< ܐ-ܩܘܪ̈ܝܢܬܝܐ 10 >

ܨܒܐ ܐܢܐ ܕܝܢ ܕܬܕܥܘܢ ܐܚܝ ܕܐܒܗܝܢ ܟܠܗܘܢ ܬܚܝܬ ܥܢܢܐ ܗܘܘ ܘܟܠܗܘܢ ܒܝܡܐ ܥܒܪܘ 1
हे भाइयों, मैं नहीं चाहता, कि तुम इस बात से अज्ञात रहो, कि हमारे सब पूर्वज बादल के नीचे थे, और सब के सब समुद्र के बीच से पार हो गए।
ܘܟܠܗܘܢ ܒܝܕ ܡܘܫܐ ܥܡܕܘ ܒܥܢܢܐ ܘܒܝܡܐ 2
और सब ने बादल में, और समुद्र में, मूसा का बपतिस्मा लिया।
ܘܟܠܗܘܢ ܚܕܐ ܡܐܟܘܠܬܐ ܕܪܘܚܐ ܐܟܠܘ 3
और सब ने एक ही आत्मिक भोजन किया।
ܘܟܠܗܘܢ ܚܕ ܡܫܬܝܐ ܕܪܘܚܐ ܐܫܬܝܘ ܫܬܝܢ ܗܘܘ ܓܝܪ ܡܢ ܟܐܦܐ ܕܪܘܚܐ ܕܐܬܝܐ ܗܘܬ ܥܡܗܘܢ ܟܐܦܐ ܕܝܢ ܗܝ ܗܘ ܗܘܐ ܡܫܝܚܐ 4
और सब ने एक ही आत्मिक जल पीया, क्योंकि वे उस आत्मिक चट्टान से पीते थे, जो उनके साथ-साथ चलती थी; और वह चट्टान मसीह था।
ܐܠܐ ܠܐ ܗܘܐ ܒܤܘܓܐܗܘܢ ܐܨܛܒܝ ܐܠܗܐ ܢܦܠܘ ܓܝܪ ܒܡܕܒܪܐ 5
परन्तु परमेश्वर उनमें से बहुतों से प्रसन्न ना था, इसलिए वे जंगल में ढेर हो गए।
ܗܠܝܢ ܕܝܢ ܛܘܦܤܐ ܠܢ ܗܘ ܗܘܘ ܕܠܐ ܗܘܝܢ ܪܓܝܢ ܒܝܫܬܐ ܐܝܟܢܐ ܕܗܢܘܢ ܪܓܘ 6
ये बातें हमारे लिये दृष्टान्त ठहरीं, कि जैसे उन्होंने लालच किया, वैसे हम बुरी वस्तुओं का लालच न करें।
ܘܐܦܠܐ ܢܗܘܐ ܦܠܚܝ ܦܬܟܪܐ ܐܝܟܢܐ ܕܐܦ ܡܢܗܘܢ ܦܠܚܘ ܐܝܟ ܕܟܬܝܒ ܕܝܬܒ ܥܡܐ ܠܡܐܟܠ ܘܠܡܫܬܐ ܘܩܡܘ ܠܡܫܬܥܝܘ 7
और न तुम मूरत पूजनेवाले बनो; जैसे कि उनमें से कितने बन गए थे, जैसा लिखा है, “लोग खाने-पीने बैठे, और खेलने-कूदने उठे।”
ܘܐܦܠܐ ܢܙܢܐ ܐܝܟܢܐ ܕܡܢܗܘܢ ܙܢܝܘ ܘܢܦܠܘ ܒܚܕ ܝܘܡܐ ܥܤܪܝܢ ܘܬܠܬܐ ܐܠܦܝܢ 8
और न हम व्यभिचार करें; जैसा उनमें से कितनों ने किया और एक दिन में तेईस हजार मर गये।
ܘܠܐ ܢܢܤܐ ܠܡܫܝܚܐ ܐܝܟܢܐ ܕܡܢܗܘܢ ܢܤܝܘ ܘܐܘܒܕܘ ܐܢܘܢ ܚܘܘܬܐ 9
और न हम प्रभु को परखें; जैसा उनमें से कितनों ने किया, और साँपों के द्वारा नाश किए गए।
ܘܐܦܠܐ ܬܪܛܢܘܢ ܐܝܟܢܐ ܕܡܢܗܘܢ ܪܛܢܘ ܘܐܒܕܘ ܒܐܝܕܝ ܡܚܒܠܢܐ 10
१०और न तुम कुड़कुड़ाओ, जिस रीति से उनमें से कितने कुड़कुड़ाए, और नाश करनेवाले के द्वारा नाश किए गए।
ܗܠܝܢ ܕܝܢ ܟܠܗܝܢ ܕܓܕܫ ܠܗܘܢ ܠܛܘܦܤܢ ܗܘܝ ܘܐܬܟܬܒ ܡܛܠ ܡܪܕܘܬܐ ܕܝܠܢ ܕܚܪܬܗܘܢ ܕܥܠܡܐ ܥܠܝܢ ܡܛܝܬ (aiōn g165) 11
११परन्तु ये सब बातें, जो उन पर पड़ीं, दृष्टान्त की रीति पर थीं; और वे हमारी चेतावनी के लिये जो जगत के अन्तिम समय में रहते हैं लिखी गईं हैं। (aiōn g165)
ܡܟܝܠ ܡܢ ܕܤܒܪ ܕܩܡ ܢܙܕܗܪ ܕܠܐ ܢܦܠ 12
१२इसलिए जो समझता है, “मैं स्थिर हूँ,” वह चौकस रहे; कि कहीं गिर न पड़े।
ܢܤܝܘܢܐ ܠܐ ܡܛܝܟܘܢ ܐܠܐ ܕܒܢܝܢܫܐ ܡܗܝܡܢ ܗܘ ܕܝܢ ܐܠܗܐ ܕܠܐ ܢܪܦܝܟܘܢ ܕܬܬܢܤܘܢ ܝܬܝܪ ܡܢ ܡܕܡ ܕܡܨܝܢ ܐܢܬܘܢ ܐܠܐ ܢܥܒܕ ܠܢܤܝܘܢܟܘܢ ܡܦܩܢܐ ܐܝܟܢܐ ܕܬܫܟܚܘܢ ܠܡܤܝܒܪܘ 13
१३तुम किसी ऐसी परीक्षा में नहीं पड़े, जो मनुष्य के सहने के बाहर है: और परमेश्वर विश्वासयोग्य है: वह तुम्हें सामर्थ्य से बाहर परीक्षा में न पड़ने देगा, वरन् परीक्षा के साथ निकास भी करेगा; कि तुम सह सको।
ܡܛܠ ܗܢܐ ܚܒܝܒܝ ܥܪܘܩܘ ܡܢ ܦܘܠܚܢܐ ܕܦܬܟܪܐ 14
१४इस कारण, हे मेरे प्यारों मूर्तिपूजा से बचे रहो।
ܐܝܟ ܕܠܚܟܝܡܐ ܐܡܪ ܐܢܐ ܕܘܢܘ ܐܢܬܘܢ ܡܕܡ ܕܐܡܪ ܐܢܐ 15
१५मैं बुद्धिमान जानकर, तुम से कहता हूँ: जो मैं कहता हूँ, उसे तुम परखो।
ܟܤܐ ܗܘ ܕܬܘܕܝܬܐ ܕܡܒܪܟܝܢܢ ܠܐ ܗܘܐ ܫܘܬܦܘܬܐ ܐܝܬܘܗܝ ܕܕܡܗ ܕܡܫܝܚܐ ܘܠܚܡܐ ܗܘ ܕܩܨܝܢܢ ܠܐ ܗܘܐ ܫܘܬܦܘܬܐ ܐܝܬܘܗܝ ܕܦܓܪܗ ܕܡܫܝܚܐ 16
१६वह धन्यवाद का कटोरा, जिस पर हम धन्यवाद करते हैं, क्या वह मसीह के लहू की सहभागिता नहीं? वह रोटी जिसे हम तोड़ते हैं, क्या मसीह की देह की सहभागिता नहीं?
ܐܝܟܢܐ ܕܚܕ ܗܘ ܠܚܡܐ ܗܘ ܗܟܢܐ ܟܠܢ ܚܕ ܚܢܢ ܦܓܪ ܟܠܢ ܓܝܪ ܡܢ ܗܘ ܗܘ ܚܕ ܠܚܡܐ ܢܤܒܝܢܢ 17
१७इसलिए, कि एक ही रोटी है तो हम भी जो बहुत हैं, एक देह हैं क्योंकि हम सब उसी एक रोटी में भागी होते हैं।
ܚܙܘ ܠܐܝܤܪܝܠ ܕܒܒܤܪ ܠܐ ܗܘܐ ܐܝܠܝܢ ܕܐܟܠܝܢ ܕܒܚܐ ܗܘܝܢ ܫܘܬܦܐ ܠܡܕܒܚܐ 18
१८जो शरीर के भाव से इस्राएली हैं, उनको देखो: क्या बलिदानों के खानेवाले वेदी के सहभागी नहीं?
ܡܢܐ ܗܟܝܠ ܐܡܪ ܐܢܐ ܕܦܬܟܪܐ ܡܕܡ ܐܝܬܘܗܝ ܐܘ ܕܒܚܐ ܕܦܬܟܪܐ ܡܕܡ ܗܘ ܠܐ 19
१९फिर मैं क्या कहता हूँ? क्या यह कि मूर्ति का बलिदान कुछ है, या मूरत कुछ है?
ܐܠܐ ܗܘ ܡܕܡ ܕܕܒܚܝܢ ܚܢܦܐ ܠܫܐܕܐ ܗܘ ܕܒܚܝܢ ܘܠܐ ܠܐܠܗܐ ܠܐ ܕܝܢ ܨܒܐ ܐܢܐ ܕܬܗܘܘܢ ܫܘܬܦܐ ܠܫܐܕܐ 20
२०नहीं, बस यह, कि अन्यजाति जो बलिदान करते हैं, वे परमेश्वर के लिये नहीं, परन्तु दुष्टात्माओं के लिये बलिदान करते हैं और मैं नहीं चाहता, कि तुम दुष्टात्माओं के सहभागी हो।
ܠܐ ܡܫܟܚܝܢ ܐܢܬܘܢ ܕܬܫܬܘܢ ܟܤܐ ܕܡܪܢ ܘܟܤܐ ܕܫܐܕܐ ܘܠܐ ܡܫܟܚܝܢ ܐܢܬܘܢ ܕܬܫܬܘܬܦܘܢ ܒܦܬܘܪܐ ܕܡܪܢ ܘܒܦܬܘܪܐ ܕܫܐܕܐ 21
२१तुम प्रभु के कटोरे, और दुष्टात्माओं के कटोरे दोनों में से नहीं पी सकते! तुम प्रभु की मेज और दुष्टात्माओं की मेज दोनों के सहभागी नहीं हो सकते।
ܐܘ ܕܠܡܐ ܡܛܢܘ ܡܛܢܝܢܢ ܠܡܪܢ ܕܠܡܐ ܚܤܝܢܝܢܢ ܡܢܗ 22
२२क्या हम प्रभु को क्रोध दिलाते हैं? क्या हम उससे शक्तिमान हैं?
ܟܠ ܡܕܡ ܫܠܝܛ ܠܝ ܐܠܐ ܠܐ ܟܠ ܡܕܡ ܦܩܚ ܟܠ ܡܕܡ ܫܠܝܛ ܠܝ ܐܠܐ ܠܐ ܟܠ ܡܕܡ ܡܒܢܐ 23
२३सब वस्तुएँ मेरे लिये उचित तो हैं, परन्तु सब लाभ की नहीं। सब वस्तुएँ मेरे लिये उचित तो हैं, परन्तु सब वस्तुओं से उन्नति नहीं।
ܠܐ ܐܢܫ ܕܢܦܫܗ ܢܗܘܐ ܒܥܐ ܐܠܐ ܟܠܢܫ ܐܦ ܕܚܒܪܗ 24
२४कोई अपनी ही भलाई को न ढूँढ़े वरन् औरों की।
ܟܠܡܕܡ ܕܡܙܕܒܢ ܒܡܩܠܘܢ ܗܘܝܬܘܢ ܐܟܠܝܢ ܕܠܐ ܥܘܩܒܐ ܡܛܠ ܬܐܪܬܐ 25
२५जो कुछ कसाइयों के यहाँ बिकता है, वह खाओ और विवेक के कारण कुछ न पूछो।
ܕܡܪܝܐ ܗܝ ܓܝܪ ܐܪܥܐ ܒܡܠܐܗ 26
२६“क्योंकि पृथ्वी और उसकी भरपूरी प्रभु की है।”
ܐܢ ܐܢܫ ܕܝܢ ܡܢ ܚܢܦܐ ܩܪܐ ܠܟܘܢ ܘܨܒܝܢ ܐܢܬܘܢ ܠܡܐܙܠ ܟܠܡܕܡ ܕܡܬܤܝܡ ܩܕܡܝܟܘܢ ܐܟܘܠܘ ܕܠܐ ܥܘܩܒܐ ܡܛܠ ܬܐܪܬܐ 27
२७और यदि अविश्वासियों में से कोई तुम्हें नेवता दे, और तुम जाना चाहो, तो जो कुछ तुम्हारे सामने रखा जाए वही खाओ: और विवेक के कारण कुछ न पूछो।
ܐܢ ܐܢܫ ܕܝܢ ܢܐܡܪ ܠܟܘܢ ܕܗܢܐ ܕܕܒܝܚܐ ܗܘ ܠܐ ܬܐܟܠܘܢ ܡܛܠ ܗܘ ܕܐܡܪ ܠܟܘܢ ܘܡܛܠ ܬܐܪܬܐ 28
२८परन्तु यदि कोई तुम से कहे, “यह तो मूरत को बलि की हुई वस्तु है,” तो उसी बतानेवाले के कारण, और विवेक के कारण न खाओ।
ܬܐܪܬܐ ܕܝܢ ܐܡܪ ܐܢܐ ܠܐ ܗܘܐ ܕܝܠܟܘܢ ܐܠܐ ܕܗܘ ܕܐܡܪ ܠܡܢܐ ܓܝܪ ܚܐܪܘܬܝ ܡܬܕܝܢܐ ܡܢ ܬܐܪܬܐ ܕܐܚܪܢܐ 29
२९मेरा मतलब, तेरा विवेक नहीं, परन्तु उस दूसरे का। भला, मेरी स्वतंत्रता दूसरे के विचार से क्यों परखी जाए?
ܐܢ ܐܢܐ ܒܛܝܒܘܬܐ ܡܬܚܫܚ ܐܢܐ ܡܢܐ ܡܬܓܕܦ ܐܢܐ ܥܠ ܡܕܡ ܕܐܢܐ ܡܘܕܐܢܐ 30
३०यदि मैं धन्यवाद करके सहभागी होता हूँ, तो जिस पर मैं धन्यवाद करता हूँ, उसके कारण मेरी बदनामी क्यों होती है?
ܐܢ ܐܟܠܝܢ ܐܢܬܘܢ ܗܟܝܠ ܘܐܢ ܫܬܝܢ ܐܢܬܘܢ ܘܐܢ ܡܕܡ ܥܒܕܝܢ ܐܢܬܘܢ ܟܠܡܕܡ ܠܬܫܒܘܚܬܐ ܕܐܠܗܐ ܗܘܝܬܘܢ ܥܒܕܝܢ 31
३१इसलिए तुम चाहे खाओ, चाहे पीओ, चाहे जो कुछ करो, सब कुछ परमेश्वर की महिमा के लिये करो।
ܕܠܐ ܬܘܩܠܐ ܗܘܘ ܠܝܗܘܕܝܐ ܘܠܐܪܡܝܐ ܘܠܥܕܬܗ ܕܐܠܗܐ 32
३२तुम न यहूदियों, न यूनानियों, और न परमेश्वर की कलीसिया के लिये ठोकर के कारण बनो।
ܐܝܟ ܕܐܦ ܐܢܐ ܒܟܠ ܡܕܡ ܠܟܠܢܫ ܫܦܪ ܐܢܐ ܘܠܐ ܒܥܐ ܐܢܐ ܡܕܡ ܕܠܝ ܦܩܚ ܐܠܐ ܡܕܡ ܕܠܤܓܝܐܐ ܦܩܚ ܕܢܚܘܢ 33
३३जैसा मैं भी सब बातों में सब को प्रसन्न रखता हूँ, और अपना नहीं, परन्तु बहुतों का लाभ ढूँढ़ता हूँ, कि वे उद्धार पाएँ।

< ܐ-ܩܘܪ̈ܝܢܬܝܐ 10 >