< וַיִּקְרָא 24 >

וַיְדַבֵּ֥ר יְהוָ֖ה אֶל־מֹשֶׁ֥ה לֵּאמֹֽר׃ 1
फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
צַ֞ו אֶת־בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֗ל וְיִקְח֨וּ אֵלֶ֜יךָ שֶׁ֣מֶן זַ֥יִת זָ֛ךְ כָּתִ֖ית לַמָּאֹ֑ור לְהַעֲלֹ֥ת נֵ֖ר תָּמִֽיד׃ 2
“इस्राएलियों को यह आज्ञा दे कि मेरे पास उजियाला देने के लिये कूट के निकाला हुआ जैतून का निर्मल तेल ले आना, कि दीपक नित्य जलता रहे।
מִחוּץ֩ לְפָרֹ֨כֶת הָעֵדֻ֜ת בְּאֹ֣הֶל מֹועֵ֗ד יַעֲרֹךְ֩ אֹתֹ֨ו אַהֲרֹ֜ן מֵעֶ֧רֶב עַד־בֹּ֛קֶר לִפְנֵ֥י יְהוָ֖ה תָּמִ֑יד חֻקַּ֥ת עֹולָ֖ם לְדֹרֹֽתֵיכֶֽם׃ 3
हारून उसको, मिलापवाले तम्बू में, साक्षीपत्र के बीचवाले पर्दे से बाहर, यहोवा के सामने नित्य साँझ से भोर तक सजा कर रखे; यह तुम्हारी पीढ़ी-पीढ़ी के लिये सदा की विधि ठहरे।
עַ֚ל הַמְּנֹרָ֣ה הַטְּהֹרָ֔ה יַעֲרֹ֖ךְ אֶת־הַנֵּרֹ֑ות לִפְנֵ֥י יְהוָ֖ה תָּמִֽיד׃ פ 4
वह दीपकों को सोने की दीवट पर यहोवा के सामने नित्य सजाया करे।
וְלָקַחְתָּ֣ סֹ֔לֶת וְאָפִיתָ֣ אֹתָ֔הּ שְׁתֵּ֥ים עֶשְׂרֵ֖ה חַלֹּ֑ות שְׁנֵי֙ עֶשְׂרֹנִ֔ים יִהְיֶ֖ה הַֽחַלָּ֥ה הָאֶחָֽת׃ 5
“तू मैदा लेकर बारह रोटियाँ पकवाना, प्रत्येक रोटी में एपा का दो दसवाँ अंश मैदा हो।
וְשַׂמְתָּ֥ אֹותָ֛ם שְׁתַּ֥יִם מַֽעֲרָכֹ֖ות שֵׁ֣שׁ הַֽמַּעֲרָ֑כֶת עַ֛ל הַשֻּׁלְחָ֥ן הַטָּהֹ֖ר לִפְנֵ֥י יְהוָֽה׃ 6
तब उनकी दो पंक्तियाँ करके, एक-एक पंक्ति में छः छः रोटियाँ, स्वच्छ मेज पर यहोवा के सामने रखना।
וְנָתַתָּ֥ עַל־הַֽמַּעֲרֶ֖כֶת לְבֹנָ֣ה זַכָּ֑ה וְהָיְתָ֤ה לַלֶּ֙חֶם֙ לְאַזְכָּרָ֔ה אִשֶּׁ֖ה לַֽיהוָֽה׃ 7
और एक-एक पंक्ति पर शुद्ध लोबान रखना कि वह रोटी स्मरण दिलानेवाली वस्तु और यहोवा के लिये हव्य हो।
בְּיֹ֨ום הַשַּׁבָּ֜ת בְּיֹ֣ום הַשַּׁבָּ֗ת יַֽעַרְכֶ֛נּוּ לִפְנֵ֥י יְהוָ֖ה תָּמִ֑יד מֵאֵ֥ת בְּנֵֽי־יִשְׂרָאֵ֖ל בְּרִ֥ית עֹולָֽם׃ 8
प्रति विश्रामदिन को वह उसे नित्य यहोवा के सम्मुख क्रम से रखा करे, यह सदा की वाचा की रीति इस्राएलियों की ओर से हुआ करे।
וְהָֽיְתָה֙ לְאַהֲרֹ֣ן וּלְבָנָ֔יו וַאֲכָלֻ֖הוּ בְּמָקֹ֣ום קָדֹ֑שׁ כִּ֡י קֹדֶשׁ֩ קֽ͏ָדָשִׁ֨ים ה֥וּא לֹ֛ו מֵאִשֵּׁ֥י יְהוָ֖ה חָק־עֹולָֽם׃ ס 9
और वह हारून और उसके पुत्रों की होंगी, और वे उसको किसी पवित्रस्थान में खाएँ, क्योंकि वह यहोवा के हव्यों में से सदा की विधि के अनुसार हारून के लिये परमपवित्र वस्तु ठहरी है।”
וַיֵּצֵא֙ בֶּן־אִשָּׁ֣ה יִשְׂרְאֵלִ֔ית וְהוּא֙ בֶּן־אִ֣ישׁ מִצְרִ֔י בְּתֹ֖וךְ בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֑ל וַיִּנָּצוּ֙ בַּֽמַּחֲנֶ֔ה בֶּ֚ן הַיִּשְׂרְאֵלִ֔ית וְאִ֖ישׁ הַיִּשְׂרְאֵלִֽי׃ 10
१०उन दिनों में किसी इस्राएली स्त्री का बेटा, जिसका पिता मिस्री पुरुष था, इस्राएलियों के बीच चला गया; और वह इस्राएली स्त्री का बेटा और एक इस्राएली पुरुष छावनी के बीच आपस में मारपीट करने लगे,
וַ֠יִּקֹּב בֶּן־הָֽאִשָּׁ֨ה הַיִּשְׂרְאֵלִ֤ית אֶת־הַשֵּׁם֙ וַיְקַלֵּ֔ל וַיָּבִ֥יאוּ אֹתֹ֖ו אֶל־מֹשֶׁ֑ה וְשֵׁ֥ם אִמֹּ֛ו שְׁלֹמִ֥ית בַּת־דִּבְרִ֖י לְמַטֵּה־דָֽן׃ 11
११और वह इस्राएली स्त्री का बेटा यहोवा के नाम की निन्दा करके श्राप देने लगा। यह सुनकर लोग उसको मूसा के पास ले गए। उसकी माता का नाम शलोमीत था, जो दान के गोत्र के दिब्री की बेटी थी।
וַיַּנִּיחֻ֖הוּ בַּמִּשְׁמָ֑ר לִפְרֹ֥שׁ לָהֶ֖ם עַל־פִּ֥י יְהוָֽה׃ פ 12
१२उन्होंने उसको हवालात में बन्द किया, जिससे यहोवा की आज्ञा से इस बात पर विचार किया जाए।
וַיְדַבֵּ֥ר יְהוָ֖ה אֶל־מֹשֶׁ֥ה לֵּאמֹֽר׃ 13
१३तब यहोवा ने मूसा से कहा,
הֹוצֵ֣א אֶת־הַֽמְקַלֵּ֗ל אֶל־מִחוּץ֙ לַֽמַּחֲנֶ֔ה וְסָמְכ֧וּ כָֽל־הַשֹּׁמְעִ֛ים אֶת־יְדֵיהֶ֖ם עַל־רֹאשֹׁ֑ו וְרָגְמ֥וּ אֹתֹ֖ו כָּל־הָעֵדָֽה׃ 14
१४“तुम लोग उस श्राप देनेवाले को छावनी से बाहर ले जाओ; और जितनों ने वह निन्दा सुनी हो वे सब अपने-अपने हाथ उसके सिर पर रखें, तब सारी मण्डली के लोग उस पर पथराव करें।
וְאֶל־בְּנֵ֥י יִשְׂרָאֵ֖ל תְּדַבֵּ֣ר לֵאמֹ֑ר אִ֥ישׁ אִ֛ישׁ כִּֽי־יְקַלֵּ֥ל אֱלֹהָ֖יו וְנָשָׂ֥א חֶטְאֹֽו׃ 15
१५और तू इस्राएलियों से कह कि कोई क्यों न हो, जो अपने परमेश्वर को श्राप दे उसे अपने पाप का भार उठाना पड़ेगा।
וְנֹקֵ֤ב שֵׁם־יְהוָה֙ מֹ֣ות יוּמָ֔ת רָגֹ֥ום יִרְגְּמוּ־בֹ֖ו כָּל־הָעֵדָ֑ה כַּגֵּר֙ כָּֽאֶזְרָ֔ח בְּנָקְבֹו־שֵׁ֖ם יוּמָֽת׃ 16
१६यहोवा के नाम की निन्दा करनेवाला निश्चय मार डाला जाए; सारी मण्डली के लोग निश्चय उस पर पथराव करें; चाहे देशी हो चाहे परदेशी, यदि कोई यहोवा के नाम की निन्दा करें तो वह मार डाला जाए।
וְאִ֕ישׁ כִּ֥י יַכֶּ֖ה כָּל־נֶ֣פֶשׁ אָדָ֑ם מֹ֖ות יוּמָֽת׃ 17
१७“फिर जो कोई किसी मनुष्य को जान से मारे वह निश्चय मार डाला जाए।
וּמַכֵּ֥ה נֶֽפֶשׁ־בְּהֵמָ֖ה יְשַׁלְּמֶ֑נָּה נֶ֖פֶשׁ תַּ֥חַת נָֽפֶשׁ׃ 18
१८और जो कोई किसी घरेलू पशु को जान से मारे वह उसका बदला दे, अर्थात् प्राणी के बदले प्राणी दे।
וְאִ֕ישׁ כִּֽי־יִתֵּ֥ן מ֖וּם בַּעֲמִיתֹ֑ו כַּאֲשֶׁ֣ר עָשָׂ֔ה כֵּ֖ן יֵעָ֥שֶׂה לֹּֽו׃ 19
१९“फिर यदि कोई किसी दूसरे को चोट पहुँचाए, तो जैसा उसने किया हो वैसा ही उसके साथ भी किया जाए,
שֶׁ֚בֶר תַּ֣חַת שֶׁ֔בֶר עַ֚יִן תַּ֣חַת עַ֔יִן שֵׁ֖ן תַּ֣חַת שֵׁ֑ן כַּאֲשֶׁ֨ר יִתֵּ֥ן מוּם֙ בָּֽאָדָ֔ם כֵּ֖ן יִנָּ֥תֶן בֹּֽו׃ 20
२०अर्थात् अंग-भंग करने के बदले अंग-भंग किया जाए, आँख के बदले आँख, दाँत के बदले दाँत, जैसी चोट जिसने किसी को पहुँचाई हो वैसी ही उसको भी पहुँचाई जाए।
וּמַכֵּ֥ה בְהֵמָ֖ה יְשַׁלְּמֶ֑נָּה וּמַכֵּ֥ה אָדָ֖ם יוּמָֽת׃ 21
२१पशु का मार डालनेवाला उसका बदला दे, परन्तु मनुष्य का मार डालनेवाला मार डाला जाए।
מִשְׁפַּ֤ט אֶחָד֙ יִהְיֶ֣ה לָכֶ֔ם כַּגֵּ֥ר כָּאֶזְרָ֖ח יִהְיֶ֑ה כִּ֛י אֲנִ֥י יְהוָ֖ה אֱלֹהֵיכֶֽם׃ 22
२२तुम्हारा नियम एक ही हो, जैसा देशी के लिये वैसा ही परदेशी के लिये भी हो; मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।”
וַיְדַבֵּ֣ר מֹשֶׁה֮ אֶל־בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵל֒ וַיֹּוצִ֣יאוּ אֶת־הַֽמְקַלֵּ֗ל אֶל־מִחוּץ֙ לַֽמַּחֲנֶ֔ה וַיִּרְגְּמ֥וּ אֹתֹ֖ו אָ֑בֶן וּבְנֵֽי־יִשְׂרָאֵ֣ל עָשׂ֔וּ כּֽ͏ַאֲשֶׁ֛ר צִוָּ֥ה יְהוָ֖ה אֶת־מֹשֶֽׁה׃ פ 23
२३अतः मूसा ने इस्राएलियों को यह समझाया; तब उन्होंने उस श्राप देनेवाले को छावनी से बाहर ले जाकर उस पर पथराव किया। और इस्राएलियों ने वैसा ही किया जैसा यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी।

< וַיִּקְרָא 24 >