< যোহন 8 >
1 ১ যীশু জৈতুন পর্বতে চলে গেলেন।
१यीशु जैतून के पहाड़ पर गया।
2 ২ খুব সকালে তিনি আবার মন্দিরে আসলেন এবং সব মানুষেরা তাঁর কাছে আসল, তখন তিনি বসে তাদেরকে শিক্ষা দিলেন।
२और भोर को फिर मन्दिर में आया, और सब लोग उसके पास आए; और वह बैठकर उन्हें उपदेश देने लगा।
3 ৩ শিক্ষা গুরুরা এবং ফরীশীরা ব্যভিচার করেছে এমন একজন স্ত্রীলোককে ধরে তাঁর কাছে আনলো ও তাদের মাঝখানে দাঁড় করালো।
३तब शास्त्रियों और फरीसियों ने एक स्त्री को लाकर जो व्यभिचार में पकड़ी गई थी, और उसको बीच में खड़ा करके यीशु से कहा,
4 ৪ তখন তারা যীশুকে বলল, হে গুরু, এই স্ত্রীলোকটী ব্যভিচার করেছে ও সেই কাজে ধরা পড়েছে।
४“हे गुरु, यह स्त्री व्यभिचार करते पकड़ी गई है।
5 ৫ আইন কানুনে মোশি এই রকম লোককে পাথর মারবার আদেশ আমাদের দিয়েছেন; আপনি তার সম্পর্কে কি বলেন?
५व्यवस्था में मूसा ने हमें आज्ञा दी है कि ऐसी स्त्रियों को पथराव करें; अतः तू इस स्त्री के विषय में क्या कहता है?”
6 ৬ তারা তাঁর পরীক্ষা নেবার জন্য ও জালে ফেলার জন্য এই কথা বলল যেন তাঁর নামে দোষ দেবার সূত্র খুঁজে পায়। কিন্তু যীশু মাথা নিচু করে আঙ্গুল দিয়ে মাটিতে লিখতে লাগলেন।
६उन्होंने उसको परखने के लिये यह बात कही ताकि उस पर दोष लगाने के लिये कोई बात पाएँ, परन्तु यीशु झुककर उँगली से भूमि पर लिखने लगा।
7 ৭ যখন তারা বারবার তাঁকে জিজ্ঞাসা করতে লাগল, তিনি মাথা তুলে দাঁড়িয়ে তাদেরকে বললেন “তোমাদের মধ্যে যার কোনো পাপ নেই তাকেই প্রথমে তার উপরে পাথর মারতে দাও।”
७जब वे उससे पूछते रहे, तो उसने सीधे होकर उनसे कहा, “तुम में जो निष्पाप हो, वही पहले उसको पत्थर मारे।”
8 ৮ তিনি আবার মাথা নিচু করে তাঁর আঙ্গুল দিয়ে মাটিতে লিখতে লাগলেন।
८और फिर झुककर भूमि पर उँगली से लिखने लगा।
9 ৯ যখন তারা এই কথা শুনল, তারা এক এক করে সবাই বাইরে চলে গেল, বড়রাই প্রথমে চলে গিয়েছিল, শেষ পর্যন্ত যীশু একাই অবশিষ্ট ছিলেন এবং সেই স্ত্রীলোকটী যে মাঝখানে দাঁড়িয়েছিল।
९परन्तु वे यह सुनकर बड़ों से लेकर छोटों तक एक-एक करके निकल गए, और यीशु अकेला रह गया, और स्त्री वहीं बीच में खड़ी रह गई।
10 ১০ তখন যীশু মাথা তুলে দাঁড়ালেন এবং তাকে বললেন, হে নারী, তোমার উপর অভিযোগকারীরা কোথায়? কেউ তোমাকে দোষী করে নি?
१०यीशु ने सीधे होकर उससे कहा, “हे नारी, वे कहाँ गए? क्या किसी ने तुझ पर दण्ड की आज्ञा न दी?”
11 ১১ সে বলল, না প্রভু, কেউ করে নি। তখন যীশু বললেন, আমিও তোমাকে দোষী করছি না। যাও, এখন থেকে আর পাপ করো না।
११उसने कहा, “हे प्रभु, किसी ने नहीं।” यीशु ने कहा, “मैं भी तुझ पर दण्ड की आज्ञा नहीं देता; जा, और फिर पाप न करना।”
12 ১২ যীশু আবার মানুষের কাছে কথা বললেন, তিনি বললেন, “আমি পৃথিবীর মানুষের আলো; যে কেউ আমার পিছন পিছন আসে সে কোন ভাবে অন্ধকারে চলবে না” কিন্তু জীবনের আলো পাবে।
१२तब यीशु ने फिर लोगों से कहा, “जगत की ज्योति मैं हूँ; जो मेरे पीछे हो लेगा, वह अंधकार में न चलेगा, परन्तु जीवन की ज्योति पाएगा।”
13 ১৩ তাতে ফরীশীরা তাঁকে বলল, তুমি নিজের সম্পর্কে নিজে সাক্ষ্য দিচ্ছ; তোমার সাক্ষ্য সত্য নয়।
१३फरीसियों ने उससे कहा; “तू अपनी गवाही आप देता है; तेरी गवाही ठीक नहीं।”
14 ১৪ যীশু উত্তর দিয়ে তাদের বললেন, “যদিও আমি নিজের সম্পর্কে নিজে সাক্ষ্য দিই, তবুও আমার সাক্ষ্য সত্য। কারণ আমি কোথা থেকে এসেছি, কোথায় বা যাচ্ছি তা জানি; কিন্তু তোমরা জানো না আমি কোথা থেকে আসি বা কোথায় যাই।”
१४यीशु ने उनको उत्तर दिया, “यदि मैं अपनी गवाही आप देता हूँ, तो भी मेरी गवाही ठीक है, क्योंकि मैं जानता हूँ, कि मैं कहाँ से आया हूँऔर कहाँ को जाता हूँ? परन्तु तुम नहीं जानते कि मैं कहाँ से आता हूँ या कहाँ को जाता हूँ।
15 ১৫ তোমরা মানুষের চিন্তাধারায় বিচার করছ; আমি কারও বিচার করি না।
१५तुम शरीर के अनुसार न्याय करते हो; मैं किसी का न्याय नहीं करता।
16 ১৬ অবশ্য আমি যদি বিচার করি, আমার বিচার সত্য কারণ আমি একা নয় কিন্তু আমি পিতার সঙ্গে আছি যিনি আমাকে পাঠিয়েছেন।
१६और यदि मैं न्याय करूँ भी, तो मेरा न्याय सच्चा है; क्योंकि मैं अकेला नहीं, परन्तु मैं पिता के साथ हूँ, जिसने मुझे भेजा है।
17 ১৭ এবং তোমাদের আইনেও লেখা আছে যে, দুই জন মানুষের সাক্ষ্য সত্য।
१७और तुम्हारी व्यवस्था में भी लिखा है; कि दो जनों की गवाही मिलकर ठीक होती है।
18 ১৮ আমি নিজে আমার সম্বন্ধে সাক্ষ্য দেই এবং পিতা যিনি আমাকে পাঠিয়েছেন তিনিও আমার সমন্ধে সাক্ষ্য দেন।
१८एक तो मैं आप अपनी गवाही देता हूँ, और दूसरा पिता मेरी गवाही देता है जिसने मुझे भेजा।”
19 ১৯ তারা তাঁকে বলল, তোমার পিতা কোথায়? যীশু উত্তর দিলেন, “তোমরা না আমাকে জান না আমার পিতাকে জান; যদি তোমরা আমাকে জানতে তবে আমার পিতাকেও জানতে।”
१९उन्होंने उससे कहा, “तेरा पिता कहाँ है?” यीशु ने उत्तर दिया, “न तुम मुझे जानते हो, न मेरे पिता को, यदि मुझे जानते, तो मेरे पिता को भी जानते।”
20 ২০ এই সব কথা তিনি মন্দিরে শিক্ষা দেবার দিন প্রণামী ভান্ডার ঘরে বললেন এবং কেউ তাঁকে ধরল না, কারণ তখনও তাঁর দিন আসেনি।
२०ये बातें उसने मन्दिर में उपदेश देते हुए भण्डार घर में कहीं, और किसी ने उसे न पकड़ा; क्योंकि उसका समय अब तक नहीं आया था।
21 ২১ তিনি আবার তাদেরকে বললেন, “আমি দূরে যাচ্ছি, তোমরা আমাকে খোঁজ করবে এবং তোমাদের পাপে মরবে। আমি যেখানে যাচ্ছি তোমরা সেখানে আসতে পারবে না।”
२१उसने फिर उनसे कहा, “मैं जाता हूँ, और तुम मुझे ढूँढ़ोगे और अपने पाप में मरोगे; जहाँ मैं जाता हूँ, वहाँ तुम नहीं आ सकते।”
22 ২২ ইহূদিরা বলল, সে কি আত্মহত্যা করবে তাই তিনি বলছেন, আমি যেখানে যাচ্ছি সেখানে তোমরা আসতে পারবে না?
२२इस पर यहूदियों ने कहा, “क्या वह अपने आपको मार डालेगा, जो कहता है, ‘जहाँ मैं जाता हूँ वहाँ तुम नहीं आ सकते’?”
23 ২৩ যীশু তাদেরকে বললেন, তোমরা নিচ থেকে এসেছ আর আমি স্বর্গ থেকে এসেছি; তোমরা এই জগতের কিন্তু আমি এই জগতের থেকে নয়।
२३उसने उनसे कहा, “तुम नीचे के हो, मैं ऊपर का हूँ; तुम संसार के हो, मैं संसार का नहीं।
24 ২৪ অতএব আমি তোমাদের বলেছিলাম যে তোমরা তোমাদের পাপে মরবে। কারণ যতক্ষণ না বিশ্বাস কর যে, আমিই যে সেই, তবে তোমরা তোমাদের পাপেই মরবে।
२४इसलिए मैंने तुम से कहा, कि तुम अपने पापों में मरोगे; क्योंकि यदि तुम विश्वास न करोगे कि मैं वही हूँ, तो अपने पापों में मरोगे।”
25 ২৫ তখন তারা তাঁকে বলল, তুমি কে? যীশু তাদেরকে বললেন, “সেটাই তো শুরু থেকে তোমাদের বলে আসছি।
२५उन्होंने उससे कहा, “तू कौन है?” यीशु ने उनसे कहा, “वही हूँ जो प्रारम्भ से तुम से कहता आया हूँ।
26 ২৬ তোমাদের সম্পর্কে বলবার ও বিচার করবার জন্য আমার কাছে অনেক কথা আছে। যাহোক, যিনি আমাকে পাঠিয়েছেন তিনি সত্য এবং আমি তাঁর কাছ থেকে যে সব শুনেছি সেই সব আমি পৃথিবীর মানুষকে বলছি।”
२६तुम्हारे विषय में मुझे बहुत कुछ कहना और निर्णय करना है परन्तु मेरा भेजनेवाला सच्चा है; और जो मैंने उससे सुना है, वही जगत से कहता हूँ।”
27 ২৭ তিনি যে তাদেরকে পিতার সমন্ধে বলছিলেন তা তারা বুঝতে পারে নি।
२७वे न समझे कि हम से पिता के विषय में कहता है।
28 ২৮ যীশু বললেন, যখন তোমরা মনুষ্যপুত্রকে উঁচুতে তুলবে তখন তোমরা জানতে পারবে যে আমিই তিনি এবং আমি নিজের থেকে কিছুই করি না, কিন্তু পিতা আমাকে যেমন শেখায় তেমন সব কথা বলি।
२८तब यीशु ने कहा, “जब तुम मनुष्य के पुत्र को ऊँचे पर चढ़ाओगे, तो जानोगे कि मैं वही हूँ, और अपने आप से कुछ नहीं करता, परन्तु जैसे मेरे पिता परमेश्वर ने मुझे सिखाया, वैसे ही ये बातें कहता हूँ।
29 ২৯ যিনি আমাকে পাঠিয়েছেন তিনি আমার সঙ্গে আছেন এবং তিনি আমাকে একা ছেড়ে দেননি, কারণ আমি সবদিন তিনি যে কাজে সন্তুষ্ট হন সেই কাজ করি।
२९और मेरा भेजनेवाला मेरे साथ है; उसने मुझे अकेला नहीं छोड़ा; क्योंकि मैं सर्वदा वही काम करता हूँ, जिससे वह प्रसन्न होता है।”
30 ৩০ যীশু যখন এই সব কথা বলছিলেন অনেকে তাঁতে বিশ্বাস করল।
३०वह ये बातें कह ही रहा था, कि बहुतों ने यीशु पर विश्वास किया।
31 ৩১ যে ইহূদিরা তাঁকে বিশ্বাস করল তাদেরকে যীশু বললেন, “যদি তোমরা আমার শিক্ষা মেনে চল, তাহলে তোমরা সত্যই আমার শিষ্য;
३१तब यीशु ने उन यहूदियों से जिन्होंने उस पर विश्वास किया था, कहा, “यदि तुम मेरे वचन में बने रहोगे, तो सचमुच मेरे चेले ठहरोगे।
32 ৩২ এবং তোমরা সেই সত্য জানবে ও সেই সত্য তোমাদের মুক্ত করবে।”
३२और सत्य को जानोगे, और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा।”
33 ৩৩ তারা তাঁকে উত্তর দিল, আমরা অব্রাহামের বংশ এবং কখনও কারও দাস হইনি; আপনি কেমন করে বলছেন তোমাদের মুক্ত করা হবে?
३३उन्होंने उसको उत्तर दिया, “हम तो अब्राहम के वंश से हैं, और कभी किसी के दास नहीं हुए; फिर तू क्यों कहता है, कि तुम स्वतंत्र हो जाओगे?”
34 ৩৪ যীশু তাদেরকে উত্তর দিলেন, সত্য, সত্যই আমি তোমাদেরকে বলছি, যে কেউ পাপ কাজ করে সে হলো পাপের দাস।
३४यीशु ने उनको उत्तर दिया, “मैं तुम से सच-सच कहता हूँ कि जो कोई पाप करता है, वह पाप का दास है।
35 ৩৫ দাস চিরকাল বাড়িতে থাকে না কিন্তু সন্তান চিরকাল থাকেন। (aiōn )
३५और दास सदा घर में नहीं रहता; पुत्र सदा रहता है। (aiōn )
36 ৩৬ অতএব ঈশ্বর পুত্র যদি তোমাদের মুক্ত করেন তবে তোমরা সত্যই মুক্ত হবে।
३६इसलिए यदि पुत्र तुम्हें स्वतंत्र करेगा, तो सचमुच तुम स्वतंत्र हो जाओगे।
37 ৩৭ আমি জানি যে তোমরা অব্রাহামের বংশধর; তোমরা আমাকে মেরে ফেলার জন্য চেষ্টা করছ, কারণ আমার বাক্য তোমাদের অন্তরে জায়গা পায়নি।
३७मैं जानता हूँ कि तुम अब्राहम के वंश से हो; तो भी मेरा वचन तुम्हारे हृदय में जगह नहीं पाता, इसलिए तुम मुझे मार डालना चाहते हो।
38 ৩৮ আমি আমার পিতার কাছে যা কিছু দেখেছি তাই বলছি; আর তোমাদের পিতার কাছে তোমরা যা কিছু শুনেছ, সেই সব করছ।
३८मैं वही कहता हूँ, जो अपने पिता के यहाँ देखा है; और तुम वही करते रहते हो जो तुम ने अपने पिता से सुना है।”
39 ৩৯ তারা উত্তর দিয়ে তাঁকে বলল, আমাদের পিতা হলো অব্রাহাম। যীশু তাদেরকে বললেন, “তোমরা যদি অব্রাহামের সন্তান হতে, তবে তোমরা অব্রাহামের কাজগুলি করতে।
३९उन्होंने उसको उत्तर दिया, “हमारा पिता तो अब्राहम है।” यीशु ने उनसे कहा, “यदि तुम अब्राहम के सन्तान होते, तो अब्राहम के समान काम करते।
40 ৪০ আমি ঈশ্বরের কাছে যে সত্য শুনেছি তাই তোমাদেরকে বলেছি তবুও, তোমরা আমাকে মেরে ফেলার জন্য চেষ্টা করছ।” অব্রাহাম এইগুলি করেননি।
४०परन्तु अब तुम मुझ जैसे मनुष्य को मार डालना चाहते हो, जिसने तुम्हें वह सत्य वचन बताया जो परमेश्वर से सुना, यह तो अब्राहम ने नहीं किया था।
41 ৪১ তোমাদের পিতা যে কাজ করে, তোমরাও সেই কাজ করছ। তারা তাঁকে বলল, আমাদের জন্ম অবৈধ ভাবে হয়নি; আমাদের একমাত্র পিতা আছেন, তিনি ঈশ্বর।
४१तुम अपने पिता के समान काम करते हो” उन्होंने उससे कहा, “हम व्यभिचार से नहीं जन्मे, हमारा एक पिता है अर्थात् परमेश्वर।”
42 ৪২ যীশু তাদেরকে বললেন, ঈশ্বর যদি তোমাদের পিতা হতেন, তবে তোমরা আমাকে ভালবাসতে, কারণ আমি ঈশ্বরের কাছ থেকে এসেছি; আমি ত নিজের থেকে আসিনি কিন্তু তিনিই আমাকে পাঠিয়েছেন।
४२यीशु ने उनसे कहा, “यदि परमेश्वर तुम्हारा पिता होता, तो तुम मुझसे प्रेम रखते; क्योंकि मैं परमेश्वर में से निकलकर आया हूँ; मैं आप से नहीं आया, परन्तु उसी ने मुझे भेजा।
43 ৪৩ তোমরা কেন আমার কথা বুঝতে পারছ না? তার কারণ হলো, আমার কথা তোমরা শুনে সহ্য করতে পার না।
४३तुम मेरी बात क्यों नहीं समझते? इसलिए कि मेरा वचन सुन नहीं सकते।
44 ৪৪ শয়তান হলো তোমাদের পিতা আর তোমরা তার সন্তান এবং তোমাদের পিতার ইচ্ছা তোমরা পালন করতে চাও। সে শুরু থেকেই খুনি ছিল এবং সে সত্যতে থাকে না কারণ তার মধ্যে কোনো সত্য নেই। সে যখন মিথ্যা কথা বলে, তখন সে নিজের স্বভাব থেকেই বলে কারণ সে মিথ্যাবাদী এবং সে সব মিথ্যার বাপ।
४४तुम अपने पिता शैतान से हो, और अपने पिता की लालसाओं को पूरा करना चाहते हो। वह तो आरम्भ से हत्यारा है, और सत्य पर स्थिर न रहा, क्योंकि सत्य उसमें है ही नहीं; जब वह झूठ बोलता, तो अपने स्वभाव ही से बोलता है; क्योंकि वह झूठा है, वरन् झूठ का पिता है।
45 ৪৫ কিন্তু আমি সত্য বলি বলে তোমরা আমাকে বিশ্বাস কর না।
४५परन्तु मैं जो सच बोलता हूँ, इसलिए तुम मेरा विश्वास नहीं करते।
46 ৪৬ তোমাদের মধ্যে কে আমাকে পাপী বলে দোষী করতে পারে? যদি আমি সত্য বলি, তবে কেন তোমরা আমাকে বিশ্বাস কর না?
४६तुम में से कौन मुझे पापी ठहराता है? और यदि मैं सच बोलता हूँ, तो तुम मेरा विश्वास क्यों नहीं करते?
47 ৪৭ “যে কেউ ঈশ্বরের সে ঈশ্বরের সব কথা শোনে; তোমরা ঈশ্বরের কথা শোন না কারণ তোমরা ঈশ্বরের নও।”
४७जो परमेश्वर से होता है, वह परमेश्वर की बातें सुनता है; और तुम इसलिए नहीं सुनते कि परमेश्वर की ओर से नहीं हो।”
48 ৪৮ ইহূদিরা উত্তর দিয়ে তাঁকে বলল, আমরা কি সত্য বলিনি যে তুমি একজন শমরীয় এবং তোমাকে ভূতে ধরেছে?
४८यह सुन यहूदियों ने उससे कहा, “क्या हम ठीक नहीं कहते, कि तू सामरी है, और तुझ में दुष्टात्मा है?”
49 ৪৯ যীশু উত্তর দিলেন, “আমাকে ভূতে ধরেনি কিন্তু আমি নিজের পিতাকে সম্মান করি আর তোমরা আমাকে অসম্মান কর।”
४९यीशु ने उत्तर दिया, “मुझ में दुष्टात्मा नहीं; परन्तु मैं अपने पिता का आदर करता हूँ, और तुम मेरा निरादर करते हो।
50 ৫০ আমি নিজের গৌরব খোঁজ করি না; একজন আছেন যিনি খোঁজ করেন এবং তিনি বিচারক।
५०परन्तु मैं अपनी प्रतिष्ठा नहीं चाहता, हाँ, एक है जो चाहता है, और न्याय करता है।
51 ৫১ সত্য, সত্যই আমি তোমাদের বলছি, কেউ যদি আমার বাক্য মেনে চলে সে কখনও মৃত্যু দেখবে না। (aiōn )
५१मैं तुम से सच-सच कहता हूँ, कि यदि कोई व्यक्ति मेरे वचन पर चलेगा, तो वह अनन्तकाल तक मृत्यु को न देखेगा।” (aiōn )
52 ৫২ ইহূদিরা তাঁকে বলল, এখন আমরা জানতে পারলাম যে তোমাকে ভূতে ধরেছে। অব্রাহাম ও ভবিষ্যৎ বক্তারা মরে গিয়েছেন কিন্তু তুমি বলছ কেউ যদি আমার বাক্য মেনে চলে সে কখনও মৃত্যুর স্বাদ পাবে না। (aiōn )
५२लोगों ने उससे कहा, “अब हमने जान लिया कि तुझ में दुष्टात्मा है: अब्राहम मर गया, और भविष्यद्वक्ता भी मर गए हैं और तू कहता है, ‘यदि कोई मेरे वचन पर चलेगा तो वह अनन्तकाल तक मृत्यु का स्वाद न चखेगा।’ (aiōn )
53 ৫৩ তুমি কি আমাদের পূর্বপুরুষ অব্রাহাম থেকেও মহান যিনি মরে গেছেন? ভবিষ্যৎ বক্তাও মরে গেছেন। তুমি নিজের সম্পর্কে কি মনে কর?
५३हमारा पिता अब्राहम तो मर गया, क्या तू उससे बड़ा है? और भविष्यद्वक्ता भी मर गए, तू अपने आपको क्या ठहराता है?”
54 ৫৪ যীশু উত্তর দিলেন, আমি যদি নিজেকে গৌরব করি, তবে আমার গৌরব কিছুই নয়; আমার পিতাই আমাকে প্রশংসা করছেন, যাঁর সম্পর্কে তোমরা বলে থাক যে, তিনি তোমাদের ঈশ্বর।
५४यीशु ने उत्तर दिया, “यदि मैं आप अपनी महिमा करूँ, तो मेरी महिमा कुछ नहीं, परन्तु मेरी महिमा करनेवाला मेरा पिता है, जिसे तुम कहते हो, कि वह हमारा परमेश्वर है।
55 ৫৫ তোমরা তাঁকে জান না; কিন্তু আমি তাঁকে জানি; আমি যদি বলি যে তাঁকে জানি না তবে তোমাদের মত আমিও একজন মিথ্যাবাদী হব। যদিও আমি তাঁকে জানি এবং তাঁর বাক্য মেনে চলি।
५५और तुम ने तो उसे नहीं जाना: परन्तु मैं उसे जानता हूँ; और यदि कहूँ कि मैं उसे नहीं जानता, तो मैं तुम्हारे समान झूठा ठहरूँगा: परन्तु मैं उसे जानता, और उसके वचन पर चलता हूँ।
56 ৫৬ তোমাদের পিতা অব্রাহাম আমার দিন দেখবার আশায় আনন্দ করেছিলেন এবং তিনি তা দেখেছিলেন ও খুশী হয়েছিলেন।
५६तुम्हारा पिता अब्राहम मेरा दिन देखने की आशा से बहुत मगन था; और उसने देखा, और आनन्द किया।”
57 ৫৭ তখন ইহূদিরা যীশুকে বলল, তোমার বয়স এখনও পঞ্চাশ বছর হয়নি, তুমি অব্রাহামকে কি দেখেছ?
५७लोगों ने उससे कहा, “अब तक तू पचास वर्ष का नहीं, फिर भी तूने अब्राहम को देखा है?”
58 ৫৮ যীশু তাদের বললেন, সত্য, সত্যই আমি তোমাদেরকে বলছি অব্রাহামের জন্মের আগে থেকেই আমি আছি।
५८यीशु ने उनसे कहा, “मैं तुम से सच-सच कहता हूँ, कि पहले इसके कि अब्राहम उत्पन्न हुआ, मैं हूँ।”
59 ৫৯ তখন তারা তাঁর উপর ছুঁড়ে মারবার জন্য পাথর তুলে নিল কিন্তু যীশু নিজেকে গোপন করলেন এবং উপাসনা ঘর থেকে বাইরে চলে গেলেন।
५९तब उन्होंने उसे मारने के लिये पत्थर उठाए, परन्तु यीशु छिपकर मन्दिर से निकल गया।