< ܠܘܩܘܣ 10 >

ܒܬܪ ܗܠܝܢ ܦܪܫ ܝܫܘܥ ܡܢ ܬܠܡܝܕܘܗܝ ܐܚܪܢܐ ܫܒܥܝܢ ܘܫܕܪ ܐܢܘܢ ܬܪܝܢ ܬܪܝܢ ܩܕܡ ܦܪܨܘܦܗ ܠܟܠ ܐܬܪ ܘܡܕܝܢܐ ܕܥܬܝܕ ܗܘܐ ܠܡܐܙܠ 1
इसके बाद प्रभु ने अन्य बहत्तर व्यक्तियों को चुनकर उन्हें दो-दो करके उन नगरों और स्थानों पर अपने आगे भेज दिया, जहां वह स्वयं जाने पर थे.
ܘܐܡܪ ܠܗܘܢ ܚܨܕܐ ܤܓܝ ܘܦܥܠܐ ܙܥܘܪܝܢ ܒܥܘ ܗܟܝܠ ܡܢ ܡܪܐ ܚܨܕܐ ܕܢܦܩ ܦܥܠܐ ܠܚܨܕܗ 2
प्रभु येशु ने उनसे कहा, “उपज तो बहुत है किंतु मज़दूर कम, इसलिये उपज के स्वामी से विनती करो कि इस उपज के लिए मज़दूर भेज दें.”
ܙܠܘ ܗܐ ܐܢܐ ܡܫܕܪ ܐܢܐ ܠܟܘܢ ܐܝܟ ܐܡܪܐ ܒܝܢܝ ܕܐܒܐ 3
जाओ! मैं तुम्हें भेज रहा हूं. तुम भेड़ियों के मध्य मेमनों के समान हो.
ܠܐ ܬܫܩܠܘܢ ܠܟܘܢ ܟܝܤܐ ܘܠܐ ܬܪܡܠܐ ܘܠܐ ܡܤܢܐ ܘܒܫܠܡܐ ܕܐܢܫ ܒܐܘܪܚܐ ܠܐ ܬܫܐܠܘܢ 4
अपने साथ न तो धन, न झोला और न ही जूतियां ले जाना. मार्ग में किसी का कुशल मंगल पूछने में भी समय खर्च न करना.
ܘܠܐܝܢܐ ܒܝܬܐ ܕܥܐܠܝܢ ܐܢܬܘܢ ܠܘܩܕܡ ܐܡܪܘ ܫܠܡܐ ܠܒܝܬܐ ܗܢܐ 5
“जिस किसी घर में प्रवेश करो, तुम्हारे सबसे पहले शब्द हों, ‘इस घर में शांति बनी रहे.’
ܘܐܢ ܐܝܬ ܬܡܢ ܒܪ ܫܠܡܐ ܢܬܬܢܝܚ ܥܠܘܗܝ ܫܠܡܟܘܢ ܐܢ ܕܝܢ ܠܐ ܥܠܝܟܘܢ ܢܗܦܘܟ 6
यदि परिवार-प्रधान शांति प्रिय व्यक्ति है, तुम्हारी शांति उस पर बनी रहेगी. यदि वह ऐसा नहीं है तो तुम्हारी शांति तुम्हारे ही पास लौट आएगी.
ܒܗ ܕܝܢ ܒܒܝܬܐ ܗܘܘ ܟܕ ܠܥܤܝܢ ܐܢܬܘܢ ܘܫܬܝܢ ܡܢ ܕܝܠܗܘܢ ܫܘܐ ܗܘ ܓܝܪ ܦܥܠܐ ܐܓܪܗ ܘܠܐ ܬܫܢܘܢ ܡܢ ܒܝܬܐ ܠܒܝܬܐ 7
उसी घर के मेहमान बने रहना. भोजन और पीने के लिए जो कुछ तुम्हें परोसा जाए, उसे स्वीकार करना क्योंकि सेवक अपने वेतन का अधिकारी है. एक घर से निकलकर दूसरे घर में मेहमान न बनना.
ܘܠܐܝܕܐ ܡܕܝܢܬܐ ܕܥܐܠܝܢ ܐܢܬܘܢ ܘܡܩܒܠܝܢ ܠܟܘܢ ܠܥܤܘ ܡܕܡ ܕܡܬܬܤܝܡ ܠܟܘܢ 8
“जब तुम किसी नगर में प्रवेश करो और वहां लोग तुम्हें सहर्ष स्वीकार करें, तो जो कुछ तुम्हें परोसा जाए, उसे खाओ.
ܘܐܤܘ ܠܐܝܠܝܢ ܕܟܪܝܗܝܢ ܒܗ ܘܐܡܪܘ ܠܗܘܢ ܩܪܒܬ ܥܠܝܟܘܢ ܡܠܟܘܬܗ ܕܐܠܗܐ 9
वहां जो बीमार हैं, उन्हें चंगा करना और उन्हें सूचित करना, ‘परमेश्वर का राज्य तुम्हारे निकट आ गया है.’
ܠܐܝܕܐ ܡܕܝܢܬܐ ܕܝܢ ܕܥܐܠܝܢ ܐܢܬܘܢ ܘܠܐ ܢܩܒܠܘܢܟܘܢ ܦܘܩܘ ܠܟܘܢ ܠܫܘܩܐ ܘܐܡܪܘ 10
किंतु यदि तुम किसी नगर में प्रवेश करो और वहां नगरवासियों द्वारा स्वीकार न किए जाओ तो उस नगर की गलियों में जाकर यह घोषणा करो,
ܘܐܦ ܚܠܐ ܕܕܒܩ ܠܢ ܒܪܓܠܝܢ ܡܢ ܡܕܝܢܬܟܘܢ ܢܦܨܝܢ ܚܢܢ ܠܟܘܢ ܒܪܡ ܗܕܐ ܕܥܘ ܕܩܪܒܬ ܠܗ ܥܠܝܟܘܢ ܡܠܟܘܬܗ ܕܐܠܗܐ 11
‘तुम्हारे नगर की धूल तक, जो हमारे पांवों में लगी है, उसे हम तुम्हारे सामने एक चेतावनी के लिए झाड़ रहे हैं; परंतु यह जान लो कि परमेश्वर का राज्य निकट आ गया है.’
ܐܡܪ ܐܢܐ ܠܟܘܢ ܕܠܤܕܘܡ ܢܗܘܐ ܢܝܚ ܒܝܘܡܐ ܗܘ ܐܘ ܠܡܕܝܢܬܐ ܗܝ 12
सच मानो, न्याय के दिन पर सोदोम नगर के लिए तय किया गया दंड उस नगर के लिए तय किए दंड की तुलना में सहने योग्य होगा.
ܘܝ ܠܟܝ ܟܘܪܙܝܢ ܘܝ ܠܟܝ ܒܝܬ ܨܝܕܐ ܕܐܠܘ ܒܨܘܪ ܘܒܨܝܕܢ ܗܘܘ ܚܝܠܐ ܕܗܘܘ ܒܟܝܢ ܟܒܪ ܕܝܢ ܒܤܩܐ ܘܒܩܛܡܐ ܬܒܘ 13
“धिक्कार है तुझ पर कोराज़ीन! धिक्कार है तुझ पर बैथसैदा! ये ही अद्भुत काम, जो तुझमें किए गए हैं यदि सोर और सीदोन नगरों में किए जाते तो वे विलाप-वस्त्र पहन, राख में बैठकर, कब के पश्चाताप कर चुके होते! पश्चाताप कर चुके होते.
ܒܪܡ ܠܨܘܪ ܘܠܨܝܕܢ ܢܗܘܐ ܢܝܚ ܒܕܝܢܐ ܐܘ ܠܟܝܢ 14
किंतु तुम दोनों नगरों की तुलना में सोर और सीदोन नगरों का दंड सहने योग्य होगा.
ܘܐܢܬܝ ܟܦܪܢܚܘܡ ܗܝ ܕܥܕܡܐ ܠܫܡܝܐ ܐܬܬܪܝܡܬܝ ܥܕܡܐ ܠܫܝܘܠ ܬܬܚܬܝܢ (Hadēs g86) 15
और कफ़रनहूम! क्या तू स्वर्ग तक ऊंचा किए जाने की आशा कर रहा है? अरे! तुझे तो पाताल में उतार दिया जाएगा. (Hadēs g86)
ܡܢ ܕܠܟܘܢ ܫܡܥ ܠܝ ܫܡܥ ܘܡܢ ܕܠܟܘܢ ܛܠܡ ܠܝ ܗܘ ܛܠܡ ܘܡܢ ܕܠܝ ܛܠܡ ܛܠܡ ܠܡܢ ܕܫܠܚܢܝ 16
“वह, जो तुम्हारी शिक्षा को सुनता है, मेरी शिक्षा को सुनता है; वह, जो तुम्हें अस्वीकार करता है, मुझे अस्वीकार करता है किंतु वह, जो मुझे अस्वीकार करता है, उन्हें अस्वीकार करता है, जिन्होंने मुझे भेजा है.”
ܘܗܦܟܘ ܗܢܘܢ ܫܒܥܝܢ ܕܫܕܪ ܒܚܕܘܬܐ ܪܒܬܐ ܘܐܡܪܝܢ ܠܗ ܡܪܢ ܐܦ ܫܐܕܐ ܡܫܬܥܒܕܝܢ ܠܢ ܒܫܡܟ 17
वे बहत्तर बहुत उत्साह से भरकर लौटे और कहने लगे, “प्रभु! आपके नाम में तो दुष्टात्मा भी हमारे सामने समर्पण कर देते हैं!”
ܗܘ ܕܝܢ ܐܡܪ ܠܗܘܢ ܚܙܐ ܗܘܝܬ ܠܗ ܠܤܛܢܐ ܕܢܦܠ ܐܝܟ ܒܪܩܐ ܡܢ ܫܡܝܐ 18
इस पर प्रभु येशु ने उनसे कहा, “मैं शैतान को बिजली के समान स्वर्ग से गिरते देख रहा था.
ܗܐ ܝܗܒ ܐܢܐ ܠܟܘܢ ܫܘܠܛܢܐ ܕܗܘܝܬܘܢ ܕܝܫܝܢ ܚܘܘܬܐ ܘܥܩܪܒܐ ܘܟܠܗ ܚܝܠܗ ܕܒܥܠܕܒܒܐ ܘܡܕܡ ܠܐ ܢܗܪܟܘܢ 19
मैंने तुम्हें सांपों और बिच्छुओं को रौंदने तथा शत्रु के सभी सामर्थ्य का नाश करने का अधिकार दिया है इसलिये किसी भी रीति से तुम्हारी हानि न होगी.
ܒܪܡ ܒܗܕܐ ܠܐ ܬܚܕܘܢ ܕܫܐܕܐ ܡܫܬܥܒܕܝܢ ܠܟܘܢ ܐܠܐ ܚܕܘ ܕܫܡܗܝܟܘܢ ܐܬܟܬܒܘ ܒܫܡܝܐ 20
फिर भी, तुम्हारे लिए आनंद का विषय यह न हो कि दुष्टात्मा तुम्हारी आज्ञाओं का पालन करते हैं परंतु यह कि तुम्हारे नाम स्वर्ग में लिखे जा चुके हैं.”
ܒܗ ܒܫܥܬܐ ܪܘܙ ܝܫܘܥ ܒܪܘܚܐ ܕܩܘܕܫܐ ܘܐܡܪ ܡܘܕܐ ܐܢܐ ܠܟ ܐܒܝ ܡܪܐ ܕܫܡܝܐ ܘܕܐܪܥܐ ܕܟܤܝܬ ܗܠܝܢ ܡܢ ܚܟܝܡܐ ܘܤܟܘܠܬܢܐ ܘܓܠܝܬ ܐܢܝܢ ܠܝܠܘܕܐ ܐܝܢ ܐܒܝ ܕܗܟܢܐ ܗܘܐ ܨܒܝܢܐ ܩܕܡܝܟ 21
प्रभु येशु पवित्र आत्मा के आनंद से भरकर कहने लगे, “पिता! स्वर्ग और पृथ्वी के स्वामी, मैं आपकी स्तुति करता हूं कि आपने ये सभी सच बुद्धिमानों और ज्ञानियों से छुपा रखे और नन्हे बालकों पर प्रकट कर दिए क्योंकि पिता, आपकी दृष्टि में यही अच्छा था.
ܘܐܬܦܢܝ ܠܘܬ ܬܠܡܝܕܘܗܝ ܘܐܡܪ ܠܗܘܢ ܟܠ ܡܕܡ ܐܫܬܠܡ ܠܝ ܡܢ ܐܒܝ ܘܠܐ ܐܢܫ ܝܕܥ ܡܢܘ ܒܪܐ ܐܠܐ ܐܢ ܐܒܐ ܘܡܢܘ ܐܒܐ ܐܠܐ ܐܢ ܒܪܐ ܘܠܡܢ ܕܐܢ ܢܨܒܐ ܒܪܐ ܕܢܓܠܐ 22
“मेरे पिता द्वारा सब कुछ मुझे सौंप दिया गया है. पिता के अलावा कोई नहीं जानता कि पुत्र कौन है, और कोई नहीं जानता कि पिता कौन हैं, सिवाय पुत्र के तथा वे, जिन पर वह प्रकट करना चाहें.”
ܘܐܬܦܢܝ ܠܘܬ ܬܠܡܝܕܘܗܝ ܒܠܚܘܕܝܗܘܢ ܘܐܡܪ ܛܘܒܝܗܝܢ ܠܥܝܢܐ ܕܚܙܝܢ ܡܕܡ ܕܐܢܬܘܢ ܚܙܝܢ 23
तब प्रभु येशु ने अपने शिष्यों की ओर उन्मुख हो उनसे व्यक्तिगत रूप से कहा, “धन्य हैं वे आंख, जो वह देख रही हैं, जो तुम देख रहे हो
ܐܡܪ ܐܢܐ ܠܟܘܢ ܓܝܪ ܕܢܒܝܐ ܤܓܝܐܐ ܘܡܠܟܐ ܨܒܘ ܕܢܚܙܘܢ ܡܕܡ ܕܚܙܝܢ ܐܢܬܘܢ ܘܠܐ ܚܙܘ ܘܠܡܫܡܥ ܡܕܡ ܕܐܢܬܘܢ ܫܡܥܝܢ ܘܠܐ ܫܡܥܘ 24
क्योंकि सच मानो, अनेक भविष्यवक्ता और राजा वह देखने की कामना करते रहे, जो तुम देख रहे हो किंतु वे देख न सके तथा वे वह सुनने की कामना करते रहे, जो तुम सुन रहे हो किंतु सुन न सके.”
ܘܗܐ ܤܦܪܐ ܚܕ ܩܡ ܕܢܢܤܝܘܗܝ ܘܐܡܪ ܡܠܦܢܐ ܡܢܐ ܐܥܒܕ ܕܐܪܬ ܚܝܐ ܕܠܥܠܡ (aiōnios g166) 25
एक अवसर पर एक वकील ने प्रभु येशु को परखने के उद्देश्य से उनके सामने यह प्रश्न रखा: “गुरुवर, अनंत काल के जीवन को पाने के लिए मैं क्या करूं?” (aiōnios g166)
ܗܘ ܕܝܢ ܝܫܘܥ ܐܡܪ ܠܗ ܒܢܡܘܤܐ ܐܝܟܢܐ ܟܬܝܒ ܐܝܟܢܐ ܩܪܐ ܐܢܬ 26
प्रभु येशु ने उससे प्रश्न किया, “व्यवस्था में क्या लिखा है, इसके विषय में तुम्हारा विश्लेषण क्या है?”
ܥܢܐ ܘܐܡܪ ܠܗ ܕܬܪܚܡ ܠܡܪܝܐ ܐܠܗܟ ܡܢ ܟܠܗ ܠܒܟ ܘܡܢ ܟܠܗ ܢܦܫܟ ܘܡܢ ܟܠܗ ܚܝܠܟ ܘܡܢ ܟܠܗ ܪܥܝܢܟ ܘܠܩܪܝܒܟ ܐܝܟ ܢܦܫܟ 27
उस व्यक्ति ने उत्तर दिया, “‘प्रभु, अपने परमेश्वर से अपने सारे हृदय, अपने सारे प्राण, अपनी सारी शक्ति तथा अपनी सारी समझ से प्रेम करो तथा अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम.’”
ܐܡܪ ܠܗ ܝܫܘܥ ܬܪܝܨܐܝܬ ܐܡܪܬ ܗܕܐ ܥܒܕ ܘܬܚܐ 28
प्रभु येशु ने उससे कहा, “तुम्हारा उत्तर बिलकुल सही है. यही करने से तुम जीवित रहोगे.”
ܗܘ ܕܝܢ ܟܕ ܨܒܐ ܠܡܙܕܩܘ ܢܦܫܗ ܐܡܪ ܠܗ ܘܡܢܘ ܩܪܝܒܝ 29
स्वयं को संगत प्रमाणित करने के उद्देश्य से उसने प्रभु येशु से प्रश्न किया, “तो यह बताइए कौन है मेरा पड़ोसी?”
ܐܡܪ ܠܗ ܝܫܘܥ ܓܒܪܐ ܚܕ ܢܚܬ ܗܘܐ ܡܢ ܐܘܪܫܠܡ ܠܐܝܪܝܚܘ ܘܢܦܠܘ ܥܠܘܗܝ ܠܤܛܝܐ ܘܫܠܚܘܗܝ ܘܡܚܐܘܗܝ ܘܫܒܩܘܗܝ ܟܕ ܩܠܝܠ ܩܝܡܐ ܒܗ ܢܦܫܐ ܘܐܙܠܘ 30
प्रभु येशु ने उत्तर दिया. “येरूशलेम नगर से एक व्यक्ति येरीख़ो नगर जा रहा था कि डाकुओं ने उसे घेर लिया, उसके वस्त्र छीन लिए, उसकी पिटाई की और उसे अधमरी हालत में छोड़कर भाग गए.
ܘܓܕܫ ܟܗܢܐ ܚܕ ܢܚܬ ܗܘܐ ܒܐܘܪܚܐ ܗܝ ܘܚܙܝܗܝ ܘܥܒܪ 31
संयोग से एक पुरोहित उसी मार्ग से जा रहा था. जब उसने उस व्यक्ति को देखा, वह मार्ग के दूसरी ओर से आगे बढ़ गया.
ܘܗܟܢܐ ܐܦ ܠܘܝܐ ܐܬܐ ܡܛܐ ܠܗܝ ܕܘܟܬܐ ܘܚܙܝܗܝ ܘܥܒܪ 32
इसी प्रकार एक लेवी भी उसी स्थान पर आया, उसकी दृष्टि उस पर पड़ी तो वह भी दूसरी ओर से होता हुआ चला गया.
ܐܢܫ ܕܝܢ ܫܡܪܝܐ ܟܕ ܪܕܐ ܗܘܐ ܐܬܐ ܐܝܟܐ ܕܐܝܬܘܗܝ ܗܘܐ ܘܚܙܝܗܝ ܘܐܬܪܚܡ ܥܠܘܗܝ 33
एक शमरियावासी भी उसी मार्ग से यात्रा करते हुए उस जगह पर आ पहुंचा. जब उसकी दृष्टि उस घायल व्यक्ति पर पड़ी, वह दया से भर गया.
ܘܐܬܩܪܒ ܘܥܨܒ ܡܚܘܬܗ ܘܢܨܠ ܥܠܝܗܝܢ ܚܡܪܐ ܘܡܫܚܐ ܘܤܡܗ ܥܠ ܚܡܪܗ ܘܐܝܬܝܗ ܠܦܘܬܩܐ ܘܐܬܒܛܠ ܠܗ ܥܠܘܗܝ 34
वह उसके पास गया और उसके घावों पर तेल और दाखरस लगाकर पट्टी बांधी. तब वह घायल व्यक्ति को अपने वाहक पशु पर बैठाकर एक यात्री निवास में ले गया तथा उसकी सेवा टहल की.
ܘܠܨܦܪܗ ܕܝܘܡܐ ܐܦܩ ܬܪܝܢ ܕܝܢܪܝܢ ܝܗܒ ܠܦܘܬܩܝܐ ܘܐܡܪ ܠܗ ܝܨܦ ܕܝܠܗ ܘܐܢ ܡܕܡ ܝܬܝܪ ܬܦܩ ܡܐ ܕܗܦܟ ܐܢܐ ܝܗܒ ܐܢܐ ܠܟ 35
अगले दिन उसने दो दीनार यात्री निवास के स्वामी को देते हुए कहा, ‘इस व्यक्ति की सेवा टहल कीजिए. इसके अतिरिक्त जो भी लागत होगा वह मैं लौटने पर चुका दूंगा.’
ܡܢܘ ܗܟܝܠ ܡܢ ܗܠܝܢ ܬܠܬܐ ܡܬܚܙܐ ܠܟ ܕܗܘܐ ܩܪܝܒܐ ܠܗܘ ܕܢܦܠ ܒܐܝܕܝ ܓܝܤܐ 36
“यह बताओ तुम्हारे विचार से इन तीनों व्यक्तियों में से कौन उन डाकुओं द्वारा घायल व्यक्ति का पड़ोसी है?”
ܗܘ ܕܝܢ ܐܡܪ ܗܘ ܕܐܬܪܚܡ ܥܠܘܗܝ ܐܡܪ ܠܗ ܝܫܘܥ ܙܠ ܐܦ ܐܢܬ ܗܟܢܐ ܗܘܝܬ ܥܒܕ 37
वकील ने उत्तर दिया, “वही, जिसने उसके प्रति करुणाभाव का परिचय दिया.” प्रभु येशु ने उससे कहा, “जाओ, तुम्हारा स्वभाव भी ऐसा ही हो.”
ܘܗܘܐ ܕܟܕ ܗܢܘܢ ܪܕܝܢ ܒܐܘܪܚܐ ܥܠ ܠܩܪܝܬܐ ܚܕܐ ܘܐܢܬܬܐ ܕܫܡܗ ܡܪܬܐ ܩܒܠܬܗ ܒܒܝܬܗ 38
प्रभु येशु और उनके शिष्य यात्रा करते हुए एक गांव में पहुंचे, जहां मार्था नामक एक स्त्री ने उन्हें अपने घर में आमंत्रित किया.
ܘܐܝܬ ܗܘܬ ܠܗ ܚܬܐ ܕܫܡܗ ܡܪܝܡ ܘܐܬܬ ܝܬܒܬ ܠܗ ܠܘܬ ܪܓܠܘܗܝ ܕܡܪܢ ܘܫܡܥܐ ܗܘܬ ܡܠܘܗܝ 39
उसकी एक बहन थी, जिसका नाम मरियम था. वह प्रभु के चरणों में बैठकर उनके प्रवचन सुनने लगी
ܡܪܬܐ ܕܝܢ ܥܢܝܐ ܗܘܬ ܒܬܫܡܫܬܐ ܤܓܝܐܬܐ ܘܐܬܬ ܐܡܪܐ ܠܗ ܡܪܝ ܠܐ ܒܛܝܠ ܠܟ ܕܚܬܝ ܫܒܩܬܢܝ ܒܠܚܘܕܝ ܠܡܫܡܫܘ ܐܡܪ ܠܗ ܡܥܕܪܐ ܠܝ 40
किंतु मार्था विभिन्‍न तैयारियों में उलझी रही. वह प्रभु येशु के पास आई और उनसे प्रश्न किया, “प्रभु, क्या आपको इसका लेश मात्र भी ध्यान नहीं कि मेरी बहन ने अतिथि-सत्कार का सारा बोझ मुझ अकेली पर ही छोड़ दिया है? आप उससे कहें कि वह मेरी सहायता करे.”
ܥܢܐ ܕܝܢ ܝܫܘܥ ܘܐܡܪ ܠܗ ܡܪܬܐ ܡܪܬܐ ܝܨܦܬܝ ܘܪܗܝܒܬܝ ܥܠ ܤܓܝܐܬܐ 41
“मार्था, मार्था,” प्रभु ने कहा, “तुम अनेक विषयों की चिंता करती और घबरा जाती हो
ܚܕܐ ܗܝ ܕܝܢ ܕܡܬܒܥܝܐ ܡܪܝܡ ܕܝܢ ܡܢܬܐ ܛܒܬܐ ܓܒܬ ܠܗ ܗܝ ܕܠܐ ܬܬܢܤܒ ܡܢܗ 42
किंतु ज़रूरत तो कुछ ही की है—वास्तव में एक ही की. मरियम ने उसी उत्तम भाग को चुना है, जो उससे कभी अलग न किया जाएगा.”

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