< יְחֶזְקֵאל 2 >

וַיֹּ֖אמֶר אֵלָ֑י בֶּן־אָדָם֙ עֲמֹ֣ד עַל־רַגְלֶ֔יךָ וַאֲדַבֵּ֖ר אֹתָֽךְ׃ 1
उसने मुझसे कहा, “हे मनुष्य के सन्तान, अपने पाँवों के बल खड़ा हो, और मैं तुझ से बातें करूँगा।”
וַתָּ֧בֹא בִ֣י ר֗וּחַ כַּֽאֲשֶׁר֙ דִּבֶּ֣ר אֵלַ֔י וַתַּעֲמִדֵ֖נִי עַל־רַגְלָ֑י וָאֶשְׁמַ֕ע אֵ֖ת מִדַּבֵּ֥ר אֵלָֽי׃ פ 2
जैसे ही उसने मुझसे यह कहा, वैसे ही आत्मा ने मुझ में समाकर मुझे पाँवों के बल खड़ा कर दिया; और जो मुझसे बातें करता था मैंने उसकी सुनी।
וַיֹּ֣אמֶר אֵלַ֗י בֶּן־אָדָם֙ שֹׁולֵ֨חַ אֲנִ֤י אֹֽותְךָ֙ אֶל־בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל אֶל־גֹּויִ֥ם הַמֹּורְדִ֖ים אֲשֶׁ֣ר מָרְדוּ־בִ֑י הֵ֤מָּה וַאֲבֹותָם֙ פָּ֣שְׁעוּ בִ֔י עַד־עֶ֖צֶם הַיֹּ֥ום הַזֶּֽה׃ 3
उसने मुझसे कहा, “हे मनुष्य के सन्तान, मैं तुझे इस्राएलियों के पास अर्थात् बलवा करनेवाली जाति के पास भेजता हूँ, जिन्होंने मेरे विरुद्ध बलवा किया है; उनके पुरखा और वे भी आज के दिन तक मेरे विरुद्ध अपराध करते चले आए हैं।
וְהַבָּנִ֗ים קְשֵׁ֤י פָנִים֙ וְחִזְקֵי־לֵ֔ב אֲנִ֛י שֹׁולֵ֥חַ אֹותְךָ֖ אֲלֵיהֶ֑ם וְאָמַרְתָּ֣ אֲלֵיהֶ֔ם כֹּ֥ה אָמַ֖ר אֲדֹנָ֥י יְהֹוִֽה׃ 4
इस पीढ़ी के लोग जिनके पास मैं तुझे भेजता हूँ, वे निर्लज्ज और हठीले हैं;
וְהֵ֙מָּה֙ אִם־יִשְׁמְע֣וּ וְאִם־יֶחְדָּ֔לוּ כִּ֛י בֵּ֥ית מְרִ֖י הֵ֑מָּה וְיָ֣דְע֔וּ כִּ֥י נָבִ֖יא הָיָ֥ה בְתֹוכָֽם׃ פ 5
और तू उनसे कहना, ‘प्रभु यहोवा यह कहता है,’ इससे वे, जो बलवा करनेवाले घराने के हैं, चाहे वे सुनें या न सुनें, तो भी वे इतना जान लेंगे कि हमारे बीच एक भविष्यद्वक्ता प्रगट हुआ है।
וְאַתָּ֣ה בֶן־אָ֠דָם אַל־תִּירָ֨א מֵהֶ֜ם וּמִדִּבְרֵיהֶ֣ם אַל־תִּירָ֗א כִּ֣י סָרָבִ֤ים וְסַלֹּונִים֙ אֹותָ֔ךְ וְאֶל־עַקְרַבִּ֖ים אַתָּ֣ה יֹושֵׁ֑ב מִדִּבְרֵיהֶ֤ם אַל־תִּירָא֙ וּמִפְּנֵיהֶ֣ם אַל־תֵּחָ֔ת כִּ֛י בֵּ֥ית מְרִ֖י הֵֽמָּה׃ 6
हे मनुष्य के सन्तान, तू उनसे न डरना; चाहे तुझे काँटों, ऊँटकटारों और बिच्छुओं के बीच भी रहना पड़े, तो भी उनके वचनों से न डरना; यद्यपि वे विद्रोही घराने के हैं, तो भी न तो उनके वचनों से डरना, और न उनके मुँह देखकर तेरा मन कच्चा हो।
וְדִבַּרְתָּ֤ אֶת־דְּבָרַי֙ אֲלֵיהֶ֔ם אִֽם־יִשְׁמְע֖וּ וְאִם־יֶחְדָּ֑לוּ כִּ֥י מְרִ֖י הֵֽמָּה׃ פ 7
इसलिए चाहे वे सुनें या न सुनें; तो भी तू मेरे वचन उनसे कहना, वे तो बड़े विद्रोही हैं।
וְאַתָּ֣ה בֶן־אָדָ֗ם שְׁמַע֙ אֵ֤ת אֲשֶׁר־אֲנִי֙ מְדַבֵּ֣ר אֵלֶ֔יךָ אַל־תְּהִי־מֶ֖רִי כְּבֵ֣ית הַמֶּ֑רִי פְּצֵ֣ה פִ֔יךָ וֶאֱכֹ֕ל אֵ֥ת אֲשֶׁר־אֲנִ֖י נֹתֵ֥ן אֵלֶֽיךָ׃ 8
“परन्तु हे मनुष्य के सन्तान, जो मैं तुझ से कहता हूँ, उसे तू सुन ले, उस विद्रोही घराने के समान तू भी विद्रोही न बनना जो मैं तुझे देता हूँ, उसे मुँह खोलकर खा ले।”
וָאֶרְאֶ֕ה וְהִנֵּה־יָ֖ד שְׁלוּחָ֣ה אֵלָ֑י וְהִנֵּה־בֹ֖ו מְגִלַּת־סֵֽפֶר׃ 9
तब मैंने दृष्टि की और क्या देखा, कि मेरी ओर एक हाथ बढ़ा हुआ है और उसमें एक पुस्तक है।
וַיִּפְרֹ֤שׂ אֹותָהּ֙ לְפָנַ֔י וְהִ֥יא כְתוּבָ֖ה פָּנִ֣ים וְאָחֹ֑ור וְכָת֣וּב אֵלֶ֔יהָ קִנִ֥ים וָהֶ֖גֶה וָהִֽי׃ ס 10
१०उसको उसने मेरे सामने खोलकर फैलाया, और वह दोनों ओर लिखी हुई थी; और जो उसमें लिखा था, वे विलाप और शोक और दुःख भरे वचन थे।

< יְחֶזְקֵאל 2 >