< দ্বিতীয় বিবরণ 30 >

1 আমি তোমার সামনে এই যে আশীর্বাদ ও অভিশাপ স্থাপন করলাম, তখন তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভু যে সব জাতির মধ্যে তোমাকে তাড়িয়ে দেবেন, সেখানে যদি তুমি মনে চেতনা পাও
और जब यह सब बातें या'नी बरकत और ला'नत जिनको मैंने आज तेरे आगे रख्खा है तुझ पर आएँ, और तू उन क़ौमों के बीच जिनमें ख़ुदावन्द तेरे ख़ुदा ने तुझको हँका कर पहुँचा दिया हो उनको याद करें।
2 এবং তুমি ও তোমার সন্তানরা যদি সম্পূর্ণ হৃদয়ের ও সম্পূর্ণ প্রাণের সঙ্গে তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভুর কাছে ফিরে এস এবং আজ আমি তোমাকে যে সব আদেশ দিচ্ছি, সেই অনুসারে যদি তাঁর রবে অবধান কর;
और तू और तेरी औलाद दोनों ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की तरफ़ फिरे, और उसकी बात इन सब हुक्मों के मुताबिक़ जो मैं आज तुझको देता हूँ अपने सारे दिल और अपनी सारी जान से माने।
3 তবে তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভু তোমার বন্দিত্ব ফেরাবেন, তোমার প্রতি দয়া করবেন ও যে সব জাতির মধ্যে তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভু তোমাকে ছড়িয়ে দিয়েছিলেন, সেখান থেকে আবার তোমাকে সংগ্রহ করবেন।
तो ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा तेरी ग़ुलामी को पलटकर तुझ पर रहम करेगा, और फिरकर तुझको सब क़ौमों में से, जिनमें ख़ुदावन्द तेरे ख़ुदा ने तुझको तितर — बितर किया हो जमा' करेगा।
4 যদি তোমরা কেউ নির্বাসিত হয়ে আকাশমণ্ডলের (পৃথিবীর শেষ প্রান্তেও) থাক, তা সত্বেও তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভু সেখান থেকে তোমাকে সংগ্রহ করবেন ও সেখান থেকে নিয়ে আসবেন।
अगर तेरे आवारागर्द दुनिया के इन्तिहाई हिस्सों में भी हों, तो वहाँ से भी ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा तुझको जमा' करके ले आएगा।
5 আর তোমার পূর্বপুরুষেরা যে দেশ অধিকার করেছিল, তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভু সেই দেশে তোমাকে আনবেন ও তুমি তা অধিকার করবে এবং তিনি তোমার ভালো করবেন ও তোমার পূর্বপুরুষদের (পিতা) থেকেও তোমার বহুগুণ করবেন।
और ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा उसी मुल्क में तुमको लाएगा जिस पर तुम्हारे बाप — दादा ने क़ब्ज़ा किया था, और तू उसको अपने क़ब्ज़े में लाएगा; फिर वह तुझसे भलाई करेगा और तेरे बाप — दादा से ज़्यादा तुमको बढ़ाएगा।
6 আর তুমি যেন সমস্ত হৃদয় ও সমস্ত প্রাণের সঙ্গে নিজের ঈশ্বর সদাপ্রভুকে ভালবেসে জীবন লাভ কর, এই জন্য তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভু তোমার হৃদয় ও তোমার বংশের হৃদয় ছিন্নত্বক্‌ করবেন।
और ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा तेरे और तेरी औलाद के दिल का ख़तना करेगा, ताकि तू ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा से अपने सारे दिल और अपनी सारी जान से मुहब्बत रख्खे और ज़िन्दा रहे।
7 আর তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভু তোমার শত্রুদের ওপরে ও যারা তোমাকে ঘৃণা করে তাড়না করেছে, তাদের ওপরে এই সমস্ত শাপ দেবেন।
और ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा यह सब ला'नतें तुम्हारे दुश्मनों और कीना रखने वालों पर, जिन्होंने तुझको सताया नाज़िल करेगा।
8 আর তুমি ফিরে সদাপ্রভুর রবে অনুসরণ করবে এবং আমি আজই তোমাকে তাঁর যে সব আদেশ জানাচ্ছি, তা পালন করবে।
और तू लौटेगा और ख़ुदावन्द की बात सुनेगा, और उसके सब हुक्मों पर जो मैं आज तुझको देता हूँ 'अमल करेगा।
9 আর তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভু সমৃদ্ধির জন্যেই তোমার হাতের সব কাজে, তোমার শরীরের ফলে, তোমার পশুর ফলে ও তোমার ভূমির ফলে তোমাকে ঐশ্বর্য্যশালী করবেন; যেহেতু সদাপ্রভু তোমার পূর্বপুরুষদের মধ্যেও যেমন আনন্দ করতেন, সমৃদ্ধির জন্যে আবার তোমার মধ্যেও সেরকম আনন্দ করবেন;
और ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा तुझको तेरे कारोबार और आस औलाद और चौपायों के बच्चों और ज़मीन की पैदावार के लिहाज़ से तेरी भलाई की ख़ातिर तुझको बढ़ाएगा; फिर तुझसे ख़ुश होगा, जैसे वह तेरे बाप — दादा से ख़ुश था।
10 ১০ শুধু যদি তুমি এই নিয়মের বইয়ে লেখা তাঁর আদেশ সব ও তাঁর বিধি সব পালনের জন্যে তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভুর রবে মেনে চল, যদি সমস্ত হৃদয় ও সমস্ত প্রাণের সঙ্গে তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভুর প্রতি ফের।
बशर्ते कि तू ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की बात को सुनकर उसके अहकाम और आईन को माने जो शरी'अत की इस किताब में लिखे हैं, और अपने सारे दिल और अपनी सारी जान से ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की तरफ़ फिरे।
11 ১১ কারণ আমি আজ তোমাকে এই যে আজ্ঞা দিচ্ছি, তা তোমার বোঝার জন্য কঠিন না এবং দূরেও না।
क्यूँकि वह हुक्म जो आज के दिन मैं तुझको देता हूँ, तेरे लिए बहुत मुश्किल नहीं और न वह दूर है।
12 ১২ তা স্বর্গে না যে, তুমি বলবে, আমরা যেন তা পালন করি, এই জন্য কে আমাদের জন্যে স্বর্গে গিয়ে তা এনে আমাদেরকে শুনাবে?
वह आसमान पर तो है नहीं कि तू कहे कि 'आसमान पर कौन हमारी ख़ातिर चढ़े, और उसको हमारे पास लाकर सुनाए ताकि हम उस पर 'अमल करें?'
13 ১৩ আর তা সমুদ্রের পারেও না যে, তুমি বলবে, আমরা যেন তা পালন করি, এই জন্য কে আমাদের জন্যে সমুদ্র পার হয়ে তা এনে আমাদেরকে শোনাবে?
और न वह समन्दर पार है कि तू कहे, 'समन्दर पर कौन हमारी ख़ातिर जाए, और उसको हमारे पास ला कर सुनाए ताकि हम उस पर 'अमल करें?'
14 ১৪ কিন্তু সেই কথা তোমার খুব কাছে, তা তোমার মুখে ও তোমার হৃদয়ে, যেন তুমি তা পালন করতে পার।
बल्कि वह कलाम तेरे बहुत नज़दीक है; वह तुम्हारे मुँह में और तुम्हारे दिल में है, ताकि तुम उस पर 'अमल करो।
15 ১৫ দেখ, আমি আজই তোমার সামনে জীবন ও ভালো এবং মৃত্যু ও অমঙ্গল রাখলাম;
देखो, मैंने आज के दिन ज़िन्दगी और भलाई को, और मौत और बुराई को तुम्हारे आगे रख्खा है।
16 ১৬ যদি আমি আজ তোমাকে এই আজ্ঞা দিচ্ছি যে, তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভুকে ভালবাসতে, তাঁর পথে চলতে এবং তাঁর আজ্ঞা, তাঁর বিধি ও তাঁর শাসন পালন করতে হবে; তা করলে তুমি বাঁচবে ও বহুগুণ হবে এবং যে দেশ অধিকার করতে যাচ্ছে, সেই দেশে তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভু তোমাকে আশীর্বাদ করবেন।
क्यूँकि मैं आज के दिन तुमको हुक्म करता हूँ, कि तू ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा से मुहब्बत रखे और उसकी राहों पर चले, और उसके फ़रमान और आईन और अहकाम को माने ताकि तू ज़िन्दा रहे और बढ़े; और ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा उस मुल्क में तुझको बरकत बख़्शे, जिस पर क़ब्ज़ा करने को तू वहाँ जा रहा है।
17 ১৭ কিন্তু যদি তোমার হৃদয় অন্য পথে যায় ও তুমি কথা না শুনে প্রতিসারিত হয়ে অন্য দেবতাদের কাছে নত হও ও তাদের সেবা কর;
लेकिन अगर तेरा दिल फिर जाए और तू न सुने, बल्कि गुमराह होकर और मा'बूदों की परस्तिश और इबादत करने लगे;
18 ১৮ তবে আজ আমি তোমাদেরকে জানাচ্ছি, তোমরা অবশ্যই বিনষ্ট হবে, তোমরা অধিকারের জন্যে যে দেশে প্রবেশ করতে যর্দ্দন পার হয়ে যাচ্ছ, সেই দেশে তোমাদের জীবনকাল দীর্ঘদিন হবে না।
तो आज के दिन मैं तुमको जता देता हूँ कि तुम ज़रूर फ़ना हो जाओगे, और उस मुल्क में जिस पर क़ब्ज़ा करने को तुम यरदन पार जा रहे हो तुम्हारी उम्र दराज़ न होगी।
19 ১৯ আমি আজ তোমাদের বিরুদ্ধে আকাশমণ্ডল ও পৃথিবীকে সাক্ষী করে বলছি যে, আমি তোমার সামনে জীবন ও মৃত্যু, আশীর্বাদ ও শাপ রাখলাম। অতএব জীবন বেছে নাও, যেন তুমি ও তোমার বংশধর বাঁচতে পার;
मैं आज के दिन आसमान और ज़मीन को तुम्हारे बरख़िलाफ़ गवाह बनाता हूँ, कि मैंने ज़िन्दगी और मौत की और बरकत और ला'नत को तुम्हारे आगे रख्खा है; इसलिए तुम ज़िन्दगी को इख़्तियार करो कि तुम भी ज़िन्दा रहो और तुम्हारी औलाद भी;
20 ২০ তোমার ঈশ্বর সদাপ্রভুকে ভালবাস, তাঁর রবে মেনে চল ও তাতে আসক্ত হও; কারণ তিনিই তোমার জীবন ও তোমার দীর্ঘআয়ুর মতো; তা হলে সদাপ্রভু তোমার পূর্বপুরুষদেরকে, অব্রাহাম, ইস্‌হাক ও যাকোবকে, যে দেশ দিতে শপথ করেছিলেন, সেই দেশে তুমি বাস করতে পারবে।
ताकि तू ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा से मुहब्बत रखे, और उसकी बात सुने और उसी से लिपटा रहे; क्यूँकि वही तेरी ज़िन्दगी और तेरी उम्र की दराज़ी है, ताकि तू उस मुल्क में बसा रहे जिसको तेरे बाप — दादा अब्रहाम और इस्हाक़ और या'क़ूब को देने की क़सम ख़ुदावन्द ने उनसे खाई थी।”

< দ্বিতীয় বিবরণ 30 >