< লুক 4 >

1 যীশু পবিত্র আত্মায় পূর্ণ হয়ে, যর্দ্দন নদী থেকে ফিরে এলেন এবং চল্লিশ দিন পর্যন্ত সেই আত্মার আবেশে মরূপ্রান্তে পরিচালিত হলেন,
फिर ईसा रूह — उल — क़ुद्दूस से भरा हुआ यरदन से लौटा, और चालीस दिन तक रूह की हिदायत से वीराने में फिरता रहा;
2 আর সেদিন দিয়াবল দ্বারা পরীক্ষিত হলেন, সেই চল্লিশ দিন তিনি কিছুই আহার করেননি; পরে সেই চল্লিশ দিন শেষ হলে তাঁর খিদে পেল।
और शैतान उसे आज़माता रहा। उन दिनों में उसने कुछ न खाया, जब वो दिन पुरे हो गए तो उसे भूख लगी।
3 তখন দিয়াবল তাঁকে বলল, “তুমি যদি ঈশ্বরের পুত্র হও, তবে এই পাথরটিকে বল, যেন এটা রুটি হয়ে যায়।”
और शैतान ने उससे कहा, “अगर तू ख़ुदा का बेटा है तो इस पत्थर से कह कि रोटी बन जाए।”
4 যীশু তাকে বললেন, “লেখা আছে, মানুষ কেবল রুটি তে বাঁচবে না।”
ईसा ने उसको जवाब दिया, “कलाम में लिखा है कि, आदमी सिर्फ़ रोटी ही से जीता न रहेगा।”
5 পরে দিয়াবল তাঁকে উপরে নিয়ে গেলেন এবং এক মুহূর্তের মধ্যে তাঁকে জগতের সমস্ত রাজ্য দেখাল।
और शैतान ने उसे ऊँचे पर ले जाकर दुनिया की सब सल्तनतें पल भर में दिखाईं।
6 আর দিয়াবল তাঁকে বলল, “তোমাকে আমি এই সমস্ত রাজ্যর উপর কর্তৃত্ব ও এই সমস্ত ঐশ্বর্য্য দেব; কারণ এগুলোর উপর কর্তৃত্ব করার ক্ষমতা আমাকে দেওয়া হয়েছে, আর আমার যাকে ইচ্ছা তাকে দান করতে পারি;
और उससे कहा, “ये सारा इख़्तियार और उनकी शान — ओ — शौकत मैं तुझे दे दूँगा, क्यूँकि ये मेरे सुपुर्द है और जिसको चाहता हूँ देता हूँ।
7 অতএব এখন তুমি যদি আমার সামনে হাঁটু পেতে প্রণাম কর, তবে এ সমস্তই তোমার হবে।”
पस अगर तू मेरे आगे सज्दा करे, तो ये सब तेरा होगा।”
8 যীশু এর উত্তরে তাকে বললেন, “লেখা আছে, তোমার ঈশ্বর প্রভুকেই প্রণাম করবে, কেবল তাঁরই আরাধনা করবে।”
ईसा ने जवाब में उससे कहा, “लिखा है कि, तू ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा को सिज्दा कर और सिर्फ़ उसकी इबादत कर।”
9 আর সে তাঁকে যিরুশালেমে নিয়ে গেল ও ঈশ্বরের গৃহের চূড়ার উপরে দাঁড় করাল এবং তাঁকে বলল, “তুমি যদি ঈশ্বরের পুত্র হও, তবে এখান থেকে নীচে লাফিয়ে পড়;
और वो उसे येरूशलेम में ले गया और हैकल के कंगूरे पर खड़ा करके उससे कहा, अगर तू ख़ुदा का बेटा है तो अपने आपको यहाँ से नीचे गिरा दे।
10 ১০ কারণ লেখা আছে, তিনি নিজের দূতদের তোমার জন্য আদেশ দেবেন, যেন তাঁরা তোমাকে রক্ষা করেন;
क्यूँकि लिखा है कि, वो तेरे बारे में अपने फ़रिश्तों को हुक्म देगा कि तेरी हिफ़ाज़त करें।
11 ১১ আর, তোমাকে হাতে করে তুলে নেবেন, পাছে তোমার চরণে পাথরের আঘাত লাগে।”
और ये भी कि वो तुझे हाथों पर उठा लेंगे, क़ाश की तेरे पाँव को पत्थर से ठेस लगे।
12 ১২ যীশু এর উত্তরে বললেন, এটাও লেখা আছে, “তুমি তোমার ঈশ্বর প্রভুর পরীক্ষা করনা।”
ईसा ने जवाब में उससे कहा, “फ़रमाया गया है कि, तू ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की आज़माइश न कर।”
13 ১৩ আর সমস্ত পরীক্ষার পর শয়তান সুবিধাজনক দিনের অপেক্ষার জন্য কিছুদিনের র জন্য তাঁর কাছ থেকে চলে গেল।
जब इब्लीस तमाम आज़माइशें कर चूका तो कुछ अर्से के लिए उससे जुदा हुआ।
14 ১৪ তখন যীশু আত্মার পরাক্রমে গালীলে ফিরে গেলেন এবং তাঁর কীর্তি সমস্ত অঞ্চলের চারিদিকে ছড়িয়ে পড়ল।
फिर ईसा पाक रूह की क़ुव्वत से भरा हुआ गलील को लौटा और आसपास में उसकी शोहरत फैल गई।
15 ১৫ আর তিনি তাদের সমাজঘরে উপদেশ দিলেন এবং সবাই তাঁর খুবই মহিমা করতে লাগল।
और वो उनके 'इबादतख़ानों में ता'लीम देता रहा और सब उसकी बड़ाई करते रहे।
16 ১৬ আর তিনি যেখানে বড় হয়েছিলেন, সেই নাসরতে উপস্থিত হলেন এবং তিনি নিজের রীতি অনুসারে বিশ্রামবারে সমাজঘরে প্রবেশ করলেন ও শাস্ত্র পাঠ করতে দাঁড়ালেন।
और वो नासरत में आया जहाँ उसने परवरिश पाई थी और अपने दस्तूर के मुवाफ़िक़ सबत के दिन 'इबादतख़ाने में गया और पढ़ने को खड़ा हुआ।
17 ১৭ তখন যিশাইয় ভাববাদীর পুস্তক তাঁর হাতে দেওয়া হল, আর পুস্তকটি খুলে তিনি সেই অংশটি পেলেন, যেখানে লেখা আছে,
और यसायाह नबी की किताब उसको दी गई, और किताब खोलकर उसने वो वर्क़ा खोला जहाँ ये लिखा था:
18 ১৮ “প্রভুর আত্মা আমার উপর আছেন, কারণ তিনি আমাকে অভিষিক্ত করেছেন, দরিদ্রের কাছে সুসমাচার প্রচার করার জন্য; তিনি আমাকে পাঠিয়েছেন, বন্দিদের কাছে মুক্তি প্রচার করার জন্য, অন্ধদের কাছে দৃষ্টি দানের প্রচার করার জন্য, নির্যাতিতদের উদ্ধার করার জন্য,
“ख़ुदावन्द का रूह मुझ पर है, इसलिए कि उसने मुझे ग़रीबों को ख़ुशख़बरी देने के लिए मसह किया; उसने मुझे भेजा है क़ैदियों को रिहाई और अन्धों को बीनाई पाने की ख़बर सूनाऊँ, कुचले हुओं को आज़ाद करूँ।
19 ১৯ প্রভুর অনুগ্রহের বছর ঘোষণা করার জন্য।”
और ख़ुदावन्द के साल — ए — मक़बूल का ऐलान करूँ।”
20 ২০ পরে তিনি পুস্তকটিকে বন্ধ করে পরিচারকের হাতে দিলেন এবং বসলেন। তাতে সমাজঘরের সবাই একভাবে তাঁর দিকে তাকিয়ে থাকল।
फिर वो किताब बन्द करके और ख़ादिम को वापस देकर बैठ गया; जितने 'इबादतख़ाने में थे सबकी आँखें उस पर लगी थीं।
21 ২১ আর তিনি তাদের বললেন, “আজই শাস্ত্রের এই বাণী তোমাদের শোনার মাধ্যমে পূর্ণ হল।”
वो उनसे कहने लगा, “आज ये लिखा हुआ तुम्हारे सामने पूरा हुआ।”
22 ২২ তাতে সবাই তাঁর বিষয়ে সাক্ষ্য দিল ও তাঁর মুখের সুন্দর করুণাবিষ্ট কথায় তারা আশ্চর্য্য হল, আর বলল, “এ তো যোষেফের ছেলে, তাই না কি?”
और सबने उस पर गवाही दी और उन पुर फ़ज़ल बातों पर जो उसके मुँह से निकली थी, ता'ज्जुब करके कहने लगे, “क्या ये यूसुफ़ का बेटा नहीं?”
23 ২৩ যীশু তাদের বললেন, “তোমরা আমাকে অবশ্যই এই প্রবাদবাক্য বলবে, ডাক্তার আগে নিজেকে সুস্থ কর; কফরনাহূমে তুমি যা যা করেছ আমরা শুনেছি, সে সব এখানে নিজের দেশেও কর।”
उसने उनसे कहा “तुम अलबत्ता ये मिसाल मुझ पर कहोगे कि, 'ऐ हकीम, अपने आप को तो अच्छा कर! जो कुछ हम ने सुना है कि कफ़रनहूम में किया गया, यहाँ अपने वतन में भी कर'।”
24 ২৪ তিনি আরও বললেন, “আমি তোমাদের সত্যি বলছি, কোনও ভাববাদী তাঁর নিজের দেশে গ্রহণযোগ্য হয় না।”
और उसने कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ, कि कोई नबी अपने वतन में मक़बूल नहीं होता।
25 ২৫ আর আমি তোমাদের সত্যি বলছি, এলিয়ের দিন যখন তিন বছর ছয় মাস পর্যন্ত বৃষ্টি হয়নি ও সারা দেশে কঠিন দূর্ভিক্ষ হয়েছিল, তখন ইস্রায়েলের মধ্যে অনেক বিধবা ছিল;
और मैं तुम से कहता हूँ, कि एलियाह के दिनों में जब साढ़े तीन बरस आसमान बन्द रहा, यहाँ तक कि सारे मुल्क में सख़्त काल पड़ा, बहुत सी बेवाएँ इस्राईल में थीं।
26 ২৬ কিন্তু এলিয়কে তাদের কারও কাছে পাঠানো হয়নি, কেবল সীদোন দেশের সারিফতে এক বিধবা মহিলার কাছে পাঠানো হয়েছিল।
लेकिन एलियाह उनमें से किसी के पास न भेजा गया, मगर मुल्क — ए — सैदा के शहर सारपत में एक बेवा के पास
27 ২৭ আর ইলীশায় ভাববাদীর দিনের ইস্রায়েলের মধ্যে অনেকে কুষ্ঠরোগী ছিল, কিন্তু তাদের কেউই শুচি হয়নি, কেবল সুরীয় দেশের নামান হয়েছিল।
और इलिशा नबी के वक़्त में इस्राईल के बीच बहुत से कौढ़ी थे, लेकिन उनमें से कोई पाक साफ़ न किया गया मगर ना'मान सूरयानी।”
28 ২৮ এই কথা শুনে সমাজঘরের লোকেরা সবাই রাগে পূর্ণ হল;
जितने 'इबादतख़ाने में थे, इन बातों को सुनते ही ग़ुस्से से भर गए,
29 ২৯ আর তারা উঠে তাঁকে শহরের বাইরে ঠেলতে ঠেলতে নিয়ে চলল এবং যে পর্বতে তাদের শহর তৈরি হয়েছিল, তার শেষ প্রান্তে নিয়ে গেল, যেন তাঁকে নীচে ফেলে দিতে পারে।
और उठकर उस को बाहर निकाले और उस पहाड़ की चोटी पर ले गए जिस पर उनका शहर आबाद था, ताकि उसको सिर के बल गिरा दें।
30 ৩০ কিন্তু তিনি তাদের মধ্য দিয়ে হেঁটে চলে গেলেন।
मगर वो उनके बीच में से निकलकर चला गया।
31 ৩১ পরে তিনি গালীলের কফরনাহূম শহরে নেমে গেলেন। আর তিনি বিশ্রামবারে লোকদের উপদেশ দিতে লাগলেন;
फिर वो गलील के शहर कफ़रनहूम को गया और सबत के दिन उन्हें ता'लीम दे रहा था।
32 ৩২ এবং লোকরা তাঁর শিক্ষায় চমৎকৃত হল; কারণ তিনি ক্ষমতার সঙ্গে কথা বলতেন।
और लोग उसकी ता'लीम से हैरान थे क्यूँकि उसका कलाम इख़्तियार के साथ था।
33 ৩৩ তখন ঐ সমাজঘরে এক ব্যক্তি ছিল, তাকে ভূত ও মন্দ আত্মায় ধরেছিল;
इबादतख़ाने में एक आदमी था, जिसमें बदरूह थी। वो बड़ी आवाज़ से चिल्ला उठा कि,
34 ৩৪ সে চিত্কার করে চেঁচিয়ে বলল, “হে নাসরতীয় যীশু, আপনার সঙ্গে আমাদের সম্পর্ক কি? আপনি কি আমাদেরকে বিনাশ করতে এসেছেন? আমি জানি, আপনি কে, ঈশ্বরের সেই পবিত্র ব্যক্তি।”
“ऐ ईसा नासरी हमें तुझ से क्या काम? क्या तू हमें हलाक करने आया है? मैं तुझे जानता हूँ कि तू कौन है — ख़ुदा का क़ुद्दूस है।”
35 ৩৫ তখন যীশু তাকে ধমকিয়ে বললেন, “চুপ কর এবং এর মধ্যে থেকে বেরিয়ে যাও,” তখন সেই ভূত তাকে সবার মাঝখানে ফেলে দিয়ে তার মধ্যে দিয়ে বের হয়ে গেল, তার কোনও ক্ষতি করল না।
ईसा ने उसे झिड़क कर कहा, “चुप रह और उसमें से निकल जा।” इस पर बदरूह उसे बीच में पटक कर बग़ैर नुक़्सान पहूँचाए उसमें से निकल गई।
36 ৩৬ তখন সবাই খুবই আশ্চর্য্য হল এবং নিজেদের মধ্যে আলোচনা করতে লাগল, এ কেমন কথা? ইনি ক্ষমতায় ও পরাক্রমে মন্দ আত্মাদের আদেশ করেন, আর তারা বের হয়ে যায়।
और सब हैरान होकर आपस में कहने लगे, “ये कैसा कलाम है? क्यूँकि वो इख़्तियार और क़ुदरत से नापाक रूहों को हुक्म देता है और वो निकल जाती हैं।”
37 ৩৭ আর আশেপাশের অঞ্চলের সব জায়গায় তাঁর কীর্তি ছড়িয়ে পড়ল।
और आस पास में हर जगह उसकी धूम मच गई।
38 ৩৮ পরে তিনি সমাজঘর থেকে বের হয়ে শিমোনের বাড়িতে প্রবেশ করলেন; তখন শিমোনের শাশুড়ীর ভীষণ জ্বরে কষ্ট পাচ্ছিলেন, তাই তাঁরা তাঁর সুস্থতার জন্য যীশুকে অনুরোধ করলেন।
फिर वो 'इबादतख़ाने से उठकर शमौन के घर में दाख़िल हुआ और शमौन की सास जो बुख़ार में पड़ी हुई थी और उन्होंने उस के लिए उससे 'अर्ज़ की।
39 ৩৯ তখন তিনি তাঁর কাছে দাঁড়িয়ে জ্বরকে ধমক দিলেন, তাতে তাঁর জ্বর ছেড়ে গেল; আর তিনি সঙ্গে সঙ্গে উঠে তাদের সেবাযত্ন করতে লাগলেন।
वो खड़ा होकर उसकी तरफ़ झुका और बुख़ार को झिड़का तो वो उतर गया, वो उसी दम उठकर उनकी ख़िदमत करने लगी।
40 ৪০ পরে সূর্য্য অস্ত যাবার দিনের, বিভিন্ন রোগে অসুস্থ রুগীদের লোকেরা, তাঁর কাছে আনল; আর তিনি প্রত্যেক জনের উপরে হাত রেখে তাদের সুস্থ করলেন।
और सूरज के डूबते वक़्त वो सब लोग जिनके यहाँ तरह — तरह की बीमारियों के मरीज़ थे, उन्हें उसके पास लाए और उसने उनमें से हर एक पर हाथ रख कर उन्हें अच्छा किया।
41 ৪১ আর অনেক লোকের মধ্যে থেকে ভূত বের হল, ভূতেরা চীৎকার করে বলল, “আপনি ঈশ্বরের পুত্র,” কিন্তু তিনি তাদের ধমক দিয়ে কথা বলতে দিলেন না, কারণ ভূতেরা জানত যে তিনিই সেই খ্রীষ্ট।
और बदरूहें भी चिल्लाकर और ये कहकर कि, “तू ख़ुदा का बेटा है” बहुतों में से निकल गई, और वो उन्हें झिड़कता और बोलने न देता था, क्यूँकि वो जानती थीं के ये मसीह है।
42 ৪২ পরে সকাল হলে তিনি সেই জায়গা থেকে একটি নির্জন জায়গায় চলে গেলেন; আর লোকেরা তাঁর খোঁজ করল এবং তাঁর কাছে এসে তাঁকে বারণ করল, যেন তিনি তাদের কাছ থেকে চলে না যান।
जब दिन हुआ तो वो निकल कर एक वीरान जगह में गया, और भीड़ की भीड़ उसको ढूँडती हुई उसके पास आई, और उसको रोकने लगी कि हमारे पास से न जा।
43 ৪৩ কিন্তু তিনি তাদের বললেন, “আরও অনেক শহরে আমাকে ঈশ্বরের রাজ্যের সুসমাচার প্রচার করতে হবে; কারণ সেইজন্য আমাকে পাঠানো হয়েছে।”
उसने उनसे कहा, “मुझे और शहरों में भी ख़ुदा की बादशाही की ख़ुशख़बरी सुनाना ज़रूर है, क्यूँकि मैं इसी लिए भेजा गया हूँ।”
44 ৪৪ পরে তিনি যিহুদিয়ার বিভিন্ন সমাজঘরে প্রচার করতে লাগলেন।
और वो गलील के 'इबाद्तखानों में एलान करता रहा।

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