< প্রেরিত 7 >

1 পরে মহাযাজক বললেন, এসব কথা কি সত্য? তিনি বললেন,
महापुरोहित ने उनसे प्रश्न किया, “क्या यह आरोप सच है?”
2 প্রিয় ভাইয়েরা ও পিতারা, শুনুন। আমাদের পিতা অব্রাহাম হারণ নগরে বাস করার আগে যেদিনের মিসপটেমিয়া দেশে ছিলেন, সেদিন মহিমার ঈশ্বর তাঁকে দর্শন দিয়েছিলেন,
स्तेफ़ानॉस ने उसे उत्तर दिया, “आदरणीय गुरुवर और बंधुओं,” कृपया सुनिए: महामहिम परमेश्वर ने हमारे पूर्वज अब्राहाम को उनके हारान प्रदेश में आकर बसने के पूर्व, जब वह मेसोपोतामिया में थे, दिव्य दर्शन देते हुए आज्ञा दी:
3 তিনি বললেন, “তুমি নিজের দেশ থেকে ও সমস্ত আত্মীয় স্বজনদের কাছ থেকে বাইরে বের হও এবং আমি যেদেশ তোমাকে দেখাই, সেদেশে চল।”
अपने पिता के घर तथा अपने रिश्तेदारों को छोड़कर उस देश को चला जा, जो मैं तुझे दिखाऊंगा.
4 তখন তিনি কলদীয়দের দেশ থেকে বের হয়ে এসে হারণে বসবাস করলেন; আর তাঁর পিতার মৃত্যুর পর (ঈশ্বর) তাঁকে সেখান থেকে এদেশে আনলেন, যেদেশে আপনারা এখন বাস করছেন।
“इसलिये वह कसदियों के देश को छोड़कर हारान नगर में बस गए. इसके बाद उनके पिता की मृत्यु के बाद, परमेश्वर उन्हें इस भूमि पर ले आए जिस पर आप निवास कर रहे हैं. परमेश्वर ने उन्हें इस भूभाग का कोई उत्तराधिकार नहीं दिया;
5 কিন্তু এদেশে তাঁকে অধিকার দিলেন না, এক টুকরো জমিও না; আব্রাহাম প্রতিজ্ঞা করলেন যে, তিনি তাঁকে ও তাঁর পরে তাঁর বংশকে অধিকার দেবেন, যদিও তখন তাঁর কোনও সন্তান হয়নি।
यहां तक कि पैर रखने का भी स्थान नहीं. किंतु परमेश्वर ने उनके उस समय निःसंतान होने पर भी उनसे यह प्रतिज्ञा की कि उनके बाद वह उनके वंशजों को यह भूमि उनकी संपत्ति के रूप में प्रदान करेंगे.
6 আর ঈশ্বর এমন বললেন যে, “তাঁর বংশ বিদেশে বাস করবে এবং লোকে তাদের দাস বানাবে ও তাদের প্রতি চারশো বছর পর্যন্ত অত্যাচার করবে;”
तब परमेश्वर ने अब्राहाम से कहा, ‘यह सच है तुम्हारे वंश के लोग पराए देश में परदेशी होकर रहेंगे, जहां उन्हें दास बना लिया जाएगा, और उन्हें चार सौ वर्ष तक दुःख देंगे.
7 আর তারা যে জাতির দাস হবে, আমিই তাদের বিচার করব, এটা ঈশ্বর আরও বললেন, “তারপরে তারা বাইরে বেরিয়ে আসবে এবং এই স্থানে আমার আরাধনা করবে।”
फिर जिस देश के वे दास होंगे, उस देश के लोगों को मैं दंड दूंगा, फिर तुम्हारे वंश के लोग वहां से बहुत धन लेकर निकलेंगे.’
8 আর তিনি অব্রাহামকে ত্বকছেদের প্রতিজ্ঞা দিলেন, আর এভাবে অব্রাহাম ইসাহাক কে জন্ম দিলেন এবং আটদিনের দিন তাঁর ত্বকছেদ করল: পরে ইসাহাক যাকোবের এবং যাকোব সেই বারো জন পিতৃকুলপতির জন্ম দিলেন।
परमेश्वर ने अब्राहाम के साथ ख़तना की वाचा स्थापित की. जब अब्राहाम के पुत्र यित्सहाक का जन्म हुआ, तो आठवें दिन उनका ख़तना किया गया. यित्सहाक के पुत्र थे याकोब और याकोब से बारह गोत्रपिता पैदा हुए.
9 আর পিতৃকুলপতিরা যোষেফের উপর হিংসা করে তাঁকে বিক্রি করলে তিনি মিশরে যান এবং ঈশ্বর তাঁদের সঙ্গে ছিলেন।
“जलन के कारण गोत्रपिताओं ने योसेफ़ को मिस्र देश में बेच दिया किंतु परमेश्वर की कृपादृष्टि योसेफ़ पर बनी रही.
10 ১০ কিন্তু ঈশ্বর তাঁর সাথে সাথে ছিলেন এবং তাঁর সমস্ত দু: খকষ্ট থেকে তাঁকে উদ্ধার করলেন, আর মিশরের রাজা ফরৌনের কাছে অনুগ্রহ ও জ্ঞানীর পরিচয় দিলেন; এজন্য ফরৌণ তাঁকে মিশরের ও নিজের সমস্ত ঘরের অধ্যক্ষ পদে নিযুক্ত করলেন।
इसलिये परमेश्वर ने योसेफ़ को सभी यातनाओं से मुक्त कर उन्हें बुद्धि प्रदान की और मिस्र देश के राजा फ़रोह की कृपादृष्टि प्रदान की तथा फ़रोह ने उन्हें मिस्र देश और पूरे राजमहल पर अधिकारी बना दिया.
11 ১১ পরে সমস্ত মিশরে ও কনানে দূর্ভিক্ষ হল, লোকেরা খুব কষ্ট পেতে থাকল, আর আমাদের পূর্বপুরুষদের খাবারের অভাব হল।
“तब सारे मिस्र और कनान देश में अकाल पड़ा जिससे हर जगह हाहाकार मच गया और हमारे पूर्वजों के सामने भोजन का अभाव हो गया.
12 ১২ কিন্তু মিশরে খাবার আছে শুনে যাকোব আমাদের পূর্বপুরুষদের প্রথমবার পাঠালেন।
किंतु जब याकोब को यह मालूम हुआ कि मिस्र देश में अन्‍न उपलब्ध है, उन्होंने हमारे पूर्वजों को अन्‍न लेने वहां भेजा, जिनकी यह पहली मिस्र की यात्रा थी.
13 ১৩ পরে দ্বিতীয়বারে যোষেফ নিজের ভাইদের সাথে পরিচিত হলেন এবং যোষেফের বংশ সম্পর্কে ফরৌণ জানতে পারলেন।
जब वे अन्‍न लेने वहां दूसरी बार गए, योसेफ़ ने स्वयं को अपने भाइयों पर प्रकट कर दिया, जिससे फ़रोह योसेफ़ के परिवार से परिचित हो गया.
14 ১৪ পরে যোষেফ নিজের পিতা যাকোবকে এবং নিজের সমস্ত বংশকে, পঁচাত্তর জন লোককে নিজের কাছে ডেকে পাঠালেন।
तब योसेफ़ ने अपने पिता और सारे परिवार को, जिनकी संख्या पचहत्तर थी, मिस्र देश में बुला लिया.
15 ১৫ তাতে যাকোব মিশরে গেলেন, পরে তাঁর ও আমাদের পূর্বপুরুষদের মৃত্যু হল।
तब याकोब मिस्र देश में बस गए और वहीं उनकी और हमारे पूर्वजों की मृत्यु हुई.
16 ১৬ আর তাঁদের শিখিমে এনে কবর দেওয়া হয়েছে এবং যে কবর অব্রাহাম রূপো দিয়ে শিখিমে হামোর সন্তানদের কাছ থেকে কিনেছিলেন, সেখানে কবরপ্রাপ্ত হয়েছে।
उनके अवशेष शेकेम नगर लाए गए तथा उन्हें अब्राहाम द्वारा मोल ली गई कंदरा-क़ब्र में रखा गया, जिसे अब्राहाम ने शेकेम नगर के निवासी हामोर के पुत्रों को दाम देकर खरीदा था.
17 ১৭ পরে, ঈশ্বর অব্রাহামের কাছে যে প্রতিজ্ঞা করেছিলেন, সেই প্রতিজ্ঞা পূর্ণ হওয়ার দিন এগিয়ে আসলে, লোকেরা মিশরে বেড়ে সংখ্যায় অনেক হয়ে উঠল,
“जब परमेश्वर द्वारा अब्राहाम से की गई प्रतिज्ञा को पूरी करने का समय आया तब मिस्र देश में हमारे पूर्वजों की संख्या में कई गुणा वृद्धि हो चुकी थी.
18 ১৮ শেষে মিশরের উপরে এমন আর একজন রাজা হলেন, যে যোষেফকে জানতেন না।
उस समय मिस्र में एक नया राजा बना, जो योसेफ़ को नहीं जानता था.
19 ১৯ তিনি আমাদের জাতির সাথে চালাকি করলেন, আমাদের পূর্বপুরুষদের সাথে খারাপ ব্যবহার করলেন, উদ্দেশ্যে এই যে, তাঁদের শিশুদের যেন বাইরে ফেলে দেওয়া হয়, যেন তারা বাঁচতে না পারে।
उसने हमारे पूर्वजों के साथ चालाकी से बुरा व्यवहार किया और नवजात शिशुओं को नाश करने के लिए विवश किया कि एक भी शिशु बचा न रहे.
20 ২০ সেই দিন মোশির জন্ম হয়। তিনি ঈশ্বরের চোখে সুন্দর ছিলেন এবং তিনমাস পর্যন্ত পিতার বাড়িতে পালিত হন।
“इसी काल में मोशेह का जन्म हुआ. वह परमेश्वर की दृष्टि में चाहने योग्य थे. तीन माह तक उनका पालन पोषण उनके पिता के ही परिवार में हुआ.
21 ২১ পরে তাঁকে বাইরে ফেলে দিলে ফরৌণের মেয়ে তুলে নেয়, ও নিজের ছেলে করার জন্য লালন পালন করলেন।
जब उनको छुपाए रखना असंभव हो गया, तब फ़रोह की पुत्री उन्हें ले गई. उसने उनका पालन पोषण अपने पुत्र जैसे किया.
22 ২২ আর মোশি মিশ্রীয়দের সমস্ত শিক্ষায় শিক্ষিত হলেন এবং তিনি বাক্যে ও কাজে বলবান ছিলেন।
मिस्र देश की सारी विद्या में मोशेह को प्रशिक्षित किया गया. वह बातचीत और कर्तव्य-पालन करने में प्रभावशाली थे.
23 ২৩ পরে তাঁর প্রায় সম্পূর্ণ চল্লিশ বছর বয়স হওয়ার পর নিজের ভাইদের, ইস্রায়েল সন্তানদের, পরিচয় করার ইচ্ছা তার হৃদয়ে জাগলো।
“जब मोशेह लगभग चालीस वर्ष के हुए, उनके मन में अपने इस्राएली बंधुओं से भेंट करने का विचार आया.
24 ২৪ তখন এক জনের উপর অন্যায় করা হচ্ছে দেখে, তিনি তার পক্ষ নিলেন, ঐ মিশ্রীয় লোককে মেরে অত্যাচার সহ্য করা লোকটিকে সুবিচার দিলেন।
वहां उन्होंने एक इस्राएली के साथ अन्याय से भरा व्यवहार होते देख उसकी रक्षा की तथा सताए जानेवाले के बदले में मिस्रवासी की हत्या कर दी.
25 ২৫ তিনি মনে করলেন তার ভাইয়েরা বুঝেছে যে, তাঁর হাতের দ্বারা ঈশ্বর তাদের মুক্তি দিচ্ছেন; কিন্তু তারা বুঝল না।
उनका विचार यह था कि उनके इस काम के द्वारा इस्राएली यह समझ जाएंगे कि परमेश्वर स्वयं उन्हीं के द्वारा इस्राएलियों को मुक्त करा रहे हैं किंतु ऐसा हुआ नहीं.
26 ২৬ আর পরের দিন তারা যখন মারামারি করছিল, তখন তিনি তাদের কাছে গিয়ে মিটমাট করে শান্তি দেওয়ার চেষ্টা করলেন, বললেন, হে প্রিয়, তোমরা তো ভাই, একজন অন্য জনের সাথে অন্যায় করছ কেন?
दूसरे दिन जब उन्होंने आपस में लड़ते हुए दो इस्राएलियों के मध्य यह कहते हुए मेल-मिलाप का प्रयास किया, ‘तुम भाई-भाई हो, क्यों एक दूसरे को आहत करना चाह रहे हो?’
27 ২৭ কিন্তু প্রতিবেশীর প্রতি অন্যায় করেছিল যে ব্যক্তি, সে তাকে ঠেলে ফেলে দিয়ে বলল, তোমাকে শাসনকর্ত্তা ও বিচারকর্ত্তা করে আমাদের উপরে কে নিযুক্ত করেছে?
“उस अन्याय करनेवाले इस्राएली ने मोशेह को धक्का देते हुए कहा, ‘किसने तुम्हें हम पर राजा और न्याय करनेवाला ठहराया है?
28 ২৮ কালকে যেমন সেই মিশ্রীয়কে মেরে ফেলেছিলে, তেমনি কি আমাকেও মেরে ফেলতে চাও?
कहीं तुम्हारा मतलब कल उस मिस्री जैसे मेरी भी हत्या का तो नहीं है? बोलो!’
29 ২৯ এই কথায় মোশি পালিয়ে গেল, আর মিদিয়ণ দেশে বিদেশী হয়ে বসবাস করতে লাগল; সেখানে তার দুই ছেলের জন্ম হয়।
यह सुन मोशेह वहां से भाग खड़े हुए और मिदियान देश में परदेशी होकर रहने लगे. वहां उनके दो पुत्र पैदा हुए.
30 ৩০ পরে চল্লিশ বছর পূর্ণ হলে সীনয় পর্বতের মরূপ্রান্তে এক দূত একটা ঝোপে অগ্নিশিখায় তাকে দেখা দিল।
“चालीस वर्ष व्यतीत होने पर सीनाय पर्वत के बंजर भूमि में एक जलती हुई कंटीली झाड़ी आग की लौ में उन्हें एक स्वर्गदूत दिखाई दिया.
31 ৩১ মোশি সে দৃশ্য দেখে আশ্চর্য্য হয়ে উঠল, আরও ভালো করে দেখার জন্য কাছে যাচ্ছিল, এমন দিনের প্রভুর এক আওয়াজ শোনা গেল, বললেন,
इस दृश्य ने उन्हें आश्चर्यचकित कर दिया. जब वह इसे नज़दीकी से देखने के उद्देश्य से झाड़ी के पास गए तो परमेश्वर ने उनसे कहा:
32 ৩২ “আমি তোমার পূর্বপুরুষদের ঈশ্বর, অব্রাহামের, ইসহাকের ও যাকোবের ঈশ্বর।” তখন মোশি ভয় পেয়ে ভাল করে আর দেখার সাহস করলেন না।
‘मैं तुम्हारे पूर्वजों के पिता अर्थात् अब्राहाम, यित्सहाक तथा याकोब का परमेश्वर हूं.’ मोशेह भय से कांपने लगे और ऊपर आंख उठाने का साहस न कर सके.
33 ৩৩ পরে প্রভু তাঁকে বললেন, “তোমার পা থেকে জুতো খুলে ফেল; কারণ যে জায়গাতে তুমি দাঁড়িয়ে আছ, ওটা পবিত্র স্থান।
“प्रभु ने मोशेह से कहा, अपनी पैरों से जूते उतार दो, क्योंकि यह स्थान, जिस पर तुम खड़े हो, पवित्र है.
34 ৩৪ আমি মিশরের মধ্যে আমার প্রজাদের দুঃখ ভাল করে দেখেছি, তাদের কান্না শুনেছি, আর তাদের উদ্ধার করতে নেমে এসেছি, এখন এসো, আমি তোমাকে মিশরে পাঠাই।”
मिस्र देश में मेरी प्रजा पर हो रहा अत्याचार मैंने अच्छी तरह से देखा है. ‘मैंने उनका कराहना भी सुना है. मैं उन्हें मुक्त कराने नीचे उतर आया हूं. सुनो, मैं तुम्हें मिस्र देश भेजूंगा.’
35 ৩৫ এই যে মোশিকে তারা অস্বীকার করেছিল, বলেছিল, তোমাকে শাসনকর্ত্তা ও বিচারকর্ত্তা করে কে নিযুক্ত করেছে? তাঁকেই ঈশ্বর, যে দূত ঝোপে তাঁকে দেখা দিয়েছিল, সেই দূতের হাতের দ্বারা অধ্যক্ষ ও মুক্তিদাতা করে পাঠালেন।
“यह वही मोशेह हैं, जिन्हें इस्राएलियों ने यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया था, ‘किसने तुम्हें हम पर राजा और न्याय करनेवाला ठहराया है?’ परमेश्वर ने उन्हीं को उस स्वर्गदूत द्वारा, जो झाड़ी में उन्हें दिखाई दिया था, राजा तथा छुड़ाने वाला ठहराकर भेज दिया.
36 ৩৬ তিনি মিশরে, লোহিত সমুদ্রে ও মরূপ্রান্তে চল্লিশ বছর পর্যন্ত নানারকম অদ্ভুত লক্ষণ ও চিহ্ন-কাজ করে তাদের বের করে আনলেন।
यह वही मोशेह थे, जिन्होंने उनका नायक होकर उन्हें बाहर निकाला और मिस्र देश, लाल सागर तथा चालीस वर्ष बंजर भूमि में अद्भुत चिह्न दिखाते हुए उनका मार्गदर्शन किया.
37 ৩৭ ইনি সেই মোশি, যে ইস্রায়েল সন্তানদের একথা বলেছিলেন, “ঈশ্বর তোমাদের জন্য তোমাদের ভাইদের মধ্যে থেকে আমার মতো একজন ভাববাদীকে উৎপন্ন করবে।”
“यही थे वह मोशेह, जिन्होंने इस्राएल की संतान के सामने यह घोषणा पहले से ही की थी, ‘तुम्हारे ही देशवासियों में से परमेश्वर मेरे ही समान एक भविष्यवक्ता को उठाएंगे.’
38 ৩৮ তিনিই মরূপ্রান্তে ইহূদিদের সাথে সভাতে ছিলেন; যে দূত সীনয় পর্বতে তাঁর সাথে কথা বলেছিলেন, । তিনিই তাঁর এবং আমাদের পূর্বপুরুষদের সাথে ছিলেন। তিনি আমাদের দেওয়ার জন্য জীবনদায়ী বাক্যসকল পেয়েছিলেন।
यह वही हैं, जो बंजर भूमि में इस्राएली समुदाय में उस स्वर्गदूत के साथ मौजूद थे, जिसने उनसे सीनाय पर्वत पर बातें की और जो हमारे पूर्वजों के साथ थे तथा मोशेह ने तुम्हें सौंप देने के लिए जिनसे जीवित वचन प्राप्‍त किए.
39 ৩৯ আমাদের পূর্বপুরুষেরা তাঁর কথা মানতে চাইল না, বরং তাঁকে ঠেলে ফেলে দিলেন, আর মনে মনে আবার মিশরের দিকে ফিরলেন,
“हमारे पूर्वज उनके आज्ञापालन के इच्छुक नहीं थे. वे मन ही मन मिस्र देश की कामना करने लगे.
40 ৪০ হারোণকে বললেন, “আমাদের জন্য দেবতা তৈরি কর, তাঁরাই আমাদের আগে আগে যাবেন, কারণ এই যে মোশি মিশর দেশ থেকে আমাদের বের করে আনলেন, তাঁর কি হল, আমরা জানি না।”
वे हारोन से कहते रहे, ‘हमारे आगे-आगे जाने के लिए देवताओं को स्थापित करो. इस मोशेह की, जो हमें मिस्र साम्राज्य से बाहर लेकर आया है, कौन जाने क्या हुआ!’
41 ৪১ আর সেই দিন তারা একটা বাছুর তৈরি করলেন এবং সেই মূর্তির উদ্দেশ্যে বলি উৎসর্গ করলেন, ও নিজেদের হাতের তৈরি জিনিসে আনন্দ করতে লাগলেন।
तब उन्होंने बछड़े की एक मूर्ति बनाई, उसे बलि चढ़ाई तथा अपने हाथों के कामों पर उत्सव मनाने लगे.
42 ৪২ কিন্তু ঈশ্বর খুশি হলেন না, তাঁদের আকাশের বাহিনী পূজো করার জন্য সমর্পণ করলেন; যেমন ভাববাদী গ্রন্থে লেখা আছে, প্রিয় ইস্রায়েল লোকেরা, মরূপ্রান্তে চল্লিশ বছর পর্যন্ত তোমরা কি আমার উদ্দেশ্যে পশুবলি ও বলিদান উপহার উৎসর্গ করেছিলে?
इससे परमेश्वर ने उनसे मुंह मोड़कर उन्हें आकाश के नक्षत्रों की उपासना करने के लिए छोड़ दिया, जैसा भविष्यद्वक्ताओं के अभिलेख में लिखा है: “‘हे इस्राएल के वंशजों, निर्जन प्रदेश में चालीस साल तक क्या तुमने मुझे बलिदान और भेंट चढ़ाया?
43 ৪৩ তোমরা বরং মোলকের তাঁবু ও রিফন দেবতার তারা তুলে নিয়ে বহন করেছ, সেই মুর্ত্তিগুলো, যা তোমরা পূজো করার জন্য গড়েছিলে; আর আমি তোমাদের বাবিলের ওদিকে নির্বাসিত করব।
तुमने देवता मोलेक की वेदी की स्थापना की, अपने देवता रेफ़ान के तारे को ऊंचा किया और उन्हीं की मूर्तियों को आराधना के लिए स्थापित किया. इसलिये मैं तुम्हें बाबेल से दूर निकाल ले जाऊंगा.’
44 ৪৪ যেমন তিনি আদেশ করেছিলেন, সাক্ষ্য তাঁবু মরূপ্রান্তে আমাদের পূর্বপুরুষদের কাছে ছিল, যিনি মোশিকে বলেছিলেন, তুমি যেমন নমুনা দেখলে, সেরকম ওটা তৈরি কর।
“बंजर भूमि में गवाही का तंबू हमारे पूर्वजों के पास था. इसका निर्माण ठीक-ठीक परमेश्वर द्वारा मोशेह को दिए गए निर्देश के अनुसार किया गया था, जिसका आकार स्वयं मोशेह देख चुके थे.
45 ৪৫ আর আমাদের পূর্বপুরুষেরা তাদের দিনের ওটা পেয়ে যিহোশূয়ের কাছে আনলেন, যখন সেই জাতিগনের অধিকারে প্রবেশ করল, যাদের ঈশ্বর আমাদের পূর্বপুরুষের সামনে থেকে তাড়িয়ে দিলেন। সেই তাঁবু দায়ূদের দিন পর্যন্ত ছিল।
हमारे पूर्वज इस गवाही के तंबू को यहोशू के नेतृत्व में अपने साथ उस भूमि पर ले आए, जिसे उन्होंने अपने अधिकार में ले लिया था और जहां से परमेश्वर ने हमारे पूर्वजों के सामने से राष्ट्रों को निकाल दिया था. ऐसा दावीद के समय तक रहा.
46 ৪৬ ইনি ঈশ্বরের দৃষ্টিতে অনুগ্রহ পেলেন এবং যাকোবের ঈশ্বরের জন্য একটি ঘর নির্ম্মাণ করার জন্য অনুমতি চাইলেন;
दावीद पर परमेश्वर की कृपादृष्टि थी. दावीद ने उनसे याकोब के परमेश्वर के लिए एक निवास स्थान बनाने की आज्ञा चाही.
47 ৪৭ কিন্তু শলোমন তাঁর জন্য একটি গৃহ নির্মাণ করলেন।
किंतु इस भवन का निर्माण शलोमोन द्वारा किया गया.
48 ৪৮ অথচ মহান সর্বশক্তিমান ঈশ্বর হাতের তৈরি গৃহে বাস করেন না; যেমন ভাববাদী বলেন।
“सच तो यह है कि, परम प्रधान परमेश्वर मनुष्य के हाथ से बने भवन में वास नहीं करते. भविष्यवक्ता की घोषणा है:
49 ৪৯ “স্বর্গ আমার সিংহাসন, পৃথিবী আমার পা রাখার স্থান; প্রভু বলেন, তোমরা আমার জন্য কেমন বাসস্থান বানাবে?”
“‘स्वर्ग मेरा सिंहासन तथा पृथ्वी मेरे पैरों की चौकी है. किस प्रकार का घर बनाओगे तुम मेरे लिए? परमेश्वर का कहना है, या कहां होगा मेरा विश्राम स्थान?
50 ৫০ “অথবা আমার বিশ্রামের স্থান কোথায়? আমার হাতই কি এ সমস্ত তৈরী করে নি?”
क्या ये सभी मेरे ही हाथों की रचना नहीं?’
51 ৫১ হে জেদী লোকেরা এবং হৃদয়ে ও কানে অচ্ছিন্নত্বকেরা (অবাধ্য), তোমরা সবদিন পবিত্র আত্মার প্রতিরোধ করে থাক; তোমাদের পূর্বপুরুষেরা যেমন, তোমরাও ঠিক তেমন।
“आप, जो हठीले हृदय और कान के ख़तना रहित लोग हैं, हमेशा पवित्र आत्मा का विरोध करते रहते हैं. आप ठीक वही कर रहे हैं, जो आपके पूर्वजों ने किया.
52 ৫২ তোমাদের পূর্বপুরুষেরা কোন ভাববাদীকে তাড়না না করেছে? তারা তাঁদের মেরে ফেলেছিল, যাঁরা আগেই সেই ধার্ম্মিকের আসার কথা জানত, যাকে কিছুদিন আগে তোমরা শত্রুর হাতে তুলে দিলে ও মেরে ফেলেছিলে;
क्या कभी भी कोई ऐसा भविष्यवक्ता हुआ है, जिसे आपके पूर्वजों ने सताया न हो? यहां तक कि उन्होंने तो उन भविष्यद्वक्ताओं की हत्या भी कर दी जिन्होंने उस धर्मी जन के आगमन की पहले से ही घोषणा की थी. यहां उसी की हत्या करके आप लोग विश्वासघाती और हत्यारे बन गए हैं.
53 ৫৩ তোমরা সকলে দূতদের দ্বারা মোশির আদেশ পেয়েছিলে, কিন্তু পালন করনি।
आप वही हैं जिन्हें स्वर्गदूतों द्वारा प्रभावशाली व्यवस्था सौंपी गई थी, फिर भी आपने उसका पालन नहीं किया.”
54 ৫৪ এই কথা শুনে মহাসভার সদস্যরা আঘাতগ্রস্ত হলো, স্তিফানের দিকে চেয়ে দাঁতে দাঁত ঘষতে লাগল।
यह सुन सारे सुननेवाले तिलमिला उठे और स्तेफ़ानॉस पर दांत पीसने लगे.
55 ৫৫ কিন্তু তিনি পবিত্র আত্মায় পূর্ণ হয়ে স্বর্গের দিকে এক নজরে চেয়ে ঈশ্বরের মহিমা দেখলেন এবং যীশু ঈশ্বরের ডানদিকে দাঁড়িয়ে আছেন,
किंतु पवित्र आत्मा से भरकर स्तेफ़ानॉस ने जब अपनी दृष्टि स्वर्ग की ओर उठाई, उन्होंने परमेश्वर की महिमा को और मसीह येशु को परमेश्वर के दाहिनी ओर खड़े हुए देखा.
56 ৫৬ আর তিনি বললেন, দেখ, আমি দেখছি, স্বর্গ খোলা রয়েছে, মনুষ্যপুত্র ঈশ্বরের ডানদিকে দাঁড়িয়ে আছেন।
स्तेफ़ानॉस ने सुननेवालों को संबोधित करते हुए कहा, “वह देखिए! मुझे स्वर्ग खुला हुआ तथा मनुष्य का पुत्र परमेश्वर के दाहिनी ओर खड़े हुए दिखाई दे रहे हैं.”
57 ৫৭ কিন্তু তারা খুব জোরে চিৎকার করে উঠল, নিজে নিজের কান চেপে ধরল এবং একসাথে তাঁর উপরে গিয়ে পড়ল;
यह सुनते ही सुननेवालों ने चीखते हुए अपने कानों पर हाथ रख लिए. फिर वे गुस्से में स्तेफ़ानॉस पर एक साथ टूट पड़े.
58 ৫৮ আর তাঁকে শহর থেকে বের করে পাথর মারতে লাগল; এবং সাক্ষীরা নিজে নিজের কাপড় খুলে শৌল নামের একজন যুবকের পায়ের কাছে রাখল।
उन्होंने स्तेफ़ानॉस को पकड़ा और घसीटते हुए नगर के बाहर ले गए और वहां उन्होंने पथराव करके उनकी हत्या कर दी. इस समय उन्होंने अपने बाहरी कपड़े शाऊल नामक युवक के पास रख छोड़े थे.
59 ৫৯ এদিকে তারা স্তিফানকে পাথর মারছিল, আর তিনি তাঁর নাম ডেকে প্রার্থনা করলেন, হে প্রভু যীশু আমার আত্মাকে গ্রহণ করো।
जब वे स्तेफ़ानॉस का पथराव कर रहे थे, स्तेफ़ानॉस ने प्रभु से इस प्रकार प्रार्थना की, “प्रभु येशु, मेरी आत्मा को स्वीकार कीजिए.”
60 ৬০ পরে তিনি হাঁটু পেতে জোরে জোরে বললেন, প্রভু, এদের বিরুদ্ধে এই পাপ ধর না। এই বলে তিনি মারা গেলেন। আর শৌল তার হত্যার আদেশ দিচ্ছিলেন।
तब उन्होंने घुटने टेककर ऊंचे शब्द में यह कहा, “प्रभु, इन्हें इस पाप का दोषी न ठहराना.” यह कहते हुए स्तेफ़ानॉस लंबी नींद में सो गए.

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