< יְשַׁעְיָהוּ 8 >

וַיֹּ֤אמֶר יְהוָה֙ אֵלַ֔י קַח־לְךָ֖ גִּלָּיֹ֣ון גָּדֹ֑ול וּכְתֹ֤ב עָלָיו֙ בְּחֶ֣רֶט אֱנֹ֔ושׁ לְמַהֵ֥ר שָׁלָ֖ל חָ֥שׁ בַּֽז׃ 1
फिर ख़ुदावन्द ने मुझे फ़रमाया, कि एक बड़ी तख़्ती ले और उस पर साफ़ साफ़ लिख महीर शालाल हाश्बज़ के लिए,'
וְאָעִ֣ידָה לִּ֔י עֵדִ֖ים נֶאֱמָנִ֑ים אֵ֚ת אוּרִיָּ֣ה הַכֹּהֵ֔ן וְאֶת־זְכַרְיָ֖הוּ בֶּ֥ן יְבֶרֶכְיָֽהוּ׃ 2
और दो दियानतदार गवाहों को या'नी ऊरिय्याह काहिन को और ज़करियाह बिन यबरकियाह को गवाह बना।
וָאֶקְרַב֙ אֶל־הַנְּבִיאָ֔ה וַתַּ֖הַר וַתֵּ֣לֶד בֵּ֑ן וַיֹּ֤אמֶר יְהוָה֙ אֵלַ֔י קְרָ֣א שְׁמֹ֔ו מַהֵ֥ר שָׁלָ֖ל חָ֥שׁ בַּֽז׃ 3
और मैं नबीय्या के पास गया; तब वह हामिला हुई और बेटा पैदा हुआ। तब ख़ुदावन्द ने मुझे फ़रमाया, कि उसका नाम “महीर — शालाल हाशबज़ रख,
כִּ֗י בְּטֶ֙רֶם֙ יֵדַ֣ע הַנַּ֔עַר קְרֹ֖א אָבִ֣י וְאִמִּ֑י יִשָּׂ֣א ׀ אֶת־חֵ֣יל דַּמֶּ֗שֶׂק וְאֵת֙ שְׁלַ֣ל שֹׁמְרֹ֔ון לִפְנֵ֖י מֶ֥לֶךְ אַשּֽׁוּר׃ ס 4
क्यूँकि इससे पहले कि ये लड़का अब्बा और अम्मा कहना सीखे दमिश्क़ का माल और सामरिया की लूट को उठवाकर शाह — ए — असूर के सामने ले जाएँगे।”
וַיֹּ֣סֶף יְהוָ֔ה דַּבֵּ֥ר אֵלַ֛י עֹ֖וד לֵאמֹֽר׃ 5
फिर ख़ुदावन्द ने मुझ से फ़रमाया,
יַ֗עַן כִּ֤י מָאַס֙ הָעָ֣ם הַזֶּ֔ה אֵ֚ת מֵ֣י הַשִּׁלֹ֔חַ הַהֹלְכִ֖ים לְאַ֑ט וּמְשֹׂ֥ושׂ אֶת־רְצִ֖ין וּבֶן־רְמַלְיָֽהוּ׃ 6
“चूँकि इन लोगों ने चश्मा — ए — शीलोख़ के आहिस्ता रो पानी को रद्द किया, और रज़ीन और रमलियाह के बेटे पर माइल हुए;
וְלָכֵ֡ן הִנֵּ֣ה אֲדֹנָי֩ מַעֲלֶ֨ה עֲלֵיהֶ֜ם אֶת־מֵ֣י הַנָּהָ֗ר הָעֲצוּמִים֙ וְהָ֣רַבִּ֔ים אֶת־מֶ֥לֶךְ אַשּׁ֖וּר וְאֶת־כָּל־כְּבֹודֹ֑ו וְעָלָה֙ עַל־כָּל־אֲפִיקָ֔יו וְהָלַ֖ךְ עַל־כָּל־גְּדֹותָֽיו׃ 7
इसलिए अब देख, ख़ुदावन्द दरिया — ए — फ़रात के सख़्त शदीद सैलाब को या 'नी शाह — ए — असूर और उसकी सारी शौकत को, इन पर चढ़ा लाएगा; और वह अपने सब नालों पर और अपने सब किनारों से बह निकलेगा;
וְחָלַ֤ף בִּֽיהוּדָה֙ שָׁטַ֣ף וְעָבַ֔ר עַד־צַוָּ֖אר יַגִּ֑יעַ וְהָיָה֙ מֻטֹּ֣ות כְּנָפָ֔יו מְלֹ֥א רֹֽחַב־אַרְצְךָ֖ עִמָּ֥נוּ אֵֽל׃ ס 8
और वह यहूदाह में बढ़ता चला जाएगा, और उसकी तुग़ियानी बढ़ती जाएगी, वह गर्दन तक पहुँचेगा; और उसके परों के फैलाव से तेरे मुल्क की सारी वुस'अत ऐ इम्मानुएल, छिप जायेगी।”
רֹ֤עוּ עַמִּים֙ וָחֹ֔תּוּ וְהַֽאֲזִ֔ינוּ כֹּ֖ל מֶרְחַקֵּי־אָ֑רֶץ הִתְאַזְּר֣וּ וָחֹ֔תּוּ הִֽתְאַזְּר֖וּ וָחֹֽתּוּ׃ 9
ऐ लोगों, धूम मचाओ, लेकिन तुम टुकड़े — टुकड़े किए जाओगे; और ऐ दूर — दूर के मुल्कों के बाशिन्दो, सुनो: कमर बाँधों, लेकिन तुम्हारे टुकड़े — टुकड़े किए जाएँगे; कमर बाँधो, लेकिन तुम्हारे पुर्जे़ — पुर्जे़ होंगे।
עֻ֥צוּ עֵצָ֖ה וְתֻפָ֑ר דַּבְּר֤וּ דָבָר֙ וְלֹ֣א יָק֔וּם כִּ֥י עִמָּ֖נוּ אֵֽל׃ ס 10
तुम मन्सूबा बाँधो, लेकिन वह बातिल होगा; तुम कुछ कहो, और उसे क़याम न होगा; क्यूँकि ख़ुदा हमारे साथ है।
כִּי֩ כֹ֨ה אָמַ֧ר יְהוָ֛ה אֵלַ֖י כְּחֶזְקַ֣ת הַיָּ֑ד וְיִסְּרֵ֕נִי מִלֶּ֛כֶת בְּדֶ֥רֶךְ הָֽעָם־הַזֶּ֖ה לֵאמֹֽר׃ 11
क्यूँकि ख़ुदावन्द ने जब उसका हाथ मुझ पर ग़ालिब हुआ, और इन लोगों के रास्ते में चलने से मुझे मना' किया तो मुझ से यूँ फ़रमाया कि,
לֹא־תֹאמְר֣וּן קֶ֔שֶׁר לְכֹ֧ל אֲשֶׁר־יֹאמַ֛ר הָעָ֥ם הַזֶּ֖ה קָ֑שֶׁר וְאֶת־מֹורָאֹ֥ו לֹֽא־תִֽירְא֖וּ וְלֹ֥א תַעֲרִֽיצוּ׃ 12
“तुम उस सबको जिसे यह लोग साज़िश कहते हैं, साज़िश न कहो, और जिससे वह डरते हैं, तुम न डरो और न घबराओ।
אֶת־יְהוָ֥ה צְבָאֹ֖ות אֹתֹ֣ו תַקְדִּ֑ישׁוּ וְה֥וּא מֹורַאֲכֶ֖ם וְה֥וּא מֽ͏ַעֲרִֽצְכֶֽם׃ 13
तुम रब्ब — उल — अफ़वाज ही को पाक जानो, और उसी से डरो और उसी से ख़ाइफ़ रहो।
וְהָיָ֖ה לְמִקְדָּ֑שׁ וּלְאֶ֣בֶן נֶ֠גֶף וּלְצ֨וּר מִכְשֹׁ֜ול לִשְׁנֵ֨י בָתֵּ֤י יִשְׂרָאֵל֙ לְפַ֣ח וּלְמֹוקֵ֔שׁ לְיֹושֵׁ֖ב יְרוּשָׁלָֽ͏ִם׃ 14
और वह एक मक़दिस होगा, लेकिन इस्राईल के दोनों घरानों के लिए सदमा और ठोकर का पत्थर, और येरूशलेम के बाशिन्दों के लिए फन्दा और दाम होगा।
וְכָ֥שְׁלוּ בָ֖ם רַבִּ֑ים וְנָפְל֣וּ וְנִשְׁבָּ֔רוּ וְנֹוקְשׁ֖וּ וְנִלְכָּֽדוּ׃ ס 15
उनमें से बहुत से उससे ठोकर खायेंगे और गिरेंगे और पाश पाश होंगे, और दाम में फँसेंगे और पकड़े जाएँगे।
צֹ֖ור תְּעוּדָ֑ה חֲתֹ֥ום תֹּורָ֖ה בְּלִמֻּדָֽי׃ 16
शहादत नामा बन्द कर दो, और मेरे शागिर्दो के लिए शरी'अत पर मुहर करो।
וְחִכִּ֙יתִי֙ לַיהוָ֔ה הַמַּסְתִּ֥יר פָּנָ֖יו מִבֵּ֣ית יַעֲקֹ֑ב וְקִוֵּ֖יתִֽי־לֹֽו׃ 17
मैं भी ख़ुदावन्द की राह देखूँगा, जो अब या'क़ूब के घराने से अपना मुँह छिपाता है; मैं उसका इन्तिज़ार करूँगा।
הִנֵּ֣ה אָנֹכִ֗י וְהַיְלָדִים֙ אֲשֶׁ֣ר נָֽתַן־לִ֣י יְהוָ֔ה לְאֹתֹ֥ות וּלְמֹופְתִ֖ים בְּיִשְׂרָאֵ֑ל מֵעִם֙ יְהוָ֣ה צְבָאֹ֔ות הַשֹּׁכֵ֖ן בְּהַ֥ר צִיֹּֽון׃ ס 18
देख, मैं उन लड़कों के साथ जो ख़ुदावन्द ने मुझे बख़्शे, रब्ब — उल — अफ़वाज की तरफ़ से जो सिय्यून पहाड़ में रहता है, बनी — इस्राईल के बीच निशान — आत और 'अजायब — ओ — ग़राइब के लिए हूँ।
וְכִֽי־יֹאמְר֣וּ אֲלֵיכֶ֗ם דִּרְשׁ֤וּ אֶל־הָאֹבֹות֙ וְאֶל־הַיִּדְּעֹנִ֔ים הַֽמְצַפְצְפִ֖ים וְהַמַּהְגִּ֑ים הֲלֹוא־עַם֙ אֶל־אֱלֹהָ֣יו יִדְרֹ֔שׁ בְּעַ֥ד הַחַיִּ֖ים אֶל־הַמֵּתִֽים׃ 19
और जब वह तुमसे कहें, तुम जिन्नात के यारों और अफ़सूँगरों की जो फुसफुसाते और बड़बड़ाते हैं तलाश करो, तो तुम कहो, क्या लोगों को मुनासिब नहीं कि अपने ख़ुदा के तालिब हों? क्या ज़िन्दों के बारे में मुर्दों से सवाल करें?”
לְתֹורָ֖ה וְלִתְעוּדָ֑ה אִם־לֹ֤א יֹֽאמְרוּ֙ כַּדָּבָ֣ר הַזֶּ֔ה אֲשֶׁ֥ר אֵֽין־לֹ֖ו שָֽׁחַר׃ 20
शरी'अत और शहादत पर नज़र करो! अगर वह इस कलाम के मुताबिक़ न बोलें तो उनके लिए सुबह न होगी।
וְעָ֥בַר בָּ֖הּ נִקְשֶׁ֣ה וְרָעֵ֑ב וְהָיָ֨ה כִֽי־יִרְעַ֜ב וְהִתְקַצַּ֗ף וְקִלֵּ֧ל בְּמַלְכֹּ֛ו וּבֵאלֹהָ֖יו וּפָנָ֥ה לְמָֽעְלָה׃ 21
तब वह मुल्क में भूके और ख़स्ताहाल फिरेंगे और यूँ होगा कि जब वह भूके हों तो जान से बेज़ार होंगे, और अपने बादशाह और अपने ख़ुदा पर ला'नत करेंगे और अपने मुँह आसमान की तरफ़ उठाएँगे;
וְאֶל־אֶ֖רֶץ יַבִּ֑יט וְהִנֵּ֨ה צָרָ֤ה וַחֲשֵׁכָה֙ מְע֣וּף צוּקָ֔ה וַאֲפֵלָ֖ה מְנֻדָּֽח׃ 22
फिर ज़मीन की तरफ़ देखेंगे और नागहान तंगी और तारीकी, या'नी ज़ुल्मत — ए — अन्दोह और तीरगी में खदेड़े जाएँगें।

< יְשַׁעְיָהוּ 8 >