< গীতসংহিতা 143 >

1 দায়ূদের সঙ্গীত। আমার প্রার্থনা শোনো, আমার বিনতি শোনো, কারণ তোমার বিশ্বস্ততায় এবং তোমার ধার্ম্মিকতায়, আমাকে উত্তর দাও।
ऐ ख़ुदावन्द, मेरी दू'आ सुन, मेरी इल्तिजा पर कान लगा। अपनी वफ़ादारी और सदाक़त में मुझे जवाब दे,
2 তোমার দাসকে বিচারে ঢুকিও না, কারণ তোমার সামনে কেউ ধার্মিক নয়।
और अपने बन्दे को 'अदालत में न ला, क्यूँकि तेरी नज़र में कोई आदमी रास्तबाज़ नहीं ठहर सकता।
3 শত্রু আমার আত্মাকে তাড়না দিয়েছে; সে আমাকে ধাক্কা দিয়ে মাটিতে ফেলে দিয়েছে; সে আমাকে অন্ধকারে বাস করিয়েছে, চিরকালের মৃতদের মত করেছে।
इसलिए कि दुश्मन ने मेरी जान को सताया है; उसने मेरी ज़िन्दगी को ख़ाक में मिला दिया, और मुझे अँधेरी जगहों में उनकी तरह बसाया है जिनको मरे मुद्दत हो गई हो।
4 এতে আমার আত্মা ভেতরে দুর্বল হয়েছে, আমার হৃদয় হতাশ হয়েছে।
इसी वजह से मुझ में मेरी जान निढाल है; और मेरा दिल मुझ में बेकल है।
5 আমি পুরনো দিনের কথা মনে করি, আমি তোমার সব কাজ ধ্যান করছি, তোমার হাতের কাজ আলোচনা করছি।
मैं पिछले ज़मानों को याद करता हूँ, मैं तेरे सब कामों पर ग़ौर करता हूँ, और तेरी दस्तकारी पर ध्यान करता हूँ।
6 আমি তোমার কাছে প্রার্থনার জন্য হাত বাড়াই; শুকনো জমিতে আমার আত্মা তোমার জন্য তৃষ্ণার্থ।
मैं अपने हाथ तेरी तरफ़ फैलाता हूँ मेरी जान खु़श्क ज़मीन की तरह तेरी प्यासी है।
7 আমাকে তাড়াতাড়ি উত্তর দাও সদাপ্রভুু, কারণ আমার আত্মা শেষ হয়েছে; আমার কাছে তোমার মুখ লুকিও না অথবা আমি গর্তে যাওয়া লোকেদের মত হয়ে পড়বো।
ऐ ख़ुदावन्द, जल्द मुझे जवाब दे: मेरी रूह गुदाज़ हो चली! अपना चेहरा मुझ से न छिपा, ऐसा न हो कि मैं क़ब्र में उतरने वालों की तरह हो जाऊँ।
8 সকালে আমাকে তোমার চুক্তির বিশ্বস্ততা শোনাও, কারণ আমি তোমার ওপর নির্ভর করি; আমাকে পথ দেখাও যেখানে আমার যাওয়া উচিত, কারণ আমি তোমার জন্য আমার প্রাণ উত্তোলন করি।
सुबह को मुझे अपनी शफ़क़त की ख़बर दे, क्यूँकि मेरा भरोसा तुझ पर है। मुझे वह राह बता जिस पर मैं चलूं, क्यूँकि मैं अपना दिल तेरी ही तरफ़ लगाता हूँ।
9 সদাপ্রভুু, আমার শত্রুদের থেকে আমাকে উদ্ধার কর; আমি তোমার কাছে লুকিয়েছি।
ऐ ख़ुदावन्द, मुझे मेरे दुश्मनों से रिहाई बख्श; क्यूँकि मैं पनाह के लिए तेरे पास भाग आया हूँ।
10 ১০ তোমার ইচ্ছামত কাজ করতে আমাকে শিক্ষা দাও; কারণ তুমি আমার ঈশ্বর; তোমার আত্মা মঙ্গলময়, সঠিক জমি দিয়ে আমাকে চালাও।
मुझे सिखा के तेरी मर्ज़ी पर चलूँ, इसलिए कि तू मेरा ख़ुदा है! तेरी नेक रूह मुझे रास्ती के मुल्क में ले चले!
11 ১১ সদাপ্রভুু, আমার নামের জন্য আমাকে সঞ্জীবিত কর; তোমার ধর্মশীলতায় সঙ্কট থেকে আমার আত্মা উদ্ধার কর।
ऐ ख़ुदावन्द, अपने नाम की ख़ातिर मुझे ज़िन्दा कर! अपनी सदाक़त में मेरी जान को मुसीबत से निकाल!
12 ১২ তোমার বিশস্ততার চুক্তিতে, আমার জীবন থেকে সব শত্রুদের বিনাশ কর কারণ আমি তোমার দাস।
अपनी शफ़क़त से मेरे दुश्मनों को काट डाल, और मेरी जान के सब दुख देने वालों को हलाक कर दे, क्यूँकि मैं तेरा बन्दा हूँ।

< গীতসংহিতা 143 >