< لاويّين 4 >

وَقَالَ الرَّبُّ لِمُوسَى: ١ 1
और ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा कि,
«أَوْصِ بَنِي إِسْرَائِيلَ: إِنْ سَهَتْ نَفْسٌ فَأَخْطَأَتْ فِي أَمْرٍ مِنْ كُلِّ نَوَاهِي الرَّبِّ، وَاقْتَرَفَتْ مَا لاَ يَنْبَغِي، فَهَذَا مَا تَفْعَلُونَهُ: ٢ 2
बनी इस्राईल से कह कि अगर कोई उन कामों में से जिनको ख़ुदावन्द ने मना' किया है, किसी काम को करे और उससे अनजाने में ख़ता हो जाए।
إِنْ أَخْطَأَ الْكَاهِنُ الْمَمْسُوحُ سَهْواً، وَجَلَبَ عَلَى الشَّعْبِ إِثْماً، فَلْيُقَدِّمْ لِلرَّبِّ عَنْ خَطِيئَتِهِ الَّتِي ارْتَكَبَهَا ثَوْراً لاَ عَيْبَ فِيهِ، ذَبِيحَةَ خَطِيئَةٍ. ٣ 3
अगर काहिन — ए — मम्सूह ऐसी ख़ता करे जिससे क़ौम मुजरिम ठहरती हो, तो वह अपनी उस ख़ता के लिए जो उसने की है, एक बे — 'ऐब बछड़ा ख़ता की क़ुर्बानी के तौर पर ख़ुदावन्द के सामने पेश करे।
فَيُحْضِرُ الثَّوْرَ إِلَى مَدْخَلِ خَيْمَةِ الاجْتِمَاعِ فِي حَضْرَةِ الرَّبِّ، وَيَضَعُ يَدَهُ عَلَى رَأْسِهِ وَيَذْبَحُهُ أَمَامَ الرَّبِّ. ٤ 4
वह उस बछड़े को ख़ेमा — ए — इजितमा'अ के दरवाज़े पर ख़ुदावन्द के आगे लाए, और बछड़े के सिर पर अपना हाथ रख्खे और उसको ख़ुदावन्द के आगे ज़बह करे।
وَيَأْخُذُ الْكَاهِنُ الْمَمْسُوحُ مِنْ دَمِ الثَّوْرِ وَيَدْخُلُ بِهِ إِلَى خَيْمَةِ الاجْتِمَاعِ، ٥ 5
और वह काहिन — ए — मम्सूह उस बछड़े के ख़ून में से कुछ लेकर उसे ख़ेमा — ए — इजितमा'अ में ले जाए।
ثُمَّ يَغْمِسُ إِصْبَعَهُ فِي الدَّمِ وَيَرُشُّ مِنْهُ سَبْعَ مَرَّاتٍ أَمَامَ الرَّبِّ عِنْدَ حِجَابِ الْقُدْسِ، الْفَاصِلِ بَيْنَ الْقُدْسِ وَقُدْسِ الأَقْدَاسِ. ٦ 6
और काहिन अपनी उँगली ख़ून में डुबो — डुबो कर, और ख़ून में से ले लेकर उसे हैकल के पर्दे के सामने सात बार ख़ुदावन्द के आगे छिड़के।
ثُمَّ يَضَعُ الْكَاهِنُ بَعْضَ الدَّمِ عَلَى قُرُونِ مَذْبَحِ الْبَخُورِ الْعَطِرِ الَّذِي فِي دَاخِلِ الْقُدْسِ فِي حَضْرَةِ الرَّبِّ. أَمَّا بَقِيَّةُ دَمِ الثَّوْرِ فَيَصُبُّهُ عِنْدَ قَاعِدَةِ مَذْبَحِ الْمُحْرَقَةِ، الْقَائِمِ عِنْدَ مَدْخَلِ خَيْمَةِ الاجْتِمَاعِ. ٧ 7
और काहिन उसी ख़ून में से ख़ुशबूदार ख़ुशबू जलाने की क़ुर्बानगाह के सींगों पर, जो ख़ेमा — ए — इज्तिमा'अ में है, ख़ुदावन्द के आगे लगाए; और उस बछड़े के बाक़ी सब ख़ून को सोख़्तनी क़ुर्बानी के मज़बह के पाये पर, जो ख़ेमा — ए — इजितमा'अ के दरवाज़े पर है उँडेल दे।
وَيَنْزِعُ جَمِيعَ شَحْمِ ثَوْرِ الْخَطِيئَةِ وَشَحْمِ الأَعْضَاءِ الدَّاخِلِيَّةِ كُلِّهَا، ٨ 8
फिर वह ख़ता की क़ुर्बानी के बछड़े की सब चर्बी को उससे अलग करे; या'नी जिस चर्बी से अंतड़ियाँ ढकी रहती हैं, और वह सब चर्बी जो अंतड़ियों पर लिपटी रहती है,
وَالْكُلْيَتَيْنِ وَشَحْمَهُمَا الَّذِي عَلَى الْخَاصِرَتَيْنِ وَالْمَرَارَةَ، ٩ 9
और दोनों गुर्दे और उनके ऊपर की चर्बी जो कमर के पास रहती है, और जिगर पर की झिल्ली गुर्दों के साथ; इन सभों को वह वैसे ही अलग करे।
عَلَى غِرَارِ مَا يَفْعَلُ بِثَوْرِ ذَبِيحَةِ السَّلاَمِ، وَيُحْرِقُهَا الْكَاهِنُ عَلَى مَذْبَحِ الْمُحْرَقَةِ. ١٠ 10
जैसे सलामती के ज़बीहे के बछड़े से वह अलग किए जाते हैं; और काहिन उनको सोख़्तनी क़ुर्बानी के मज़बह पर जलाए।
أَمَّا جِلْدُ الثَّوْرِ وَكُلُّ لَحْمِهِ مَعَ رَأْسِهِ وَأَكَارِعِهِ وَأَمْعَائِهِ وَفَرْثِهِ ١١ 11
और उस बछड़े की खाल, और उसका सब गोश्त, और सिर और पाये, और अंतड़ियाँ और गोबर;
فَإِنَّهُ يَحْمِلُهَا إِلَى خَارِجِ الْمُخَيَّمِ إِلَى مَكَانٍ طَاهِرٍ، حَيْثُ يَطْرَحُ الرَّمَادَ، فَيُحْرِقُهَا كُلَّهَا عَلَى حَطَبٍ مُشْتَعِلٍ فَوْقَ مَكَانِ إِلْقَاءِ الرَّمَادِ. ١٢ 12
या'नी पूरे बछड़े को लश्कर गाह के बाहर किसी साफ़ जगह में जहाँ राख पड़ती है, ले जाए; और सब कुछ लकड़ियों पर रख कर आग से जलाए, वह वहीं जलाया जाए जहाँ राख डाली जाती है।
وَإِنْ أَخْطَأَ شَعْبُ إِسْرَائِيلَ كُلُّهُ سَهْواً، وَاقْتَرَفُوا إِحْدَى نَوَاهِي الرَّبِّ الَّتِي لاَ يَنْبَغِي اقْتِرَافُهَا، وَأَثِمُوا، وَكَانَ الْمَجْمَعُ غَافِلاً عَنِ الأَمْرِ، ١٣ 13
'अगर बनी — इस्राईल की सारी जमा'अत से अनजाने चूक हो जाए, और यह बात जमा'अत की आँखों से छिपी तो हो तो भी वह उन कामों में से जिन्हें ख़ुदावन्द ने मना' किया है, किसी काम को करके मुजरिम हो गई हो,
ثُمَّ اكْتَشَفَ الْمَجْمَعُ الْخَطِيئَةَ الْمُرْتَكَبَةَ، عِنْدَئِذٍ يُقَرِّبُ الْمَجْمَعُ ثَوْراً ذَبِيحَةَ خَطِيئَةٍ، يُحْضِرُونَهُ أَمَامَ الرَّبِّ عِنْدَ خَيْمَةِ الاجْتِمَاعِ. ١٤ 14
तो उस ख़ता के जिसके वह क़ुसूरवार हों, मा'लूम हो जाने पर जमा'अत एक बछड़ा ख़ता की क़ुर्बानी के तौर पर चढ़ाने के लिए ख़ेमा — ए — इजितमा'अ के सामने लाए।
وَيَضَعُ شُيُوخُ الشَّعْبِ أَيْدِيَهُمْ عَلَى رَأْسِ الثَّوْرِ فِي حَضْرَةِ الرَّبِّ، وَيَذْبَحُونَهُ هُنَاكَ، ١٥ 15
और जमा'अत के बुज़ुर्ग अपने — अपने हाथ ख़ुदावन्द के आगे उस बछड़े के सिर पर रख्खें, और बछड़ा ख़ुदावन्द के आगे ज़बह किया जाए।
وَيَأْخُذُ الْكَاهِنُ الْمَمْسُوحُ مِنْ دَمِ الثَّوْرِ وَيَدْخُلُ بِهِ إِلَى خَيْمَةِ الاجْتِمَاعِ، ١٦ 16
और काहिन — ए — मम्सूह उस बछड़े के ख़ून में से कुछ ख़ेमा — ए — इजितमा'अ में ले जाए;
ثُمَّ يَغْمِسُ إِصْبَعَهُ فِي الدَّمِ وَيَرُشُّ مِنْهُ سَبْعَ مَرَّاتٍ أَمَامَ الرَّبِّ عِنْدَ حِجَابِ «الْقُدْسِ» ١٧ 17
और काहिन अपनी उँगली उस ख़ून में डुबो — डुबो कर उसे पर्दे के सामने सात बार ख़ुदावन्द के आगे छिड़के,
وَكَذَلِكَ يَضَعُ بَعْضَ الدَّمِ عَلَى قُرُونِ مَذْبَحِ الْبَخُورِ الْعَطِرِ الَّذِي فِي دَاخِلِ «الْقُدْسِ» فِي حَضْرَةِ الرَّبِّ. أَمَّا بَقِيَّةُ الدَّمِ فَيَصُبُّهُ عِنْدَ قَاعِدَةِ مَذْبَحِ الْمُحْرَقَةِ الْقَائِمِ عِنْدَ مَدْخَلِ خَيْمَةِ الاجْتِمَاعِ. ١٨ 18
और उसी ख़ून में से मज़बह के सींगों पर जो ख़ुदावन्द के आगे ख़ेमा — ए — इजितमा'अ में है लगाए, और बाक़ी सारा ख़ून सोख़्तनी क़ुर्बानी के मज़बह के पाये पर, जो ख़ेमा — ए — इजितमा'अ के दरवाज़े पर है, उँडेल दे।
وَيَنْزِعُ الْكَاهِنُ جَمِيعَ شَحْمِهِ وَيُحْرِقُهُ عَلَى الْمَذْبَحِ. ١٩ 19
और उसकी सब चर्बी उससे अलग करके उसे मज़बह पर जलाए।
وَيَفْعَلُ بِالثَّوْرِ كَمَا فَعَلَ بِثَوْرِ الْخَطِيئَةِ، فَيُكَفِّرُ عَنْهُمُ الْكَاهِنُ وَيَغْفِرُ اللهُ لَهُمْ. ٢٠ 20
वह बछड़े से यही करे, या'नी जो कुछ ख़ता की क़ुर्बानी के बछड़े से किया था, वही इस बछड़े से करे। यूँ काहिन उनके लिए कफ़्फ़ारा दे, तो उन्हें मु'आफ़ी मिलेगी;
ثُمَّ يَحْمِلُ بَقِيَّةَ الثَّوْرِ إِلَى خَارِجِ الْمُخَيَّمِ وَيُحْرِقُهُ كَمَا أَحْرَقَ الثَّوْرَ الأَوَّلَ، فَيَكُونُ ذَبِيحَةَ خَطِيئَةٍ عَنْ كُلِّ الشَّعْبِ. ٢١ 21
और वह उस बछड़े को लश्करगाह के बाहर ले जा कर जलाए, जैसे पहले बछड़े को जलाया था; यह जमा'अत की ख़ता की क़ुर्बानी है।
إِنْ أَخْطَأَ أَحَدُ قَادَةِ الشَّعْبِ سَهْواً، وَاقْتَرَفَ إِحْدَى نَوَاهِي الرَّبِّ الَّتِي لاَ يَنْبَغِي اقْتِرَافُهَا وَأَثِمَ، ٢٢ 22
और जब किसी सरदार से ख़ता हो जाए, और वह उन कामों में से जिन्हें ख़ुदावन्द ने मना' किया है किसी काम को अनजाने में कर बैठे और मुजरिम हो जाए।
ثُمَّ تَنَبَّهَ إِلَى خَطَئِهِ الَّذِي ارْتَكَبَهُ، فَإِنَّهُ يُحْضِرُ قُرْبَاناً، جَدْياً ذَكَراً سَلِيماً مِنْ كُلِّ عَيْبٍ، ٢٣ 23
तो जब वह ख़ता जो उससे सरज़द हुई है उसे बता दी जाए, तो वह एक बे — 'ऐब बकरा अपनी क़ुर्बानी के लिए लाए;
وَيَضَعُ يَدَهُ عَلَى رَأْسِ الْجَدْيِ وَيَذْبَحُهُ فِي الْجَانِبِ الشِّمَالِيِّ لِمَذْبَحِ الْمُحْرَقَةِ، أَمَامَ الرَّبِّ. فَيَكُونُ ذَبِيحَةَ خَطِيئَةٍ. ٢٤ 24
और अपना हाथ उस बकरे के सिर पर रख्खे, और उसे उस जगह ज़बह करे जहाँ सोख़्तनी क़ुर्बानी के जानवर ख़ुदावन्द के आगे ज़बह करते हैं; यह ख़ता की क़ुर्बानी है।
وَيَأْخُذُ الْكَاهِنُ مِنْ دَمِ ذَبِيحَةِ الْخَطِيئَةِ بِإِصْبَعِهِ وَيَضَعُهُ عَلَى قُرُونِ مَذْبَحِ الْمُحْرَقَةِ. ٢٥ 25
और काहिन ख़ता की क़ुर्बानी का कुछ ख़ून अपनी उँगली पर लेकर उसे सोख़्तनी क़ुर्बानी के मज़बह के सींगों पर लगाए, और उसका बाक़ी सब ख़ून सोख़्तनी क़ुर्बानी के मज़बह के पाए पर उँडेल दे।
وَيُحْرِقُ جَمِيعَ شَحْمِهِ عَلَى الْمَذْبَحِ، كَمَا فَعَلَ بِشَحْمِ ذَبِيحَةِ السَّلاَمِ. وَهَكَذَا يُكَفِّرُ الْكَاهِنُ عَنْ خَطِيئَتِهِ، فَيَغْفِرُ الرَّبُّ لَهُ. ٢٦ 26
और सलामती के ज़बीहे की चर्बी की तरह उसकी सब चर्बी मज़बह पर जलाए। यूँ काहिन उसकी ख़ता का कफ़्फ़ारा दे, तो उसे मु'आफ़ी मिलेगी।
وَإِنْ أَخْطَأَ وَاحِدٌ مِنْ عَامَّةِ الشَّعْبِ سَهْواً وَاقْتَرَفَ إِحْدَى نَوَاهِي الرَّبِّ الَّتِي لاَ يَنْبَغِي اقْتِرَافُهَا وَأَثِمَ، ٢٧ 27
'और अगर कोई 'आम आदमियों में से अनजाने में ख़ता करे, और उन कामों में से जिन्हें ख़ुदावन्द ने मना' किया है किसी काम को करके मुजरिम हो जाए;
ثُمَّ نُبِّهَ إِلَى خَطِيئَتِهِ الَّتِي ارْتَكَبَهَا، فَإِنَّهُ يُحْضِرُ قُرْبَاناً: عَنْزاً أُنْثَى سَلِيمَةً مِنْ كُلِّ عَيْبٍ لِلتَّكْفِيرِ عَنْ خَطِيئَتِهِ الَّتِي ارْتَكَبَهَا. ٢٨ 28
तो जब वह ख़ता जो उसने की है उसे बता दी जाए, तो वह अपनी उस ख़ता के लिए जो उससे सरज़द हुई है, एक बे — 'ऐब बकरी लाए।
وَيَضَعُ يَدَهُ عَلَى رَأْسِ ذَبِيحَةِ الْخَطِيئَةِ وَيَذْبَحُهَا عِنْدَ مَوْضِعِ الْمُحْرَقَةِ، ٢٩ 29
और वह अपना हाथ ख़ता की क़ुर्बानी के जानवर के सिर पर रख्खे, और ख़ता की क़ुर्बानी के उस जानवर को सोख़्तनी क़ुर्बानी की जगह पर ज़बह करे।
فَيَأْخُذُ الْكَاهِنُ مِنْ دَمِهَا وَيَضَعُهُ عَلَى قُرُونِ مَذْبَحِ الْمُحْرَقَةِ، وَيَصُبُّ بَقِيَّةَ دَمِهَا عِنْدَ قَاعِدَةِ الْمَذْبَحِ. ٣٠ 30
और काहिन उसका कुछ ख़ून अपनी उँगली पर ले कर उसे सोख़्तनी क़ुर्बानी के मज़बह के सींगों पर लगाए, और उसका बाक़ी सब ख़ून मज़बह के पाए पर उँडेल दे;
ثُمَّ يَنْتَزِعُ الْكَاهِنُ جَمِيعَ شَحْمِهَا عَلَى غِرَارِ مَا فَعَلَ بِشَحْمِ ذَبِيحَةِ السَّلاَمِ، وَيُحْرِقُهَا عَلَى الْمَذْبَحِ تَقْدِمَةَ رِضًى وَسَرُورٍ لِلرَّبِّ فَيُكَفِّرُ الْكَاهِنُ عَنْهُ وَيَغْفِرُ الرَّبُّ لَهُ. ٣١ 31
और वह उसकी सारी चर्बी को अलग करे जैसे सलामती के ज़बीहे की चर्बी अलग की जाती है, और काहिन उसे मज़बह पर राहतअंगेज़ ख़ुशबू के तौर पर ख़ुदावन्द के लिए जलाए। यूँ काहिन उसके लिए कफ़्फ़ारा दे, तो उसे मु'आफ़ी मिलेगी।
وَإِنْ أَحْضَرَ قُرْبَانَهُ مِنَ الضَّأْنِ لِتَكُونَ ذَبِيحَةَ خَطِيئَةٍ، فَلْيَكُنْ نَعْجَةً سَلِيمَةً مِنْ كُلِّ عَيْبٍ، ٣٢ 32
और अगर ख़ता की क़ुर्बानी के लिए उसका हदिया बर्रा हो, तो वह बे — 'ऐब मादा लाए;
فَيَضَعُ يَدَهُ عَلَى رَأْسِهَا وَيَذْبَحُهَا قُرْبَانَ خَطِيئَةٍ، فِي الْمَوْضِعِ الَّذِي تُذْبَحُ فِيهِ الْمُحْرَقَةُ. ٣٣ 33
और अपना हाथ ख़ता की क़ुर्बानी के जानवर के सिर पर रख्खे; और उसे ख़ता की क़ुर्बानी के तौर पर उस जगह ज़बह करे जहाँ सोख़्तनी क़ुर्बानी ज़बह करते है।
وَيَأْخُذُ الْكَاهِنُ مِنْ دَمِ ذَبِيحَةِ الْخَطِيئَةِ بِإِصْبَعِهِ وَيَضَعُهُ عَلَى قُرُونِ مَذْبَحِ الْمُحْرَقَةِ، وَيَصُبُّ بَقِيَّةَ الدَّمِ عِنْدَ قَاعِدَةِ الْمَذْبَحِ. ٣٤ 34
और काहिन ख़ता की क़ुर्बानी का कुछ ख़ून अपनी उँगली पर लेकर उसे सोख़्तनी क़ुर्बानी के मज़बह के सींगों पर लगाए, और उसका बाक़ी सब ख़ून मज़बह के पाये पर उँडेल दे।
وَيَنْزِعُ جَمِيعَ شَحْمِهَا عَلَى غِرَارِ مَا فَعَلَ بِشَحْمِ ذَبِيحَةِ السَّلاَمِ، وَيُحْرِقُهُ عَلَى الْمَذْبَحِ فَوْقَ وَقَائِدِ الرَّبِّ. وَهَكَذَا يُكَفِّرُ الْكَاهِنُ عَنْ خَطِيئَتِهِ الَّتِي ارْتَكَبَهَا، وَيَغْفِرُ الرَّبُّ لَهُ. ٣٥ 35
और उसकी सब चर्बी को अलग करे जैसे सलामती के ज़बीहे के बर्रे की चर्बी अलग की जाती है। और काहिन उसको मज़बह पर ख़ुदावन्द की आतिशी क़ुर्बानियों के ऊपर जलाए। यूँ काहिन उसके लिए उसकी ख़ता का जो उससे हुई है कफ़्फ़ारा दे, तो उसे मु'आफ़ी मिलेगी।

< لاويّين 4 >