< لاويّين 22 >

وَقَالَ الرَّبُّ لِمُوسَى: ١ 1
और ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा,
«قُلْ لِهَرُونَ وَأَبْنَائِهِ أَلاَّ يَنْتَهِكُوا تَقْدِمَاتِ بَنِي إِسْرَائِيلَ الَّتِي يُقَدِّسُونَهَا، وَلاَ يُدَنِّسُوا اسْمِي الْقُدُّوسَ. فَأَنَا الرَّبُّ. ٢ 2
“हारून और उसके बेटों से कह कि वह बनी — इस्राईल की पाक चीज़ों से जिनको वह मेरे लिए पाक करते हैं अपने आप को बचाए रख्खें, और मेरे पाक नाम को बे — हुरमत न करें; मैं ख़ुदावन्द हूँ।
قُلْ لَهُمْ: إِيَّاكُمْ عَلَى مَدَى أَجْيَالِكُمْ أَنْ يَقْتَرِبَ كَاهِنٌ إِلَى التَّقْدِمَاتِ الَّتِي يُقَدِّسُهَا بَنُو إِسْرَائِيلَ وَهُوَ غَيْرُ طَاهِرٍ، فَإِنَّ تِلْكَ النَّفْسَ تُسْتَأْصَلُ مِنْ أَمَامِي، فَأَنَا الرَّبُّ. ٣ 3
उनको कह दे कि तुम्हारी नसल — दर — नसल जो कोई तुम्हारी नसल में से अपनी नापाकी की हालत में उन पाक चीज़ों के पास जाए, जिनको बनी — इस्राईल ख़ुदावन्द के लिए पाक करते हैं, वह शख़्स मेरे सामने से काट डाला जाएगा; मैं ख़ुदावन्द हूँ।
أَيُّ كَاهِنٍ مِنْ نَسْلِ هَرُونَ مُصَابٌ بِالْبَرَصِ أَوِ السَّيَلاَنِ، لاَ يَأْكُلْ مِنَ الذَّبَائِحِ الْمُقَدَّسَةِ حَتَّى يَطْهُرَ، وَكَذَلِكَ كُلُّ مَنْ لَمَسَ شَيْئاً تَنَجَّسَ بِجُثَّةِ مَيْتٍ، أَوْ شَخْصاً حَدَثَ مِنْهُ قَذْفٌ مَنَوِيٌّ. ٤ 4
हारून की नसल में जो कोढ़ी, या जिरयान का मरीज़ हो वह जब तक पाक न हो जाए, पाक चीज़ों में से कुछ न खाए; और जो कोई ऐसी चीज़ को जो मुर्दे की वजह से नापाक हो गई है, या उस शख़्स की जिस की धात बहती हो छुए
أَيُّ كَاهِنٍ لَمَسَ حَيَوَاناً أَوْ إِنْسَاناً غَيْرَ طَاهِرٍ لِنَجَاسَةٍ فِيهِ، ٥ 5
या जो कोई किसी रेंगने वाले जानदार को जिसके छूने से वह नापाक हो सकता है, छुए या किसी ऐसे शख़्स को छुए जिससे उसकी नापाकी चाहे वह किसी क़िस्म की हो उसको भी लग सकती हो;
فَاللاَّمِسُ يَكُونُ نَجِساً إِلَى الْمَسَاءِ، وَلاَ يَأْكُلُ مِنَ الذَّبَائِحِ الْمُقَدَّسَةِ، بَلْ يَسْتَحِمُّ بِمَاءٍ. ٦ 6
तो वह आदमी जो इनमें से किसी को छुए शाम तक नापाक रहेगा, और जब तक पानी से ग़ुस्ल न कर ले पाक चीज़ों में से कुछ न खाए;
وَلَكِنْ مَتَى غَرَبَتِ الشَّمْسُ يُصْبِحُ طَاهِراً، ثُمَّ يَأْكُلُ مِنَ الذَّبَائِحِ الْمُقَدَّسَةِ، لأَنَّهَا طَعَامُهُ. ٧ 7
और वह उस वक़्त पाक ठहरेगा जब आफ़ताब गुरूब हो जाए, इसके बाद वह पाक चीज़ों में से खाए, क्यूँकि यह उसकी ख़ुराक है।
لاَ يَأْكُلْ مِنْ جِيفَةِ حَيَوَانٍ أَوْ فَرِيسَةٍ فَيَتَنَجَّسَ بِهَا. فَأَنَا الرَّبُّ. ٨ 8
और मुरदार या दरिन्दों के फाड़े हुए जानवर को खाने से वह अपने आप को नजिस न कर ले; मैं ख़ुदावन्द हूँ
أَطِيعُوا شَعَائِرِي لِئَلَّا تَحْمِلُوا خَطِيئَتَهَا وَتَمُوتُوا بِسَبَبِهَا لأَنَّكُمْ دَنَّسْتُمُوهَا، فَأَنَا الرَّبُّ الَّذِي أُقَدِّسُكُمْ. ٩ 9
इसलिए वह मेरी शरा' को माने, ऐसा न हो कि उस की वजह से उनके सिर गुनाह लगे और उसकी बेहुरमती करने की वजह से वह मर भी जाएँ, मैं ख़ुदावन्द उनका पाक करने वाला हूँ।
يُحَظَرُ عَلَى غَيْرِ أُسْرَةِ الْكَاهِنِ أَنْ يَأْكُلُوا مِنَ الذَّبَائِحِ الْمُقَدَّسَةِ، سَوَاءٌ أَكَانَ ضَيْفَ الْكَاهِنِ أَمْ أَجِيرَهُ. ١٠ 10
'कोई अजनबी पाक चीज़ की न खाने पाए चाहे वह काहिन ही के यहाँ ठहरा हो, या उसका नौकर हो तो भी वह कोई पाक चीज़ न खाए;
لَكِنْ إِذَا اشْتَرَى الْكَاهِنُ عَبْداً بِفِضَّةٍ، أَوْ وُلِدَ فِي بَيْتِهِ عَبْدٌ، فَإِنَّ ذَلِكَ الْعَبْدَ يَأْكُلُ مِنْ طَعَامِ الْكَاهِنِ. ١١ 11
लेकिन वह जिसे काहिन ने अपने ज़र से ख़रीदा हो उसे खा सकता है, और वह जो उसके घर में पैदा हुए हों वह भी उसके खाने में से खाएँ।
وَإِذَا تَزَوَّجَتِ ابْنَةُ الْكَاهِنِ مِنْ غَيْرِ كَاهِنٍ، فَإِنَّهَا لاَ تَأْكُلُ مِنَ التَّقْدِمَاتِ الْمُقَدَّسَةِ. ١٢ 12
अगर काहिन की बेटी किसी अजनबी से ब्याही गई हो, तो वह पाक चीज़ों की क़ुर्बानी में से कुछ न खाए।
أَمَّا إِذَا أَصْبَحَتْ أَرْمَلَةً، أَوْ مُطَلَّقَةً مِنْ غَيْرِ عَائِلٍ مِنْ نَسْلِهَا، وَرَجَعَتْ إِلَى بَيْتِ أَبِيهَا كَمَا فِي أَيَّامِ صِبَاهَا، فَإِنَّهَا تَأْكُلُ مِنْ طَعَامِ أَبِيهَا. إِنَّمَا الْغَرِيبُ لاَ يَأْكُلُ مِنْهُ. ١٣ 13
लेकिन अगर काहिन की बेटी बेवा हो जाए, या मुतल्लक़ा हो और बे — औलाद हो, और लड़कपन के दिनों की तरह अपने बाप के घर में फिर आ कर रहे तो वह अपने बाप के खाने में से खाए; लेकिन कोई अजनबी उसे न खाए।
وَإِذَا أَكَلَ أَحَدٌ مِنَ الذَّبَائِحِ الْمُقَدَّسَةِ سَهْواً، وَلَمْ يَكُنْ مِنْ نَسْلِ هَرُونَ، يَرُدُّ لِلْكَاهِنِ قِيمَةَ مَا أَكَلَهُ مِنَ الذَّبِيحَةِ، مُضَافاً إِلَيْهِ خُمْسُهُ. ١٤ 14
और अगर कोई अनजाने में पाक चीज़ को खा जाए तो वह उसके पाँचवें हिस्से के बराबर अपने पास से उस में मिला कर वह पाक चीज़ काहिन को दे
عَلَى الْكَهَنَةِ أَلاَّ يُدَنِّسُوا الذَّبَائِحَ الَّتِي يُحْضِرُهَا بَنُو إِسْرَائِيلَ لِلرَّبِّ، ١٥ 15
और वह बनी — इस्राईल की पाक चीज़ों को जिनको वह ख़ुदावन्द की नज़्र करते हों बेहुरमत करके,
لأَنَّهُمْ بِذَلِكَ يُحَمِّلُونَ الآكِلِينَ مِنَ الذَّبَائِحِ الْمُقَدَّسَةِ ذُنُوباً تَسْتَوْجِبُ الْعِقَابَ، لأَنِّي أَنَا الرَّبُّ الَّذِي أُقَدِّسُهَا». ١٦ 16
उनके सिर उस गुनाह का जुर्म न लादें जो उनकी पाक चीज़ों को खाने से होगा; क्यूँकि मैं ख़ुदावन्द उनका पाक करने वाला हूँ।”
وَقَالَ الرَّبُّ لِمُوسَى: ١٧ 17
और ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा,
«قُلْ لِهَرُونَ وَأَبْنَائِهِ وَسَائِرِ إِسْرَائِيلَ: كُلُّ إِسْرَائِيلِيٍّ، أَوْ مِنَ الْغُرَبَاءِ الْمُقِيمِينَ فِي إِسْرَائِيلَ يُقَدِّمُ قُرْبَاناً، سَوَاءٌ كَانَ وَفَاءً لِنَذْرٍ، أَمْ تَقْدِمَةً طَوْعِيَّةً يُقَرِّبُونَهَا مُحْرَقَةً لِلرَّبِّ، ١٨ 18
“हारून और उसके बेटों और सब बनी — इस्राईल से कह कि इस्राईल के घराने का या उन परदेसियों में से जो इस्राईलियों के बीच रहते हैं, जो कोई शख़्स अपनी क़ुर्बानी लाए, चाहे वह कोई मिन्नत की क़ुर्बानी हो या रज़ा की क़ुर्बानी, जिसे वह सोख़्तनी क़ुर्बानी के तौर पर ख़ुदावन्द के सामने पेश करते हैं;
تَكُونُ مُحْرَقَةً لِلرِّضَى عَنْكُمْ، ثَوْراً أَوْ كَبْشاً أَوْ تَيْساً سَلِيماً. ١٩ 19
तो अपने मक़बूल होने के लिए तुम बैलों या बर्रों या बकरों में से बे — 'ऐब नर चढ़ाना।
لاَ تُقَرِّبُوا تَقْدِمَةً فِيهَا عَيْبٌ، لأَنَّهَا لَنْ تَكُونَ مَقْبُولَةً لِلرِّضَى عَنْكُمْ. ٢٠ 20
और जिसमें 'ऐब हो उसे न अदा करना क्यूँकि वह तुम्हारी तरफ़ से मक़बूल न होगा।
وَإِذَا أَصْعَدَ أَحَدُكُمْ ذَبِيحَةَ سَلاَمٍ لِلرَّبِّ، وَفَاءً لِنَذْرٍ، أَوْ ذَبِيحَةً طَوْعِيَّةً، فَلْتَكُنْ مِنَ الْبَقَرِ أَوِ الْغَنَمِ، سَلِيمَةً خَالِيَةً مِنْ كُلِّ عَيْبٍ لِيَرْضَى الرَّبُّ عَنْكُمْ. ٢١ 21
और जो कोई अपनी मिन्नत पूरी करने के लिए या रज़ा की क़ुर्बानी के तौर पर गाय, बैल या भेड़ बकरी में से सलामती का ज़बीहा ख़ुदावन्द के सामने पेश करे, तो वह जानवर मक़बूल ठहरने के लिए बे — 'ऐब हो; उसमें कोई नुक़्स न हो।
لاَ تُقَرِّبُوا لِلرَّبِّ مِنَ الذَّبَائِحِ مَا هُوَ أَعْمَى أَوْ مَكْسُورٌ أَوْ مَجْرُوحٌ أَوْ بِهِ بُثُورٌ أَوْ أَجْرَبُ أَوْ أَكْلَفُ، وَلاَ تَجْعَلُوا مِنْهَا وَقُوداً عَلَى الْمَذْبَحِ لِلرَّبِّ. ٢٢ 22
जो अन्धा या शिकस्ता — ए — 'उज़्व या लूला हो, जिसके रसौली या खुजली या पपड़ियाँ हों, ऐसों को ख़ुदावन्द के सामने न चढ़ाना और न मज़बह पर उनकी आतिशी क़ुर्बानी ख़ुदावन्द के सामने पेश करना।
أَمَّا الثَّوْرُ أَوِ الْحَمَلُ الَّذِي فِيهِ عُضْوٌ زَائِدٌ أَوْ نَاقِصٌ، فَلَكَ أَنْ تُقَرِّبَهُ تَقْدِمَةً طَوْعِيَّةً، وَلَكِنْ لَيْسَ وَفَاءً لِنَذْرٍ، فَإِنَّهُ يَكُونُ مَرْفُوضاً. ٢٣ 23
जिस बछड़े या बर्रे का कोई 'उज़्व ज़्यादा या कम हो उसे तो रज़ा की क़ुर्बानी के तौर पर पेश कर सकता है, लेकिन मिन्नत पूरी करने के लिए वह मक़बूल न होगा।
لاَ تُصْعِدُوا لِلرَّبِّ حَيَوَاناً ذَا خُصىً مَرْضُوضَةٍ أَوْ مَسْحُوقَةٍ أَوْ مَقْطُوعَةٍ. لاَ تَفْعَلُوا هَذَا فِي أَرْضِكُمْ. ٢٤ 24
जिस जानवर के ख़ुसिए कुचले हुए या चूर किए हुए या टूटे या कटे हुए हों, उसे तुम ख़ुदावन्द के सामने न चढ़ाना और न अपने मुल्क में ऐसा काम करना;
لاَ تَشْتَرُوا مِثْلَ هَذِهِ الْحَيَوَانَاتِ مِنْ غَرِيبٍ لِتُقَدِّمُوهَا ذَبَائِحَ لإِلَهِكُمْ، لأَنَّهُ لَنْ يَقْبَلَهَا مِنْكُمْ، لِمَا فِيهَا مِنْ تَشْوِيهٍ وَعَيْبٍ». ٢٥ 25
और न इनमें से किसी को लेकर तुम अपने ख़ुदा की ग़िज़ा परदेसी या अजनबी के हाथ से अदा करवाना, क्यूँकि उनका बिगाड़ उनमें मौजूद होता है, उनमें 'ऐब है इसलिए वह तुम्हारी तरफ़ से मक़बूल न होंगे।”
وَقَالَ الرَّبُّ لِمُوسَى: ٢٦ 26
और ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा,
«مَتَى وَلَدَتْ بَقَرَةٌ أَوْ شَاةٌ أَوْ عَنْزَةٌ يَمْكُثُ وَلِيدُهَا مَعَهَا سَبْعَةَ أَيَّامٍ، ثُمَّ فِي الْيَوْمِ الثَّامِنِ يَصِحُّ تَقْدِيمُهَا قُرْبَانَ وَقُودٍ لِلرَّبِّ. ٢٧ 27
“जिस वक़्त बछड़ा या भेड़ या बकरी का बच्चा पैदा हो, तो सात दिन तक वह अपनी माँ के साथ रहे और आठवें दिन से और उसके बाद से वह ख़ुदावन्द की आतिशी क़ुर्बानी के लिए मक़बूल होगा।
لاَ تَذْبَحُوا الْبَقَرَةَ أَوِ الشَّاةَ مَعَ ابْنِهَا فِي يَوْمٍ وَاحِدٍ. ٢٨ 28
और चाहे गाय हो या भेड़, बकरी, तुम उसे और उसके बच्चे दोनों को एक ही दिन ज़बह न करना।
وَمَتَى ذَبَحْتُمْ قُرْبَانَ شُكْرٍ لِلرَّبِّ، فَاذْبَحُوهْ لِلرِّضَى عَنْكُمْ، ٢٩ 29
और जब तुम ख़ुदावन्द के शुक्राने का ज़बीहा क़ुर्बानी करो, तो उसे इस तरह क़ुर्बानी करना कि तुम मक़बूल ठहरो;
وَكُلُوهُ فِي الْيَوْمِ عَيْنِهِ، وَلاَ تُبْقُوا مِنْهُ شَيْئاً إِلَى الْغَدِ، فَأَنَا الرَّبُّ. ٣٠ 30
और वह उसी दिन खा भी लिया जाए, तुम उसमें से कुछ भी दूसरे दिन की सुबह तक बाक़ी न छोड़ना; मैं ख़ुदावन्द हूँ।
أَطِيعُوا وَصَايَايَ وَاعْمَلُوا بِهَا، فَأَنَا الرَّبُّ. ٣١ 31
“इसलिए तुम मेरे हुक्मों को मानना और उन पर 'अमल करना; मैं ख़ुदावन्द हूँ।
وَلاَ تُدَنِّسُوا اسْمِي الْقُدُّوسَ، فَأَتَقَدَّسَ وَسَطَ بَنِي إِسْرَائِيلَ، فَأَنَا الرَّبُّ الَّذِي أُقَدِّسُكُمْ، ٣٢ 32
तुम मेरे पाक नाम को नापाक न ठहराना, क्यूँकि मैं बनी — इस्राईल के बीच ज़रूर ही पाक माना जाऊँगा; मैं ख़ुदावन्द तुम्हारा पाक करने वाला हूँ,
وَالَّذِي أَخْرَجَكُمْ مِنْ دِيَارِ مِصْرَ لِيَكُونَ لَكُمْ إِلَهاً. أَنَا الرَّبُّ». ٣٣ 33
जो तुम को मुल्क — ए — मिस्र से निकाल लाया हूँ ताकि तुम्हारा ख़ुदा बना रहूँ, मैं ख़ुदावन्द हूँ।”

< لاويّين 22 >