< গীতসংহিতা 36 >

1 প্রধান বাদ্যকরের জন্য। সদাপ্রভুুর দাস দায়ূদের একটি গীত। পাপ দুষ্ট লোকের মধ্যে ভাববাণী হিসাবে কথা বলে; তার চোখে ঈশ্বরের কোন ভয় নেই।
संगीत निर्देशक के लिये. याहवेह के सेवक दावीद की रचना दुष्ट के हृदय में उसका दोष भाव उसे कहते रहता है: उसकी दृष्टि में परमेश्वर के प्रति कोई भय है ही नहीं.
2 কারণ সে প্রতারণায় জীবনযাপন করেন, তার পাপ আবিষ্কৃত ও ঘৃণিত হবে না।
अपनी ही नज़रों में वह खुद की चापलूसी करता है. ऐसे में उसे न तो अपना पाप दिखाई देता है, न ही उसे पाप से घृणा होती है.
3 তার কথা পাপপূর্ণ এবং প্রতারণাপূর্ণ; সে জ্ঞানবান হতে এবং ভাল করতে চায় না।
उसका बोलना छलपूर्ण एवं बुराई का है; बुद्धि ने उसका साथ छोड़ दिया है तथा उपकार भाव अब उसमें रहा ही नहीं.
4 যখন সে বিছানায় মিথ্যা কল্পনা করে; তিনি একটি মন্দ পথে দাঁড়িয়ে থাকে; তিনি মন্দকে প্রত্যাখ্যান করে না।
यहां तक कि बिछौने पर लेटे हुए वह बुरी युक्ति रचता रहता है; उसने स्वयं को अधर्म के लिए समर्पित कर दिया है. वह बुराई को अस्वीकार नहीं कर पाता.
5 সদাপ্রভুু, তোমার চুক্তির বিশ্বস্ততা স্বর্গে পৌছায়; তোমার বিশ্বস্ততা মেঘ পর্যন্ত পৌছায়।
याहवेह, आपका करुणा-प्रेम स्वर्ग तक, तथा आपकी विश्वासयोग्यता आकाशमंडल तक व्याप्‍त है.
6 তোমার ন্যায়পরায়ণতা সর্বোচ্চ পাহাড়ের মত; তোমার ন্যায়বিচার গভীরতম সমুদ্রের মত। সদাপ্রভুু, তুমি মানবজাতি এবং পশুদের উভয়কেই রক্ষা করে থাক।
आपकी धार्मिकता विशाल पर्वत समान, तथा आपकी सच्चाई अथाह महासागर तुल्य है. याहवेह, आप ही मनुष्य एवं पशु, दोनों के परिरक्षक हैं.
7 ঈশ্বর তোমার চুক্তির বিশ্বস্ততা কত মূল্যবান! মানবসন্তানেরা তোমার ডানার ছায়ার নিচে আশ্রয় নেয়।
कैसा अप्रतिम है आपका करुणा-प्रेम! आपके पंखों की छाया में साधारण और विशिष्ट, सभी मनुष्य आश्रय लेते हैं.
8 তারা তোমার ঘরে প্রচুর পরিমাণ খাবারের সমৃদ্ধিতে সন্তুষ্ট হবে; তুমি তাদেরকে তোমার মূল্যবান আশীর্বাদের নদী থেকে পান করাবে।
वे आपके आवास के उत्कृष्ट भोजन से तृप्‍त होते हैं; आप सुख की नदी से उनकी प्यास बुझाते हैं.
9 কারণ তোমার কাছেই জীবনের ঝর্ণা আছে; তোমারই আলোতে আমরা আলো দেখতে পাই।
आप ही जीवन के स्रोत हैं; आपके प्रकाश के द्वारा ही हमें ज्योति का भास होता है.
10 ১০ যারা তোমায় জানে তুমি তাদের চুক্তির বিশ্বস্ততা প্রসারিত কর, তোমার প্রতিরক্ষা সরল হৃদয়দের প্রতি।
जिनमें आपके प्रति श्रद्धा है, उन पर आप अपना करुणा-प्रेम एवं जिनमें आपके प्रति सच्चाई है, उन पर अपनी धार्मिकता बनाए रखें.
11 ১১ অহঙ্কারী ব্যক্তির পা আমার কাছে না আসুক। দুষ্ট লোকের হাত আমাকে তাড়িয়ে না দিক।
मुझे अहंकारी का पैर कुचल न पाए, और न दुष्ट का हाथ मुझे बाहर धकेल सके.
12 ১২ ওখানে দুষ্টরা পতিত হয়েছে; তারা নিচে নিক্ষিপ্ত হলো এবং উঠতে সক্ষম হলো না।
कुकर्मियों का अंत हो चुका है, वे ज़मीन-दोस्त हो चुके हैं, वे ऐसे फेंक दिए गए हैं, कि अब वे उठ नहीं पा रहे!

< গীতসংহিতা 36 >