< رُوما 14 >

وَمَنْ هُوَ ضَعِيفٌ فِي ٱلْإِيمَانِ فَٱقْبَلُوهُ، لَا لِمُحَاكَمَةِ ٱلْأَفْكَارِ. ١ 1
जो विश्वास म कमजोर हय, ओख अपनी संगति म लेवो, पर ओकी शंकावों बिचारों पर विवाद करन लायी नहीं।
وَاحِدٌ يُؤْمِنُ أَنْ يَأْكُلَ كُلَّ شَيْءٍ، وَأَمَّا ٱلضَّعِيفُ فَيَأْكُلُ بُقُولًا. ٢ 2
कुछ लोगों ख विश्वास हय कि सब कुछ खानो ठीक हय, पर जो विश्वास म कमजोर हय ऊ केवल साकाहारी खावय हय।
لَا يَزْدَرِ مَنْ يَأْكُلُ بِمَنْ لَا يَأْكُلُ، وَلَا يَدِنْ مَنْ لَا يَأْكُلُ مَنْ يَأْكُلُ، لِأَنَّ ٱللهَ قَبِلَهُ. ٣ 3
खान वालो नहीं खान वालो ख तुच्छ मत जानो, अऊर नहीं खान वालो पर दोष नहीं लगाये; कहालीकि परमेश्वर न ओख स्वीकार करयो हय।
مَنْ أَنْتَ ٱلَّذِي تَدِينُ عَبْدَ غَيْرِكَ؟ هُوَ لِمَوْلَاهُ يَثْبُتُ أَوْ يَسْقُطُ. وَلَكِنَّهُ سَيُثَبَّتُ، لِأَنَّ ٱللهَ قَادِرٌ أَنْ يُثَبِّتَهُ. ٤ 4
तय कौन आय जो दूसरों को सेवक पर दोष लगावय हय? ओको स्थिर रहनो यां गिर जानो ओको मालिक सीच सम्बन्ध रखय हय; बल्की ऊ स्थिरच कर दियो जायेंन, कहालीकि प्रभु ओख स्थिर रख सकय हय।
وَاحِدٌ يَعْتَبِرُ يَوْمًا دُونَ يَوْمٍ، وَآخَرُ يَعْتَبِرُ كُلَّ يَوْمٍ. فَلْيَتَيَقَّنْ كُلُّ وَاحِدٍ فِي عَقْلِهِ: ٥ 5
कोयी आदमी त एक दिन ख दूसरों दिन सी अच्छो मानय हय, अऊर कोयी सब दिनो ख एक जसो मानय हय। हर एक बुद्धी की बात अपनोच मन म निश्चय कर लेवो।
ٱلَّذِي يَهْتَمُّ بِٱلْيَوْمِ، فَلِلرَّبِّ يَهْتَمُّ. وَٱلَّذِي لَا يَهْتَمُّ بِٱلْيَوْمِ، فَلِلرَّبِّ لَا يَهْتَمُّ. وَٱلَّذِي يَأْكُلُ، فَلِلرَّبِّ يَأْكُلُ لِأَنَّهُ يَشْكُرُ ٱللهَ. وَٱلَّذِي لَا يَأْكُلُ فَلِلرَّبِّ لَا يَأْكُلُ وَيَشْكُرُ ٱللهَ. ٦ 6
जो कोयी एक दिन ख महत्वपूर्न मानय हय, ऊ प्रभु को आदर लायी मानय हय। जो सब कुछ खावय हय, ऊ प्रभु ख आदर देनो को लायी खावय हय, कहालीकि ऊ अपनो परमेश्वर को धन्यवाद करय हय, अऊर जो कुछ नहीं खावय, ऊ प्रभु ख आदर देनो को लायी नहीं खावय अऊर परमेश्वर को धन्यवाद करय हय।
لِأَنْ لَيْسَ أَحَدٌ مِنَّا يَعِيشُ لِذَاتِهِ، وَلَا أَحَدٌ يَمُوتُ لِذَاتِهِ. ٧ 7
कहालीकि हम म सी नहीं त कोयी अपनो लायी जीवय हय अऊर नहीं कोयी अपनो लायी मरय हय।
لِأَنَّنَا إِنْ عِشْنَا فَلِلرَّبِّ نَعِيشُ، وَإِنْ مُتْنَا فَلِلرَّبِّ نَمُوتُ. فَإِنْ عِشْنَا وَإِنْ مُتْنَا فَلِلرَّبِّ نَحْنُ. ٨ 8
यदि हम जीन्दो हंय, त प्रभु को लायी जीन्दो हंय; अऊर यदि मरजे हंय, त प्रभु को लायी मरजे हंय; अब भी हम जीबो यां मरबो, हम प्रभु कोच आय।
لِأَنَّهُ لِهَذَا مَاتَ ٱلْمَسِيحُ وَقَامَ وَعَاشَ، لِكَيْ يَسُودَ عَلَى ٱلْأَحْيَاءِ وَٱلْأَمْوَاتِ. ٩ 9
कहालीकि मसीह येकोच लायी मरयो अऊर जीन्दो भी भयो कि ऊ मरयो हुयो अऊर जीन्दो दोयी को प्रभु आय।
وَأَمَّا أَنْتَ، فَلِمَاذَا تَدِينُ أَخَاكَ؟ أَوْ أَنْتَ أَيْضًا، لِمَاذَا تَزْدَرِي بِأَخِيكَ؟ لِأَنَّنَا جَمِيعًا سَوْفَ نَقِفُ أَمَامَ كُرْسِيِّ ٱلْمَسِيحِ، ١٠ 10
तुम त, केवल सागभाजीच खावय हय, तुम दूसरों पर न्याय कहाली देवय हय? अऊर तुम जो भी खावय हय, तुम दूसरों विश्वासियों ख तुच्छ कहाली समझय हय? हम सब लोग ओको आगु न्याय करन लायी परमेश्वर को सामने खड़ो होबो।
لِأَنَّهُ مَكْتُوبٌ: «أَنَا حَيٌّ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ، إِنَّهُ لِي سَتَجْثُو كُلُّ رُكْبَةٍ، وَكُلُّ لِسَانٍ سَيَحْمَدُ ٱللهَ». ١١ 11
शास्त्र म लिख्यो हय, “प्रभु कह्य हय, मोरो जीवन की कसम कि हर एक घुटना मोरो सामने टेकेंन, अऊर हर एक जीबली मान लेयेंन कि मय परमेश्वर आय।”
فَإِذًا كُلُّ وَاحِدٍ مِنَّا سَيُعْطِي عَنْ نَفْسِهِ حِسَابًا لِلهِ ١٢ 12
येकोलायी हम म सी हर एक परमेश्वर ख अपनो लेखा जोखा दे।
فَلَا نُحَاكِمْ أَيْضًا بَعْضُنَا بَعْضًا، بَلْ بِٱلْحَرِيِّ ٱحْكُمُوا بِهَذَا: أَنْ لَا يُوضَعَ لِلْأَخِ مَصْدَمَةٌ أَوْ مَعْثَرَةٌ. ١٣ 13
येकोलायी हम एक दूसरों को न्याय करनो बन्द करो अऊर येको बदले म निश्चय करो कि, अपनो भाऊ को सामने ठोकर खाय कर पाप म पढ़नो को वजह मत बनो।
إِنِّي عَالِمٌ وَمُتَيَقِّنٌ فِي ٱلرَّبِّ يَسُوعَ أَنْ لَيْسَ شَيْءٌ نَجِسًا بِذَاتِهِ، إِلَّا مَنْ يَحْسِبُ شَيْئًا نَجِسًا، فَلَهُ هُوَ نَجِسٌ. ١٤ 14
प्रभु यीशु म एक होनो को वजह म जानय हय, कोयी भोजन अपनो आप सी अशुद्ध नहीं, पर जो ओख अशुद्ध समझय हय ओको लायी अशुद्ध हय।
فَإِنْ كَانَ أَخُوكَ بِسَبَبِ طَعَامِكَ يُحْزَنُ، فَلَسْتَ تَسْلُكُ بَعْدُ حَسَبَ ٱلْمَحَبَّةِ. لَا تُهْلِكْ بِطَعَامِكَ ذَلِكَ ٱلَّذِي مَاتَ ٱلْمَسِيحُ لِأَجْلِهِ. ١٥ 15
यदि तोरो भाऊ यां बहिन तोरो खान को वजह उदास होवय हय, त फिर तय प्रेम की रीति सी नहीं चलय; जेको लायी मसीह मरयो, ओको तय अपनो जेवन को द्वारा नाश मत कर।
فَلَا يُفْتَرَ عَلَى صَلَاحِكُمْ، ١٦ 16
जेक तुम अच्छो समझय हय ओको कोयी ख बुरो मत कहन देजो।
لِأَنْ لَيْسَ مَلَكُوتُ ٱللهِ أَكْلًا وَشُرْبًا، بَلْ هُوَ بِرٌّ وَسَلَامٌ وَفَرَحٌ فِي ٱلرُّوحِ ٱلْقُدُسِ. ١٧ 17
कहालीकि परमेश्वर को राज्य खानो-पीनो नहीं, पर सच्चायी शान्ति अऊर ऊ खुशी हय जो पवित्र आत्मा सी होवय हय।
لِأَنَّ مَنْ خَدَمَ ٱلْمَسِيحَ فِي هَذِهِ فَهُوَ مَرْضِيٌّ عِنْدَ ٱللهِ، وَمُزَكًّى عِنْدَ ٱلنَّاسِ. ١٨ 18
जो कोयी यो रीति सी मसीह की सेवा करय हय, ऊ परमेश्वर ख भावय हय अऊर आदमियों म स्वीकारन लायक ठहरय हय।
فَلْنَعْكُفْ إِذًا عَلَى مَا هُوَ لِلسَّلَامِ، وَمَا هُوَ لِلْبُنْيَانِ بَعْضُنَا لِبَعْضٍ. ١٩ 19
येकोलायी हम उन बातों म लग्यो रहबोंन जिन्कोसी मेल-मिलाप अऊर एक दूसरों की उन्नति हो।
لَا تَنْقُضْ لِأَجْلِ ٱلطَّعَامِ عَمَلَ ٱللهِ. كُلُّ ٱلْأَشْيَاءِ طَاهِرَةٌ، لَكِنَّهُ شَرٌّ لِلْإِنْسَانِ ٱلَّذِي يَأْكُلُ بِعَثْرَةٍ. ٢٠ 20
जेवन को लायी जो परमेश्वर न करयो ओको नाश मत करो। सब कुछ शुद्ध त हय, पर ऊ आदमी को लायी बुरो हय जेक ओको जेवन सी ठोकर लगय हय।
حَسَنٌ أَنْ لَا تَأْكُلَ لَحْمًا وَلَا تَشْرَبَ خَمْرًا وَلَا شَيْئًا يَصْطَدِمُ بِهِ أَخُوكَ أَوْ يَعْثُرُ أَوْ يَضْعُفُ. ٢١ 21
अच्छो त यो हय कि तय न मांस खाजो नहीं अंगूररस पीजो, नहीं अऊर कुछ असो करजो जेकोसी तोरो विश्वासी भाऊ ठोकर खाये।
أَلَكَ إِيمَانٌ؟ فَلْيَكُنْ لَكَ بِنَفْسِكَ أَمَامَ ٱللهِ! طُوبَى لِمَنْ لَا يَدِينُ نَفْسَهُ فِي مَا يَسْتَحْسِنُهُ. ٢٢ 22
तोरो जो विश्वास हय, ओख परमेश्वर को आगु अपनोच मन म रख धन्य हय ऊ जो या बात म, जेक ऊ ठीक समझय हय, अपनो आप ख दोषी नहीं ठहरावय।
وَأَمَّا ٱلَّذِي يَرْتَابُ فَإِنْ أَكَلَ يُدَانُ، لِأَنَّ ذَلِكَ لَيْسَ مِنَ ٱلْإِيمَانِ، وَكُلُّ مَا لَيْسَ مِنَ ٱلْإِيمَانِ فَهُوَ خَطِيَّةٌ. ٢٣ 23
पर जो लोग सन्देश कर क् खावय हय उन्ख परमेश्वर दोषी ठहरय हय, कहालीकि ओको कार्य विश्वास को आधार पर नहीं अऊर जो कुछ विश्वास को आधार पर नहीं हय, पाप हय।

< رُوما 14 >