< דְּבָרִים 13 >

כִּֽי־יָק֤וּם בְּקִרְבְּךָ֙ נָבִ֔יא אֹ֖ו חֹלֵ֣ם חֲלֹ֑ום וְנָתַ֥ן אֵלֶ֛יךָ אֹ֖ות אֹ֥ו מֹופֵֽת׃ 1
“यदि तेरे बीच कोई भविष्यद्वक्ता या स्वप्न देखनेवाला प्रगट होकर तुझे कोई चिन्ह या चमत्कार दिखाए,
וּבָ֤א הָאֹות֙ וְהַמֹּופֵ֔ת אֲשֶׁר־דִּבֶּ֥ר אֵלֶ֖יךָ לֵאמֹ֑ר נֽ͏ֵלְכָ֞ה אַחֲרֵ֨י אֱלֹהִ֧ים אֲחֵרִ֛ים אֲשֶׁ֥ר לֹֽא־יְדַעְתָּ֖ם וְנָֽעָבְדֵֽם׃ 2
और जिस चिन्ह या चमत्कार को प्रमाण ठहराकर वह तुझ से कहे, ‘आओ हम पराए देवताओं के अनुयायी होकर, जिनसे तुम अब तक अनजान रहे, उनकी पूजा करें,’
לֹ֣א תִשְׁמַ֗ע אֶל־דִּבְרֵי֙ הַנָּבִ֣יא הַה֔וּא אֹ֛ו אֶל־חֹולֵ֥ם הַחֲלֹ֖ום הַה֑וּא כִּ֣י מְנַסֶּ֞ה יְהוָ֤ה אֱלֹֽהֵיכֶם֙ אֶתְכֶ֔ם לָדַ֗עַת הֲיִשְׁכֶ֤ם אֹֽהֲבִים֙ אֶת־יְהוָ֣ה אֱלֹהֵיכֶ֔ם בְּכָל־לְבַבְכֶ֖ם וּבְכָל־נַפְשְׁכֶֽם׃ 3
तब तुम उस भविष्यद्वक्ता या स्वप्न देखनेवाले के वचन पर कभी कान न रखना; क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हारी परीक्षा लेगा, जिससे यह जान ले, कि ये मुझसे अपने सारे मन और सारे प्राण के साथ प्रेम रखते हैं या नहीं?
אַחֲרֵ֨י יְהוָ֧ה אֱלֹהֵיכֶ֛ם תֵּלֵ֖כוּ וְאֹתֹ֣ו תִירָ֑אוּ וְאֶת־מִצְוֹתָ֤יו תִּשְׁמֹ֙רוּ֙ וּבְקֹלֹ֣ו תִשְׁמָ֔עוּ וְאֹתֹ֥ו תַעֲבֹ֖דוּ וּבֹ֥ו תִדְבָּקֽוּן׃ 4
तुम अपने परमेश्वर यहोवा के पीछे चलना, और उसका भय मानना, और उसकी आज्ञाओं पर चलना, और उसका वचन मानना, और उसकी सेवा करना, और उसी से लिपटे रहना।
וְהַנָּבִ֣יא הַה֡וּא אֹ֣ו חֹלֵם֩ הַחֲלֹ֨ום הַה֜וּא יוּמָ֗ת כִּ֣י דִבֶּר־סָ֠רָה עַל־יְהוָ֨ה אֱלֹֽהֵיכֶ֜ם הַמֹּוצִ֥יא אֶתְכֶ֣ם ׀ מֵאֶ֣רֶץ מִצְרַ֗יִם וְהַפֹּֽדְךָ֙ מִבֵּ֣ית עֲבָדִ֔ים לְהַדִּֽיחֲךָ֙ מִן־הַדֶּ֔רֶךְ אֲשֶׁ֧ר צִוְּךָ֛ יְהוָ֥ה אֱלֹהֶ֖יךָ לָלֶ֣כֶת בָּ֑הּ וּבִֽעַרְתָּ֥ הָרָ֖ע מִקִּרְבֶּֽךָ׃ 5
और ऐसा भविष्यद्वक्ता या स्वप्न देखनेवाला जो तुम को तुम्हारे परमेश्वर यहोवा से फेर के, जिसने तुम को मिस्र देश से निकाला और दासत्व के घर से छुड़ाया है, तेरे उसी परमेश्वर यहोवा के मार्ग से बहकाने की बात कहनेवाला ठहरेगा, इस कारण वह मार डाला जाए। इस रीति से तू अपने बीच में से ऐसी बुराई को दूर कर देना।
כִּ֣י יְסִֽיתְךָ֡ אָחִ֣יךָ בֶן־אִ֠מֶּךָ אֹֽו־בִנְךָ֨ אֹֽו־בִתְּךָ֜ אֹ֣ו ׀ אֵ֣שֶׁת חֵיקֶ֗ךָ אֹ֧ו רֵֽעֲךָ֛ אֲשֶׁ֥ר כְּנַפְשְׁךָ֖ בַּסֵּ֣תֶר לֵאמֹ֑ר נֵֽלְכָ֗ה וְנַֽעַבְדָה֙ אֱלֹהִ֣ים אֲחֵרִ֔ים אֲשֶׁר֙ לֹ֣א יָדַ֔עְתָּ אַתָּ֖ה וַאֲבֹתֶֽיךָ׃ 6
“यदि तेरा सगा भाई, या बेटा, या बेटी, या तेरी अर्द्धांगिनी, या प्राणप्रिय तेरा कोई मित्र निराले में तुझको यह कहकर फुसलाने लगे, ‘आओ हम दूसरे देवताओं की उपासना या पूजा करें,’ जिन्हें न तो तू न तेरे पुरखा जानते थे,
מֵאֱלֹהֵ֣י הֽ͏ָעַמִּ֗ים אֲשֶׁר֙ סְבִיבֹ֣תֵיכֶ֔ם הַקְּרֹבִ֣ים אֵלֶ֔יךָ אֹ֖ו הָרְחֹקִ֣ים מִמֶּ֑ךָּ מִקְצֵ֥ה הָאָ֖רֶץ וְעַד־קְצֵ֥ה הָאָֽרֶץ׃ 7
चाहे वे तुम्हारे निकट रहनेवाले आस-पास के लोगों के, चाहे पृथ्वी के एक छोर से लेकर दूसरे छोर तक दूर-दूर के रहनेवालों के देवता हों,
לֹא־תֹאבֶ֣ה לֹ֔ו וְלֹ֥א תִשְׁמַ֖ע אֵלָ֑יו וְלֹא־תָחֹ֤וס עֵֽינְךָ֙ עָלָ֔יו וְלֹֽא־תַחְמֹ֥ל וְלֹֽא־תְכַסֶּ֖ה עָלָֽיו׃ 8
तो तू उसकी न मानना, और न तो उसकी बात सुनना, और न उस पर तरस खाना, और न कोमलता दिखाना, और न उसको छिपा रखना;
כִּ֤י הָרֹג֙ תַּֽהַרְגֶ֔נּוּ יָֽדְךָ֛ תִּֽהְיֶה־בֹּ֥ו בָרִֽאשֹׁונָ֖ה לַהֲמִיתֹ֑ו וְיַ֥ד כָּל־הָעָ֖ם בָּאַחֲרֹנָֽה׃ 9
उसको अवश्य घात करना; उसको घात करने में पहले तेरा हाथ उठे, उसके बाद सब लोगों के हाथ उठें।
וּסְקַלְתֹּ֥ו בָאֲבָנִ֖ים וָמֵ֑ת כִּ֣י בִקֵּ֗שׁ לְהַדִּֽיחֲךָ֙ מֵעַל֙ יְהוָ֣ה אֱלֹהֶ֔יךָ הַמֹּוצִיאֲךָ֛ מֵאֶ֥רֶץ מִצְרַ֖יִם מִבֵּ֥ית עֲבָדִֽים׃ 10
१०उस पर ऐसा पथराव करना कि वह मर जाए, क्योंकि उसने तुझको तेरे उस परमेश्वर यहोवा से, जो तुझको दासत्व के घर अर्थात् मिस्र देश से निकाल लाया है, बहकाने का यत्न किया है।
וְכָל־יִשְׂרָאֵ֔ל יִשְׁמְע֖וּ וְיִֽרָא֑וּן וְלֹֽא־יֹוסִ֣פוּ לַעֲשֹׂ֗ות כַּדָּבָ֥ר הָרָ֛ע הַזֶּ֖ה בְּקִרְבֶּֽךָ׃ ס 11
११और सब इस्राएली सुनकर भय खाएँगे, और ऐसा बुरा काम फिर तेरे बीच न करेंगे।
כִּֽי־תִשְׁמַ֞ע בְּאַחַ֣ת עָרֶ֗יךָ אֲשֶׁר֩ יְהוָ֨ה אֱלֹהֶ֜יךָ נֹתֵ֥ן לְךָ֛ לָשֶׁ֥בֶת שָׁ֖ם לֵאמֹֽר׃ 12
१२“यदि तेरे किसी नगर के विषय में, जिसे तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे रहने के लिये देता है, ऐसी बात तेरे सुनने में आए,
יָצְא֞וּ אֲנָשִׁ֤ים בְּנֵֽי־בְלִיַּ֙עַל֙ מִקִּרְבֶּ֔ךָ וַיַּדִּ֛יחוּ אֶת־יֹשְׁבֵ֥י עִירָ֖ם לֵאמֹ֑ר נֵלְכָ֗ה וְנַעַבְדָ֛ה אֱלֹהִ֥ים אֲחֵרִ֖ים אֲשֶׁ֥ר לֹא־יְדַעְתֶּֽם׃ 13
१३कि कुछ अधर्मी पुरुषों ने तेरे ही बीच में से निकलकर अपने नगर के निवासियों को यह कहकर बहका दिया है, ‘आओ हम अन्य देवताओं की जिनसे अब तक अनजान रहे उपासना करें,’
וְדָרַשְׁתָּ֧ וְחָקַרְתָּ֧ וְשָׁאַלְתָּ֖ הֵיטֵ֑ב וְהִנֵּ֤ה אֱמֶת֙ נָכֹ֣ון הַדָּבָ֔ר נֶעֶשְׂתָ֛ה הַתֹּועֵבָ֥ה הַזֹּ֖את בְּקִרְבֶּֽךָ׃ 14
१४तो पूछपाछ करना, और खोजना, और भली भाँति पता लगाना; और यदि यह बात सच हो, और कुछ भी सन्देह न रहे कि तेरे बीच ऐसा घिनौना काम किया जाता है,
הַכֵּ֣ה תַכֶּ֗ה אֶת־יֹֽשְׁבֵ֛י הָעִ֥יר הַהוּא (הַהִ֖יא) לְפִי־חָ֑רֶב הַחֲרֵ֨ם אֹתָ֧הּ וְאֶת־כָּל־אֲשֶׁר־בָּ֛הּ וְאֶת־בְּהֶמְתָּ֖הּ לְפִי־חָֽרֶב׃ 15
१५तो अवश्य उस नगर के निवासियों को तलवार से मार डालना, और पशु आदि उस सब समेत जो उसमें हो उसको तलवार से सत्यानाश करना।
וְאֶת־כָּל־שְׁלָלָ֗הּ תִּקְבֹּץ֮ אֶל־תֹּ֣וךְ רְחֹבָהּ֒ וְשָׂרַפְתָּ֨ בָאֵ֜שׁ אֶת־הָעִ֤יר וְאֶת־כָּל־שְׁלָלָהּ֙ כָּלִ֔יל לַיהוָ֖ה אֱלֹהֶ֑יךָ וְהָיְתָה֙ תֵּ֣ל עֹולָ֔ם לֹ֥א תִבָּנֶ֖ה עֹֽוד׃ 16
१६और उसमें की सारी लूट चौक के बीच इकट्ठी करके उस नगर को लूट समेत अपने परमेश्वर यहोवा के लिये मानो सर्वांग होम करके जलाना; और वह सदा के लिये खण्डहर रहे, वह फिर बसाया न जाए।
וְלֹֽא־יִדְבַּ֧ק בְּיָדְךָ֛ מְא֖וּמָה מִן־הַחֵ֑רֶם לְמַעַן֩ יָשׁ֨וּב יְהוָ֜ה מֵחֲרֹ֣ון אַפֹּ֗ו וְנָֽתַן־לְךָ֤ רַחֲמִים֙ וְרִֽחַמְךָ֣ וְהִרְבֶּ֔ךָ כַּאֲשֶׁ֥ר נִשְׁבַּ֖ע לַאֲבֹתֶֽיךָ׃ 17
१७और कोई सत्यानाश की वस्तु तेरे हाथ न लगने पाए; जिससे यहोवा अपने भड़के हुए कोप से शान्त होकर जैसा उसने तेरे पूर्वजों से शपथ खाई थी वैसा ही तुझ से दया का व्यवहार करे, और दया करके तुझको गिनती में बढ़ाए।
כִּ֣י תִשְׁמַ֗ע בְּקֹול֙ יְהוָ֣ה אֱלֹהֶ֔יךָ לִשְׁמֹר֙ אֶת־כָּל־מִצְוֹתָ֔יו אֲשֶׁ֛ר אָנֹכִ֥י מְצַוְּךָ֖ הַיֹּ֑ום לַעֲשֹׂות֙ הַיָּשָׁ֔ר בְּעֵינֵ֖י יְהוָ֥ה אֱלֹהֶֽיךָ׃ ס 18
१८यह तब होगा जब तू अपने परमेश्वर यहोवा की जितनी आज्ञाएँ मैं आज तुझे सुनाता हूँ उन सभी को मानेगा, और जो तेरे परमेश्वर यहोवा की दृष्टि में ठीक है वही करेगा।

< דְּבָרִים 13 >