< ইয়োবের বিবরণ 40 >

1 সদাপ্রভু ইয়োবের সঙ্গে কথা বলে চললেন; তিনি বললেন,
तब याहवेह ने अय्योब से पूछा:
2 “যে সমালোচনা করতে চায় সে কি সর্বশক্তিমানকে সংশোধনের চেষ্টা করবে? যে ঈশ্বরের সঙ্গে তর্ক বিতর্ক করে, সে উত্তর দিক।”
“क्या अब सर्वशक्तिमान का विरोधी अपनी पराजय स्वीकार करने के लिए तत्पर है अब वह उत्तर दे? जो परमेश्वर पर दोषारोपण करता है!”
3 তখন ইয়োব সদাপ্রভুকে উত্তর দিলেন এবং বললেন,
तब अय्योब ने याहवेह को यह उत्तर दिया:
4 “দেখুন, আমি তুচ্ছ; আমি কি করে আপনাকে উত্তর দেব? আমি আমার মুখের ওপর হাত রাখি।
“देखिए, मैं नगण्य बेकार व्यक्ति, मैं कौन होता हूं, जो आपको उत्तर दूं? मैं अपने मुख पर अपना हाथ रख लेता हूं.
5 আমি একবার কথা বলেছি এবং আমি আর উত্তর দেব না; সত্যি, দুবার, কিন্তু আমি আর বলব না।”
एक बार मैं धृष्टता कर चुका हूं अब नहीं, संभवतः दो बार, किंतु अब मैं कुछ न कहूंगा.”
6 তখন সদাপ্রভু প্রচন্ড ঝড়ের মধ্য থেকে ইয়োবকে উত্তর দিলেন এবং বললেন,
तब स्वयं याहवेह ने तूफान में से अय्योब को उत्तर दिया:
7 “তুমি এখন একজন পুরুষের মত তোমার কোমর বাঁধ, কারণ আমি তোমায় প্রশ্ন করব এবং তুমি অবশ্যই আমায় উত্তর দেবে।
“एक योद्धा के समान कटिबद्ध हो जाओ; अब प्रश्न पूछने की बारी मेरी है तथा सूचना देने की तुम्हारी.
8 তুমি কি প্রকৃত পক্ষে বলতে চাইছ যে আমি অন্যায়ী? তুমি কি আমাকে দোষী করবে যাতে তুমি দাবি করতে পার যে তুমি ধার্মিক?
“क्या तुम वास्तव में मेरे निर्णय को बदल दोगे? क्या तुम स्वयं को निर्दोष प्रमाणित करने के लिए मुझे दोषी प्रमाणित करोगे?
9 তোমার কি ঈশ্বরের মত হাত আছে? তুমি কি তাঁর মত গর্জ্জন করতে পার?
क्या, तुम्हारी भुजा परमेश्वर की भुजा समान है? क्या, तू परमेश्वर जैसी गर्जना कर सकेगा?
10 ১০ এখন নিজেকে গৌরবে এবং মর্যাদায় সাজাও; নিজেকে সম্মানে এবং মহিমায় সাজাও।
तो फिर नाम एवं सम्मान धारण कर लो, स्वयं को वैभव एवं ऐश्वर्य में लपेट लो.
11 ১১ তোমার প্রচন্ড রাগ ছেড়ে দাও; প্রত্যেকে অহঙ্কারীর দিকে তাকাও এবং তাকে নত কর।
अपने बढ़ते क्रोध को निर्बाध बह जाने दो, जिस किसी अहंकारी से तुम्हारा सामना हो, उसे झुकाते जाओ.
12 ১২ প্রত্যেকে অহঙ্কারীর দিকে তাকাও এবং তাকে নম্র কর; পাপীদের তাদের জায়গায় মাড়াও।
हर एक अहंकारी को विनीत बना दो, हर एक खड़े हुए दुराचारी को पांवों से कुचल दो.
13 ১৩ তাদের একসঙ্গে মাটিতে কবর দাও; গোপন জায়গায় তাদের মুখ বন্ধ কর।
तब उन सभी को भूमि में मिला दो; किसी गुप्‍त स्थान में उन्हें बांध दो.
14 ১৪ তখন কি আমি তোমার বিষয়ে স্বীকার করব যে তোমার নিজের ডান হাত তোমায় রক্ষা করতে পারে?
तब मैं सर्वप्रथम तुम्हारी क्षमता को स्वीकार करूंगा, कि तुम्हारा दायां हाथ तुम्हारी रक्षा के लिए पर्याप्‍त है.
15 ১৫ বহেমোৎকে দেখ, আমি তোমার সঙ্গে তাকেও বানিয়েছি; সে ষাঁড়ের মত ঘাস খায়।
“अब इस सत्य पर विचार करो जैसे मैंने तुम्हें सृजा है, वैसे ही उस विशाल जंतु बहेमोथ को भी जो बैल समान घास चरता है.
16 ১৬ এখন দেখ, তার কোমরে তার শক্তি; তার পেটের পেশিতে তার শক্তি।
उसके शारीरिक बल पर विचार करो, उसकी मांसपेशियों की क्षमता पर विचार करो!
17 ১৭ সে দেবদারু গাছের মত তার লেজ নাড়ায়; তার উরুর পেশী একসঙ্গে জোড়া।
उसकी पूंछ देवदार वृक्ष के समान कठोर होती है; उसकी जांघ का स्‍नायु-तंत्र कैसा बुना गया हैं.
18 ১৮ তার হাড় পিতলের নলের মত; তার পা লোহার ডান্ডার মত।
उसकी हड्डियां कांस्य की नलियां समान है, उसके अंग लोहे के छड़ के समान मजबूत हैं.
19 ১৯ সে ঈশ্বরের সৃষ্টি সমস্ত জীবজন্তুদের মধ্যে প্রধান। একমাত্র ঈশ্বর, যিনি তাকে বানিয়েছেন, যিনি তাকে হারাতে পারেন।
वह परमेश्वर की एक उत्कृष्ट रचना है, किंतु उसका रचयिता उसे तलवार से नियंत्रित कर लेता है.
20 ২০ পাহাড়রা তাকে খাবার যোগায়; মাঠের পশুরা তার আশেপাশে খেলা করে।
पर्वत उसके लिए आहार लेकर आते हैं, इधर-उधर वन्य पशु फिरते रहते हैं.
21 ২১ সে পদ্ম গাছের নলের তলায় শুয়ে থাকে, জলাভূমিতে শুয়ে থাকে।
वह कमल के पौधे के नीचे लेट जाता है, जो कीचड़ तथा सरकंडों के मध्य में है.
22 ২২ পদ্ম গাছ নিজের ছায়ায় তাদের ঢাকে; নদীর গাছ তার চারিদিকে ঘিরে থাকে।
पौधे उसे छाया प्रदान करते हैं; तथा नदियों के मजनूं वृक्ष उसके आस-पास उसे घेरे रहते हैं.
23 ২৩ দেখ, যদি নদী তার কুলকে ভাষায়, সে ভয় পায় না; সে আত্মবিশ্বাসী, যদিও যর্দ্দন নদীর ঢেউ ছাপিয়ে উঠে তার মুখে পড়ে তবুও সে স্থির থাকে।
यदि नदी में बाढ़ आ जाए, तो उसकी कोई हानि नहीं होती; वह निश्चिंत बना रहता है, यद्यपि यरदन का जल उसके मुख तक ऊंचा उठ जाता है.
24 ২৪ কেউ কি তাকে বঁড়শি দিয়ে ধরতে পারে অথবা ফাঁদ দিয়ে কে তার নাক ফুঁড়তে পারে?”
जब वह सावधान सजग रहता है तब किसमें साहस है कि उसे बांध ले, क्या कोई उसकी नाक में छेद कर सकता है?

< ইয়োবের বিবরণ 40 >