< المَزامِير 21 >

رَبُّ بِقُوَّتِكَ يَفْرَحُ الْمَلِكُ، وَمَا أَعْظَمَ بَهْجَتَهُ بِخَلاَصِكَ! ١ 1
ऐ ख़ुदावन्द! तेरी ताक़त से बादशाह खु़श होगा; और तेरी नजात से उसे बहुत ख़ुशी होगी।
لَقَدْ وَهَبْتَهُ بُغْيَةَ قَلْبِهِ وَلَمْ تَحْرِمْهُ مِنْ طِلْبَةِ شَفَتَيْهِ. ٢ 2
तूने उसके दिल की आरज़ू पूरी की है, और उसके मुँह की दरख़्वास्त को नामंजूर नहीं किया। (सिलाह)
بَادَرْتَهُ بِبَرَكَاتِ الْخَيْرِ، وَوَضَعْتَ عَلَى رَأْسِهِ تَاجاً مِنَ الذَّهَبِ النَّقِيِّ! ٣ 3
क्यूँकि तू उसे 'उम्दा बरकतें बख़्शने में पेश कदमी करता, और ख़ालिस सोने का ताज उसके सिर पर रखता है।
طَلَبَ مِنْكَ الْحَيَاةَ فَوَهَبْتَهَا لَهُ، إِذْ أَطَلْتَ عُمْرَهُ إِلَى أَبَدِ الدُّهُورِ. ٤ 4
उसने तुझ से ज़िन्दगी चाही और तूने बख़्शी; बल्कि उम्र की दराज़ी हमेशा के लिए।
عَظِيمٌ مَجْدُهُ بِفَضْلِ خَلاَصِكَ، بِالْعِزَّةِ وَالْبَهَاءِ كَلَّلْتَهُ. ٥ 5
तेरी नजात की वजह से उसकी शौकत 'अज़ीम है; तू उसे हश्मत — ओ — जलाल से आरास्ता करता है।
لأَنَّكَ جَعَلْتَهُ أَكْثَرَ الْمُبَارَكِينَ إِلَى الأَبَدِ. تَغْمُرُهُ بِفَيْضِ الْفَرَحِ فِي حَضْرَتِكَ. ٦ 6
क्यूँकि तू हमेशा के लिए उसे बरकतों से मालामाल करता है; और अपने सामने उसे ख़ुश — ओ — ख़ुर्रम रखता है।
لأَنَّ الْمَلِكَ يَتَوَكَّلُ عَلَى الرَّبِّ، وَبِنِعْمَةِ الْعَلِيِّ لاَ يَتَزَعْزَعُ. ٧ 7
क्यूँकि बादशाह का भरोसा ख़ुदावन्द पर है; और हक़ता'ला की शफ़क़त की बदौलत उसे हरगिज़ जुम्बिश न होगी।
يَدُكَ حَتْماً تَنَالُ جَمِيعَ أَعْدَائِكَ، وَيُمْنَاكَ حَقّاً تَظْفَرُ بِمُبْغِضِيكَ. ٨ 8
तेरा हाथ तेरे सब दुश्मनों को ढूंड निकालेगा, तेरा दहना हाथ तुझ से कीना रखने वालों का पता लगा लेगा।
حِينَ يَتَجَلَّى وَجْهُكَ تُحْرِقُهُمْ كَمَا بِمَوْقِدٍ مُشْتَعِلٍ. تَلْتَهِمُهُمْ فِي غَضَبِكَ فَتَأْكُلُهُمُ النَّارُ. ٩ 9
तू अपने क़हर के वक़्त उनको जलते तनूर की तरह कर देगा। ख़ुदावन्द अपने ग़ज़ब में उनको निगल जाएगा, और आग उनको खा जाएगी।
تُبِيدُ ذُرِّيَّتَهُمْ مِنَ الأَرْضِ وَنَسْلَهُمْ مِنْ بَيْنِ بَنِي آدَمَ. ١٠ 10
तू उनके फल को ज़मीन पर से बर्बाद कर देगा, और उनकी नसल को बनी आदम में से।
لَقَدْ تَآمَرُوا لِلإِسَاءَةِ إِلَيْكَ، وَدَبَّرُوا مَكِيدَةً شِرِّيرَةً لَمْ يُفْلِحُوا فِيهَا. ١١ 11
क्यूँकि उन्होंने तुझ से बदी करना चाहा, उन्होंने ऐसा मन्सूबा बाँधा जिसे वह पूरा नहीं कर सकते।
لأَنَّكَ تَجْعَلُهُمْ يُدْبِرُونَ لِلْهَرَبِ، عِنْدَمَا تَشُدُّ وَتَرَ الْقَوْسِ نَحْوَ وُجُوهِهِمْ. ١٢ 12
क्यूँकि तू उनका मुँह फेर देगा, तू उनके मुक़ाबले में अपने चिल्ले चढ़ाएगा।
ارْتَفِعْ يَارَبُّ بِقُوَّتِكَ، فَنَتَرَنَّمَ وَنَتَغَنَّى بِقُدْرَتِكَ. ١٣ 13
ऐ ख़ुदावन्द, तू अपनी ही ताक़त में सरबुलन्द हो! और हम गाकर तेरी क़ुदरत की सिताइश करेंगे।

< المَزامِير 21 >