< דְּבָרִים 4 >

וְעַתָּ֣ה יִשְׂרָאֵ֗ל שְׁמַ֤ע אֶל־הַֽחֻקִּים֙ וְאֶל־הַמִּשְׁפָּטִ֔ים אֲשֶׁ֧ר אָֽנֹכִ֛י מְלַמֵּ֥ד אֶתְכֶ֖ם לַעֲשֹׂ֑ות לְמַ֣עַן תִּֽחְי֗וּ וּבָאתֶם֙ וִֽירִשְׁתֶּ֣ם אֶת־הָאָ֔רֶץ אֲשֶׁ֧ר יְהוָ֛ה אֱלֹהֵ֥י אֲבֹתֵיכֶ֖ם נֹתֵ֥ן לָכֶֽם׃ 1
“अब, हे इस्राएल, जो-जो विधि और नियम मैं तुम्हें सिखाना चाहता हूँ उन्हें सुन लो, और उन पर चलो; जिससे तुम जीवित रहो, और जो देश तुम्हारे पितरों का परमेश्वर यहोवा तुम्हें देता है उसमें जाकर उसके अधिकारी हो जाओ।
לֹ֣א תֹסִ֗פוּ עַל־הַדָּבָר֙ אֲשֶׁ֤ר אָנֹכִי֙ מְצַוֶּ֣ה אֶתְכֶ֔ם וְלֹ֥א תִגְרְע֖וּ מִמֶּ֑נּוּ לִשְׁמֹ֗ר אֶת־מִצְוֹת֙ יְהוָ֣ה אֱלֹֽהֵיכֶ֔ם אֲשֶׁ֥ר אָנֹכִ֖י מְצַוֶּ֥ה אֶתְכֶֽם׃ 2
जो आज्ञा मैं तुम को सुनाता हूँ उसमें न तो कुछ बढ़ाना, और न कुछ घटाना; तुम्हारे परमेश्वर यहोवा की जो-जो आज्ञा मैं तुम्हें सुनाता हूँ उन्हें तुम मानना
עֵֽינֵיכֶם֙ הָֽרֹאֹ֔ת אֵ֛ת אֲשֶׁר־עָשָׂ֥ה יְהוָ֖ה בְּבַ֣עַל פְּעֹ֑ור כִּ֣י כָל־הָאִ֗ישׁ אֲשֶׁ֤ר הָלַךְ֙ אַחֲרֵ֣י בַֽעַל־פְּעֹ֔ור הִשְׁמִידֹ֛ו יְהוָ֥ה אֱלֹהֶ֖יךָ מִקִּרְבֶּֽךָ׃ 3
तुम ने तो अपनी आँखों से देखा है कि बालपोर के कारण यहोवा ने क्या-क्या किया; अर्थात् जितने मनुष्य बालपोर के पीछे हो लिये थे उन सभी को तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने तुम्हारे बीच में से सत्यानाश कर डाला;
וְאַתֶּם֙ הַדְּבֵקִ֔ים בַּיהוָ֖ה אֱלֹהֵיכֶ֑ם חַיִּ֥ים כֻּלְּכֶ֖ם הַיֹּֽום׃ 4
परन्तु तुम जो अपने परमेश्वर यहोवा के साथ लिपटे रहे हो सब के सब आज तक जीवित हो।
רְאֵ֣ה ׀ לִמַּ֣דְתִּי אֶתְכֶ֗ם חֻקִּים֙ וּמִשְׁפָּטִ֔ים כַּאֲשֶׁ֥ר צִוַּ֖נִי יְהוָ֣ה אֱלֹהָ֑י לַעֲשֹׂ֣ות כֵּ֔ן בְּקֶ֣רֶב הָאָ֔רֶץ אֲשֶׁ֥ר אַתֶּ֛ם בָּאִ֥ים שָׁ֖מָּה לְרִשְׁתָּֽהּ׃ 5
सुनो, मैंने तो अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञा के अनुसार तुम्हें विधि और नियम सिखाए हैं, कि जिस देश के अधिकारी होने जाते हो उसमें तुम उनके अनुसार चलो।
וּשְׁמַרְתֶּם֮ וַעֲשִׂיתֶם֒ כִּ֣י הִ֤וא חָכְמַתְכֶם֙ וּבִ֣ינַתְכֶ֔ם לְעֵינֵ֖י הָעַמִּ֑ים אֲשֶׁ֣ר יִשְׁמְע֗וּן אֵ֚ת כָּל־הַחֻקִּ֣ים הָאֵ֔לֶּה וְאָמְר֗וּ רַ֚ק עַם־חָכָ֣ם וְנָבֹ֔ון הַגֹּ֥וי הַגָּדֹ֖ול הַזֶּֽה׃ 6
इसलिए तुम उनको धारण करना और मानना; क्योंकि और देशों के लोगों के सामने तुम्हारी बुद्धि और समझ इसी से प्रगट होगी, अर्थात् वे इन सब विधियों को सुनकर कहेंगे, कि निश्चय यह बड़ी जाति बुद्धिमान और समझदार है।
כִּ֚י מִי־גֹ֣וי גָּדֹ֔ול אֲשֶׁר־לֹ֥ו אֱלֹהִ֖ים קְרֹבִ֣ים אֵלָ֑יו כַּיהוָ֣ה אֱלֹהֵ֔ינוּ בְּכָל־קָרְאֵ֖נוּ אֵלָֽיו׃ 7
देखो, कौन ऐसी बड़ी जाति है जिसका देवता उसके ऐसे समीप रहता हो जैसा हमारा परमेश्वर यहोवा, जब भी हम उसको पुकारते हैं?
וּמִי֙ גֹּ֣וי גָּדֹ֔ול אֲשֶׁר־לֹ֛ו חֻקִּ֥ים וּמִשְׁפָּטִ֖ים צַדִּיקִ֑ם כְּכֹל֙ הַתֹּורָ֣ה הַזֹּ֔את אֲשֶׁ֧ר אָנֹכִ֛י נֹתֵ֥ן לִפְנֵיכֶ֖ם הַיֹּֽום׃ 8
फिर कौन ऐसी बड़ी जाति है जिसके पास ऐसी धर्ममय विधि और नियम हों, जैसी कि यह सारी व्यवस्था जिसे मैं आज तुम्हारे सामने रखता हूँ?
רַ֡ק הִשָּׁ֣מֶר לְךָ֩ וּשְׁמֹ֨ר נַפְשְׁךָ֜ מְאֹ֗ד פֶּן־תִּשְׁכַּ֨ח אֶת־הַדְּבָרִ֜ים אֲשֶׁר־רָא֣וּ עֵינֶ֗יךָ וּפֶן־יָס֙וּרוּ֙ מִלְּבָ֣בְךָ֔ כֹּ֖ל יְמֵ֣י חַיֶּ֑יךָ וְהֹודַעְתָּ֥ם לְבָנֶ֖יךָ וְלִבְנֵ֥י בָנֶֽיךָ׃ 9
“यह अत्यन्त आवश्यक है कि तुम अपने विषय में सचेत रहो, और अपने मन की बड़ी चौकसी करो, कहीं ऐसा न हो कि जो-जो बातें तुम ने अपनी आँखों से देखीं उनको भूल जाओ, और वह जीवन भर के लिये तुम्हारे मन से जाती रहें; किन्तु तुम उन्हें अपने बेटों पोतों को सिखाना।
יֹ֗ום אֲשֶׁ֨ר עָמַ֜דְתָּ לִפְנֵ֨י יְהוָ֣ה אֱלֹהֶיךָ֮ בְּחֹרֵב֒ בֶּאֱמֹ֨ר יְהוָ֜ה אֵלַ֗י הַקְהֶל־לִי֙ אֶת־הָעָ֔ם וְאַשְׁמִעֵ֖ם אֶת־דְּבָרָ֑י אֲשֶׁ֨ר יִלְמְד֜וּן לְיִרְאָ֣ה אֹתִ֗י כָּל־הַיָּמִים֙ אֲשֶׁ֨ר הֵ֤ם חַיִּים֙ עַל־הָ֣אֲדָמָ֔ה וְאֶת־בְּנֵיהֶ֖ם יְלַמֵּדֽוּן׃ 10
१०विशेष करके उस दिन की बातें जिसमें तुम होरेब के पास अपने परमेश्वर यहोवा के सामने खड़े थे, जब यहोवा ने मुझसे कहा था, ‘उन लोगों को मेरे पास इकट्ठा कर कि मैं उन्हें अपने वचन सुनाऊँ, जिससे वे सीखें, ताकि जितने दिन वे पृथ्वी पर जीवित रहें उतने दिन मेरा भय मानते रहें, और अपने बाल-बच्चों को भी यही सिखाएँ।’
וַתִּקְרְב֥וּן וַתַּֽעַמְד֖וּן תַּ֣חַת הָהָ֑ר וְהָהָ֞ר בֹּעֵ֤ר בָּאֵשׁ֙ עַד־לֵ֣ב הַשָּׁמַ֔יִם חֹ֖שֶׁךְ עָנָ֥ן וַעֲרָפֶֽל׃ 11
११तब तुम समीप जाकर उस पर्वत के नीचे खड़े हुए, और वह पहाड़ आग से धधक रहा था, और उसकी लौ आकाश तक पहुँचती थी, और उसके चारों ओर अंधियारा और बादल, और घोर अंधकार छाया हुआ था।
וַיְדַבֵּ֧ר יְהוָ֛ה אֲלֵיכֶ֖ם מִתֹּ֣וךְ הָאֵ֑שׁ קֹ֤ול דְּבָרִים֙ אַתֶּ֣ם שֹׁמְעִ֔ים וּתְמוּנָ֛ה אֵינְכֶ֥ם רֹאִ֖ים זוּלָתִ֥י קֹֽול׃ 12
१२तब यहोवा ने उस आग के बीच में से तुम से बातें की; बातों का शब्द तो तुम को सुनाई पड़ा, परन्तु कोई रूप न देखा; केवल शब्द ही शब्द सुन पड़ा।
וַיַּגֵּ֨ד לָכֶ֜ם אֶת־בְּרִיתֹ֗ו אֲשֶׁ֨ר צִוָּ֤ה אֶתְכֶם֙ לַעֲשֹׂ֔ות עֲשֶׂ֖רֶת הַדְּבָרִ֑ים וַֽיִּכְתְּבֵ֔ם עַל־שְׁנֵ֖י לֻחֹ֥ות אֲבָנִֽים׃ 13
१३और उसने तुम को अपनी वाचा के दसों वचन बताकर उनके मानने की आज्ञा दी; और उन्हें पत्थर की दो पटियाओं पर लिख दिया।
וְאֹתִ֞י צִוָּ֤ה יְהוָה֙ בָּעֵ֣ת הַהִ֔וא לְלַמֵּ֣ד אֶתְכֶ֔ם חֻקִּ֖ים וּמִשְׁפָּטִ֑ים לַעֲשֹׂתְכֶ֣ם אֹתָ֔ם בָּאָ֕רֶץ אֲשֶׁ֥ר אַתֶּ֛ם עֹבְרִ֥ים שָׁ֖מָּה לְרִשְׁתָּֽהּ׃ 14
१४और मुझ को यहोवा ने उसी समय तुम्हें विधि और नियम सिखाने की आज्ञा दी, इसलिए कि जिस देश के अधिकारी होने को तुम पार जाने पर हो उसमें तुम उनको माना करो।
וְנִשְׁמַרְתֶּ֥ם מְאֹ֖ד לְנַפְשֹׁתֵיכֶ֑ם כִּ֣י לֹ֤א רְאִיתֶם֙ כָּל־תְּמוּנָ֔ה בְּיֹ֗ום דִּבֶּ֨ר יְהוָ֧ה אֲלֵיכֶ֛ם בְּחֹרֵ֖ב מִתֹּ֥וךְ הָאֵֽשׁ׃ 15
१५“इसलिए तुम अपने विषय में बहुत सावधान रहना। क्योंकि जब यहोवा ने तुम से होरेब पर्वत पर आग के बीच में से बातें की, तब तुम को कोई रूप न दिखाई पड़ा,
פֶּ֨ן־תַּשְׁחִת֔וּן וַעֲשִׂיתֶ֥ם לָכֶ֛ם פֶּ֖סֶל תְּמוּנַ֣ת כָּל־סָ֑מֶל תַּבְנִ֥ית זָכָ֖ר אֹ֥ו נְקֵבָֽה׃ 16
१६कहीं ऐसा न हो कि तुम बिगड़कर चाहे पुरुष चाहे स्त्री के,
תַּבְנִ֕ית כָּל־בְּהֵמָ֖ה אֲשֶׁ֣ר בָּאָ֑רֶץ תַּבְנִית֙ כָּל־צִפֹּ֣ור כָּנָ֔ף אֲשֶׁ֥ר תָּע֖וּף בַּשָּׁמָֽיִם׃ 17
१७चाहे पृथ्वी पर चलनेवाले किसी पशु, चाहे आकाश में उड़नेवाले किसी पक्षी के।
תַּבְנִ֕ית כָּל־רֹמֵ֖שׂ בָּאֲדָמָ֑ה תַּבְנִ֛ית כָּל־דָּגָ֥ה אֲשֶׁר־בַּמַּ֖יִם מִתַּ֥חַת לָאָֽרֶץ׃ 18
१८“चाहे भूमि पर रेंगनेवाले किसी जन्तु, चाहे पृथ्वी के जल में रहनेवाली किसी मछली के रूप की कोई मूर्ति खोदकर बना लो,
וּפֶן־תִּשָּׂ֨א עֵינֶ֜יךָ הַשָּׁמַ֗יְמָה וְֽ֠רָאִיתָ אֶת־הַשֶּׁ֨מֶשׁ וְאֶת־הַיָּרֵ֜חַ וְאֶת־הַכֹּֽוכָבִ֗ים כֹּ֚ל צְבָ֣א הַשָּׁמַ֔יִם וְנִדַּחְתָּ֛ וְהִשְׁתַּחֲוִ֥יתָ לָהֶ֖ם וַעֲבַדְתָּ֑ם אֲשֶׁ֨ר חָלַ֜ק יְהוָ֤ה אֱלֹהֶ֙יךָ֙ אֹתָ֔ם לְכֹל֙ הָֽעַמִּ֔ים תַּ֖חַת כָּל־הַשָּׁמָֽיִם׃ 19
१९या जब तुम आकाश की ओर आँखें उठाकर, सूर्य, चन्द्रमा, और तारों को, अर्थात् आकाश का सारा तारागण देखो, तब बहक कर उन्हें दण्डवत् करके उनकी सेवा करने लगो, जिनको तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने धरती पर के सब देशवालों के लिये रखा है।
וְאֶתְכֶם֙ לָקַ֣ח יְהוָ֔ה וַיֹּוצִ֥א אֶתְכֶ֛ם מִכּ֥וּר הַבַּרְזֶ֖ל מִמִּצְרָ֑יִם לִהְיֹ֥ות לֹ֛ו לְעַ֥ם נַחֲלָ֖ה כַּיֹּ֥ום הַזֶּֽה׃ 20
२०और तुम को यहोवा लोहे के भट्ठे के सरीखे मिस्र देश से निकाल ले आया है, इसलिए कि तुम उसका प्रजारूपी निज भाग ठहरो, जैसा आज प्रगट है।
וַֽיהוָ֥ה הִתְאַנֶּף־בִּ֖י עַל־דִּבְרֵיכֶ֑ם וַיִּשָּׁבַ֗ע לְבִלְתִּ֤י עָבְרִי֙ אֶת־הַיַּרְדֵּ֔ן וּלְבִלְתִּי־בֹא֙ אֶל־הָאָ֣רֶץ הַטֹּובָ֔ה אֲשֶׁר֙ יְהוָ֣ה אֱלֹהֶ֔יךָ נֹתֵ֥ן לְךָ֖ נַחֲלָֽה׃ 21
२१फिर तुम्हारे कारण यहोवा ने मुझसे क्रोध करके यह शपथ खाई, ‘तू यरदन पार जाने न पाएगा, और जो उत्तम देश इस्राएलियों का परमेश्वर यहोवा उन्हें उनका निज भाग करके देता है, उसमें तू प्रवेश करने न पाएगा।’
כִּ֣י אָנֹכִ֥י מֵת֙ בָּאָ֣רֶץ הַזֹּ֔את אֵינֶ֥נִּי עֹבֵ֖ר אֶת־הַיַּרְדֵּ֑ן וְאַתֶּם֙ עֹֽבְרִ֔ים וִֽירִשְׁתֶּ֕ם אֶת־הָאָ֥רֶץ הַטֹּובָ֖ה הַזֹּֽאת׃ 22
२२किन्तु मुझे इसी देश में मरना है, मैं तो यरदन पार नहीं जा सकता; परन्तु तुम पार जाकर उस उत्तम देश के अधिकारी हो जाओगे।
הִשָּׁמְר֣וּ לָכֶ֗ם פֶּֽן־תִּשְׁכְּחוּ֙ אֶת־בְּרִ֤ית יְהוָה֙ אֱלֹ֣הֵיכֶ֔ם אֲשֶׁ֥ר כָּרַ֖ת עִמָּכֶ֑ם וַעֲשִׂיתֶ֨ם לָכֶ֥ם פֶּ֙סֶל֙ תְּמ֣וּנַת כֹּ֔ל אֲשֶׁ֥ר צִוְּךָ֖ יְהוָ֥ה אֱלֹהֶֽיךָ׃ 23
२३इसलिए अपने विषय में तुम सावधान रहो, कहीं ऐसा न हो कि तुम उस वाचा को भूलकर, जो तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने तुम से बाँधी है, किसी और वस्तु की मूर्ति खोदकर बनाओ, जिसे तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने तुम को मना किया है।
כִּ֚י יְהוָ֣ה אֱלֹהֶ֔יךָ אֵ֥שׁ אֹכְלָ֖ה ה֑וּא אֵ֖ל קַנָּֽא׃ פ 24
२४क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा भस्म करनेवाली आग है; वह जलन रखनेवाला परमेश्वर है।
כִּֽי־תֹולִ֤יד בָּנִים֙ וּבְנֵ֣י בָנִ֔ים וְנֹושַׁנְתֶּ֖ם בָּאָ֑רֶץ וְהִשְׁחַתֶּ֗ם וַעֲשִׂ֤יתֶם פֶּ֙סֶל֙ תְּמ֣וּנַת כֹּ֔ל וַעֲשִׂיתֶ֥ם הָרַ֛ע בְּעֵינֵ֥י יְהוָֽה־אֱלֹהֶ֖יךָ לְהַכְעִיסֹֽו׃ 25
२५“यदि उस देश में रहते-रहते बहुत दिन बीत जाने पर, और अपने बेटे-पोते उत्पन्न होने पर, तुम बिगड़कर किसी वस्तु के रूप की मूर्ति खोदकर बनाओ, और इस रीति से अपने परमेश्वर यहोवा के प्रति बुराई करके उसे अप्रसन्न कर दो,
הַעִידֹתִי֩ בָכֶ֨ם הַיֹּ֜ום אֶת־הַשָּׁמַ֣יִם וְאֶת־הָאָ֗רֶץ כִּֽי־אָבֹ֣ד תֹּאבֵדוּן֮ מַהֵר֒ מֵעַ֣ל הָאָ֔רֶץ אֲשֶׁ֨ר אַתֶּ֜ם עֹבְרִ֧ים אֶת־הַיַּרְדֵּ֛ן שָׁ֖מָּה לְרִשְׁתָּ֑הּ לֹֽא־תַאֲרִיכֻ֤ן יָמִים֙ עָלֶ֔יהָ כִּ֥י הִשָּׁמֵ֖ד תִּשָּׁמֵדֽוּן׃ 26
२६तो मैं आज आकाश और पृथ्वी को तुम्हारे विरुद्ध साक्षी करके कहता हूँ, कि जिस देश के अधिकारी होने के लिये तुम यरदन पार जाने पर हो उसमें तुम जल्दी बिल्कुल नाश हो जाओगे; और बहुत दिन रहने न पाओगे, किन्तु पूरी रीति से नष्ट हो जाओगे।
וְהֵפִ֧יץ יְהוָ֛ה אֶתְכֶ֖ם בָּעַמִּ֑ים וְנִשְׁאַרְתֶּם֙ מְתֵ֣י מִסְפָּ֔ר בַּגֹּויִ֕ם אֲשֶׁ֨ר יְנַהֵ֧ג יְהוָ֛ה אֶתְכֶ֖ם שָֽׁמָּה׃ 27
२७और यहोवा तुम को देश-देश के लोगों में तितर-बितर करेगा, और जिन जातियों के बीच यहोवा तुम को पहुँचाएगा उनमें तुम थोड़े ही से रह जाओगे।
וַעֲבַדְתֶּם־שָׁ֣ם אֱלֹהִ֔ים מַעֲשֵׂ֖ה יְדֵ֣י אָדָ֑ם עֵ֣ץ וָאֶ֔בֶן אֲשֶׁ֤ר לֹֽא־יִרְאוּן֙ וְלֹ֣א יִשְׁמְע֔וּן וְלֹ֥א יֹֽאכְל֖וּן וְלֹ֥א יְרִיחֻֽן׃ 28
२८और वहाँ तुम मनुष्य के बनाए हुए लकड़ी और पत्थर के देवताओं की सेवा करोगे, जो न देखते, और न सुनते, और न खाते, और न सूँघते हैं।
וּבִקַּשְׁתֶּ֥ם מִשָּׁ֛ם אֶת־יְהוָ֥ה אֱלֹהֶ֖יךָ וּמָצָ֑אתָ כִּ֣י תִדְרְשֶׁ֔נּוּ בְּכָל־לְבָבְךָ֖ וּבְכָל־נַפְשֶֽׁךָ׃ 29
२९परन्तु वहाँ भी यदि तुम अपने परमेश्वर यहोवा को ढूँढ़ोगे, तो वह तुम को मिल जाएगा, शर्त यह है कि तुम अपने पूरे मन से और अपने सारे प्राण से उसे ढूँढ़ो।
בַּצַּ֣ר לְךָ֔ וּמְצָא֕וּךָ כֹּ֖ל הַדְּבָרִ֣ים הָאֵ֑לֶּה בְּאַחֲרִית֙ הַיָּמִ֔ים וְשַׁבְתָּ֙ עַד־יְהוָ֣ה אֱלֹהֶ֔יךָ וְשָׁמַעְתָּ֖ בְּקֹלֹֽו׃ 30
३०अन्त के दिनों में जब तुम संकट में पड़ो, और ये सब विपत्तियाँ तुम पर आ पड़ें, तब तुम अपने परमेश्वर यहोवा की ओर फिरो और उसकी मानना;
כִּ֣י אֵ֤ל רַחוּם֙ יְהוָ֣ה אֱלֹהֶ֔יךָ לֹ֥א יַרְפְּךָ֖ וְלֹ֣א יַשְׁחִיתֶ֑ךָ וְלֹ֤א יִשְׁכַּח֙ אֶת־בְּרִ֣ית אֲבֹתֶ֔יךָ אֲשֶׁ֥ר נִשְׁבַּ֖ע לָהֶֽם׃ 31
३१क्योंकि तेरा परमेश्वर यहोवा दयालु परमेश्वर है, वह तुम को न तो छोड़ेगा और न नष्ट करेगा, और जो वाचा उसने तेरे पितरों से शपथ खाकर बाँधी है उसको नहीं भूलेगा।
כִּ֣י שְׁאַל־נָא֩ לְיָמִ֨ים רִֽאשֹׁנִ֜ים אֲשֶׁר־הָי֣וּ לְפָנֶ֗יךָ לְמִן־הַיֹּום֙ אֲשֶׁר֩ בָּרָ֨א אֱלֹהִ֤ים ׀ אָדָם֙ עַל־הָאָ֔רֶץ וּלְמִקְצֵ֥ה הַשָּׁמַ֖יִם וְעַד־קְצֵ֣ה הַשָּׁמָ֑יִם הֲנִֽהְיָ֗ה כַּדָּבָ֤ר הַגָּדֹול֙ הַזֶּ֔ה אֹ֖ו הֲנִשְׁמַ֥ע כָּמֹֽהוּ׃ 32
३२“जब से परमेश्वर ने मनुष्य को उत्पन्न करके पृथ्वी पर रखा तब से लेकर तू अपने उत्पन्न होने के दिन तक की बातें पूछ, और आकाश के एक छोर से दूसरे छोर तक की बातें पूछ, क्या ऐसी बड़ी बात कभी हुई या सुनने में आई है?
הֲשָׁ֣מַֽע עָם֩ קֹ֨ול אֱלֹהִ֜ים מְדַבֵּ֧ר מִתֹּוךְ־הָאֵ֛שׁ כַּאֲשֶׁר־שָׁמַ֥עְתָּ אַתָּ֖ה וַיֶּֽחִי׃ 33
३३क्या कोई जाति कभी परमेश्वर की वाणी आग के बीच में से आती हुई सुनकर जीवित रही, जैसे कि तूने सुनी है?
אֹ֣ו ׀ הֲנִסָּ֣ה אֱלֹהִ֗ים לָ֠בֹוא לָקַ֨חַת לֹ֣ו גֹוי֮ מִקֶּ֣רֶב גֹּוי֒ בְּמַסֹּת֩ בְּאֹתֹ֨ת וּבְמֹופְתִ֜ים וּבְמִלְחָמָ֗ה וּבְיָ֤ד חֲזָקָה֙ וּבִזְרֹ֣ועַ נְטוּיָ֔ה וּבְמֹורָאִ֖ים גְּדֹלִ֑ים כְּ֠כֹל אֲשֶׁר־עָשָׂ֨ה לָכֶ֜ם יְהוָ֧ה אֱלֹהֵיכֶ֛ם בְּמִצְרַ֖יִם לְעֵינֶֽיךָ׃ 34
३४फिर क्या परमेश्वर ने और किसी जाति को दूसरी जाति के बीच से निकालने को कमर बाँधकर परीक्षा, और चिन्ह, और चमत्कार, और युद्ध, और बलवन्त हाथ, और बढ़ाई हुई भुजा से ऐसे बड़े भयानक काम किए, जैसे तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने मिस्र में तुम्हारे देखते किए?
אַתָּה֙ הָרְאֵ֣תָ לָדַ֔עַת כִּ֥י יְהוָ֖ה ה֣וּא הָאֱלֹהִ֑ים אֵ֥ין עֹ֖וד מִלְבַדֹּֽו׃ 35
३५यह सब तुझको दिखाया गया, इसलिए कि तू जान ले कि यहोवा ही परमेश्वर है; उसको छोड़ और कोई है ही नहीं।
מִן־הַשָּׁמַ֛יִם הִשְׁמִֽיעֲךָ֥ אֶת־קֹלֹ֖ו לְיַסְּרֶ֑ךָּ וְעַל־הָאָ֗רֶץ הֶרְאֲךָ֙ אֶת־אִשֹּׁ֣ו הַגְּדֹולָ֔ה וּדְבָרָ֥יו שָׁמַ֖עְתָּ מִתֹּ֥וךְ הָאֵֽשׁ׃ 36
३६आकाश में से उसने तुझे अपनी वाणी सुनाई कि तुझे शिक्षा दे; और पृथ्वी पर उसने तुझे अपनी बड़ी आग दिखाई, और उसके वचन आग के बीच में से आते हुए तुझे सुनाई पड़े।
וְתַ֗חַת כִּ֤י אָהַב֙ אֶת־אֲבֹתֶ֔יךָ וַיִּבְחַ֥ר בְּזַרְעֹ֖ו אַחֲרָ֑יו וַיֹּוצִֽאֲךָ֧ בְּפָנָ֛יו בְּכֹחֹ֥ו הַגָּדֹ֖ל מִמִּצְרָֽיִם׃ 37
३७और उसने जो तेरे पितरों से प्रेम रखा, इस कारण उनके पीछे उनके वंश को चुन लिया, और प्रत्यक्ष होकर तुझे अपने बड़े सामर्थ्य के द्वारा मिस्र से इसलिए निकाल लाया,
לְהֹורִ֗ישׁ גֹּויִ֛ם גְּדֹלִ֧ים וַעֲצֻמִ֛ים מִמְּךָ֖ מִפָּנֶ֑יךָ לַהֲבִֽיאֲךָ֗ לָֽתֶת־לְךָ֧ אֶת־אַרְצָ֛ם נַחֲלָ֖ה כַּיֹּ֥ום הַזֶּֽה׃ 38
३८कि तुझ से बड़ी और सामर्थी जातियों को तेरे आगे से निकालकर तुझे उनके देश में पहुँचाए, और उसे तेरा निज भागकर दे, जैसा आज के दिन दिखाई पड़ता है;
וְיָדַעְתָּ֣ הַיֹּ֗ום וַהֲשֵׁבֹתָ֮ אֶל־לְבָבֶךָ֒ כִּ֤י יְהוָה֙ ה֣וּא הָֽאֱלֹהִ֔ים בַּשָּׁמַ֣יִם מִמַּ֔עַל וְעַל־הָאָ֖רֶץ מִתָּ֑חַת אֵ֖ין עֹֽוד׃ 39
३९इसलिए आज जान ले, और अपने मन में सोच भी रख, कि ऊपर आकाश में और नीचे पृथ्वी पर यहोवा ही परमेश्वर है; और कोई दूसरा नहीं।
וְשָׁמַרְתָּ֞ אֶת־חֻקָּ֣יו וְאֶת־מִצְוֹתָ֗יו אֲשֶׁ֨ר אָנֹכִ֤י מְצַוְּךָ֙ הַיֹּ֔ום אֲשֶׁר֙ יִיטַ֣ב לְךָ֔ וּלְבָנֶ֖יךָ אַחֲרֶ֑יךָ וּלְמַ֨עַן תַּאֲרִ֤יךְ יָמִים֙ עַל־הָ֣אֲדָמָ֔ה אֲשֶׁ֨ר יְהוָ֧ה אֱלֹהֶ֛יךָ נֹתֵ֥ן לְךָ֖ כָּל־הַיָּמִֽים׃ פ 40
४०और तू उसकी विधियों और आज्ञाओं को जो मैं आज तुझे सुनाता हूँ मानना, इसलिए कि तेरा और तेरे पीछे तेरे वंश का भी भला हो, और जो देश तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है उसमें तेरे दिन बहुत वरन् सदा के लिये हों।”
אָ֣ז יַבְדִּ֤יל מֹשֶׁה֙ שָׁלֹ֣שׁ עָרִ֔ים בְּעֵ֖בֶר הַיַּרְדֵּ֑ן מִזְרְחָ֖ה שָֽׁמֶשׁ׃ 41
४१तब मूसा ने यरदन के पार पूर्व की ओर तीन नगर अलग किए,
לָנֻ֨ס שָׁ֜מָּה רֹוצֵ֗חַ אֲשֶׁ֨ר יִרְצַ֤ח אֶת־רֵעֵ֙הוּ֙ בִּבְלִי־דַ֔עַת וְה֛וּא לֹא־שֹׂנֵ֥א לֹ֖ו מִתְּמֹ֣ול שִׁלְשֹׁ֑ום וְנָ֗ס אֶל־אַחַ֛ת מִן־הֶעָרִ֥ים הָאֵ֖ל וָחָֽי׃ 42
४२इसलिए कि जो कोई बिना जाने और बिना पहले से बैर रखे अपने किसी भाई को मार डाले, वह उनमें से किसी नगर में भाग जाए, और भागकर जीवित रहे
אֶת־בֶּ֧צֶר בַּמִּדְבָּ֛ר בְּאֶ֥רֶץ הַמִּישֹׁ֖ר לָרֻֽאוּבֵנִ֑י וְאֶת־רָאמֹ֤ת בַּגִּלְעָד֙ לַגָּדִ֔י וְאֶת־גֹּולָ֥ן בַּבָּשָׁ֖ן לַֽמְנַשִּֽׁי׃ 43
४३अर्थात् रूबेनियों का बेसेर नगर जो जंगल के समथर देश में है, और गादियों के गिलाद का रामोत, और मनश्शेइयों के बाशान का गोलन।
וְזֹ֖את הַתֹּורָ֑ה אֲשֶׁר־שָׂ֣ם מֹשֶׁ֔ה לִפְנֵ֖י בְּנֵ֥י יִשְׂרָאֵֽל׃ 44
४४फिर जो व्यवस्था मूसा ने इस्राएलियों को दी वह यह है
אֵ֚לֶּה הָֽעֵדֹ֔ת וְהַֽחֻקִּ֖ים וְהַמִּשְׁפָּטִ֑ים אֲשֶׁ֨ר דִּבֶּ֤ר מֹשֶׁה֙ אֶל־בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל בְּצֵאתָ֖ם מִמִּצְרָֽיִם׃ 45
४५ये ही वे चेतावनियाँ और नियम हैं जिन्हें मूसा ने इस्राएलियों को उस समय कह सुनाया जब वे मिस्र से निकले थे,
בְּעֵ֨בֶר הַיַּרְדֵּ֜ן בַּגַּ֗יְא מ֚וּל בֵּ֣ית פְּעֹ֔ור בְּאֶ֗רֶץ סִיחֹן֙ מֶ֣לֶךְ הָֽאֱמֹרִ֔י אֲשֶׁ֥ר יֹושֵׁ֖ב בְּחֶשְׁבֹּ֑ון אֲשֶׁ֨ר הִכָּ֤ה מֹשֶׁה֙ וּבְנֵֽי יִשְׂרָאֵ֔ל בְּצֵאתָ֖ם מִמִּצְרָֽיִם׃ 46
४६अर्थात् यरदन के पार बेतपोर के सामने की तराई में, एमोरियों के राजा हेशबोनवासी सीहोन के देश में, जिस राजा को उन्होंने मिस्र से निकलने के बाद मारा।
וַיִּֽירְשׁ֨וּ אֶת־אַרְצֹ֜ו וְאֶת־אֶ֣רֶץ ׀ עֹ֣וג מֶֽלֶךְ־הַבָּשָׁ֗ן שְׁנֵי֙ מַלְכֵ֣י הָֽאֱמֹרִ֔י אֲשֶׁ֖ר בְּעֵ֣בֶר הַיַּרְדֵּ֑ן מִזְרַ֖ח שָֽׁמֶשׁ׃ 47
४७और उन्होंने उसके देश को, और बाशान के राजा ओग के देश को, अपने वश में कर लिया; यरदन के पार सूर्योदय की ओर रहनेवाले एमोरियों के राजाओं के ये देश थे।
מֵעֲרֹעֵ֞ר אֲשֶׁ֨ר עַל־שְׂפַת־נַ֧חַל אַרְנֹ֛ן וְעַד־הַ֥ר שִׂיאֹ֖ן ה֥וּא חֶרְמֹֽון׃ 48
४८यह देश अर्नोन के नाले के छोरवाले अरोएर से लेकर सिय्योन पर्वत, जो हेर्मोन भी कहलाता है,
וְכָל־הָ֨עֲרָבָ֜ה עֵ֤בֶר הַיַּרְדֵּן֙ מִזְרָ֔חָה וְעַ֖ד יָ֣ם הָעֲרָבָ֑ה תַּ֖חַת אַשְׁדֹּ֥ת הַפִּסְגָּֽה׃ פ 49
४९उस पर्वत तक का सारा देश, और पिसगा की ढलान के नीचे के अराबा के ताल तक, यरदन पार पूर्व की ओर का सारा अराबा है।

< דְּבָרִים 4 >