< וַיִּקְרָא 6 >

וַיְדַבֵּ֥ר יְהוָ֖ה אֶל־מֹשֶׁ֥ה לֵּאמֹֽר׃ 1
फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
נֶ֚פֶשׁ כִּ֣י תֶחֱטָ֔א וּמָעֲלָ֥ה מַ֖עַל בַּיהוָ֑ה וְכִחֵ֨שׁ בַּעֲמִיתֹ֜ו בְּפִקָּדֹ֗ון אֹֽו־בִתְשׂ֤וּמֶת יָד֙ אֹ֣ו בְגָזֵ֔ל אֹ֖ו עָשַׁ֥ק אֶת־עֲמִיתֹֽו׃ 2
“यदि कोई यहोवा का विश्वासघात करके पापी ठहरे, जैसा कि धरोहर, या लेन-देन, या लूट के विषय में अपने भाई से छल करे, या उस पर अत्याचार करे,
אֹֽו־מָצָ֧א אֲבֵדָ֛ה וְכִ֥חֶשׁ בָּ֖הּ וְנִשְׁבַּ֣ע עַל־שָׁ֑קֶר עַל־אַחַ֗ת מִכֹּ֛ל אֲשֶׁר־יַעֲשֶׂ֥ה הָאָדָ֖ם לַחֲטֹ֥א בָהֵֽנָּה׃ 3
या पड़ी हुई वस्तु को पाकर उसके विषय झूठ बोले और झूठी शपथ भी खाए; ऐसी कोई भी बात क्यों न हो जिसे करके मनुष्य पापी ठहरते हैं,
וְהָיָה֮ כִּֽי־יֶחֱטָ֣א וְאָשֵׁם֒ וְהֵשִׁ֨יב אֶת־הַגְּזֵלָ֜ה אֲשֶׁ֣ר גָּזָ֗ל אֹ֤ו אֶת־הָעֹ֙שֶׁק֙ אֲשֶׁ֣ר עָשָׁ֔ק אֹ֚ו אֶת־הַפִּקָּדֹ֔ון אֲשֶׁ֥ר הָפְקַ֖ד אִתֹּ֑ו אֹ֥ו אֶת־הָאֲבֵדָ֖ה אֲשֶׁ֥ר מָצָֽא׃ 4
तो जब वह ऐसा काम करके दोषी हो जाए, तब जो भी वस्तु उसने लूट, या अत्याचार करके, या धरोहर, या पड़ी पाई हो;
אֹ֠ו מִכֹּ֞ל אֲשֶׁר־יִשָּׁבַ֣ע עָלָיו֮ לַשֶּׁקֶר֒ וְשִׁלַּ֤ם אֹתֹו֙ בְּרֹאשֹׁ֔ו וַחֲמִשִׁתָ֖יו יֹסֵ֣ף עָלָ֑יו לַאֲשֶׁ֨ר ה֥וּא לֹ֛ו יִתְּנֶ֖נּוּ בְּיֹ֥ום אַשְׁמָתֹֽו׃ 5
चाहे कोई वस्तु क्यों न हो जिसके विषय में उसने झूठी शपथ खाई हो; तो वह उसको पूरा-पूरा लौटा दे, और पाँचवाँ भाग भी बढ़ाकर भर दे, जिस दिन यह मालूम हो कि वह दोषी है, उसी दिन वह उस वस्तु को उसके स्वामी को लौटा दे।
וְאֶת־אֲשָׁמֹ֥ו יָבִ֖יא לַיהוָ֑ה אַ֣יִל תָּמִ֧ים מִן־הַצֹּ֛אן בְּעֶרְכְּךָ֥ לְאָשָׁ֖ם אֶל־הַכֹּהֵֽן׃ 6
और वह यहोवा के सम्मुख अपना दोषबलि भी ले आए, अर्थात् एक निर्दोष मेढ़ा दोषबलि के लिये याजक के पास ले आए, वह उतने ही दाम का हो जितना याजक ठहराए।
וְכִפֶּ֨ר עָלָ֧יו הַכֹּהֵ֛ן לִפְנֵ֥י יְהוָ֖ה וְנִסְלַ֣ח לֹ֑ו עַל־אַחַ֛ת מִכֹּ֥ל אֲשֶֽׁר־יַעֲשֶׂ֖ה לְאַשְׁמָ֥ה בָֽהּ׃ פ 7
इस प्रकार याजक उसके लिये यहोवा के सामने प्रायश्चित करे, और जिस काम को करके वह दोषी हो गया है उसकी क्षमा उसे मिलेगी।”
וַיְדַבֵּ֥ר יְהוָ֖ה אֶל־מֹשֶׁ֥ה לֵּאמֹֽר׃ 8
फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
צַ֤ו אֶֽת־אַהֲרֹן֙ וְאֶת־בָּנָ֣יו לֵאמֹ֔ר זֹ֥את תֹּורַ֖ת הָעֹלָ֑ה הִ֣וא הָעֹלָ֡ה עַל֩ מֹוקְדָ֨ה עַל־הַמִּזְבֵּ֤חַ כָּל־הַלַּ֙יְלָה֙ עַד־הַבֹּ֔קֶר וְאֵ֥שׁ הַמִּזְבֵּ֖חַ תּ֥וּקַד בֹּֽו׃ 9
“हारून और उसके पुत्रों को आज्ञा देकर यह कह कि होमबलि की व्यवस्था यह है: होमबलि ईंधन के ऊपर रात भर भोर तक वेदी पर पड़ा रहे, और वेदी की अग्नि वेदी पर जलती रहे।
וְלָבַ֨שׁ הַכֹּהֵ֜ן מִדֹּ֣ו בַ֗ד וּמִֽכְנְסֵי־בַד֮ יִלְבַּ֣שׁ עַל־בְּשָׂרֹו֒ וְהֵרִ֣ים אֶת־הַדֶּ֗שֶׁן אֲשֶׁ֨ר תֹּאכַ֥ל הָאֵ֛שׁ אֶת־הָעֹלָ֖ה עַל־הַמִּזְבֵּ֑חַ וְשָׂמֹ֕ו אֵ֖צֶל הַמִּזְבֵּֽחַ׃ 10
१०और याजक अपने सनी के वस्त्र और अपने तन पर अपनी सनी की जाँघिया पहनकर होमबलि की राख, जो आग के भस्म करने से वेदी पर रह जाए, उसे उठाकर वेदी के पास रखे।
וּפָשַׁט֙ אֶת־בְּגָדָ֔יו וְלָבַ֖שׁ בְּגָדִ֣ים אֲחֵרִ֑ים וְהֹוצִ֤יא אֶת־הַדֶּ֙שֶׁן֙ אֶל־מִח֣וּץ לַֽמַּחֲנֶ֔ה אֶל־מָקֹ֖ום טָהֹֽור׃ 11
११तब वह अपने ये वस्त्र उतारकर दूसरे वस्त्र पहनकर राख को छावनी से बाहर किसी शुद्ध स्थान पर ले जाए।
וְהָאֵ֨שׁ עַל־הַמִּזְבֵּ֤חַ תּֽוּקַד־בֹּו֙ לֹ֣א תִכְבֶּ֔ה וּבִעֵ֨ר עָלֶ֧יהָ הַכֹּהֵ֛ן עֵצִ֖ים בַּבֹּ֣קֶר בַּבֹּ֑קֶר וְעָרַ֤ךְ עָלֶ֙יהָ֙ הָֽעֹלָ֔ה וְהִקְטִ֥יר עָלֶ֖יהָ חֶלְבֵ֥י הַשְּׁלָמִֽים׃ 12
१२वेदी पर अग्नि जलती रहे, और कभी बुझने न पाए; और याजक प्रतिदिन भोर को उस पर लकड़ियाँ जलाकर होमबलि के टुकड़ों को उसके ऊपर सजा कर धर दे, और उसके ऊपर मेलबलियों की चर्बी को जलाया करे।
אֵ֗שׁ תָּמִ֛יד תּוּקַ֥ד עַל־הַמִּזְבֵּ֖חַ לֹ֥א תִכְבֶֽה׃ ס 13
१३वेदी पर आग लगातार जलती रहे; वह कभी बुझने न पाए।
וְזֹ֥את תֹּורַ֖ת הַמִּנְחָ֑ה הַקְרֵ֨ב אֹתָ֤הּ בְּנֵֽי־אַהֲרֹן֙ לִפְנֵ֣י יְהוָ֔ה אֶל־פְּנֵ֖י הַמִּזְבֵּֽחַ׃ 14
१४“अन्नबलि की व्यवस्था इस प्रकार है: हारून के पुत्र उसको वेदी के आगे यहोवा के समीप ले आएँ।
וְהֵרִ֨ים מִמֶּ֜נּוּ בְּקֻמְצֹ֗ו מִסֹּ֤לֶת הַמִּנְחָה֙ וּמִשַּׁמְנָ֔הּ וְאֵת֙ כָּל־הַלְּבֹנָ֔ה אֲשֶׁ֖ר עַל־הַמִּנְחָ֑ה וְהִקְטִ֣יר הַמִּזְבֵּ֗חַ רֵ֧יחַ נִיחֹ֛חַ אַזְכָּרָתָ֖הּ לַיהוָֽה׃ 15
१५और वह अन्नबलि के तेल मिले हुए मैदे में से मुट्ठी भर और उस पर का सब लोबान उठाकर अन्नबलि के स्मरणार्थ इस भाग को यहोवा के सम्मुख सुखदायक सुगन्ध के लिये वेदी पर जलाए।
וְהַנֹּותֶ֣רֶת מִמֶּ֔נָּה יֹאכְל֖וּ אַהֲרֹ֣ן וּבָנָ֑יו מַצֹּ֤ות תֵּֽאָכֵל֙ בְּמָקֹ֣ום קָדֹ֔שׁ בַּחֲצַ֥ר אֹֽהֶל־מֹועֵ֖ד יֹאכְלֽוּהָ׃ 16
१६और उसमें से जो शेष रह जाए उसे हारून और उसके पुत्र खाएँ; वह बिना ख़मीर पवित्रस्थान में खाया जाए, अर्थात् वे मिलापवाले तम्बू के आँगन में उसे खाएँ।
לֹ֤א תֵאָפֶה֙ חָמֵ֔ץ חֶלְקָ֛ם נָתַ֥תִּי אֹתָ֖הּ מֵאִשָּׁ֑י קֹ֤דֶשׁ קָֽדָשִׁים֙ הִ֔וא כַּחַטָּ֖את וְכָאָשָֽׁם׃ 17
१७वह ख़मीर के साथ पकाया न जाए; क्योंकि मैंने अपने हव्य में से उसको उनका निज भाग होने के लिये उन्हें दिया है; इसलिए जैसा पापबलि और दोषबलि परमपवित्र हैं वैसा ही वह भी है।
כָּל־זָכָ֞ר בִּבְנֵ֤י אַהֲרֹן֙ יֹֽאכֲלֶ֔נָּה חָק־עֹולָם֙ לְדֹרֹ֣תֵיכֶ֔ם מֵאִשֵּׁ֖י יְהוָ֑ה כֹּ֛ל אֲשֶׁר־יִגַּ֥ע בָּהֶ֖ם יִקְדָּֽשׁ׃ פ 18
१८तुम्हारी पीढ़ी-पीढ़ी में हारून के वंश के सब पुरुष उसमें से खा सकते हैं, यहोवा के हवनों में से यह उनका भाग सदैव बना रहेगा; जो कोई उन हवनों को छूए वह पवित्र ठहरेगा।”
וַיְדַבֵּ֥ר יְהוָ֖ה אֶל־מֹשֶׁ֥ה לֵּאמֹֽר׃ 19
१९फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
זֶ֡ה קָרְבַּן֩ אַהֲרֹ֨ן וּבָנָ֜יו אֲשֶׁר־יַקְרִ֣יבוּ לַֽיהוָ֗ה בְּיֹום֙ הִמָּשַׁ֣ח אֹתֹ֔ו עֲשִׂירִ֨ת הָאֵפָ֥ה סֹ֛לֶת מִנְחָ֖ה תָּמִ֑יד מַחֲצִיתָ֣הּ בַּבֹּ֔קֶר וּמַחֲצִיתָ֖הּ בָּעָֽרֶב׃ 20
२०“जिस दिन हारून का अभिषेक हो उस दिन वह अपने पुत्रों के साथ यहोवा को यह चढ़ावा चढ़ाए; अर्थात् एपा का दसवाँ भाग मैदा नित्य अन्नबलि में चढ़ाए, उसमें से आधा भोर को और आधा संध्या के समय चढ़ाए।
עַֽל־מַחֲבַ֗ת בַּשֶּׁ֛מֶן תֵּעָשֶׂ֖ה מֻרְבֶּ֣כֶת תְּבִיאֶ֑נָּה תֻּפִינֵי֙ מִנְחַ֣ת פִּתִּ֔ים תַּקְרִ֥יב רֵֽיחַ־נִיחֹ֖חַ לַיהוָֽה׃ 21
२१वह तवे पर तेल के साथ पकाया जाए; जब वह तेल से तर हो जाए तब उसे ले आना, इस अन्नबलि के पके हुए टुकडे़ यहोवा के सुखदायक सुगन्ध के लिये चढ़ाना।
וְהַכֹּהֵ֨ן הַמָּשִׁ֧יחַ תַּחְתָּ֛יו מִבָּנָ֖יו יַעֲשֶׂ֣ה אֹתָ֑הּ חָק־עֹולָ֕ם לַיהוָ֖ה כָּלִ֥יל תָּקְטָֽר׃ 22
२२हारून के पुत्रों में से जो भी उस याजकपद पर अभिषिक्त होगा, वह भी उसी प्रकार का चढ़ावा चढ़ाया करे; यह विधि सदा के लिये है, कि यहोवा के सम्मुख वह सम्पूर्ण चढ़ावा जलाया जाए।
וְכָל־מִנְחַ֥ת כֹּהֵ֛ן כָּלִ֥יל תִּהְיֶ֖ה לֹ֥א תֵאָכֵֽל׃ פ 23
२३याजक के सम्पूर्ण अन्नबलि भी सब जलाए जाएँ; वह कभी न खाया जाए।”
וַיְדַבֵּ֥ר יְהוָ֖ה אֶל־מֹשֶׁ֥ה לֵּאמֹֽר׃ 24
२४फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
דַּבֵּ֤ר אֶֽל־אַהֲרֹן֙ וְאֶל־בָּנָ֣יו לֵאמֹ֔ר זֹ֥את תֹּורַ֖ת הַֽחַטָּ֑את בִּמְקֹ֡ום אֲשֶׁר֩ תִּשָּׁחֵ֨ט הָעֹלָ֜ה תִּשָּׁחֵ֤ט הַֽחַטָּאת֙ לִפְנֵ֣י יְהוָ֔ה קֹ֥דֶשׁ קֽ͏ָדָשִׁ֖ים הִֽוא׃ 25
२५“हारून और उसके पुत्रों से यह कह कि पापबलि की व्यवस्था यह है: जिस स्थान में होमबलि पशु वध किया जाता है उसी में पापबलि पशु भी यहोवा के सम्मुख बलि किया जाए; वह परमपवित्र है।
הַכֹּהֵ֛ן הַֽמְחַטֵּ֥א אֹתָ֖הּ יֹאכֲלֶ֑נָּה בְּמָקֹ֤ום קָדֹשׁ֙ תֵּֽאָכֵ֔ל בַּחֲצַ֖ר אֹ֥הֶל מֹועֵֽד׃ 26
२६जो याजक पापबलि चढ़ाए वह उसे खाए; वह पवित्रस्थान में, अर्थात् मिलापवाले तम्बू के आँगन में खाया जाए।
כֹּ֛ל אֲשֶׁר־יִגַּ֥ע בִּבְשָׂרָ֖הּ יִקְדָּ֑שׁ וַאֲשֶׁ֨ר יִזֶּ֤ה מִדָּמָהּ֙ עַל־הַבֶּ֔גֶד אֲשֶׁר֙ יִזֶּ֣ה עָלֶ֔יהָ תְּכַבֵּ֖ס בְּמָקֹ֥ום קָדֹֽשׁ׃ 27
२७जो कुछ उसके माँस से छू जाए, वह पवित्र ठहरेगा; और यदि उसके लहू के छींटे किसी वस्त्र पर पड़ जाएँ, तो उसे किसी पवित्रस्थान में धो देना।
וּכְלִי־חֶ֛רֶשׂ אֲשֶׁ֥ר תְּבֻשַּׁל־בֹּ֖ו יִשָּׁבֵ֑ר וְאִם־בִּכְלִ֤י נְחֹ֙שֶׁת֙ בֻּשָּׁ֔לָה וּמֹרַ֥ק וְשֻׁטַּ֖ף בַּמָּֽיִם׃ 28
२८और वह मिट्टी का पात्र जिसमें वह पकाया गया हो तोड़ दिया जाए; यदि वह पीतल के पात्र में उबाला गया हो, तो वह माँजा जाए, और जल से धो लिया जाए।
כָּל־זָכָ֥ר בַּכֹּהֲנִ֖ים יֹאכַ֣ל אֹתָ֑הּ קֹ֥דֶשׁ קֽ͏ָדָשִׁ֖ים הִֽוא׃ 29
२९याजकों में से सब पुरुष उसे खा सकते हैं; वह परमपवित्र वस्तु है।
וְכָל־חַטָּ֡את אֲשֶׁר֩ יוּבָ֨א מִדָּמָ֜הּ אֶל־אֹ֧הֶל מֹועֵ֛ד לְכַפֵּ֥ר בַּקֹּ֖דֶשׁ לֹ֣א תֵאָכֵ֑ל בָּאֵ֖שׁ תִּשָּׂרֵֽף׃ פ 30
३०पर जिस पापबलि पशु के लहू में से कुछ भी लहू मिलापवाले तम्बू के भीतर पवित्रस्थान में प्रायश्चित करने को पहुँचाया जाए उसका माँस कभी न खाया जाए; वह आग में जला दिया जाए।

< וַיִּקְרָא 6 >