< שְׁמֹות 4 >

וַיַּ֤עַן מֹשֶׁה֙ וַיֹּ֔אמֶר וְהֵן֙ לֹֽא־יַאֲמִ֣ינוּ לִ֔י וְלֹ֥א יִשְׁמְע֖וּ בְּקֹלִ֑י כִּ֣י יֹֽאמְר֔וּ לֹֽא־נִרְאָ֥ה אֵלֶ֖יךָ יְהוָֽה׃ 1
तब मूसा ने उत्तर दिया, “वे मुझ पर विश्वास न करेंगे और न मेरी सुनेंगे, वरन् कहेंगे, ‘यहोवा ने तुझको दर्शन नहीं दिया।’”
וַיֹּ֧אמֶר אֵלָ֛יו יְהוָ֖ה מַזֶּה (מַה־זֶּ֣ה) בְיָדֶ֑ךָ וַיֹּ֖אמֶר מַטֶּֽה׃ 2
यहोवा ने उससे कहा, “तेरे हाथ में वह क्या है?” वह बोला, “लाठी।”
וַיֹּ֙אמֶר֙ הַשְׁלִיכֵ֣הוּ אַ֔רְצָה וַיַּשְׁלִיכֵ֥הוּ אַ֖רְצָה וַיְהִ֣י לְנָחָ֑שׁ וַיָּ֥נָס מֹשֶׁ֖ה מִפָּנָֽיו׃ 3
उसने कहा, “उसे भूमि पर डाल दे।” जब उसने उसे भूमि पर डाला तब वह सर्प बन गई, और मूसा उसके सामने से भागा।
וַיֹּ֤אמֶר יְהוָה֙ אֶל־מֹשֶׁ֔ה שְׁלַח֙ יָֽדְךָ֔ וֶאֱחֹ֖ז בִּזְנָבֹ֑ו וַיִּשְׁלַ֤ח יָדֹו֙ וַיַּ֣חֲזֶק בֹּ֔ו וַיְהִ֥י לְמַטֶּ֖ה בְּכַפֹּֽו׃ 4
तब यहोवा ने मूसा से कहा, “हाथ बढ़ाकर उसकी पूँछ पकड़ ले, ताकि वे लोग विश्वास करें कि तुम्हारे पूर्वजों के परमेश्वर अर्थात् अब्राहम के परमेश्वर, इसहाक के परमेश्वर, और याकूब के परमेश्वर, यहोवा ने तुझको दर्शन दिया है।”
לְמַ֣עַן יַאֲמִ֔ינוּ כִּֽי־נִרְאָ֥ה אֵלֶ֛יךָ יְהוָ֖ה אֱלֹהֵ֣י אֲבֹתָ֑ם אֱלֹהֵ֧י אַבְרָהָ֛ם אֱלֹהֵ֥י יִצְחָ֖ק וֵאלֹהֵ֥י יַעֲקֹֽב׃ 5
जब उसने हाथ बढ़ाकर उसको पकड़ा तब वह उसके हाथ में फिर लाठी बन गई।
וַיֹּאמֶר֩ יְהוָ֨ה לֹ֜ו עֹ֗וד הָֽבֵא־נָ֤א יָֽדְךָ֙ בְּחֵיקֶ֔ךָ וַיָּבֵ֥א יָדֹ֖ו בְּחֵיקֹ֑ו וַיֹּ֣וצִאָ֔הּ וְהִנֵּ֥ה יָדֹ֖ו מְצֹרַ֥עַת כַּשָּֽׁלֶג׃ 6
फिर यहोवा ने उससे यह भी कहा, “अपना हाथ छाती पर रखकर ढाँप।” अतः उसने अपना हाथ छाती पर रखकर ढाँप लिया; फिर जब उसे निकाला तब क्या देखा, कि उसका हाथ कोढ़ के कारण हिम के समान श्वेत हो गया है।
וַיֹּ֗אמֶר הָשֵׁ֤ב יָֽדְךָ֙ אֶל־חֵיקֶ֔ךָ וַיָּ֥שֶׁב יָדֹ֖ו אֶל־חֵיקֹ֑ו וַיֹּֽוצִאָהּ֙ מֵֽחֵיקֹ֔ו וְהִנֵּה־שָׁ֖בָה כִּבְשָׂרֹֽו׃ 7
तब उसने कहा, “अपना हाथ छाती पर फिर रखकर ढाँप।” और उसने अपना हाथ छाती पर रखकर ढाँप लिया; और जब उसने उसको छाती पर से निकाला तब क्या देखता है कि वह फिर सारी देह के समान हो गया।
וְהָיָה֙ אִם־לֹ֣א יַאֲמִ֣ינוּ לָ֔ךְ וְלֹ֣א יִשְׁמְע֔וּ לְקֹ֖ל הָאֹ֣ת הָרִאשֹׁ֑ון וְהֶֽאֱמִ֔ינוּ לְקֹ֖ל הָאֹ֥ת הָאַחֲרֹֽון׃ 8
तब यहोवा ने कहा, “यदि वे तेरी बात पर विश्वास न करें, और पहले चिन्ह को न मानें, तो दूसरे चिन्ह पर विश्वास करेंगे।
וְהָיָ֡ה אִם־לֹ֣א יַאֲמִ֡ינוּ גַּם֩ לִשְׁנֵ֨י הָאֹתֹ֜ות הָאֵ֗לֶּה וְלֹ֤א יִשְׁמְעוּן֙ לְקֹלֶ֔ךָ וְלָקַחְתָּ֙ מִמֵּימֵ֣י הַיְאֹ֔ר וְשָׁפַכְתָּ֖ הַיַּבָּשָׁ֑ה וְהָי֤וּ הַמַּ֙יִם֙ אֲשֶׁ֣ר תִּקַּ֣ח מִן־הַיְאֹ֔ר וְהָי֥וּ לְדָ֖ם בַּיַּבָּֽשֶׁת׃ 9
और यदि वे इन दोनों चिन्हों पर विश्वास न करें और तेरी बात को न मानें, तब तू नील नदी से कुछ जल लेकर सूखी भूमि पर डालना; और जो जल तू नदी से निकालेगा वह सूखी भूमि पर लहू बन जाएगा।”
וַיֹּ֨אמֶר מֹשֶׁ֣ה אֶל־יְהוָה֮ בִּ֣י אֲדֹנָי֒ לֹא֩ אִ֨ישׁ דְּבָרִ֜ים אָנֹ֗כִי גַּ֤ם מִתְּמֹול֙ גַּ֣ם מִשִּׁלְשֹׁ֔ם גַּ֛ם מֵאָ֥ז דַּבֶּרְךָ אֶל־עַבְדֶּ֑ךָ כִּ֧י כְבַד־פֶּ֛ה וּכְבַ֥ד לָשֹׁ֖ון אָנֹֽכִי׃ 10
१०मूसा ने यहोवा से कहा, “हे मेरे प्रभु, मैं बोलने में निपुण नहीं, न तो पहले था, और न जब से तू अपने दास से बातें करने लगा; मैं तो मुँह और जीभ का भद्दा हूँ।”
וַיֹּ֨אמֶר יְהוָ֜ה אֵלָ֗יו מִ֣י שָׂ֣ם פֶּה֮ לָֽאָדָם֒ אֹ֚ו מִֽי־יָשׂ֣וּם אִלֵּ֔ם אֹ֣ו חֵרֵ֔שׁ אֹ֥ו פִקֵּ֖חַ אֹ֣ו עִוֵּ֑ר הֲלֹ֥א אָנֹכִ֖י יְהוָֽה׃ 11
११यहोवा ने उससे कहा, “मनुष्य का मुँह किसने बनाया है? और मनुष्य को गूँगा, या बहरा, या देखनेवाला, या अंधा, मुझ यहोवा को छोड़ कौन बनाता है?
וְעַתָּ֖ה לֵ֑ךְ וְאָנֹכִי֙ אֶֽהְיֶ֣ה עִם־פִּ֔יךָ וְהֹורֵיתִ֖יךָ אֲשֶׁ֥ר תְּדַבֵּֽר׃ 12
१२अब जा, मैं तेरे मुख के संग होकर जो तुझे कहना होगा वह तुझे सिखाता जाऊँगा।”
וַיֹּ֖אמֶר בִּ֣י אֲדֹנָ֑י שְֽׁלַֽח־נָ֖א בְּיַד־תִּשְׁלָֽח׃ 13
१३उसने कहा, “हे मेरे प्रभु, कृपया तू किसी अन्य व्यक्ति को भेज।”
וַיִּֽחַר־אַ֨ף יְהוָ֜ה בְּמֹשֶׁ֗ה וַיֹּ֙אמֶר֙ הֲלֹ֨א אַהֲרֹ֤ן אָחִ֙יךָ֙ הַלֵּוִ֔י יָדַ֕עְתִּי כִּֽי־דַבֵּ֥ר יְדַבֵּ֖ר ה֑וּא וְגַ֤ם הִנֵּה־הוּא֙ יֹצֵ֣א לִקְרָאתֶ֔ךָ וְרָאֲךָ֖ וְשָׂמַ֥ח בְּלִבֹּֽו׃ 14
१४तब यहोवा का कोप मूसा पर भड़का और उसने कहा, “क्या तेरा भाई लेवीय हारून नहीं है? मुझे तो निश्चय है कि वह बोलने में निपुण है, और वह तुझ से भेंट करने के लिये निकल भी गया है, और तुझे देखकर मन में आनन्दित होगा।
וְדִבַּרְתָּ֣ אֵלָ֔יו וְשַׂמְתָּ֥ אֶת־הַדְּבָרִ֖ים בְּפִ֑יו וְאָנֹכִ֗י אֶֽהְיֶ֤ה עִם־פִּ֙יךָ֙ וְעִם־פִּ֔יהוּ וְהֹורֵיתִ֣י אֶתְכֶ֔ם אֵ֖ת אֲשֶׁ֥ר תַּעֲשֽׂוּן׃ 15
१५इसलिए तू उसे ये बातें सिखाना; और मैं उसके मुख के संग और तेरे मुख के संग होकर जो कुछ तुम्हें करना होगा वह तुम को सिखाता जाऊँगा।
וְדִבֶּר־ה֥וּא לְךָ֖ אֶל־הָעָ֑ם וְהָ֤יָה הוּא֙ יִֽהְיֶה־לְּךָ֣ לְפֶ֔ה וְאַתָּ֖ה תִּֽהְיֶה־לֹּ֥ו לֵֽאלֹהִֽים׃ 16
१६वह तेरी ओर से लोगों से बातें किया करेगा; वह तेरे लिये मुँह और तू उसके लिये परमेश्वर ठहरेगा।
וְאֶת־הַמַּטֶּ֥ה הַזֶּ֖ה תִּקַּ֣ח בְּיָדֶ֑ךָ אֲשֶׁ֥ר תַּעֲשֶׂה־בֹּ֖ו אֶת־הָאֹתֹֽת׃ פ 17
१७और तू इस लाठी को हाथ में लिए जा, और इसी से इन चिन्हों को दिखाना।”
וַיֵּ֨לֶךְ מֹשֶׁ֜ה וַיָּ֣שָׁב ׀ אֶל־יֶ֣תֶר חֹֽתְנֹ֗ו וַיֹּ֤אמֶר לֹו֙ אֵ֣לְכָה נָּ֗א וְאָשׁ֙וּבָה֙ אֶל־אַחַ֣י אֲשֶׁר־בְּמִצְרַ֔יִם וְאֶרְאֶ֖ה הַעֹודָ֣ם חַיִּ֑ים וַיֹּ֧אמֶר יִתְרֹ֛ו לְמֹשֶׁ֖ה לֵ֥ךְ לְשָׁלֹֽום׃ 18
१८तब मूसा अपने ससुर यित्रो के पास लौटा और उससे कहा, “मुझे विदा कर, कि मैं मिस्र में रहनेवाले अपने भाइयों के पास जाकर देखूँ कि वे अब तक जीवित हैं या नहीं।” यित्रो ने कहा, “कुशल से जा।”
וַיֹּ֨אמֶר יְהוָ֤ה אֶל־מֹשֶׁה֙ בְּמִדְיָ֔ן לֵ֖ךְ שֻׁ֣ב מִצְרָ֑יִם כִּי־מֵ֙תוּ֙ כָּל־הָ֣אֲנָשִׁ֔ים הַֽמְבַקְשִׁ֖ים אֶת־נַפְשֶֽׁךָ׃ 19
१९और यहोवा ने मिद्यान देश में मूसा से कहा, “मिस्र को लौट जा; क्योंकि जो मनुष्य तेरे प्राण के प्यासे थे वे सब मर गए हैं।”
וַיִּקַּ֨ח מֹשֶׁ֜ה אֶת־אִשְׁתֹּ֣ו וְאֶת־בָּנָ֗יו וַיַּרְכִּבֵם֙ עַֽל־הַחֲמֹ֔ר וַיָּ֖שָׁב אַ֣רְצָה מִצְרָ֑יִם וַיִּקַּ֥ח מֹשֶׁ֛ה אֶת־מַטֵּ֥ה הָאֱלֹהִ֖ים בְּיָדֹֽו׃ 20
२०तब मूसा अपनी पत्नी और बेटों को गदहे पर चढ़ाकर मिस्र देश की ओर परमेश्वर की उस लाठी को हाथ में लिये हुए लौटा।
וַיֹּ֣אמֶר יְהוָה֮ אֶל־מֹשֶׁה֒ בְּלֶכְתְּךָ֙ לָשׁ֣וּב מִצְרַ֔יְמָה רְאֵ֗ה כָּל־הַמֹּֽפְתִים֙ אֲשֶׁר־שַׂ֣מְתִּי בְיָדֶ֔ךָ וַעֲשִׂיתָ֖ם לִפְנֵ֣י פַרְעֹ֑ה וַאֲנִי֙ אֲחַזֵּ֣ק אֶת־לִבֹּ֔ו וְלֹ֥א יְשַׁלַּ֖ח אֶת־הָעָֽם׃ 21
२१और यहोवा ने मूसा से कहा, “जब तू मिस्र में पहुँचे तब सावधान हो जाना, और जो चमत्कार मैंने तेरे वश में किए हैं उन सभी को फ़िरौन को दिखलाना; परन्तु मैं उसके मन को हठीला करूँगा, और वह मेरी प्रजा को जाने न देगा।
וְאָמַרְתָּ֖ אֶל־פַּרְעֹ֑ה כֹּ֚ה אָמַ֣ר יְהוָ֔ה בְּנִ֥י בְכֹרִ֖י יִשְׂרָאֵֽל׃ 22
२२और तू फ़िरौन से कहना, ‘यहोवा यह कहता है, कि इस्राएल मेरा पुत्र वरन् मेरा पहलौठा है,
וָאֹמַ֣ר אֵלֶ֗יךָ שַׁלַּ֤ח אֶת־בְּנִי֙ וְיַֽעַבְדֵ֔נִי וַתְּמָאֵ֖ן לְשַׁלְּחֹ֑ו הִנֵּה֙ אָנֹכִ֣י הֹרֵ֔ג אֶת־בִּנְךָ֖ בְּכֹרֶֽךָ׃ 23
२३और मैं जो तुझ से कह चुका हूँ, कि मेरे पुत्र को जाने दे कि वह मेरी सेवा करे; और तूने अब तक उसे जाने नहीं दिया, इस कारण मैं अब तेरे पुत्र वरन् तेरे पहलौठे को घात करूँगा।’”
וַיְהִ֥י בַדֶּ֖רֶךְ בַּמָּלֹ֑ון וַיִּפְגְּשֵׁ֣הוּ יְהוָ֔ה וַיְבַקֵּ֖שׁ הֲמִיתֹֽו׃ 24
२४तब ऐसा हुआ कि मार्ग पर सराय में यहोवा ने मूसा से भेंट करके उसे मार डालना चाहा।
וַתִּקַּ֨ח צִפֹּרָ֜ה צֹ֗ר וַתִּכְרֹת֙ אֶת־עָרְלַ֣ת בְּנָ֔הּ וַתַּגַּ֖ע לְרַגְלָ֑יו וַתֹּ֕אמֶר כִּ֧י חֲתַן־דָּמִ֛ים אַתָּ֖ה לִֽי׃ 25
२५तब सिप्पोरा ने एक तेज चकमक पत्थर लेकर अपने बेटे की खलड़ी को काट डाला, और मूसा के पाँवों पर यह कहकर फेंक दिया, “निश्चय तू लहू बहानेवाला मेरा पति है।”
וַיִּ֖רֶף מִמֶּ֑נּוּ אָ֚ז אָֽמְרָ֔ה חֲתַ֥ן דָּמִ֖ים לַמּוּלֹֽת׃ פ 26
२६तब उसने उसको छोड़ दिया। और उसी समय खतने के कारण वह बोली, “तू लहू बहानेवाला पति है।”
וַיֹּ֤אמֶר יְהוָה֙ אֶֽל־אַהֲרֹ֔ן לֵ֛ךְ לִקְרַ֥את מֹשֶׁ֖ה הַמִּדְבָּ֑רָה וַיֵּ֗לֶךְ וַֽיִּפְגְּשֵׁ֛הוּ בְּהַ֥ר הָאֱלֹהִ֖ים וַיִּשַּׁק־לֹֽו׃ 27
२७तब यहोवा ने हारून से कहा, “मूसा से भेंट करने को जंगल में जा।” और वह गया, और परमेश्वर के पर्वत पर उससे मिला और उसको चूमा।
וַיַּגֵּ֤ד מֹשֶׁה֙ לְאַֽהֲרֹ֔ן אֵ֛ת כָּל־דִּבְרֵ֥י יְהוָ֖ה אֲשֶׁ֣ר שְׁלָחֹ֑ו וְאֵ֥ת כָּל־הָאֹתֹ֖ת אֲשֶׁ֥ר צִוָּֽהוּ׃ 28
२८तब मूसा ने हारून को यह बताया कि यहोवा ने क्या-क्या बातें कहकर उसको भेजा है, और कौन-कौन से चिन्ह दिखलाने की आज्ञा उसे दी है।
וַיֵּ֥לֶךְ מֹשֶׁ֖ה וְאַהֲרֹ֑ן וַיַּ֣אַסְפ֔וּ אֶת־כָּל־זִקְנֵ֖י בְּנֵ֥י יִשְׂרָאֵֽל׃ 29
२९तब मूसा और हारून ने जाकर इस्राएलियों के सब पुरनियों को इकट्ठा किया।
וַיְדַבֵּ֣ר אַהֲרֹ֔ן אֵ֚ת כָּל־הַדְּבָרִ֔ים אֲשֶׁר־דִּבֶּ֥ר יְהוָ֖ה אֶל־מֹשֶׁ֑ה וַיַּ֥עַשׂ הָאֹתֹ֖ת לְעֵינֵ֥י הָעָֽם׃ 30
३०और जितनी बातें यहोवा ने मूसा से कही थीं वह सब हारून ने उन्हें सुनाई, और लोगों के सामने वे चिन्ह भी दिखलाए।
וַֽיַּאֲמֵ֖ן הָעָ֑ם וַֽיִּשְׁמְע֡וּ כִּֽי־פָקַ֨ד יְהוָ֜ה אֶת־בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֗ל וְכִ֤י רָאָה֙ אֶת־עָנְיָ֔ם וַֽיִּקְּד֖וּ וַיִּֽשְׁתַּחֲוּֽוּ׃ 31
३१और लोगों ने उन पर विश्वास किया; और यह सुनकर कि यहोवा ने इस्राएलियों की सुधि ली और उनके दुःखों पर दृष्टि की है, उन्होंने सिर झुकाकर दण्डवत् किया।

< שְׁמֹות 4 >