשֹׂ֣ה יַעֲשֶׂה־לֹּ֣ו כְנָפַ֑יִם כְּ֝נֶ֗שֶׁר וְעָיֵף (יָע֥וּף) הַשָּׁמָֽיִם׃ פ 5
जैसे ही तुम्हारी दृष्टि इस पर जा ठहरती है, यह अदृश्य हो जाती है, मानो इसके पंख निकल आए हों, और यह गरुड़ के समान आकाश में उड़ जाता है.
אַל־תִּלְחַ֗ם אֶת־לֶ֭חֶם רַ֣ע עָ֑יִן וְאַל־תִּתְאָו (תִּ֝תְאָ֗יו) לְמַטְעַמֹּתָֽיו׃ 6
भोजन के लिए किसी कंजूस के घर न जाना, और न उसके उत्कृष्ट व्यंजनों की लालसा करना;
כִּ֤י ׀ כְּמֹו־שָׁעַ֥ר בְּנַפְשֹׁ֗ו כֶּ֫ן־ה֥וּא אֱכֹ֣ל וּ֭שְׁתֵה יֹ֣אמַר לָ֑ךְ וְ֝לִבֹּ֗ו בַּל־עִמָּֽךְ׃ 7
क्योंकि वह उस व्यक्ति के समान है, जो कहता तो है, “और खाइए न!” किंतु मन ही मन वह भोजन के मूल्य का हिसाब लगाता रहता है. वस्तुतः उसकी वह इच्छा नहीं होती, जो वह कहता है.
פִּֽתְּךָ־אָכַ֥לְתָּ תְקִיאֶ֑נָּה וְ֝שִׁחַ֗תָּ דְּבָרֶ֥יךָ הַנְּעִימִֽים׃ 8
तुमने जो कुछ अल्प खाया है, वह तुम उगल दोगे, और तुम्हारे अभिनंदन, प्रशंसा और सम्मान के मधुर उद्गार भी व्यर्थ सिद्ध होंगे.
בְּאָזְנֵ֣י כְ֭סִיל אַל־תְּדַבֵּ֑ר כִּֽי־יָ֝ב֗וּז לְשֵׂ֣כֶל מִלֶּֽיךָ׃ 9
जब मूर्ख आपकी बातें सुन रहा हो तब कुछ न कहना. क्योंकि तुम्हारी ज्ञान की बातें उसके लिए तुच्छ होंगी.
אַל־תַּ֭סֵּג גְּב֣וּל עֹולָ֑ם וּבִשְׂדֵ֥י יְ֝תֹומִ֗ים אַל־תָּבֹֽא׃ 10
पूर्वकाल से चले आ रहे सीमा-चिन्ह को न हटाना, और न किसी अनाथ के खेत को हड़प लेना.
כִּֽי־גֹאֲלָ֥ם חָזָ֑ק הֽוּא־יָרִ֖יב אֶת־רִיבָ֣ם אִתָּֽךְ׃ 11
क्योंकि सामर्थ्यवान है उनका छुड़ाने वाला; जो तुम्हारे विरुद्ध उनका पक्ष लड़ेगा.
הָבִ֣יאָה לַמּוּסָ֣ר לִבֶּ֑ךָ וְ֝אָזְנֶ֗ךָ לְאִמְרֵי־דָֽעַת׃ 12
शिक्षा पर अपने मस्तिष्क का इस्तेमाल करो, ज्ञान के तथ्यों पर ध्यान लगाओ.
אַל־תִּמְנַ֣ע מִנַּ֣עַר מוּסָ֑ר כִּֽי־תַכֶּ֥נּוּ בַ֝שֵּׁ֗בֶט לֹ֣א יָמֽוּת׃ 13
संतान पर अनुशासन के प्रयोग से न हिचकना; उस पर छड़ी के प्रहार से उसकी मृत्यु नहीं हो जाएगी.
אַ֭תָּה בַּשֵּׁ֣בֶט תַּכֶּ֑נּוּ וְ֝נַפְשֹׁ֗ו מִשְּׁאֹ֥ול תַּצִּֽיל׃ (Sheol h7585) 14
यदि तुम उस पर छड़ी का प्रहार करोगे तो तुम उसकी आत्मा को नर्क से बचा लोगे. (Sheol h7585)
בְּ֭נִי אִם־חָכַ֣ם לִבֶּ֑ךָ יִשְׂמַ֖ח לִבִּ֣י גַם־אָֽנִי׃ 15
मेरे पुत्र, यदि तुम्हारे हृदय में ज्ञान का निवास है, तो मेरा हृदय अत्यंत प्रफुल्लित होगा;
וְתַעְלֹ֥זְנָה כִלְיֹותָ֑י בְּדַבֵּ֥ר שְׂ֝פָתֶ֗יךָ מֵישָׁרִֽים׃ 16
मेरा अंतरात्मा हर्षित हो जाएगा, जब मैं तुम्हारे मुख से सही उद्गार सुनता हूं.
אַל־יְקַנֵּ֣א לִ֭בְּךָ בַּֽחַטָּאִ֑ים כִּ֥י אִם־בְּיִרְאַת־יְ֝הוָ֗ה כָּל־הַיֹּֽום׃ 17
दुष्टों को देख तुम्हारे हृदय में ईर्ष्या न जागे, तुम सर्वदा याहवेह के प्रति श्रद्धा में आगे बढ़ते जाओ.
כִּ֭י אִם־יֵ֣שׁ אַחֲרִ֑ית וְ֝תִקְוָתְךָ֗ לֹ֣א תִכָּרֵֽת׃ 18
भविष्य सुनिश्चित है, तुम्हारी आशा अपूर्ण न रहेगी.
שְׁמַע־אַתָּ֣ה בְנִ֣י וַחֲכָ֑ם וְאַשֵּׁ֖ר בַּדֶּ֣רֶךְ לִבֶּֽךָ׃ 19
मेरे बालक, मेरी सुनकर विद्वत्ता प्राप्‍त करो, अपने हृदय को सुमार्ग के प्रति समर्पित कर दो:
אַל־תְּהִ֥י בְסֹֽבְאֵי־יָ֑יִן בְּזֹלֲלֵ֖י בָשָׂ֣ר לָֽמֹו׃ 20
उनकी संगति में न रहना, जो मद्यपि हैं और न उनकी संगति में, जो पेटू हैं.
כִּי־סֹבֵ֣א וְ֭זֹולֵל יִוָּרֵ֑שׁ וּ֝קְרָעִ֗ים תַּלְבִּ֥ישׁ נוּמָֽה׃ 21
क्योंकि मतवालों और पेटुओं की नियति गरीबी है, और अति नींद उन्हें चिथड़े पहनने की स्थिति में ले आती है.
שְׁמַ֣ע לְ֭אָבִיךָ זֶ֣ה יְלָדֶ֑ךָ וְאַל־תָּ֝ב֗וּז כִּֽי־זָקְנָ֥ה אִמֶּֽךָ׃ 22
अपने पिता की शिक्षाओं को ध्यान में रखना, वह तुम्हारे जनक है, और अपनी माता के वयोवृद्ध होने पर उन्हें तुच्छ न समझना.
אֱמֶ֣ת קְ֭נֵה וְאַל־תִּמְכֹּ֑ר חָכְמָ֖ה וּמוּסָ֣ר וּבִינָֽה׃ 23
सत्य को मोल लो, किंतु फिर इसका विक्रय न करना; ज्ञान, अनुशासन तथा समझ संग्रहीत करते जाओ.
גֹּול (גִּ֣יל) יָגֹול (יָ֭גִיל) אֲבִ֣י צַדִּ֑יק יֹולֵד (וְיֹולֵ֥ד) חָ֝כָ֗ם וְיִשְׂמַח־ (יִשְׂמַח)־בֹּֽו׃ 24
सबसे अधिक उल्‍लसित व्यक्ति होता है धर्मी व्यक्ति का पिता; जिसने बुद्धिमान पुत्र को जन्म दिया है, वह पुत्र उसके आनंद का विषय होता है.
יִֽשְׂמַח־אָבִ֥יךָ וְאִמֶּ֑ךָ וְ֝תָגֵ֗ל יֹֽולַדְתֶּֽךָ׃ 25
वही करो कि तुम्हारे माता-पिता आनंदित रहें; एवं तुम्हारी जननी उल्‍लसित.
תְּנָֽה־בְנִ֣י לִבְּךָ֣ לִ֑י וְ֝עֵינֶ֗יךָ דְּרָכַ֥י תִּרְצֶנָה (תִּצֹּֽרְנָה)׃ 26
मेरे पुत्र, अपना हृदय मुझे दे दो; तुम्हारे नेत्र मेरी जीवनशैली का ध्यान करते रहें,
כִּֽי־שׁוּחָ֣ה עֲמֻקָּ֣ה זֹונָ֑ה וּבְאֵ֥ר צָ֝רָ֗ה נָכְרִיָּֽה׃ 27
वेश्या एक गहरा गड्ढा होती है, पराई स्त्री एक संकरा कुंआ है.
אַף־הִ֭יא כְּחֶ֣תֶף תֶּֽאֱרֹ֑ב וּ֝בֹוגְדִ֗ים בְּאָדָ֥ם תֹּוסִֽף׃ 28
वह डाकू के समान ताक लगाए बैठी रहती है इसमें वह मनुष्यों में विश्‍वासघातियों की संख्या में वृद्धि में योग देती जाती है.
לְמִ֨י אֹ֥וי לְמִ֪י אֲבֹ֡וי לְמִ֤י מִדֹונִים (מִדְיָנִ֨ים) ׀ לְמִ֥י שִׂ֗יחַ לְ֭מִי פְּצָעִ֣ים חִנָּ֑ם לְ֝מִ֗י חַכְלִל֥וּת עֵינָֽיִם׃ 29
कौन है शोक संतप्‍त? कौन है विपदा में? कौन विवादग्रस्त है? और कौन असंतोष में पड़ा है? किस पर अकारण ही घाव हुए है? किसके नेत्र लाल हो गए हैं?
לַֽמְאַחֲרִ֥ים עַל־הַיָּ֑יִן לַ֝בָּאִ֗ים לַחְקֹ֥ר מִמְסָֽךְ׃ 30
वे ही न, जिन्होंने देर तक बैठे दाखमधु पान किया है, वे ही न, जो विविध मिश्रित दाखमधु का पान करते रहे हैं?
אַל־תֵּ֥רֶא יַיִן֮ כִּ֪י יִתְאַ֫דָּ֥ם כִּֽי־יִתֵּ֣ן בַּכִּיס (בַּכֹּ֣וס) עֵינֹ֑ו יִ֝תְהַלֵּ֗ךְ בְּמֵישָׁרִֽים׃ 31
उस लाल आकर्षक दाखमधु पर दृष्टि ही मत डालो और न तब, जब यह प्याले में उंडेली जाती है, अन्यथा यह गले से नीचे उतरने में विलंब नहीं करेगी.
אַ֭חֲרִיתֹו כְּנָחָ֣שׁ יִשָּׁ֑ךְ וּֽכְצִפְעֹנִ֥י יַפְרִֽשׁ׃ 32
अंत में सर्पदंश के समान होता है दाखमधु का प्रभाव तथा विषैले सर्प के समान होता है उसका प्रहार.
עֵ֭ינֶיךָ יִרְא֣וּ זָרֹ֑ות וְ֝לִבְּךָ֗ יְדַבֵּ֥ר תַּהְפֻּכֹֽות׃ 33
तुम्हें असाधारण दृश्य दिखाई देने लगेंगे, तुम्हारा मस्तिष्क कुटिल विषय प्रस्तुत करने लगेगा.
וְ֭הָיִיתָ כְּשֹׁכֵ֣ב בְּלֶב־יָ֑ם וּ֝כְשֹׁכֵ֗ב בְּרֹ֣אשׁ חִבֵּֽל׃ 34
तुम्हें ऐसा अनुभव होगा, मानो तुम समुद्र की लहरों पर लेटे हुए हो, ऐसा, मानो तुम जलयान के उच्चतम स्तर पर लेटे हो.
הִכּ֥וּנִי בַל־חָלִיתִי֮ הֲלָמ֗וּנִי בַּל־יָ֫דָ֥עְתִּי מָתַ֥י אָקִ֑יץ אֹ֝וסִ֗יף אֲבַקְשֶׁ֥נּוּ עֹֽוד׃ 35
तब तुम यह दावा भी करने लगोगे, “उन्होंने मुझे पीटा था, फिर भी मुझ पर इसका प्रभाव नहीं पड़ा. उन्होंने मुझे मारा पर मुझे तो लगा ही नहीं! कब टूटेगी मेरी यह नींद? लाओ, मैं एक प्याला और पी लूं.”

< מִשְׁלֵי 23 >