< أفَسُس 1 >

مِنْ بُولُسَ، وَهُوَ رَسُولٌ لِلْمَسِيحِ يَسُوعَ بِمَشِيئَةِ اللهِ، إِلَى الْقِدِّيسِينَ الأُمَنَاءِ فِي الْمَسِيحِ يَسُوعَ، [الْمُقِيمِينَ فِي أَفَسُسَ]. ١ 1
पौलुस की तरफ़ से जो ख़ुदा की मर्ज़ी से ईसा मसीह का रसूल है, उन मुक़द्दसों के नाम ख़त जो इफ़िसुस शहर में हैं और ईसा मसीह 'में ईमान्दार हैं:
لِتَكُنْ لَكُمُ النِّعْمَةُ وَالسَّلاَمُ مِنَ اللهِ أَبِينَا وَالرَّبِّ يَسُوعَ الْمَسِيحِ. ٢ 2
हमारे बाप ख़ुदा और ख़ुदावन्द ईसा मसीह की तरफ़ से तुम्हें फ़ज़ल और इत्मीनान हासिल होता रहे।
تَبَارَكَ اللهُ، أَبُو رَبِّنَا يَسُوعَ الْمَسِيحِ الَّذِي بَارَكَنَا بِكُلِّ بَرَكَةٍ رُوحِيَّةٍ فِي الأَمَاكِنِ السَّمَاوِيَّةِ. ٣ 3
हमारे ख़ुदावन्द ईसा मसीह के ख़ुदा और बाप की हम्द हो, जिसने हम को मसीह में आसमानी मुक़ामों पर हर तरह की रूहानी बर्क़त बख़्शी।
كَمَا كَانَ قَدِ اخْتَارَنَا فِيهِ قَبْلَ تَأْسِيسِ الْعَالَمِ، لِنَكُونَ قِدِّيسِينَ بِلاَ لَوْمٍ أَمَامَهُ. ٤ 4
चुनाँचे उसने हम को दुनियाँ बनाने से पहले उसमें चुन लिया, ताकि हम उसके नज़दीक मुहब्बत में पाक और बे'ऐब हों!
إِذْ سَبَقَ فَعَيَّنَنَا فِي الْمَحَبَّةِ لِيَتَّخِذَنَا أَبْنَاءً لَهُ بِيَسُوعَ الْمَسِيحِ. وَذَلِكَ مُوَافِقٌ لِلْقَصْدِ الَّذِي سُرَّتْ بِهِ مَشِيئَتُهُ، ٥ 5
ख़ुदा अपनी मर्ज़ी के नेक इरादे के मुवाफ़िक़ हमें अपने लिए पहले से मुक़र्रर किया कि ईसा मसीह के वसीले से ख़ुदा लेपालक बेटे हों,
بِغَرَضِ مَدْحِ مَجْدِ نِعْمَتِهِ الَّتِي بِهَا أَعْطَانَا حُظْوَةً لَدَيْهِ فِي الْمَحْبُوبِ: ٦ 6
ताकि उसके उस फ़ज़ल के जलाल की सिताइश हो जो हमें उस 'अज़ीज़ में मुफ़्त बख़्शा।
فَفِيهِ لَنَا بِدَمِهِ الْفِدَاءُ، أَيْ غُفْرَانُ الْخَطَايَا؛ بِحَسَبِ غِنَى نِعْمَتِهِ ٧ 7
हम को उसमें 'ईसा के ख़ून के वसीले से मख़लसी, या'नी क़ुसूरों की मु'आफ़ी उसके उस फ़ज़ल की दौलत के मुवाफ़िक़ हासिल है,
الَّتِي جَعَلَهَا تَفِيضُ عَلَيْنَا مَصْحُوبَةً بِكُلِّ حِكْمَةٍ وَفَهْمٍ. ٨ 8
जो ख़ुदा ने हर तरह की हिक्मत और दानाई के साथ कसरत से हम पर नाज़िल किया
إِذْ كَشَفَ لَنَا سِرَّ مَشِيئَتِهِ بِحَسَبِ مَرْضَاتِهِ الَّتِي قَصَدَهَا فِي نَفْسِهِ، ٩ 9
चुनाँचे उसने अपनी मर्ज़ी के राज़ को अपने उस नेक इरादे के मुवाफ़िक़ हम पर ज़ाहिर किया, जिसे अपने में ठहरा लिया था
لأَجْلِ تَدْبِيرِ تَمَامِ الأَزْمِنَةِ، حِينَ يُوَحِّدُ كُلَّ شَيْءٍ تَحْتَ رِئَاسَةِ الْمَسِيحِ، سَوَاءٌ الأَشْيَاءُ الَّتِي فِي السَّمَاوَاتِ وَالَّتِي عَلَى الأَرْضِ. ١٠ 10
ताकि ज़मानो के पूरे होने का ऐसा इन्तिज़ाम हो कि मसीह में सब चीज़ों का मजमू'आ हो जाए, चाहे वो आसमान की हों चाहे ज़मीन की।
وَفِي الْمَسِيحِ أَيْضاً قَدْ حَصَلْنَا عَلَى الْمِيرَاثِ الَّذِي سَبَقَ أَنْ عُيِّنَّا لَهُ، وَفْقاً لِقَصْدِهِ، هُوَ الَّذِي يَعْمَلُ كُلَّ شَيْءٍ كَمَا تَقْضِي مَشِيئَتُهُ. ١١ 11
उसी में हम भी उसके इरादे के मुवाफ़िक़ जो अपनी मर्ज़ी की मसलेहत से सब कुछ करता है, पहले से मुक़र्रर होकर मीरास बने।
وَالْغَايَةُ أَنْ نَكُونَ سَبَباً لِمَدْحِ مَجْدِهِ بَعْدَمَا سَبَقَ لَنَا أَنْ وَضَعْنَا رَجَاءَنَا فِي الْمَسِيحِ. ١٢ 12
ताकि हम जो पहले से मसीह की उम्मीद में थे, उसके जलाल की सिताइश का ज़रिया हो
وَفِيهِ أَنْتُمْ أَيْضاً (وَضَعْتُمْ رَجَاءَكُمْ) إِذْ سَمِعْتُمْ كَلِمَةَ الْحَقِّ، أَيْ الإِنْجِيلَ الَّذِي فِيهِ خَلاَصُكُمْ؛ كَذَلِكَ فِيهِ أَيْضاً خُتِمْتُمْ، إِذْ آمَنْتُمْ، بِالرُّوحِ الْقُدُسِ الْمَوْعُودِ، ١٣ 13
और उसी में तुम पर भी, जब तुम ने कलाम — ए — हक़ को सुना जो तुम्हारी नजात की ख़ुशख़बरी है और उस पर ईमान लाए, वादा की हुई पाक रूह की मुहर लगी।
هَذَا الرُّوحِ الَّذِي هُوَ عُرْبُونُ مِيرَاثِنَا إِلَى أَنْ يَتِمَّ فِدَاءُ شَعْبِهِ الَّذِي اقْتَنَاهُ بِغَرَضِ مَدْحِ مَجْدِهِ. ١٤ 14
पाक रूह ही ख़ुदा की मिल्कियत की मख़लसी के लिए हमारी मीरास की पेशगी है, ताकि उसके जलाल की सिताइश हो।
لِذَلِكَ أَنَا أَيْضاً، وَقَدْ سَمِعْتُ بِمَا فِيكُمْ مِنَ الإِيمَانِ بِالرَّبِّ يَسُوعَ وَالْمَحَبَّةِ لِجَمِيعِ الْقِدِّيسِينَ، ١٥ 15
इस वजह से मैं भी उस ईमान का, जो तुम्हारे दरमियान ख़ुदावन्द ईसा' पर है और सब मुक़द्दसों पर ज़ाहिर है, हाल सुनकर।
لاَ أَنْقَطِعُ عَنْ شُكْرِ اللهِ لأَجْلِكُمْ وَعَنْ ذِكْرِكُمْ فِي صَلَوَاتِي، ١٦ 16
तुम्हारे ज़रिए शुक्र करने से बा'ज़ नहीं आता, और अपनी दु'आओं में तुम्हें याद किया करता हूँ।
حَتَّى يَهَبَكُمْ إِلَهُ رَبِّنَا يَسُوعَ الْمَسِيحِ، أَبُو الْمَجْدِ، رُوحَ حِكْمَةٍ وَإِلْهَامٍ: لِتَعْرِفُوهُ مَعْرِفَةً كَامِلَةً ١٧ 17
कि हमारे ख़ुदावन्द ईसा' मसीह का ख़ुदा जो जलाल का बाप है, तुम्हें अपनी पहचान में हिक्मत और मुक़ाशिफ़ा की रूह बख़्शे;
إِذْ تَسْتَنِيرُ بَصَائِرُ قُلُوبِكُمْ، فَتَعْلَمُوا مَا فِي دَعْوَتِهِ لَكُمْ مِنْ رَجَاءٍ، وَمَا هُوَ غِنَى مَجْدِ مِيرَاثِهِ فِي الْقِدِّيسِينَ، ١٨ 18
और तुम्हारे दिल की आँखें रौशन हो जाएँ ताकि तुम को मालूम हो कि उसके बुलाने से कैसी कुछ उम्मीद है, और उसकी मीरास के जलाल की दौलत मुक़द्दसों में कैसी कुछ है,
وَمَا هِيَ عَظَمَةُ قُدْرَتِهِ الْفَائِقَةُ الْمُعْلَنَةُ لَنَا نَحْنُ الْمُؤْمِنِينَ، بِحَسَبِ عَمَلِ اقْتِدَارِ قُوَّتِهِ ١٩ 19
और हम ईमान लानेवालों के लिए उसकी बड़ी क़ुदरत क्या ही अज़ीम है। उसकी बड़ी क़ुव्वत की तासीर के मुवाफ़िक़,
الَّذِي عَمِلَهُ فِي الْمَسِيحِ، بِإِقَامَتِهِ لَهُ مِنْ بَيْنِ الأَمْوَاتِ. وَقَدْ أَجْلَسَهُ عَنْ يَمِينِهِ فِي السَّمَاوَاتِ، ٢٠ 20
जो उसने मसीह में की, जब उसे मुर्दों में से जिला कर अपनी दहनी तरफ़ आसमानी मुक़ामों पर बिठाया,
أَرْفَعَ جِدّاً مِنْ كُلِّ رِئَاسَةٍ وَسُلْطَةٍ وَقُوَّةٍ وَسِيَادَةٍ، وَمِنْ كُلِّ اسْمٍ يُسَمَّى، لاَ فِي هَذَا الْعَالَمِ وَحَسْبُ، بَلْ فِي ذَلِكَ الآتِي أَيْضاً. (aiōn g165) ٢١ 21
और हर तरह की हुकूमत और इख़्तियार और क़ुदरत और रियासत और हर एक नाम से बहुत ऊँचा किया, जो न सिर्फ़ इस जहान में बल्कि आनेवाले जहान में भी लिया जाएगा; (aiōn g165)
وَأَخْضَعَ كُلَّ شَيْءٍ تَحْتَ قَدَمَيْهِ، وَإِيَّاهُ جَعَلَ فَوْقَ كُلِّ شَيْءٍ رَأْساً لِلْكَنِيسَةِ ٢٢ 22
और सब कुछ उसके पाँव तले कर दिया; और उसको सब चीज़ों का सरदार बनाकर कलीसिया को दे दिया,
الَّتِي هِيَ جَسَدُهُ وَكَمَالُهُ، هُوَ الَّذِي يُكَمِّلُ الْكُلَّ فِي الكُلِّ. ٢٣ 23
ये 'ईसा का बदन है, और उसी की मा'मूरी जो हर तरह से सबका मा'मूर करने वाला है।

< أفَسُس 1 >