< দ্বিতীয় রাজাবলি 17 >

1 যিহূদার রাজা আহসের রাজত্বের বারো বছরের দিন এলার ছেলে হোশেয় রাজত্ব করতে শুরু করেন। তিনি নয় বছর শমরিয়াতে ইস্রায়েলের ওপর রাজত্ব করেছিলেন।
यहूदिया के राजा आहाज़ के शासन के बारहवें साल में एलाह का पुत्र होशिया शमरिया में राजा बना. उसका शासन नौ साल का था.
2 সদাপ্রভুর চোখে যা কিছু মন্দ তিনি তাই করতেন, কিন্তু তাঁর আগে ইস্রায়েলে যে সব রাজারা ছিলেন, তাদের মত নয়।
उसने वह किया, जो याहवेह की दृष्टि में गलत था, मगर उस सीमा तक नहीं, जैसा इस्राएल में उसके पहले के राजाओं ने किया था.
3 অশূর রাজা শল্‌মনেষর হোশেয়কে আক্রমণ করতে আসলেন। তার ফলে হোশেয় তাঁর দাস হলেন এবং তাঁকে উপঢৌকন দিতে লাগলেন।
अश्शूर के राजा शालमानेसर ने उस पर हमला कर दिया. होशिया को उसके अधीन, जागीरदार होकर उसे कर देना पड़ता था.
4 কিন্তু অশূরের রাজা জানতে পারলেন যে, হোশেয় তাঁর বিরুদ্ধে চক্রান্ত করছে, কারণ তিনি মিশরের সো রাজার কাছে দূত পাঠিয়েছিলেন এবং অশূরের রাজাকে প্রতি বছরে যে উপঢৌকন দিতেন তা আর পাঠালেন না। সুতরাং শল্‌মনেষর হোশেয়কে বন্দী করে জেলে দিলেন।
मगर अश्शूर के राजा को होशिया के एक षड़्‍यंत्र के विषय में मालूम हो गया. होशिया ने मिस्र देश के राजा सोअ से संपर्क के लिए अपने दूत भेजे थे, और उसने अपने ठहराए गए कर का भुगतान भी नहीं किया था, जैसा वह हर साल किया करता था. तब अश्शूर के राजा ने उसे बंदी बनाकर बंदीगृह में डाल दिया.
5 অশূরের রাজা সমস্ত দেশটা আক্রমণ করে শমরিয়াতে গেলেন এবং তিন বছর ধরে সেটা ঘেরাও করে রাখলেন।
इसके बाद उसने सारी इस्राएल देश पर कब्जा किया, और तीन साल तक शमरिया नगर को अपनी अधीनता में रखा.
6 হোশেয়ের রাজত্বের নয় বছর কালীন অশূরের রাজা শমরিয়াকে দখল করলেন এবং ইস্রায়েলীয়দের বন্দী করে অশূরে নিয়ে গেলেন। তাদের তিনি হলহে, গোষণের হাবোর নদীর ধারে এবং মাদীয়দের শহরগুলোতে বাস করতে দিলেন।
होशिया के शासन के नवें साल में अश्शूर के राजा ने शमरिया को अपने अधिकार में ले लिया. उसने इस्राएल जनता को बंदी बनाकर अश्शूर ले जाकर वहां हालाह और हाबोर क्षेत्र में बसा दिया. ये दोनों क्षेत्र मेदिया प्रदेश के गोज़ान नदी के तट पर स्थित हैं.
7 এই সব ঘটনা ঘটেছিল, কারণ যিনি মিশর থেকে, মিশরের রাজা ফরৌণের শাসন থেকে তাদের বের করে এনেছিলেন ইস্রায়েলীয়েরা তাদের সেই ঈশ্বর সদাপ্রভুর বিরুদ্ধে পাপ করেছিল। সেই লোকেরা অন্য দেব দেবতার পূজা করত
यह सब इसलिये हुआ कि इस्राएल वंशजों ने याहवेह, अपने परमेश्वर के विरुद्ध पाप किया; उस परमेश्वर के विरुद्ध, जिन्होंने उन्हें मिस्र के राजा फ़रोह की बंधुआई से मुक्त कराया था. उनमें पराए देवताओं के लिए भय आ गया था.
8 এবং যাদেরকে সদাপ্রভু ইস্রায়েলীয়দের সামনে থেকে তাড়িয়ে দিয়েছিলেন তাদের মতই চলাফেরা করত। এছাড়া ইস্রায়েলের রাজাদের রীতিনীতি অনুসারে তারা চলত।
वे उन राष्ट्रों की प्रथाओं का पालन करने लगे थे, जिन जनताओं को याहवेह ने इस्राएल वंश के सामने से अलग कर दिया था. इसके अलावा वे इस्राएल के राजाओं द्वारा प्रचलित प्रथाओं का पालन करने लगे थे.
9 ইস্রায়েলীয়েরা গোপনে সদাপ্রভুর বিরুদ্ধে যা কিছু ঠিক নয় সেই সব খারাপ কাজ করত। তারা প্রহরীদের উঁচু ঘর থেকে বড় দেওয়ালে ঘেরা শহর পর্যন্ত সব জায়গায় নিজেদের জন্য পূজার উঁচু স্থান তৈরী করে নিয়েছিল।
इस्राएल के लोग याहवेह, उनके परमेश्वर के विरुद्ध गुप्‍त रूप से वह सब करते रहे, जो गलत था. उन्होंने अपने सारे नगरों में पहरेदारों के खंभों से लेकर गढ़नगर तक पूजा की जगहों को बनवाया.
10 ১০ তারা প্রত্যেকটি উঁচু পাহাড়ের উপরে এবং প্রত্যেকটি সবুজ গাছের নীচে পূজার পাথর ও আশেরা মূর্ত্তি স্থাপন করেছিল।
उन्होंने हर एक ऊंची पहाड़ी पर और हर एक हरे पेड़ के नीचे अशेराह के खंभे खड़े किए.
11 ১১ যে সব জাতিকে সদাপ্রভু তাদের সামনে থেকে বের করে দিয়েছিলেন তাদের মত তারাও প্রত্যেকটি উঁচু স্থানে ধূপ জ্বালাত। এছাড়া ইস্রায়েলীয়রা আরও খারাপ কাজ করে সদাপ্রভুকে অসন্তুষ্ট করত।
वे सारे पूजा स्थलों पर धूप जलाते थे, उन्हीं जनताओं के समान, जिन्हें याहवेह ने उनके सामने से हटाकर अलग किया था. इस्राएली प्रजा दुष्टता से भरे कामों में लगी रही, जिससे याहवेह का गुस्सा भड़क उठता था.
12 ১২ তারা মূর্ত্তি পূজা করত, যার বিষয়ে সদাপ্রভু তাদের বলেছিলেন “তোমরা এই কাজগুলি করবে না।”
वे मूर्तियों की सेवा-उपासना करते रहे, जिनके विषय में याहवेह ने उन्हें चेताया था, “तुम यह न करना.”
13 ১৩ যদিও সদাপ্রভু তাঁর সমস্ত ভাববাদী ও দর্শকদের মধ্য দিয়ে ইস্রায়েল ও যিহূদাকে সাবধান করে বলেছিলেন, “তোমরা তোমাদের খারাপ পথ থেকে ফেরো এবং সমস্ত আইন কানুন যা আমি তোমাদের পূর্বপুরুষদের পালনের জন্য দিয়েছিলাম আর আমার দাসদের অর্থাৎ ভাববাদীদের মধ্য দিয়ে তোমাদের জানিয়েছিলাম তোমরা সেই অনুযায়ী আমার সব আদেশ ও নিয়ম পালন কর।”
फिर भी याहवेह इस्राएल और यहूदिया को हर एक भविष्यद्वक्ता और दर्शी के द्वारा इस प्रकार चेतावनी देते रहेः “व्यवस्था के अनुसार अपनी बुराइयों से फिरकर मेरे आदेशों और नियमों का पालन करो, जिनका आदेश मैंने तुम्हारे पूर्वजों को दिया था, और जिन्हें मैंने भविष्यवक्ताओं, मेरे सेवकों के माध्यम से तुम तक पहुंचाया.”
14 ১৪ কিন্তু তারা সেই কথা শোনেনি; তার পরিবর্তে তারা তাদের পূর্বপুরুষেরা যারা নিজেদের ঈশ্বর সদাপ্রভুর উপর নির্ভর করত না, তাদের মতই তারা চলত।
मगर उन्होंने इसकी अवहेलना की, और अपने हृदय कठोर कर लिए; जैसा उनके पूर्वजों ने किया था, जिनकी याहवेह, उनके परमेश्वर में कोई श्रद्धा न थी.
15 ১৫ তারা তাঁর সব নিয়ম, তাদের পূর্বপুরুষদের জন্য স্থাপন করা তাঁর ব্যবস্থা এবং তাদের কাছে তাঁর দেওয়া সমস্ত সাক্ষ্য মানতে অস্বীকার করেছিল। তারা অসার বস্তুর অনুগামী হয়ে নিজেরাও অসার অকেজো হয়ে পড়েছিল। আর সদাপ্রভু যাদের মত চলতে তাদেরকে নিষেধ করেছিলেন তারা তাদের চারদিকের সেই জাতিগুলোরই অনুসরণ করে চলত।
उन्होंने याहवेह के नियमों का तिरस्कार किया और उस वाचा को तुच्छ माना, जो याहवेह ने उनके पूर्वजों के साथ स्थापित की थी. उन्होंने उन चेतावनियों पर ध्यान न दिया, जिनके द्वारा याहवेह ने उन्हें सचेत करना चाहा था. वे बेकार के कामों का अनुसरण करते-करते खुद भी बेकार बन गए, और अपने पड़ोसी राष्ट्रों के समान हो गए. इन्हीं राष्ट्रों के बारे में याहवेह ने उन्हें साफ़ आदेश दिया था: “उनका अनुसरण नहीं करना.”
16 ১৬ তারা নিজেদের ঈশ্বর সদাপ্রভুর সমস্ত আদেশ ত্যাগ করে নিজেদের জন্য ছাঁচ দিয়ে বানানো ধাতু দিয়ে দুইটি বাছুরের মূর্ত্তি তৈরী করে পূজা করত। একটা আশেরা মূর্তিও তৈরী করেছিল এবং তারা আকাশের সমস্ত বাহিনীরপূজো করত এবং বাল দেবতার পূজা করত।
उन्होंने याहवेह, अपने परमेश्वर के सभी आदेशों को त्याग दिया, और उन्होंने अपने लिए बछड़ों की धातु की मूर्तियां, हां, दो बछड़ों की मूर्तियां ढाल लीं. उन्होंने अशेराह को बनाया और आकाश की सारी शक्तियों और बाल देवता की उपासना की.
17 ১৭ তারা নিজেদের ছেলে মেয়েদের আগুনে পুড়িয়ে হোমবলি হিসাবে উৎসর্গ করত। তারা মন্ত্র ও মায়াজালের ব্যবহার করত এবং সদাপ্রভুর চোখে যা কিছু মন্দ সেই সব কাজ করবার জন্য নিজেদের বিক্রি করে দিয়েছিল এবং এইরূপে সদাপ্রভুকে অসন্তুষ্ট করেছিল।
इसके बाद उन्होंने अपनी संतान को आग के बीच से होकर निकलने की प्रथा पूरी करने के लिए मजबूर किया. वे भावी कहते थे और जादू-टोना भी करते थे. उन्होंने स्वयं को वह सब करने के लिए समर्पित कर दिया, जो याहवेह की दृष्टि में गलत है. इससे उन्होंने याहवेह के क्रोध को भड़का दिया.
18 ১৮ সেই জন্য ইস্রায়েলের লোকদের উপর সদাপ্রভু ভীষণ রেগে গিয়ে তাঁর সামনে থেকে তাঁদের দূরে সরিয়ে দিলেন। সেখানে কেবল যিহূদা গোষ্ঠী ছাড়া আর কেউ ছিল না।
फलस्वरूप याहवेह इस्राएल पर बहुत ही क्रोधित हो गए, और उन्होंने इस्राएल को अपनी नज़रों से दूर कर दिया; सिवाय यहूदाह गोत्र के.
19 ১৯ এমনকি যিহূদা গোষ্ঠীও তাদের ঈশ্বর সদাপ্রভুর আদেশ পালন করলো না কিন্তু তার পরিবর্তে ইস্রায়েল যা করত সেই বিধি অনুযায়ী চলতে লাগল।
यहूदिया ने भी याहवेह, अपने परमेश्वर के आदेशों का पालन नहीं किया. उसने उन्हीं प्रथाओं का अनुसरण किया, जिनको इस्राएल द्वारा शुरू किया गया था.
20 ২০ সে কারণে সদাপ্রভু সমস্ত ইস্রায়েললের বংশকে বাতিল করে দিলেন। তিনি তাদের কষ্ট দিলেন এবং লুটেরাদের হাতে তুলে দিলেন এবং শেষে নিজের সামনে থেকে তাদের দূরে সরিয়ে দিলেন।
याहवेह ने इस्राएल के सारे वंशजों को त्याग दिया, उन्हें सताया, उन्हें लुटेरों को सौंप दिया, और अपनी दृष्टि से दूर कर दिया.
21 ২১ সদাপ্রভু দায়ূদের বংশ থেকে যখন ইস্রায়েলকে ছিঁড়ে আলাদা করলেন, তখন তারা নবাটের ছেলে যারবিয়ামকে তাদের রাজা করেছিল। যারবিয়াম ইস্রায়েলকে সদাপ্রভুর পথ থেকে সরিয়ে নিয়ে তাদের দিয়ে মহাপাপ করিয়েছিলেন।
जब याहवेह इस्राएल को दावीद के वंश से अलग कर चुके, इस्राएलियों ने नेबाथ के पुत्र यरोबोअम को राजा बनाकर प्रतिष्ठित किया. यरोबोअम ने इस्राएल से याहवेह का अनुसरण खत्म करवा दिया, और इस्राएल को अधम पाप के लिए उकसाया.
22 ২২ ইস্রায়েলের লোকেরা যারবিয়ামের সমস্ত পাপের পথ অনুসরণ করেছিল। তারা সে সব থেকে ফিরে আসে নি।
इस्राएली प्रजा ने वे सारे पाप किए, जो यरोबोअम ने स्वयं किए थे. इन पापों से वे कभी दूर न हुए.
23 ২৩ শেষে সদাপ্রভু তাঁর সমস্ত দাসদের অর্থাৎ ভাববাদীদের মধ্য দিয়ে যেমন বলেছিলেন সেই অনুসারে তাঁর সামনে থেকে ইস্রায়েলকে দূরে ফেলে দিলেন। সে কারণে ইস্রায়েলের লোকদের তাদের নিজেদের দেশ থেকে বন্দী করে অশূর দেশে নিয়ে যাওয়া হল এবং আজও তারা সেই জায়গায় আছে।
तब याहवेह ने उन्हें अपनी दृष्टि से दूर कर दिया, जैसा उन्होंने भविष्यवक्ताओं, अपने सेवकों, के द्वारा पहले ही घोषित कर दिया था. तब इस्राएल वंशज अपने देश से अश्शूर को बंधुआई में भेज दिए गए, वे अब तक बंधुआई में ही हैं.
24 ২৪ অশূরের রাজা ইস্রায়েলের লোকদের বদলে বাবিল, কূথা, অব্বা, হমাৎ ও সফর্বয়িম থেকে লোক নিয়ে এসে শমরিয়ার নগরগুলিতে বসিয়ে দিলেন। তারা শমরিয়া অধিকার করে সেই সব জায়গায় বসবাস করতে লাগল।
अश्शूर के राजा ने बाबेल, कूथाह, अव्वा, हामाथ और सेफरवाइम से लोगों को लाकर शमरिया के नगरों में बसा दिया, जहां इसके पहले इस्राएल का रहना था. उन्होंने शमरिया को अपने अधिकार में ले लिया, और उसके नगरों में रहने लगे.
25 ২৫ সেখানে তারা বসবাস করবার প্রথম দিকের দিনের তারা সদাপ্রভুর সম্মান করত না, তাই সদাপ্রভু তাদের মধ্যে সিংহ পাঠিয়ে দিলেন, যেগুলি তাদের কিছু লোককে মেরে ফেলল।
उनके वहां रहने के शुरुआती सालों में उनके मन में याहवेह के प्रति भय था ही नहीं. तब याहवेह ने उनके बीच शेर भेज दिए, जिन्होंने उनमें से कुछ को अपना कौर बना लिया.
26 ২৬ তখন তারা অশূরের রাজার কাছে গিয়ে এইরকম বলল, “যে সমস্ত জাতিদের আপনি বন্দী করে শমরিয়ায় সব জায়গায় বাস করবার জন্য বসিয়ে দিয়েছেন, তারা সেই দেশের ঈশ্বরের নিয়ম জানে না সেই দেশের ঈশ্বরকে কিভাবে সন্তুষ্ট করতে হয়। সে কারণে ঈশ্বর তাদের মধ্যে সিংহ পাঠিয়ে দিয়েছেন, আর দেখো, সিংহগুলি তাদের মেরে ফেলছে কারণ তারা সেই দেশের ঈশ্বরের বিধি জানে না।”
इसके बारे में अश्शूर के राजा को सूचित किया गया: “जिन राष्ट्रों को आपने ले जाकर शमरिया के नगरों में बसाया है, उन्हें इस देश के देवता की विधि पता नहीं है, इसलिये उसने उनके बीच शेर भेज दिए हैं. अब देखिए वे प्रजा को मार रहे हैं, क्योंकि प्रजा को इस देश के देवता का पता नहीं है.”
27 ২৭ তখন অশূরের রাজা এই বলে আদেশ দিলেন, “যে সব যাজকদের আপনারা এনেছিলেন তাদের মধ্য থেকে এক জনকে আপনারা সেখানে পাঠিয়ে দিন যাতে সে সেখানে গিয়ে বাস করে এবং সেই দেশের ঈশ্বরের নিয়ম কানুন সম্পর্কে তাদের শিক্ষা দেয়।”
यह सुन अश्शूर के राजा ने यह आदेश दिया, “जिन पुरोहितों को बंधुआई में लाया गया है, उनमें से एक पुरोहित को वहां भेज दिया जाए, कि वह वहां जाकर वहीं रहा करे, और वहां बसे इन लोगों को उस देश के देवता की व्यवस्था की शिक्षा दे.”
28 ২৮ সুতরাং শমরিয়া থেকে নিয়ে যাওয়া যাজকদের মধ্য থেকে এক জনকে নিয়ে বৈথেলে গেলেন এবং সেখানে বাস করতে লাগলেন এবং তিনিই তাদের শিক্ষা দিলেন কিভাবে সদাপ্রভুর উপাসনা করতে হয়।
तब शमरिया से निकले पुरोहितों में से एक पुरोहित बेथेल नगर में आकर निवास करने लगा, जो उन्हें याहवेह के प्रति भय रखने के विषय में शिक्षा देता था.
29 ২৯ তবুও প্রত্যেক জাতির লোকেরা নিজের নিজের দেবতা তৈরী করে নিল এবং শহরে যেখানে তারা বাস করত সেখানে শমরিয়েরা উঁচু স্থানগুলিতে যে সমস্ত ঘর তৈরী করেছিল, তার মধ্যে প্রত্যেক জাতি তাদের নগরে তাদের দেবতাকে স্থাপন করলেন।
मगर हर एक राष्ट्र अपने-अपने देवताओं की मूर्तियां बनाता रहा, और उन्हें अपने-अपने नगरों के पूजा स्थलों में प्रतिष्ठित करता रहा; उन पूजा स्थलों पर, जो शमरिया के मूलवासियों द्वारा बनाए गए थे. यह वे उन सभी नगरों में करते गए, जहां वे बसते जा रहे थे.
30 ৩০ এই ভাবে বাবিলের লোকেরা তৈরী করল সুক্কোৎ-বনোৎ, কূথের লোকেরা নের্গল তৈরী করলেন, হমাতের লোকেরা অশীমার মূর্ত্তি তৈরী করলেন,
जो लोग बाबेल से आए थे उन्होंने सुक्कोथ-बेनोथ की मूर्ति, कूथ से आए लोगों ने नेरगल की, हामाथ से बसे हुए विदेशियों ने आषिमा की,
31 ৩১ আর অব্বীয়েরা তৈরী করল নিভস ও তর্ত্তক আর সফর্বীয়দের দেবতা অদ্রম্মেলক ও অনম্মেলকের উদ্দেশ্যে তাদের নিজেদের ছেলে মেয়েদের আগুনে পুড়িয়ে হোম উৎসর্গ করল।
अब्बी प्रवासियों ने निभाज़ और तारतक की; इसके अलावा सेफारवी प्रवासियों ने अपने बालकों को अद्राम्मेलेख और अन्‍नाम्मेलेख के लिए आग में बलि करने सेफरवाइम देवता की प्रथा चालू रखी.
32 ৩২ তারা সদাপ্রভুকে ভয় করত এবং উঁচু স্থানগুলিতে যাজকদের কাজ করবার জন্য নিজেদের মধ্য থেকে লোক নিযুক্ত করত এবং তারাই তাদের জন্য উচ্চ স্থানের গৃহে বলি উত্সর্গ করত।
हां, उन्होंने भय के कारण याहवेह के लिए सभी प्रकार के लोगों में से पुरोहित भी चुन लिए. ये पुरोहित उनके लिए पूजा की जगहों पर बलि चढ़ाया करते थे.
33 ৩৩ তারা সদাপ্রভুকে ভয় করত এবং সেই সঙ্গে যে সব দেশ থেকে তাদের নিয়ে আসা হয়েছিল সেই সব দেশের নিয়ম অনুসারে তারা তাদের দেবতাদেরও পূজা করত।
संक्षेप में, वे याहवेह के प्रति भय रखते हुए भी अपने-अपने राष्ट्र के उन देवताओं की उपासना करते रहे, जिन राष्ट्रों से लाकर वे यहां बसाए गए थे.
34 ৩৪ আজ পর্যন্ত তারা সেই পুরানো নিয়ম মেনে চলছে। তারা আসলে সদাপ্রভুর উপাসনা করে না, এমন কি সদাপ্রভু যে যাকোবের নাম ইস্রায়েল রেখেছিলেন সেই যাকোবের লোকদের কাছে সদাপ্রভুর দেওয়া ব্যবস্থা, আদেশ অনুযায়ী চলে না।
आज तक वे अपनी-अपनी पहले की प्रथाओं में लगे हैं. वे न तो याहवेह के प्रति भय दिखाते हैं, न ही वे याहवेह द्वारा दी गई विधियों या आदेशों या नियमों या व्यवस्था का पालन करते हैं, जिनके पालन करने का आदेश याहवेह द्वारा याकोब के वंशों को दिया गया था, जिन्हें वह इस्राएल नाम से बुलाते थे,
35 ৩৫ এবং তাদের সঙ্গে ব্যবস্থা স্থাপন করবার দিন সদাপ্রভু এই আদেশ দিয়েছিলেন, “তোমরা অন্য কোন দেব দেবতার ভয় করবে না কিম্বা তাদের কাছে মাথা নীচু করবে না এবং তাদের সেবা করবে না বা তাদের উদ্দেশ্যে কিছু বলিদান করবে না।
जिनके साथ याहवेह ने वाचा स्थापित की थी, और उन्हें यह आदेश दिया था: “पराए देवताओं से डरने की कोई ज़रूरत नहीं है और न ही आवश्यकता है उनके सामने झुकने की, न उन्हें बलि चढ़ाने की, और न उनकी सेवा-उपासना करने की.
36 ৩৬ কিন্তু সদাপ্রভু, যিনি মহাশক্তিতে মিশর থেকে তোমাদের বের করে এনেছেন তোমরা সেই একজনকেই সম্মান করবে, তাঁর কাছেই মাথা নীচু করবে ও তাঁর উদ্দেশ্যেই সব বলিদান দেবে।
हां, भय उस याहवेह के लिए रखो, जिन्होंने मिस्र देश से तुम्हें अद्धुत सामर्थ्य और बढ़ाई हुई भुजा से तुमको निकालकर यहां ले आए हैं. भय उन्हीं के प्रति बनाए रखो, वंदना के लिए उन्हीं के सामने झुको, और बलि उन्हें ही चढ़ाओ.
37 ৩৭ তিনি যে সব বিধি, নির্দেশ, ব্যবস্থা ও আদেশ তোমাদের জন্য লিখে দিয়েছিলেন তা যত্নের সঙ্গে পালন করবে। তোমরা অন্য দেব দেবতার ভয় করবে না।
इसके अलावा जो विधियां, नियम, व्यवस्था और आदेश उन्होंने तुम्हारे लिए लिखवा दिए हैं, उन्हें तुम हमेशा पालन करते रहो. साथ ही, यह ज़रूरी नहीं कि तुम पराए देवताओं से डरो.
38 ৩৮ এবং তোমাদের সঙ্গে যে ব্যবস্থা আমি তৈরী করেছি তোমরা তা ভুলে যাবে না; না অন্য কোন দেব দেবতাকেভয় করবে না।
तुम उस वाचा को न भूलना जो मैंने तुम्हारे साथ बांधी है और न पराए देवताओं का भय मानना.
39 ৩৯ কিন্তু সদাপ্রভু তোমাদের ঈশ্বরকেই সম্মান করবে। তিনিই তোমাদের সব শত্রুদের হাত থেকে তোমাদের উদ্ধার করবেন।”
तुम सिर्फ याहवेह अपने परमेश्वर का भय मानना. याहवेह ही तुम्हें तुम्हारे सारी शत्रुओं से छुटकारा दिलाएंगे.”
40 ৪০ তবুও তারা সেই কথা শুনল না, কারণ তারা আগে যা করেছিল সেই মতই চলতে লাগল।
इतना सब होने पर भी उन्होंने याहवेह की बातों पर ध्यान न दिया, वे अपने पहले के आचरण पर ही चलते रहे.
41 ৪১ এই ভাবে সেই জাতিরা সদাপ্রভুর ভয়ও করত আবার তাদের খোদাই করা মূর্তির পূজাও করত। আজও তাদের ছেলেমেয়ে ও নাতিপুতিরা তাদের পূর্বপুরুষরা যা করেছিল সেই মতই করছে।
इन जातियों ने याहवेह का भय तो माना, मगर साथ ही वे अपनी गढ़ी हुई मूर्तियों की उपासना भी करते रहे. उनकी संतान भी यही करती रही. और उनके बाद उनकी संतान भी, जैसा जैसा उन्होंने अपने पिता को करते देखा, उन्होंने आज तक उसी के जैसा किया.

< দ্বিতীয় রাজাবলি 17 >