< الأمثال 14 >

حِكْمَةُ الْمَرْأَةِ تَبْنِي بَيْتَهَا، وَحَمَاقَتُهَا تَهْدِمُهُ بِيَدَيْهَا. ١ 1
'अक़्लमंद 'औरत अपना घर बनाती है, लेकिन बेवक़ूफ़ उसे अपने ही हाथों से बर्बाद करती है।
السَّالِكُ بِاسْتِقَامَتِهِ يَتَّقِي الرَّبَّ، وَذُو الطُّرُقِ الْمُعْوَجَّةِ يَسْتَخِفُّ بِهِ. ٢ 2
रास्तरौ ख़ुदावन्द से डरता है, लेकिन कजरौ उसकी हिक़ारत करता है।
فِي أَقْوَالِ فَمِ الْجَاهِلِ سَفَاهَةٌ تُخْزِي كِبْرِيَاءَهُ، أَمَّا شِفَاهُ الْحُكَمَاءِ فَتَصُونُهُمْ. ٣ 3
बेवक़ूफ़ में से गु़रूर फूट निकलता है, लेकिन 'अक़्लमंदों के लब उनकी निगहबानी करते हैं।
الْحَظِيرَةُ الْخَاوِيَةُ مِنَ الْبَقَرِ مَعْلَفُهَا فَارِغٌ، وَوَفْرَةُ الْغِلاَلِ بِقُوَّةِ الثَّوْرِ. ٤ 4
जहाँ बैल नहीं, वहाँ चरनी साफ़ है, लेकिन ग़ल्ला की अफ़ज़ा इस बैल के ज़ोर से है।
الشَّاهِدُ الأَمِينُ لاَ يَكْذِبُ، وَالشَّاهِدُ الزُّورُ يَنْفُثُ كَذِباً. ٥ 5
ईमानदार गवाह झूट नहीं बोलता, लेकिन झूटा गवाह झूटी बातें बयान करता है।
عَبَثاً يَلْتَمِسُ الأَحْمَقُ حِكْمَةً، أَمَّا الْعِلْمُ فَمُتَيَسِّرٌ لِلْفَطِنِ. ٦ 6
ठठ्ठा बाज़ हिकमत की तलाश करता और नहीं पाता, लेकिन समझदार को 'इल्म आसानी से हासिल होता है।
انْصَرِفْ مِنْ حَضْرَةِ الْجَاهِلِ إِذْ لاَ عِلْمَ فِي أَقْوَالِهِ. ٧ 7
बेवक़ूफ़ से किनारा कर, क्यूँकि तू उस में 'इल्म की बातें नहीं पाएगा।
حِكْمَةُ الْعَاقِلِ فِي تَبَيُّنِ حُسْنِ مَسْلَكِهِ، وَغَبَاوَةُ الْجُهَّالِ فِي ارْتِكَابِ خِدَعِهِمْ. ٨ 8
होशियार की हिकमत यह है कि अपनी राह पहचाने, लेकिन बेवक़ूफ़ की बेवक़ूफ़ी धोखा है।
كُلُّ جَاهِلٍ يَسْتَهْزِئُ بِالإِثْمِ، أَمَّا بَيْنَ الْمُسْتَقِيمِينَ فَيَشِيعُ رِضَى اللهِ. ٩ 9
बेवक़ूफ़ गुनाह करके हँसते हैं, लेकिन रास्तकारों में रज़ामंदी है।
الْقَلْبُ وَحْدَهُ يَعْرِفُ عُمْقَ مَرَارَةِ نَفْسِهِ، وَلاَ يُقَاسِمُهُ فَرَحَهُ غَرِيبٌ. ١٠ 10
अपनी तल्ख़ी को दिल ही खू़ब जानता है, और बेगाना उसकी खु़शी में दख़्ल नहीं रखता।
بَيْتُ الأَشْرَارِ يَنْهَارُ، وَخِبَاءُ الْمُسْتَقِيمِينَ يَزْدَهِرُ. ١١ 11
शरीर का घर बर्बाद हो जाएगा, लेकिन रास्त आदमी का खे़मा आबाद रहेगा।
رُبَّ طَرِيقٍ تَبْدُو لِلإِنْسَانِ قَوِيمَةً، وَلَكِنَّ عَاقِبَتَهَا هُوَّةُ الْمَوْتِ. ١٢ 12
ऐसी राह भी है जो इंसान को सीधी मा'लूम होती है, लेकिन उसकी इन्तिहा में मौत की राहें हैं।
فِي الضَّحِكِ أَيْضاً تَطْغَى الْكَآبَةُ عَلَى الْقَلْبِ، وَعَاقِبَةُ الْفَرَحِ الْغَمُّ. ١٣ 13
हँसने में भी दिल ग़मगीन है, और शादमानी का अंजाम ग़म है।
ذُو الْقَلْبِ الْمُرْتَدِّ يُجَازَى بِمُقْتَضَى طُرُقِهِ، وَالصَّالِحُ يُثَابُ. ١٤ 14
नाफ़रमान दिल अपने चाल चलन का बदला पाता है, और नेक आदमी अपने काम का।
الْغَبِيُّ يُصَدِّقُ كُلَّ كَلِمَةٍ تُقَالُ لَهُ، وَالْعَاقِلُ يَتَنَبَّهُ إِلَى مَوْقِعِ خَطَوَاتِهِ. ١٥ 15
नादान हर बात का यक़ीन कर लेता है, लेकिन होशियार आदमी अपने चाल चलन को देखता भालता है।
الْحَكِيمُ يَخْشَى الشَّرَّ وَيَتَفَادَاهُ، وَالْجَاهِلُ يَتَصَلَّفُ وَيَدَّعِي الثِّقَةَ بِالنَّفْسِ. ١٦ 16
'अक़्लमंद डरता है और बदी से अलग रहता है, लेकिन बेवक़ूफ़ झुंझलाता है और बेख़ौफ़ रहता है।
ذُو الطَّبْعِ الْحَادِّ يَتَصَرَّفُ بِحُمْقٍ، وَذُو الْمَكَائِدِ مَمْقُوتٌ. ١٧ 17
जूद रंज बेवक़ूफ़ी करता है, और बुरे मन्सुबे बाँधने वाला घिनौना है।
يَرِثُ الأَغْبِيَاءُ الْحَمَاقَةَ، وَيُتَوَّجُ الْعُقَلاَءُ بِالْعِلْمِ. ١٨ 18
नादान हिमाक़त की मीरास पाते हैं, लेकिन होशियारों के सिर लेकिन 'इल्म का ताज है।
يَنْحَنِي الأَشْرَارُ فِي مَحْضَرِ الأَخْيَارِ، وَالأَثَمَةُ لَدَى الصِّدِّيقِ. ١٩ 19
शरीर नेकों के सामने झुकते हैं, और ख़बीस सादिक़ों के दरवाज़ों पर।
الْفَقِيرُ مَكْرُوهٌ حَتَّى عِنْدَ جَارِهِ، أَمَّا مُحِبُّو الْغَنِيِّ فَكَثِيرُونَ. ٢٠ 20
कंगाल से उसका पड़ोसी भी बेज़ार है, लेकिन मालदार के दोस्त बहुत हैं।
مَنْ يَحْتَقِرُ صَاحِبَهُ يَأْثَمُ، وَطُوبَى لِمَنْ يَرْحَمُ الْبَائِسِينَ. ٢١ 21
अपने पड़ोसी को हक़ीर जानने वाला गुनाह करता है, लेकिन कंगाल पर रहम करने वाला मुबारक है।
أَلاَ يَضِلُّ مُخْتَرِعُو الشَّرِّ؟ أَمَّا الْعَامِلُونَ خَيْراً فَيُلاَقُونَ رَحْمَةً وَصِدْقاً. ٢٢ 22
क्या बदी के मूजिद गुमराह नहीं होते? लेकिन शफ़क़त और सच्चाई नेकी के मूजिद के लिए हैं।
فِي كُلِّ جَهْدٍ مَبْذُولٍ رِبْحٌ، أَمَّا مُجَرَّدُ الْكَلاَمِ فَيُؤَدِّي إِلَى الْفَقْرِ. ٢٣ 23
हर तरह की मेहनत में नफ़ा' है, लेकिन मुँह की बातों में महज़ मुहताजी है।
تَاجُ الْحُكَمَاءِ غِنَى حِكْمَتِهِمْ، وَالْحَمَاقَةُ إِكْلِيلُ الْجُهَّالِ. ٢٤ 24
'अक़्लमंदों का ताज उनकी दौलत है, लेकिन बेवक़ूफ़ की बेवक़ूफ़ी ही बेवक़ूफ़ी है।
شَاهِدُ الْحَقِّ يُنَجِّي النُّفُوسَ، وَالنَّاطِقُ بِالزُّورِ يَنْفُثُ كَذِباً. ٢٥ 25
सच्चा गवाह जान बचाने वाला है, लेकिन झूठा गवाह दग़ाबाज़ी करता है।
فِي تَقْوَى الرَّبِّ ثِقَةٌ شَدِيدَةٌ؛ فِيهَا يَجِدُ أَبْنَاؤُهُ مَلاَذاً. ٢٦ 26
ख़ुदावन्द के ख़ौफ़ में क़वी उम्मीद है, और उसके फ़र्ज़न्दों को पनाह की जगह मिलती है।
تَقْوَى الرَّبِّ يَنْبُوعُ حَيَاةٍ لِتَفَادِي أَشْرَاكِ الْمَوْتِ. ٢٧ 27
ख़ुदावन्द का ख़ौफ़ ज़िन्दगी का चश्मा है, जो मौत के फंदों से छुटकारे का ज़रिया' है।
فِي كَثْرَةِ الشَّعْبِ فَخْرٌ لِلْمَلِكِ، وَفِي فُقْدَانِ الرَّعِيَّةِ دَمَارٌ لِمَقَامِ الأَمِيرِ. ٢٨ 28
रि'आया की कसरत में बादशाह की शान है, लेकिन लोगों की कमी में हाकिम की तबाही है।
الْبَطِيءُ الْغَضَبِ ذُو فَهْمٍ كَثِيرٍ، أَمَّا السَّرِيعُ إِلَى السَّخْطِ فَيُبْدِي حَمَاقَةً. ٢٩ 29
जो क़हर करने में धीमा है, बड़ा 'अक़्लमन्द है लेकिन वह जो बेवक़ूफ़ है हिमाकत को बढ़ाता है।
الْقَلْبُ الْمُطْمَئِنُّ يَهَبُ أَعْضَاءَ الْجَسَدِ حَيَاةً، وَالْحَسَدُ يَنْخُرُ فِي الْعِظَامِ. ٣٠ 30
मुत्मइन दिल, जिस्म की जान है, लेकिन जलन हड्डियों की बूसीदिगी है।
مَنْ يَجُورُ عَلَى الْفَقِيرِ يُهِينُ صَانِعَهُ، وَمَنْ يَرْحَمُ الْبَائِسَ يُكْرِمُ خَالِقَهُ، ٣١ 31
ग़रीब पर जु़ल्म करने वाला उसके ख़ालिक़ की इहानत करता है, लेकिन उसकी ता'ज़ीम करने वाला मुहताजों पर रहम करता है।
يُعَاقَبُ الشِّرِّيرُ بِمُقْتَضَى سُوءِ تَصَرُّفَاتِهِ، أَمَّا الصِّدِّيقُ فَلَهُ مُعْتَصَمٌ عِنْدَ مَوْتِهِ. ٣٢ 32
शरीर अपनी शरारत में पस्त किया जाता है, लेकिन सादिक़ मरने पर भी उम्मीदवार है।
فِي قَلْبِ الْفَطِنِ تَسْتَقِرُّ الْحِكْمَةُ، وَيَخْلُو مِنْهَا قَلْبُ الْجُهَّالِ. ٣٣ 33
हिकमत 'अक़्लमंद के दिल में क़ाईम रहती है, लेकिन बेवक़ूफ़ों का दिली राज़ खुल जाता है।
الْبِرُّ يَسْمُو بِالأُمَّةِ، وَالْخَطِيئَةُ عَارٌ لِكُلِّ شَعْبٍ. ٣٤ 34
सदाक़त कौम को सरफ़राज़ी बख़्शती है, लकिन गुनाह से उम्मतों की रुस्वाई है।
الْعَبْدُ الْعَاقِلُ يَحْظَى بِرِضَى الْمَلِكِ، وَالْعَبْدُ الْمُخْزِي يَسْتَجْلِبُ سَخَطَهُ. ٣٥ 35
'अक़्लमंद ख़ादिम पर बादशाह की नज़र — ए — इनायत है, लेकिन उसका क़हर उस पर है जो रुस्वाई का ज़रिया' है।

< الأمثال 14 >