< لاويّين 26 >

لاَ تَصْنَعُوا لَكُمْ أَصْنَاماً، وَلاَ تُقِيمُوا لَكُمْ تَمَاثِيلَ مَنْحُوتَةً، أَوْ أَنْصَاباً مُقَدَّسَةً، وَلاَ تَرْفَعُوا حَجَراً مُصَوَّراً فِي أَرْضِكُمْ لِتَسْجُدُوا لَهُ، لأَنِّي أَنَا الرَّبُّ إِلَهُكُمْ. ١ 1
तुम अपने लिए बुत न बनाना और न कोई तराशी हुई मूरत या लाट अपने लिए खड़ी करना, और न अपने मुल्क में कोई शबीहदार पत्थर रखना कि उसे सिज्दा करो; इसलिए कि मैं ख़ुदावन्द तुम्हारा ख़ुदा हूँ।
رَاعُوا رَاحَةَ أَيَّامِ السَّبْتِ، وَوَقِّرُوا مَقْدِسِي، فَأَنَا الرَّبُّ. ٢ 2
तुम मेरे सबतों को मानना और मेरे हैकल की ता'ज़ीम करना; मैं ख़ुदावन्द हूँ।
إِنْ سَلَكْتُمْ فِي فَرَائِضِي وَأَطَعْتُمْ وَصَايَايَ وَعَمِلْتُمْ بِهَا، ٣ 3
“अगर तुम मेरी शरी'अत पर चलो और मेरे हुक्मों को मानो और उन पर 'अमल करो,
فَإِنِّي أَسْكُبُ عَلَيْكُمُ الْمَطَرَ فِي أَوَانِهِ، وَتُعْطِي الأَرْضُ غَلَّتَهَا، وَتُثْمِرُ أَشْجَارُ الْحَقْلِ، ٤ 4
तो मैं तुम्हारे लिए सही वक़्त मेंह बरसाऊँगा और ज़मीन से अनाज पैदा होगा और मैदान के दरख़्त फलेंगे;
فَتَسْتَمِرُّ دِرَاسَةُ حِنْطَتِكُمْ حَتَّى مَوْعِدِ قِطَافِ الْعِنَبِ، وَيَسْتَمِرُّ قِطَافُ الْعِنَبِ حَتَّى مَوْسِمِ الزِّرَاعَةِ، فَتَأْكُلُونَ خُبْزَكُمْ حَتَّى الشَّبْعِ، وَتَسْكُنُونَ فِي أَرْضِكُمْ آمِنِينَ. ٥ 5
यहाँ तक कि अंगूर जमा' करने के वक़्त तक तुम दावते रहोगे, और जोतने बोने के वक़्त तक अंगूर जमा' करोगे, और पेट भर अपनी रोटी खाया करोगे, और चैन से अपने मुल्क में बसे रहोगे।
وَأُشِيعُ سَلاَماً فِي الأَرْضِ، فَتَنَامُونَ مُطْمَئِنِّينَ، وَأُبِيدُ الْوُحُوشَ الْبَرِّيَّةَ مِنَ الأَرْضِ وَلاَ يَجْتَازُ سَيْفٌ فِي دِيَارِكُمْ. ٦ 6
और मैं मुल्क में अम्न बख़्शूंगा, और तुम सोओगे और तुम को कोई नहीं डराएगा; और मैं बुरे दरिन्दों को मुल्क से हलाक कर दूँगा, और तलवार तुम्हारे मुल्क में नहीं चलेगी।
وَتَطْرُدُونَ أَعْدَاءَكُمْ فَيَسْقُطُونَ أَمَامَكُمْ بِالسَّيْفِ. ٧ 7
और तुम अपने दुश्मनों का पीछा करोगे, और वह तुम्हारे आगे — आगे तलवार से मारे जाएँगे।
خَمْسَةٌ مِنْكُمْ يَطْرُدُونَ مِئَةً، وَمِئَةٌ مِنْكُمْ يَطْرُدُونَ عَشَرَةَ آلافٍ. وَيَتَسَاقَطُ أَعْدَاؤُكُمْ أَمَامَكُمْ بِحَدِّ السَّيْفِ، ٨ 8
और तुम्हारे पाँच आदमी सौ को दौड़ाएंगे, और तुम्हारे सौ आदमी दस हज़ार को खदेड़ देगें, और तुम्हारे दुश्मन तलवार से तुम्हारे आगे — आगे मारे जाएँगे;
وَأَرْعَاكُمْ بِعِنَايَتِي، وَأُنَمِّيكُمْ وَأُكَثِّرُكُمْ، وَأَفِي بِمِيثَاقِي مَعَكُمْ، ٩ 9
और मैं तुम पर नज़र — ए — 'इनायत रख्खूंगा, और तुम को कामयाब करूँगा और बढ़ाऊँगा, और जो मेरा 'अहद तुम्हारे साथ है उसे पूरा करूँगा।
وَتَظَلُّونَ تَأْكُلُونَ مِنَ الْغِلاَلِ الْقَدِيمَةِ حِينَ تُفَرِّغُونَهَا مِنْ مَخَازِنِهَا لِتُوَسِّعُوا لِغَلاَّتِ السَّنَةِ الْجَدِيدَةِ. ١٠ 10
और तुम 'अरसे का ज़ख़ीरा किया हुआ पुराना अनाज खाओगे, और नये की वजह से पुराने को निकाल बाहर करोगे।
وَأُقِيمُ مَسْكِنِي فِي وَسَطِكُمْ وَلاَ أَخْذِلُكُمْ، ١١ 11
और मैं अपना घर तुम्हारे बीच क़ायम रखूँगा और मेरी रूह तुमसे नफ़रत न करेगी।
وَأَسِيرُ بَيْنَكُمْ وَأَكُونُ إِلَهَكُمْ، وَأَنْتُمْ تَكُونُونُ لِي شَعْباً. ١٢ 12
और मैं तुम्हारे बीच चला फिरा करूँगा, और तुम्हारा ख़ुदा हूँगा, और तुम मेरी क़ौम होगे।
أَنَا الرَّبُّ إِلَهُكُمْ أَخْرَجْتُكُمْ مِنْ مِصْرَ، وَحَطَّمْتُ أَغْلاَلَ قُيُودِكُمْ وَرَفَعْتُ شَأْنَكُمْ، لِكَيْ لاَ تَظَلُّوا عَبِيداً لِلْمِصْرِيِّينَ فِي مَا بَعْدُ. ١٣ 13
मैं ख़ुदावन्द तुम्हारा ख़ुदा हूँ, जो तुम को मुल्क — ए — मिस्र से इसलिए निकाल कर ले आया कि तुम उनके ग़ुलाम न बने रहो; और मैंने तुम्हारे जूए की चोबें तोड़ डाली हैं और तुम को सीधा खड़ा करके चलाया।
وَلَكِنْ إِنْ عَصَيْتُمُونِي وَلَمْ تَعْمَلُوا بِكُلِّ هَذِهِ الْوَصَايَا، ١٤ 14
लेकिन अगर तुम मेरी न सुनो और इन सब हुक्मों पर 'अमल न करो,
وَإِنْ تَنَكَّرْتُمْ لِفَرَائِضِي وَكَرِهْتُمْ أَحْكَامِي وَلَمْ تَعْمَلُوا بِكُلِّ وَصَايَايَ، بَلْ نَكَثْتُمْ مِيثَاقِي، ١٥ 15
और मेरी शरी'अत को छोड़ दो, और तुम्हारी रूहों को मेरे फ़ैसलों से नफ़रत हो, और तुम मेरे सब हुक्मों पर 'अमल न करो बल्कि मेरे 'अहद को तोड़ो;
فَإِنِّي أَبْتَلِيكُمْ بِالرُّعْبِ الْمُفَاجِئِ وَدَاءِ السِّلِّ وَالْحُمَّى الَّتِي تُفْنِي الْعَيْنَيْنِ وَتُتْلِفُ النَّفْسَ، وَتَزْرَعُونَ عَلَى غَيْرِ طَائِلٍ، وَيَنْهَبُ أَعْدَاؤُكُمْ زَرْعَكُمْ. ١٦ 16
तो मैं भी तुम्हारे साथ इस तरह पेश आऊँगा कि दहशत और तप — ए — दिक़ और बुख़ार को तुम पर मुक़र्रर कर दूँगा, जो तुम्हारी आँखों को चौपट कर देंगे और तुम्हारी जान को घुला डालेंगे, और तुम्हारा बीज बोना फ़िज़ूल होगा क्यूँकि तुम्हारे दुश्मन उसकी फ़सल खाएँगे;
وَأَنْقَلِبُ عَلَيْكُمْ فَتَنْهَزِمُونَ أَمَامَ أَعْدَائِكُمْ، وَيَتَحَكَّمُ بِكُمْ مُبْغِضُوكُمْ وَتَهْرُبُونَ مِنْ غَيْرِ طَارِدٍ لَكُمْ. ١٧ 17
और मैं ख़ुद भी तुम्हारा मुख़ालिफ़ हो जाऊँगा, और तुम अपने दुश्मनों के आगे शिकस्त खाओगे; और जिनको तुमसे 'अदावत है वही तुम पर हुक्मरानी करेंगे, और जब कोई तुमको दौड़ाता भी न होगा तब भी तुम भागोगे।
وَإِنْ أَمْعَنْتُمْ فِي عِصْيَانِكُمْ أَزِيدُ مِنْ عِقَابِكُمْ سَبْعَ مَرَّاتٍ وَفْقاً لِخَطَايَاكُمْ. ١٨ 18
और अगर इतनी बातों पर भी तुम मेरी न सुनो तो मैं तुम्हारे गुनाहों के ज़रिए' तुम को सात गुनी सज़ा और दूँगा।
أُذِلُّ غَطْرَسَتَكُمْ، وَأَجْعَلُ سَمَاءَكُمْ كَالْحَدِيدِ لاَ تُمْطِرُ وَأَرْضَكُمْ كَالنُّحَاسِ لاَ تُغِلُّ ١٩ 19
और मैं तुम्हारी शहज़ोरी के फ़ख़्र को तोड़ डालूँगा, और तुम्हारे लिए आसमान को लोहे की तरह और ज़मीन को पीतल की तरह कर दूँगा।
فَيَذْهَبُ جَهْدُكُمْ بَاطِلاً لأَنَّ أَرْضَكُمْ لَنْ تُعْطِيَ غَلَّتَهَا، وَأَشْجَارَ الأَرْضِ لَنْ تُعْطِيَ أَثْمَارَهَا. ٢٠ 20
और तुम्हारी क़ुव्वत बेफ़ायदा सर्फ़ होगी क्यूँकि तुम्हारी ज़मीन से कुछ पैदा न होगा और मैदान के दरख़्त फलने ही के नहीं।
وَإِنْ وَاظَبْتُمْ عَلَى عِصْيَانِكُمْ وَأَبَيْتُمْ طَاعَتِي، أُضَاعِفُ عِقَابِي لَكُمْ سَبْعَ مَرَّاتٍ وَفْقاً لِخَطَايَاكُمْ. ٢١ 21
और अगर तुम्हारा चलन मेरे ख़िलाफ़ ही रहे और तुम मेरा कहा न मानो, तो मैं तुम्हारे गुनाहों के मुवाफ़िक़ तुम्हारे ऊपर और सातगुनी बलाएँ लाऊँगा।
وَأُطْلِقُ عَلَيْكُمْ وُحُوشَ الصَّحْرَاءِ فَتَفْتَرِسُ أَوْلاَدَكُمْ وَتُهْلِكُ بَهَائِمَكُمْ، وَتُنْقِصُ مِنْ عَدَدِكُمْ، فَتُقْفِرُ طُرُقَاتُكُمْ. ٢٢ 22
जंगली दरिन्दे तुम्हारे बीच छोड़ दूंगा जो तुम को बेऔलाद कर देंगे और तुम्हारे चौपायों को हलाक करेंगे और तुम्हारा शुमार घटा देगें, और तुम्हारी सड़कें सूनी पड़ जाएँगी।
وَإِنْ لَمْ تَتَّعِظُوا، وَتَمَادَيْتُمْ فِي عِصْيَانِكُمْ، ٢٣ 23
और अगर इन बातों पर भी तुम मेरे लिए न सुधरो बल्कि मेरे ख़िलाफ़ ही चलते रहो,
أَنْقَلِبُ عَلَيْكُمْ وَأَزِيدُ فِي بَلاَئِكُمْ سَبْعَ مَرَّاتٍ وَفْقاً لِخَطَايَاكُمْ. ٢٤ 24
तो मैं भी तुम्हारे ख़िलाफ़ चलूँगा, और मैं आप ही तुम्हारे गुनाहों के लिए तुम को और सात गुना मारूँगा।
أُسَلِّطُ عَلَيْكُمْ سَيْفَ الْعَدُوِّ. فَيَنْتَقِمُ مِنْكُمْ لِنَقْضِكُمْ مِيثَاقِي، فَتَحْتَمُونَ بِمُدُنِكُمْ حَيْثُ أُرْسِلُ عَلَيْكُمُ الْوَبَاءَ وَتُسَلَّمُونَ إِلَى يَدِ الْعَدُوِّ ٢٥ 25
और तुम पर एक ऐसी तलवार चलवाऊँगा जो 'अहदशिकनी का पूरा पूरा इन्तक़ाम ले लेगी, और जब तुम अपने शहरों के अन्दर जा जाकर इकट्ठे हो जाओ, तो मैं वबा को तुम्हारे बीच भेजूँगा और तुम ग़नीम के हाथ में सौंप दिए जाओगे।
وَحِينَ أَقْطَعُ عَنْكُمْ مَؤُونَةَ الدَّقِيقِ، تَخْبِزُ عَشْرُ نِسَاءٍ خُبْزَكُمْ فِي فُرْنٍ وَاحِدٍ لِقِلَّةِ الدَّقِيقِ، وَتَقْسِمُونَ الْخُبْزَ بِالْمِيزَانِ فَتَأْكُلُونَ وَلاَ تَشْبَعُونَ. ٢٦ 26
और जब मैं तुम्हारी रोटी का सिलसिला तोड़ दूंगा, तो दस 'औरतें एक ही तनूर में तुम्हारी रोटी पकाएँगी। और तुम्हारी उन रोटियों को तोल — तोल कर देती जाएँगी; और तुम खाते जाओगे पर सेर न होगे।
وَإِنْ لَمْ يُجْدِ هَذَا الْعِقَابُ فِي تَأْدِيبِكُمْ، فَتَمَادَيْتُمْ فِي عِصْيَانِكُمْ، ٢٧ 27
“और अगर तुम इन सब बातों पर भी मेरी न सुनो और मेरे ख़िलाफ़ ही चलते रहो,
فَإِنِّي أَزِيدُ فِي احْتِدَامِ غَضَبِي، مِنْ عَدَائِي لَكُمْ وَأُضَاعِفُ عِقَابِي سَبْعَ مَرَّاتٍ أُخْرَى وَفْقاً لِخَطَايَاكُمْ، ٢٨ 28
तो मैं अपने ग़ज़ब में तुम्हारे बरख़िलाफ़ चलूँगा, और तुम्हारे गुनाहों के ज़रिए' तुम को सात गुनी सज़ा भी दूँगा।
فَتَأْكُلُونَ لَحْمَ أَبْنَائِكُمْ وبَنَاتِكُمْ. ٢٩ 29
और तुम को अपने बेटों का गोश्त और अपनी बेटियों का गोश्त खाना पड़ेगा।
وَأَهْدُمُ مَذَابِحَ مُرْتَفَعَاتِكُمْ، وَأُحَطِّمُ أَصْنَامَ شَمُوسِكُمْ وَأُكَوِّمُ جُثَثَكُمْ فَوْقَ بَقَايَا أَصْنَامِكُمْ، وَتَنْبِذُكُمْ نَفْسِي. ٣٠ 30
और मैं तुम्हारी परस्तिश के बलन्द मकामों को ढा दुंगा, और तुम्हारी सूरज की मूरतों को काट डालूँगा और तुम्हारी लाशें तुम्हारे शिकस्ता बुतों पर डाल दूँगा, और मेरी रूह को तुमसे नफ़रत हो जाएगी।
وَأُحَوِّلُ مُدُنَكُمْ إِلَى خَرَائِبَ، وَأَجْعَلُ مَقَادِسَكُمْ مُوْحِشَةً، وَلاَ أَبْتَهِجُ بِرَائِحَةِ تَقْدِمَاتِ سَرُورِكُمْ، ٣١ 31
और मैं तुम्हारे शहरों को वीरान कर डालूँगा, और तुम्हारे हैकलों को उजाड़ बना दूँगा, और तुम्हारी ख़ुशबू — ए — शीरीन की लपट को मैं सूघने का भी नहीं।
وَأَجْعَلُ الأَرْضَ قَفْراً فَيَرْتَاعُ مِنْ وَحْشَتِهَا أَعْدَاؤُكُمُ السَّاكِنُونَ فِيهَا ٣٢ 32
और मैं मुल्क को सूना कर दूँगा, और तुम्हारे दुश्मन जो वहाँ रहते हैं इस बात से हैरान होंगे।
وَأُشَتِّتُكُمْ بَيْنَ الشُّعُوبِ، وَأُجَرِّدُ عَلَيْكُمْ سَيْفِي، وَأُلاحِقُكُمْ، وَأُحَوِّلُ أَرْضَكُمْ إِلَى قَفْرٍ وَمُدُنَكُمْ إِلَى خَرَائِبَ. ٣٣ 33
और मैं तुम को गैर क़ौमों में बिखेर दूँगा और तुम्हारे पीछे — पीछे तलवार खींचे रहूँगा; और तुम्हारा मुल्क सूना हो जाएगा, और तुम्हारे शहर वीरान बन जाएँगे।
عِندَئِذٍ تَسْتَوْفِي الأَرْضُ رَاحَةَ سُبُوتِهَا طَوَالَ سِنِي وَحْشَتِهَا وَأَنْتُمْ مُشَتَّتُونَ فِي دِيَارِ أَعْدَائِكُمْ. حِينَئِذٍ تَرْتَاحُ الأَرْضُ وَتَسْتَوْفِي سِنِي سُبُوتِهَا. ٣٤ 34
'और यह ज़मीन जब तक वीरान रहेगी और तुम दुश्मनों के मुल्क में होगे, तब तक वह अपने सबत मनाएगी; तब ही इस ज़मीन को आराम भी मिलेगा और वह अपने सबत भी मनाने पाएगी।
فَتُعَوِّضُ فِي أَيَّامِ وَحْشَتِهَا عَنْ رَاحَتِهَا الَّتِي لَمْ تَنْعَمْ بِهَا فِي سَنَوَاتِ سُبُوتِكُمْ عِنْدَمَا كُنْتُمْ تُقِيمُونَ عَلَيْهَا. ٣٥ 35
ये जब तक वीरान रहेगी तब ही तक आराम भी करेगी, जो इसे कभी तुम्हारे सबतों में जब तुम उसमें रहते थे नसीब नहीं हुआ था।
أَمَّا الْبَاقُونَ مِنْكُمْ فِي أَرْضِ أَعْدَائِكُمْ، فَإِنِّي أُلْقِي الرُّعْبَ فِي قُلُوبِهِمْ فَيَهْرُبُونَ مِنْ حَفِيفِ وَرَقَةٍ تَسُوقُهَا الرِّيحُ، وَكَأَنَّهُمْ يَهْرُبُونَ مِنَ السَّيْفِ، وَيَسْقُطُونَ وَلَيْسَ ثَمَّةَ مِنْ طَارِدٍ لَهُمْ. ٣٦ 36
और जो तुम में से बच जाएँगे और अपने दुश्मनों के मुल्कों में होंगे, उनके दिल के अन्दर मैं बेहिम्मती पैदा कर दूँगा उड़ती हुई पट्टी की आवाज़ उनको खदेड़ेगी, और वह ऐसे भागेंगे जैसे कोई तलवार से भागता हो और हालाँकि कोई पीछा भी न करता होगा तो भी वह गिर — गिर पड़ेगे।
وَيَعْثُرُ بَعْضُهُمْ بِبَعْضٍ كَمَنْ يَفِرُّ مِنْ أَمَامِ سَيْفٍ مِنْ غَيْرِ طَارِدٍ لَهُمْ، وَلاَ تَثْبُتُونَ أَمَامَ أَعْدَائِكُمْ ٣٧ 37
और वह तलवार के ख़ौफ़ से एक दूसरे से टकरा — टकरा जाएँगे बावजूद यह कि कोई खदेड़ता न होगा, और तुम को अपने दुश्मनों के मुक़ाबले की ताब न होगी।
فَتَهْلِكُونَ بَيْنَ الشُّعُوبِ، وَتَبْتَلِعُكُمْ أَرْضُ أَعْدَائِكُمْ. ٣٨ 38
और तुम ग़ैर क़ौमों के बीच बिखर कर हलाक हो जाओगे, और तुम्हारे दुश्मनों की ज़मीन तुम को खा जाएगी।
أَمَّا بَقِيَّتُكُمْ فَتَفْنَى بِذُنُوبِهَا وَذُنُوبِ آبَائِهَا فِي أَرْضِ أَعْدَائِكُمْ كَمَا فَنِيَ آبَاؤُهُمْ مِنْ قَبْلِهِمْ. ٣٩ 39
और तुम में से जो बाक़ी बचेंगे वह अपनी बदकारी की वजह से तुम्हारे दुश्मनों के मुल्कों में घुलते रहेंगे, और अपने बाप दादा की बदकारी की वजह से भी वह उन्हीं की तरह घुलते जाएँगे।
وَلَكِنْ إِنِ اعْتَرَفُوا بِخَطَايَاهُمْ وَخَطَايَا آبَائِهِمْ وَبِخِيَانَتِهِمْ لِي وَعَدَاوَتِهِمْ، ٤٠ 40
'तब वह अपनी और अपने बाप दादा की इस बदकारी का इक़रार करेंगे कि उन्होंने मुझ से ख़िलाफ़वर्ज़ी कर कि मेरी हुक्म — उदूली की; और यह भी मान लेंगे कि चूँकि वह मेरे ख़िलाफ़ चले थे,
الَّتِي جَعَلَتْنِي أَنْقَلِبُ عَلَيْهِمْ وَأَنْفِيهِمْ إِلَى أَرْضِ أَعْدَائِهِمْ، وَإِنْ خَضَعَتْ قُلُوبُهُمُ النَّجِسَةُ بَعْدَ أَنِ اسْتَوْفَوْا عِقَابَ خَطَايَاهُمْ، ٤١ 41
इसलिए मैं भी उनका मुख़ालिफ़ हुआ और उनको उनके दुश्मनों के मुल्क में ला छोड़ा। अगर उस वक़्त उनका नामख़्तून दिल 'आजिज़ बन जाए और वह अपनी बदकारी की सज़ा को मन्जूर करें,
فَإِنِّي أَذْكُرُ عَهْدِي مَعَ يَعْقُوبَ، عَهْدِي مَعَ إِسْحاقَ، وَعَهْدِي مَعَ إِبْرَاهِيمَ، وَأَذْكُرُ الأَرْضَ، ٤٢ 42
तब मैं अपना 'अहद जो या'क़ूब के साथ था याद करूँगा, और जो 'अहद मैंने इस्हाक़ के साथ, और जो 'अहद मैंने अब्रहाम के साथ बान्धा था उनको भी याद करूँगा, और इस मुल्क को याद करूँगा।
الَّتِي أَقْفَرَتْ مِنْهُمْ، فَاسْتَوْفَتْ رَاحَةَ سُبُوتِهَا فِي أَثْنَاءِ نَفْيِهِمْ عَنْهَا، وَيَكُونُونَ آنَئِذٍ قَدِ اسْتَوْفَوْا عِقَابَ خَطَايَاهُمْ لأَنَّهُمْ تَنَكَّرُوا لِشَرَائِعِي وَكَرِهُوا فَرَائِضِي. ٤٣ 43
और वह ज़मीन भी उनसे छूट कर जब तक उनकी ग़ैर हाज़िरी में सूनी पड़ी रहेगी तब तक अपने सबतों को मनाएगी; और वह अपनी बदकारी की सज़ा को मन्जूर कर लेंगे, इसी वजह से कि उन्होंने मेरे हुक्मों को छोड़ दिया था, और उनकी रूहों को मेरी शरी'अत से नफ़रत ही गई थी।
وَلَكِنْ عَلَى الرَّغْمِ مِنْ ذَلِكَ فَإِنَّنِي لَمْ أَنْبِذْهُمْ وَهُمْ فِي أَرْضِ أَعْدَائِهِمْ، وَلاَ كَرِهْتُهُمْ حَتَّى أُبِيدَهُمْ وَأَنْقُضَ عَهْدِي مَعَهُمْ، لأَنِّي أَنَا الرَّبُّ إِلَهُهُمْ، ٤٤ 44
इस पर भी जब वह अपने दुश्मनों के मुल्क में होंगे तो मैं उनको ऐसा नहीं छोड़ूँगा करूँगा और न मुझे उनसे ऐसी नफ़रत होगी कि मैं उनकी बिल्कुल फ़ना कर दूँ, और मेरा जो 'अहद उनके साथ है उसे तोड़ दूँ क्यूँकि मैं ख़ुदावन्द उनका ख़ुदा हूँ।
بَلْ أَذْكُرُ عَهْدِي مَعَ آبَائِهِمِ الأَوَّلِينَ الَّذِينَ أَخْرَجْتُهُمْ مِنْ دِيَارِ مِصْرَ عَلَى مَشْهَدٍ مِنَ الشُّعُوبِ لأَكُونَ لَهُمْ إِلَهاً. أَنَا الرَّبَّ». ٤٥ 45
बल्कि मैं उनकी ख़ातिर उनके बाप दादा के 'अहद की याद करूँगा, जिनको मैं ग़ैरक़ौमों की आँखों के सामने मुल्क — ए — मिस्र से निकाल कर लाया ताकि मैं उनका ख़ुदा ठहरूँ; मैं ख़ुदावन्द हूँ।”
هَذِهِ هِيَ الْفَرَائِضُ وَالأَحْكَامُ وَالشَّرَائِعُ الَّتِي أَقَامَهَا الرَّبُّ بَيْنَهُ وَبَيْنَ بَنِي إِسْرَائِيلَ فِي جَبَلِ سِينَاءَ عَلَى لِسَانِ مُوسَى. ٤٦ 46
यह वह शरी'अत और अहकाम और क़वानीन हैं जो ख़ुदावन्द ने कोह-ए-सीना पर अपने और बनी — इस्राईल के बीच मूसा की ज़रिए' मुक़र्रर किए।

< لاويّين 26 >