< আদিপুস্তক 24 >

1 সেইদিনের অব্রাহাম বৃদ্ধ ও তাঁর অনেক বয়স হয়েছিল এবং সদাপ্রভু অব্রাহামকে সব বিষয়ে আশীর্বাদ করেছিলেন।
अब्राहम अब वृद्ध हो गया था और उसकी आयु बहुत थी और यहोवा ने सब बातों में उसको आशीष दी थी।
2 তখন অব্রাহাম নিজের দাসকে, তাঁর সমস্ত বিষয়ের অধ্যক্ষ, গৃহের প্রাচীনকে বললেন, “অনুরোধ করি, তুমি আমার উরুর নীচে হাত দাও;
अब्राहम ने अपने उस दास से, जो उसके घर में पुरनिया और उसकी सारी सम्पत्ति पर अधिकारी था, कहा, “अपना हाथ मेरी जाँघ के नीचे रख;
3 আমি তোমাকে স্বর্গ মর্ত্ত্যের ঈশ্বর সদাপ্রভুর নামে এই শপথ করাই, যে কনানীয় লোকদের মধ্যে আমি বাস করছি, তুমি আমার ছেলের বিয়ের জন্য তাঁদের কোনো মেয়ে গ্রহণ করব না,
और मुझसे आकाश और पृथ्वी के परमेश्वर यहोवा की इस विषय में शपथ खा, कि तू मेरे पुत्र के लिये कनानियों की लड़कियों में से, जिनके बीच मैं रहता हूँ, किसी को न लाएगा।
4 কিন্তু আমার দেশে আমার আত্মীয়দের কাছে গিয়ে আমার পুত্র ইস্‌হাকের জন্য মেয়ে আনবে।”
परन्तु तू मेरे देश में मेरे ही कुटुम्बियों के पास जाकर मेरे पुत्र इसहाक के लिये एक पत्नी ले आएगा।”
5 তখন সেই দাস তাঁকে বললেন, “কি জানি, আমার সঙ্গে এই দেশে আসতে কোনো মেয়ে রাজি হবে না; আপনি যে দেশ ছেড়ে এসেছেন, আপনার ছেলেকে কি আবার সেই দেশে নিয়ে যাব?”
दास ने उससे कहा, “कदाचित् वह स्त्री इस देश में मेरे साथ आना न चाहे; तो क्या मुझे तेरे पुत्र को उस देश में जहाँ से तू आया है ले जाना पड़ेगा?”
6 তখন অব্রাহাম তাঁকে বললেন, “সাবধান, কোনোভাবে আমার ছেলেকে আবার সেখানে নিয়ে যেও না।
अब्राहम ने उससे कहा, “चौकस रह, मेरे पुत्र को वहाँ कभी न ले जाना।”
7 সদাপ্রভু, স্বর্গের ঈশ্বর, যিনি আমাকে বাবার বাড়ি ও আত্মীয়দের মধ্য থেকে এনেছেন, আমার সঙ্গে আলাপ করেছেন এবং এমন শপথ করেছেন যে, আমি তোমার বংশকে এই দেশ দেব, তিনিই তোমার আগে নিজের দূত পাঠাবেন; তাতে তুমি আমার ছেলের জন্য সেখান থেকে একটি মেয়ে নিয়ে আসতে পারবে।
स्वर्ग का परमेश्वर यहोवा, जिसने मुझे मेरे पिता के घर से और मेरी जन्म-भूमि से ले आकर मुझसे शपथ खाकर कहा कि “मैं यह देश तेरे वंश को दूँगा; वही अपना दूत तेरे आगे-आगे भेजेगा, कि तू मेरे पुत्र के लिये वहाँ से एक स्त्री ले आए।
8 যদি কোনো মেয়ে তোমার সঙ্গে আসতে রাজি না হয়, তবে তুমি আমার এই শপথ থেকে মুক্ত হবে; কিন্তু কোনো ভাবে আমার ছেলেকে আবার সে দেশে নিয়ে যেও না।”
और यदि वह स्त्री तेरे साथ आना न चाहे तब तो तू मेरी इस शपथ से छूट जाएगा; पर मेरे पुत्र को वहाँ न ले जाना।”
9 তাতে সেই দাস নিজের প্রভু অব্রাহামের উরুর নীচে হাত দিয়ে সেই বিষয়ে শপথ করলেন।
तब उस दास ने अपने स्वामी अब्राहम की जाँघ के नीचे अपना हाथ रखकर उससे इस विषय की शपथ खाई।
10 ১০ পরে সেই দাস নিজের প্রভুর উটেদের মধ্য থেকে দশটা উট ও নিজের প্রভুর সব রকমের ভালো জিনিসপত্র হাতে নিয়ে চলে গেলেন, অরাম-নহরয়িম দেশে, নাহোরের নগরে যাত্রা করলেন।
१०तब वह दास अपने स्वामी के ऊँटों में से दस ऊँट छाँटकर उसके सब उत्तम-उत्तम पदार्थों में से कुछ कुछ लेकर चला; और अरम्नहरैम में नाहोर के नगर के पास पहुँचा।
11 ১১ আর সন্ধ্যাবেলায় যে দিনের স্ত্রীলোকের জল তুলতে বের হয়, সেই দিনের তিনি নগরের বাইরে কুয়োর কাছে উটদেরকে বসিয়ে রাখলেন
११और उसने ऊँटों को नगर के बाहर एक कुएँ के पास बैठाया। वह संध्या का समय था, जिस समय स्त्रियाँ जल भरने के लिये निकलती हैं।
12 ১২ তিনি বললেন, “হে সদাপ্রভু, আমার কর্তা অব্রাহামের ঈশ্বর, অনুরোধ করি, আজ আমার সামনে শুভফল উপস্থিত কর, আমার প্রভু অব্রাহামের প্রতি দয়া কর।
१२वह कहने लगा, “हे मेरे स्वामी अब्राहम के परमेश्वर यहोवा, आज मेरे कार्य को सिद्ध कर, और मेरे स्वामी अब्राहम पर करुणा कर।
13 ১৩ দেখ, আমি এই সজল কুয়োর কাছে দাঁড়িয়ে আছি এবং এই নগরবাসীদের মেয়েরা জল তুলতে বাইরে আসছে;
१३देख, मैं जल के इस सोते के पास खड़ा हूँ; और नगरवासियों की बेटियाँ जल भरने के लिये निकली आती हैं
14 ১৪ অতএব যে মেয়েকে আমি বলব, আপনার কলসি নামিয়ে আমাকে জল পান করান, সে যদি বলে, পান কর, তোমার উটদেরকেও পান করাব, তবে তোমার দাস ইস্‌হাকের জন্য তোমার নিরূপিত মেয়ে সেই হোক; এতে আমি জানব যে, তুমি আমার প্রভুর প্রতি দয়া করলে।”
१४इसलिए ऐसा होने दे कि जिस कन्या से मैं कहूँ, ‘अपना घड़ा मेरी ओर झुका, कि मैं पीऊँ,’ और वह कहे, ‘ले, पी ले, बाद में मैं तेरे ऊँटों को भी पिलाऊँगी,’ यह वही हो जिसे तूने अपने दास इसहाक के लिये ठहराया हो; इसी रीति मैं जान लूँगा कि तूने मेरे स्वामी पर करुणा की है।”
15 ১৫ এই কথা বলতে না বলতে, দেখ, রিবিকা কলসি কাঁধে করে বাইরে আসলেন; তিনি অব্রাহামের নাহর নামক ভাইয়ের স্ত্রী মিল্কার ছেলে বথূয়েলের মেয়ে।
१५और ऐसा हुआ कि जब वह कह ही रहा था कि रिबका, जो अब्राहम के भाई नाहोर के जन्माये मिल्का के पुत्र, बतूएल की बेटी थी, वह कंधे पर घड़ा लिये हुए आई।
16 ১৬ সেই মেয়ে দেখতে বড়ই সুন্দরী এবং অবিবাহিতা ও পুরুষের পরিচয় অপ্রাপ্তা ছিলেন। তিনি কূপে নেমে কলসিতে জল ভরে উঠে আসছেন,
१६वह अति सुन्दर, और कुमारी थी, और किसी पुरुष का मुँह न देखा था। वह कुएँ में सोते के पास उतर गई, और अपना घड़ा भरकर फिर ऊपर आई।
17 ১৭ এমন দিনের সেই দাস দৌড়িয়ে এসে তাঁর সঙ্গে দেখা করে বললেন, “অনুরোধ করি, আপনার কলসি থেকে আমাকে কিছু জল পান করতে দিন।”
१७तब वह दास उससे भेंट करने को दौड़ा, और कहा, “अपने घड़े में से थोड़ा पानी मुझे पिला दे।”
18 ১৮ তিনি বললেন, “মহাশয়, পান করুন;” এই বলে তিনি শীঘ্র কলশি হাতের ওপরে নামিয়ে তাঁকে পান করতে দিলেন।
१८उसने कहा, “हे मेरे प्रभु, ले, पी ले,” और उसने फुर्ती से घड़ा उतारकर हाथ में लिये-लिये उसको पानी पिला दिया।
19 ১৯ আর তাঁকে পান করাবার পর বললেন, “যতক্ষণ আপনার উটেদের জল পান শেষ না হয়, ততক্ষণ আমি ওদের জন্যও জল তুলব।”
१९जब वह उसको पिला चुकी, तब कहा, “मैं तेरे ऊँटों के लिये भी तब तक पानी भर-भर लाऊँगी, जब तक वे पी न चुकें।”
20 ২০ পরে তিনি শীঘ্র পাত্রে কলশির জল ঢেলে আবার জল তুলতে কুয়োর কাছে দৌড়ে গিয়ে তাঁর উটদের জন্য জল তুললেন।
२०तब वह फुर्ती से अपने घड़े का जल हौद में उण्डेलकर फिर कुएँ पर भरने को दौड़ गई; और उसके सब ऊँटों के लिये पानी भर दिया।
21 ২১ তাতে সেই পুরুষ তাঁর প্রতি এক নজরে চেয়ে, সদাপ্রভু তাঁর যাত্রা সফল করেন কি না, তা জানার জন্য নীরব থাকলেন।
२१और वह पुरुष उसकी ओर चुपचाप अचम्भे के साथ ताकता हुआ यह सोचता था कि यहोवा ने मेरी यात्रा को सफल किया है कि नहीं।
22 ২২ উটেরা জল পান করার পর সেই পুরুষ অর্ধেক শেকল পরিমিত দুই হাতের সোনার নথ এবং দশ তোলা পরিমিত দুই হাতের সোনার বালা নিয়ে বললেন,
२२जब ऊँट पी चुके, तब उस पुरुष ने आधा तोला सोने का एक नत्थ निकालकर उसको दिया, और दस तोले सोने के कंगन उसके हाथों में पहना दिए;
23 ২৩ “আপনি কার মেয়ে? অনুরোধ করি, আমাকে বলুন, আপনার বাবার বাড়িতে কি আমাদের রাত কাটানোর জায়গা আছে?”
२३और पूछा, “तू किसकी बेटी है? यह मुझ को बता। क्या तेरे पिता के घर में हमारे टिकने के लिये स्थान है?”
24 ২৪ তিনি উত্তর করলেন, “আমি সেই বথূয়েলের মেয়ে, যিনি মিল্কার ছেলে, যাঁকে তিনি নাহোরের জন্য জন্ম দিয়েছিলেন।”
२४उसने उत्तर दिया, “मैं तो नाहोर के जन्माए मिल्का के पुत्र बतूएल की बेटी हूँ।”
25 ২৫ তিনি আরও বললেন, “খড় ও কলাই আমাদের কাছে যথেষ্ট আছে এবং রাত কাটাবার জায়গাও আছে।”
२५फिर उसने उससे कहा, “हमारे यहाँ पुआल और चारा बहुत है, और टिकने के लिये स्थान भी है।”
26 ২৬ তখন সে ব্যক্তি মাথা নিচু করে সদাপ্রভুর উদ্দেশ্যে প্রার্থনা করলেন,
२६तब उस पुरुष ने सिर झुकाकर यहोवा को दण्डवत् करके कहा,
27 ২৭ তিনি বললেন, “আমার কর্তা অব্রাহামের ঈশ্বর সদাপ্রভু ধন্য হোন, তিনি আমার কর্তার সঙ্গে নিজের দয়া ও সত্য ব্যবহার অস্বীকার করেননি; সদাপ্রভু আমাকেও পথঘটনাতে আমার কর্তার আত্মীয়দের বাড়িতে আনলেন।”
२७“धन्य है मेरे स्वामी अब्राहम का परमेश्वर यहोवा, जिसने अपनी करुणा और सच्चाई को मेरे स्वामी पर से हटा नहीं लिया: यहोवा ने मुझ को ठीक मार्ग पर चलाकर मेरे स्वामी के भाई-बन्धुओं के घर पर पहुँचा दिया है।”
28 ২৮ পরে সেই মেয়ে দৌড়ে গিয়ে নিজের মায়ের ঘরের লোকদেরকে এই সব কথা জানালেন।
२८तब उस कन्या ने दौड़कर अपनी माता को इस घटना का सारा हाल बता दिया।
29 ২৯ আর রিবিকার এক ভাই ছিলেন, তাঁর নাম লাবন; সেই লাবন বাইরে ঐ ব্যক্তির উদ্দেশ্যে কূপের কাছে দৌড়ে গেলেন।
२९तब लाबान जो रिबका का भाई था, बाहर कुएँ के निकट उस पुरुष के पास दौड़ा गया।
30 ৩০ নথ ও বোনের হাতে বালা দেখে এবং সেই ব্যক্তি আমাকে এই কথা বললেন, নিজের বোন রিবিকার মুখে এই শুনে, তিনি সেই পুরুষের কাছে গেলেন, আর দেখ, তিনি কুয়োর কাছে উটদের সঙ্গে দাঁড়িয়ে ছিলেন;
३०और ऐसा हुआ कि जब उसने वह नत्थ और अपनी बहन रिबका के हाथों में वे कंगन भी देखे, और उसकी यह बात भी सुनी कि उस पुरुष ने मुझसे ऐसी बातें कहीं; तब वह उस पुरुष के पास गया; और क्या देखा, कि वह सोते के निकट ऊँटों के पास खड़ा है।
31 ৩১ আর লাবন বললেন, “হে সদাপ্রভুর আশীর্বাদপাত্র, আসুন, কেন বাইরে দাঁড়িয়ে আছেন? আমি তো ঘর এবং উটদের জন্যও জায়গা তৈরী করেছি।”
३१उसने कहा, “हे यहोवा की ओर से धन्य पुरुष भीतर आ तू क्यों बाहर खड़ा है? मैंने घर को, और ऊँटों के लिये भी स्थान तैयार किया है।”
32 ৩২ তখন ঐ লোক বাড়িতে ঢুকে উটদের সজ্জা খুললে তিনি উটদের জন্য খড় ও কলাই দিলেন এবং তাঁর ও তার সঙ্গী লোকদের পা ধোবার জল দিলেন।
३२इस पर वह पुरुष घर में गया; और लाबान ने ऊँटों की काठियाँ खोलकर पुआल और चारा दिया; और उसके और उसके साथियों के पाँव धोने को जल दिया।
33 ৩৩ পরে তাঁর সামনে আহারের জিনিস রাখা হল, কিন্তু তিনি বললেন, “যা বলার না বলে আমি আহার করব না।” লাবন বললেন, “বলুন।”
३३तब अब्राहम के दास के आगे जलपान के लिये कुछ रखा गया; पर उसने कहा “मैं जब तक अपना प्रयोजन न कह दूँ, तब तक कुछ न खाऊँगा।” लाबान ने कहा, “कह दे।”
34 ৩৪ তখন তিনি বলতে লাগলেন, “আমি অব্রাহামের দাস;”
३४तब उसने कहा, “मैं तो अब्राहम का दास हूँ।
35 ৩৫ সদাপ্রভু আমার কর্তাকে প্রচুর আশীর্বাদ করেছেন, আর তিনি বড় মানুষ হয়েছেন এবং [সদাপ্রভু] তাঁকে ভেড়া ও পশুপাল এবং রূপা ও সোনা এবং দাস ও দাসী এবং উট ও গাধা দিয়েছেন।
३५यहोवा ने मेरे स्वामी को बड़ी आशीष दी है; इसलिए वह महान पुरुष हो गया है; और उसने उसको भेड़-बकरी, गाय-बैल, सोना-रूपा, दास-दासियाँ, ऊँट और गदहे दिए हैं।
36 ৩৬ আর আমার কর্তার স্ত্রী সারা বৃদ্ধ বয়সে তাঁর জন্য এক ছেলের জন্ম দিয়েছেন, তাঁকেই তিনি আপনার সব কিছু দিয়েছেন।
३६और मेरे स्वामी की पत्नी सारा के बुढ़ापे में उससे एक पुत्र उत्पन्न हुआ है; और उस पुत्र को अब्राहम ने अपना सब कुछ दे दिया है।
37 ৩৭ আর আমার কর্তা আমাকে শপথ করিয়ে বললেন, “আমি যাদের দেশে বাস করছি, তুমি আমার ছেলের জন্য সেই কনানীয়দের কোনো মেয়ে এন না;
३७मेरे स्वामी ने मुझे यह शपथ खिलाई है, कि ‘मैं उसके पुत्र के लिये कनानियों की लड़कियों में से जिनके देश में वह रहता है, कोई स्त्री न ले आऊँगा।
38 ৩৮ কিন্তু আমার বাবার বংশের ও আমার আত্মীয়ের কাছে গিয়ে আমার ছেলের জন্য মেয়ে এন।”
३८मैं उसके पिता के घर, और कुल के लोगों के पास जाकर उसके पुत्र के लिये एक स्त्री ले आऊँगा।’
39 ৩৯ তখন আমি কর্তাকে বললাম, “কি জানি, কোনো মেয়ে আমার সঙ্গে আসবে না।”
३९तब मैंने अपने स्वामी से कहा, ‘कदाचित् वह स्त्री मेरे पीछे न आए।’
40 ৪০ তিনি বললেন, “আমি যাঁর সামনে চলাফেরা করি সেই সদাপ্রভু তোমার সঙ্গে নিজের দূত পাঠিয়ে তোমার যাত্রা সফল করবেন; এবং তুমি আমার আত্মীয় ও আমার বাবার বংশ থেকে আমার ছেলের জন্য মেয়ে আনবে।
४०तब उसने मुझसे कहा, ‘यहोवा, जिसके सामने मैं चलता आया हूँ, वह तेरे संग अपने दूत को भेजकर तेरी यात्रा को सफल करेगा; और तू मेरे कुल, और मेरे पिता के घराने में से मेरे पुत्र के लिये एक स्त्री ले आ सकेगा।
41 ৪১ তা করলে এই শপথ থেকে মুক্ত হবে; আমার আত্মীয়ের কাছে গেলে যদি তারা [মেয়ে] না দেয়, তবে তুমি এই শপথ থেকে মুক্ত হবে।”
४१तू तब ही मेरी इस शपथ से छूटेगा, जब तू मेरे कुल के लोगों के पास पहुँचेगा; और यदि वे तुझे कोई स्त्री न दें, तो तू मेरी शपथ से छूटेगा।’
42 ৪২ আর আজ আমি ঐ কূপের কাছে পৌছালাম, আর বললাম, “হে সদাপ্রভু, আমার কর্তা অব্রাহামের ঈশ্বর, তুমি যদি আমার এই যাত্রা সফল কর,
४२इसलिए मैं आज उस कुएँ के निकट आकर कहने लगा, ‘हे मेरे स्वामी अब्राहम के परमेश्वर यहोवा, यदि तू मेरी इस यात्रा को सफल करता हो;
43 ৪৩ তবে দেখ, আমি এই কুয়োর কাছে দাঁড়িয়ে আছি; অতএব জল তুলতে আসার জন্য যে মেয়েকে আমি বলব, নিজের কলসি থেকে আমাকে কিছু জল পান করতে দিন,”
४३तो देख मैं जल के इस कुएँ के निकट खड़ा हूँ; और ऐसा हो, कि जो कुमारी जल भरने के लिये आए, और मैं उससे कहूँ, “अपने घड़े में से मुझे थोड़ा पानी पिला,”
44 ৪৪ তিনি যদি বলেন, “তুমিও পান কর এবং তোমার উটেদের জন্যও আমি জল তুলে দেব; তবে তিনি সেই মেয়ে হোন, যাঁকে সদাপ্রভু আমার কর্তার ছেলের জন্য মনোনীত করেছেন।”
४४और वह मुझसे कहे, “पी ले, और मैं तेरे ऊँटों के पीने के लिये भी पानी भर दूँगी,” वह वही स्त्री हो जिसको तूने मेरे स्वामी के पुत्र के लिये ठहराया है।’
45 ৪৫ এই কথা আমি মনে মনে বলতে না বলতে, দেখ, রিবিকা কলসি কাঁধে করে বাইরে আসলেন; পরে তিনি কূপে নেমে জল তুললে আমি বললাম, “অনুরোধ করি, আমাকে জল পান করান।”
४५मैं मन ही मन यह कह ही रहा था, कि देख रिबका कंधे पर घड़ा लिये हुए निकल आई; फिर वह सोते के पास उतरकर भरने लगी। मैंने उससे कहा, ‘मुझे पानी पिला दे।’
46 ৪৬ তখন তিনি তাড়াতাড়ি কাঁধ থেকে কলসি নামিয়ে বললেন “পান করুন, আমি আপনার উটদেরকেও পান করাব।” তখন আমি পান করলাম; আর তিনি উটদেরকেও পান করালেন।
४६और उसने जल्दी से अपने घड़े को कंधे पर से उतार के कहा, ‘ले, पी ले, पीछे मैं तेरे ऊँटों को भी पिलाऊँगी,’ इस प्रकार मैंने पी लिया, और उसने ऊँटों को भी पिला दिया।
47 ৪৭ পরে আমি তাঁকে জিজ্ঞাসা করলাম, “আপনি কার মেয়ে?” তিনি উত্তর করলেন, “আমি বথূয়েলের মেয়ে, তিনি নাহোরের ছেলে, যাঁকে মিল্কা তাঁর জন্য জন্ম দিয়েছিলেন।” তখন আমি তাঁর নাকে নথ ও হাতে বালা পরিয়ে দিলাম।
४७तब मैंने उससे पूछा, ‘तू किसकी बेटी है?’ और उसने कहा, ‘मैं तो नाहोर के जन्माए मिल्का के पुत्र बतूएल की बेटी हूँ,’ तब मैंने उसकी नाक में वह नत्थ, और उसके हाथों में वे कंगन पहना दिए।
48 ৪৮ আর মাথা নিচু করে সদাপ্রভুর উদ্দেশ্যে প্রার্থনা করলাম এবং যিনি আমার কর্তার ছেলের জন্য তাঁর ভাইয়ের মেয়ে গ্রহণের জন্য আমাকে প্রকৃত পথে আনলেন, আমার কর্তা অব্রাহামের ঈশ্বর সেই সদাপ্রভুকে ধন্যবাদ করলাম।
४८फिर मैंने सिर झुकाकर यहोवा को दण्डवत् किया, और अपने स्वामी अब्राहम के परमेश्वर यहोवा को धन्य कहा, क्योंकि उसने मुझे ठीक मार्ग से पहुँचाया कि मैं अपने स्वामी के पुत्र के लिये उसके कुटुम्बी की पुत्री को ले जाऊँ।
49 ৪৯ অতএব আপনারা যদি এখন আমার কর্তার সঙ্গে দয়া ও সত্য ব্যবহার করতে রাজি হন, তা বলুন; আর যদি না হন, তাও বলুন; তাতে আমি ডান দিকে কিম্বা বাম দিকে ফিরতে পারব।
४९इसलिए अब, यदि तुम मेरे स्वामी के साथ कृपा और सच्चाई का व्यवहार करना चाहते हो, तो मुझसे कहो; और यदि नहीं चाहते हो; तो भी मुझसे कह दो; ताकि मैं दाहिनी ओर, या बाईं ओर फिर जाऊँ।”
50 ৫০ তখন লাবন ও বথুয়েল উত্তর করলেন, বললেন, “সদাপ্রভু থেকে এই ঘটনা হল, আমরা ভাল মন্দ কিছুই বলতে পারি না।
५०तब लाबान और बतूएल ने उत्तर दिया, “यह बात यहोवा की ओर से हुई है; इसलिए हम लोग तुझ से न तो भला कह सकते हैं न बुरा।
51 ৫১ ঐ দেখুন, রিবিকা আপনার সামনে আছে; ওকে নিয়ে চলে যান; এ আপনার কর্তার ছেলের স্ত্রী হোক, যেমন সদাপ্রভু বলেছেন।”
५१देख, रिबका तेरे सामने है, उसको ले जा, और वह यहोवा के वचन के अनुसार, तेरे स्वामी के पुत्र की पत्नी हो जाए।”
52 ৫২ তাঁদের কথা শোনামাত্র অব্রামের দাস সদাপ্রভুর উদ্দেশ্যে মাটিতে নত হলেন।
५२उनकी यह बात सुनकर, अब्राहम के दास ने भूमि पर गिरकर यहोवा को दण्डवत् किया।
53 ৫৩ পরে সেই দাস রূপার সোনার গয়না ও বস্ত্র বের করে রিবিকাকে দিলেন এবং তাঁর ভাইকে ও মাকে বহুমূল্য দ্রব্য দিলেন।
५३फिर उस दास ने सोने और रूपे के गहने, और वस्त्र निकालकर रिबका को दिए; और उसके भाई और माता को भी उसने अनमोल-अनमोल वस्तुएँ दीं।
54 ৫৪ আর তিনি ও তাঁর সাথীরা ভোজন পান করে সেখানে রাত কাটালেন; পরে তাঁরা সকালে উঠলে তিনি বললেন, “আমার কর্তার কাছে আমাকে যেতে দিন।”
५४तब उसने अपने संगी जनों समेत भोजन किया, और रात वहीं बिताई। उसने तड़के उठकर कहा, “मुझ को अपने स्वामी के पास जाने के लिये विदा करो।”
55 ৫৫ তাতে রিবিকার ভাই ও মা বললেন, “মেয়েটী আমাদের কাছে কিছু দিন থাকুক, কমপক্ষে দশ দিন থাকুক, পরে যাবে।”
५५रिबका के भाई और माता ने कहा, “कन्या को हमारे पास कुछ दिन, अर्थात् कम से कम दस दिन रहने दे; फिर उसके पश्चात् वह चली जाएगी।”
56 ৫৬ কিন্তু তিনি তাঁদেরকে বললেন, “আমাকে দেরী করাবেন না কারণ সদাপ্রভু আমার যাত্রা সফল করলেন; আমাকে বিদায় করুন; আমি নিজ কর্তার কাছে যাই।”
५६उसने उनसे कहा, “यहोवा ने जो मेरी यात्रा को सफल किया है; इसलिए तुम मुझे मत रोको अब मुझे विदा कर दो, कि मैं अपने स्वामी के पास जाऊँ।”
57 ৫৭ তাকে তাঁরা বললেন, “আমার মেয়েকে ডেকে তাকে সামনে জিজ্ঞাসা করি।”
५७उन्होंने कहा, “हम कन्या को बुलाकर पूछते हैं, और देखेंगे, कि वह क्या कहती है।”
58 ৫৮ পরে তাঁরা রিবিকাকে ডেকে বললেন, “তুমি কি এই ব্যক্তির সঙ্গে যাবে?” তিনি বললেন, “যাব।”
५८और उन्होंने रिबका को बुलाकर उससे पूछा, “क्या तू इस मनुष्य के संग जाएगी?” उसने कहा, “हाँ मैं जाऊँगी।”
59 ৫৯ তখন তাঁরা নিজেদের বোন রিবিকার কাছে ও তাঁর ধাত্রীকে এবং অব্রাহামের দাসকে ও তাঁর লোকদেরকে বিদায় করলেন।
५९तब उन्होंने अपनी बहन रिबका, और उसकी दाई और अब्राहम के दास, और उसके साथी सभी को विदा किया।
60 ৬০ আর রিবিকাকে আশীর্বাদ করে বললেন, “তুমি আমাদের বোন, হাজার হাজার অযুতের মা হও; তোমার বংশ নিজের শত্রুর পুরদ্বার অধিকার করুক।”
६०और उन्होंने रिबका को आशीर्वाद देकर कहा, “हे हमारी बहन, तू हजारों लाखों की आदिमाता हो, और तेरा वंश अपने बैरियों के नगरों का अधिकारी हो।”
61 ৬১ পরে রিবিকা ও তাঁর দাসীরা উঠলেন এবং উটে চড়ে সেই মানুষের পিছনে গেলেন। এই ভাবে সেই দাস রিবিকাকে নিয়ে চলে গেলেন।
६१तब रिबका अपनी सहेलियों समेत चली; और ऊँट पर चढ़कर उस पुरुष के पीछे हो ली। इस प्रकार वह दास रिबका को साथ लेकर चल दिया।
62 ৬২ আর ইসহাক বের-লহয়-রয়ী নামক জায়গায় গিয়ে ফিরে এসেছিলেন, কারণ তিনি দক্ষিণ দেশে বাস করছিলেন।
६२इसहाक जो दक्षिण देश में रहता था, लहैरोई नामक कुएँ से होकर चला आता था।
63 ৬৩ ইসহাক সন্ধ্যাবেলায় ধ্যান করতে ক্ষেত্রে গিয়েছিলেন, পরে চোখ তুলে দেখলেন, আর দেখ, উট আসছে।
६३साँझ के समय वह मैदान में ध्यान करने के लिये निकला था; और उसने आँखें उठाकर क्या देखा, कि ऊँट चले आ रहे हैं।
64 ৬৪ আর রিবিকা চোখ তুলে যখন ইসহাককে দেখলেন, তখন উট থেকে নামলেন।
६४रिबका ने भी आँखें उठाकर इसहाक को देखा, और देखते ही ऊँट पर से उतर पड़ी।
65 ৬৫ সেই দাসকে জিজ্ঞাসা করলেন, “আমাদের সঙ্গে দেখা করতে ক্ষেত্রের মধ্য দিয়ে আসছেন, ঐ লোকটি কে?” দাস বললেন, “উনি আমার কর্তা” তখন রিবিকা ঘোমটা দিয়ে নিজেকে ঢাকলেন।
६५तब उसने दास से पूछा, “जो पुरुष मैदान पर हम से मिलने को चला आता है, वह कौन है?” दास ने कहा, “वह तो मेरा स्वामी है।” तब रिबका ने घूँघट लेकर अपने मुँह को ढाँप लिया।
66 ৬৬ পরে সেই দাস ইসহাককে আপনার করা সমস্ত কাজের বিবরণ বললেন।
६६दास ने इसहाक से अपने साथ हुई घटना का वर्णन किया।
67 ৬৭ তখন ইসহাক রিবিকাকে গ্রহণ করে সারা মায়ের তাঁবুতে নিয়ে গিয়ে তাকে বিয়ে করলেন এবং তাকে প্রেম করলেন। তাতে ইসহাক মায়ের মৃত্যুর শোক থেকে সান্ত্বনা পেলেন।
६७तब इसहाक रिबका को अपनी माता सारा के तम्बू में ले आया, और उसको ब्याह कर उससे प्रेम किया। इस प्रकार इसहाक को माता की मृत्यु के पश्चात् शान्ति प्राप्त हुई।

< আদিপুস্তক 24 >