< וַיִּקְרָא 25 >

וַיְדַבֵּ֤ר יְהוָה֙ אֶל־מֹשֶׁ֔ה בְּהַ֥ר סִינַ֖י לֵאמֹֽר׃ 1
फिर यहोवा ने सीनै पर्वत के पास मूसा से कहा,
דַּבֵּ֞ר אֶל־בְּנֵ֤י יִשְׂרָאֵל֙ וְאָמַרְתָּ֣ אֲלֵהֶ֔ם כִּ֤י תָבֹ֙אוּ֙ אֶל־הָאָ֔רֶץ אֲשֶׁ֥ר אֲנִ֖י נֹתֵ֣ן לָכֶ֑ם וְשָׁבְתָ֣ה הָאָ֔רֶץ שַׁבָּ֖ת לַיהוָֽה׃ 2
“इस्राएलियों से कह कि जब तुम उस देश में प्रवेश करो जो मैं तुम्हें देता हूँ, तब भूमि को यहोवा के लिये विश्राम मिला करे।
שֵׁ֤שׁ שָׁנִים֙ תִּזְרַ֣ע שָׂדֶ֔ךָ וְשֵׁ֥שׁ שָׁנִ֖ים תִּזְמֹ֣ר כַּרְמֶ֑ךָ וְאָסַפְתָּ֖ אֶת־תְּבוּאָתָֽהּ׃ 3
छः वर्ष तो अपना-अपना खेत बोया करना, और छहों वर्ष अपनी-अपनी दाख की बारी छाँट छाँटकर देश की उपज इकट्ठी किया करना;
וּבַשָּׁנָ֣ה הַשְּׁבִיעִ֗ת שַׁבַּ֤ת שַׁבָּתֹון֙ יִהְיֶ֣ה לָאָ֔רֶץ שַׁבָּ֖ת לַיהוָ֑ה שָֽׂדְךָ֙ לֹ֣א תִזְרָ֔ע וְכַרְמְךָ֖ לֹ֥א תִזְמֹֽר׃ 4
परन्तु सातवें वर्ष भूमि को यहोवा के लिये परमविश्रामकाल मिला करे; उसमें न तो अपना खेत बोना और न अपनी दाख की बारी छाँटना।
אֵ֣ת סְפִ֤יחַ קְצִֽירְךָ֙ לֹ֣א תִקְצֹ֔ור וְאֶת־עִנְּבֵ֥י נְזִירֶ֖ךָ לֹ֣א תִבְצֹ֑ר שְׁנַ֥ת שַׁבָּתֹ֖ון יִהְיֶ֥ה לָאָֽרֶץ׃ 5
जो कुछ काटे हुए खेत में अपने आप से उगें उसे न काटना, और अपनी बिन छाँटी हुई दाखलता की दाखों को न तोड़ना; क्योंकि वह भूमि के लिये परमविश्राम का वर्ष होगा।
וְ֠הָיְתָה שַׁבַּ֨ת הָאָ֤רֶץ לָכֶם֙ לְאָכְלָ֔ה לְךָ֖ וּלְעַבְדְּךָ֣ וְלַאֲמָתֶ֑ךָ וְלִשְׂכִֽירְךָ֙ וּלְתֹושָׁ֣בְךָ֔ הַגָּרִ֖ים עִמָּֽךְ׃ 6
भूमि के विश्रामकाल ही की उपज से तुम को, और तुम्हारे दास-दासी को, और तुम्हारे साथ रहनेवाले मजदूरों और परदेशियों को भी भोजन मिलेगा;
וְלִ֨בְהֶמְתְּךָ֔ וְלַֽחַיָּ֖ה אֲשֶׁ֣ר בְּאַרְצֶ֑ךָ תִּהְיֶ֥ה כָל־תְּבוּאָתָ֖הּ לֶאֱכֹֽל׃ ס 7
और तुम्हारे पशुओं का और देश में जितने जीवजन्तु हों उनका भी भोजन भूमि की सब उपज से होगा।
וְסָפַרְתָּ֣ לְךָ֗ שֶׁ֚בַע שַׁבְּתֹ֣ת שָׁנִ֔ים שֶׁ֥בַע שָׁנִ֖ים שֶׁ֣בַע פְּעָמִ֑ים וְהָי֣וּ לְךָ֗ יְמֵי֙ שֶׁ֚בַע שַׁבְּתֹ֣ת הַשָּׁנִ֔ים תֵּ֥שַׁע וְאַרְבָּעִ֖ים שָׁנָֽה׃ 8
“सात विश्रामवर्ष, अर्थात् सातगुना सात वर्ष गिन लेना, सातों विश्रामवर्षों का यह समय उनचास वर्ष होगा।
וְהֽ͏ַעֲבַרְתָּ֞ שֹׁופַ֤ר תְּרוּעָה֙ בַּחֹ֣דֶשׁ הַשְּׁבִעִ֔י בֶּעָשֹׂ֖ור לַחֹ֑דֶשׁ בְּיֹום֙ הַכִּפֻּרִ֔ים תַּעֲבִ֥ירוּ שֹׁופָ֖ר בְּכָל־אַרְצְכֶֽם׃ 9
तब सातवें महीने के दसवें दिन को, अर्थात् प्रायश्चित के दिन, जय जयकार के महाशब्द का नरसिंगा अपने सारे देश में सब कहीं फुँकवाना।
וְקִדַּשְׁתֶּ֗ם אֵ֣ת שְׁנַ֤ת הַחֲמִשִּׁים֙ שָׁנָ֔ה וּקְרָאתֶ֥ם דְּרֹ֛ור בָּאָ֖רֶץ לְכָל־יֹשְׁבֶ֑יהָ יֹובֵ֥ל הִוא֙ תִּהְיֶ֣ה לָכֶ֔ם וְשַׁבְתֶּ֗ם אִ֚ישׁ אֶל־אֲחֻזָּתֹ֔ו וְאִ֥ישׁ אֶל־מִשְׁפַּחְתֹּ֖ו תָּשֻֽׁבוּ׃ 10
१०और उस पचासवें वर्ष को पवित्र करके मानना, और देश के सारे निवासियों के लिये छुटकारे का प्रचार करना; वह वर्ष तुम्हारे यहाँ जुबली कहलाए; उसमें तुम अपनी-अपनी निज भूमि और अपने-अपने घराने में लौटने पाओगे।
יֹובֵ֣ל הִ֗וא שְׁנַ֛ת הַחֲמִשִּׁ֥ים שָׁנָ֖ה תִּהְיֶ֣ה לָכֶ֑ם לֹ֣א תִזְרָ֔עוּ וְלֹ֤א תִקְצְרוּ֙ אֶת־סְפִיחֶ֔יהָ וְלֹ֥א תִבְצְר֖וּ אֶת־נְזִרֶֽיהָ׃ 11
११तुम्हारे यहाँ वह पचासवाँ वर्ष जुबली का वर्ष कहलाए; उसमें तुम न बोना, और जो अपने आप उगें उसे भी न काटना, और न बिन छाँटी हुई दाखलता की दाखों को तोड़ना।
כִּ֚י יֹובֵ֣ל הִ֔וא קֹ֖דֶשׁ תִּהְיֶ֣ה לָכֶ֑ם מִן־הַ֨שָּׂדֶ֔ה תֹּאכְל֖וּ אֶת־תְּבוּאָתָֽהּ׃ 12
१२क्योंकि वह तो जुबली का वर्ष होगा; वह तुम्हारे लिये पवित्र होगा; तुम उसकी उपज खेत ही में से ले लेकर खाना।
בִּשְׁנַ֥ת הַיֹּובֵ֖ל הַזֹּ֑את תָּשֻׁ֕בוּ אִ֖ישׁ אֶל־אֲחֻזָּתֹֽו׃ 13
१३“इस जुबली के वर्ष में तुम अपनी-अपनी निज भूमि को लौटने पाओगे।
וְכִֽי־תִמְכְּר֤וּ מִמְכָּר֙ לַעֲמִיתֶ֔ךָ אֹ֥ו קָנֹ֖ה מִיַּ֣ד עֲמִיתֶ֑ךָ אַל־תֹּונ֖וּ אִ֥ישׁ אֶת־אָחִֽיו׃ 14
१४और यदि तुम अपने भाई-बन्धु के हाथ कुछ बेचो या अपने भाई-बन्धु से कुछ मोल लो, तो तुम एक दूसरे पर उपद्रव न करना।
בְּמִסְפַּ֤ר שָׁנִים֙ אַחַ֣ר הַיֹּובֵ֔ל תִּקְנֶ֖ה מֵאֵ֣ת עֲמִיתֶ֑ךָ בְּמִסְפַּ֥ר שְׁנֵֽי־תְבוּאֹ֖ת יִמְכָּר־לָֽךְ׃ 15
१५जुबली के बाद जितने वर्ष बीते हों उनकी गिनती के अनुसार दाम ठहराके एक दूसरे से मोल लेना, और शेष वर्षों की उपज के अनुसार वह तेरे हाथ बेचे।
לְפִ֣י ׀ רֹ֣ב הַשָּׁנִ֗ים תַּרְבֶּה֙ מִקְנָתֹ֔ו וּלְפִי֙ מְעֹ֣ט הַשָּׁנִ֔ים תַּמְעִ֖יט מִקְנָתֹ֑ו כִּ֚י מִסְפַּ֣ר תְּבוּאֹ֔ת ה֥וּא מֹכֵ֖ר לָֽךְ׃ 16
१६जितने वर्ष और रहें उतना ही दाम बढ़ाना, और जितने वर्ष कम रहें उतना ही दाम घटाना, क्योंकि वर्ष की उपज की संख्या जितनी हो उतनी ही वह तेरे हाथ बेचेगा।
וְלֹ֤א תֹונוּ֙ אִ֣ישׁ אֶת־עֲמִיתֹ֔ו וְיָרֵ֖אתָ מֵֽאֱלֹהֶ֑יךָ כִּ֛י אֲנִ֥י יְהֹוָ֖ה אֱלֹהֵיכֶֽם׃ 17
१७तुम अपने-अपने भाई-बन्धु पर उपद्रव न करना; अपने परमेश्वर का भय मानना; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।
וַעֲשִׂיתֶם֙ אֶת־חֻקֹּתַ֔י וְאֶת־מִשְׁפָּטַ֥י תִּשְׁמְר֖וּ וַעֲשִׂיתֶ֣ם אֹתָ֑ם וִֽישַׁבְתֶּ֥ם עַל־הָאָ֖רֶץ לָבֶֽטַח׃ 18
१८“इसलिए तुम मेरी विधियों को मानना, और मेरे नियमों पर समझ बूझकर चलना; क्योंकि ऐसा करने से तुम उस देश में निडर बसे रहोगे।
וְנָתְנָ֤ה הָאָ֙רֶץ֙ פִּרְיָ֔הּ וַאֲכַלְתֶּ֖ם לָשֹׂ֑בַע וִֽישַׁבְתֶּ֥ם לָבֶ֖טַח עָלֶֽיהָ׃ 19
१९भूमि अपनी उपज उपजाया करेगी, और तुम पेट भर खाया करोगे, और उस देश में निडर बसे रहोगे।
וְכִ֣י תֹאמְר֔וּ מַה־נֹּאכַ֖ל בַּשָּׁנָ֣ה הַשְּׁבִיעִ֑ת הֵ֚ן לֹ֣א נִזְרָ֔ע וְלֹ֥א נֶאֱסֹ֖ף אֶת־תְּבוּאָתֵֽנוּ׃ 20
२०और यदि तुम कहो कि सातवें वर्ष में हम क्या खाएँगे, न तो हम बोएँगे न अपने खेत की उपज इकट्ठा करेंगे?”
וְצִוִּ֤יתִי אֶת־בִּרְכָתִי֙ לָכֶ֔ם בַּשָּׁנָ֖ה הַשִּׁשִּׁ֑ית וְעָשָׂת֙ אֶת־הַתְּבוּאָ֔ה לִשְׁלֹ֖שׁ הַשָּׁנִֽים׃ 21
२१तो जानो कि मैं तुम को छठवें वर्ष में ऐसी आशीष दूँगा, कि भूमि की उपज तीन वर्ष तक काम आएगी।
וּזְרַעְתֶּ֗ם אֵ֚ת הַשָּׁנָ֣ה הַשְּׁמִינִ֔ת וַאֲכַלְתֶּ֖ם מִן־הַתְּבוּאָ֣ה יָשָׁ֑ן עַ֣ד ׀ הַשָּׁנָ֣ה הַתְּשִׁיעִ֗ת עַד־בֹּוא֙ תְּב֣וּאָתָ֔הּ תֹּאכְל֖וּ יָשָֽׁן׃ 22
२२तुम आठवें वर्ष में बोओगे, और पुरानी उपज में से खाते रहोगे, और नवें वर्ष की उपज जब तक न मिले तब तक तुम पुरानी उपज में से खाते रहोगे।
וְהָאָ֗רֶץ לֹ֤א תִמָּכֵר֙ לִצְמִתֻ֔ת כִּי־לִ֖י הָאָ֑רֶץ כִּֽי־גֵרִ֧ים וְתֹושָׁבִ֛ים אַתֶּ֖ם עִמָּדִֽי׃ 23
२३“भूमि सदा के लिये बेची न जाए, क्योंकि भूमि मेरी है; और उसमें तुम परदेशी और बाहरी होंगे।
וּבְכֹ֖ל אֶ֣רֶץ אֲחֻזַּתְכֶ֑ם גְּאֻלָּ֖ה תִּתְּנ֥וּ לָאָֽרֶץ׃ ס 24
२४लेकिन तुम अपने भाग के सारे देश में भूमि को छुड़ाने देना।
כִּֽי־יָמ֣וּךְ אָחִ֔יךָ וּמָכַ֖ר מֵאֲחֻזָּתֹ֑ו וּבָ֤א גֹֽאֲלֹו֙ הַקָּרֹ֣ב אֵלָ֔יו וְגָאַ֕ל אֵ֖ת מִמְכַּ֥ר אָחִֽיו׃ 25
२५“यदि तेरा कोई भाई-बन्धु कंगाल होकर अपनी निज भूमि में से कुछ बेच डाले, तो उसके कुटुम्बियों में से जो सबसे निकट हो वह आकर अपने भाई-बन्धु के बेचे हुए भाग को छुड़ा ले।
וְאִ֕ישׁ כִּ֛י לֹ֥א יִֽהְיֶה־לֹּ֖ו גֹּאֵ֑ל וְהִשִּׂ֣יגָה יָדֹ֔ו וּמָצָ֖א כְּדֵ֥י גְאֻלָּתֹֽו׃ 26
२६यदि किसी मनुष्य के लिये कोई छुड़ानेवाला न हो, और उसके पास इतना धन हो कि आप ही अपने भाग को छुड़ा सके,
וְחִשַּׁב֙ אֶת־שְׁנֵ֣י מִמְכָּרֹ֔ו וְהֵשִׁיב֙ אֶת־הָ֣עֹדֵ֔ף לָאִ֖ישׁ אֲשֶׁ֣ר מָֽכַר־לֹ֑ו וְשָׁ֖ב לַאֲחֻזָּתֹֽו׃ 27
२७तो वह उसके बिकने के समय से वर्षों की गिनती करके शेष वर्षों की उपज का दाम उसको, जिसने उसे मोल लिया हो, फेर दे; तब वह अपनी निज भूमि का अधिकारी हो जाए।
וְאִ֨ם לֹֽא־מֽ͏ָצְאָ֜ה יָדֹ֗ו דֵּי֮ הָשִׁ֣יב לֹו֒ וְהָיָ֣ה מִמְכָּרֹ֗ו בְּיַד֙ הַקֹּנֶ֣ה אֹתֹ֔ו עַ֖ד שְׁנַ֣ת הַיֹּובֵ֑ל וְיָצָא֙ בַּיֹּבֵ֔ל וְשָׁ֖ב לַאֲחֻזָּתֹֽו׃ 28
२८परन्तु यदि उसके पास इतनी पूँजी न हो कि उसे फिर अपनी कर सके, तो उसकी बेची हुई भूमि जुबली के वर्ष तक मोल लेनेवालों के हाथ में रहे; और जुबली के वर्ष में छूट जाए तब वह मनुष्य अपनी निज भूमि का फिर अधिकारी हो जाए।
וְאִ֗ישׁ כִּֽי־יִמְכֹּ֤ר בֵּית־מֹושַׁב֙ עִ֣יר חֹומָ֔ה וְהָיְתָה֙ גְּאֻלָּתֹ֔ו עַד־תֹּ֖ם שְׁנַ֣ת מִמְכָּרֹ֑ו יָמִ֖ים תִּהְיֶ֥ה גְאֻלָּתֹֽו׃ 29
२९“फिर यदि कोई मनुष्य शहरपनाह वाले नगर में बसने का घर बेचे, तो वह बेचने के बाद वर्ष भर के अन्दर उसे छुड़ा सकेगा, अर्थात् पूरे वर्ष भर उस मनुष्य को छुड़ाने का अधिकार रहेगा।
וְאִ֣ם לֹֽא־יִגָּאֵ֗ל עַד־מְלֹ֣את לֹו֮ שָׁנָ֣ה תְמִימָה֒ וְ֠קָם הַבַּ֨יִת אֲשֶׁר־בָּעִ֜יר אֲשֶׁר־לֹא (לֹ֣ו) חֹמָ֗ה לַצְּמִיתֻ֛ת לַקֹּנֶ֥ה אֹתֹ֖ו לְדֹרֹתָ֑יו לֹ֥א יֵצֵ֖א בַּיֹּבֵֽל׃ 30
३०परन्तु यदि वह वर्ष भर में न छुड़ाए, तो वह घर जो शहरपनाह वाले नगर में हो मोल लेनेवाले का बना रहे, और पीढ़ी-पीढ़ी में उसी में वंश का बना रहे; और जुबली के वर्ष में भी न छूटे।
וּבָתֵּ֣י הַחֲצֵרִ֗ים אֲשֶׁ֨ר אֵין־לָהֶ֤ם חֹמָה֙ סָבִ֔יב עַל־שְׂדֵ֥ה הָאָ֖רֶץ יֵחָשֵׁ֑ב גְּאֻלָּה֙ תִּהְיֶה־לֹּ֔ו וּבַיֹּבֵ֖ל יֵצֵֽא׃ 31
३१परन्तु बिना शहरपनाह के गाँवों के घर तो देश के खेतों के समान गिने जाएँ; उनका छुड़ाना भी हो सकेगा, और वे जुबली के वर्ष में छूट जाएँ।
וְעָרֵי֙ הַלְוִיִּ֔ם בָּתֵּ֖י עָרֵ֣י אֲחֻזָּתָ֑ם גְּאֻלַּ֥ת עֹולָ֖ם תִּהְיֶ֥ה לַלְוִיִּֽם׃ 32
३२फिर भी लेवियों के निज भाग के नगरों के जो घर हों उनको लेवीय जब चाहें तब छुड़ाएँ।
וַאֲשֶׁ֤ר יִגְאַל֙ מִן־הַלְוִיִּ֔ם וְיָצָ֧א מִמְכַּר־בַּ֛יִת וְעִ֥יר אֲחֻזָּתֹ֖ו בַּיֹּבֵ֑ל כִּ֣י בָתֵּ֞י עָרֵ֣י הַלְוִיִּ֗ם הִ֚וא אֲחֻזָּתָ֔ם בְּתֹ֖וךְ בְּנֵ֥י יִשְׂרָאֵֽל׃ 33
३३और यदि कोई लेवीय अपना भाग न छुड़ाए, तो वह बेचा हुआ घर जो उसके भाग के नगर में हो जुबली के वर्ष में छूट जाए; क्योंकि इस्राएलियों के बीच लेवियों का भाग उनके नगरों में वे घर ही हैं।
וּֽשְׂדֵ֛ה מִגְרַ֥שׁ עָרֵיהֶ֖ם לֹ֣א יִמָּכֵ֑ר כִּֽי־אֲחֻזַּ֥ת עֹולָ֛ם ה֖וּא לָהֶֽם׃ ס 34
३४पर उनके नगरों के चारों ओर की चराई की भूमि बेची न जाए; क्योंकि वह उनका सदा का भाग होगा।
וְכִֽי־יָמ֣וּךְ אָחִ֔יךָ וּמָ֥טָה יָדֹ֖ו עִמָּ֑ךְ וְהֶֽחֱזַ֣קְתָּ בֹּ֔ו גֵּ֧ר וְתֹושָׁ֛ב וָחַ֖י עִמָּֽךְ׃ 35
३५“फिर यदि तेरा कोई भाई-बन्धु कंगाल हो जाए, और उसकी दशा तेरे सामने तरस योग्य हो जाए, तो तू उसको सम्भालना; वह परदेशी या यात्री के समान तेरे संग रहे।
אַל־תִּקַּ֤ח מֵֽאִתֹּו֙ נֶ֣שֶׁךְ וְתַרְבִּ֔ית וְיָרֵ֖אתָ מֽ͏ֵאֱלֹהֶ֑יךָ וְחֵ֥י אָחִ֖יךָ עִמָּֽךְ׃ 36
३६उससे ब्याज या बढ़ती न लेना; अपने परमेश्वर का भय मानना; जिससे तेरा भाई-बन्धु तेरे संग जीवन निर्वाह कर सके।
אֶ֨ת־כַּסְפְּךָ֔ לֹֽא־תִתֵּ֥ן לֹ֖ו בְּנֶ֑שֶׁךְ וּבְמַרְבִּ֖ית לֹא־תִתֵּ֥ן אָכְלֶֽךָ׃ 37
३७उसको ब्याज पर रुपया न देना, और न उसको भोजनवस्तु लाभ के लालच से देना।
אֲנִ֗י יְהוָה֙ אֱלֹ֣הֵיכֶ֔ם אֲשֶׁר־הֹוצֵ֥אתִי אֶתְכֶ֖ם מֵאֶ֣רֶץ מִצְרָ֑יִם לָתֵ֤ת לָכֶם֙ אֶת־אֶ֣רֶץ כְּנַ֔עַן לִהְיֹ֥ות לָכֶ֖ם לֵאלֹהִֽים׃ ס 38
३८मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ; मैं तुम्हें कनान देश देने के लिये और तुम्हारा परमेश्वर ठहरने की मनसा से तुम को मिस्र देश से निकाल लाया हूँ।
וְכִֽי־יָמ֥וּךְ אָחִ֛יךָ עִמָּ֖ךְ וְנִמְכַּר־לָ֑ךְ לֹא־תַעֲבֹ֥ד בֹּ֖ו עֲבֹ֥דַת עָֽבֶד׃ 39
३९“फिर यदि तेरा कोई भाई-बन्धु तेरे सामने कंगाल होकर अपने आपको तेरे हाथ बेच डाले, तो उससे दास के समान सेवा न करवाना।
כְּשָׂכִ֥יר כְּתֹושָׁ֖ב יִהְיֶ֣ה עִמָּ֑ךְ עַד־שְׁנַ֥ת הַיֹּבֵ֖ל יַעֲבֹ֥ד עִמָּֽךְ׃ 40
४०वह तेरे संग मजदूर या यात्री के समान रहे, और जुबली के वर्ष तक तेरे संग रहकर सेवा करता रहे;
וְיָצָא֙ מֵֽעִמָּ֔ךְ ה֖וּא וּבָנָ֣יו עִמֹּ֑ו וְשָׁב֙ אֶל־מִשְׁפַּחְתֹּ֔ו וְאֶל־אֲחֻזַּ֥ת אֲבֹתָ֖יו יָשֽׁוּב׃ 41
४१तब वह बाल-बच्चों समेत तेरे पास से निकल जाए, और अपने कुटुम्ब में और अपने पितरों की निज भूमि में लौट जाए।
כִּֽי־עֲבָדַ֣י הֵ֔ם אֲשֶׁר־הֹוצֵ֥אתִי אֹתָ֖ם מֵאֶ֣רֶץ מִצְרָ֑יִם לֹ֥א יִמָּכְר֖וּ מִמְכֶּ֥רֶת עָֽבֶד׃ 42
४२क्योंकि वे मेरे ही दास हैं, जिनको मैं मिस्र देश से निकाल लाया हूँ; इसलिए वे दास की रीति से न बेचे जाएँ।
לֹא־תִרְדֶּ֥ה בֹ֖ו בְּפָ֑רֶךְ וְיָרֵ֖אתָ מֵאֱלֹהֶֽיךָ׃ 43
४३उस पर कठोरता से अधिकार न करना; अपने परमेश्वर का भय मानते रहना।
וְעַבְדְּךָ֥ וַאֲמָתְךָ֖ אֲשֶׁ֣ר יִהְיוּ־לָ֑ךְ מֵאֵ֣ת הַגֹּויִ֗ם אֲשֶׁר֙ סְבִיבֹ֣תֵיכֶ֔ם מֵהֶ֥ם תִּקְנ֖וּ עֶ֥בֶד וְאָמָֽה׃ 44
४४तेरे जो दास-दासियाँ हों वे तुम्हारे चारों ओर की जातियों में से हों, और दास और दासियाँ उन्हीं में से मोल लेना।
וְ֠גַם מִבְּנֵ֨י הַתֹּושָׁבִ֜ים הַגָּרִ֤ים עִמָּכֶם֙ מֵהֶ֣ם תִּקְנ֔וּ וּמִמִּשְׁפַּחְתָּם֙ אֲשֶׁ֣ר עִמָּכֶ֔ם אֲשֶׁ֥ר הֹולִ֖ידוּ בְּאַרְצְכֶ֑ם וְהָי֥וּ לָכֶ֖ם לֽ͏ַאֲחֻזָּֽה׃ 45
४५जो यात्री लोग तुम्हारे बीच में परदेशी होकर रहेंगे, उनमें से और उनके घरानों में से भी जो तुम्हारे आस-पास हों, और जो तुम्हारे देश में उत्पन्न हुए हों, उनमें से तुम दास और दासी मोल लो; और वे तुम्हारा भाग ठहरें।
וְהִתְנַחֲלְתֶּ֨ם אֹתָ֜ם לִבְנֵיכֶ֤ם אַחֲרֵיכֶם֙ לָרֶ֣שֶׁת אֲחֻזָּ֔ה לְעֹלָ֖ם בָּהֶ֣ם תַּעֲבֹ֑דוּ וּבְאַ֨חֵיכֶ֤ם בְּנֵֽי־יִשְׂרָאֵל֙ אִ֣ישׁ בְּאָחִ֔יו לֹא־תִרְדֶּ֥ה בֹ֖ו בְּפָֽרֶךְ׃ ס 46
४६तुम अपने पुत्रों को भी जो तुम्हारे बाद होंगे उनके अधिकारी कर सकोगे, और वे उनका भाग ठहरें; उनमें से तुम सदा अपने लिये दास लिया करना, परन्तु तुम्हारे भाई-बन्धु जो इस्राएली हों उन पर अपना अधिकार कठोरता से न जताना।
וְכִ֣י תַשִּׂ֗יג יַ֣ד גֵּ֤ר וְתֹושָׁב֙ עִמָּ֔ךְ וּמָ֥ךְ אָחִ֖יךָ עִמֹּ֑ו וְנִמְכַּ֗ר לְגֵ֤ר תֹּושָׁב֙ עִמָּ֔ךְ אֹ֥ו לְעֵ֖קֶר מִשְׁפַּ֥חַת גֵּֽר׃ 47
४७“फिर यदि तेरे सामने कोई परदेशी या यात्री धनी हो जाए, और उसके सामने तेरा भाई कंगाल होकर अपने आपको तेरे सामने उस परदेशी या यात्री या उसके वंश के हाथ बेच डाले,
אַחֲרֵ֣י נִמְכַּ֔ר גְּאֻלָּ֖ה תִּהְיֶה־לֹּ֑ו אֶחָ֥ד מֵאֶחָ֖יו יִגְאָלֶֽנּוּ׃ 48
४८तो उसके बिक जाने के बाद वह फिर छुड़ाया जा सकता है; उसके भाइयों में से कोई उसको छुड़ा सकता है,
אֹו־דֹדֹ֞ו אֹ֤ו בֶן־דֹּדֹו֙ יִגְאָלֶ֔נּוּ אֹֽו־מִשְּׁאֵ֧ר בְּשָׂרֹ֛ו מִמִּשְׁפַּחְתֹּ֖ו יִגְאָלֶ֑נּוּ אֹֽו־הִשִּׂ֥יגָה יָדֹ֖ו וְנִגְאָֽל׃ 49
४९या उसका चाचा, या चचेरा भाई, तथा उसके कुल का कोई भी निकट कुटुम्बी उसको छुड़ा सकता है; या यदि वह धनी हो जाए, तो वह आप ही अपने को छुड़ा सकता है।
וְחִשַּׁב֙ עִם־קֹנֵ֔הוּ מִשְּׁנַת֙ הִמָּ֣כְרֹו לֹ֔ו עַ֖ד שְׁנַ֣ת הַיֹּבֵ֑ל וְהָיָ֞ה כֶּ֤סֶף מִמְכָּרֹו֙ בְּמִסְפַּ֣ר שָׁנִ֔ים כִּימֵ֥י שָׂכִ֖יר יִהְיֶ֥ה עִמֹּֽו׃ 50
५०वह अपने मोल लेनेवाले के साथ अपने बिकने के वर्ष से जुबली के वर्ष तक हिसाब करे, और उसके बिकने का दाम वर्षों की गिनती के अनुसार हो, अर्थात् वह दाम मजदूर के दिवसों के समान उसके साथ होगा।
אִם־עֹ֥וד רַבֹּ֖ות בַּשָּׁנִ֑ים לְפִיהֶן֙ יָשִׁ֣יב גְּאֻלָּתֹ֔ו מִכֶּ֖סֶף מִקְנָתֹֽו׃ 51
५१यदि जुबली के वर्ष के बहुत वर्ष रह जाएँ, तो जितने रुपयों से वह मोल लिया गया हो उनमें से वह अपने छुड़ाने का दाम उतने वर्षों के अनुसार फेर दे।
וְאִם־מְעַ֞ט נִשְׁאַ֧ר בַּשָּׁנִ֛ים עַד־שְׁנַ֥ת הַיֹּבֵ֖ל וְחִשַּׁב־לֹ֑ו כְּפִ֣י שָׁנָ֔יו יָשִׁ֖יב אֶת־גְּאֻלָּתֹֽו׃ 52
५२यदि जुबली के वर्ष के थोड़े वर्ष रह गए हों, तो भी वह अपने स्वामी के साथ हिसाब करके अपने छुड़ाने का दाम उतने ही वर्षों के अनुसार फेर दे।
כִּשְׂכִ֥יר שָׁנָ֛ה בְּשָׁנָ֖ה יִהְיֶ֣ה עִמֹּ֑ו לֹֽא־יִרְדֶּ֥נּֽוּ בְּפֶ֖רֶךְ לְעֵינֶֽיךָ׃ 53
५३वह अपने स्वामी के संग उस मजदूर के समान रहे जिसकी वार्षिक मजदूरी ठहराई जाती हो; और उसका स्वामी उस पर तेरे सामने कठोरता से अधिकार न जताने पाए।
וְאִם־לֹ֥א יִגָּאֵ֖ל בְּאֵ֑לֶּה וְיָצָא֙ בִּשְׁנַ֣ת הַיֹּבֵ֔ל ה֖וּא וּבָנָ֥יו עִמֹּֽו׃ 54
५४और यदि वह इन रीतियों से छुड़ाया न जाए, तो वह जुबली के वर्ष में अपने बाल-बच्चों समेत छूट जाए।
כִּֽי־לִ֤י בְנֵֽי־יִשְׂרָאֵל֙ עֲבָדִ֔ים עֲבָדַ֣י הֵ֔ם אֲשֶׁר־הֹוצֵ֥אתִי אֹותָ֖ם מֵאֶ֣רֶץ מִצְרָ֑יִם אֲנִ֖י יְהוָ֥ה אֱלֹהֵיכֶֽם׃ 55
५५क्योंकि इस्राएली मेरे ही दास हैं; वे मिस्र देश से मेरे ही निकाले हुए दास हैं; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।

< וַיִּקְרָא 25 >