< ܠܘܩܘܣ 21 >

ܚܪ ܕܝܢ ܝܫܘܥ ܒܥܬܝܪܐ ܐܝܠܝܢ ܕܪܡܝܢ ܗܘܘ ܒܝܬ ܓܙܐ ܩܘܪܒܢܝܗܘܢ 1
फिर उसने आँख उठाकर धनवानों को अपना-अपना दान भण्डार में डालते हुए देखा।
ܘܚܙܐ ܐܦ ܐܪܡܠܬܐ ܚܕܐ ܡܤܟܢܬܐ ܕܐܪܡܝܬ ܫܡܘܢܐ ܬܪܝܢ 2
और उसने एक कंगाल विधवा को भी उसमें दो दमड़ियाँ डालते हुए देखा।
ܘܐܡܪ ܫܪܪܐ ܐܡܪ ܐܢܐ ܠܟܘܢ ܕܗܕܐ ܐܪܡܠܬܐ ܡܤܟܢܬܐ ܐܪܡܝܬ ܝܬܝܪ ܡܢ ܟܠܢܫ 3
तब उसने कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ कि इस कंगाल विधवा ने सबसे बढ़कर डाला है।
ܟܠܗܘܢ ܓܝܪ ܗܠܝܢ ܡܢ ܡܐ ܕܝܬܝܪ ܗܘܐ ܠܗܘܢ ܐܪܡܝܘ ܒܝܬ ܩܘܪܒܢܐ ܕܐܠܗܐ ܗܕܐ ܕܝܢ ܡܢ ܚܤܝܪܘܬܗ ܟܠ ܕܩܢܝܐ ܗܘܬ ܐܪܡܝܬܗ 4
क्योंकि उन सब ने अपनी-अपनी बढ़ती में से दान में कुछ डाला है, परन्तु इसने अपनी घटी में से अपनी सारी जीविका डाल दी है।”
ܘܟܕ ܐܡܪܝܢ ܗܘܘ ܐܢܫܝܢ ܥܠ ܗܝܟܠܐ ܕܒܟܐܦܐ ܫܦܝܪܬܐ ܘܒܩܘܪܒܢܐ ܡܨܒܬ ܐܡܪ ܠܗܘܢ ܝܫܘܥ 5
जब कितने लोग मन्दिर के विषय में कह रहे थे, कि वह कैसे सुन्दर पत्थरों और भेंट की वस्तुओं से संवारा गया है, तो उसने कहा,
ܗܠܝܢ ܕܚܙܝܢ ܐܢܬܘܢ ܢܐܬܘܢ ܝܘܡܬܐ ܕܒܗܘܢ ܠܐ ܬܫܬܒܩ ܟܐܦ ܥܠ ܟܐܦ ܕܠܐ ܬܤܬܬܪ 6
“वे दिन आएँगे, जिनमें यह सब जो तुम देखते हो, उनमें से यहाँ किसी पत्थर पर पत्थर भी न छूटेगा, जो ढाया न जाएगा।”
ܘܡܫܐܠܝܢ ܗܘܘ ܠܗ ܘܐܡܪܝܢ ܡܠܦܢܐ ܐܡܬܝ ܗܠܝܢ ܢܗܘܝܢ ܘܡܢܐ ܗܝ ܐܬܐ ܡܐ ܕܩܪܝܒܢ ܗܠܝܢ ܕܢܗܘܝܢ 7
उन्होंने उससे पूछा, “हे गुरु, यह सब कब होगा? और ये बातें जब पूरी होने पर होंगी, तो उस समय का क्या चिन्ह होगा?”
ܗܘ ܕܝܢ ܐܡܪ ܠܗܘܢ ܚܙܘ ܠܡܐ ܬܛܥܘܢ ܤܓܝܐܐ ܓܝܪ ܢܐܬܘܢ ܒܫܡܝ ܘܢܐܡܪܘܢ ܕܐܢܐ ܐܢܐ ܡܫܝܚܐ ܘܙܒܢܐ ܩܪܒ ܠܐ ܕܝܢ ܬܐܙܠܘܢ ܒܬܪܗܘܢ 8
उसने कहा, “सावधान रहो, कि भरमाए न जाओ, क्योंकि बहुत से मेरे नाम से आकर कहेंगे, कि मैं वही हूँ; और यह भी कि समय निकट आ पहुँचा है: तुम उनके पीछे न चले जाना।
ܘܡܐ ܕܫܡܥܝܢ ܐܢܬܘܢ ܩܪܒܐ ܘܫܓܘܫܝܐ ܠܐ ܬܕܚܠܘܢ ܥܬܝܕܢ ܐܢܝܢ ܓܝܪ ܗܠܝܢ ܠܘܩܕܡ ܠܡܗܘܐ ܐܠܐ ܠܐ ܥܕܟܝܠ ܡܛܬ ܚܪܬܐ 9
और जब तुम लड़ाइयों और बलवों की चर्चा सुनो, तो घबरा न जाना; क्योंकि इनका पहले होना अवश्य है; परन्तु उस समय तुरन्त अन्त न होगा।”
ܢܩܘܡ ܓܝܪ ܥܡܐ ܥܠ ܥܡܐ ܘܡܠܟܘ ܥܠ ܡܠܟܘ 10
१०तब उसने उनसे कहा, “जाति पर जाति और राज्य पर राज्य चढ़ाई करेगा।
ܘܙܘܥܐ ܪܘܪܒܐ ܢܗܘܘܢ ܒܕܘܟܐ ܕܘܟܐ ܘܟܦܢܐ ܘܡܘܬܢܐ ܘܢܗܘܝܢ ܕܚܠܬܐ ܘܤܘܪܕܐ ܘܐܬܘܬܐ ܪܘܪܒܬܐ ܡܢ ܫܡܝܐ ܢܬܚܙܝܢ ܘܤܬܘܐ ܪܘܪܒܐ ܢܗܘܘܢ 11
११और बड़े-बड़े भूकम्प होंगे, और जगह-जगह अकाल और महामारियाँ पड़ेंगी, और आकाश में भयंकर बातें और बड़े-बड़े चिन्ह प्रगट होंगे।
ܩܕܡ ܕܝܢ ܗܠܝܢ ܟܠܗܝܢ ܢܪܡܘܢ ܥܠܝܟܘܢ ܐܝܕܝܐ ܘܢܪܕܦܘܢܟܘܢ ܘܢܫܠܡܘܢܟܘܢ ܠܟܢܘܫܬܐ ܘܠܒܝܬ ܐܤܝܪܐ ܘܢܩܪܒܘܢܟܘܢ ܩܕܡ ܡܠܟܐ ܘܗܓܡܘܢܐ ܡܛܠ ܫܡܝ 12
१२परन्तु इन सब बातों से पहले वे मेरे नाम के कारण तुम्हें पकड़ेंगे, और सताएँगे, और आराधनालयों में सौंपेंगे, और बन्दीगृह में डलवाएँगे, और राजाओं और राज्यपालों के सामने ले जाएँगे।
ܗܘܝܐ ܠܟܘܢ ܕܝܢ ܠܤܗܕܘܬܐ 13
१३पर यह तुम्हारे लिये गवाही देने का अवसर हो जाएगा।
ܤܝܡܘ ܕܝܢ ܒܠܒܟܘܢ ܕܠܐ ܬܗܘܘܢ ܡܬܝܠܦܝܢ ܠܡܦܩ ܪܘܚܐ 14
१४इसलिए अपने-अपने मन में ठान रखो कि हम पहले से उत्तर देने की चिन्ता न करेंगे।
ܐܢܐ ܓܝܪ ܐܬܠ ܠܟܘܢ ܦܘܡܐ ܘܚܟܡܬܐ ܐܝܕܐ ܕܠܐ ܢܫܟܚܘܢ ܠܡܩܡ ܠܩܘܒܠܗ ܟܠܗܘܢ ܒܥܠܕܒܒܝܟܘܢ 15
१५क्योंकि मैं तुम्हें ऐसा बोल और बुद्धि दूँगा, कि तुम्हारे सब विरोधी सामना या खण्डन न कर सकेंगे।
ܢܫܠܡܘܢܟܘܢ ܕܝܢ ܐܒܗܝܟܘܢ ܘܐܚܝܟܘܢ ܘܐܚܝܢܝܟܘܢ ܘܪܚܡܝܟܘܢ ܘܢܡܝܬܘܢ ܡܢܟܘܢ 16
१६और तुम्हारे माता-पिता और भाई और कुटुम्ब, और मित्र भी तुम्हें पकड़वाएँगे; यहाँ तक कि तुम में से कितनों को मरवा डालेंगे।
ܘܬܗܘܘܢ ܤܢܝܐܝܢ ܡܢ ܟܠ ܐܢܫ ܡܛܠ ܫܡܝ 17
१७और मेरे नाम के कारण सब लोग तुम से बैर करेंगे।
ܘܡܢܬܐ ܡܢ ܪܫܟܘܢ ܠܐ ܬܐܒܕ 18
१८परन्तु तुम्हारे सिर का एक बाल भी बाँका न होगा।
ܒܡܤܝܒܪܢܘܬܟܘܢ ܕܝܢ ܬܩܢܘܢ ܢܦܫܟܘܢ 19
१९अपने धीरज से तुम अपने प्राणों को बचाए रखोगे।
ܡܐ ܕܝܢ ܕܚܙܝܬܘܢ ܠܐܘܪܫܠܡ ܕܚܕܝܪܝܢ ܠܗ ܚܝܠܐ ܗܝܕܝܢ ܕܥܘ ܕܩܪܒ ܠܗ ܚܘܪܒܗ 20
२०“जब तुम यरूशलेम को सेनाओं से घिरा हुआ देखो, तो जान लेना कि उसका उजड़ जाना निकट है।
ܗܝܕܝܢ ܐܝܠܝܢ ܕܒܝܗܘܕ ܐܢܘܢ ܢܥܪܩܘܢ ܠܛܘܪܐ ܘܐܝܠܝܢ ܕܒܓܘܗ ܐܢܘܢ ܢܥܪܩܘܢ ܘܕܒܩܘܪܝܐ ܠܐ ܢܥܠܘܢ ܠܗ 21
२१तब जो यहूदिया में हों वह पहाड़ों पर भाग जाएँ, और जो यरूशलेम के भीतर हों वे बाहर निकल जाएँ; और जो गाँवों में हो वे उसमें न जाएँ।
ܕܝܘܡܬܐ ܐܢܘܢ ܗܠܝܢ ܕܬܒܥܬܐ ܕܢܫܠܡ ܟܠ ܡܐ ܕܟܬܝܒ 22
२२क्योंकि यह पलटा लेने के ऐसे दिन होंगे, जिनमें लिखी हुई सब बातें पूरी हो जाएँगी।
ܘܝ ܕܝܢ ܠܐܝܠܝܢ ܕܒܛܢܢ ܘܠܐܝܠܝܢ ܕܡܝܢܩܢ ܒܗܢܘܢ ܝܘܡܬܐ ܢܗܘܐ ܓܝܪ ܐܘܠܨܢܐ ܪܒܐ ܒܐܪܥܐ ܘܪܘܓܙܐ ܥܠ ܥܡܐ ܗܢܐ 23
२३उन दिनों में जो गर्भवती और दूध पिलाती होंगी, उनके लिये हाय, हाय! क्योंकि देश में बड़ा क्लेश और इन लोगों पर बड़ी आपत्ति होगी।
ܘܢܦܠܘܢ ܒܦܘܡܐ ܕܚܪܒܐ ܘܢܫܬܒܘܢ ܠܟܠ ܐܬܪ ܘܐܘܪܫܠܡ ܬܗܘܐ ܡܬܕܝܫܐ ܡܢ ܥܡܡܐ ܥܕܡܐ ܕܢܫܠܡܘܢ ܙܒܢܐ ܕܥܡܡܐ 24
२४वे तलवार के कौर हो जाएँगे, और सब देशों के लोगों में बन्धुए होकर पहुँचाए जाएँगे, और जब तक अन्यजातियों का समय पूरा न हो, तब तक यरूशलेम अन्यजातियों से रौंदा जाएगा।
ܘܢܗܘܝܢ ܐܬܘܬܐ ܒܫܡܫܐ ܘܒܤܗܪܐ ܘܒܟܘܟܒܐ ܘܒܐܪܥܐ ܐܘܠܨܢܐ ܕܥܡܡܐ ܘܦܘܫܟ ܐܝܕܝܐ ܡܢ ܬܘܗܬܐ ܕܩܠܐ ܕܝܡܐ 25
२५“और सूरज और चाँद और तारों में चिन्ह दिखाई देंगे, और पृथ्वी पर, देश-देश के लोगों को संकट होगा; क्योंकि वे समुद्र के गरजने और लहरों के कोलाहल से घबरा जाएँगे।
ܘܙܘܥܐ ܕܡܦܩ ܢܦܫܬܐ ܕܒܢܝܢܫܐ ܡܢ ܕܚܠܬܐ ܕܡܕܡ ܕܥܬܝܕ ܠܡܐܬܐ ܥܠ ܐܪܥܐ ܘܢܬܬܙܝܥܘܢ ܚܝܠܐ ܕܫܡܝܐ 26
२६और भय के कारण और संसार पर आनेवाली घटनाओं की बाँट देखते-देखते लोगों के जी में जी न रहेगाक्योंकि आकाश की शक्तियाँ हिलाई जाएँगी।
ܘܗܝܕܝܢ ܢܚܙܘܢܝܗܝ ܠܒܪܗ ܕܐܢܫܐ ܕܐܬܐ ܒܥܢܢܐ ܥܡ ܚܝܠܐ ܤܓܝܐܐ ܘܫܘܒܚܐ ܪܒܐ 27
२७तब वे मनुष्य के पुत्र को सामर्थ्य और बड़ी महिमा के साथ बादल पर आते देखेंगे।
ܡܐ ܕܝܢ ܕܫܪܝ ܗܠܝܢ ܕܢܗܘܝܢ ܐܬܠܒܒܘ ܘܐܪܝܡܘ ܪܫܝܟܘܢ ܡܛܠ ܕܩܪܒ ܠܗ ܦܘܪܩܢܟܘܢ 28
२८जब ये बातें होने लगें, तो सीधे होकर अपने सिर ऊपर उठाना; क्योंकि तुम्हारा छुटकारा निकट होगा।”
ܘܐܡܪ ܗܘܐ ܠܗܘܢ ܡܬܠܐ ܚܙܘ ܠܬܬܐ ܘܠܟܠܗܘܢ ܐܝܠܢܐ 29
२९उसने उनसे एक दृष्टान्त भी कहा, “अंजीर के पेड़ और सब पेड़ों को देखो।
ܕܡܐ ܕܡܦܪܥܝܢ ܡܚܕܐ ܡܢܗܘܢ ܡܤܬܟܠܝܢ ܐܢܬܘܢ ܕܩܪܒ ܠܗ ܩܝܛܐ 30
३०ज्यों ही उनकी कोंपलें निकलती हैं, तो तुम देखकर आप ही जान लेते हो, कि ग्रीष्मकाल निकट है।
ܗܟܢܐ ܐܦ ܐܢܬܘܢ ܡܐ ܕܚܙܝܬܘܢ ܗܠܝܢ ܕܗܘܝܢ ܕܥܘ ܕܩܪܝܒܐ ܗܝ ܡܠܟܘܬܐ ܕܐܠܗܐ 31
३१इसी रीति से जब तुम ये बातें होते देखो, तब जान लो कि परमेश्वर का राज्य निकट है।
ܐܡܝܢ ܐܡܪ ܐܢܐ ܠܟܘܢ ܕܠܐ ܬܥܒܪ ܫܪܒܬܐ ܗܕܐ ܥܕܡܐ ܕܗܠܝܢ ܟܠܗܝܢ ܢܗܘܝܢ 32
३२मैं तुम से सच कहता हूँ, कि जब तक ये सब बातें न हो लें, तब तक इस पीढ़ी का कदापि अन्त न होगा।
ܫܡܝܐ ܘܐܪܥܐ ܢܥܒܪܘܢ ܘܡܠܝ ܠܐ ܢܥܒܪܢ 33
३३आकाश और पृथ्वी टल जाएँगे, परन्तु मेरी बातें कभी न टलेंगी।
ܐܙܕܗܪܘ ܕܝܢ ܒܢܦܫܟܘܢ ܕܠܐ ܡܬܘܡ ܢܐܩܪܘܢ ܠܒܘܬܟܘܢ ܒܐܤܘܛܘܬܐ ܘܒܪܘܝܘܬܐ ܘܒܨܦܬܐ ܕܥܠܡܐ ܘܡܢ ܫܠܝܐ ܢܐܬܐ ܥܠܝܟܘܢ ܝܘܡܐ ܗܘ 34
३४“इसलिए सावधान रहो, ऐसा न हो कि तुम्हारे मन खुमार और मतवालेपन, और इस जीवन की चिन्ताओं से सुस्त हो जाएँ, और वह दिन तुम पर फंदे के समान अचानक आ पड़े।
ܐܝܟ ܨܦܚܬܐ ܓܝܪ ܢܨܦܚ ܥܠ ܟܠܗܘܢ ܐܝܠܝܢ ܕܝܬܒܝܢ ܥܠ ܐܦܝܗ ܕܟܠܗ ܐܪܥܐ 35
३५क्योंकि वह सारी पृथ्वी के सब रहनेवालों पर इसी प्रकार आ पड़ेगा।
ܗܘܘ ܗܟܝܠ ܫܗܪܝܢ ܒܟܠܙܒܢ ܘܡܨܠܝܢ ܕܬܫܘܘܢ ܠܡܥܪܩ ܡܢ ܗܠܝܢ ܕܥܬܝܕܢ ܠܡܗܘܐ ܘܬܩܘܡܘܢ ܩܕܡ ܒܪܗ ܕܐܢܫܐ 36
३६इसलिए जागते रहो और हर समय प्रार्थना करते रहो कि तुम इन सब आनेवाली घटनाओं से बचने, और मनुष्य के पुत्र के सामने खड़ेहोने के योग्य बनो।”
ܒܐܝܡܡܐ ܕܝܢ ܡܠܦ ܗܘܐ ܒܗܝܟܠܐ ܘܒܠܠܝܐ ܢܦܩ ܗܘܐ ܒܐܬ ܒܛܘܪܐ ܕܡܬܩܪܐ ܕܒܝܬ ܙܝܬܐ 37
३७और वह दिन को मन्दिर में उपदेश करता था; और रात को बाहर जाकर जैतून नाम पहाड़ पर रहा करता था।
ܘܟܠܗ ܥܡܐ ܡܩܕܡܝܢ ܗܘܘ ܠܘܬܗ ܠܗܝܟܠܐ ܠܡܫܡܥ ܡܠܬܗ 38
३८और भोर को तड़के सब लोग उसकी सुनने के लिये मन्दिर में उसके पास आया करते थे।

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