< লুক 9 >

1 পরে তিনি সেই বারো জনকে একসঙ্গে ডাকলেন ও তাঁদের সমস্ত ভূতের উপরে এবং রোগ ভালো করবার জন্য, শক্তি ও ক্ষমতা দিলেন;
फिर उसने उन बारह को बुलाकर उन्हें सब बदरूहों पर इख़्तियार बख़्शा और बीमारियों को दूर करने की क़ुदरत दी।
2 ঈশ্বরের রাজ্য প্রচার করতে এবং সুস্থ করতে তাঁদের পাঠিয়ে দিলেন।
और उन्हें ख़ुदा की बादशाही का ऐलान करने और बीमारों को अच्छा करने के लिए भेजा,
3 আর তিনি তাঁদের বললেন, “রাস্তায় যাওয়ার দিন কিছুই সঙ্গে নিও না, লাঠি, থলে, খাবার, টাকা এমনকি দুটি জামাও নিও না।
और उनसे कहा, “राह के लिए कुछ न लेना, न लाठी, न झोली, न रोटी, न रुपए, न दो दो कुरते रखना।
4 আর তোমরা যে কোনও বাড়িতে প্রবেশ কর, সেখানেই থেকো এবং সেখান থেকে চলে যেও না।
और जिस घर में दाख़िल हो वहीं रहना और वहीं से रवाना होना;
5 আর যে লোকেরা তোমাদের গ্রহণ না করে, সেই শহর থেকে চলে যাওয়ার দিনের তাদের বিরুদ্ধে সাক্ষ্যের জন্য তোমাদের পায়ের ধূলো ঝেড়ে ফেলো।”
और जिस शहर के लोग तुम्हें क़ुबूल ना करें, उस शहर से निकलते वक़्त अपने पाँव की धूल झाड़ देना ताकि उन पर गवाही हो।”
6 পরে তাঁরা চলে গেলেন এবং চারিদিকে গ্রামে গ্রামে যেতে লাগলেন, সব জায়গায় সুসমাচার প্রচার এবং রোগ থেকে সুস্থ করতে লাগলেন।
पस वो रवाना होकर गाँव गाँव ख़ुशख़बरी सुनाते और हर जगह शिफ़ा देते फिरे।
7 আর, যা কিছু হচ্ছিল, হেরোদ রাজা সব কিছুই শুনতে পেলেন এবং তিনি বড় অস্থির হয়ে পড়লেন, কারণ কেউ কেউ বলত, যোহন মৃতদের মধ্য থেকে উঠেছেন;
चौथाई मुल्क का हाकिम हेरोदेस सब अहवाल सुन कर घबरा गया, इसलिए कि कुछ ये कहते थे कि युहन्ना मुर्दों में से जी उठा है,
8 আবার অনেকে বলত, এলিয় দেখা দিয়েছেন এবং আরোও অন্যরা বলত, প্রাচীনকালের ভাববাদীদের মধ্য একজন বেঁচে উঠেছেন।
और कुछ ये कि एलियाह ज़ाहिर हुआ, और कुछ ये कि क़दीम नबियों में से कोई जी उठा है।
9 আর হেরোদ বললেন, “যোহনের মাথা তো আমি কেটেছি কিন্তু ইনি কে, যাঁর বিষয়ে এমন কথা শুনতে পাচ্ছি?” আর তিনি তাঁকে দেখবার চেষ্টা করতে লাগলেন।
मगर हेरोदेस ने कहा, “युहन्ना का तो मैं ने सिर कटवा दिया, अब ये कौन जिसके बारे में ऐसी बातें सुनता हूँ?” पस उसे देखने की कोशिश में रहा।
10 ১০ পরে প্রেরিতরা যা যা করেছিলেন, ফিরে এসে তার বৃত্তান্ত যীশুকে বললেন। আর তিনি তাদের সঙ্গে নিয়ে বৈৎসৈদা শহরের গেলেন।
फिर रसूलों ने जो कुछ किया था लौटकर उससे बयान किया; और वो उनको अलग लेकर बैतसैदा नाम एक शहर को चला गया।
11 ১১ কিন্তু লোকেরা তা জানতে পেরে তাঁর সঙ্গে সঙ্গে যেতে লাগল, আর তিনি তাদের স্বাগত জানিয়ে তাদের গ্রহণ করলেন এবং তাদের কাছে ঈশ্বরের রাজ্যের বিষয় কথা বললেন এবং যাদের সুস্থ হবার প্রয়োজন ছিল, তাদের সুস্থ করলেন।
ये जानकर भीड़ उसके पीछे गई और वो ख़ुशी के साथ उनसे मिला और उनसे ख़ुदा की बादशाही की बातें करने लगा, और जो शिफ़ा पाने के मुहताज थे उन्हें शिफ़ा बख़्शी।
12 ১২ পরে বেলা শেষ হতে লাগল, আর সেই বারো জন কাছে এসে তাঁকে বললেন, “আপনি এই লোকদের বিদায় করুন, যেন তারা আশেপাশের গ্রামে গিয়ে রাতে থাকার জায়গা ও খাবার সংগ্রহ করে, কারণ আমরা এখানে নির্জন জায়গায় আছি।”
जब दिन ढलने लगा तो उन बारह ने आकर उससे कहा, “भीड़ को रुख़्सत कर के चारों तरफ़ के गाँव और बस्तियों में जा टिकें और खाने का इन्तिज़ाम करें।” क्यूँकि हम यहाँ वीरान जगह में हैं।
13 ১৩ কিন্তু তিনি তাঁদের বললেন, “তোমরাই এদের খাবার দাও।” তাঁরা তাঁকে বললেন, “আমাদের এখানে শুধুমাত্র পাঁচটি রুটি ও দুটো মাছ আছে। তবে কি আমরা গিয়ে এই সমস্ত লোকের জন্য খাবার কিনে আনতে পারব?”
उसने उनसे कहा, “तुम ही उन्हें खाने को दो,” उन्होंने कहा, “हमारे पास सिर्फ़ पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ है, मगर हाँ हम जा जाकर इन सब लोगों के लिए खाना मोल ले आएँ।”
14 ১৪ কারণ সেখানে প্রায় পাঁচ হাজার পুরুষ ছিল। তখন তিনি নিজের শিষ্যদের বললেন, “পঞ্চাশ পঞ্চাশ জন করে সারিবদ্ধ ভাবে সবাইকে বসিয়ে দাও।”
क्यूँकि वो पाँच हज़ार मर्द के क़रीब थे। उसने अपने शागिर्दों से कहा, “उनको तक़रीबन पचास — पचास की क़तारों में बिठाओ।”
15 ১৫ তাঁরা তেমনই করলেন, সবাইকে বসিয়ে দিলেন।
उन्होंने उसी तरह किया और सब को बिठाया।
16 ১৬ পরে তিনি সেই পাঁচটি রুটি ও দুটি মাছ নিয়ে স্বর্গের দিকে তাকিয়ে ঈশ্বরকে ধন্যবাদ দিলেন এবং রুটি ভেঙে শিষ্যদের দিলেন লোকদের দেওয়ার জন্য।
फिर उसने वो पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ लीं और आसमान की तरफ़ देख कर उन पर बर्क़त बख़्शी, और तोड़कर अपने शागिर्दों को देता गया कि लोगों के आगे रख्खें।
17 ১৭ তাতে সবাই খেল এবং সন্তুষ্ট হল এবং শিষ্যরা অবশিষ্ট গুঁড়াগাঁড়া জড়ো করে পূর্ণ বারো ঝুড়ি তুলে নিলেন।
उन्होंने खाया और सब सेर हो गए, और उनके बचे हुए बे इस्तेमाल खाने की बारह टोकरियाँ उठाई गईं।
18 ১৮ একবার তিনি এক নির্জন জায়গায় প্রার্থনা করছিলেন, শিষ্যরাও তাঁর সঙ্গে ছিলেন; আর তিনি তাঁদের জিজ্ঞাসা করলেন, “আমি কে, এ বিষয়ে লোকেরা কি বলে?”
जब वो तन्हाई में दुआ कर रहा था और शागिर्द उसके पास थे, तो ऐसा हुआ कि उसने उनसे पूछा, “लोग मुझे क्या कहते हैं?”
19 ১৯ তাঁরা এর উত্তরে বললেন, “বাপ্তিষ্মদাতা যোহন; কিন্তু কেউ কেউ বলে, আপনি এলিয়, আবার কেউ কেউ বলে, প্রাচীন ভাববাদীদের মধ্যে একজন বেঁচে উঠেছে।”
उन्होंने जवाब में कहा, “युहन्ना बपतिस्मा देनेवाला और कुछ एलियाह कहते हैं, और कुछ ये कि पुराने नबियों में से कोई जी उठा है।”
20 ২০ তখন তিনি তাঁদের বললেন, কিন্তু তোমরা কি বল, আমি কে? পিতর বললেন, “ঈশ্বরের সেই খ্রীষ্ট।”
उसने उनसे कहा, “लेकिन तुम मुझे क्या कहते हो?” पतरस ने जवाब में कहा, “ख़ुदावन्द का मसीह।”
21 ২১ তখন তিনি তাঁদের কঠোরভাবে বারণ করলেন ও নির্দেশ দিলেন, “এই কথা কাউকে বল না,”
उसने उनको हिदायत करके हुक्म दिया कि ये किसी से न कहना,
22 ২২ তিনি বললেন, “মনুষ্যপুত্রকে অনেক দুঃখ সহ্য করতে হবে, প্রাচীনেরা, প্রধান যাজকেরা ও ব্যবস্থার শিক্ষকেরা আমাকে অগ্রাহ্য করবে এবং আমার মৃত্যু হবে আর তৃতীয় দিনের মৃত্যু থেকে জীবিত হয়ে উঠব।”
और कहा, “ज़रूर है इब्न — ए — आदम बहुत दुःख उठाए और बुज़ुर्ग और सरदार काहिन और आलिम उसे रद्द करें और वो क़त्ल किया जाए और तीसरे दिन जी उठे।”
23 ২৩ আর তিনি সবাইকে বললেন, “কেউ যদি আমাকে অনুসরণ করতে চায়, তবে সে নিজেকে অস্বীকার করুক, প্রতিদিন নিজের ক্রুশ তুলে নিক এবং আমাকে অনুসরণ করুক।
और उसने सब से कहा, “अगर कोई मेरे पीछे आना चाहे तो अपने आप से इनकार करे और हर रोज़ अपनी सलीब उठाए और मेरे पीछे हो ले।
24 ২৪ কারণ যে কেউ নিজের প্রাণ রক্ষা করতে ইচ্ছা করে, সে তা হারাবে, কিন্তু যে কেউ আমার জন্য নিজের প্রাণ হারায়, সেই তা রক্ষা করবে।
क्यूँकि जो कोई अपनी जान बचाना चाहे, वो उसे खोएगा और जो कोई मेरी ख़ातिर अपनी जान खोए वही उसे बचाएगा।
25 ২৫ কারণ মানুষ যদি সমস্ত জগত লাভ করে নিজেকে নষ্ট করে কিংবা হারায়, তবে তার লাভ কি হল?
और आदमी अगर सारी दुनिया को हासिल करे और अपनी जान को खो दे या नुक़्सान उठाए तो उसे क्या फ़ाइदा होगा?
26 ২৬ কারণ যে কেউ আমাকেও আমার বাক্যকে লজ্জার বিষয় বলে মনে করে, মনুষ্যপুত্র যখন নিজের প্রতাপে এবং পিতার ও পবিত্র দূতদের প্রতাপে আসবেন, তখন তিনি তাকেও লজ্জার বিষয় বলে মনে করবেন।
क्यूँकि जो कोई मुझ से और मेरी बातों से शरमाएगा, इब्न — ए — आदम भी जब अपने और अपने बाप के और पाक फ़रिश्तों के जलाल में आएगा तो उस से शरमाएगा।
27 ২৭ কিন্তু আমি তোমাদের সত্যি বলছি, যারা এখানে দাঁড়িয়ে আছে, তাদের মধ্যে এমন কয়েকজন আছে, যারা, যে পর্যন্ত না ঈশ্বরের রাজ্য দেখবে, সেই পর্যন্ত তাদের কোনও মতে মৃত্যু হবে না।”
लेकिन मैं तुम से सच कहता हूँ कि उनमें से जो यहाँ खड़े हैं कुछ ऐसे हैं कि जब तक ख़ुदा की बादशाही को देख न लें मौत का मज़ा हरगिज़ न चखेंगे।”
28 ২৮ এসব কথা বলার পরে, অনুমান আট দিন গত হলে পর, তিনি পিতর, যোহন ও যাকোবকে সঙ্গে নিয়ে প্রার্থনা করার জন্য পর্বতে উঠলেন।
फिर इन बातों के कोई आठ रोज़ बाद ऐसा हुआ, कि वो पतरस और यूहन्ना और या'क़ूब को साथ लेकर पहाड़ पर दुआ करने गया।
29 ২৯ আর তিনি প্রার্থনা করছিলেন, এমন দিনের তাঁর মুখের দৃশ্য অন্য রকম হল এবং তাঁর পোশাক সাদা ও উজ্জ্বল হয়ে উঠল।
जब वो दुआ कर रहा था, तो ऐसा हुआ कि उसके चेहरे की सूरत बदल गई, और उसकी पोशाक सफ़ेद बर्राक़ हो गई।
30 ৩০ আর দেখ, দুই জন পুরুষ মোশি ও এলিয় তাঁর সঙ্গে কথা বলছেন,
और देखो, दो शख़्स या'नी मूसा और एलियाह उससे बातें कर रहे थे।
31 ৩১ তাঁরা প্রতাপে দেখা দিলেন, তাঁর মৃত্যুর বিষয় কথা বলতে লাগলেন, যা তিনি যিরুশালেমে পূর্ণ করতে যাচ্ছেন।
ये जलाल में दिखाई दिए और उसके इन्तक़ाल का ज़िक्र करते थे, जो येरूशलेम में वाक़े' होने को था।
32 ৩২ তখন পিতর ও তাঁর সঙ্গীরা ঘুমিয়ে পড়েছিলেন, কিন্তু জেগে উঠে তাঁর প্রতাপ এবং ঐ দুই ব্যক্তিকে দেখলেন, যাঁরা তাঁর সঙ্গে দাঁড়িয়ে ছিলেন।
मगर पतरस और उसके साथी नींद में पड़े थे और जब अच्छी तरह जागे, तो उसके जलाल को और उन दो शख़्सों को देखा जो उसके साथ खड़े थे।
33 ৩৩ পরে তাঁরা যীশুর কাছ থেকে চলে যাচ্ছেন, এমন দিনের পিতর যীশুকে বললেন, “প্রভু, এখানে আমাদের থাকা ভালো, আমরা তিনটি কুটির বানাই, একটি আপনার জন্য, একটি মোশির জন্য, আর একটি এলিয়ের জন্য,” কিন্তু তিনি কি বললেন, তা বুঝলেন না।
जब वो उससे जुदा होने लगे तो ऐसा हुआ कि पतरस ने ईसा से कहा, “ऐ उस्ताद! हमारा यहाँ रहना अच्छा है: पस हम तीन डेरे बनाएँ, एक तेरे लिए एक मूसा के लिए और एक एलियाह के लिए।” लेकिन वो जानता न था कि क्या कहता है।
34 ৩৪ তিনি এই কথা বলছিলেন, এমন দিনের একটা মেঘ এসে তাঁদের ছায়া করল, তাতে তাঁরা সেই মেঘে প্রবেশ করলেও, তাঁরা ভয় পেলেন।
वो ये कहता ही था कि बादल ने आकर उन पर साया कर लिया, और जब वो बादल में घिरने लगे तो डर गए।
35 ৩৫ আর সেই মেঘ থেকে এই বাণী হল, “ইনিই আমার প্রিয় পুত্র, আমার মনোনীত, তাঁর কথা শোন।”
और बादल में से एक आवाज़ आई, “ये मेरा चुना हुआ बेटा है, इसकी सुनो।”
36 ৩৬ এই বাণী হওয়ার সঙ্গে সঙ্গে একা যীশুকে দেখা গেল। আর তাঁরা চুপ করে থাকলেন, যা যা দেখেছিলেন তার কিছুই সেই দিনের কাউকেই জানালেন না।
ये आवाज़ आते ही ईसा अकेला दिखाई दिया; और वो चुप रहे, और जो बातें देखी थीं उन दिनों में किसी को उनकी कुछ ख़बर न दी।
37 ৩৭ পরের দিন তাঁরা সেই পাহাড় থেকে নেমে আসলে অনেক লোক তাঁর সঙ্গে সাক্ষাৎ করল।
दूसरे दिन जब वो पहाड़ से उतरे थे, तो ऐसा हुआ कि एक बड़ी भीड़ उससे आ मिली।
38 ৩৮ আর দেখ, ভিড়ের মধ্য থেকে এক ব্যক্তি চিত্কার করে বললেন, “হে গুরু, অনুরোধ করি, আমার ছেলেকে দেখুন, কারণ এ আমার একমাত্র সন্তান।
और देखो एक आदमी ने भीड़ में से चिल्लाकर कहा, “ऐ उस्ताद! मैं तेरी मिन्नत करता हूँ कि मेरे बेटे पर नज़र कर; क्यूँकि वो मेरा इकलौता है।
39 ৩৯ আর দেখুন, একটা ভূত একে আক্রমণ করে, আর এ হঠাৎ চেঁচিয়ে উঠে এবং সে একে মুচড়িয়ে ধরে, তাতে এর মুখ দিয়ে ফেনা বের হয়, আর সে একে ক্ষতবিক্ষত করে কষ্ট দেয়।
और देखो, एक रूह उसे पकड़ लेती है, और वो यकायक चीख़ उठता है; और उसको ऐसा मरोड़ती है कि क़फ़ भर लाता है, और उसको कुचल कर मुश्किल से छोड़ती है।
40 ৪০ আর আমি আপনার শিষ্যদের অনুরোধ করেছিলাম, যেন তাঁরা এটাকে ছাড়ান কিন্তু তাঁরা পারলেন না।”
मैंने तेरे शागिर्दों की मिन्नत की कि उसे निकाल दें, लेकिन वो न निकाल सके।”
41 ৪১ তখন যীশু এর উত্তরে বললেন, হে অবিশ্বাসী ও বিপথগামী বংশ, কত কাল আমি তোমাদের কাছে থাকব ও তোমাদের ওপর ধৈর্য্য রাখব?
ईसा ने जवाब में कहा, “ऐ कम ईमान वालों मैं कब तक तुम्हारे साथ रहूँगा और तुम्हारी बर्दाश्त करूँगा? अपने बेटे को ले आ।”
42 ৪২ তোমার ছেলেকে এখানে আন। সে আসছে, এমন দিনের ঐ ভূত তাকে ফেলে দিল ও ভয়ানক মুচড়িয়ে ধরল। কিন্তু যীশু সেই মন্দ আত্মাকে ধমক দিলেন, ছেলেটাকে সুস্থ করলেন ও তার বাবার কাছে তাকে ফিরিয়ে দিলেন।
वो आता ही था कि बदरूह ने उसे पटक कर मरोड़ा और ईसा ने उस नापाक रूह को झिड़का और लड़के को अच्छा करके उसके बाप को दे दिया।
43 ৪৩ তখন সবাই ঈশ্বরের মহিমায় খুবই আশ্চর্য্য হল। আর তিনি যে সমস্ত কাজ করছিলেন, তাতে সমস্ত লোক আশ্চর্য্য হল এবং তিনি তাঁর শিষ্যদের বললেন,
और सब लोग ख़ुदा की शान देखकर हैरान हुए। लेकिन जिस वक़्त सब लोग उन सब कामों पर जो वो करता था ता'ज्जुब कर रहे थे, उसने अपने शागिर्दों से कहा,
44 ৪৪ “তোমরা এই কথা ভাল করে শোন, কারণ খুব তাড়াতাড়ি মনুষ্যপুত্র লোকদের হাতে সমর্পিত হবেন।”
“तुम्हारे कानों में ये बातें पड़ी रहें, क्यूँकि इब्न — ए — आदम आदमियों के हवाले किए जाने को है।”
45 ৪৫ কিন্তু তাঁরা এই কথা বুঝলেন না এবং এটা তাঁদের থেকে গোপন থাকল, যাতে তাঁরা বুঝতে না পারেন এবং তাঁর কাছে এই কথার বিষয় জিজ্ঞাসা করতে তাঁদের ভয় হল।
लेकिन वो इस बात को समझते न थे, बल्कि ये उनसे छिपाई गई ताकि उसे मा'लूम न करें; और इस बात के बारे में उससे पूछते हुए डरते थे।
46 ৪৬ আর তাঁদের মধ্যে কে শ্রেষ্ঠ, এই তর্ক তাঁদের মধ্যে শুরু হল।
फिर उनमें ये बहस शुरू' हुई, कि हम में से बड़ा कौन है?
47 ৪৭ তখন যীশু তাঁদের হৃদয়ের তর্ক জানতে পেরে একটি শিশুকে নিয়ে তাঁর পাশে দাঁড় করালেন,
लेकिन ईसा ने उनके दिलों का ख़याल मा'लूम करके एक बच्चे को लिया, और अपने पास खड़ा करके उनसे कहा,
48 ৪৮ এবং তাঁদের বললেন, “যে কেউ আমার নামে এই শিশুটিকে গ্রহণ করে, সে আমাকেই গ্রহণ করে এবং যে কেউ আমাকে গ্রহণ করে সে তাঁকেই গ্রহণ করে, যিনি আমাকে পাঠিয়েছেন, কারণ তোমাদের মধ্যে যে ব্যক্তি সবথেকে ছোট সবার থেকে সেই মহান।”
“जो कोई इस बच्चे को मेरे नाम से क़ुबूल करता है, वो मुझे क़ुबूल करता है; और जो मुझे क़ुबूल करता है, वो मेरे भेजनेवाले को क़ुबूल करता है; क्यूँकि जो तुम में सब से छोटा है वही बड़ा है”
49 ৪৯ পরে যোহন বললেন, “নাথ, আমরা এক ব্যক্তিকে আপনার নামে ভূত ছাড়াতে দেখেছিলাম, আর তাকে বারণ করছিলাম, কারণ সে আমাদের অনুসরণ করে না।”
यूहन्ना ने जवाब में कहा, “ऐ उस्ताद! हम ने एक शख़्स को तेरे नाम से बदरूह निकालते देखा, और उसको मनह' करने लगे, क्यूँकि वो हमारे साथ तेरी पैरवी नहीं करता।”
50 ৫০ কিন্তু যীশু তাঁকে বললেন, “বারণ করো না, কারণ যে তোমাদের বিরুদ্ধে নয়, সে তোমাদেরই পক্ষে।”
लेकिन ईसा ने उससे कहा, “उसे मनह' न करना, क्यूँकि जो तुम्हारे ख़िलाफ़ नहीं वो तुम्हारी तरफ़ है।”
51 ৫১ আর যখন তাঁর স্বর্গে যাওয়ার দিন প্রায় কাছে এল, তখন তিনি নিজের ইচ্ছায় যিরুশালেমে যাওয়ার জন্য তৈরি হলেন।
जब वो दिन नज़दीक आए कि वो ऊपर उठाया जाए, तो ऐसा हुआ कि उसने येरूशलेम जाने को कमर बाँधी।
52 ৫২ তিনি তাঁর দূতদের তাঁর আগে পাঠালেন আর তাঁরা গিয়ে শমরীয়দের কোন গ্রামে প্রবেশ করলেন, যাতে তাঁর জন্য আয়োজন করতে পারেন।
और आगे क़ासिद भेजे, वो जाकर सामरियों के एक गाँव में दाख़िल हुए ताकि उसके लिए तैयारी करें
53 ৫৩ কিন্তু লোকেরা তাঁকে গ্রহণ করল না, কারণ তিনি যিরুশালেম যাওয়ার সিদ্ধান্ত নিয়েছিলেন।
लेकिन उन्होंने उसको टिकने न दिया, क्यूँकि उसका रुख येरूशलेम की तरफ़ था।
54 ৫৪ তা দেখে তাঁর শিষ্য যাকোব ও যোহন বললেন, “প্রভু, আপনি কি চান যে, এলিয় যেমন করেছিলেন, তেমনি আমরা বলি, স্বর্গ থেকে আগুন নেমে এসে এদের ভস্ম করে ফেলুক?”
ये देखकर उसके शागिर्द या'क़ूब और यूहन्ना ने कहा, “ऐ ख़ुदावन्द, क्या तू चाहता है कि हम हुक्म दें कि आसमान से आग नाज़िल होकर उन्हें भस्म कर दे [जैसा एलियाह ने किया]?”
55 ৫৫ কিন্তু তিনি মুখ ফিরিয়ে তাঁদের ধমক দিলেন, আর বললেন, “তোমরা কেমন আত্মার লোক, তা জান না।”
मगर उसने फिरकर उन्हें झिड़का [और कहा, तुम नहीं जानते कि तुम कैसी रूह के हो। क्यूँकि इब्न — ए — आदम लोगों की जान बरबाद करने नहीं बल्कि बचाने आया है]
56 ৫৬ কারণ মনুষ্যপুত্র লোকেদের প্রাণনাশ করতে আসেননি, কিন্তু রক্ষা করতে এসেছেন। পরে তাঁরা অন্য গ্রামে চলে গেলেন।
फिर वो किसी और गाँव में चले गए।
57 ৫৭ তাঁরা যখন রাস্তা দিয়ে যাচ্ছিলেন, এমন দিনের এক ব্যক্তি তাঁকে বলল, আপনি যে কোন জায়গায় যাবেন, আমি আপনার সঙ্গে যাব।
जब वो राह में चले जाते थे तो किसी ने उससे कहा, “जहाँ कहीं तू जाए, मैं तेरे पीछे चलूँगा।”
58 ৫৮ যীশু তাকে বললেন, “শিয়ালদের গর্ত আছে এবং আকাশের পাখিদের বাসা আছে, কিন্তু মনুষ্যপুত্রের মাথা রাখার কোন জায়গা নেই।”
ईसा ने उससे कहा, “लोमड़ियों के भठ होते हैं और हवा के परिन्दों के घोंसले, मगर इब्न — ए — आदम के लिए सिर रखने की भी जगह नहीं।”
59 ৫৯ আর এক জনকে তিনি বললেন, “আমাকে অনুসরণ কর।” কিন্তু সে বলল, “প্রভু, আগে আমার বাবাকে কবর দিয়ে আসতে অনুমতি দিন।”
फिर उसने दूसरे से कहा, “मेरे पीछे हो ले।” उसने जवाब में कहा, “ऐ ख़ुदावन्द! मुझे इजाज़त दे कि पहले जाकर अपने बाप को दफ़्न करूँ।”
60 ৬০ তিনি তাকে বললেন, “মৃতরাই নিজের নিজের মৃতদের কবর দিক, কিন্তু তুমি গিয়ে ঈশ্বরের রাজ্য সব জায়গায় প্রচার কর।”
उसने उससे कहा, “मुर्दों को अपने मुर्दे दफ़्न करने दे, लेकिन तू जाकर ख़ुदा की बादशाही की ख़बर फैला।”
61 ৬১ আর একজন বলল, “প্রভু, আমি আপনাকে অনুসরণ করব, কিন্তু আগে নিজের বাড়ির লোকদের কাছে বিদায় নিয়ে আসতে অনুমতি দিন।”
एक और ने भी कहा, “ऐ ख़ुदावन्द! मैं तेरे पीछे चलूँगा, लेकिन पहले मुझे इजाज़त दे कि अपने घर वालों से रुख़्सत हो आऊँ।”
62 ৬২ কিন্তু যীশু তাকে বললেন, “যে ব্যক্তি লাঙ্গলে হাত দিয়ে পিছনে ফিরে চায়, সে ঈশ্বরের রাজ্যের উপযোগী নয়।”
ईसा ने उससे कहा, “जो कोई अपना हाथ हल पर रख कर पीछे देखता है वो ख़ुदा की बादशाही के लायक़ नहीं।”

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