< প্রথম রাজাবলি 8 >

1 তখন রাজা শলোমন দায়ূদ শহর, অর্থাৎ সিয়োন থেকে সদাপ্রভুর নিয়ম সিন্দুকটি নিয়ে আসবার জন্য ইস্রায়েলের প্রাচীনেরা, গোষ্ঠী সর্দারদের ও ইস্রায়েলীয় বংশের প্রধান লোকদের যিরূশালেমে তাঁর কাছে উপস্থিত করলেন।
राजा शलोमोन ने येरूशलेम में इस्राएल के सभी पुरनियों को, गोत्र प्रमुखों और पूर्वजों के परिवारों के प्रधानों को आमंत्रित किया. ये सभी राजा शलोमोन के सामने येरूशलेम में इकट्‍ठे हो गए, कि याहवेह की वाचा के संदूक को दावीद के नगर अर्थात् ज़ियोन से लाया जा सके.
2 তাতে এথানীম মাসে, অর্থাৎ সপ্তম মাসে পর্বের দিনের ইস্রায়েলের ঐ সমস্ত লোক রাজা শলোমনের কাছে জড়ো হলেন।
सातवें महीने, एथनिम नामक महीने में, उस उत्सव के अवसर पर, सारी इस्राएली प्रजा राजा शलोमोन के सामने इकट्ठी हुई.
3 ইস্রায়েলের সমস্ত প্রাচীনেরা উপস্থিত হলে পর যাজকরা সিন্দুকটি তুলে নিলেন।
तब इस्राएल के सभी प्राचीन सामने आए, और पुरोहितों ने संदूक को उठाया.
4 তাঁরা এবং লেবীয়েরা সদাপ্রভুর সিন্দুক, মিলন তাঁবু এবং সমস্ত পবিত্র পাত্র বয়ে নিয়ে আসলেন।
पुरोहित और लेवी याहवेह के संदूक, मिलापवाला तंबू और उसमें रखे हुए सभी पवित्र बर्तन अपने साथ ले आए थे.
5 রাজা শলোমন ও তাঁর কাছে জড়ো হওয়া সমস্ত ইস্রায়েলীয়েরা সিন্দুকটির সামনে এত ভেড়া ও গরু উৎসর্গ করলেন যে, সেগুলোর সংখ্যা গোনা গেল না।
राजा शलोमोन और इस्राएल की सारी सभा, जो उस समय उनके साथ वहां संदूक के सामने इकट्ठी हुई थी, इतनी बड़ी संख्या में भेड़ें और बछड़े बलि कर रहे थे, कि उनकी गिनती असंभव हो गई.
6 তারপর যাজকেরা সদাপ্রভুর নিয়ম সিন্দুকটি নির্দিষ্ট জায়গায়, উপাসনা ঘরের ভিতরের কামরায়, অর্থাৎ মহাপবিত্র স্থানে করূবদের ডানার নীচে নিয়ে রাখলেন।
इसके बाद पुरोहितों ने याहवेह की वाचा के संदूक को लाकर उसके लिए निर्धारित स्थान पर, भवन के भीतरी कमरे में, परम पवित्र स्थान में करूबों के पंखों के नीचे रख दिया,
7 তাতে করূবদের মেলে দেওয়া ডানায় সিন্দুক ও তা বহন করবার ডাণ্ডাগুলো ঢাকা পড়ল।
क्योंकि करूब संदूक के लिए तय स्थान पर अपने पंख फैलाए हुए थे. यह ऐसा प्रबंध था कि करूबों के पंख संदूक को उसके उठाने के लिए बनाई गई बल्लियों को आच्छादित करें.
8 এই ডাণ্ডাগুলো এত লম্বা ছিল যে, সেগুলোর মাথা ভিতরের কামরার সামনের প্রধান কামরা, অর্থাৎ পবিত্র স্থান থেকে দেখা যেত, কিন্তু পবিত্র স্থানের বাইরে থেকে দেখা যেত না। সেগুলো আজও সেখানে রয়েছে।
ये डंडे इतने लंबे थे, कि संदूक के इन डंडों को भीतरी कमरे से देखा जा सकता था, मगर इसके बाहर से नहीं. आज तक वे इसी स्थिति में हैं.
9 ইস্রায়েলীয়েরা মিশর দেশ থেকে বের হয়ে আসবার পর সদাপ্রভু হোরেব পাহাড়ে তাদের জন্য যখন ব্যবস্থা স্থাপন করেছিলেন তখন মোশি সিন্দুকের মধ্যে যে পাথরের ফলক দুটি রেখেছিলেন সেই দুটি ছাড়া আর কিছুই তার মধ্যে ছিল না।
संदूक में पत्थर के उन दो पट्टियों के अलावा कुछ न था, जिन्हें मोशेह ने होरेब पर्वत पर उसमें रख दी थी, जहां याहवेह ने इस्राएल से वाचा बांधी थी, जब वे मिस्र देश से बाहर आए थे.
10 ১০ পবিত্র স্থান থেকে যাজকেরা বের হয়ে আসবার পরেই সদাপ্রভুর ঘরের ভিতরটা মেঘে ভরে গেল।
जैसे ही पुरोहित पवित्र स्थान से बाहर आए, याहवेह के भवन में बादल समा गया.
11 ১১ সেই মেঘের জন্য যাজকেরা সেবা কাজ করতে পারলেন না, কারণ সদাপ্রভুর মহিমায় তাঁর ঘরটা পরিপূর্ণ হয়ে গিয়েছিল।
इसके कारण अपनी सेवा पूरी करने के लिए पुरोहित वहां ठहरे न रह सके, क्योंकि याहवेह के तेज से अपना भवन भर गया था.
12 ১২ তখন শলোমন বললেন, “সদাপ্রভু, তুমি বলেছিলে তুমি ঘন অন্ধকারে বাস করবে।
तब शलोमोन ने यह कहा: “याहवेह ने यह प्रकट किया है कि वह घने बादल में रहना सही समझते हैं.
13 ১৩ কিন্তু আমি এখন তোমার জন্য একটা উঁচু বাসস্থান তৈরী করেছি; এটা হবে তোমার চিরকালের বাসস্থান।”
निश्चय आपके लिए मैंने एक ऐसा भव्य भवन बनवाया है, कि आप उसमें हमेशा रहें.”
14 ১৪ এই বলে রাজা জড়ো হওয়া সমস্ত ইস্রায়েলীয়দের দিকে ঘুরে তাদের আশীর্বাদ করলেন। তখন লোকেরা দাঁড়িয়ে ছিল।
यह कहकर राजा ने सारी इस्राएली प्रजा की ओर होकर उनको आशीर्वाद दिया, इस अवसर पर सारी इस्राएली सभा खड़ी हुई थी.
15 ১৫ তারপর তিনি বললেন, “ইস্রায়েলের ঈশ্বর সদাপ্রভুর গৌরব হোক। তিনি আমার বাবা দায়ূদের কাছে নিজের মুখে যা প্রতিজ্ঞা করেছিলেন তা নিজেই পূর্ণ করলেন। তিনি বলেছিলেন,
राजा ने उन्हें कहा: “याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर, जिन्होंने अपने हाथों से वह पूरा कर दिखाया, जो उन्होंने अपने मुख से मेरे पिता दावीद से कहा था,
16 ১৬ ‘আমার লোক ইস্রায়েলীয়দের মিশর থেকে বের করে আনবার পর আমি ইস্রায়েলীয়দের কোনো গোষ্ঠীর শহর বেছে নিই নি যেখানে নিজেকে প্রকাশ করবার জন্য বাসস্থান হিসাবে একটা ঘর তৈরী করা যায়। কিন্তু আমার লোক ইস্রায়েলীয়দের শাসন করবার জন্য আমি দায়ূদকে বেছে নিয়েছি।’
‘जिस दिन से मैंने अपनी प्रजा इस्राएली गोत्रों में से किसी भी नगर को इस उद्देश्य से नहीं चुना कि वहां मेरा नाम प्रतिष्ठित हो. हां, मैंने दावीद को अपनी प्रजा इस्राएल का शासक होने के लिए चुना.’
17 ১৭ ইস্রায়েলের ঈশ্বর সদাপ্রভুর নাম একটা ঘর তৈরী করবার ইচ্ছা আমার বাবা দায়ূদের অন্তরে ছিল।
“मेरे पिता दावीद की इच्छा थी कि वह याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर की महिमा के लिए एक भवन बनवाएं.
18 ১৮ কিন্তু সদাপ্রভু আমার বাবা দায়ূদকে বলেছিলেন, ‘আমার নামের একটা ঘর তৈরী করবার ইচ্ছা যে তোমার অন্তরে আছে তা ভাল।
किंतु याहवेह ने मेरे पिता दावीद से कहा, ‘तुम्हारे मन में मेरे लिए भवन के निर्माण का आना एक उत्तम विचार है;
19 ১৯ তবে ঘরটি তুমি তৈরী করবে না, করবে তোমার ছেলে, যে তোমার নিজের সন্তান। সেই আমার জন্য সেই ঘর তৈরী করবে।’
फिर भी, इस भवन को तुम नहीं, बल्कि वह पुत्र, जो तुमसे पैदा होगा, मेरी महिमा के लिए वही भवन बनाएगा.’
20 ২০ সদাপ্রভু তাঁর প্রতিজ্ঞা রক্ষা করেছেন। আমার বাবা যে পদে ছিলেন আমি সেই পদ পেয়েছি। সদাপ্রভুর প্রতিজ্ঞা অনুসারে আমি ইস্রায়েলের সিংহাসনে বসেছি এবং ইস্রায়েলের ঈশ্বর সদাপ্রভুর নামের জন্য আমি এই ঘরটি তৈরী করেছি।
“आज याहवेह ने अपनी प्रतिज्ञा पूरी की है. क्योंकि अब, जैसे याहवेह ने प्रतिज्ञा की थी, और मैंने याहवेह इस्राएल के परमेश्वर की महिमा के लिए इस भवन को बनवाया है.
21 ২১ আমি সেখানে সেই নিয়ম সিন্দুকটি রাখবার জায়গা ঠিক করেছি যার মধ্যে রয়েছে সদাপ্রভুর দেওয়া ব্যবস্থা, যা তিনি মিশর থেকে আমাদের পূর্বপুরুষদের বের করে আনবার পর তাঁদের জন্য স্থাপন করেছিলেন।”
इसमें मैंने संदूक के लिए स्थान निर्धारित किया है, जिसमें हमारे पूर्वजों से बांधी गई याहवेह की वाचा रखी है; वह वाचा, जो उन्होंने उनसे उस समय बांधी थी, जब उन्होंने उन्हें मिस्र देश से निकाला था.”
22 ২২ তারপর শলোমন সেখানে জড়ো হওয়া ইস্রায়েলীয়দের সামনে সদাপ্রভুর বেদির কাছে দাঁড়িয়ে স্বর্গের দিকে হাত তুললেন।
इसके बाद शलोमोन सारी इस्राएल सभा के देखते हाथों को स्वर्ग की ओर फैलाकर याहवेह की वेदी के सामने खड़े हो गए.
23 ২৩ তিনি বললেন, “হে সদাপ্রভু ইস্রায়েলের ঈশ্বর, উপরে স্বর্গে কিম্বা নীচে পৃথিবীতে তোমার মত ঈশ্বর আর কেউ নেই। তোমার যে দাসেরা মনে প্রাণে তোমার পথে চলে তুমি তাদের পক্ষে তোমার অটল ভালবাসার ব্যবস্থা রক্ষা করে থাক।
उस समय उनके वचन ये थे: “याहवेह इस्राएल के परमेश्वर, आपके तुल्य परमेश्वर न तो कोई ऊपर स्वर्ग में है, और न यहां नीचे धरती पर, जो अपने उन सेवकों पर अपना अपार प्रेम दिखाते हुए अपनी वाचा को पूर्ण करता है, जिनका जीवन आपके प्रति पूरी तरह समर्पित है.
24 ২৪ তোমার দাস আমার বাবা দায়ূদের কাছে তুমি যে প্রতিজ্ঞা করেছিলে তা তুমি রক্ষা করেছ। তুমি মুখে যা বলেছ কাজেও তা করেছ, আর আজকে আমরা তা দেখতে পাচ্ছি।
आपने अपने सेवक, मेरे पिता दावीद को जो वचन दिया था, उसे पूरा किया है. आज आपने अपने शब्द को सच्चाई में बदल दिया है. आपके सेवक दावीद से की गई अपनी वह प्रतिज्ञा पूरी करें, जो आपने उनसे इन शब्दों में की थी.
25 ২৫ এখন হে ইস্রায়েলের ঈশ্বর সদাপ্রভু, তোমার দাস আমার বাবা দায়ূদের কাছে তুমি যে প্রতিজ্ঞা করেছিলে তা রক্ষা কর। তুমি বলেছিলে যদি কেবলমাত্র আমার সামনে তুমি যেমন চলেছ তেমনি তোমার বংশধরেরা আমার সামনে চলবার জন্য নিজের নিজের পথে সচেতন থাকে;
“अब इस्राएल के परमेश्वर, याहवेह, आपके सेवक मेरे पिता दावीद के लिए अपनी यह प्रतिज्ञा पूरी कीजिए. ‘मेरे सामने इस्राएल के सिंहासन पर तुम्हारे उत्तराधिकारी की कोई कमी न होगी, सिर्फ यदि तुम्हारे पुत्र सावधानीपूर्वक मेरे सामने अपने आचरण के विषय में सच्चे रहें; ठीक जिस प्रकार तुम्हारा आचरण मेरे सामने सच्चा रहा है.’
26 ২৬ তবে এখন, হে ইস্রায়েলের ঈশ্বর, যে প্রতিজ্ঞা তুমি তোমার দাস আমার বাবা দায়ূদের কাছে করেছিলে তা সফল হোক।
इसलिये अब, इस्राएल के परमेश्वर अपने सेवक, मेरे पिता दावीद से की गई प्रतिज्ञा पूरी कीजिए.
27 ২৭ কিন্তু সত্যিই কি ঈশ্বর পৃথিবীতে বাস করবেন? মহাকাশে, এমন কি, মহাকাশের সমস্ত জায়গা জুড়েও যখন তোমার জায়গা কম হয় তখন আমার তৈরী এই ঘরে কি তোমার জায়গা হবে?
“मगर क्या वास्तव में परमेश्वर पृथ्वी पर रहेंगे? स्वर्ग, हां, सबसे ऊंचा स्वर्ग भी आपको समाकर नहीं रख सकता, तो भला मेरे द्वारा बनाए गए भवन में यह कैसे संभव हो सकता है!
28 ২৮ তবুও হে আমার ঈশ্বর সদাপ্রভু, তোমার দাসের প্রার্থনা ও অনুরোধে তুমি কান দাও। তোমার দাস আজ তোমার কাছে কাকুতি মিনতি ও প্রার্থনা করছে তা তুমি শোন।
फिर भी अपने सेवक की विनती और प्रार्थना का ध्यान रखिए. याहवेह, मेरे परमेश्वर, इस दोहाई को, इस गिड़गिड़ाहट को सुन लीजिए, जो आपका सेवक आपके सामने आज प्रस्तुत कर रहा है,
29 ২৯ যে জায়গার বিষয় তুমি বলেছ, ‘এই জায়গায় আমার বাসস্থান হবে,’ সেই জায়গার দিকে, অর্থাৎ এই উপাসনা ঘরের দিকে তোমার চোখ দিন রাত খোলা থাকুক; আর এই জায়গার দিকে ফিরে তোমার দাস যখন প্রার্থনা করবে তখন তুমি তা শুনো।
कि इस भवन की ओर आपकी दृष्टि रात और दिन लगी रहे. इस भवन पर, जिसके विषय में आपने कहा था, ‘मेरी प्रतिष्ठा वहां बनी रहेगी,’ कि आप उस प्रार्थना को सुन सकें, जो आपका सेवक इस ओर होकर कर रहा है.
30 ৩০ এই জায়গার দিকে ফিরে তোমার দাস ও তোমার লোক ইস্রায়েলীয়েরা যখন অনুরোধ করবে তখন তাতে তুমি কান দিয়ো। তোমার বাসস্থান স্বর্গ থেকে তা তুমি শুনো এবং তাদের ক্ষমা কোরো।
अपने सेवक और अपनी प्रजा इस्राएल की विनती सुन लीजिए, जब वे इस स्थान की ओर मुंह कर आपसे करते हैं, और स्वर्ग, अपने घर में इसे सुनें और जब आप यह सुनें, आप उन्हें क्षमा प्रदान करें.
31 ৩১ কোনো লোককে প্রতিবেশীর বিরুদ্ধে পাপ করলে তার নিজের উপর অভিশাপ ডেকে আনবার জন্য যদি তাকে শপথ করতে বাধ্য করা হয় এবং সে গিয়ে তোমার এই ঘরের বেদির সামনে সেই শপথ করে,
“जब कोई व्यक्ति अपने पड़ोसी के विरुद्ध पाप करता है, और उसे शपथ लेने के लिए विवश किया जाता है और वह आकर इस भवन में आपकी वेदी के सामने शपथ लेता है,
32 ৩২ তবে তুমি স্বর্গ থেকে সেই কথা শুনো এবং সাড়া দাও। তখন তোমার দাসদের তুমি বিচার করে দোষীর কাজের ফল তার মাথায় চাপিয়ে দিয়ে তাকে দোষী বলে প্রমাণ কোরো আর ধার্ম্মিককে তার কাজ অনুসারে ফল দিয়ে তাকে ধার্মিক বলে প্রমাণ কোরো।
तब आप स्वर्ग से सुनें, और अपने सेवकों का न्याय करें, दुराचारी का दंड उसके दुराचार को उसी पर प्रभावी करने के द्वारा दें, और सदाचारी को उसके सदाचार का प्रतिफल देने के द्वारा.
33 ৩৩ তোমার বিরুদ্ধে পাপ করবার দরুন যখন তোমার লোক ইস্রায়েলীয়েরা শত্রুর কাছে হেরে গিয়ে যদি আবার তোমার কাছে ফিরে আসে এবং এই উপাসনা ঘরে তোমার নাম স্বীকার করে তোমার কাছে প্রার্থনা ও অনুরোধ করবে,
“जब आपकी प्रजा इस्राएल उनके शत्रुओं द्वारा इसलिये हार जाती है, कि उन्होंने आपके विरुद्ध पाप किया है और वे दोबारा आपकी ओर लौट आते हैं, आपके नाम की दोहाई देते हुए प्रार्थना करते हैं, और इस भवन में आपसे विनती करते हैं,
34 ৩৪ তখন স্বর্গ থেকে তুমি তা শুনো এবং নিজের লোক ইস্রায়েলীয়দের পাপ ক্ষমা করে যে দেশ তুমি তাদের পূর্বপুরুষদের দিয়েছ সেখানে আবার তাদের ফিরিয়ে নিয়ে এসো।
तब स्वर्ग से यह सुनकर अपनी प्रजा इस्राएल का पाप क्षमा कर दीजिए, और उन्हें उस देश में लौटा ले आइए, जो आपने उन्हें और उनके पूर्वजों को दिया है.
35 ৩৫ তোমার বিরুদ্ধে তোমার লোকদের পাপ করবার দরুন যখন আকাশ বন্ধ হয়ে বৃষ্টি পড়বে না, তখন তারা যদি এই জায়গার দিকে ফিরে তোমার গৌরব করে ও তোমার কাছে প্রার্থনা করে এবং তোমার কাছ থেকে কষ্ট পেয়ে পাপ থেকে ফেরে,
“जब आप बारिश इसलिये रोक दें कि आपकी प्रजा ने आपके विरुद्ध पाप किया है और फिर, जब वे इस स्थान की ओर फिरकर प्रार्थना करें और आपके प्रति सच्चे हो, जब आप उन्हें सताएं, और वे पाप से फिर जाएं;
36 ৩৬ তবে তুমি স্বর্গ থেকে তা শুনো এবং তোমার দাসদের, অর্থাৎ তোমার লোক ইস্রায়েলীয়দের পাপ ক্ষমা করে দিয়ো। জীবনে ঠিক ভাবে সৎ পথে চলতে তাদের শিক্ষা দিয়ো এবং সম্পত্তি হিসাবে যে দেশ তুমি তাদের দিয়েছ সেই দেশের উপর বৃষ্টি দিয়ো।
तब स्वर्ग में अपने सेवकों और अपनी प्रजा इस्राएल की दोहाई सुनकर उनका पाप क्षमा कर दें. आप उन्हें उन अच्छे मार्ग पर चलने की शिक्षा दें. फिर अपनी भूमि पर बारिश भेजें; उस भूमि पर जिसे आपने उत्तराधिकार के रूप में अपनी प्रजा को प्रदान किया है.
37 ৩৭ যদি দেশে দূর্ভিক্ষ কিম্বা মহামারী দেখা দেয়, যদি ফসল শুকিয়ে যাওয়া রোগ কিম্বা ছাতাপড়া রোগ হয়, যদি ফসলে শুঁয়াপোকা বা পঙ্গপাল লাগে, যদি শত্রু তাদের কোনো শহর ঘেরাও করে, যে কোনো রকম মহামারী কিম্বা রোগ দেখা দিক না কেন,
“जब देश में अकाल का प्रकोप हो जाए, यदि यहां महामारी हो जाए, पाला पड़े, अथवा उपज में गेरुआ रोग लग जाए, टिड्डियों अथवा इल्लियों का आक्रमण हो जाए, यदि शत्रु उन्हीं के देश में, उन्हीं के द्वार के भीतर उन्हें बंदी बना ले, कोई भी महामारी हो, कोई भी व्याधि हो,
38 ৩৮ তখন যদি তোমার লোক ইস্রায়েলীয়দের কেউ অনুতপ্ত হয়ে মনের কষ্টে এই উপাসনা ঘরের দিকে হাত বাড়িয়ে কোনো প্রার্থনা বা অনুরোধ করে,
कैसी भी प्रार्थना की जाए, किसी भी व्यक्ति या सारे इस्राएल देश द्वारा हर एक अपनी हृदय वेदना को पहचानते हुए जब अपना हाथ इस भवन की ओर बढ़ाए,
39 ৩৯ তবে তোমার বাসস্থান স্বর্গ থেকে তুমি তা শুনো। তুমি তাকে ক্ষমা কোরো ও সাড়া দিও; তার সব কাজ অনুসারে বিচার কোরো, কারণ তুমি তো তার হৃদয়ের অবস্থা জান, কেবল তুমিই সমস্ত মানুষের হৃদয় জান।
तब अपने घर स्वर्ग में यह सुनकर क्षमा प्रदान करें, और हर एक को, जिसके हृदय को आप जानते हैं, उसके सभी कामों के अनुसार प्रतिफल दें; क्योंकि आप—सिर्फ आप—हर एक मानव हृदय को जानते हैं,
40 ৪০ তুমি এটাই কোরো যাতে আমাদের পূর্বপুরুষদের তুমি যে দেশ দিয়েছ সেখানে সারা জীবন তোমার লোকেরা তোমাকে ভয় করে চলে।
कि वे इस देश में जो आपने उनके पूर्वजों को प्रदान किया है, रहते हुए आपके प्रति आजीवन श्रद्धा बनाए रखें.
41 ৪১ এছাড়া তোমার লোক ইস্রায়েলীয় নয় এমন কোনো বিদেশী তোমার মহান নাম এবং তোমার শক্তিশালী হাত
“इसी प्रकार जब कोई परदेशी, जो आपकी प्रजा इस्राएल में से नहीं है, आपका नाम सुनकर दूर देश से यहां आता है,
42 ৪২ ও বাড়িয়ে দেওয়া হাতের কথা শুনে তোমার উপাসনার জন্য যখন দূর দেশ থেকে এসে এই উপাসনা ঘরের দিকে ফিরে প্রার্থনা করবে,
क्योंकि आपकी महिमा आपके महाकार्य और आपकी महाशक्ति के विषय में सुनकर वे यहां ज़रूर आएंगे; तब, जब वह विदेशी यहां आकर इस भवन की ओर होकर प्रार्थना करे,
43 ৪৩ তখন তোমার বাসস্থান স্বর্গ থেকে তুমি তা শুনো। সে যা চায় তার জন্য তা কোরো যেন পৃথিবীর সমস্ত লোক তোমাকে জানতে পারে এবং তোমার নিজের লোক ইস্রায়েলীয়দের মত তারাও তোমাকে ভয় করতে পারে আর জানতে পারে যে, আমার তৈরী এই ঘর তোমারই ঘর।
अपने आवास स्वर्ग में सुनकर उन सभी विनतियों को पूरा करें, जिसकी याचना उस परदेशी ने की है, कि पृथ्वी के सभी मनुष्यों को आपकी महिमा का ज्ञान हो जाए, उनमें आपके प्रति भय जाग जाए; जैसा आपकी प्रजा इस्राएल में है, और उन्हें यह अहसास हो जाए कि यह आपकी महिमा में मेरे द्वारा बनाया गया भवन है.
44 ৪৪ তুমি যখন তোমার লোকদের তাদের শত্রুদের বিরুদ্ধে যুদ্ধ করতে পাঠাবে তখন তারা যেখানেই থাকুক না কেন সেখান থেকে যদি তোমার বেছে নেওয়া এই শহরের দিকে ও তোমার জন্য আমার তৈরী এই ঘরের দিকে ফিরে প্রার্থনা করে,
“जब आपकी प्रजा अपने शत्रु के विरुद्ध बाहर जाए, चाहे आप उन्हें किसी भी मार्ग से भेजें; जब वे आपके द्वारा चुने गए इस नगर और मेरे द्वारा आपकी महिमा में बनाए गए इस भवन की ओर होकर, हे प्रभु याहवेह, आपसे प्रार्थना करें,
45 ৪৫ তবে স্বর্গ থেকে তুমি তাদের প্রার্থনা ও অনুরোধ শুনো এবং তাদের বিষয়ে সাহায্য কর।
तब स्वर्ग में उनकी प्रार्थना और अनुरोध सुनकर उनके पक्ष में निर्णय की जायें.
46 ৪৬ তারা যখন তোমার বিরুদ্ধে পাপ করবে অবশ্য পাপ করে না এমন লোক নেই আর তুমি তাদের উপর অসন্তুষ্ট হয়ে শত্রুর হাতে তাদের তুলে দেবে ও শত্রুরা তাদের বন্দী করে কাছে বা দূরে তাদের নিজেদের দেশে নিয়ে যাবে,
“यदि वे आपके विरुद्ध पाप करें—क्योंकि ऐसा कोई भी नहीं जो पाप नहीं करता—और आप उन पर क्रुद्ध हो जाएं, और उन्हें शत्रु के अधीन कर दें कि उन्हें बंदी बनाकर शत्रु के देश ले जाया जाए, दूर देश अथवा निकट,
47 ৪৭ তখন বন্দী হয়ে থাকা সেই দেশে যদি তারা মন ফেরায় এবং অনুতপ্ত হয়ে তোমাকে অনুরোধ করে বলে, ‘আমরা পাপ করেছি, অন্যায় করেছি এবং মন্দভাবে চলেছি,’ তবে তুমি তাদের প্রার্থনা শুনো।
फिर भी यदि वे उस बंदिता के देश में चेत कर पश्चाताप करें, और अपने बंधुआई के देश में यह कहते हुए दोहाई दें, ‘हमने पाप किया है, हमने कुटिलता और दुष्टता भरे काम किए हैं,’
48 ৪৮ ঐ দেশে যদি তারা মনে প্রাণে তোমার দিকে ফেরে এবং তাদের পূর্বপুরুষদের যে দেশ তুমি দিয়েছ সেই দেশের দিকে, তোমার বেছে নেওয়া শহরের দিকে, তোমার জন্য আমার তৈরী এই ঘরের দিকে ফিরে তোমার কাছে প্রার্থনা করে,
यदि वे अपने शत्रुओं के देश में ही, जिन्होंने उन्हें बंदी बना रखा है, पूरे मन और पूरे हृदय से पश्चाताप करें, अपने देश की ओर होकर प्रार्थना करें, जो देश आपने उनके पूर्वजों को दिया है, इस नगर की ओर, जिसे आपने चुना है और जो भवन मैंने आपकी महिमा में बनवाया है,
49 ৪৯ তবে তুমি তোমার বাসস্থান স্বর্গ থেকে তাদের প্রার্থনা ও অনুরোধ শুনো এবং তাদের বিষয়ে সাহায্য কর।
तब अपने घर स्वर्ग में उनकी प्रार्थना सुन लीजिए और उनका न्याय कीजिए,
50 ৫০ আর তোমার যে লোকেরা তোমার বিরুদ্ধে পাপ করেছে সেই লোকদের তুমি ক্ষমা কোরো এবং তোমার বিরুদ্ধে করা তাদের সমস্ত দোষও ক্ষমা করো। তাদের যারা বন্দী করে নিয়ে গেছে সেই লোকদের মন এমন করো যাতে তারা তাদের প্রতি দয়া করে;
और अपनी प्रजा को क्षमा कीजिए, जिन्होंने आपके विरुद्ध पाप किया है. उन्हें उनकी दृष्टि में कृपा प्रदान करें, जिन्होंने उन्हें बंदी बना रखा है, कि वे उनकी कृपा के पात्र हो जाएं.
51 ৫১ কারণ ইস্রায়েলীয়েরা তো তোমারই লোক, তোমারই সম্পত্তি যাদের তুমি মিশর থেকে উদ্ধার করে এনেছ, লোহা গলানো চুল্লীর ভিতর থেকে বের করে এনেছ।
क्योंकि वे आप ही के लोग हैं, आप ही की संपत्ति, जिन्हें आप मिस्र देश से, लोहा गलाने की भट्टी में से, निकालकर लाए हैं.
52 ৫২ তোমার দাসের ও তোমার লোক ইস্রায়েলীয়দের অনুরোধের প্রতি তুমি মনোযোগ দিয়ো, আর যখন তারা তোমাকে ডাকবে তখন তুমি তাদের কথা শুনো।
“आपकी आंखें आपके सेवक की और आपकी प्रजा इस्राएल की प्रार्थना के लिए खुली रहें कि वे जब भी आपको पुकारें, आप उनकी सुन लें.
53 ৫৩ হে প্রভু সদাপ্রভু, আমাদের পূর্বপুরুষদের মিশর থেকে বের করে আনবার দিন তোমার দাস মোশির মধ্য দিয়ে তোমার ঘোষণা অনুসারে তোমার নিজের সম্পত্তি হবার জন্য জগতের সমস্ত জাতির মধ্য থেকে তুমি ইস্রায়েলীয়দের আলাদা করে নিয়েছ।”
प्रभु याहवेह, जैसा आपने अपने सेवक मोशेह के द्वारा भेजा, जब आप हमारे पूर्वजों को मिस्र देश से बाहर ला रहे थे, आपने इन्हें विश्व के सभी जनताओं से अलग किया कि वे आपके मीरास होकर रहें.”
54 ৫৪ সদাপ্রভুর কাছে এই সব প্রার্থনা ও মিনতি শেষ করবার পর শলোমন সদাপ্রভুর যজ্ঞবেদীর সামনে থেকে উঠলেন; এতক্ষণ তিনি হাঁটু পেতে স্বর্গের দিকে হাত বাড়িয়ে ছিলেন।
जब शलोमोन यह प्रार्थना और विनती याहवेह से कर चुके, वह याहवेह की वेदी के सामने से उठे, जहां वह घुटने टेक स्वर्ग की ओर अपने हाथ बढ़ाए हुए थे,
55 ৫৫ তিনি উঠে দাঁড়িয়ে জড়ো হওয়া সমস্ত ইস্রায়েলীয়দের জোর গলায় এই বলে আশীর্বাদ করলেন,
उन्होंने खड़े होकर पूरी इस्राएली सभा के लिए ऊंची आवाज में ये आशीर्वाद दिया:
56 ৫৬ “ধন্য সদাপ্রভু, যিনি তাঁর নিজের প্রতিজ্ঞা অনুসারে তাঁর লোক ইস্রায়েলীয়দের বিশ্রাম দিয়েছেন। তাঁর দাস মোশির মধ্য দিয়ে তিনি যে সব মঙ্গল করবার প্রতিজ্ঞা করেছিলেন তার একটা কথাও পতিত হয়নি।
“धन्य हैं याहवेह, जिन्होंने अपनी सभी प्रतिज्ञाओं के अनुसार अपनी प्रजा इस्राएल को शांति दी है. उनके सेवक मोशेह द्वारा दी गई उनकी सभी भली प्रतिज्ञाओं में से एक भी पूरी हुई बिना नहीं रही है.
57 ৫৭ আমাদের ঈশ্বর সদাপ্রভু যেমন আমাদের পূর্বপুরুষদের সঙ্গে ছিলেন তেমনি তিনি আমাদের সঙ্গেও থাকুন। তিনি যেন কখনও আমাদের ছেড়ে না যান কিম্বা ছেড়ে না দেন।
याहवेह हमारे परमेश्वर हमारे साथ रहें, जैसे वह हमारे पूर्वजों के साथ रहे थे. ऐसा कभी न हो कि वह हमें त्याग दें, हमें भुला दें,
58 ৫৮ আমরা তাঁর সব পথে চলবার জন্য এবং আমাদের পূর্বপুরুষদের কাছে তিনি যে সব আদেশ, নিয়ম ও নির্দেশ দিয়েছিলেন তা মেনে চলবার জন্য তিনি আমাদের হৃদয় তাঁর প্রতি বিশ্বস্ত রাখুন।
कि वह हमारे हृदय अपनी ओर लगाए रखें, कि हम उन्हीं के मार्गों पर चलें और उनके आदेशों, नियमों और विधियों का पालन करें; जिन्हें उन्होंने हमारे पूर्वजों को सौंपा था.
59 ৫৯ আমি যে সব কথা বলে সদাপ্রভুর কাছে প্রার্থনা করেছি তা দিন রাত আমাদের ঈশ্বর সদাপ্রভুর সামনে থাকুক যাতে তিনি তাঁর নিজের দাসের ও তাঁর লোক ইস্রায়েলীয়দের প্রতিদিনের র প্রয়োজন অনুসারে ব্যবস্থা করেন।
मेरे ये शब्द, जिन्हें मैंने याहवेह तक अपनी विनती करने के लिए इस्तेमाल किया है, रात-दिन याहवेह, हमारे परमेश्वर के निकट बने रहें और दिन की आवश्यकता के अनुसार वह अपने सेवक और अपनी प्रजा इस्राएल के पक्ष में अपना निर्णय दें,
60 ৬০ এতে পৃথিবীর সমস্ত জাতিই জানতে পারবে যে, সদাপ্রভুই ঈশ্বর এবং তিনি ছাড়া ঈশ্বর আর কেউ নেই।
कि पृथ्वी पर सभी को यह मालूम हो जाए कि याहवेह ही परमेश्वर हैं, दूसरा कोई नहीं.
61 ৬১ অতএব আজকে যেমন সদাপ্রভুর নিয়ম ও আদেশ মেনে চলবার জন্য তোমাদের হৃদয় সম্পূর্ণভাবে আমাদের ঈশ্বর সদাপ্রভুর দিকে আছে তেমনি সব দিন থাকুক।”
तुम्हारा हृदय याहवेह हमारे परमेश्वर के प्रति पूरी तरह सच्चा बना रहे, और तुम उनके नियमों और उनके आदेशों को पालन करते रहो—जैसा तुम यहां आज कर रहे हो.”
62 ৬২ তারপর রাজা ও তাঁর সঙ্গে সমস্ত ইস্রায়েলীয়েরা সদাপ্রভুর প্রতি বলিদান উৎসর্গ করলেন।
तब राजा और सारे इस्राएल ने उनके साथ याहवेह के सामने बलि चढ़ाई.
63 ৬৩ সদাপ্রভুর জন্য শলোমন বাইশ হাজার গরু ও এক লক্ষ কুড়ি হাজার ভেড়া দিয়ে মঙ্গলার্থক বলিদান করলেন। এই ভাবে রাজা ও সমস্ত ইস্রায়েলীয় সদাপ্রভুর ঘর প্রতিষ্ঠা করলেন।
शलोमोन ने 22,000 बछड़े और 1,20,000 भेड़ें मेल बलि के रूप में चढ़ाईं. इस प्रकार राजा और सारी इस्राएल प्रजा ने याहवेह के भवन को समर्पित किया.
64 ৬৪ সেই একই দিনের রাজা সদাপ্রভুর ঘরের সামনের উঠানের মাঝখানের অংশ সদাপ্রভুর উদ্দেশ্যে আলাদা করলেন। সেখানে তিনি হোমবলি ও শস্য উৎসর্গের বলিদান দিলেন এবং মঙ্গলার্থক বলির চর্বি উৎসর্গ করলেন, কারণ সদাপ্রভুর সামনে থাকা পিতলের বেদীটা এই সব উৎসর্গের অনুষ্ঠান করবার জন্য ছোট ছিল।
उसी समय राजा ने याहवेह के भवन के सामने के बीचवाले आंगन को समर्पित किया, क्योंकि उसी स्थान पर उन्होंने होमबलि, अन्‍नबलि और मेल बलि की चर्बी के लिए वह कांसे की वेदी बहुत ही छोटी पड़ रही थी.
65 ৬৫ এই ভাবে শলোমন ও তাঁর সঙ্গে সমস্ত ইস্রায়েলীয়েরা সেই দিন আমাদের ঈশ্বর সদাপ্রভুর সামনে সাত দিন ও আরও সাত দিন, মোট চৌদ্দ দিন ধরে একটা উৎসব করলেন। তারা ছিল এক বিরাট জনসংখ্যা; তারা হমাতের শহরে ঢোকার জায়গা থেকে মিশরের ছোট নদী পর্যন্ত সমস্ত এলাকা থেকে এসে যোগ দিয়েছিল।
शलोमोन ने इस अवसर पर एक भोज दिया. इसमें सारा इस्राएल शामिल हुआ. यह बहुत ही बड़ा सम्मेलन था, जिसमें लेबो हामाथ से लेकर मिस्र देश की नदी तक से लोग आए हुए थे. वे याहवेह, हमारे परमेश्वर के सामने सात दिन तक रहे.
66 ৬৬ অষ্টম দিনের তিনি লোকদের বিদায় দিলেন। সদাপ্রভু তাঁর দাস দায়ূদ ও তাঁর লোক ইস্রায়েলীয়দের প্রতি যে সব মঙ্গল করেছেন তার জন্য আনন্দিত ও খুশী হয়ে লোকেরা রাজাকে ধন্যবাদ দিয়ে নিজের নিজের বাড়ি চলে গেল।
आठवें दिन राजा ने सभा को विदा किया. प्रजा ने राजा के लिए शुभकामनाओं के शब्द कहे और बहुत ही आनंद के साथ अपने-अपने घर लौट गए. उनके आनंद का विषय था याहवेह द्वारा उनके सेवक दावीद और उनकी प्रजा इस्राएल के ऊपर दिखाई गई दया.

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