< יְחֶזְקֵאל 36 >

וְאַתָּ֣ה בֶן־אָדָ֔ם הִנָּבֵ֖א אֶל־הָרֵ֣י יִשְׂרָאֵ֑ל וְאָ֣מַרְתָּ֔ הָרֵי֙ יִשְׂרָאֵ֔ל שִׁמְע֖וּ דְּבַר־יְהוָֽה׃ 1
“फिर हे मनुष्य के सन्तान, तू इस्राएल के पहाड़ों से भविष्यद्वाणी करके कह, हे इस्राएल के पहाड़ों, यहोवा का वचन सुनो।
כֹּ֤ה אָמַר֙ אֲדֹנָ֣י יְהוִ֔ה יַ֣עַן אָמַ֧ר הָאֹויֵ֛ב עֲלֵיכֶ֖ם הֶאָ֑ח וּבָמֹ֣ות עֹולָ֔ם לְמֹֽורָשָׁ֖ה הָ֥יְתָה לָּֽנוּ׃ 2
परमेश्वर यहोवा यह कहता है: शत्रु ने तो तुम्हारे विषय में कहा है, ‘आहा! प्राचीनकाल के ऊँचे स्थान अब हमारे अधिकार में आ गए।’
לָכֵן֙ הִנָּבֵ֣א וְאָמַרְתָּ֔ כֹּ֥ה אָמַ֖ר אֲדֹנָ֣י יְהוִ֑ה יַ֣עַן בְּיַ֡עַן שַׁמֹּות֩ וְשָׁאֹ֨ף אֶתְכֶ֜ם מִסָּבִ֗יב לִֽהְיֹותְכֶ֤ם מֹֽורָשָׁה֙ לִשְׁאֵרִ֣ית הַגֹּויִ֔ם וַתֵּֽעֲל֛וּ עַל־שְׂפַ֥ת לָשֹׁ֖ון וְדִבַּת־עָֽם׃ 3
इस कारण भविष्यद्वाणी करके कह, परमेश्वर यहोवा यह कहता है: लोगों ने जो तुम्हें उजाड़ा और चारों ओर से तुम्हें ऐसा निगल लिया कि तुम बची हुई जातियों का अधिकार हो जाओ, और बकवादी तुम्हारी चर्चा करते और साधारण लोग तुम्हारी निन्दा करते हैं;
לָכֵן֙ הָרֵ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל שִׁמְע֖וּ דְּבַר־אֲדֹנָ֣י יְהוִ֑ה כֹּֽה־אָמַ֣ר אֲדֹנָ֣י יְ֠הוִה לֶהָרִ֨ים וְלַגְּבָעֹ֜ות לָאֲפִיקִ֣ים וְלַגֵּאָיֹ֗ות וְלֶחֳרָבֹ֤ות הַשֹּֽׁמְמֹות֙ וְלֶעָרִ֣ים הַנֶּעֱזָבֹ֔ות אֲשֶׁ֨ר הָי֤וּ לְבַז֙ וּלְלַ֔עַג לִשְׁאֵרִ֥ית הַגֹּויִ֖ם אֲשֶׁ֥ר מִסָּבִֽיב׃ ס 4
इस कारण, हे इस्राएल के पहाड़ों, परमेश्वर यहोवा का वचन सुनो, परमेश्वर यहोवा तुम से यह कहता है, अर्थात् पहाड़ों और पहाड़ियों से और नालों और तराइयों से, और उजड़े हुए खण्डहरों और निर्जन नगरों से जो चारों ओर की बची हुई जातियों से लुट गए और उनके हँसने के कारण हो गए हैं;
לָכֵ֗ן כֹּֽה־אָמַר֮ אֲדֹנָ֣י יְהוִה֒ אִם־לֹ֠א בְּאֵ֨שׁ קִנְאָתִ֥י דִבַּ֛רְתִּי עַל־שְׁאֵרִ֥ית הַגֹּויִ֖ם וְעַל־אֱדֹ֣ום כֻּלָּ֑א אֲשֶׁ֣ר נָתְנֽוּ־אֶת־אַרְצִ֣י ׀ לָ֠הֶם לְמֹ֨ורָשָׁ֜ה בְּשִׂמְחַ֤ת כָּל־לֵבָב֙ בִּשְׁאָ֣ט נֶ֔פֶשׁ לְמַ֥עַן מִגְרָשָׁ֖הּ לָבַֽז׃ 5
परमेश्वर यहोवा यह कहता है, निश्चय मैंने अपनी जलन की आग में बची हुई जातियों के और सारे एदोम के विरुद्ध में कहा है कि जिन्होंने मेरे देश को अपने मन के पूरे आनन्द और अभिमान से अपने अधिकार में किया है कि वह पराया होकर लूटा जाए।
לָכֵ֕ן הִנָּבֵ֖א עַל־אַדְמַ֣ת יִשְׂרָאֵ֑ל וְאָמַרְתָּ֡ לֶהָרִ֣ים וְ֠לַגְּבָעֹות לָאֲפִיקִ֨ים וְלַגֵּאָיֹ֜ות כֹּֽה־אָמַ֣ר ׀ אֲדֹנָ֣י יְהוִ֗ה הִנְנִ֨י בְקִנְאָתִ֤י וּבַחֲמָתִי֙ דִּבַּ֔רְתִּי יַ֛עַן כְּלִמַּ֥ת גֹּויִ֖ם נְשָׂאתֶֽם׃ 6
इस कारण इस्राएल के देश के विषय में भविष्यद्वाणी करके पहाड़ों, पहाड़ियों, नालों, और तराइयों से कह, परमेश्वर यहोवा यह कहता है, देखो, तुम ने जातियों की निन्दा सही है, इस कारण मैं अपनी बड़ी जलजलाहट से बोला हूँ।
לָכֵ֗ן כֹּ֤ה אָמַר֙ אֲדֹנָ֣י יְהוִ֔ה אֲנִ֖י נָשָׂ֣אתִי אֶת־יָדִ֑י אִם־לֹ֤א הַגֹּויִם֙ אֲשֶׁ֣ר לָכֶ֣ם מִסָּבִ֔יב הֵ֖מָּה כְּלִמָּתָ֖ם יִשָּֽׂאוּ׃ 7
परमेश्वर यहोवा यह कहता है: मैंने यह शपथ खाई है कि निःसन्देह तुम्हारे चारों ओर जो जातियाँ हैं, उनको अपनी निन्दा आप ही सहनी पड़ेगी।
וְאַתֶּ֞ם הָרֵ֤י יִשְׂרָאֵל֙ עַנְפְּכֶ֣ם תִּתֵּ֔נוּ וּפֶרְיְכֶ֥ם תִּשְׂא֖וּ לְעַמִּ֣י יִשְׂרָאֵ֑ל כִּ֥י קֵרְב֖וּ לָבֹֽוא׃ 8
“परन्तु, हे इस्राएल के पहाड़ों, तुम पर डालियाँ पनपेंगी और उनके फल मेरी प्रजा इस्राएल के लिये लगेंगे; क्योंकि उसका लौट आना निकट है।
כִּ֖י הִנְנִ֣י אֲלֵיכֶ֑ם וּפָנִ֣יתִי אֲלֵיכֶ֔ם וְנֶעֱבַדְתֶּ֖ם וְנִזְרַעְתֶּֽם׃ 9
देखो, मैं तुम्हारे पक्ष में हूँ, और तुम्हारी ओर कृपादृष्टि करूँगा, और तुम जोते-बोए जाओगे;
וְהִרְבֵּיתִ֤י עֲלֵיכֶם֙ אָדָ֔ם כָּל־בֵּ֥ית יִשְׂרָאֵ֖ל כֻּלֹּ֑ה וְנֹֽשְׁבוּ֙ הֶֽעָרִ֔ים וְהֶחֳרָבֹ֖ות תִּבָּנֶֽינָה׃ 10
१०और मैं तुम पर बहुत मनुष्य अर्थात् इस्राएल के सारे घराने को बसाऊँगा; और नगर फिर बसाए और खण्डहर फिर बनाएँ जाएँगे।
וְהִרְבֵּיתִ֧י עֲלֵיכֶ֛ם אָדָ֥ם וּבְהֵמָ֖ה וְרָב֣וּ וּפָר֑וּ וְהֹושַׁבְתִּ֨י אֶתְכֶ֜ם כְּקַדְמֹֽותֵיכֶ֗ם וְהֵטִֽבֹתִי֙ מֵרִאשֹׁ֣תֵיכֶ֔ם וִֽידַעְתֶּ֖ם כִּֽי־אֲנִ֥י יְהוָֽה׃ 11
११मैं तुम पर मनुष्य और पशु दोनों को बहुत बढ़ाऊँगा; और वे बढ़ेंगे और फूलें-फलेंगे; और मैं तुम को प्राचीनकाल के समान बसाऊँगा, और पहले से अधिक तुम्हारी भलाई करूँगा। तब तुम जान लोगे कि मैं यहोवा हूँ।
וְהֹולַכְתִּי֩ עֲלֵיכֶ֨ם אָדָ֜ם אֶת־עַמִּ֤י יִשְׂרָאֵל֙ וִֽירֵשׁ֔וּךָ וְהָיִ֥יתָ לָהֶ֖ם לְנַחֲלָ֑ה וְלֹא־תֹוסִ֥ף עֹ֖וד לְשַׁכְּלָֽם׃ ס 12
१२मैं ऐसा करूँगा कि मनुष्य अर्थात् मेरी प्रजा इस्राएल तुम पर चले-फिरेगी; और वे तुम्हारे स्वामी होंगे, और तुम उनका निज भाग होंगे, और वे फिर तुम्हारे कारण निर्वंश न हो जाएँगे।
כֹּ֤ה אָמַר֙ אֲדֹנָ֣י יְהוִ֔ה יַ֚עַן אֹמְרִ֣ים לָכֶ֔ם אֹכֶ֥לֶת אָדָ֖ם אָתִּי (אָ֑תְּ) וּמְשַׁכֶּ֥לֶת גֹּויֵךְ (גֹּויַ֖יִךְ) הָיִֽית׃ 13
१३परमेश्वर यहोवा यह कहता है: जो लोग तुम से कहा करते हैं, ‘तू मनुष्यों का खानेवाला है, और अपने पर बसी हुई जाति को निर्वंश कर देता है,’
לָכֵ֗ן אָדָם֙ לֹא־תֹ֣אכְלִי עֹ֔וד וְגֹויֵךְ (וְגֹויַ֖יִךְ) לֹ֣א תְכַשְּׁלִי־ (תְשַׁכְּלִי)־עֹ֑וד נְאֻ֖ם אֲדֹנָ֥י יְהוִֽה׃ 14
१४इसलिए फिर तू मनुष्यों को न खाएगा, और न अपने पर बसी हुई जाति को निर्वंश करेगा, परमेश्वर यहोवा की यही वाणी है।
וְלֹא־אַשְׁמִ֨יעַ אֵלַ֤יִךְ עֹוד֙ כְּלִמַּ֣ת הַגֹּויִ֔ם וְחֶרְפַּ֥ת עַמִּ֖ים לֹ֣א תִשְׂאִי־עֹ֑וד וְגֹויֵךְ (וְגֹויַ֙יִךְ֙) לֹא־תַכְשִׁ֣לִי עֹ֔וד נְאֻ֖ם אֲדֹנָ֥י יְהוִֽה׃ ס 15
१५मैं फिर जाति-जाति के लोगों से तेरी निन्दा न सुनवाऊँगा, और तुझे जाति-जाति की ओर से फिर निन्दा न सहनी पड़ेगी, और तुझ पर बसी हुई जाति को तू फिर ठोकर न खिलाएगा, परमेश्वर यहोवा की यही वाणी है।”
וַיְהִ֥י דְבַר־יְהוָ֖ה אֵלַ֥י לֵאמֹֽר׃ 16
१६फिर यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा:
בֶּן־אָדָ֗ם בֵּ֤ית יִשְׂרָאֵל֙ יֹשְׁבִ֣ים עַל־אַדְמָתָ֔ם וַיְטַמְּא֣וּ אֹותָ֔הּ בְּדַרְכָּ֖ם וּבַעֲלִֽילֹותָ֑ם כְּטֻמְאַת֙ הַנִּדָּ֔ה הָיְתָ֥ה דַרְכָּ֖ם לְפָנָֽי׃ 17
१७“हे मनुष्य के सन्तान, जब इस्राएल का घराना अपने देश में रहता था, तब अपनी चाल चलन और कामों के द्वारा वे उसको अशुद्ध करते थे; उनकी चाल चलन मुझे ऋतुमती की अशुद्धता-सी जान पड़ती थी।
וָאֶשְׁפֹּ֤ךְ חֲמָתִי֙ עֲלֵיהֶ֔ם עַל־הַדָּ֖ם אֲשֶׁר־שָׁפְכ֣וּ עַל־הָאָ֑רֶץ וּבְגִלּוּלֵיהֶ֖ם טִמְּאֽוּהָ׃ 18
१८इसलिए जो हत्या उन्होंने देश में की, और देश को अपनी मूरतों के द्वारा अशुद्ध किया, इसके कारण मैंने उन पर अपनी जलजलाहट भड़काई।
וָאָפִ֤יץ אֹתָם֙ בַּגֹּויִ֔ם וַיִּזָּר֖וּ בָּאֲרָצֹ֑ות כְּדַרְכָּ֥ם וְכַעֲלִילֹותָ֖ם שְׁפַטְתִּֽים׃ 19
१९मैंने उन्हें जाति-जाति में तितर-बितर किया, और वे देश-देश में बिखर गए; उनके चाल चलन और कामों के अनुसार मैंने उनको दण्ड दिया।
וַיָּבֹ֗וא אֶל־הַגֹּויִם֙ אֲשֶׁר־בָּ֣אוּ שָׁ֔ם וַֽיְחַלְּל֖וּ אֶת־שֵׁ֣ם קָדְשִׁ֑י בֶּאֱמֹ֤ר לָהֶם֙ עַם־יְהוָ֣ה אֵ֔לֶּה וּמֵאַרְצֹ֖ו יָצָֽאוּ׃ 20
२०परन्तु जब वे उन जातियों में पहुँचे जिनमें वे पहुँचाए गए, तब उन्होंने मेरे पवित्र नाम को अपवित्र ठहराया, क्योंकि लोग उनके विषय में यह कहने लगे, ‘ये यहोवा की प्रजा हैं, परन्तु उसके देश से निकाले गए हैं।’
וָאֶחְמֹ֖ל עַל־שֵׁ֣ם קָדְשִׁ֑י אֲשֶׁ֤ר חִלְּל֙וּהוּ֙ בֵּ֣ית יִשְׂרָאֵ֔ל בַּגֹּויִ֖ם אֲשֶׁר־בָּ֥אוּ שָֽׁמָּה׃ ס 21
२१परन्तु मैंने अपने पवित्र नाम की सुधि ली, जिसे इस्राएल के घराने ने उन जातियों के बीच अपवित्र ठहराया था, जहाँ वे गए थे।
לָכֵ֞ן אֱמֹ֣ר לְבֵֽית־יִשְׂרָאֵ֗ל כֹּ֤ה אָמַר֙ אֲדֹנָ֣י יְהוִ֔ה לֹ֧א לְמַעַנְכֶ֛ם אֲנִ֥י עֹשֶׂ֖ה בֵּ֣ית יִשְׂרָאֵ֑ל כִּ֤י אִם־לְשֵׁם־קָדְשִׁי֙ אֲשֶׁ֣ר חִלַּלְתֶּ֔ם בַּגֹּויִ֖ם אֲשֶׁר־בָּ֥אתֶם שָֽׁם׃ 22
२२“इस कारण तू इस्राएल के घराने से कह, परमेश्वर यहोवा यह कहता है: हे इस्राएल के घराने, मैं इसको तुम्हारे निमित्त नहीं, परन्तु अपने पवित्र नाम के निमित्त करता हूँ जिसे तुम ने उन जातियों में अपवित्र ठहराया जहाँ तुम गए थे।
וְקִדַּשְׁתִּ֞י אֶת־שְׁמִ֣י הַגָּדֹ֗ול הַֽמְחֻלָּל֙ בַּגֹּויִ֔ם אֲשֶׁ֥ר חִלַּלְתֶּ֖ם בְּתֹוכָ֑ם וְיָדְע֨וּ הַגֹּויִ֜ם כִּי־אֲנִ֣י יְהוָ֗ה נְאֻם֙ אֲדֹנָ֣י יְהוִ֔ה בְּהִקָּדְשִׁ֥י בָכֶ֖ם לְעֵינֵיהֶֽם׃ 23
२३मैं अपने बड़े नाम को पवित्र ठहराऊँगा, जो जातियों में अपवित्र ठहराया गया, जिसे तुम ने उनके बीच अपवित्र किया; और जब मैं उनकी दृष्टि में तुम्हारे बीच पवित्र ठहरूँगा, तब वे जातियाँ जान लेंगी कि मैं यहोवा हूँ, परमेश्वर यहोवा की यही वाणी है।
וְלָקַחְתִּ֤י אֶתְכֶם֙ מִן־הַגֹּויִ֔ם וְקִבַּצְתִּ֥י אֶתְכֶ֖ם מִכָּל־הָאֲרָצֹ֑ות וְהֵבֵאתִ֥י אֶתְכֶ֖ם אֶל־אַדְמַתְכֶֽם׃ 24
२४मैं तुम को जातियों में से ले लूँगा, और देशों में से इकट्ठा करूँगा; और तुम को तुम्हारे निज देश में पहुँचा दूँगा।
וְזָרַקְתִּ֧י עֲלֵיכֶ֛ם מַ֥יִם טְהֹורִ֖ים וּטְהַרְתֶּ֑ם מִכֹּ֧ל טֻמְאֹותֵיכֶ֛ם וּמִכָּל־גִּלּ֥וּלֵיכֶ֖ם אֲטַהֵ֥ר אֶתְכֶֽם׃ 25
२५मैं तुम पर शुद्ध जल छिड़कूँगा, और तुम शुद्ध हो जाओगे; और मैं तुम को तुम्हारी सारी अशुद्धता और मूरतों से शुद्ध करूँगा।
וְנָתַתִּ֤י לָכֶם֙ לֵ֣ב חָדָ֔שׁ וְר֥וּחַ חֲדָשָׁ֖ה אֶתֵּ֣ן בְּקִרְבְּכֶ֑ם וַהֲסִ֨רֹתִ֜י אֶת־לֵ֤ב הָאֶ֙בֶן֙ מִבְּשַׂרְכֶ֔ם וְנָתַתִּ֥י לָכֶ֖ם לֵ֥ב בָּשָֽׂר׃ 26
२६मैं तुम को नया मन दूँगा, और तुम्हारे भीतर नई आत्मा उत्पन्न करूँगा; और तुम्हारी देह में से पत्थर का हृदय निकालकर तुम को माँस का हृदय दूँगा।
וְאֶת־רוּחִ֖י אֶתֵּ֣ן בְּקִרְבְּכֶ֑ם וְעָשִׂ֗יתִי אֵ֤ת אֲשֶׁר־בְּחֻקַּי֙ תֵּלֵ֔כוּ וּמִשְׁפָּטַ֥י תִּשְׁמְר֖וּ וַעֲשִׂיתֶֽם׃ 27
२७मैं अपना आत्मा तुम्हारे भीतर देकर ऐसा करूँगा कि तुम मेरी विधियों पर चलोगे और मेरे नियमों को मानकर उनके अनुसार करोगे।
וִישַׁבְתֶּ֣ם בָּאָ֔רֶץ אֲשֶׁ֥ר נָתַ֖תִּי לַאֲבֹֽתֵיכֶ֑ם וִהְיִ֤יתֶם לִי֙ לְעָ֔ם וְאָ֣נֹכִ֔י אֶהְיֶ֥ה לָכֶ֖ם לֵאלֹהִֽים׃ 28
२८तुम उस देश में बसोगे जो मैंने तुम्हारे पितरों को दिया था; और तुम मेरी प्रजा ठहरोगे, और मैं तुम्हारा परमेश्वर ठहरूँगा।
וְהֹושַׁעְתִּ֣י אֶתְכֶ֔ם מִכֹּ֖ל טֻמְאֹֽותֵיכֶ֑ם וְקָרָ֤אתִי אֶל־הַדָּגָן֙ וְהִרְבֵּיתִ֣י אֹתֹ֔ו וְלֹא־אֶתֵּ֥ן עֲלֵיכֶ֖ם רָעָֽב׃ 29
२९मैं तुम को तुम्हारी सारी अशुद्धता से छुड़ाऊँगा, और अन्न उपजने की आज्ञा देकर, उसे बढ़ाऊँगा और तुम्हारे बीच अकाल न डालूँगा।
וְהִרְבֵּיתִי֙ אֶת־פְּרִ֣י הָעֵ֔ץ וּתְנוּבַ֖ת הַשָּׂדֶ֑ה לְמַ֗עַן אֲ֠שֶׁר לֹ֣א תִקְח֥וּ עֹ֛וד חֶרְפַּ֥ת רָעָ֖ב בַּגֹּויִֽם׃ 30
३०मैं वृक्षों के फल और खेत की उपज बढ़ाऊँगा, कि जातियों में अकाल के कारण फिर तुम्हारी निन्दा न होगी।
וּזְכַרְתֶּם֙ אֶת־דַּרְכֵיכֶ֣ם הָרָעִ֔ים וּמַעַלְלֵיכֶ֖ם אֲשֶׁ֣ר לֹֽא־טֹובִ֑ים וּנְקֹֽטֹתֶם֙ בִּפְנֵיכֶ֔ם עַ֚ל עֲוֹנֹ֣תֵיכֶ֔ם וְעַ֖ל תֹּועֲבֹֽותֵיכֶֽם׃ 31
३१तब तुम अपने बुरे चाल चलन और अपने कामों को जो अच्छे नहीं थे, स्मरण करके अपने अधर्म और घिनौने कामों के कारण अपने आप से घृणा करोगे।
לֹ֧א לְמַעַנְכֶ֣ם אֲנִֽי־עֹשֶׂ֗ה נְאֻם֙ אֲדֹנָ֣י יְהוִ֔ה יִוָּדַ֖ע לָכֶ֑ם בֹּ֧ושׁוּ וְהִכָּלְמ֛וּ מִדַּרְכֵיכֶ֖ם בֵּ֥ית יִשְׂרָאֵֽל׃ ס 32
३२परमेश्वर यहोवा की यह वाणी है, तुम जान लो कि मैं इसको तुम्हारे निमित्त नहीं करता। हे इस्राएल के घराने अपने चाल चलन के विषय में लज्जित हो और तुम्हारा मुख काला हो जाए।
כֹּ֤ה אָמַר֙ אֲדֹנָ֣י יְהוִ֔ה בְּיֹום֙ טַהֲרִ֣י אֶתְכֶ֔ם מִכֹּ֖ל עֲוֹנֹֽותֵיכֶ֑ם וְהֹֽושַׁבְתִּי֙ אֶת־הֶ֣עָרִ֔ים וְנִבְנ֖וּ הֶחֳרָבֹֽות׃ 33
३३“परमेश्वर यहोवा यह कहता है, जब मैं तुम को तुम्हारे सब अधर्म के कामों से शुद्ध करूँगा, तब तुम्हारे नगरों को बसाऊँगा; और तुम्हारे खण्डहर फिर बनाए जाएँगे।
וְהָאָ֥רֶץ הַנְּשַׁמָּ֖ה תֵּֽעָבֵ֑ד תַּ֚חַת אֲשֶׁ֣ר הָיְתָ֣ה שְׁמָמָ֔ה לְעֵינֵ֖י כָּל־עֹובֵֽר׃ 34
३४तुम्हारा देश जो सब आने जानेवालों के सामने उजाड़ है, वह उजाड़ होने के बदले जोता बोया जाएगा।
וְאָמְר֗וּ הָאָ֤רֶץ הַלֵּ֙זוּ֙ הַנְּשַׁמָּ֔ה הָיְתָ֖ה כְּגַן־עֵ֑דֶן וְהֶעָרִ֧ים הֶחֳרֵבֹ֛ות וְהַֽנְשַׁמֹּ֥ות וְהַנֶּהֱרָסֹ֖ות בְּצוּרֹ֥ות יָשָֽׁבוּ׃ 35
३५और लोग कहा करेंगे, ‘यह देश जो उजाड़ था, वह अदन की बारी–सा हो गया, और जो नगर खण्डहर और उजाड़ हो गए और ढाए गए थे, वे गढ़वाले हुए, और बसाए गए हैं।’
וְיָדְע֣וּ הַגֹּויִ֗ם אֲשֶׁ֣ר יִֽשָּׁאֲרוּ֮ סְבִיבֹותֵיכֶם֒ כִּ֣י ׀ אֲנִ֣י יְהוָ֗ה בָּנִ֙יתִי֙ הַנֶּ֣הֱרָסֹ֔ות נָטַ֖עְתִּי הַנְּשַׁמָּ֑ה אֲנִ֥י יְהוָ֖ה דִּבַּ֥רְתִּי וְעָשִֽׂיתִי׃ ס 36
३६तब जो जातियाँ तुम्हारे आस-पास बची रहेंगी, वे जान लेंगी कि मुझ यहोवा ने ढाए हुए को फिर बनाया, और उजाड़ में पेड़ रोपे हैं, मुझ यहोवा ने यह कहा, और ऐसा ही करूँगा।
כֹּ֤ה אָמַר֙ אֲדֹנָ֣י יְהוִ֔ה עֹ֗וד זֹ֛את אִדָּרֵ֥שׁ לְבֵֽית־יִשְׂרָאֵ֖ל לַעֲשֹׂ֣ות לָהֶ֑ם אַרְבֶּ֥ה אֹתָ֛ם כַּצֹּ֖אן אָדָֽם׃ 37
३७“परमेश्वर यहोवा यह कहता है, इस्राएल के घराने में फिर मुझसे विनती की जाएगी कि मैं उनके लिये यह करूँ; अर्थात् मैं उनमें मनुष्यों की गिनती भेड़-बकरियों के समान बढ़ाऊँ।
כְּצֹ֣אן קָֽדָשִׁ֗ים כְּצֹ֤אן יְרוּשָׁלַ֙͏ִם֙ בְּמֹ֣ועֲדֶ֔יהָ כֵּ֤ן תִּהְיֶ֙ינָה֙ הֶעָרִ֣ים הֶחֳרֵבֹ֔ות מְלֵאֹ֖ות צֹ֣אן אָדָ֑ם וְיָדְע֖וּ כִּֽי־אֲנִ֥י יְהוָֽה׃ ס 38
३८जैसे पवित्र समयों की भेड़-बकरियाँ, अर्थात् नियत पर्वों के समय यरूशलेम में की भेड़-बकरियाँ अनगिनत होती हैं वैसे ही जो नगर अब खण्डहर हैं वे अनगिनत मनुष्यों के झुण्डों से भर जाएँगे। तब वे जान लेंगे कि मैं यहोवा हूँ।”

< יְחֶזְקֵאל 36 >