< নহিমিয়ের বই 9 >

1 সেই একই মাসের চব্বিশ দিনের দিন ইস্রায়েলীরা একত্র হয়ে উপবাস করল, চট পরল এবং মাথায় ধুলো দিল।
फिर उसी महीने के चौबीसवें दिन को इस्राएली उपवास का टाट पहने और सिर पर धूल डाले हुए, इकट्ठे हो गए।
2 ইস্রায়েলী সন্তানেরা অন্যান্য জাতির সমস্ত লোকদের কাছ থেকে নিজেদের আলাদা করল। তারা দাঁড়িয়ে নিজেদের পাপ ও তাদের পূর্বপুরুষদের অন্যায় স্বীকার করল।
तब इस्राएल के वंश के लोग सब अन्यजाति लोगों से अलग हो गए, और खड़े होकर, अपने-अपने पापों और अपने पुरखाओं के अधर्म के कामों को मान लिया।
3 তারা নিজ নিজ জায়গায় দাঁড়িয়ে তিন ঘণ্টা তাদের ঈশ্বর সদাপ্রভুর বিধানপুস্তক পড়ল, এবং আরও তিন ঘণ্টা নিজেদের পাপস্বীকার ও ঈশ্বর সদাপ্রভুর উপাসনা করল।
तब उन्होंने अपने-अपने स्थान पर खड़े होकर दिन के एक पहर तक अपने परमेश्वर यहोवा की व्यवस्था की पुस्तक पढ़ते, और एक और पहर अपने पापों को मानते, और अपने परमेश्वर यहोवा को दण्डवत् करते रहे।
4 যেশূয়, বানি, কদ্‌মীয়েল, শবনিয়, বুন্নি, শেরেবিয়, বানি ও কনানী লেবীয়দের মাচায় দাঁড়িয়েছিলেন, তারা উচ্চস্বরে তাদের ঈশ্বর সদাপ্রভুকে ডাকলেন।
और येशुअ, बानी, कदमीएल, शबन्याह, बुन्नी, शेरेब्याह, बानी और कनानी ने लेवियों की सीढ़ी पर खड़े होकर ऊँचे स्वर से अपने परमेश्वर यहोवा की दुहाई दी।
5 আর লেবীয়দের মধ্যে যেশূয়, কদ্‌মীয়েল, বানি, হশ্‌বনিয়, শেরেবিয়, হোদিয়, শবনিয় ও পথাহিয় বললেন, “ওঠো, তোমাদের ঈশ্বর সদাপ্রভুর প্রশংসা করো, যিনি অনাদিকাল থেকে অনন্তকাল পর্যন্ত আছেন।” “তোমার প্রতাপান্বিত নাম ধন্য হোক, আমাদের দেওয়া সমস্ত ধন্যবাদ ও প্রশংসার চেয়েও তুমি মহান হও।
फिर येशुअ, कदमीएल, बानी, हशब्नयाह, शेरेब्याह, होदिय्याह, शबन्याह, और पतह्याह नामक लेवियों ने कहा, “खड़े हो, अपने परमेश्वर यहोवा को अनादिकाल से अनन्तकाल तक धन्य कहो। तेरा महिमायुक्त नाम धन्य कहा जाए, जो सब धन्यवाद और स्तुति से परे है।
6 কেবল তুমিই সদাপ্রভু। তুমিই আকাশমণ্ডল, সর্বোচ্চ আকাশমণ্ডল, তার সমস্ত তারকারাশি, পৃথিবী ও তার উপরের সবকিছু, সমুদ্র ও তার মধ্যে স্থিত সমস্ত কিছু তৈরি করেছ। তুমিই সকলের প্রাণ দিয়েছ এবং স্বর্গের বাহিনী তোমার উপাসনা করে।
“तू ही अकेला यहोवा है; स्वर्ग वरन् सबसे ऊँचे स्वर्ग और उसके सब गण, और पृथ्वी और जो कुछ उसमें है, और समुद्र और जो कुछ उसमें है, सभी को तू ही ने बनाया, और सभी की रक्षा तू ही करता है; और स्वर्ग की समस्त सेना तुझी को दण्डवत् करती हैं।
7 “তুমিই সদাপ্রভু ঈশ্বর, তুমি অব্রামকে মনোনীত করে কলদীয় দেশের ঊর থেকে বের করে নিয়ে এসেছিলে আর তার নাম অব্রাহাম রেখেছিলে।
हे यहोवा! तू वही परमेश्वर है, जो अब्राम को चुनकर कसदियों के ऊर नगर में से निकाल लाया, और उसका नाम अब्राहम रखा;
8 তুমি তার অন্তর বিশ্বস্ত দেখে কনানীয়, হিত্তীয়, ইমোরীয়, পরিষীয়, যিবূষীয় ও গির্গাশীয়ের দেশ তার বংশকে দেবার জন্য, তার সঙ্গে নিয়ম স্থাপন করেছিলে। তুমি ধর্মময় বলে তোমার প্রতিজ্ঞা তুমি রক্ষা করেছিলে।
और उसके मन को अपने साथ सच्चा पाकर, उससे वाचा बाँधी, कि मैं तेरे वंश को कनानियों, हित्तियों, एमोरियों, परिज्जियों, यबूसियों, और गिर्गाशियों का देश दूँगा; और तूने अपना वह वचन पूरा भी किया, क्योंकि तू धर्मी है।
9 “মিশর দেশে আমাদের পূর্বপুরুষদের কষ্টভোগ তুমি দেখেছিলে; লোহিত সাগরের তীরে তাদের কান্না শুনেছিলে।
“फिर तूने मिस्र में हमारे पुरखाओं के दुःख पर दृष्टि की; और लाल समुद्र के तट पर उनकी दुहाई सुनी।
10 ফরৌণ, তার সমস্ত কর্মচারী ও তার দেশের সমস্ত লোকদের বিরুদ্ধে তুমি বিভিন্ন চিহ্ন ও আশ্চর্য কাজ দেখিয়েছিলে, কেননা তুমি জানতে মিশরীয়েরা তাদের বিরুদ্ধে গর্ব করত। তুমি নিজের নাম প্রতিষ্ঠা করেছিলে, যা আজও আছে।
१०और फ़िरौन और उसके सब कर्मचारी वरन् उसके देश के सब लोगों को दण्ड देने के लिये चिन्ह और चमत्कार दिखाए; क्योंकि तू जानता था कि वे उनसे अभिमान करते हैं; और तूने अपना ऐसा बड़ा नाम किया, जैसा आज तक वर्तमान है।
11 তুমি তাদের সামনে সাগরকে দু-ভাগ করেছিলে, যাতে তারা শুকনো জমির উপর দিয়ে পার হয়েছিল, কিন্তু প্রবল জলে যেমন পাথর ফেলা হয়, যারা তাদের তাড়া করে আসছিল তুমি তাদের তেমনি করে অগাধ জলে ফেলেছিলে।
११और तूने उनके आगे समुद्र को ऐसा दो भाग किया, कि वे समुद्र के बीच स्थल ही स्थल चलकर पार हो गए; और जो उनके पीछे पड़े थे, उनको तूने गहरे स्थानों में ऐसा डाल दिया, जैसा पत्थर समुद्र में डाला जाए।
12 তুমি দিনে মেঘস্তম্ভ ও রাত্রে অগ্নিস্তম্ভ দ্বারা তাদের গন্তব্য পথে আলো দিয়ে তাদের চালাতে।
१२फिर तूने दिन को बादल के खम्भे में होकर और रात को आग के खम्भे में होकर उनकी अगुआई की, कि जिस मार्ग पर उन्हें चलना था, उसमें उनको उजियाला मिले।
13 “তুমি সীনয় পর্বতের উপর নেমে এসেছিলে; স্বর্গ থেকে তাদের সঙ্গে কথা বলেছিলে। তুমি তাদের ন্যায্য নির্দেশ, বিধি ও বিধান দিয়েছিলে।
१३फिर तूने सीनै पर्वत पर उतरकर आकाश में से उनके साथ बातें की, और उनको सीधे नियम, सच्ची व्यवस्था, और अच्छी विधियाँ, और आज्ञाएँ दीं।
14 তোমার পবিত্র বিশ্রামবার সম্বন্ধে তুমি তাদের জানিয়েছিলে এবং তোমার দাস মোশির মাধ্যমে তাদের আজ্ঞা, বিধি ও বিধান দিয়েছিলে।
१४उन्हें अपने पवित्र विश्रामदिन का ज्ञान दिया, और अपने दास मूसा के द्वारा आज्ञाएँ और विधियाँ और व्यवस्था दीं।
15 খিদে মিটাবার জন্য তুমি স্বর্গ থেকে তাদের খাবার আর পিপাসা মিটাবার জন্য পাথর থেকে জল বের করে দিয়েছিলে। যে দেশ তাদের দেবার জন্য তুমি উন্নমিত হাতে শপথ করেছিলে সেখানে গিয়ে তা অধিকার করার জন্য তুমি তাদের আদেশ দিয়েছিল।
१५और उनकी भूख मिटाने को आकाश से उन्हें भोजन दिया और उनकी प्यास बुझाने को चट्टान में से उनके लिये पानी निकाला, और उन्हें आज्ञा दी कि जिस देश को तुम्हें देने की मैंने शपथ खाई है उसके अधिकारी होने को तुम उसमें जाओ।
16 “তবুও আমাদের পূর্বপুরুষদের ব্যবহার ছিল অহংকারপূর্ণ ও একগুঁয়ে, তারা তোমার আজ্ঞার বাধ্য হয়নি।
१६“परन्तु उन्होंने और हमारे पुरखाओं ने अभिमान किया, और हठीले बने और तेरी आज्ञाएँ न मानी;
17 তারা শুনতে অস্বীকার করেছিল, আর তুমি তাদের মধ্যে যেসব আশ্চর্য কাজ করেছিলে তাও তারা মনে রাখেনি। তারা একগুঁয়েমি করে আবার দাসত্বে ফিরে যাবার জন্য বিদ্রোহভাবে একজন নেতাকে নিযুক্ত করেছিল। কিন্তু তুমি ক্ষমাবান ঈশ্বর, কৃপাময় ও স্নেহশীল, ক্রোধে ধীর ও দয়াতে মহান, তাই তাদের তুমি ত্যাগ করোনি,
१७और आज्ञा मानने से इन्कार किया, और जो आश्चर्यकर्म तूने उनके बीच किए थे, उनका स्मरण न किया, वरन् हठ करके यहाँ तक बलवा करनेवाले बने, कि एक प्रधान ठहराया, कि अपने दासत्व की दशा में लौटे। परन्तु तू क्षमा करनेवाला अनुग्रहकारी और दयालु, विलम्ब से कोप करनेवाला, और अति करुणामय परमेश्वर है, तूने उनको न त्यागा।
18 এমনকি, তারা নিজেদের জন্য ছাঁচে ফেলে একটি বাছুরের মূর্তি তৈরি করে বলেছিল, ‘এই তোমাদের ঈশ্বর, মিশর থেকে যিনি তোমাদের বের করে এনেছেন,’ অথবা তারা যখন তোমাকে ভীষণ অপমান করেছিল।
१८वरन् जब उन्होंने बछड़ा ढालकर कहा, ‘तुम्हारा परमेश्वर जो तुम्हें मिस्र देश से छुड़ा लाया है, वह यही है,’ और तेरा बहुत तिरस्कार किया,
19 “তোমার প্রচুর করুণায় তুমি তাদের প্রান্তরে পরিত্যাগ করোনি। দিনে তাদের পথ দেখাবার জন্য মেঘস্তম্ভ, এবং রাত্রে তাদের চলার পথে আলো দেবার জন্য অগ্নিস্তম্ভ তাদের উপর থেকে সরিয়ে নাওনি।
१९तब भी तू जो अति दयालु है, उनको जंगल में न त्यागा; न तो दिन को अगुआई करनेवाला बादल का खम्भा उन पर से हटा, और न रात को उजियाला देनेवाला और उनका मार्ग दिखानेवाला आग का खम्भा।
20 তুমি তাদের শিক্ষা দেবার জন্য তোমার মঙ্গলময় আত্মা দান করেছিলে। তাদের খাওয়ার জন্য যে মান্না দিয়েছিলে তা বন্ধ করোনি, আর তুমি তাদের পিপাসা মিটাবার জন্য জল দিয়েছিলে।
२०वरन् तूने उन्हें समझाने के लिये अपने आत्मा को जो भला है दिया, और अपना मन्ना उन्हें खिलाना न छोड़ा, और उनकी प्यास बुझाने को पानी देता रहा।
21 চল্লিশ বছর পর্যন্ত প্রান্তরে তাদের প্রতিপালন করেছিলে, তাদের অভাব হয়নি, তাদের কাপড় পুরানো হয়নি এমনকি তাদের পা-ও ফোলেনি।
२१चालीस वर्ष तक तू जंगल में उनका ऐसा पालन-पोषण करता रहा, कि उनको कुछ घटी न हुई; न तो उनके वस्त्र पुराने हुए और न उनके पाँव में सूजन हुई।
22 “পরে তুমি অনেক রাজ্য ও জাতি তাদের হাতে দিয়েছিলে, এমনকি, তাদের সমস্ত জায়গাও তাদের মধ্যে ভাগ করে দিয়েছিলে। তারা হিষ্‌বোনের রাজা সীহোনের দেশ ও বাশন-রাজ ওগের দেশ অধিকার করেছিল।
२२फिर तूने राज्य-राज्य और देश-देश के लोगों को उनके वश में कर दिया, और दिशा-दिशा में उनको बाँट दिया; अतः वे हेशबोन के राजा सीहोन और बाशान के राजा ओग दोनों के देशों के अधिकारी हो गए।
23 আকাশের তারার মতন তুমি তাদের অসংখ্য সন্তান দিয়েছিলে, এবং সেই দেশে তাদের নিয়ে এসেছিলে, যে দেশের বিষয় তুমি তাদের পিতৃপুরুষদের কাছে বলেছিলে, যে তাতে ঢুকে অধিকার করবে।
२३फिर तूने उनकी सन्तान को आकाश के तारों के समान बढ़ाकर उन्हें उस देश में पहुँचा दिया, जिसके विषय तूने उनके पूर्वजों से कहा था; कि वे उसमें जाकर उसके अधिकारी हो जाएँगे।
24 তাদের সন্তানেরা সেই দেশে গিয়ে তা অধিকার করে নিয়েছিল। সেই দেশে বসবাসকারী কনানীয়দের তুমি তাদের সামনে ছোটো করেছিলে, তুমি কানানীয়দের, তাদের রাজাদের ও দেশের অন্যান্য জাতিদের তাদের হাতে তুলে দিয়েছিলে যাতে তারা তাদের উপর যা খুশি তাই করতে পারে।
२४सो यह सन्तान जाकर उसकी अधिकारी हो गई, और तूने उनके द्वारा देश के निवासी कनानियों को दबाया, और राजाओं और देश के लोगों समेत उनको, उनके हाथ में कर दिया, कि वे उनसे जो चाहें सो करें।
25 তারা প্রাচীরে ঘেরা অনেক নগর ও উর্বর জমি অধিকার করেছিল, তারা সব রকম ভালো ভালো জিনিসে ভরা বাড়িঘর ও আগেই খোঁড়া হয়েছে এমন অনেক কুয়ো, দ্রাক্ষাক্ষেত্র, জলপাইয়ের বাগান এবং অনেক ফলের গাছ অধিকার করেছিল। তারা খেয়ে তৃপ্ত ও পুষ্ট হয়েছিল, এবং তোমার দেওয়া প্রচুর মঙ্গল ভোগ করেছিল।
२५उन्होंने गढ़वाले नगर और उपजाऊ भूमि ले ली, और सब प्रकार की अच्छी वस्तुओं से भरे हुए घरों के, और खुदे हुए हौदों के, और दाख और जैतून की बारियों के, और खाने के फलवाले बहुत से वृक्षों के अधिकारी हो गए; वे उसे खा खाकर तृप्त हुए, और हष्ट-पुष्ट हो गए, और तेरी बड़ी भलाई के कारण सुख भोगते रहे।
26 “তবুও তারা অবাধ্য হয়ে তোমার বিরুদ্ধে বিদ্রোহ করেছিল; তোমার বিধান তারা ত্যাগ করেছিল। তোমার যে ভাববাদীরা তোমার প্রতি তাদের ফিরাবার জন্য সাক্ষ্য দিতেন, তাদের হত্যা করেছিল, তারা ভয়ানক অসন্তোষের কাজ করেছিল।
२६“परन्तु वे तुझ से फिरकर बलवा करनेवाले बन गए और तेरी व्यवस्था को त्याग दिया, और तेरे जो नबी तेरी ओर उन्हें फेरने के लिये उनको चिताते रहे उनको उन्होंने घात किया, और तेरा बहुत तिरस्कार किया।
27 সেইজন্য তুমি তাদের শত্রুদের হাতে তুলে দিয়েছিলে, যারা তাদের উপর অত্যাচার করেছিল। কিন্তু কষ্টের সময় তারা তোমার কাছে কাঁদত। তুমি স্বর্গ থেকে সেই কান্না শুনেছিলে এবং তোমার প্রচুর করুণায় তাদের উদ্ধারকারীদের পাঠিয়ে দিয়েছিলে, যারা শত্রুদের হাত থেকে তাদের উদ্ধার করেছিল।
२७इस कारण तूने उनको उनके शत्रुओं के हाथ में कर दिया, और उन्होंने उनको संकट में डाल दिया; तो भी जब जब वे संकट में पड़कर तेरी दुहाई देते रहे तब-तब तू स्वर्ग से उनकी सुनता रहा; और तू जो अति दयालु है, इसलिए उनके छुड़ानेवाले को भेजता रहा जो उनको शत्रुओं के हाथ से छुड़ाते थे।
28 “কিন্তু যেই তারা বিশ্রাম পেত অমনি আবার তারা তোমার চোখে যা মন্দ তাই করত। এরপর তুমি শত্রুদের হাতে তাদের ছেড়ে দিয়েছিলে যাতে শত্রুরা তাদের উপর কর্তৃত্ব করে। কিন্তু আবার যখন তারা তোমার কাছে কাঁদত তখন স্বর্গ থেকে তা শুনে তোমার করুণায় তুমি বারে বারে তাদের উদ্ধার করতে।
२८परन्तु जब जब उनको चैन मिला, तब-तब वे फिर तेरे सामने बुराई करते थे, इस कारण तू उनको शत्रुओं के हाथ में कर देता था, और वे उन पर प्रभुता करते थे; तो भी जब वे फिरकर तेरी दुहाई देते, तब तू स्वर्ग से उनकी सुनता और तू जो दयालु है, इसलिए बार बार उनको छुड़ाता,
29 “তোমার বিধানের দিকে ফিরে আসবার জন্য তুমি তাদের সতর্ক করেছিলে, কিন্তু তারা অহংকারে পূর্ণ ছিল, ও তোমার আজ্ঞা অমান্য করেছিল। তোমার যেসব নির্দেশ পালন করলে মানুষ বাঁচে তার বিরুদ্ধে তারা পাপ করেছিল। তারা একগুঁয়ে হয়ে এবং ঘাড় শক্ত করে তোমার কথা শুনতে চায়নি।
२९और उनको चिताता था कि उनको फिर अपनी व्यवस्था के अधीन कर दे। परन्तु वे अभिमान करते रहे और तेरी आज्ञाएँ नहीं मानते थे, और तेरे नियम, जिनको यदि मनुष्य माने, तो उनके कारण जीवित रहे, उनके विरुद्ध पाप करते, और हठ करके अपना कंधा हटाते और न सुनते थे।
30 কিন্তু তবুও অনেক বছর ধরে তুমি তাদের উপর ধৈর্য ধরেছিলে। তোমার ভাববাদীদের মাধ্যমে তোমার আত্মার দ্বারা তুমি তাদের সতর্ক করেছিলে। অথচ তাতে তারা কান দেয়নি, সেইজন্য প্রতিবেশী অন্য জাতির লোকদের হাতে তুমি তাদের তুলে দিয়েছিলে।
३०तू तो बहुत वर्ष तक उनकी सहता रहा, और अपने आत्मा से नबियों के द्वारा उन्हें चिताता रहा, परन्तु वे कान नहीं लगाते थे, इसलिए तूने उन्हें देश-देश के लोगों के हाथ में कर दिया।
31 কিন্তু তোমার প্রচুর করুণার জন্য তুমি তাদের নিঃশেষ অথবা ত্যাগ করোনি, কারণ তুমি কৃপাময় ও স্নেহশীল ঈশ্বর।
३१तो भी तूने जो अति दयालु है, उनका अन्त नहीं कर डाला और न उनको त्याग दिया, क्योंकि तू अनुग्रहकारी और दयालु परमेश्वर है।
32 “অতএব, হে আমাদের ঈশ্বর, তুমি মহান, শক্তিশালী ও ভয়ংকর ঈশ্বর, তুমি তোমার ভালোবাসার বিধান রক্ষা করে থাকো। আসিরিয়ার রাজাদের সময় থেকে শুরু করে আজ পর্যন্ত এই যে সকল ক্লেশ আমাদের উপর এবং আমাদের রাজাদের, কর্মকর্তাদের, যাজকদের, ভাববাদীদের, পিতৃপুরুষদের ও তোমার সকল প্রজাদের উপর যে ক্লেশ ঘটেছে তা তোমার চোখে যেন সামান্য মনে না হয়।
३२“अब तो हे हमारे परमेश्वर! हे महान पराक्रमी और भययोग्य परमेश्वर! जो अपनी वाचा पालता और करुणा करता रहा है, जो बड़ा कष्ट, अश्शूर के राजाओं के दिनों से ले आज के दिन तक हमें और हमारे राजाओं, हाकिमों, याजकों, नबियों, पुरखाओं, वरन् तेरी समस्त प्रजा को भोगना पड़ा है, वह तेरी दृष्टि में थोड़ा न ठहरे।
33 আমাদের প্রতি যা কিছু ঘটেছে, তুমি ন্যায়পরায়ণ থেকে বিশ্বস্তভাবে কাজ করেছ, কিন্তু আমরা অন্যায় করেছি।
३३तो भी जो कुछ हम पर बीता है उसके विषय तू तो धर्मी है; तूने तो सच्चाई से काम किया है, परन्तु हमने दुष्टता की है।
34 আমাদের রাজারা, আমাদের কর্মকর্তারা, আমাদের যাজকেরা এবং আমাদের পিতৃপুরুষেরা তোমার বিধান পালন করেননি; তারা তোমার আজ্ঞায় অথবা সতর্কবাণীতে মনোযোগ দেয়নি।
३४और हमारे राजाओं और हाकिमों, याजकों और पुरखाओं ने, न तो तेरी व्यवस्था को माना है और न तेरी आज्ञाओं और चितौनियों की ओर ध्यान दिया है जिनसे तूने उनको चिताया था।
35 আর তাদের রাজত্বকালে তোমার দেওয়া বড়ো ও উর্বর দেশে প্রচুর মঙ্গল ভোগ করেছিল, তবুও তারা তোমার সেবা করেনি কিংবা তাদের মন্দ পথ থেকে ফেরেনি।
३५उन्होंने अपने राज्य में, और उस बड़े कल्याण के समय जो तूने उन्हें दिया था, और इस लम्बे चौड़े और उपजाऊ देश में तेरी सेवा नहीं की; और न अपने बुरे कामों से पश्चाताप किया।
36 “কিন্তু দেখো, আজ আমরা দাস, ফলে যে দেশ তুমি আমাদের পিতৃপুরুষদের দিয়েছিলে যেন তারা তার ফল ও ভালো জিনিস খেতে পারে, আমরা সেখানেই দাস হয়ে রয়েছি।
३६देख, हम आजकल दास हैं; जो देश तूने हमारे पितरों को दिया था कि उसकी उत्तम उपज खाएँ, इसी में हम दास हैं।
37 আমাদের পাপের জন্য যে রাজাদের তুমি আমাদের উপর রাজত্ব করতে দিয়েছ দেশের প্রচুর ফসল তাদের কাছেই যায়। তারা তাদের খুশি মতোই আমাদের শরীরের উপরে ও আমাদের পশুপালের উপরে কর্তৃত্ব করেন। আমরা মহা সংকটের মধ্যে রয়েছি।
३७इसकी उपज से उन राजाओं को जिन्हें तूने हमारे पापों के कारण हमारे ऊपर ठहराया है, बहुत धन मिलता है; और वे हमारे शरीरों और हमारे पशुओं पर अपनी-अपनी इच्छा के अनुसार प्रभुता जताते हैं, इसलिए हम बड़े संकट में पड़े हैं।”
38 “এসব কারণে আমরা এখন নিজেদের মধ্যে লিখিতভাবে চুক্তি করছি আর তার উপর আমাদের কর্মকর্তারা, আমাদের লেবীয়রা এবং আমাদের যাজকেরা তাদের সিলমোহর দিচ্ছেন।”
३८इस सब के कारण, हम सच्चाई के साथ वाचा बाँधते, और लिख भी देते हैं, और हमारे हाकिम, लेवीय और याजक उस पर छाप लगाते हैं।

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