< المَزامِير 108 >
إِنَّ قَلْبِي ثَابِتٌ يَااللهُ. أُرَنِّمُ وَأَشْدُو لَكَ. فَهَيَّا اسْتَيْقِظِي يَانَفْسِي. | ١ 1 |
ऐ ख़ुदा, मेरा दिल क़ाईम है; मैं गाऊँगा और दिल से मदहसराई करूँगा।
اسْتَيْقِظِي أَيَّتُهَا الرَّبَابُ وَالْعُودُ. أَنَا أَسْتَيْقِظُ قُبَيْلَ الْفَجْرِ. | ٢ 2 |
ऐ बरबत और सितार जागो! मैं ख़ुद भी सुबह सवेरे जाग उठूँगा।
أَحْمَدُكَ بَيْنَ الشُّعُوبِ يَارَبُّ وَأَشْدُو لَكَ بَيْنَ الأُمَمِ. | ٣ 3 |
ऐ ख़ुदावन्द, मैं लोगों में तेरा शुक्र करूँगा, मैं उम्मतों में तेरी मदहसराई करूँगा।
فَإِنَّ رَحْمَتَكَ قَدْ عَظُمَتْ فَوْقَ السَّمَاوَاتِ وَحَقَّكَ بَلَغَ الْغُيُومَ. | ٤ 4 |
क्यूँकि तेरी शफ़क़त आसमान से बुलन्द है, और तेरी सच्चाई आसमानों के बराबर है।
ارْتَفِعْ يَااللهُ فَوْقَ السَّمَاوَاتِ، وَلْيَتَسَامَ مَجْدُكَ فَوْقَ الأَرْضِ كُلِّهَا. | ٥ 5 |
ऐ ख़ुदा, तू आसमानों पर सरफ़राज़ हो! और तेरा जलाल सारी ज़मीन पर हो
اسْتَجِبْ لِي وَخَلِّصْ بِيَمِينِكَ الْمُقْتَدِرَةِ كَي يَنْجُوَ أَحِبَّاؤُكَ. | ٦ 6 |
अपने दहने हाथ से बचा और हमें जवाब दे, ताकि तेरे महबूब बचाए जाएँ।
قَدْ تَكَلَّمَ اللهُ فِي قَدَاسَتِهِ، لِذَلِكَ أَبْتَهِجُ وَأَقْسِمُ أَرْضَ شَكِيمَ وَأَقِيسُ وَادِي سُكُّوتَ، | ٧ 7 |
ख़ुदा ने अपनी पाकिज़गी में यह फ़रमाया है “मैं खु़शी करूँगा, मैं सिकम को तक़्सीम करूँगा और सुकात की वादी को बाटुँगा।
لِي جِلْعَادُ، وَلِي مَنَسَّى؛ أَفْرَايِمُ خُوذَةُ رَأْسِي، وَيَهُوذَا صَوْلَجَانِي. | ٨ 8 |
जिल'आद मेरा है, मनस्सी मेरा है; इफ़्राईम मेरे सिर का खू़द है; यहूदाह मेरा 'असा है।
مُوآبُ مِرْحَضَتِي، وَعَلَى أَدُومَ أُلْقِي حِذَائِي، وعَلَى فَلَسْطِينَ أَهْتِفُ مُنْتَصِراً. | ٩ 9 |
मोआब मेरी चिलपची है, अदोम पर मैं जूता फेकूँगा, मैं फ़िलिस्तीन पर ललकारूँगा।”
مَنْ يَقُودُنِي لِمُحَارَبَةِ الْمَدِينَةِ الْمُحَصَّنَةِ؟ مَنْ يَهْدِينِي إِلَى أَدُومَ؟ | ١٠ 10 |
मुझे उस फ़सीलदार शहर में कौन पहुँचाएगा? कौन मुझे अदोम तक ले गया है?
أَلَيْسَ أَنْتَ يَااللهُ الَّذِي أَقْصَيْتَنَا وَلَمْ تَعُدْ تَخْرُجُ مَعَ جُيُوشِنَا؟ | ١١ 11 |
ऐ ख़ुदा, क्या तूने हमें रद्द नहीं कर दिया? ऐ ख़ुदा, तू हमारे लश्करों के साथ नहीं जाता।
هَبْ لَنَا عَوْناً فِي الضِّيقِ، فَعَبَثٌ هُوَ خَلاَصُ الإِنْسَانِ. | ١٢ 12 |
मुख़ालिफ़ के मुक़ाबिले में हमारी मदद कर, क्यूँकि इंसानी मदद 'बेकार है।
لَكِنْ بِعَوْنِ اللهِ نُحَارِبُ بِبَأْسٍ، وَهُوَ الَّذِي يَدُوسُ أَعْدَاءَنَا. | ١٣ 13 |
ख़ुदा की बदौलत हम दिलावरी करेगी; क्यूँकि वही हमारे मुख़ालिफ़ों को पामाल करेगा।