< ܠܘܩܘܣ 17 >

ܘܐܡܪ ܗܘܐ ܝܫܘܥ ܠܬܠܡܝܕܘܗܝ ܠܐ ܡܫܟܚܐ ܕܠܐ ܢܐܬܘܢ ܡܟܫܘܠܐ ܘܝ ܕܝܢ ܠܗܘ ܕܒܐܝܕܗ ܢܐܬܘܢ 1
फिर उसने अपने चेलों से कहा, “यह निश्चित है कि वे बातें जो पाप का कारण है, आएँगे परन्तु हाय, उस मनुष्य पर जिसके कारण वे आती है!
ܦܩܚ ܗܘܐ ܠܗ ܐܠܘ ܪܚܝܐ ܕܚܡܪܐ ܬܠܝܐ ܒܨܘܪܗ ܘܫܕܐ ܒܝܡܐ ܐܘ ܕܢܟܫܠ ܠܚܕ ܡܢ ܗܠܝܢ ܙܥܘܪܐ 2
जो इन छोटों में से किसी एक को ठोकर खिलाता है, उसके लिये यह भला होता कि चक्की का पाट उसके गले में लटकाया जाता, और वह समुद्र में डाल दिया जाता।
ܐܙܕܗܪܘ ܒܢܦܫܟܘܢ ܐܢ ܢܚܛܐ ܐܚܘܟ ܟܐܝ ܒܗ ܘܐܢ ܬܐܒ ܫܒܘܩ ܠܗ 3
सचेत रहो; यदि तेरा भाई अपराध करे तो उसे डाँट, और यदि पछताए तो उसे क्षमा कर।
ܘܐܢ ܫܒܥ ܙܒܢܝܢ ܒܝܘܡܐ ܢܤܟܠ ܒܟ ܘܫܒܥ ܙܒܢܝܢ ܒܝܘܡܐ ܢܬܦܢܐ ܠܘܬܟ ܘܢܐܡܪ ܕܬܐܒ ܐܢܐ ܫܒܘܩ ܠܗ 4
यदि दिन भर में वह सात बार तेरा अपराध करे और सातों बार तेरे पास फिर आकर कहे, कि मैं पछताता हूँ, तो उसे क्षमा कर।”
ܘܐܡܪܘ ܫܠܝܚܐ ܠܡܪܢ ܐܘܤܦ ܠܢ ܗܝܡܢܘܬܐ 5
तब प्रेरितों ने प्रभु से कहा, “हमारा विश्वास बढ़ा।”
ܐܡܪ ܠܗܘܢ ܐܢ ܐܝܬ ܗܘܬ ܠܟܘܢ ܗܝܡܢܘܬܐ ܐܝܟ ܦܪܕܬܐ ܕܚܪܕܠܐ ܐܡܪܝܢ ܗܘܝܬܘܢ ܠܬܘܬܐ ܗܢܐ ܕܐܬܥܩܪ ܘܐܬܢܨܒ ܒܝܡܐ ܘܡܫܬܡܥ ܗܘܐ ܠܟܘܢ 6
प्रभु ने कहा, “यदि तुम को राई के दाने के बराबर भी विश्वास होता, तो तुम इस शहतूत के पेड़ से कहते कि जड़ से उखड़कर समुद्र में लग जा, तो वह तुम्हारी मान लेता।
ܡܢܘ ܕܝܢ ܡܢܟܘܢ ܕܐܝܬ ܠܗ ܥܒܕܐ ܕܕܒܪ ܦܕܢܐ ܐܘ ܕܪܥܐ ܥܢܐ ܘܐܢ ܢܐܬܐ ܡܢ ܚܩܠܐ ܐܡܪ ܠܗ ܡܚܕܐ ܥܒܪ ܐܤܬܡܟ 7
“पर तुम में से ऐसा कौन है, जिसका दास हल जोतता, या भेड़ें चराता हो, और जब वह खेत से आए, तो उससे कहे, ‘तुरन्त आकर भोजन करने बैठ’?
ܐܠܐ ܐܡܪ ܠܗ ܛܝܒ ܠܝ ܡܕܡ ܕܐܚܫܡ ܘܐܤܘܪ ܚܨܝܟ ܫܡܫܝܢܝ ܥܕܡܐ ܕܐܠܥܤ ܘܐܫܬܐ ܘܒܬܪܟܢ ܐܦ ܐܢܬ ܬܠܥܤ ܘܬܫܬܐ 8
क्या वह उनसे न कहेगा, कि मेरा खाना तैयार कर: और जब तक मैं खाऊँ-पीऊँ तब तक कमर बाँधकर मेरी सेवा कर; इसके बाद तू भी खा पी लेना?
ܠܡܐ ܛܝܒܘܬܗ ܡܩܒܠ ܕܗܘ ܥܒܕܐ ܕܥܒܕ ܡܕܡ ܕܐܬܦܩܕ ܠܗ ܠܐ ܤܒܪ ܐܢܐ 9
क्या वह उस दास का एहसान मानेगा, कि उसने वे ही काम किए जिसकी आज्ञा दी गई थी?
ܗܟܢܐ ܐܦ ܐܢܬܘܢ ܡܐ ܕܥܒܕܬܘܢ ܟܠܗܝܢ ܐܝܠܝܢ ܕܦܩܝܕܢ ܠܟܘܢ ܐܡܪܘ ܕܥܒܕܐ ܚܢܢ ܒܛܝܠܐ ܕܡܕܡ ܕܚܝܒܝܢ ܗܘܝܢ ܠܡܥܒܕ ܥܒܕܢ 10
१०इसी रीति से तुम भी, जब उन सब कामों को कर चुके हो जिसकी आज्ञा तुम्हें दी गई थी, तो कहो, ‘हम निकम्मे दास हैं; कि जो हमें करना चाहिए था वही किया है।’”
ܘܗܘܐ ܕܟܕ ܐܙܠ ܝܫܘܥ ܠܐܘܪܫܠܡ ܥܒܪ ܗܘܐ ܒܝܬ ܫܡܪܝܐ ܠܓܠܝܠܐ 11
११और ऐसा हुआ कि वह यरूशलेम को जाते हुए सामरिया और गलील प्रदेश की सीमा से होकर जा रहा था।
ܘܟܕ ܩܪܝܒ ܠܡܥܠ ܠܩܪܝܬܐ ܚܕܐ ܐܪܥܘܗܝ ܥܤܪܐ ܐܢܫܝܢ ܓܪܒܐ ܘܩܡܘ ܡܢ ܪܘܚܩܐ 12
१२और किसी गाँव में प्रवेश करते समय उसे दस कोढ़ी मिले।
ܘܐܪܝܡܘ ܩܠܗܘܢ ܘܐܡܪܝܢ ܪܒܢ ܝܫܘܥ ܐܬܪܚܡ ܥܠܝܢ 13
१३और उन्होंने दूर खड़े होकर, ऊँचे शब्द से कहा, “हे यीशु, हे स्वामी, हम पर दया कर!”
ܘܟܕ ܚܙܐ ܐܢܘܢ ܐܡܪ ܠܗܘܢ ܙܠܘ ܚܘܘ ܢܦܫܟܘܢ ܠܟܗܢܐ ܘܟܕ ܐܙܠܝܢ ܐܬܕܟܝܘ 14
१४उसने उन्हें देखकर कहा, “जाओ; और अपने आपको याजकों को दिखाओ।” और जाते ही जाते वे शुद्ध हो गए।
ܚܕ ܕܝܢ ܡܢܗܘܢ ܟܕ ܚܙܐ ܕܐܬܕܟܝ ܗܦܟ ܠܗ ܘܒܩܠܐ ܪܡܐ ܡܫܒܚ ܗܘܐ ܠܐܠܗܐ 15
१५तब उनमें से एक यह देखकर कि मैं चंगा हो गया हूँ, ऊँचे शब्द से परमेश्वर की बड़ाई करता हुआ लौटा;
ܘܢܦܠ ܥܠ ܐܦܘܗܝ ܩܕܡ ܪܓܠܘܗܝ ܕܝܫܘܥ ܟܕ ܡܘܕܐ ܠܗ ܘܗܘ ܗܢܐ ܫܡܪܝܐ ܗܘܐ 16
१६और यीशु के पाँवों पर मुँह के बल गिरकर उसका धन्यवाद करने लगा; और वह सामरी था।
ܥܢܐ ܕܝܢ ܝܫܘܥ ܘܐܡܪ ܠܐ ܗܘܐ ܥܤܪܐ ܗܘܝܢ ܗܠܝܢ ܕܐܬܕܟܝܘ ܐܝܟܐ ܐܢܘܢ ܬܫܥܐ 17
१७इस पर यीशु ने कहा, “क्या दसों शुद्ध न हुए, तो फिर वे नौ कहाँ हैं?
ܠܡܐ ܦܪܫܘ ܕܢܐܬܘܢ ܢܬܠܘܢ ܬܫܒܘܚܬܐ ܠܐܠܗܐ ܐܠܐ ܗܢܐ ܕܡܢ ܥܡܐ ܗܘ ܢܘܟܪܝܐ 18
१८क्या इस परदेशी को छोड़ कोई और न निकला, जो परमेश्वर की बड़ाई करता?”
ܘܐܡܪ ܠܗ ܩܘܡ ܙܠ ܗܝܡܢܘܬܟ ܐܚܝܬܟ 19
१९तब उसने उससे कहा, “उठकर चला जा; तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है।”
ܘܟܕ ܫܐܠܘܗܝ ܠܝܫܘܥ ܡܢ ܦܪܝܫܐ ܐܡܬܝ ܐܬܝܐ ܡܠܟܘܬܗ ܕܐܠܗܐ ܥܢܐ ܘܐܡܪ ܠܗܘܢ ܠܐ ܐܬܝܐ ܡܠܟܘܬܗ ܕܐܠܗܐ ܒܢܛܘܪܬܐ 20
२०जब फरीसियों ने उससे पूछा, कि परमेश्वर का राज्य कब आएगा? तो उसने उनको उत्तर दिया, “परमेश्वर का राज्य प्रगट रूप में नहीं आता।
ܘܠܐ ܐܡܪܝܢ ܗܐ ܗܪܟܐ ܗܝ ܘܗܐ ܗܪ ܬܡܢ ܗܝ ܗܐ ܓܝܪ ܡܠܟܘܬܗ ܕܐܠܗܐ ܠܓܘ ܡܢܟܘܢ ܗܝ 21
२१और लोग यह न कहेंगे, कि देखो, यहाँ है, या वहाँ है। क्योंकि, परमेश्वर का राज्य तुम्हारे बीच में है।”
ܘܐܡܪ ܠܬܠܡܝܕܘܗܝ ܢܐܬܘܢ ܝܘܡܬܐ ܕܬܬܪܓܪܓܘܢ ܠܡܚܙܐ ܚܕ ܡܢ ܝܘܡܬܐ ܕܒܪܗ ܕܐܢܫܐ ܘܠܐ ܬܚܙܘܢ 22
२२और उसने चेलों से कहा, “वे दिन आएँगे, जिनमें तुम मनुष्य के पुत्र के दिनों में से एक दिन को देखना चाहोगे, और नहीं देखने पाओगे।
ܘܐܢ ܢܐܡܪܘܢ ܠܟܘܢ ܗܐ ܗܪܟܐ ܗܘ ܘܗܐ ܗܪ ܬܡܢ ܗܘ ܠܐ ܬܐܙܠܘܢ 23
२३लोग तुम से कहेंगे, ‘देखो, वहाँ है!’ या ‘देखो यहाँ है!’ परन्तु तुम चले न जाना और न उनके पीछे हो लेना।
ܐܝܟܢܐ ܓܝܪ ܕܒܪܩܐ ܒܪܩ ܡܢ ܫܡܝܐ ܘܟܠܗ ܬܚܝܬ ܫܡܝܐ ܡܢܗܪ ܗܟܢܐ ܢܗܘܐ ܒܪܗ ܕܐܢܫܐ ܒܝܘܡܗ 24
२४क्योंकि जैसे बिजली आकाश की एक छोर से कौंधकर आकाश की दूसरी छोर तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य का पुत्र भी अपने दिन में प्रगट होगा।
ܠܘܩܕܡ ܕܝܢ ܥܬܝܕ ܗܘ ܕܢܚܫ ܤܓܝܐܬܐ ܘܢܤܬܠܐ ܡܢ ܫܪܒܬܐ ܗܕܐ 25
२५परन्तु पहले अवश्य है, कि वह बहुत दुःख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ।
ܘܐܝܟܢܐ ܕܗܘܐ ܒܝܘܡܬܗ ܕܢܘܚ ܗܟܢܐ ܢܗܘܐ ܒܝܘܡܬܗ ܕܒܪܗ ܕܐܢܫܐ 26
२६जैसा नूह के दिनों में हुआ था, वैसा ही मनुष्य के पुत्र के दिनों में भी होगा।
ܕܐܟܠܝܢ ܗܘܘ ܘܫܬܝܢ ܘܢܤܒܝܢ ܢܫܐ ܘܝܗܒܝܢ ܠܓܒܪܐ ܥܕܡܐ ܠܝܘܡܐ ܕܥܠ ܢܘܚ ܠܟܘܝܠܐ ܘܐܬܐ ܛܘܦܢܐ ܘܐܘܒܕ ܠܟܠ ܐܢܫ 27
२७जिस दिन तक नूह जहाज पर न चढ़ा, उस दिन तक लोग खाते-पीते थे, और उनमें विवाह-शादी होती थी; तब जल-प्रलय ने आकर उन सब को नाश किया।
ܘܐܝܟܢܐ ܬܘܒ ܕܗܘܐ ܒܝܘܡܬܗ ܕܠܘܛ ܕܐܟܠܝܢ ܗܘܘ ܘܫܬܝܢ ܘܙܒܢܝܢ ܘܡܙܒܢܝܢ ܘܢܨܒܝܢ ܗܘܘ ܘܒܢܝܢ 28
२८और जैसा लूत के दिनों में हुआ था, कि लोग खाते-पीते लेन-देन करते, पेड़ लगाते और घर बनाते थे;
ܒܝܘܡܐ ܕܝܢ ܕܢܦܩ ܠܘܛ ܡܢ ܤܕܘܡ ܐܡܛܪ ܡܪܝܐ ܢܘܪܐ ܘܟܒܪܝܬܐ ܡܢ ܫܡܝܐ ܘܐܘܒܕ ܠܟܠܗܘܢ 29
२९परन्तु जिस दिन लूत सदोम से निकला, उस दिन आग और गन्धक आकाश से बरसी और सब को नाश कर दिया।
ܗܟܢܐ ܢܗܘܐ ܒܝܘܡܐ ܕܡܬܓܠܐ ܒܪܗ ܕܐܢܫܐ 30
३०मनुष्य के पुत्र के प्रगट होने के दिन भी ऐसा ही होगा।
ܒܗܘ ܝܘܡܐ ܡܢ ܕܒܐܓܪܐ ܗܘ ܘܡܐܢܘܗܝ ܒܒܝܬܐ ܠܐ ܢܚܘܬ ܕܢܫܩܘܠ ܐܢܘܢ ܘܡܢ ܕܒܚܩܠܐ ܗܘ ܠܐ ܢܬܗܦܟ ܠܒܤܬܪܗ 31
३१“उस दिन जो छत पर हो; और उसका सामान घर में हो, वह उसे लेने को न उतरे, और वैसे ही जो खेत में हो वह पीछे न लौटे।
ܐܬܕܟܪܘ ܠܐܢܬܬܗ ܕܠܘܛ 32
३२लूत की पत्नी को स्मरण रखो!
ܡܢ ܕܨܒܐ ܕܢܚܐ ܢܦܫܗ ܢܘܒܕܝܗ ܘܡܢ ܕܢܘܒܕ ܢܦܫܗ ܢܚܝܗ 33
३३जो कोई अपना प्राण बचाना चाहे वह उसे खोएगा, और जो कोई उसे खोए वह उसे बचाएगा।
ܐܡܪ ܐܢܐ ܠܟܘܢ ܕܒܗܘ ܠܠܝܐ ܬܪܝܢ ܢܗܘܘܢ ܒܚܕܐ ܥܪܤܐ ܚܕ ܢܬܕܒܪ ܘܐܚܪܢܐ ܢܫܬܒܩ 34
३४मैं तुम से कहता हूँ, उस रात दो मनुष्य एक खाट पर होंगे, एक ले लिया जाएगा, और दूसरा छोड़ दिया जाएगा।
ܬܪܬܝܢ ܢܗܘܝܢ ܛܚܢܢ ܐܟܚܕܐ ܚܕܐ ܬܬܕܒܪ ܘܐܚܪܬܐ ܬܫܬܒܩ 35
३५दो स्त्रियाँ एक साथ चक्की पीसती होंगी, एक ले ली जाएगी, और दूसरी छोड़ दी जाएगी।
ܬܪܝܢ ܢܗܘܘܢ ܒܚܩܠܐ ܚܕ ܢܬܕܒܪ ܘܐܚܪܢܐ ܢܫܬܒܩ 36
३६[दो जन खेत में होंगे एक ले लिया जाएगा और दूसरा छोड़ा जाएगा।]”
ܥܢܘ ܘܐܡܪܝܢ ܠܗ ܠܐܝܟܐ ܡܪܢ ܐܡܪ ܠܗܘܢ ܐܝܟܐ ܕܦܓܪܐ ܬܡܢ ܢܬܟܢܫܘܢ ܢܫܪܐ 37
३७यह सुन उन्होंने उससे पूछा, “हे प्रभु यह कहाँ होगा?” उसने उनसे कहा, “जहाँ लाश हैं, वहाँ गिद्ध इकट्ठे होंगे।”

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