< আদিপুস্তক 7 >

1 আর সদাপ্রভু নোহকে বললেন, “তুমি সপরিবারে জাহাজে প্রবেশ কর, কারণ এই কালের লোকদের মধ্যে আমার সামনে তোমাকেই ধার্মিক দেখেছি।
फिर याहवेह ने नोहा से कहा, “तुम और तुम्हारा पूरा परिवार जहाज़ में जाओ, क्योंकि इस पृथ्वी पर केवल तुम ही धर्मी हो.
2 তুমি শুচি পশুর স্ত্রীপুরুষ নিয়ে প্রত্যেক জাতির সাত সাত জোড়া এবং অশুচি পশুর স্ত্রী ও পুরুষ নিয়ে প্রত্যেক জাতির
तुम अपने साथ उन पशुओं के सात-सात जोड़े नर एवं मादा ले लो, जो शुद्ध माने जाते हैं तथा उन पशुओं का भी एक-एक जोड़ा, जो शुद्ध नहीं माने जाते.
3 এক এক জোড়া এবং আকাশের পাখিদেরও স্ত্রীপুরুষ নিয়ে প্রত্যেক জাতির সাত সাত জোড়া, সমস্ত ভূমণ্ডলে তাদের বংশ রক্ষার জন্য নিজের সঙ্গে রাখ।
इसी प्रकार आकाश के पक्षियों के सात जोड़े—नर तथा मादा, ले लो.
4 কারণ সাত দিনের র পর আমি পৃথিবীতে চল্লিশ দিন রাত বৃষ্টি বর্ষণ করে আমার সৃষ্টি যাবতীয় প্রাণীকে পৃথিবী থেকে উচ্ছিন্ন করব।”
क्योंकि अब से सात दिन के बाद, मैं पृथ्वी पर जल बरसाऊंगा, चालीस दिन तथा चालीस रात तक जल बरसाता रहूंगा और भूमि पर मेरे द्वारा रचे गये सभी जीवित प्राणी नष्ट हो जायेंगे.”
5 তখন নোহ সদাপ্রভুর আদেশ অনুসারে সব কাজ করলেন।
नोहा ने याहवेह की सब बातों को माना.
6 নোহের ছয়শো বছর বয়সে পৃথিবীতে জলপ্লাবন হল।
जब पृथ्वी पर जलप्रलय शुरू हुआ, तब नोहा छः सौ वर्ष के थे.
7 জলপ্লাবনের জন্য নোহ ও তাঁর ছেলেরা এবং তাঁর স্ত্রী ও ছেলের বউরা জাহাজে প্রবেশ করলেন।
नोहा, उनकी पत्नी, उनके पुत्र, तथा उनकी बहुएं प्रलय से बचने के लिए जहाज़ में चले गए.
8 নোহের প্রতি ঈশ্বরের আদেশ অনুসারে শুচি অশুচি পশুর
शुद्ध तथा अशुद्ध पशु, पक्षी तथा भूमि पर रेंगनेवाले जंतु,
9 এবং পাখির ও ভূমিতে চলাচল যাবতীয় জীবের স্ত্রী পুরুষ জোড়া জোড়া জাহাজে প্রবেশ করল, যেমন ঈশ্বর নোহকে আদেশ করেছিল।
नर एवं मादा को जोड़ों में नोहा ने जहाज़ में लिया, जैसा परमेश्वर ने नोहा से कहा था.
10 ১০ আর সেই সাত দিন পরে পৃথিবীতে জলপ্লাবন হল।
सात दिन बाद पृथ्वी पर पानी बरसना शुरू हुआ.
11 ১১ নোহের বয়সের ছয়শো বছরের দ্বিতীয় মাসের সতেরো দিনের মহাজলধির সমস্ত উনুই ভেঙে গেল এবং আকাশের জানালা সব মুক্ত হল;
नोहा के छः सौ वर्ष के दूसरे महीने के सत्रहवें दिन महासागर के सोते फूट पड़े तथा आकाश को खोल दिया गया.
12 ১২ তাতে পৃথিবীতে চল্লিশ দিন রাত মহাবৃষ্টি হল।
और पृथ्वी पर चालीस दिन तथा चालीस रात लगातार बरसात होती रही.
13 ১৩ সেই দিন নোহ এবং শেম, হাম ও যেফৎ নামে নোহের ছেলেরা এবং তাঁদের সঙ্গে নোহের স্ত্রী ও তিন ছেলের বউরা জাহাজে প্রবেশ করলেন।
ठीक उसी दिन नोहा, उनके पुत्र शेम, हाम तथा याफेत, नोहा की पत्नी तथा उनकी तीनों बहुएं जहाज़ में चले गए.
14 ১৪ আর তাঁদের সঙ্গে সর্বজাতীয় বন্য পশু, সবজাতীয় গ্রাম্য পশু, সবজাতীয় মাটিতে চলাচল করা সরীসৃপ জীব ও সবজাতীয় পাখি,
और उनके साथ सब जाति के वन्य पशु, पालतू पशु, रेंगनेवाले जंतु, सभी प्रकार के पक्षी और वे सभी जिनके पंखे हैं, जहाज़ में गए.
15 ১৫ প্রাণবায়ুবিশিষ্ট সর্বপ্রকার জীবজন্তু জোড়া জোড়া জাহাজে নোহের কাছে প্রবেশ করল।
इस प्रकार वे सभी, जिसमें जीवन था, दो-दो नोहा के पास जहाज़ में पहुंच गए.
16 ১৬ ফলতঃ তাঁর প্রতি ঈশ্বরের আদেশ অনুসারে সমস্ত প্রাণীর স্ত্রী ও পুরুষ প্রবেশ করল। পরে সদাপ্রভু তাঁর জন্য পিছনের দরজা বন্ধ করলেন।
नोहा को परमेश्वर के आदेश के अनुसार, जो जहाज़ में पहुंचे, वे सभी प्राणियों के नर एवं मादा थे. जहाज़ में आए सबके अंदर जाते ही याहवेह ने द्वार बंद कर दिया.
17 ১৭ আর চল্লিশ দিন পর্যন্ত পৃথিবীতে বন্যা হল, তাতে জল বৃদ্ধি পেয়ে জাহাজ ভাসালে তা মাটি ছেড়ে উঠল।
पृथ्वी पर चालीस दिन तथा चालीस रात तक पानी बरसता रहा. पानी ऊपर होता गया और जहाज़ भी ऊपर उठता गया.
18 ১৮ পরে জল প্রবল হয়ে পৃথিবীতে অনেক বেড়ে গেল এবং জাহাজ জলের উপরে ভেসে উঠল।
पानी से पूरी पृथ्वी डूब गई, और जहाज़ पानी के ऊपर तैरता रहा.
19 ১৯ আর পৃথিবীতে জল অত্যন্ত প্রবল হল, আকাশমণ্ডলের নীচের সব মহাপর্বত ডুবে গেল।
जल पृथ्वी पर इतना बढ़ गया कि आकाश के नीचे के बड़े-बड़े पहाड़ भी डूब गए.
20 ২০ তার উপরে পনেরো হ্যাঁত জল উঠে প্রবল হল, পর্বত সকল ডুবে গেল।
पानी पहाड़ के लगभग सात मीटर ऊंचा हो गया.
21 ২১ তাতে মাটিতে চলাচল যাবতীয় প্রাণী, পাখি, পশুপাল ও বন্য পশু সব এবং সমস্ত মানুষ মারা গেল।
पृथ्वी पर का सब कुछ नाश हो गया; प्रत्येक जीवित प्राणी जो भूमि पर चलती थी—पक्षी, पशु, जंगली जानवर, वे सभी प्राणी जो पृथ्वी पर तैरते हैं, और पूरी मानव जाति.
22 ২২ মাটিতে চলনশীল যত প্রাণীর নাকে প্রাণবায়ুর সঞ্চার ছিল, সকলে মারা গেল।
थल के सभी जीवित प्राणी मर गये.
23 ২৩ এই ভাবে পৃথিবী নিবাসী সমস্ত প্রাণী মানুষ, পশু, সরীসৃপ, জীব ও আকাশের পাখি সকল উচ্ছিন্ন হল, পৃথিবী থেকে উচ্ছিন্ন হল, কেবল নোহ ও তাঁর সঙ্গী জাহাজে প্রাণীরা বেঁচে গেলেন।
इस प्रकार याहवेह ने पृथ्वी के सभी मनुष्य, पशु, रेंगनेवाले जंतु आकाश के पक्षी, सभी को नाश कर दिया. केवल नोहा और उनका परिवार तथा जो जीव-जन्तु जहाज़ में थे, वही बचे.
24 ২৪ আর জল পৃথিবীর উপরে একশো পঞ্চাশ দিন পর্যন্ত প্রবল থাকল।
150 दिन पृथ्वी पानी से ढकी रही.

< আদিপুস্তক 7 >

The Great Flood
The Great Flood