< যোহন 20 >

1 সপ্তাহের প্রথম দিন সকালে, তখনও পর্যন্ত অন্ধকার ছিল, মগ্দলীনী মরিয়ম কবরের কাছে এসেছিলেন; তিনি দেখেছিলেন কবর থেকে পাথর খানা গড়িয়ে সরানো হয়েছে।
हफ़्ते का दिन गुज़र गया तो इतवार को मरियम मग़दलिनी सुबह — सवेरे क़ब्र के पास आई। अभी अँधेरा था। वहाँ पहुँच कर उस ने देखा कि क़ब्र के मुँह पर का पत्थर एक तरफ़ हटाया गया है।
2 সুতরাং তিনি দৌড়ালেন এবং শিমোন পিতরের কাছে গেলেন এবং অন্য শিষ্য যীশু যাকে ভালবাসতেন এবং তাঁদের বললেন, “তারা প্রভুকে কবর থেকে বের করে নিয়ে গেছে এবং আমরা জানি না তারা প্রভুকে কোথায় রেখেছে।”
मरियम दौड़ कर शमौन पतरस और ईसा के प्यारे शागिर्द के पास आई। उस ने ख़बर दी, “वह ख़ुदावन्द को क़ब्र से ले गए हैं, और हमें मालूम नहीं कि उन्हों ने उसे कहाँ रख दिया है।”
3 তারপর পিতর এবং অন্য শিষ্য বেরিয়ে গেলেন এবং তারা কবরের দিকে গেলেন।
तब पतरस दूसरे शागिर्द समेत क़ब्र की तरफ़ चल पड़ा।
4 তাঁরা উভয়ে একসঙ্গে দৌড়ালেন; অন্য শিষ্য পিতরকে পেছনে ফেললেন এবং প্রথমে কবরে পৌঁছেছিলেন।
दोनों दौड़ रहे थे, लेकिन दूसरा शागिर्द ज़्यादा तेज़ रफ़्तार था। वह पहले क़ब्र पर पहुँच गया।
5 তিনি হেঁট হয়েছিলেন এবং ভিতরে তাকিয়ে ছিলেন; তিনি সেখানে লিনেন কাপড়গুলি পড়ে থাকতে দেখেছিলেন, কিন্তু তিনি ভেতরে গেলেন না।
उस ने झुक कर अन्दर झाँका तो कफ़न की पट्टियाँ वहाँ पड़ी नज़र आईं। लेकिन वह अन्दर न गया।
6 তারপর শিমোন পিতর তাঁর পরে পৌঁছলেন এবং কবরের ভেতরে ঢুকলেন। তিনি দেখেছিলেন লিনেন কাপড়গুলি সেখানে পড়ে রয়েছে,
फिर शमौन पतरस उस के पीछे पहुँच कर क़ब्र में दाख़िल हुआ। उस ने भी देखा कि कफ़न की पट्टियाँ वहाँ पड़ी हैं
7 এবং যে কাপড়টি তাঁর মাথার ওপরে ছিল। এটা সেই লিনেন কাপড়ের সঙ্গে ছিল না কিন্তু এক জায়গায় গুটিয়ে রাখা ছিল।
और साथ वह कपड़ा भी जिस में ईसा का सर लिपटा हुआ था। यह कपड़ा तह किया गया था और पट्टियों से अलग पड़ा था।
8 তারপরে অন্য শিষ্যও ভেতরে গিয়েছিল, একজন যিনি কবরের কাছে প্রথমে পৌঁছেছিলেন; তিনি দেখেছিলেন এবং বিশ্বাস করেছিলেন।
फिर दूसरा शागिर्द जो पहले पहुँच गया था, वह भी दाख़िल हुआ। जब उस ने यह देखा तो वह ईमान लाया।
9 ওই দিন পর্যন্ত তাঁরা শাস্ত্রের কথা বুঝতে পারেননি যে মৃতদের মধ্য থেকে যীশুকে আবার উঠতে হবে।
(लेकिन अब भी वह कलाम — ए — मुक़द्दस की नबुव्वत नहीं समझते थे कि उसे मुर्दों में से जी उठना है)।
10 ১০ সুতরাং শিষ্যরা আবার নিজের বাড়িতে চলে গেলেন।
फिर दोनों शागिर्द घर वापस चले गए।
11 ১১ যদিও, মরিয়ম কবরের বাইরে দাঁড়িয়ে কাঁদতে কাঁদতে হেঁট হয়েছিলেন এবং কবরের ভেতরে তাকিয়ে ছিলেন।
लेकिन मरियम रो रो कर क़ब्र के सामने खड़ी रही। और रोते हुए उस ने झुक कर क़ब्र में झाँका
12 ১২ তিনি দেখেছিলেন সাদা কাপড় পরে দুই জন স্বর্গদূত বসে আছেন, যেখানে যীশুর মৃতদেহ রাখা হয়েছিল, একজন তার মাথার দিকে এবং অন্যজন পায়ের দিকে।
तो क्या देखती है कि दो फ़रिश्ते सफ़ेद लिबास पहने हुए वहाँ बैठे हैं जहाँ पहले ईसा की लाश पड़ी थी, एक उस के सिरहाने और दूसरा उस के पैताने थे।
13 ১৩ তাঁরা তাঁকে বললেন, “নারী, তুমি কাঁদছ কেন?” তিনি তাঁদের বললেন, “কারণ তারা আমার প্রভুকে নিয়ে গেছে এবং আমি জানি না তারা তাকে কোথায় রেখেছে।”
उन्हों ने मरियम से पूछा, “ऐ ख़ातून, तू क्यूँ रो रही है?” उस ने कहा, “वह मेरे ख़ुदावन्द को ले गए हैं, और मालूम नहीं कि उन्हों ने उसे कहाँ रख दिया है।”
14 ১৪ যখন তিনি এটা বললেন, তিনি চারিদিকে ঘুরলেন এবং দেখলেন যীশু সেখানে দাঁড়িয়ে আছেন, কিন্তু তিনি চিনতে পারেননি যে তিনিই যীশু।
फिर उस ने पीछे मुड़ कर ईसा को वहाँ खड़े देखा, लेकिन उस ने उसे न पहचाना।
15 ১৫ যীশু তাঁকে বললেন, “নারী, কাঁদছ কেন? তুমি কার খোঁজ করছ?” তিনি ভেবেছিলেন যে তিনি ছিলেন বাগানের মালি, সুতরাং তিনি তাকে বললেন, “মহাশয়, যদি আপনি তাঁকে নিয়ে গিয়ে থাকেন, আমাকে বলুন আপনি কোথায় তাঁকে রেখেছেন এবং আমি তাঁকে নিয়ে আসব।”
ईसा ने पूछा, “ऐ ख़ातून, तू क्यूँ रो रही है, किस को ढूँड रही है?” उसने बाग़बान समझ कर उस से कहा, मियाँ अगर तूने उसको यहाँ से उठाया हो तू मुझे बता दे कि उसे कहा रखा है ताकि मै उसे ले जाऊँ
16 ১৬ যীশু তাঁকে বললেন, “মরিয়ম।” তিনি নিজে ঘুরলেন এবং ইব্রীয় ভাষায় তাঁকে বললেন, “রব্বূণি,” যাকে বলে “গুরু।”
ईसा ने उस से कहा, “मरियम!” उसने मुड़कर उससे इबरानी ज़बान में कहा “रब्बोनी ए उस्ताद”
17 ১৭ যীশু তাঁকে বললেন, “আমাকে ছুঁয়না, কারণ এখনও আমি উর্ধে পিতার কাছে যাই নি; কিন্তু আমার ভাইদের কাছে যাও এবং তাদের বল যে আমি উর্ধে আমার পিতার কাছে যাব এবং তোমাদের পিতা এবং আমার ঈশ্বরও তোমাদের ঈশ্বর।”
ईसा ने कहा, “मुझे मत छू, क्यूँकि अभी मैं ऊपर, बाप के पास नहीं गया। लेकिन भाइयों के पास जा और उन्हें बता, मैं अपने बाप और तुम्हारे बाप के पास वापस जा रहा हूँ, अपने ख़ुदा और तुम्हारे ख़ुदा के पास।”
18 ১৮ মগ্দলীনী মরিয়ম এলেন এবং শিষ্যদের বললেন, “আমি প্রভুকে দেখেছি,” এবং তিনি আমাকে এইসব কথা বলেছেন।
चुनाँचे मरियम मग़दलिनी शागिर्दों के पास गई और उन्हें इत्तिला दी, “मैं ने ख़ुदावन्द को देखा है और उस ने मुझ से यह बातें कहीं।”
19 ১৯ এটা সেই একই দিনের সন্ধ্যেবেলা ছিল, ওই দিন সপ্তাহের প্রথম দিন এবং যখন দরজাগুলো বন্ধ ছিল যেখানে শিষ্যরা ইহুদীদের ভয়ে একত্রে ছিল, যীশু এলেন এবং তাদের মাঝখানে দাঁড়ালেন এবং তাঁদের বললেন, “তোমাদের শান্তি হোক।”
उस इतवार की शाम को शागिर्द जमा थे। उन्हों ने दरवाज़ों पर ताले लगा दिए थे क्यूँकि वह यहूदियों से डरते थे। अचानक ईसा उन के दरमियान आ खड़ा हुआ और कहा, “तुम्हारी सलामती हो,”
20 ২০ যখন তিনি এই বলেছিলেন, তিনি তাঁদের তাঁর দুই হাত এবং তাঁর পাঁজর দেখালেন। তারপর যখন শিষ্যরা প্রভুকে দেখতে পেয়েছিল, তারা আনন্দিত হয়েছিল।
और उन्हें अपने हाथों और पहलू को दिखाया। ख़ुदावन्द को देख कर वह निहायत ख़ुश हुए।
21 ২১ তারপর যীশু তাদের আবার বললেন, “তোমাদের শান্তি হোক। পিতা যেমন আমাকে পাঠিয়েছেন, সেই রকম আমিও তোমাদের পাঠাই।”
ईसा ने दुबारा कहा, “तुम्हारी सलामती हो! जिस तरह बाप ने मुझे भेजा उसी तरह मैं तुम को भेज रहा हूँ।”
22 ২২ যখন যীশু এই বলেছিলেন, তিনি তাঁদের উপরে ফুঁ দিলেন এবং তাঁদের বললেন, “পবিত্র আত্মা গ্রহণ কর।
फिर उन पर फूँक कर उस ने फ़रमाया, “रूह — उल — क़ुद्दूस को पा लो।
23 ২৩ তোমরা যাদের পাপ ক্ষমা করবে, তাদের ক্ষমা করা হবে; তুমি যাদের পাপ ক্ষমা করবে না, তাদের পাপ ক্ষমা করা হবে না।”
अगर तुम किसी के गुनाहों को मुआफ़ करो तो वह मुआफ़ किए जाएँगे। और अगर तुम उन्हें मुआफ़ न करो तो वह मुआफ़ नहीं किए जाएँगे।”
24 ২৪ যীশু যখন এসেছিলেন, তখন থোমা, সেই বারো জনের একজন, যাকে দিদুমঃ বলে, তিনি তাঁদের সঙ্গে ছিলেন না।
बारह शागिर्दों में से तोमा जिस का लक़ब जुड़वाँ था ईसा के आने पर मौजूद न था।
25 ২৫ পরে অন্য শিষ্যরা তাঁকে বললেন, “আমরা প্রভুকে দেখেছি।” তিনি তাঁদের বললেন, “আমি যদি তাঁর দুই হাতে পেরেকের চিহ্ন না দেখি এবং সেই পেরেকের জায়গায় আমার আঙুল না দিই এবং তাঁর পাঁজরের মধ্যে আমার হাত না দিই, তবে আমি বিশ্বাস করব না।”
चुनाँचे दूसरे शागिर्दों ने उसे बताया, “हम ने ख़ुदावन्द को देखा है!” लेकिन तोमा ने कहा, मुझे यक़ीन नहीं आता। “पहले मुझे उस के हाथों में कीलों के निशान नज़र आएँ और मैं उन में अपनी उंगली डालूँ, पहले मैं अपने हाथ को उस के पहलू के ज़ख़्म में डालूँ। फिर ही मुझे यक़ीन आएगा।”
26 ২৬ আট দিন পরে তাঁর শিষ্যরা আবার ভেতরে ছিলেন এবং থোমা তাঁদের সঙ্গে ছিলেন। যখন দরজাগুলো বন্ধ ছিল তখন যীশু এসেছিলেন, তাদের মাঝখানে দাঁড়ালেন এবং বললেন, “তোমাদের শান্তি হোক।”
एक हफ़्ता गुज़र गया। शागिर्द दुबारा मकान में जमा थे। इस मर्तबा तोमा भी साथ था। अगरचे दरवाज़ों पर ताले लगे थे फिर भी ईसा उन के दरमियान आ कर खड़ा हुआ। उस ने कहा, “तुम्हारी सलामती हो!”
27 ২৭ তারপরে তিনি থোমাকে বললেন, তোমার আঙুল বাড়িয়ে দাও এবং আমার হাত দুখানা দেখ; আর তোমার হাত বাড়িয়ে দাও আমার পাঁজরের মধ্যে দাও; অবিশ্বাসী হও না, বিশ্বাসী হও।
फिर वह तोमा से मुख़ातिब हुआ, “अपनी उंगली को मेरे हाथों और अपने हाथ को मेरे पहलू के ज़ख़्म में डाल और बेएतिक़ाद न हो बल्कि ईमान रख।”
28 ২৮ থোমা উত্তর করে তাঁকে বললেন, “আমার প্রভু এবং আমার ঈশ্বর।”
तोमा ने जवाब में उस से कहा, “ऐ मेरे ख़ुदावन्द! ऐ मेरे ख़ुदा!”
29 ২৯ যীশু তাঁকে বললেন, “কারণ তুমি আমাকে দেখেছ, তুমি বিশ্বাস করেছ। ধন্য তারা যারা না দেখে বিশ্বাস করেছে এবং তবুও বিশ্বাস করেছে।”
फिर ईसा ने उसे बताया, “क्या तू इस लिए ईमान लाया है कि तू ने मुझे देखा है? मुबारिक़ हैं वह जो मुझे देखे बग़ैर मुझ पर ईमान लाते हैं।”
30 ৩০ যীশু শিষ্যদের সামনে অনেক চিহ্ন-কাজ করেছিলেন, চিহ্ন যা এই বইতে লেখা হয়নি।
ईसा ने अपने शागिर्दों की मौजूदगी में मज़ीद बहुत से ऐसे ख़ुदाई करिश्मे दिखाए जो इस किताब में दर्ज नहीं हैं।
31 ৩১ কিন্তু এই সব লেখা হয়েছে যেন তোমরা বিশ্বাস কর যে যীশুই খ্রীষ্ট, ঈশ্বরের পুত্র, আর বিশ্বাস কর যেন তাঁর নামে জীবন পাও।
लेकिन जितने दर्ज हैं उन का मक़्सद यह है कि आप ईमान लाएँ कि ईसा ही मसीह यानी ख़ुदा का फ़र्ज़न्द है और आप को इस ईमान के वसीले से उस के नाम से ज़िन्दगी हासिल हो।

< যোহন 20 >