< ᏉᎳ ᎠᏂᏈᎷ ᏧᏬᏪᎳᏁᎸᎯ 12 >

1 ᎾᏍᎩᏃ ᎢᏳᏂᏧᏈᏍᏗ ᎠᏂᎦᏔᎯ ᏥᏕᎨᎦᏚᏫᏍᏗ, ᎢᏴᏛ ᏂᏛᏁᏓ ᏄᏓᎴᏒ ᎦᎨᏛ ᎢᎬᏁᎯ, ᎠᎴ ᎠᏍᎦᏂ ᎠᎯᏛ ᎨᎦᏢᏔᏍᏗ ᏥᎩ, ᎠᎴ ᏗᏛᏂᏗᏳ ᎨᏎᏍᏗ ᎢᏓᏙᎩᏯᏍᎨᏍᏗ ᎠᏙᎩᏯᏍᏗ ᎢᎬᏱᏗᏢ ᏁᎬᏁᎸᎢ,
इस कारण जबकि गवाहों का ऐसा बड़ा बादल हमको घेरे हुए है, तो आओ, हर एक रोकनेवाली वस्तु, और उलझानेवाले पाप को दूर करके, वह दौड़ जिसमें हमें दौड़ना है, धीरज से दौड़ें।
2 ᏫᏕᏓᎦᏂᏍᎨᏍᏗ ᏥᏌ ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏩᏂᏌᏛ, ᎠᎴ ᎠᏍᏆᏗᏍᎩ ᏥᎩ ᎢᎪᎯᏳᏒᎢ. ᎾᏍᎩ ᎤᎵᎮᎵᏍᏗ ᎨᏒ ᎢᎬᏱᏗᏢ ᎾᎬᏁᎸ ᎢᏳᏍᏗ ᎬᏂᏗᏳ ᏓᏓᎿᎭᏩᏍᏛ ᎤᎩᎵᏲᏤᎢ, ᎤᎵᏌᎵᏉ ᎤᏰᎸᏎ ᎤᏕᎰᎯᏍᏗ ᎨᏒᎢ, ᎠᎴ ᎠᎦᏘᏏᏗᏢ ᎤᏪᏅ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᏪᏍᎩᎸᎢ.
और विश्वास के कर्ता और सिद्ध करनेवाले यीशु की ओर ताकते रहें; जिसने उस आनन्द के लिये जो उसके आगे धरा था, लज्जा की कुछ चिन्ता न करके, क्रूस का दुःख सहा; और सिंहासन पर परमेश्वर के दाहिने जा बैठा।
3 ᎡᏣᏓᏅᏛᎵᏉᏍᎩᏂ Ꮎ ᎾᏍᎩ ᎢᎦᎢ ᎦᎬᏩᏐᏢᏛ ᎠᏂᏍᎦᎾ ᎤᏁᎳᎩ ᏚᏪᎵᏎᎸᎢ, ᎾᏍᎩᏃ ᏞᏍᏗ ᏗᏥᏯᏪᏨᎩ ᎠᎴ ᏞᏍᏗ ᏧᏩᎾᎦᎶᏨᎩ ᏕᏣᏓᏅᏛᎢ.
इसलिए उस पर ध्यान करो, जिसने अपने विरोध में पापियों का इतना वाद-विवाद सह लिया कि तुम निराश होकर साहस न छोड़ दो।
4 ᎥᏝ ᎠᏏ ᎢᏥᎩᎬ ᎤᏨᎢᏍᏗᏱ ᎢᏴᏛ ᏱᏗᏣᏟᏴᎲ ᎠᏍᎦᏂ ᏕᏣᏟᏴᎡᎲᎢ.
तुम ने पाप से लड़ते हुए उससे ऐसी मुठभेड़ नहीं की, कि तुम्हारा लहू बहा हो।
5 ᎠᎴ ᎢᏨᎨᏫᏒᎯ ᎢᎩ ᎡᏥᏬᏁᏗᏍᎬ ᏗᏂᏲᎵ ᏥᎨᏥᏬᏁᏗᏍᎪ ᎾᏍᎩᏯᎢ, ᎯᎠ ᏥᏂᎦᏪᎭ, ᎠᏇᏥ ᏞᏍᏗ ᏅᎵᏌᎵ ᏱᏣᏰᎸᏎᏍᏗ ᎤᎬᏫᏳᎯ ᏣᎩᎵᏲᎢᏍᏗᏍᎬᎢ, ᎠᎴ ᏞᏍᏗ ᏩᎾ ᎯᏳᏏᎦᎶᎨᏍᏗ ᏣᎬᏍᎪᎸᎢᏍᎨᏍᏗ,
और तुम उस उपदेश को जो तुम को पुत्रों के समान दिया जाता है, भूल गए हो: “हे मेरे पुत्र, प्रभु की ताड़ना को हलकी बात न जान, और जब वह तुझे घुड़के तो साहस न छोड़।
6 ᎾᏍᎩᏰᏃ Ꮎ ᎤᎬᏫᏳᎯ ᎤᎨᏳᎯ ᎠᎩᎵᏲᎢᏍᏗᏍᎪᎢ, ᎠᎴ ᏕᎦᎵᎥᏂᎰ ᎾᏂᎥ ᏧᏪᏥ ᎾᏍᎩ ᏧᏓᏂᎸᏨᎯ ᎨᏒᎢ.
क्योंकि प्रभु, जिससे प्रेम करता है, उसको अनुशासित भी करता है; और जिसे पुत्र बना लेता है, उसको ताड़ना भी देता है।”
7 ᎢᏳᏃ ᎡᏥᎩᎵᏲᎢᏍᏗᏍᎨᏍᏗ, ᎾᏍᎩᏯ ᏧᏪᏥ ᏂᏓᏛᏁᎲ ᏂᏣᏛᏁᎭ ᎤᏁᎳᏅᎯ; ᎦᎪᏰᏃ ᎡᎭ ᎠᏲᎵ ᎾᏍᎩ ᎤᏙᏓ ᏄᎩᎵᏲᎢᏍᏗᏍᎬᎾ?
तुम दुःख को अनुशासन समझकर सह लो; परमेश्वर तुम्हें पुत्र जानकर तुम्हारे साथ बर्ताव करता है, वह कौन सा पुत्र है, जिसकी ताड़ना पिता नहीं करता?
8 ᎢᏳᏍᎩᏂ ᎢᎸᎯᏳ ᏁᏥᎩᎵᏲᎢᏍᏗᏍᎬᎾ ᏱᎩ, ᎾᏍᎩ ᏂᎦᏗᏳ ᏗᏂᏲᎵ ᎾᏍᎩ ᎢᎨᎬᏁᏗ ᏥᎩ, ᎿᎭᏉ ᎢᏴᏛᏉ ᎢᏣᏕᏂᏙᎸᎯ, ᎥᏝᏃ ᎣᏍᏛ ᎢᏣᏕᏅᎯ ᏱᎩ.
यदि वह ताड़ना जिसके भागी सब होते हैं, तुम्हारी नहीं हुई, तो तुम पुत्र नहीं, पर व्यभिचार की सन्तान ठहरे!
9 ᎠᎴᏬ, ᎤᏇᏓᎵ ᎨᏒ ᏗᎩᏙᏓ ᏕᎨᎲᎩ, ᎾᏍᎩ ᏥᎨᎩᎩᎵᏲᎢᏍᏗᏍᎬᎩ; ᎠᎴ ᎨᏗᎸᏉᏗᏳ ᏥᎨᏒᎩ; ᏝᏍᎪ ᎤᏟ ᏱᏂᏙᎬᏩᏳᎪᏗ ᏤᏓᏓᏲᎯᏎᏗᏱ ᏗᎦᏓᏅᏙ ᏧᏬᏢᏅᎯ ᏥᎩ, ᎠᎴ ᎢᎦᏛᏂᏗᏍᏗᏱ?
फिर जबकि हमारे शारीरिक पिता भी हमारी ताड़ना किया करते थे और हमने उनका आदर किया, तो क्या आत्माओं के पिता के और भी अधीन न रहें जिससे हम जीवित रहें।
10 ᎾᏍᎩᏰᏃ Ꮎ ᎤᏙᎯᏳᎯ ᏞᎦ ᎨᎩᎩᎵᏲᎢᏍᏗᏍᎬᎩ ᎤᏅᏒ ᎠᎾᏓᏅᏖᏍᎬ ᎾᎾᏛᏁᎲᎩ; [ ᎤᏁᎳᏅᎯᏍᎩᏂ ] ᎣᏍᏛ ᎢᎦᎵᏍᏓᏁᏗ ᎤᎬᏩᎸ, ᎾᏍᎩ ᎢᏣᏠᏯᏍᏗᏍᎩ ᎢᏳᎵᏍᏙᏗᏱ ᎤᏩᏒ ᎠᏍᎦᎾ ᏂᎨᏒᎾ ᎨᏒᎢ.
१०वे तो अपनी-अपनी समझ के अनुसार थोड़े दिनों के लिये ताड़ना करते थे, पर यह तो हमारे लाभ के लिये करता है, कि हम भी उसकी पवित्रता के भागी हो जाएँ।
11 ᎠᎴ ᏂᎦᎥᏉ ᎠᎩᎵᏲᎢᏍᏗ ᎨᏒ ᎪᎯ ᎨᏒ ᎥᏝ ᎣᏍᏛ ᎣᏓᏅᏓᏗᏍᏗᏍᎩ ᏱᎩ, ᎤᏲᏉᏍᎩᏂ; ᎣᏂᏍᎩᏂᏃᏅ ᎢᏴᏛ ᏅᏩᏙᎯᏯᏛ ᎠᏓᏅᏓᏗᏍᏗ ᎨᏒ ᎦᎾᏄᎪᏫᏍᎪ ᏚᏳᎪᏛ ᎨᏒ ᎤᎾᏄᎪᏫᏒᎯ, ᎾᏍᎩ ᎢᏳᎾᎵᏍᏓᏁᎸᎯ.
११और वर्तमान में हर प्रकार की ताड़ना आनन्द की नहीं, पर शोक ही की बात दिखाई पड़ती है, तो भी जो उसको सहते-सहते पक्के हो गए हैं, बाद में उन्हें चैन के साथ धार्मिकता का प्रतिफल मिलता है।
12 ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗ ᏗᏥᏌᎳᏛᎦ ᏗᏦᏰᏂ ᎡᎳᏗ ᎢᏧᎵᏍᏔᏅᎯ ᏥᎩ, ᎠᎴ ᏗᏥᏂᎨᏂ ᏗᏩᎾᎦᎳᎢ;
१२इसलिए ढीले हाथों और निर्बल घुटनों को सीधे करो।
13 ᎥᎾᏕᏍᎩ ᏂᏨᎦ ᏕᎦᏅᏅ ᎢᏥᎶᎯᏍᏗᏱ, ᎾᏍᎩᏃ ᎠᏲᎤᎵ ᎨᏒ ᏞᏍᏗ ᏳᏂᎪᎸᏍᏔᏁᏍᏗ; ᎧᏅᏬᏗᏉᏍᎩᏂ ᎨᏎᏍᏗ.
१३और अपने पाँवों के लिये सीधे मार्ग बनाओ, कि लँगड़ा भटक न जाए, पर भला चंगा हो जाए।
14 ᏅᏩᏙᎯᏯᏛ ᏕᏥᎧᎿᎭᏩᏗᏎᏍᏗ ᎾᏂᎥᏉ ᎪᎱᏍᏗ ᏕᏣᏓᏛᏗᏍᎬᎢ, ᎠᎴ ᎾᏍᎦᏅᎾ ᎨᏒᎢ, ᎧᏂᎩᏛ ᏱᎩ ᎾᏍᎩ, ᎥᏝ ᎩᎶ ᏰᎵ ᎤᎬᏫᏳᎯ ᎬᏩᎪᏩᏛᏗ ᏱᎩ;
१४सबसे मेल मिलाप रखो, और उस पवित्रता के खोजी हो जिसके बिना कोई प्रभु को कदापि न देखेगा।
15 ᎢᏤᏯᏔᎯᏳ ᎨᏎᏍᏗ ᎾᏍᎩᏃ ᏞᏍᏗ ᎩᎶ ᎡᏍᎦ ᎤᏬᎭᏒᎩ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎬᏩᎦᏘᏯ ᎤᏓᏙᎵᏍᏗ ᎨᏒᎢ; ᏞᏍᏗ ᎤᏴᏍᏗ ᎤᎿᎭᏍᏕᏢ ᎦᎾᏄᎪᎬ ᎢᏣᏕᏯᏙᏔᏅᎩ, ᎠᎴ ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏩᏂᏌᏛ ᎤᏂᏣᏘ ᎦᏓᎭ ᎢᏳᎾᎵᏍᏔᏅᎩ;
१५और ध्यान से देखते रहो, ऐसा न हो, कि कोई परमेश्वर के अनुग्रह से वंचित रह जाए, या कोई कड़वी जड़ फूटकर कष्ट दे, और उसके द्वारा बहुत से लोग अशुद्ध हो जाएँ।
16 ᏞᏍᏗ ᎩᎶ ᎤᏕᎵᏛ ᏗᏂᏏᎲᏍᎩ ᏱᏣᏓᏑᏰᏍᏗ, ᎠᎴ ᎠᏍᎦᎾ ᏴᏫ, ᎢᏐ ᎾᏍᎩᏯᎢ, ᎤᏍᎩ ᏌᏉᏉ ᎢᏯᎵᏍᏓᏴᏗ ᏥᏚᎬᏩᎶᏔᏁ ᏧᎾᏗᏅᏎ ᎢᎬᏱ ᎡᎯ ᎨᏒᎢ.
१६ऐसा न हो, कि कोई जन व्यभिचारी, या एसाव के समान अधर्मी हो, जिसने एक बार के भोजन के बदले अपने पहलौठे होने का पद बेच डाला।
17 ᎢᏥᎦᏔᎭᏰᏃ ᎣᏂ ᎢᏴᏛ ᎣᏍᏛ ᎢᏯᎦᏛᏁᏗᏱ ᏧᏚᎵᏍᎨ ᏣᏥᏐᏅᎢᏍᏔᏁᎢ; ᎥᏝᏰᏃ [ ᎤᏙᏓ ] ᎤᏓᏅᏛ ᎬᏩᏁᏟᏴᏍᏗ ᎨᏒ ᏳᏩᏛᎮᎢ, ᎤᎵᏏᎾᎯᏍᏗᏳᏍᎩᏂᏃᏅ ᎠᎴ ᏗᎬᎦᏌᏬᎢᎯ ᎤᏲᎴᎢ.
१७तुम जानते तो हो, कि बाद में जब उसने आशीष पानी चाही, तो अयोग्‍य गिना गया, और आँसू बहा बहाकर खोजने पर भी मन फिराव का अवसर उसे न मिला।
18 ᎥᏝᏰᏃ ᎣᏓᎸ ᎬᏒᏂᏍᏗ ᎨᏒ ᏱᏥᎷᏨ, ᎠᎴ ᎾᏍᎩ ᏣᏓᏪᎵᎩᏍᎨᎢ, ᎥᏝ ᎠᎴ ᎬᎿᎭᎨ ᎤᎶᎩᎸᎢ, ᎠᎴ ᎤᎵᏏᎩᏳ ᎰᏒ ᎠᎴ ᎦᏃᎸᎥᏍᎬᎢ,
१८तुम तो उस पहाड़ के पास जो छुआ जा सकता था और आग से प्रज्वलित था, और काली घटा, और अंधेरा, और आँधी के पास।
19 ᎠᎴ ᎠᏤᎷᎩ ᎤᏃᏴᎬᎢ, ᎠᎴ ᎧᏁᎬ ᎤᏃᏴᎬᎢ; ᎾᏍᎩᏃ ᎤᎾᏛᎦᏅᎯ ᎤᏂᏔᏲᎴ ᏔᎵᏁ ᎾᏍᎩ ᎢᎨᏂᏪᏎᏗᏱ ᏂᎨᏒᎾ.
१९और तुरही की ध्वनि, और बोलनेवाले के ऐसे शब्द के पास नहीं आए, जिसके सुननेवालों ने विनती की, कि अब हम से और बातें न की जाएँ।
20 ᎥᏝᏰᏃ ᎣᏏᏳ ᏳᏂᏰᎸᏁ ᏄᏍᏛ ᎤᎵᏁᏨᎢ, ᎾᏍᎩ ᎦᎾᏜᏓᎢᏉ ᎾᏍᏉ ᏳᏃᏟᏍᏔ ᎣᏓᎸᎢ ᎠᏎ ᏅᏯ ᏣᎬᏂᏍᏙᏗ ᎨᏒᎢ, ᎠᎴ ᎠᏥᏲᏍᏗᏉ ᎨᏒ ᏗᎬᏩᎶᏒᎯ.
२०क्योंकि वे उस आज्ञा को न सह सके “यदि कोई पशु भी पहाड़ को छूए, तो पथराव किया जाए।”
21 ᎠᎴ ᎤᏂᎪᎲ ᎤᏣᏘ ᎤᎾᏰᎯᏍᏗᏳ ᎨᏒ ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗ ᎼᏏ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎢ, ᎤᏣᏘ ᏥᎾᏰᏍᎦ ᎠᎴ ᎠᎩᎾᏫᎭ.
२१और वह दर्शन ऐसा डरावना था, कि मूसा ने कहा, “मैं बहुत डरता और काँपता हूँ।”
22 ᏌᏯᏂᏍᎩᏂ ᎣᏓᎸ ᎢᏥᎷᏨ, ᎠᎴ ᎬᏂᏛ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᏤᎵ ᎦᏚᎲᎢ, ᎾᏍᎩ ᏥᎷᏏᎵᎻ ᎦᎸᎳᏗ ᎡᎯ, ᎠᎴ ᏗᎬᏎᎰᎲᏍᏗ ᏂᎨᏒᎾ ᎨᏥᏅᏏᏓᏍᏗ ᏧᎾᏓᏡᎬᎢ,
२२पर तुम सिय्योन के पहाड़ के पास, और जीविते परमेश्वर के नगर स्वर्गीय यरूशलेम के पास और लाखों स्वर्गदूतों,
23 ᎠᎴ ᎾᎿᎭᏂᎦᏗᏳ ᎤᎾᏓᏟᏌᎲᎢ, ᎠᎴ ᎢᎬᏱ ᎤᎾᏕᏅᎯ ᏧᎾᏁᎶᏗ ᎤᎾᏓᏡᎬᎢ, ᎾᏍᎩ [ ᏚᎾᏙᎥ ] ᎦᎸᎳᏗ ᏥᏕᎪᏪᎳ, ᎠᎴ ᎾᎿᎭᎤᏁᎳᏅᎯ ᏂᎦᏗᏳ ᏗᎫᎪᏓᏁᎯ [ ᎡᎲᎢ, ] ᎠᎴ ᎾᎿᎭᏧᎾᏓᏅᏙ ᎤᎾᏓᏅᏘ ᏴᏫ ᎾᏂᏍᎦᏅᎾ ᎢᎨᎬᏁᎸᎯ [ ᎠᏁᎲᎢ, ]
२३और उन पहिलौठों की साधारण सभा और कलीसिया जिनके नाम स्वर्ग में लिखे हुए हैं और सब के न्यायी परमेश्वर के पास, और सिद्ध किए हुए धर्मियों की आत्माओं,
24 ᎠᎴ ᎾᎿᎭᏥᏌ [ ᎡᎲᎢ ] ᎾᏍᎩ ᎠᏰᎵ ᎠᎴᎲᏍᎩ ᎢᏤ ᎧᏃᎮᏛ ᏓᏠᎯᏍᏛᎢ, ᎠᎴ ᎾᎿᎭᎩᎬ ᎠᏍᏚᏢᎯ ᎨᏒᎢ, ᎾᏍᎩ ᎤᏟ ᎢᏲᏍᏛ ᎠᏔᏲᎯᎯ ᏥᎩ ᎡᏍᎦᏉ ᎡᏈᎵ [ ᎤᎩᎬ.]
२४और नई वाचा के मध्यस्थ यीशु, और छिड़काव के उस लहू के पास आए हो, जो हाबिल के लहू से उत्तम बातें कहता है।
25 ᎢᏤᏯᏔᎮᏍᏗ ᏞᏍᏗᏉ ᎡᏥᏲᎢᏎᎸᎩ ᎾᏍᎩ Ꮎ ᏥᎧᏁᎦ. ᎢᏳᏰᏃ ᏄᎾᏓᏗᏫᏎᎸᎾ ᏱᎩ ᎾᏍᎩ Ꮎ ᎤᏂᏲᎢᏎᏛ ᎡᎶᎯ ᎤᏁᏨᎯ, ᎤᏟᎯᏳ ᎬᏩᏟᏍᏗ ᎢᎦᏓᏗᏫᏎᏗᏱ ᎢᏳᏃ ᎢᏴᏛ ᏱᏁᏓᏛᏁᎸ ᎦᎸᎳᏗ ᏨᏗᎧᏁᎦ;
२५सावधान रहो, और उस कहनेवाले से मुँह न फेरो, क्योंकि वे लोग जब पृथ्वी पर के चेतावनी देनेवाले से मुँह मोड़कर न बच सके, तो हम स्वर्ग पर से चेतावनी देनेवाले से मुँह मोड़कर कैसे बच सकेंगे?
26 ᎾᏍᎩ Ꮎ ᎧᏁᎬ ᎾᎯᏳ ᎡᎶᎯ ᎤᏖᎸᏁᎢ; ᎠᏎᏃ ᎪᎯ ᎨᏒ ᎤᏚᎢᏍᏔᏅ, ᎯᎠ ᏄᏪᏒ, ᎠᏏ ᏌᏉ ᏅᏓᏥᏖᎸᏂ ᎥᏝ ᎡᎶᎯᏉ ᎤᏩᏒ, ᎦᎸᎶᎢᏍᎩᏂ ᎾᏍᏉ.
२६उस समय तो उसके शब्द ने पृथ्वी को हिला दिया पर अब उसने यह प्रतिज्ञा की है, “एक बार फिर मैं केवल पृथ्वी को नहीं, वरन् आकाश को भी हिला दूँगा।”
27 ᎾᏍᎩᏃ ᎯᎠ ᏥᏂᎦᏪᎭ ᎠᏏ ᏌᏉᎢ, ᎾᏍᎩ ᎢᏴᏛ ᎢᏗᎬᏁᏗ ᎨᏒ ᎾᏍᎩ ᏗᏖᎸᏅᎯ ᎨᏒ ᎦᏛᎦ, ᎾᏍᎩ ᏗᎪᏢᏅᎯᏉ ᎾᏍᎩᏯᎢ, ᎾᏍᎩᏃ Ꮎ ᏧᏓᎴᏅᏛ ᏗᎬᏤᎸᏗ ᏂᎨᏒᎾ ᎨᏒ ᎾᎿᎭᏉ ᏗᏍᏆᏂᎪᏙᏗ ᎢᏳᎵᏍᏙᏗᏱ.
२७और यह वाक्य ‘एक बार फिर’ इस बात को प्रगट करता है, कि जो वस्तुएँ हिलाई जाती हैं, वे सृजी हुई वस्तुएँ होने के कारण टल जाएँगी; ताकि जो वस्तुएँ हिलाई नहीं जातीं, वे अटल बनी रहें।
28 ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗ ᎾᏍᎩ ᎠᏴ ᏗᎦᏓᏂᎸᏨᎯ ᏥᎩ ᎤᎬᏫᏳᎯ ᎤᏤᎵᎪᎯ ᎨᏒ ᎾᏍᎩ ᎬᏖᎸᏗ ᏂᎨᏒᎾ, ᎬᏩᎦᏘᏯ ᎤᏓᏙᎵᏍᏗ ᎨᏒ ᎢᎩᎮᏍᏗ, ᎾᏍᎩ ᎢᏛᏗᏍᎬ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎣᏍᏛ ᎤᏰᎸᏗ ᏗᎨᎩᎸᏫᏍᏓᏁᏗ ᏱᎩ, ᎦᎸᏉᏗᏳ ᎨᏒ, ᎠᎴ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎦᎾᏰᎯᏍᏗ ᎨᏒ ᏔᎵ ᎢᎬᏗᏕᎬᎢ.
२८इस कारण हम इस राज्य को पाकर जो हिलने का नहीं, उस अनुग्रह को हाथ से न जाने दें, जिसके द्वारा हम भक्ति, और भय सहित, परमेश्वर की ऐसी आराधना कर सकते हैं जिससे वह प्रसन्न होता है।
29 ᎢᎦᏁᎳᏅᎯᏰᏃ ᎠᏥᎸ ᎠᏓᎪᎲᏍᏗᏍᎩ.
२९क्योंकि हमारा परमेश्वर भस्म करनेवाली आग है।

< ᏉᎳ ᎠᏂᏈᎷ ᏧᏬᏪᎳᏁᎸᎯ 12 >