< دانيال 8 >

وَفِي السَّنَةِ الثَّالِثَةِ مِنْ مُدَّةِ حُكْمِ بَيلْشَاصَّرَ الْمَلِكِ، ظَهَرَتْ لِي أَنَا دَانِيآلَ رُؤْيَا أُخْرَى بَعْدَ الرُّؤْيَا الأُولَى، ١ 1
बेलशज़र बादशाह की सल्तनत के तीसरे साल में मुझ को, हाँ, मुझ दानीएल को एक ख़्वाब नज़र आया, या'नी मेरे पहले ख़्वाब के बा'द।
وَكُنْتُ آنَئِذٍ فِي شُوشَانَ عَاصِمَةِ وِلاَيَةِ عِيلاَمَ بِجِوَارِ نَهْرِ أُولاَيَ، ٢ 2
और मैंने 'आलम — ए — रोया में देखा, और जिस वक़्त मैने देखा, ऐसा मा'लूम हुआ कि मैं महल — ए — सोसन में था, जो सूबा — ए — 'ऐलाम में है। फिर मैने 'आलम — ए — रोया ही में देखा कि मैं दरिया — ए — ऊलाई के किनारे पर हूँ।
فَرَفَعْتُ عَيْنَيَّ وَإِذَا بِي أَرَى كَبْشاً وَاقِفاً عِنْدَ النَّهْرِ، وَلَهُ قَرْنَانِ طَوِيلاَنِ. إِنَّمَا أَحَدُهُمَا أَطْوَلُ مِنَ الآخَرِ، مَعَ أَنَّ الأَطْوَلَ نَبَتَ بَعْدَ الأَوَّلِ. ٣ 3
तब मैने आँख उठा कर नज़र की, और क्या देखता हूँ कि दरिया के पास एक मेंढा खड़ा है जिसके दो सींग हैं, दोनों सींग ऊँचे थे, लेकिन एक दूसरे से बड़ा था और बड़ा दूसरे के बाद निकला था।
وَرَأَيْتُ الْكَبْشَ يَنْطَحُ غَرْباً وَشِمَالاً وَجَنُوباً، مِنْ غَيْرِ أَنْ يَجْرُؤَ أَيُّ حَيَوَانٍ عَلَى مُقَاوَمَتِهِ، وَلَمْ يَكُنْ مِنْ مُنْقِذٍ مِنْهُ، فَفَعَلَ كَمَا يَحْلُو لَهُ وَعَظُمَ شَأْنُهُ ٤ 4
मैने उस मेंढे को देखा कि पश्चिम — और — उत्तर — और — दक्खिन की तरफ़ सींग मारता है, यहाँ तक कि न कोई जानवर उसके सामने खड़ा हो सका और न कोई उससे छुड़ा सका, पर वह जो कुछ चाहता था करता था, यहाँ तक कि वह बहुत बड़ा हो गया।
وَبَيْنَمَا كُنْتُ مُتَأَمِّلاً، أَقْبَلَ تَيْسٌ مِنَ الْمَغْرِبِ عَبَرَ كُلَّ الأَرْضِ مِنْ غَيْرِ أَنْ يَمَسَّهَا. وَكَانَ لِلتَّيْسِ قَرْنٌ بَارِزٌ بَيْنَ عَيْنَيْهِ. ٥ 5
और मैं सोच ही रहा था कि एक बकरा पश्चिम की तरफ़ से आकर तमाम ज़मीन पर ऐसा फिरा कि ज़मीन को भी न छुआ, और उस बकरे की दोनों आँखों के बीच एक 'अजीब सींग था।
وَانْدَفَعَ بِكُلِّ شِدَّةِ قُوَّتِهِ نَحْوَ الْكَبْشِ ذِي الْقَرْنَيْنِ الَّذِي رَأَيْتُهُ وَاقِفاً عِنْدَ النَّهْرِ. ٦ 6
और वह उस दो सींग वाले मेंढे, के पास, जिसे मैने दरिया के किनारे खड़ा देखा था आया और अपने ज़ोर के क़हर से उस पर हमलावर हुआ।
وَمَا إِنْ وَصَلَ إِلَيْهِ حَتَّى هَجَمَ عَلَيْهِ وَضَرَبَهُ وَحَطَّمَ قَرْنَيْهِ، فَعَجَزَ الْكَبْشُ عَنْ صَدِّهِ. وَطَرَحَهُ التَّيْسُ عَلَى الأَرْضِ وَدَاسَهُ وَلَمْ يَكُنْ لِلْكَبْشِ مَنْ يُنْقِذُهُ مِنْ يَدِهِ. ٧ 7
और मैने देखा कि वह मेंढे के क़रीब पहुँचा और उसका ग़ज़ब उस पर भड़का और उसने मेंढे को मारा और उसके दोनों सींग तोड़ डाले और मेंढे में उसके मुक़ाबले की हिम्मत न थी, तब उसने उसे ज़मीन पर पटख़ दिया और उसे लताड़ा और कोई न था कि मेंढे को उससे छुड़ा सके।
فَعَظُمَ شَأْنُ التَّيْسِ. وَعِنْدَمَا اعْتَزَّ انْكَسَرَ الْقَرْنُ الْعَظِيمُ وَنَبَتَ عِوَضاً عَنْهُ أَرْبَعَةُ قُرُونٍ بَارِزَةٍ نَحْوَ جِهَاتِ الأَرْضِ الأَرْبَعِ. ٨ 8
और वह बकरा निहायत बुज़ुर्ग हुआ, और जब वह निहायत ताक़तवर हुआ तो उसका बड़ा सींग टूट गया और उसकी जगह चार अजीब सींग आसमान की चारों हवाओं की तरफ़ निकले।
وَنَمَا مِنْ وَاحِدٍ مِنْهَا قَرْنٌ صَغِيرٌ عَظُمَ أَمْرُهُ، وَامْتَدَّ جَنُوباً وَشَرْقاً وَنَحْوَ أَرْضِ إِسْرَائِيلَ، ٩ 9
और उनमें से एक से एक छोटा सींग निकला, जो दक्खिन और पूरब और जलाली मुल्क की तरफ़ बे निहायत बढ़ गया।
وَبَلَغَ مِنْ عَظَمَتِهِ أَنَّهُ تَطَاوَلَ عَلَى مُلُوكِ الأَرْضِ وَقَضَى عَلَى بَعْضِهِمْ وَدَاسَ عَلَيْهِمْ، ١٠ 10
और वह बढ़ कर अजराम — ए — फ़लक तक पहुँचा, और उसने कुछ अजराम — ए — फ़लक और सितारों को ज़मीन पर गिरा दिया और उनको लताड़ा।
وَتَحَدَّى حَتَّى رَئِيسِ الْجُنْدِ (أَيِ اللهِ)، وَتَكَبَّرَ عَلَيْهِ، وَأَلْغَى الْمُحْرَقَةَ الدَّائِمَةَ وَهَدَمَ الْهَيْكَلَ. ١١ 11
बल्कि उसने अजराम के फ़रमाँरवाँ तक अपने आप को बलन्द किया, और उससे दाइमी क़ुर्बानी को छीन लिया और उसका मक़दिस गिरा दिया।
وَبِسَبَبِ الْمَعْصِيَةِ سُلِّطَ عَلَى جُنْدِ القِدِّيسِينَ وَعَلَى الْمُحْرَقَةِ الْيَوْمِيَّةِ. وَحَالَفَهُ التَّوْفِيقُ فِي كُلِّ مَا صَنَعَ فَطَرَحَ الْحَقَّ عَلى الأَرْضِ. ١٢ 12
और अजराम ख़ताकारी की वजह से क़ायम रहने वाली क़ुर्बानी के साथ उसके हवाले किए गए, और उसने सच्चाई को ज़मीन पर पटख़ दिया और वह कामयाबी के साथ यूँ ही करता रहा।
فَسَمِعْتُ قُدُّوساً يَتَكَلَّمُ، فَيَرُدُّ عَلَيْهِ قُدُّوسٌ آخَرُ: «كَمْ يَطُولُ زَمَنُ الرُّؤْيَا بِشَأْنِ الْمُحْرَقَةِ الدَّائِمَةِ الْيَوْمِيَّةِ، وَمَعْصِيَةِ الْخَرَابِ، وَتَسْلِيمِ الْهَيْكَلِ وَالْجُنْدِ لِيَكُونُوا مَدُوسِينَ؟» ١٣ 13
तब मैने एक फ़रिश्ते को कलाम करते सुना, और दूसरे फ़रिश्ते ने उसी फ़रिश्ते से जो कलाम करता था पूछा कि दाइमी क़ुर्बानी और वीरान करने वाली ख़ताकारी की रोया जिसमें मक़दिस और अजराम पायमाल होते हैं, कब तक रहेगी?
فَأَجَابَهُ: «إِلَى أَلْفَيْنِ وَثَلاَثِ مِئَةِ يَوْمٍ ثُمَّ يَتَطَهَّرُ الْهَيْكَلُ». ١٤ 14
और उसने मुझ से कहा, कि “दो हज़ार तीन सौ सुबह — और — शाम तक, उसके बाद मक़दिस पाक किया जाएगा।”
وَبَعْدَ أَنْ شَاهَدْتُ أَنَا دَانِيآلَ الرُّؤْيَا وَطَلَبْتُ تَفْسِيراً لَهَا، إِذَا بِشِبْهِ إِنْسَانٍ وَاقِفٍ أَمَامِي. ١٥ 15
फिर यूँ हुआ कि जब मैं दानीएल ने यह रोया देखी, और इसकी ता'बीर की फ़िक्र में था, तो क्या देखता हूँ कि मेरे सामने कोई इंसान सूरत खड़ा है।
وَسَمِعْتُ صَوْتَ إِنْسَانٍ صَادِراً مِنْ بَيْنِ ضَفَّتَيْ نَهْرِ أُولاَيَ قَائِلاً: «يَاجِبْرَائِيلُ، فَسِّرْ لِهَذَا الرَّجُلِ الرُّؤْيَا». ١٦ 16
और मैने ऊलाई में से आदमी की आवाज़ सुनी, जिसने बलन्द आवाज़ से कहा, कि “ऐ जबराईल, इस शख़्स को इस रोया के मा'ने समझा दे।”
فَجَاءَ إِلَيَّ حَيْثُ وَقَفْتُ، فَتَوَلاَنِي الْخَوْفُ وَانْطَرَحْتُ عَلَى وَجْهِي، فَقَالَ لِي: «افْهَمْ يَاابْنَ آدَمَ. إِنَّ الرُّؤْيَا تَخْتَصُّ بِوَقْتِ الْمُنْتَهَى». ١٧ 17
चुनाँचे वह जहाँ मैं खड़ा था नज़दीक आया, और उसके आने से मैं डर गया और मुँह के बल गिरा, पर उसने मुझसे कहा, “ऐ आदमज़ाद! समझ ले कि यह रोया आख़िरी ज़माने के ज़रिए' है।”
وَفِيمَا كَانَ يُخَاطِبُنِي وَأَنَا مُكِبٌّ بِوَجْهِي إِلَى الأَرْضِ غَشِيَنِي سُبَاتٌ عَمِيقٌ، فَلَمَسَنِيِ وَأَنْهَضَنِي عَلَى قَدَمَيَّ، ١٨ 18
और जब वह मुझसे बातें कर रहा था, मैं गहरी नींद में मुँह के बल ज़मीन पर पड़ा था, लेकिन उसने मुझे पकड़ कर सीधा खड़ा किया,
وَقَالَ: «هَا أَنَا أُطْلِعُكَ عَلَى مَا سَيَحْدُثُ فِي آخِرِ حِقْبَةِ الْغَضَبِ، لأَنَّ الرُّوْيَا تَرْتَبِطُ بِمِيعَادِ الانْتِهَاءِ. ١٩ 19
और कहा कि “देख, मैं तुझे समझाऊँगा कि क़हर के आख़िर में क्या होगा, क्यूँकि यह हुक्म आख़िरी मुक़र्ररा वक़्त के बारे है।
إِنَّ الْكَبْشَ ذَا الْقَرْنَيْنِ الَّذِي رَأَيْتَهُ هُوَ مُلُوكُ مَادِي وَفَارِسَ. ٢٠ 20
जो मेंढा तू ने देखा, उसके दोनों सींग मादी और फ़ारस के बादशाह हैं।
وَالتَّيْسَ الأَشْعَرَ هُوَ مَلِكُ الْيُونَانِ، وَالْقَرْنَ الْعَظِيمَ النَّابِتَ بَيْنَ عَيْنَيْهِ هُوَ الْمَلِكُ الأَوَّلُ. ٢١ 21
और वह जसीम बकरा यूनान का बादशाह है, और उसकी आँखों के बीच का बड़ा सींग पहला बादशाह है।
وَمَا إِنِ انْكَسَرَ حَتَّى خَلَفَهُ أَرْبَعَةٌ عِوَضاً عَنْهُ، تَقَاسَمُوا مَمْلَكَتَهُ وَلَكِنْ لَمْ يُمَاثِلُوهُ فِي قُوَّتِهِ. ٢٢ 22
और उसके टूट जाने के बा'द, उसकी जगह जो चार और निकले वह चार सल्तनतें हैं जो उसकी क़ौम में क़ायम होंगी, लेकिन उनका इख़्तियार उसकी तरह न होगा।
وَفِي أَوَاخِرِ مُلْكِهِمْ عِنْدَمَا تَبْلُغُ الْمَعَاصِي أَقْصَى مَدَاهَا، يَقُومُ مَلِكٌ فَظٌّ حَاذِقٌ دَاهِيَةٌ، ٢٣ 23
और उनकी सल्तनत के आख़िरी दिनों में जब ख़ताकार लोग हद तक पहुँच जाएँगे, तो एक सख़्त और बेरहम बादशाह खड़ा होगा।
فَيَعْظُمُ شَأْنُهُ، إِنَّمَا لَيْسَ بِفَضْلِ قُوَّتِهِ. وَيُسَبِّبُ دَمَاراً رَهِيباً وَيُفْلِحُ فِي الْقَضَاءِ عَلَى الأَقْوِيَاءِ، وَيَقْهَرُ شَعْبَ اللهِ. ٢٤ 24
यह बड़ा ज़बरदस्त होगा लेकिन अपनी ताक़त से नहीं, और 'अजीब तरह से बर्बाद करेगा और कामयाब होगा और काम करेगा और ताक़तवरों और मुक़द्दस लोगों को हलाक करेगा।
وَبِدَهَائِهِ وَمَكْرِهِ يُحَقِّقُ مَآرِبَهُ، وَيَتَكَبَّرُ فِي قَلْبِهِ وَيُهْلِكُ الْكَثِيرِينَ وَهُمْ فِي طُمَأْنِينَةٍ، وَيَتَمَرَّدُ عَلَى رَئِيسِ الرُّؤَسَاءِ لَكِنَّهُ يَتَحَطَّمُ بِغَيْرِ يَدِ الإِنْسَانِ. ٢٥ 25
और अपनी चतुराई से ऐसे काम करेगा कि उसकी फ़ितरत के मन्सूबे उसके हाथ में खू़ब अन्जाम पाएँगे, और दिल में बड़ा ग़ुरूर करेगा और सुलह के वक़्त में बहुतों को हलाक करेगा; वह बादशाहों के बादशाह से भी मुक़ाबिला करने के लिए उठ खड़ा होगा, लेकिन बे हाथ हिलाए ही शिकस्त खाएगा।
وَرُؤْيَا الأَلْفَيْنِ وَالثَّلاَثِ مِئَةِ يَوْمٍ الَّتِي تَجَلَّتْ لَكَ هِيَ رُؤْيَا حَقٍّ، وَلَكِنِ اكْتُمِ الرُّؤْيَا لأَنَّهَا لَنْ تَتَحَقَّقَ إِلاَ بَعْدَ أَيَّامٍ كَثِيرَةٍ». ٢٦ 26
और यह सुबह शाम की रोया जो बयान हुई यक़ीनी है, लेकिन तू इस रोया को बन्द कर रख, क्यूँकि इसका 'इलाक़ा बहुत दूर के दिनों से है।”
فَضَعُفْتُ أَنَا دَانِيآلَ وَنَحَلْتُ أَيَّاماً، ثُمَّ قُمْتُ وَعُدْتُ أُبَاشِرُ أَعْمَالَ الْمَلِكِ. وَرَوَّعَتْنِي الرُّؤْيَا، وَلَمْ أَكُنْ أَفْهَمُهَا. ٢٧ 27
और मुझ दानीएल को ग़श आया, और मैं कुछ रोज़ तक बीमार पड़ा रहा; फिर मैं उठा और बादशाह का कारोबार करने लगा, और मैं ख़्वाब से परेशान था लेकिन इसको कोई न समझा।

< دانيال 8 >