< যিরমিয়ের বই 36 >

1 যোশিয়ের পুত্র, যিহূদার রাজা যিহোয়াকীমের চতুর্থ বছরে, সদাপ্রভুর এই বাক্য যিরমিয়ের কাছে উপস্থিত হল:
फिर योशिय्याह के पुत्र यहूदा के राजा यहोयाकीम के राज्य के चौथे वर्ष में यहोवा की ओर से यह वचन यिर्मयाह के पास पहुँचा
2 “তুমি একটি গুটানো চামড়ার পুঁথি নাও ও তাতে আমি তোমাকে ইস্রায়েল, যিহূদা এবং অন্যান্য জাতিদের সম্পর্কে যোশিয়ের রাজত্বকাল থেকে এখন পর্যন্ত যা কিছু বলেছি, সেসবই লিপিবদ্ধ করো।
“एक पुस्तक लेकर जितने वचन मैंने तुझ से योशिय्याह के दिनों से लेकर अर्थात् जब मैं तुझ से बातें करने लगा उस समय से आज के दिन तक इस्राएल और यहूदा और सब जातियों के विषय में कहे हैं, सब को उसमें लिख।
3 হয়তো যিহূদার জনগণ সেইসব বিপর্যয়, যা আমি তাদের উপর ঘটাব বলে স্থির করেছি, তার কথা শুনে, তাদের মধ্যে প্রত্যেকে তাদের দুষ্টতার জীবনাচরণ ত্যাগ করবে; তখন আমি তাদের দুষ্টতা ও তাদের পাপ ক্ষমা করব।”
क्या जाने यहूदा का घराना उस सारी विपत्ति का समाचार सुनकर जो मैं उन पर डालने की कल्पना कर रहा हूँ अपनी बुरी चाल से फिरे और मैं उनके अधर्म और पाप को क्षमा करूँ।”
4 তাই যিরমিয় নেরিয়ের পুত্র বারূককে ডেকে পাঠালেন। সদাপ্রভু যে সমস্ত কথা যিরমিয়কে বলেছিলেন, তিনি সেগুলি মুখে বলে গেলেন। বারূক সেগুলি পুঁথিতে লিখলেন।
अतः यिर्मयाह ने नेरिय्याह के पुत्र बारूक को बुलाया, और बारूक ने यहोवा के सब वचन जो उसने यिर्मयाह से कहे थे, उसके मुख से सुनकर पुस्तक में लिख दिए।
5 তারপর যিরমিয় বারূককে বললেন, “আমি অবরুদ্ধ আছি, আমি সদাপ্রভুর মন্দিরে যেতে পারি না।
फिर यिर्मयाह ने बारूक को आज्ञा दी और कहा, “मैं तो बन्धा हुआ हूँ, मैं यहोवा के भवन में नहीं जा सकता।
6 তাই এক উপবাসের দিনে তুমি সদাপ্রভুর গৃহে যাও এবং লোকদের কাছে পুঁথিতে লেখা সদাপ্রভুর বাক্য পাঠ করো, যেগুলি আমি মুখে বলেছিলাম ও তুমি লিখেছিলে। সেগুলি যিহূদার নগরগুলি থেকে আসা সব লোকের কাছে পাঠ করো।
इसलिए तू उपवास के दिन यहोवा के भवन में जाकर उसके जो वचन तूने मुझसे सुनकर लिखे हैं, पुस्तक में से लोगों को पढ़कर सुनाना, और जितने यहूदी लोग अपने-अपने नगरों से आएँगे, उनको भी पढ़कर सुनाना।
7 হয়তো তারা তাদের আবেদন সদাপ্রভুর সামনে নিয়ে আসবে এবং প্রত্যেকে তার দুষ্ট জীবনাচরণ থেকে ফিরে আসবে। কারণ সদাপ্রভু এই লোকদের বিরুদ্ধে অত্যন্ত ক্রোধ ও রোষের কথা ঘোষণা করেছেন।”
क्या जाने वे यहोवा से गिड़गिड़ाकर प्रार्थना करें और अपनी-अपनी बुरी चाल से फिरें; क्योंकि जो क्रोध और जलजलाहट यहोवा ने अपनी इस प्रजा पर भड़काने को कहा है, वह बड़ी है।”
8 ভাববাদী যিরমিয় নেরিয়ের পুত্র বারূককে যা যা করতে বলেছিলেন, তিনি সমস্তই করলেন। সদাপ্রভুর মন্দিরে তিনি সেই পুঁথি থেকে সদাপ্রভুর বাক্যগুলি পড়লেন।
यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता की इस आज्ञा के अनुसार नेरिय्याह के पुत्र बारूक ने, यहोवा के भवन में उस पुस्तक में से उसके वचन पढ़कर सुनाए।
9 যোশিয়ের পুত্র যিহূদার রাজা যিহোয়াকীমের রাজত্বকালের পঞ্চম বছরের নবম মাসে, জেরুশালেমের ও যিহূদার নগরগুলি থেকে আসা সমস্ত লোকের উদ্দেশে সদাপ্রভুর সাক্ষাতে এক উপবাসের সময় ঘোষণা করা হল।
योशिय्याह के पुत्र यहूदा के राजा यहोयाकीम के राज्य के पाँचवें वर्ष के नौवें महीने में यरूशलेम में जितने लोग थे, और यहूदा के नगरों से जितने लोग यरूशलेम में आए थे, उन्होंने यहोवा के सामने उपवास करने का प्रचार किया।
10 তখন বারূক সদাপ্রভুর গৃহে, উপরের প্রাঙ্গণে, সদাপ্রভুর গৃহের নতুন-দ্বারের প্রবেশস্থানে, শাফনের পুত্র সচিব গমরিয়ের কক্ষে সমস্ত লোকের কর্ণগোচরে ওই পুঁথি নিয়ে যিরমিয়ের সব কথা পাঠ করলেন।
१०तब बारूक ने यहोवा के भवन में सब लोगों को शापान के पुत्र गमर्याह जो प्रधान था, उसकी कोठरी में जो ऊपर के आँगन में यहोवा के भवन के नये फाटक के पास थी, यिर्मयाह के सब वचन पुस्तक में से पढ़ सुनाए।
11 যখন শাফনের পুত্র গমরিয়ের পুত্র মীখায়া ওই পুঁথিতে লেখা সদাপ্রভুর বাক্যগুলি শুনলেন,
११तब शापान के पुत्र गमर्याह के बेटे मीकायाह ने यहोवा के सारे वचन पुस्तक में से सुने।
12 তিনি রাজপ্রাসাদের সচিবের কক্ষে গেলেন, যেখানে সব রাজকর্মচারী বসেছিলেন: সচিব ইলীশামা, শময়িয়ের পুত্র দলায়, অক্‌বোরের পুত্র ইল্‌নাথন, শাফনের পুত্র গমরিয়, হনানিয়ের পুত্র সিদিকিয় এবং অন্যান্য সব কর্মচারী।
१२और वह राजभवन के प्रधान की कोठरी में उतर गया, और क्या देखा कि वहाँ एलीशामा प्रधान और शमायाह का पुत्र दलायाह और अकबोर का पुत्र एलनातान और शापान का पुत्र गमर्याह और हनन्याह का पुत्र सिदकिय्याह और सब हाकिम बैठे हुए हैं।
13 বারূক সেই পুঁথি থেকে লোকদের কাছে যা পাঠ করেছিলেন, সে সমস্তই মীখায়া তাদের কাছে বললে পর,
१३मीकायाह ने जितने वचन उस समय सुने, जब बारूक ने पुस्तक में से लोगों को पढ़ सुनाए थे, उन सब का वर्णन किया।
14 রাজকর্মচারীরা কূশির প্রপৌত্র শেলেমিয়ের পৌত্র নথনিয়ের পুত্র যিহূদীকে বারূকের কাছে এই কথা বলে পাঠালেন, “লোকদের কাছে তুমি যে পুঁথি থেকে পাঠ করেছ, সেটি নিয়ে এখানে এসো।” তাই নেরিয়ের পুত্র বারূক সেই পুঁথিটি হাতে নিয়ে তাদের কাছে গেলেন।
१४उन्हें सुनकर सब हाकिमों ने यहूदी को जो नतन्याह का पुत्र ओर शेलेम्याह का पोता और कूशी का परपोता था, बारूक के पास यह कहने को भेजा, “जिस पुस्तक में से तूने सब लोगों को पढ़ सुनाया है, उसे अपने हाथ में लेता आ।” अतः नेरिय्याह का पुत्र बारूक वह पुस्तक हाथ में लिए हुए उनके पास आया।
15 তারা তাঁকে বলল, “আপনি দয়া করে বসুন এবং এই পুঁথি থেকে আমাদের পড়ে শোনান।” বারূক তাদের কাছে তা পড়ে শোনালেন।
१५तब उन्होंने उससे कहा, “अब बैठ जा और हमें यह पढ़कर सुना।” तब बारूक ने उनको पढ़कर सुना दिया।
16 তারা যখন সেইসব বাক্য শুনল, তারা ভয়ে পরস্পরের দিকে তাকিয়ে বারূককে বলল, “আমরা অবশ্যই এই সমস্ত কথা রাজাকে জানাব।”
१६जब वे उन सब वचनों को सुन चुके, तब थरथराते हुए एक दूसरे को देखने लगे; और उन्होंने बारूक से कहा, “हम निश्चय राजा से इन सब वचनों का वर्णन करेंगे।”
17 তারপর তারা বারূককে জিজ্ঞাসা করল, “আমাদের বলুন, আপনি কীভাবে এই সমস্ত বিষয় লিখলেন? যিরমিয় কি আপনাকে এই সমস্ত বলেছিলেন?”
१७फिर उन्होंने बारूक से कहा, “हम से कह, क्या तूने ये सब वचन उसके मुख से सुनकर लिखे?”
18 বারূক উত্তর দিলেন, “হ্যাঁ, তিনিই এসব কথা আমাকে বলেছেন এবং আমি কালি দিয়ে এই সমস্ত কথা এই পুঁথিতে লিখেছি।”
१८बारूक ने उनसे कहा, “वह ये सब वचन अपने मुख से मुझे सुनाता गया ओर मैं इन्हें पुस्तक में स्याही से लिखता गया।”
19 তখন রাজকর্মচারীরা বারূককে বলল, “আপনি ও যিরমিয় গিয়ে লুকিয়ে থাকুন। কাউকে জানতে দেবেন না, আপনারা কোথায় আছেন।”
१९तब हाकिमों ने बारूक से कहा, “जा, तू अपने आपको और यिर्मयाह को छिपा, और कोई न जानने पाए कि तुम कहाँ हो।”
20 সচিব ইলীশামার কক্ষে পুঁথিটি রাখার পরে, তারা রাজদরবারে রাজার কাছে গেল এবং সমস্তই তাঁকে বলে শোনাল।
२०तब वे पुस्तक को एलीशामा प्रधान की कोठरी में रखकर राजा के पास आँगन में आए; और राजा को वे सब वचन कह सुनाए।
21 পুঁথিটি আনার জন্য রাজা যিহূদীকে প্রেরণ করলে, যিহূদী সেটি সচিব ইলীশামার কক্ষ থেকে নিয়ে এল। সে রাজার কাছে ও তাঁর পাশে দাঁড়ানো রাজকর্মচারীদের কাছে তা পড়ে শোনাল।
२१तब राजा ने यहूदी को पुस्तक ले आने के लिये भेजा, उसने उसे एलीशामा प्रधान की कोठरी में से लेकर राजा को और जो हाकिम राजा के आस-पास खड़े थे उनको भी पढ़ सुनाया।
22 তখন ছিল বছরের নবম মাস। রাজা তাঁর শীতকালীন কক্ষে বসেছিলেন। তাঁর সামনে চুল্লিতে আগুন জ্বালানো ছিল।
२२राजा शीतकाल के भवन में बैठा हुआ था, क्योंकि नौवाँ महीना था और उसके सामने अँगीठी जल रही थी।
23 যিহূদী সেই পুঁথি থেকে তিন-চারটি স্তম্ভ পাঠ করলে, রাজা সচিবের ছুরি দিয়ে তা কেটে চুল্লির আগুনে নিক্ষেপ করলেন। এভাবে সমস্ত পুঁথিটিই আগুনে ভস্মীভূত হল।
२३जब यहूदी तीन चार पृष्ठ पढ़ चुका, तब उसने उसे चाकू से काटा और जो आग अँगीठी में थी उसमें फेंक दिया; इस प्रकार अँगीठी की आग में पूरी पुस्तक जलकर भस्म हो गई।
24 রাজা ও তাঁর পরিচারকেরা, যারাই এই সমস্ত কথা শুনল, তারা ভীত হল না বা তাদের পোশাক ছিঁড়ে ফেলল না।
२४परन्तु न कोई डरा और न किसी ने अपने कपड़े फाड़े, अर्थात् न तो राजा ने और न उसके कर्मचारियों में से किसी ने ऐसा किया, जिन्होंने वे सब वचन सुने थे।
25 যদিও ইল্‌নাথন, দলায় ও গমরিয় পুঁথিটি না পোড়ানোর জন্য রাজাকে অনুরোধ করেছিল, তিনি তাদের কথা শোনেননি।
२५एलनातान, और दलायाह, और गमर्याह ने तो राजा से विनती भी की थी कि पुस्तक को न जलाए, परन्तु उसने उनकी एक न सुनी।
26 বরং তিনি রাজার এক পুত্র যিরহমেলকে, অস্রীয়েলের পুত্র সরায় ও অব্দিলের পুত্র শেলেমিয়কে আদেশ দিলেন, লেখক বারূক ও ভাববাদী যিরমিয়কে গ্রেপ্তার করতে। কিন্তু সদাপ্রভু তাদের লুকিয়ে রেখেছিলেন।
२६राजा ने राजपुत्र यरहमेल को और अज्रीएल के पुत्र सरायाह को और अब्देल के पुत्र शेलेम्याह को आज्ञा दी कि बारूक लेखक और यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता को पकड़ लें, परन्तु यहोवा ने उनको छिपा रखा।
27 যিরমিয়ের বলা কথাগুলি শুনে বারূক যে পুঁথিতে সেগুলি লিখেছিলেন, রাজা তা পুড়িয়ে ফেলার পর, সদাপ্রভুর বাক্য যিরমিয়ের কাছে উপস্থিত হল:
२७जब राजा ने उन वचनों की पुस्तक को जो बारूक ने यिर्मयाह के मुख से सुन सुनकर लिखी थी, जला दिया, तब यहोवा का यह वचन यिर्मयाह के पास पहुँचा
28 “তুমি অন্য একটি পুঁথি নাও ও যিহূদার রাজা যিহোয়াকীম যে পুঁথিটি পুড়িয়ে ফেলেছে, সেই প্রথম পুঁথিতে বলা কথাগুলি সব এর মধ্যে লেখো।
२८“फिर एक और पुस्तक लेकर उसमें यहूदा के राजा यहोयाकीम की जलाई हुई पहली पुस्तक के सब वचन लिख दे।
29 সেই সঙ্গে যিহূদার রাজা যিহোয়াকীমকে এই কথাও বলো, ‘সদাপ্রভু এই কথা বলেন, তুমি ওই পুঁথিটি দগ্ধ করে বলেছ, “কেন তুমি এর মধ্যে লিখেছ যে ব্যাবিলনের রাজা নিশ্চিতরূপে এসে এই দেশ ধ্বংস করবে এবং এর মধ্য থেকে মানুষ ও পশু, উভয়কেই বিনষ্ট করবে?”
२९और यहूदा के राजा यहोयाकीम के विषय में कह, ‘यहोवा यह कहता है: तूने उस पुस्तक को यह कहकर जला दिया है कि तूने उसमें यह क्यों लिखा है कि बाबेल का राजा निश्चय आकर इस देश को नष्ट करेगा, और उसमें न तो मनुष्य को छोड़ेगा और न पशु को।
30 সেই কারণে, যিহূদার রাজা যিহোয়াকীম সম্বন্ধে সদাপ্রভু এই কথা বলেন, দাউদের সিংহাসনে বসার জন্য তার বংশে কেউ থাকবে না; তার মৃতদেহ বাইরে নিক্ষিপ্ত হবে, তার মধ্যে দিনের উত্তাপ ও রাত্রির হিম লাগবে।
३०इसलिए यहोवा यहूदा के राजा यहोयाकीम के विषय में यह कहता है, कि उसका कोई दाऊद की गद्दी पर विराजमान न रहेगा; और उसकी लोथ ऐसी फेंक दी जाएगी कि दिन को धूप में और रात को पाले में पड़ी रहेगी।
31 আমি তাকে, তার সন্তানদের ও তার পরিচারকদের দুষ্টতার জন্য তাদের শাস্তি দেব; আমি যে সমস্ত বিপর্যয়ের কথা তাদের ও জেরুশালেমে বসবাসকারী লোকদের ও যিহূদার লোকদের বিরুদ্ধে ঘোষণা করেছিলাম, সে সমস্তই নিয়ে আসব, কারণ তারা আমার কথা শোনেনি।’”
३१मैं उसको और उसके वंश और कर्मचारियों को उनके अधर्म का दण्ड दूँगा; और जितनी विपत्ति मैंने उन पर और यरूशलेम के निवासियों और यहूदा के सब लोगों पर डालने को कहा है, और जिसको उन्होंने सच नहीं माना, उन सब को मैं उन पर डालूँगा।’”
32 সেইজন্য যিরমিয় অন্য একটি পুঁথি নিলেন। তিনি সেটি নেরিয়ের পুত্র লেখক বারূককে দিলেন। আর যিরমিয় যেভাবে বলে গেলেন, বারূক প্রথম পুঁথি, যে পুঁথিটি যিহূদার রাজা যিহোয়াকীম পুড়িয়ে ফেলেছিলেন, তার সব কথা তার মধ্যে লিখলেন। এর অতিরিক্ত আরও অন্য অনুরূপ কথা এর মধ্যে সংযোজিত হল।
३२तब यिर्मयाह ने दूसरी पुस्तक लेकर नेरिय्याह के पुत्र बारूक लेखक को दी, और जो पुस्तक यहूदा के राजा यहोयाकीम ने आग में जला दी थी, उसमें के सब वचनों को बारूक ने यिर्मयाह के मुख से सुन सुनकर उसमें लिख दिए; और उन वचनों में उनके समान और भी बहुत सी बातें बढ़ा दी गई।

< যিরমিয়ের বই 36 >