< יְהוֹשֻעַ 15 >

וַיְהִ֣י הַגֹּורָ֗ל לְמַטֵּ֛ה בְּנֵ֥י יְהוּדָ֖ה לְמִשְׁפְּחֹתָ֑ם אֶל־גְּב֨וּל אֱדֹ֧ום מִדְבַּר־צִ֛ן נֶ֖גְבָּה מִקְצֵ֥ה תֵימָֽן׃ 1
और बनी यहूदाह के क़बीले का हिस्सा उनके घरानों के मुताबिक़ पर्ची डालकर अदोम की सरहद तक, और दख्खिन में दश्त — ए — सीन तक जो जुनुब के इन्तिहाई हिस्से में आबाद है ठहरा।
וַיְהִ֤י לָהֶם֙ גְּב֣וּל נֶ֔גֶב מִקְצֵ֖ה יָ֣ם הַמֶּ֑לַח מִן־הַלָּשֹׁ֖ן הַפֹּנֶ֥ה נֶֽגְבָּה׃ 2
और उनकी दख्खिनी हद दरिया — ए — शोर के इन्तिहाई हिस्से की उस खाड़ी से जिसका रुख दख्खिन की तरफ़ है शुरू'' हुई;
וְ֠יָצָא אֶל־מִנֶּ֜גֶב לְמַעֲלֵ֤ה עַקְרַבִּים֙ וְעָ֣בַר צִ֔נָה וְעָלָ֥ה מִנֶּ֖גֶב לְקָדֵ֣שׁ בַּרְנֵ֑עַ וְעָבַ֤ר חֶצְרֹון֙ וְעָלָ֣ה אַדָּ֔רָה וְנָסַ֖ב הַקַּרְקָֽעָה׃ 3
और वह 'अक़रब्बीम की चढ़ाई की दख्खिनी सिम्त से निकल सीन होती हुई क़ादिस बरनी' के दख्खिन को गयी, फिर हसरून के पास से अदार को जाकर क़रक़ा' को मुड़ी,
וְעָבַ֣ר עַצְמֹ֗ונָה וְיָצָא֙ נַ֣חַל מִצְרַ֔יִם וְהָיָה (וְהָי֛וּ) תֹּצְאֹ֥ות הַגְּב֖וּל יָ֑מָּה זֶה־יִהְיֶ֥ה לָכֶ֖ם גְּב֥וּל נֶֽגֶב׃ 4
और वहाँ से 'अज़मून होती हुई मिस्र के नाले को जा निकली, और उस हद का ख़ातिमा समन्दर पर हुआ; यही तुम्हारी दख्खिनी सरहद होगी।
וּגְב֥וּל קֵ֙דְמָה֙ יָ֣ם הַמֶּ֔לַח עַד־קְצֵ֖ה הַיַּרְדֵּ֑ן וּגְב֞וּל לִפְאַ֤ת צָפֹ֙ונָה֙ מִלְּשֹׁ֣ון הַיָּ֔ם מִקְצֵ֖ה הַיַּרְדֵּֽן׃ 5
और पूरबी सरहद यरदन के दहाने तक दरिया — ए — शोर ही ठहरा, और उसकी उत्तरी हद उस दरिया की उस खाड़ी से जो यरदन के दहाने पर है शुरू'' हुई,
וְעָלָ֤ה הַגְּבוּל֙ בֵּ֣ית חָגְלָ֔ה וְעָבַ֕ר מִצְּפֹ֖ון לְבֵ֣ית הָעֲרָבָ֑ה וְעָלָ֣ה הַגְּב֔וּל אֶ֥בֶן בֹּ֖הַן בֶּן־רְאוּבֵֽן׃ 6
और यह हद बैत हजला को जाकर और बैत उल 'अराबा के उत्तर से गुज़र कर रूबिन के बेटे बोहन के पत्थर को पहुँची;
וְעָלָ֨ה הַגְּב֥וּל ׀ דְּבִרָה֮ מֵעֵ֣מֶק עָכֹור֒ וְצָפֹ֜ונָה פֹּנֶ֣ה אֶל־הַגִּלְגָּ֗ל אֲשֶׁר־נֹ֙כַח֙ לְמַעֲלֵ֣ה אֲדֻמִּ֔ים אֲשֶׁ֥ר מִנֶּ֖גֶב לַנָּ֑חַל וְעָבַ֤ר הַגְּבוּל֙ אֶל־מֵי־עֵ֣ין שֶׁ֔מֶשׁ וְהָי֥וּ תֹצְאֹתָ֖יו אֶל־עֵ֥ין רֹגֵֽל׃ 7
फिर वहाँ से वह हद 'अकूर की वादी होती हुई दबीर को गई और वहाँ से उत्तर की सिम्त चल कर जिलजाल के सामने जो अदुम्मीम की चढ़ाई के मुक़ाबिल है जा निकली, यह चढ़ाई नदी के दख्खिन में है; फिर वह हद 'ऐन शम्स के चश्मों के पास होकर 'ऐन राजिल पहुँची।
וְעָלָ֨ה הַגְּב֜וּל גֵּ֣י בֶן־הִנֹּ֗ם אֶל־כֶּ֤תֶף הַיְבוּסִי֙ מִנֶּ֔גֶב הִ֖יא יְרֽוּשָׁלָ֑͏ִם וְעָלָ֨ה הַגְּב֜וּל אֶל־רֹ֣אשׁ הָהָ֗ר אֲ֠שֶׁר עַל־פְּנֵ֤י גֵֽי־הִנֹּם֙ יָ֔מָּה אֲשֶׁ֛ר בִּקְצֵ֥ה עֵֽמֶק־רְפָאִ֖ים צָפֹֽנָה׃ 8
फिर वही हद हिन्नूम के बेटे की वादी में से होकर यबूसियों की बस्ती के दख्खिन को गयी, येरूशलेम वही है; और वहाँ से उस पहाड़ की चोटी को जा निकली, जो वादी — ए — हिन्नूम के मुक़ाबिल पश्चिम की तरफ़ और रिफ़ाईम की वादी के उत्तरी इन्तिहाई हिस्से में आबाद' है;
וְתָאַ֨ר הַגְּב֜וּל מֵרֹ֣אשׁ הָהָ֗ר אֶל־מַעְיַן֙ מֵ֣י נֶפְתֹּ֔וחַ וְיָצָ֖א אֶל־עָרֵ֣י הַר־עֶפְרֹ֑ון וְתָאַ֤ר הַגְּבוּל֙ בַּעֲלָ֔ה הִ֖יא קִרְיַ֥ת יְעָרִֽים׃ 9
फिर वही हद पहाड़ की चोटी से आब — ए — नफ़्तूह के चश्में को गयी, और वहाँ से कोह — ए — 'अफ़रोन के शहरों के पास जा निकली, और उधर से बा'ला तक जो क़रयत या'रीम है पहुँची;
וְנָסַב֩ הַגְּב֨וּל מִבַּעֲלָ֥ה יָ֙מָּה֙ אֶל־הַ֣ר שֵׂעִ֔יר וְעָבַ֕ר אֶל־כֶּ֧תֶף הַר־יְעָרִ֛ים מִצָּפֹ֖ונָה הִ֣יא כְסָלֹ֑ון וְיָרַ֥ד בֵּֽית־שֶׁ֖מֶשׁ וְעָבַ֥ר תִּמְנָֽה׃ 10
और बा'ला से होकर पश्चिम की सिम्त कोह — ए — श'ईर को फिरी, और कोह — ए — या'रीम के जो कसलून भी कहलाता है, उत्तरी दामन के पास से गुज़र कर बैत शम्स की तरफ़ उतरती हुई तिमना को गयी;
וְיָצָ֨א הַגְּב֜וּל אֶל־כֶּ֣תֶף עֶקְרֹון֮ צָפֹונָה֒ וְתָאַ֤ר הַגְּבוּל֙ שִׁכְּרֹ֔ונָה וְעָבַ֥ר הַר־הַֽבַּעֲלָ֖ה וְיָצָ֣א יַבְנְאֵ֑ל וְהָי֛וּ תֹּצְאֹ֥ות הַגְּב֖וּל יָֽמָּה׃ 11
और वहाँ से वह हद 'अक़रून के उत्तर को जा निकली; फिर वह सिक्रून से हो कर कोह — ए — बा'ला के पास से गुज़रती हुई यबनीएल पर जा निकली; और इस हद का ख़ातिमा समन्दर पर हुआ
וּגְב֣וּל יָ֔ם הַיָּ֥מָּה הַגָּדֹ֖ול וּגְב֑וּל זֶ֠ה גְּב֧וּל בְּנֵֽי־יְהוּדָ֛ה סָבִ֖יב לְמִשְׁפְּחֹתָֽם׃ 12
और पश्चिमी सरहद बड़ा समन्दर और उसका साहिल था। बनी यहूदाह की चारों तरफ़ की हद उनके घरानों के मुताबिक़ यही है।
וּלְכָלֵ֣ב בֶּן־יְפֻנֶּ֗ה נָ֤תַן חֵ֙לֶק֙ בְּתֹ֣וךְ בְּנֵֽי־יְהוּדָ֔ה אֶל־פִּ֥י יְהוָ֖ה לִֽיהֹושֻׁ֑עַ אֶת־קִרְיַ֥ת אַרְבַּ֛ע אֲבִ֥י הָעֲנָ֖ק הִ֥יא חֶבְרֹֽון׃ 13
और यशू'अ ने उस हुक्म के मुताबिक़ जो ख़ुदावन्द ने उसे दिया था, युफ़न्ना के बेटे कालिब को बनी यहूदाह के बीच 'अनाक़ के बाप अरबा' का शहर क़रयत अरबा'जो हबरून है हिस्सा दिया।
וַיֹּ֤רֶשׁ מִשָּׁם֙ כָּלֵ֔ב אֶת־שְׁלֹושָׁ֖ה בְּנֵ֣י הָעֲנָ֑ק אֶת־שֵׁשַׁ֤י וְאֶת־אֲחִימַן֙ וְאֶת־תַּלְמַ֔י יְלִידֵ֖י הָעֲנָֽק׃ 14
इसलिए कालिब ने वहाँ से 'अनाक़ के तीनों बेटों, या'नी सीसी और अख़ीमान और तलमी को जो बनी 'अनाक़ हैं निकाल दिया।
וַיַּ֣עַל מִשָּׁ֔ם אֶל־יֹשְׁבֵ֖י דְּבִ֑ר וְשֵׁם־דְּבִ֥ר לְפָנִ֖ים קִרְיַת־סֵֽפֶר׃ 15
और वह वहाँ से दबीर के बाशिंदों पर चढ़ गया। दबीर का क़दीमी नाम क़रयत सिफ़र था।
וַיֹּ֣אמֶר כָּלֵ֔ב אֲשֶׁר־יַכֶּ֥ה אֶת־קִרְיַת־סֵ֖פֶר וּלְכָדָ֑הּ וְנָתַ֥תִּי לֹ֛ו אֶת־עַכְסָ֥ה בִתִּ֖י לְאִשָּֽׁה׃ 16
और कालिब ने कहा, “जो कोई क़रयत सिफ़र को मार कर उसको सर करले, उसे मैं अपनी बेटी 'अकसा ब्याह दूँगा”।
וַֽיִּלְכְּדָ֛הּ עָתְנִיאֵ֥ל בֶּן־קְנַ֖ז אֲחִ֣י כָלֵ֑ב וַיִּתֶּן־לֹ֛ו אֶת־עַכְסָ֥ה בִתֹּ֖ו לְאִשָּֽׁה׃ 17
तब कालिब के भाई क़नज़ के बेटे ग़तनीएल ने उसको सर कर लिया, इसलिए उसने अपनी बेटी 'अकसा उसे ब्याह दी।
וַיְהִ֣י בְּבֹואָ֗הּ וַתְּסִיתֵ֙הוּ֙ לִשְׁאֹ֤ול מֵֽאֵת־אָבִ֙יהָ֙ שָׂדֶ֔ה וַתִּצְנַ֖ח מֵעַ֣ל הַחֲמֹ֑ור וַיֹּֽאמֶר־לָ֥הּ כָּלֵ֖ב מַה־לָּֽךְ׃ 18
जब वह उसके पास आई, तो उसने उस आदमी को उभारा कि वह उसके बाप से एक खेत माँगे; इसलिए वह अपने गधे पर से उतर पड़ी, तब कालिब ने उससे कहा, “तू क्या चाहती है?”
וַתֹּ֜אמֶר תְּנָה־לִּ֣י בְרָכָ֗ה כִּ֣י אֶ֤רֶץ הַנֶּ֙גֶב֙ נְתַתָּ֔נִי וְנָתַתָּ֥ה לִ֖י גֻּלֹּ֣ת מָ֑יִם וַיִּתֶּן־לָ֗הּ אֵ֚ת גֻּלֹּ֣ת עִלִּיֹּ֔ות וְאֵ֖ת גֻּלֹּ֥ת תַּחְתִּיֹּֽות׃ פ 19
उस ने कहा, “मुझे बरकत दे; क्यूँकि तूने दख्खिन के मुल्क में कुछ ज़मीन मुझे 'इनायत की है, इसलिए मुझे पानी के चश्में भी दे।” तब उसने उसे ऊपर के चश्में और नीचे के चश्में 'इनायत किये।
זֹ֗את נַחֲלַ֛ת מַטֵּ֥ה בְנֵי־יְהוּדָ֖ה לְמִשְׁפְּחֹתָֽם׃ 20
बनी यहूदाह के क़बीले की मीरास उनके घरानों के मुताबिक़ यह है।
וַיִּֽהְי֣וּ הֶעָרִ֗ים מִקְצֵה֙ לְמַטֵּ֣ה בְנֵֽי־יְהוּדָ֔ה אֶל־גְּב֥וּל אֱדֹ֖ום בַּנֶּ֑גְבָּה קַבְצְאֵ֥ל וְעֵ֖דֶר וְיָגֽוּר׃ 21
और अदोम की सरहद की तरफ़ दख्खिन में बनी यहूदाह के इन्तिहाई शहर यह हैं: क़बज़ीएल और 'एदर और यजूर,
וְקִינָ֥ה וְדִֽימֹונָ֖ה וְעַדְעָדָֽה׃ 22
और कै़ना और दैमूना और 'अद 'अदा,
וְקֶ֥דֶשׁ וְחָצֹ֖ור וְיִתְנָֽן׃ 23
और क़ादिस और हसूर और इतनान,
זִ֥יף וָטֶ֖לֶם וּבְעָלֹֽות׃ 24
ज़ीफ़ और तलम और बा'लूत,
וְחָצֹ֤ור ׀ חֲדַתָּה֙ וּקְרִיֹּ֔ות חֶצְרֹ֖ון הִ֥יא חָצֹֽור׃ 25
और हसूर और हदता और क़रयत और हसरून जो हसूर हैं,
אֲמָ֥ם וּשְׁמַ֖ע וּמֹולָדָֽה׃ 26
और अमाम और समा' और मोलादा,
וַחֲצַ֥ר גַּדָּ֛ה וְחֶשְׁמֹ֖ון וּבֵ֥ית פָּֽלֶט׃ 27
और हसार जद्दा और हिशमोन और बैत फ़लत,
וַחֲצַ֥ר שׁוּעָ֛ל וּבְאֵ֥ר שֶׁ֖בַע וּבִזְיֹותְיָֽה׃ 28
और हसर सु'आल और बैरसबा'और बिज़योत्याह,
בַּעֲלָ֥ה וְעִיִּ֖ים וָעָֽצֶם׃ 29
बा'ला और 'इय्यीम और 'अज़म,
וְאֶלְתֹּולַ֥ד וּכְסִ֖יל וְחָרְמָֽה׃ 30
और इलतोलद और कसील और हुरमा,
וְצִֽקְלַ֥ג וּמַדְמַנָּ֖ה וְסַנְסַנָּֽה׃ 31
और सिक़लाज और मदमन्ना और सनसन्ना,
וּלְבָאֹ֥ות וְשִׁלְחִ֖ים וְעַ֣יִן וְרִמֹּ֑ון כָּל־עָרִ֛ים עֶשְׂרִ֥ים וָתֵ֖שַׁע וְחַצְרֵיהֶֽן׃ ס 32
और लबाऊत और सिलहीम और 'ऐन और रिम्मोन; यह सब उन्तीस शहर हैं, और इनके गाँव भी हैं।
בַּשְּׁפֵלָ֑ה אֶשְׁתָּאֹ֥ול וְצָרְעָ֖ה וְאַשְׁנָֽה׃ 33
और नशेब की ज़मीन में इस्ताल और सुर'आह और असनाह,
וְזָנֹ֙וחַ֙ וְעֵ֣ין גַּנִּ֔ים תַּפּ֖וּחַ וְהָעֵינָֽם׃ 34
और ज़नोआह और 'ऐन जन्नीम, तफ़ूह और 'एनाम,
יַרְמוּת֙ וַעֲדֻלָּ֔ם שֹׂוכֹ֖ה וַעֲזֵקָֽה׃ 35
यरमूत और 'अदूल्लाम, शोको और 'अज़ीक़ा,
וְשַׁעֲרַ֙יִם֙ וַעֲדִיתַ֔יִם וְהַגְּדֵרָ֖ה וּגְדֵרֹתָ֑יִם עָרִ֥ים אַרְבַּֽע־עֶשְׂרֵ֖ה וְחַצְרֵיהֶֽן׃ 36
और शा'रीम और अदीतीम और जदीरा और जदीरतीम; और यह चौदह शहर हैं और इनके गाँव भी हैं।
צְנָ֥ן וַחֲדָשָׁ֖ה וּמִגְדַּל־גָּֽד׃ 37
ज़िनान और हदाशा और मिजदल जद,
וְדִלְעָ֥ן וְהַמִּצְפֶּ֖ה וְיָקְתְאֵֽל׃ 38
और दिल'आन और मिस्फ़ाह और यक़्तीएल,
לָכִ֥ישׁ וּבָצְקַ֖ת וְעֶגְלֹֽון׃ 39
लकीस और बुसक़त और 'इजलून,
וְכַבֹּ֥ון וְלַחְמָ֖ס וְכִתְלִֽישׁ׃ 40
और कब्बून और लहमान और कितलीस,
וּגְדֵרֹ֕ות בֵּית־דָּגֹ֥ון וְנַעֲמָ֖ה וּמַקֵּדָ֑ה עָרִ֥ים שֵׁשׁ־עֶשְׂרֵ֖ה וְחַצְרֵיהֶֽן׃ ס 41
और जदीरोत और बैत दजून और ना'मा और मुक़्क़ैदा; यह सोलह शहर हैं, और इनके गाँव भी हैं।
לִבְנָ֥ה וָעֶ֖תֶר וְעָשָֽׁן׃ 42
लिबना और 'अत्र और 'असन,
וְיִפְתָּ֥ח וְאַשְׁנָ֖ה וּנְצִֽיב׃ 43
और यफ़्ताह और असना और नसीब;
וּקְעִילָ֥ה וְאַכְזִ֖יב וּמָֽרֵאשָׁ֑ה עָרִ֥ים תֵּ֖שַׁע וְחַצְרֵיהֶֽן׃ 44
और क़'ईला और अकज़ीब और मरेसा; यह नौ शहर हैं और इनके गाँव भी हैं।
עֶקְרֹ֥ון וּבְנֹתֶ֖יהָ וַחֲצֵרֶֽיהָ׃ 45
अक़रून और उसके क़स्बे और गाँव।
מֵעֶקְרֹ֖ון וָיָ֑מָּה כֹּ֛ל אֲשֶׁר־עַל־יַ֥ד אַשְׁדֹּ֖וד וְחַצְרֵיהֶֽן׃ 46
अक़रून से समन्दर तक अशदूद के पास के सब शहर और उनके गाँव।
אַשְׁדֹּ֞וד בְּנֹותֶ֣יהָ וַחֲצֵרֶ֗יהָ עַזָּ֥ה בְּנֹותֶ֥יהָ וַחֲצֵרֶ֖יהָ עַד־נַ֣חַל מִצְרָ֑יִם וְהַיָּ֥ם הַגָּבֹול (הַגָּדֹ֖ול) וּגְבֽוּל׃ ס 47
अशदूद अपने शहरों और गांवों के साथ, और गज़्ज़ा अपने शहरों और गाँव के साथ; मिस्र की नदी और बड़े समन्दर और साहिल तक।
וּבָהָ֑ר שָׁמִ֥יר וְיַתִּ֖יר וְשֹׂוכֹֽה׃ 48
और पहाड़ी मुल्क में समीर और यतीर और शोको,
וְדַנָּ֥ה וְקִרְיַת־סַנָּ֖ה הִ֥יא דְבִֽר׃ 49
और दन्ना और क़रयत सन्ना जो दबीर है,
וַעֲנָ֥ב וְאֶשְׁתְּמֹ֖ה וְעָנִֽים׃ 50
और 'अनाब और इस्मतोह और 'इनीम,
וְגֹ֥שֶׁן וְחֹלֹ֖ן וְגִלֹ֑ה עָרִ֥ים אַֽחַת־עֶשְׂרֵ֖ה וְחַצְרֵיהֶֽן׃ 51
और जशन और हौलून और जिलोह; यह ग्यारह शहर हैं और इनके गाँव भी हैं।
אֲרַ֥ב וְרוּמָ֖ה וְאֶשְׁעָֽן׃ 52
अराब और दोमाह और इश'आन,
וְיָנִים (וְיָנ֥וּם) וּבֵית־תַּפּ֖וּחַ וַאֲפֵֽקָה׃ 53
और यनीम और बैत तफ़्फ़ूह और अफ़ीका,
וְחֻמְטָ֗ה וְקִרְיַ֥ת אַרְבַּ֛ע הִ֥יא חֶבְרֹ֖ון וְצִיעֹ֑ר עָרִ֥ים תֵּ֖שַׁע וְחַצְרֵיהֶֽן׃ ס 54
और हुमता और क़रयत अरबा' जो हबरून है और सी'ऊर; यह नौ शहर हैं और इनके गाँव भी हैं।
מָעֹ֥ון ׀ כַּרְמֶ֖ל וָזִ֥יף וְיוּטָּֽה׃ 55
म'ऊन, कर्मिल और ज़ीफ़ और यूत्ता,
וְיִזְרְעֶ֥אל וְיָקְדְעָ֖ם וְזָנֹֽוחַ׃ 56
और यज़रएल और याक़दि'आम और ज़नोआह,
הַקַּ֖יִן גִּבְעָ֣ה וְתִמְנָ֑ה עָרִ֥ים עֶ֖שֶׂר וְחַצְרֵיהֶֽן׃ 57
कै़न, जिब'आ और तिमना; यह दस शहर हैं और इनके गाँव भी हैं।
חַלְח֥וּל בֵּֽית־צ֖וּר וּגְדֹֽור׃ 58
हालहूल और बैत सूर और जदूर,
וּמַעֲרָ֥ת וּבֵית־עֲנֹ֖ות וְאֶלְתְּקֹ֑ן עָרִ֥ים שֵׁ֖שׁ וְחַצְרֵיהֶֽן׃ 59
और मा' रात और बैत 'अनोत और इलतिक़ून; यह छह शहर हैं और इनके गाँव भी हैं।
קִרְיַת־בַּ֗עַל הִ֛יא קִרְיַ֥ת יְעָרִ֖ים וְהָֽרַבָּ֑ה עָרִ֥ים שְׁתַּ֖יִם וְחַצְרֵיהֶֽן׃ ס 60
क़रयत बा'ल जो क़रयत या'रीम है, और रब्बा; यह दो शहर हैं और इनके गाँव भी हैं।
בַּמִּדְבָּ֑ר בֵּ֚ית הָעֲרָבָ֔ה מִדִּ֖ין וּסְכָכָֽה׃ 61
और वीराने में बैत 'अराबा और मद्दीन और सकाका,
וְהַנִּבְשָׁ֥ן וְעִיר־הַמֶּ֖לַח וְעֵ֣ין גֶּ֑דִי עָרִ֥ים שֵׁ֖שׁ וְחַצְרֵיהֶֽן׃ 62
और नबसान और नमक का शहर और 'ऐन जदी; यह छः शहर हैं और इनके गाँव भी हैं।
וְאֶת־הַיְבוּסִי֙ יֹושְׁבֵ֣י יְרֽוּשָׁלַ֔͏ִם לֹֽא־יוּכְלוּ (יָכְל֥וּ) בְנֵֽי־יְהוּדָ֖ה לְהֹֽורִישָׁ֑ם וַיֵּ֨שֶׁב הַיְבוּסִ֜י אֶת־בְּנֵ֤י יְהוּדָה֙ בִּיר֣וּשָׁלַ֔͏ִם עַ֖ד הַיֹּ֥ום הַזֶּֽה׃ פ 63
और यबूसियों को जो येरूशलेम के बाशिन्दे थे, बनी यहूदाह निकाल न सके; इसलिए यबूसी बनी यहूदाह के साथ आज के दिन तक येरूशलेम में बसे हुए हैं।

< יְהוֹשֻעַ 15 >