< إرْمِيا 27 >

وَفِي مُسْتَهَلِّ حُكْمِ يَهُويَاقِيمَ بْنِ يُوشِيَّا مَلِكِ يَهُوذَا أَوْحَى الرَّبُّ بِهَذِهِ النُّبُوءَةِ إِلَى إِرْمِيَا: ١ 1
शाह — ए — यहूदाह सिदक़ियाह — बिन — यूसियाह की सल्तनत के शुरू' में ख़ुदावन्द की तरफ़ से यह कलाम यरमियाह पर नाज़िल हुआ,
«هَذَا مَا أَعْلَنَهُ الرَّبُّ: اصْنَعْ لِنَفْسِكَ رُبُطاً وَأَنْيَاراً وَضَعْهَا عَلَى عُنْقِكَ، ٢ 2
कि ख़ुदावन्द ने मुझे यूँ फ़रमाया कि: “बन्धन और जुए बनाकर अपनी गर्दन पर डाल,
وَابْعَثْ بِرِسَالَةٍ إِلَى مُلُوكِ أَدُومَ وَمُوآبَ وَبَنِي عَمُّونَ وَصُورَ وَصَيْدُونَ مَعَ الرُّسُلِ الْمُوْفَدِينَ إِلَى أُورُشَلِيمَ إِلَى صِدْقِيَّا مَلِكِ يَهُوذَا، ٣ 3
और उनको शाह — ए — अदोम, शाह — ए — मोआब, शाह — ए — बनी 'अम्मोन, शाह — ए — सूर और शाह — ए — सैदा के पास उन क़ासिदों के हाथ भेज, जो येरूशलेम में शाह — ए — यहूदाह सिदक़ियाह के पास आए हैं;
وَأَوْصِهِمْ أَنْ يَنْقُلُوا هَذِهِ الرِّسَالَةَ إِلَى سَادَتِهِمْ قَائِلاً: هَذَا مَا يُعْلِنُهُ الرَّبُّ الْقَدِيرُ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ: ٤ 4
और तू उनको उनके आक़ाओं के वास्ते ताकीद कर, 'रब्ब — उल — अफ़वाज, इस्राईल का ख़ुदा, यूँ फ़रमाता है कि: तुम अपने आक़ाओं से यूँ कहना
أَنَا بِقُوَّتِي الْعَظِيمَةِ وَبِذِرَاعِي الْمَمْدُودَةِ صَنَعْتُ الأَرْضَ بِمَا عَلَيْهَا مِنْ بَشَرٍ وَبَهَائِمَ، وَوَهَبْتُهَا لِمَنْ طَابَ لِي أَنْ أَهَبَهَا لَهُ. ٥ 5
कि मैंने ज़मीन को और इंसान — ओ — हैवान को जो इस ज़मीन पर हैं, अपनी बड़ी क़ुदरत और बलन्द बाज़ू से पैदा किया; और उनको जिसे मैंने मुनासिब जाना बख़्शा
وَالآنَ قَدْ عَهِدْتُ بِجَمِيعِ هَذِهِ الأَرَاضِي إِلَى نَبُوخَذْنَاصَّرَ مَلِكِ بَابِلَ عَبْدِي، وَأَعْطَيْتُهُ أَيْضاً حَيَوَانَ الْحَقْلِ لِيَكُونَ فِي خِدْمَتِهِ. ٦ 6
और अब मैंने यह सब ममलुकतें अपने ख़िदमत गुज़ार शाह — ए — बाबुल नबूकदनज़र के क़ब्ज़े में कर दी हैं, और मैदान के जानवर भी उसे दिए, कि उसके काम आएँ।
فَتُسْتَعْبَدُ لَهُ وَلابْنِهِ وَلِحَفِيدِهِ جَمِيعُ أُمَمِ الأَرْضِ، إِلَى أَنْ يَحِينَ مَوْعِدُ اسْتِعْبَادِ أَرْضِهِ، عِنْدَئِذٍ تَسْتَعْبِدُهُ أُمَمٌ كَثِيرَةٌ وَمُلُوكٌ عُظَمَاءُ. ٧ 7
और सब क़ौमें उसकी और उसके बेटे और उसके पोते की ख़िदमत करेंगी, जब तक कि उसकी ममलुकत का वक़्त न आए; तब बहुत सी क़ौमें और बड़े — बड़े बादशाह उससे ख़िदमत करवाएँगे।
وَلَكِنْ إِنْ أَبَتْ أَيَّةُ أُمَّةٍ أَوْ مَمْلَكَةٍ الاسْتِعْبَادَ لِنَبُوخَذْنَاصَّرَ مَلِكِ بَابِلَ، وَرَفَضَتْ أَنْ تَضَعَ عُنْقَهَا تَحْتَ نِيرِهِ، فَإِنِّي أُعَاقِبُهَا بِالسَّيْفِ وَالْجَوعِ وَالْوَبَاءِ إِلَى أَنْ أُبِيدَهُمْ بِيَدِهِ، يَقُولُ الرَّبُّ. ٨ 8
ख़ुदावन्द फ़रमाता है: जो क़ौम और जो सल्तनत उसकी, या'नी शाह — ए — बाबुल नबूकदनज़र की ख़िदमत न करेगी और अपनी गर्दन शाह — ए — बाबुल के जूए तले न झूकाएगी, उस क़ौम को मैं तलवार और काल और वबा से सज़ा दूँगा, यहाँ तक कि मैं उसके हाथ से उनको हलाक कर डालूँगा।
فَلاَ تُصْغُوا إِلَى أَنْبِيَائِكُمُ الْكَذَبَةِ وَعَرَّافِيكُمْ وَحَالِمِيكُمْ وَمُشَعْوِذِيكُمْ وَسَحَرَتِكُمُ الْقَائِلِينَ لَكُمْ: لَنْ تُسْتَعْبَدُوا لِمَلِكِ بَابِلَ، ٩ 9
इसलिए तुम अपने नबियों और ग़ैबदानो और ख्व़ाबबीनों और शगूनियों और जादूगरों की न सुनो, जो तुम से कहते हैं कि तुम शाह — ए — बाबुल की ख़िदमतगुज़ारी न करोगे।
لأَنَّهُمْ إِنَّمَا يَتَنَبَّأُونَ لَكُمْ بِالْبَاطِلِ لِيُبْعِدُوكُمْ عَنْ أَرْضِكُمْ وَلأُجْلِيَكُمْ عَنْهَا فَتَهْلِكُوا ١٠ 10
क्यूँकि वह तुम से झूटी नबुव्वत करते हैं, ताकि तुम को तुम्हारे मुल्क से आवारा करें, और मैं तुम को निकाल दूँ और तुम हलाक हो जाओ।
وَلَكِنَّ كُلَّ أُمَّةٍ تَسْتَسْلِمُ لِمَلِكِ بَابِلَ وَتُسْتَعْبَدُ لَهُ أُبْقِيهَا فِي أَرْضِهَا، يَقُولُ الرَّبُّ، فَتَحْرُثُهَا وَتُقِيمُ فِيهَا». ١١ 11
लेकिन जो क़ौम अपनी गर्दन शाह — ए — बाबुल के जूए तले रख देगी और उसकी ख़िदमत करेगी, उसको मैं उसकी ममलुकत में रहने दूँगा, ख़ुदावन्द फ़रमाता है, और वह उसमें खेती करेगी और उसमें बसेगी।”
فَبَلَّغْتُ صِدْقِيَّا مَلِكَ يَهُوذَا جَمِيعَ هَذَا الْكَلاَمِ وَقُلْتُ: «اخْضَعُوا لِمَلِكِ بَابِلَ وَاخْدُمُوهُ وَشَعْبَهُ فَتَحْيَوْا. ١٢ 12
इन सब बातों के मुताबिक़ मैंने शाह — ए — यहूदाह सिदक़ियाह से कलाम किया और कहा कि “अपनी गर्दन शाह — ए — बाबुल के जूए तले रख कर उसकी और उसकी क़ौम की ख़िदमत करो और ज़िन्दा रहो।
فَلِمَاذَا تَمُوتُ أَنْتَ وَشَعْبُكَ بِحَدِّ السَّيْفِ وَالْجُوعِ وَالْوَبَاءِ كَمَا قَضَى الرَّبُّ عَلَى الأُمَّةِ الَّتِي لاَ تُسْتَعْبَدُ لِمَلِكِ بَابِلَ؟ ١٣ 13
तू और तेरे लोग तलवार और काल और वबा से क्यूँ मरोगे, जैसा कि ख़ुदावन्द ने उस क़ौम के बारे में फ़रमाया है, जो शाह — ए — बाबुल की ख़िदमत न करेगी?
لاَ تَسْتَمِعُوا لِكَلاَمِ الأَنْبِيَاءِ الْكَذَبَةِ الَّذِينَ يَقُولُونَ لَكُمْ: لاَ تُسْتَعْبَدُوا لِمَلِكِ بَابِلَ لأَنَّهُمْ يَتَنَبَّأُونَ لَكُمْ كَذِباً، ١٤ 14
और उन नबियों की बातें न सुनो, जो तुम से कहते हैं कि तुम शाह — ए — बाबुल की ख़िदमत न करोगे; क्यूँकि वह तुम से झूटी नबुव्वत करते हैं।
فَأَنَا لَمْ أَرْسِلْهُمْ، يَقُولُ الرَّبُّ، إِنَّمَا هُمْ يَتَنَبَّأُونَ بِاسْمِي كَذِباً لأَجْلِكُمْ فَتُطْرَدُونَ أَنْتُمْ وَأَنْبِيَاؤُكُمُ الْمُتَنَبِّئُونَ لَكُمْ». ١٥ 15
क्यूँकि ख़ुदावन्द फ़रमाता है मैंने उनकों नहीं भेजा, लेकिन वह मेरा नाम लेकर झूटी नबुव्वत करते हैं; ताकि मैं तुम को निकाल दूँ और तुम उन नबियों के साथ जो तुम से नबुव्वत करते हैं हलाक हो जाओ।”
وَقُلْتُ لِلْكَهَنَةِ وَكُلِّ الشَّعْبِ: «هَذَا مَا يُعْلِنُهُ الرَّبُّ: لاَ تَسْمَعُوا لِكَلاَمِ أَنْبِيَائِكُمُ الْكَذَبَةِ الَّذِينَ يَتَنَبَّأُونَ لَكُمْ قَائِلِينَ إِنَّ آنِيَةَ هَيْكَلِ الرَّبِّ سَتُرَدُّ سَرِيعاً مِنْ بَابِلَ، فَإِنَّهُمْ يَتَنَبَّأُونَ لَكُمْ كَذِباً. ١٦ 16
मैंने काहिनों से और उन सब लोगों से भी मुख़ातिब होकर कहा, ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है: अपने नबियों की बातें न सुनो, जो तुम से नबुव्वत करते और कहते हैं कि 'देखो, ख़ुदावन्द के घर के बर्तन अब थोड़ी ही देर में बाबुल से वापस आ जाएँगे, क्यूँकि वह तुम से झूटी नबुव्वत करते हैं।
لاَ تُصْغُوا لَهُمْ، بَلِ اخْدُمُوا مَلِكَ بَابِلَ وَاحْيَوْا، فَلِمَاذَا تَتَحَوَّلُ هَذِهِ الْمَدِينَةُ إِلَى أَطْلاَلٍ؟ ١٧ 17
उनकी न सुनो, शाह — ए — बाबुल की ख़िदमतगुज़ारी करो और ज़िन्दा रहो; यह शहर क्यूँ वीरान हो?
وَإِنْ كَانُوا حَقّاً أَنْبِيَاءَ، وَإِنْ كَانَ حَقّاً وَحْيُ الرَّبِّ لَدَيْهِمْ فَلْيَبْتَهِلُوا إِلَى الرَّبِّ الْقَدِيرِ لِكَيْ لاَ يُحْمَلَ مَا تَبَقَّى مِنْ آنِيَةِ هَيْكَلِ الرَّبِّ، وَقَصْرِ مَلِكِ يَهُوذَا، وَأُورُشَلِيمَ إِلَى بَابِلَ. ١٨ 18
लेकिन अगर वह नबी हैं, और ख़ुदावन्द का कलाम उनकी अमानत में है, तो वह रब्ब — उल — अफ़वाज से शफ़ा'अत करें, ताकि वह बर्तन जो ख़ुदावन्द के घर में और शाह — ए — यहूदाह के घर में और येरूशलेम में बाक़ी हैं, बाबुल को न जाएँ।
فَإِنَّ الرَّبَّ الْقَدِيرَ يَقُولُ عَنِ الأَعْمِدَةِ، وَبِرْكَةِ الْمَاءِ وَالْقَوَاعِدِ وَسَائِرِ الآنِيَةِ الْمُتَبَقِّيَةِ فِي هَذِهِ الْمَدِينَةِ ١٩ 19
क्यूँकि सुतूनों के बारे में और बड़े हौज़ और कुर्सियों और बर्तनों के बारे में जो इस शहर में बाक़ी हैं, रब्ब — उल — अफ़वाज यूँ फ़रमाता है,
مِمَّا لَمْ يَسْتَوْلِ عَلَيْهَا نَبُوخَذْنَاصَّرُ مَلِكُ بَابِلَ عِنْدَمَا سَبَى يَكُنْيَا بْنَ يَهُويَاقِيمَ مَلِكَ يَهُوذَا مِنْ أُورُشَلِيمَ مَعَ جَمِيعِ أَشْرَافِ يَهُوذَا وَأُورُشَلِيمَ، ٢٠ 20
या'नी जिनको शाह — ए — बाबुल नबूकदनज़र नहीं ले गया, जब वह यहूदाह के बादशाह यकूनियाह — बिन — यहूयक़ीम को येरूशलेम से, और यहूदाह और येरूशलेम के सब शुरफ़ा को ग़ुलाम करके बाबुल को ले गया;
فَبَقِيَتْ فِي هَيْكَلِ الرَّبِّ وَفِي قَصْرِ الْمَلِكِ وَفِي أُورُشَلِيمَ: ٢١ 21
हाँ, रब्ब — उल — अफ़वाज, इस्राईल का ख़ुदा, उन बर्तनों के बारे में जो ख़ुदावन्द के घर में और शाह — ए — यहूदाह के महल में और येरूशलेम में बाक़ी हैं, यूँ फ़रमाता है
إِنَّهَا سَتُحْمَلُ إِلَى بَابِلَ وَتَبْقَى هُنَاكَ إِلَى يَوْمِ افْتِقَادِي، يَقُولُ الرَّبُّ، فَأَسْتَرْجِعُهَا وَأَرُدُّهَا إِلَى هَذَا الْمَوْضِعِ». ٢٢ 22
कि वह बाबुल में पहुँचाए जाएँगे; और उस दिन तक कि मैं उनको याद फ़रमाऊँ वहाँ रहेंगे, ख़ुदावन्द फ़रमाता है उस वक़्त मैं उनको उठा लाऊँगा और फिर इस मकान में रख दूँगा।

< إرْمِيا 27 >