< رُؤيا 21 >

ثُمَّ رَأَيْتُ سَمَاءً جَدِيدَةً وَأَرْضًا جَدِيدَةً، لِأَنَّ ٱلسَّمَاءَ ٱلْأُولَى وَٱلْأَرْضَ ٱلْأُولَى مَضَتَا، وَٱلْبَحْرُ لَا يُوجَدُ فِي مَا بَعْدُ. ١ 1
तब मैंने एक नया स्वर्ग और एक नई पृथ्वी देखी, अब पहले का स्वर्ग और पहले की पृथ्वी का अस्तित्व न रहा था. समुद्र का अस्तित्व भी न रहा था.
وَأَنَا يُوحَنَّا رَأَيْتُ ٱلْمَدِينَةَ ٱلْمُقَدَّسَةَ أُورُشَلِيمَ ٱلْجَدِيدَةَ نَازِلَةً مِنَ ٱلسَّمَاءِ مِنْ عِنْدِ ٱللهِ مُهَيَّأَةً كَعَرُوسٍ مُزَيَّنَةٍ لِرَجُلِهَا. ٢ 2
तब मैंने पवित्र नगरी, नई येरूशलेम को स्वर्ग से, परमेश्वर की ओर से उतरते हुए देखा. वह अपने वर के लिए खुबसूरती से सजाई गई वधू के जैसे सजी थी.
وَسَمِعْتُ صَوْتًا عَظِيمًا مِنَ ٱلسَّمَاءِ قَائِلًا: «هُوَذَا مَسْكَنُ ٱللهِ مَعَ ٱلنَّاسِ، وَهُوَ سَيَسْكُنُ مَعَهُمْ، وَهُمْ يَكُونُونَ لَهُ شَعْبًا، وَٱللهُ نَفْسُهُ يَكُونُ مَعَهُمْ إِلَهًا لَهُمْ. ٣ 3
तब मैंने सिंहासन से एक ऊंचे शब्द में यह कहते सुना, “देखो! मनुष्यों के बीच में परमेश्वर का निवास! अब परमेश्वर उनके बीच निवास करेंगे. वे उनकी प्रजा होंगे तथा स्वयं परमेश्वर उनके बीच होंगे.
وَسَيَمْسَحُ ٱللهُ كُلَّ دَمْعَةٍ مِنْ عُيُونِهِمْ، وَٱلْمَوْتُ لَا يَكُونُ فِي مَا بَعْدُ، وَلَا يَكُونُ حُزْنٌ وَلَا صُرَاخٌ وَلَا وَجَعٌ فِي مَا بَعْدُ، لِأَنَّ ٱلْأُمُورَ ٱلْأُولَى قَدْ مَضَتْ». ٤ 4
परमेश्वर उनकी आंखों से हर एक आंसू पोंछ देंगे. अब से मृत्यु मौजूद न रहेगी. अब न रहेगा विलाप, न रोना और न पीड़ा क्योंकि जो पहली बातें थी, अब वे न रहीं.”
وَقَالَ ٱلْجَالِسُ عَلَى ٱلْعَرْشِ: «هَا أَنَا أَصْنَعُ كُلَّ شَيْءٍ جَدِيدًا!». وَقَالَ لِيَ: «ٱكْتُبْ: فَإِنَّ هَذِهِ ٱلْأَقْوَالَ صَادِقَةٌ وَأَمِينَةٌ». ٥ 5
उन्होंने, जो सिंहासन पर विराजमान हैं, कहा, “देखो! अब मैं नई सृष्टि की रचना कर रहा हूं!” तब उन्होंने मुझे संबोधित करते हुए कहा, “लिखो, क्योंकि जो कुछ कहा जा रहा है, सच और विश्वासयोग्य है.”
ثُمَّ قَالَ لِي: «قَدْ تَمَّ! أَنَا هُوَ ٱلْأَلِفُ وَٱلْيَاءُ، ٱلْبِدَايَةُ وَٱلنِّهَايَةُ. أَنَا أُعْطِي ٱلْعَطْشَانَ مِنْ يَنْبُوعِ مَاءِ ٱلْحَيَاةِ مَجَّانًا. ٦ 6
तब उन्होंने आगे कहा, “सब पूरा हो चुका! मैं ही अल्फ़ा और ओमेगा हूं—आदि तथा अंत. मैं उसे, जो प्यासा है, जीवन-जल के सोतों से मुफ्त में पीने को दूंगा.
مَنْ يَغْلِبْ يَرِثْ كُلَّ شَيْءٍ، وَأَكُونُ لَهُ إِلَهًا وَهُوَ يَكُونُ لِيَ ٱبْنًا. ٧ 7
जो विजयी होगा, उसे यह उत्तराधिकार प्राप्‍त होगा: मैं उसका परमेश्वर होऊंगा, और वह मेरी संतान.
وَأَمَّا ٱلْخَائِفُونَ وَغَيْرُ ٱلْمُؤْمِنِينَ وَٱلرَّجِسُونَ وَٱلْقَاتِلُونَ وَٱلزُّنَاةُ وَٱلسَّحَرَةُ وَعَبَدَةُ ٱلْأَوْثَانِ وَجَمِيعُ ٱلْكَذَبَةِ، فَنَصِيبُهُمْ فِي ٱلْبُحَيْرَةِ ٱلْمُتَّقِدَةِ بِنَارٍ وَكِبْرِيتٍ، ٱلَّذِي هُوَ ٱلْمَوْتُ ٱلثَّانِي». (Limnē Pyr g3041 g4442) ٨ 8
किंतु डरपोकों, अविश्वासियों, भ्रष्टों, हत्यारों, व्यभिचारियों, टोन्हों, मूर्तिपूजकों और सभी झूठ बोलने वालों का स्थान उस झील में होगा, जो आग तथा गंधक से धधकती रहती है. यही है दूसरी मृत्यु.” (Limnē Pyr g3041 g4442)
ثُمَّ جَاءَ إِلَيَّ وَاحِدٌ مِنَ ٱلسَّبْعَةِ ٱلْمَلَائِكَةِ ٱلَّذِينَ مَعَهُمُ ٱلسَّبْعَةُ ٱلْجَامَاتِ ٱلْمَمْلُوَّةِ مِنَ ٱلسَّبْعِ ٱلضَّرَبَاتِ ٱلْأَخِيرَةِ، وَتَكَلَّمَ مَعِي قَائِلًا: «هَلُمَّ فَأُرِيَكَ ٱلْعَرُوسَ ٱمْرَأَةَ ٱلْخَرُوفِ». ٩ 9
तब जिन सात स्वर्गदूतों के पास सात अंतिम विपत्तियों से भरे सात कटोरे थे, उनमें से एक ने मेरे पास आकर मुझसे कहा, “आओ, मैं तुम्हें वधू—मेमने की पत्नी दिखाऊं.”
وَذَهَبَ بِي بِٱلرُّوحِ إِلَى جَبَلٍ عَظِيمٍ عَالٍ، وَأَرَانِي ٱلْمَدِينَةَ ٱلْعَظِيمَةَ أُورُشَلِيمَ ٱلْمُقَدَّسَةَ نَازِلَةً مِنَ ٱلسَّمَاءِ مِنْ عِنْدِ ٱللهِ، ١٠ 10
तब वह मुझे मेरी आत्मा में ध्यानमग्न अवस्था में एक बड़े पहाड़ के ऊंचे शिखर पर ले गया और मुझे परमेश्वर की ओर से स्वर्ग से उतरता हुआ पवित्र नगर येरूशलेम दिखाया.
لَهَا مَجْدُ ٱللهِ، وَلَمَعَانُهَا شِبْهُ أَكْرَمِ حَجَرٍ كَحَجَرِ يَشْبٍ بَلُّورِيٍّ. ١١ 11
परमेश्वर की महिमा से सुसज्जित उसकी आभा पारदर्शी स्फटिक जैसे बेशकीमती रत्न सूर्यकांत के समान थी.
وَكَانَ لَهَا سُورٌ عَظِيمٌ وَعَالٍ، وَكَانَ لَهَا ٱثْنَا عَشَرَ بَابًا، وَعَلَى ٱلْأَبْوَابِ ٱثْنَا عَشَرَ مَلَاكًا، وَأَسْمَاءٌ مَكْتُوبَةٌ هِيَ أَسْمَاءُ أَسْبَاطِ بَنِي إِسْرَائِيلَ ٱلِٱثْنَيْ عَشَرَ. ١٢ 12
नगर की शहरपनाह ऊंची तथा विशाल थी. उसमें बारह द्वार थे तथा बारहों द्वारों पर बारह स्वर्गदूत ठहराए गए थे. उन द्वारों पर इस्राएल के बारह गोत्रों के नाम लिखे थे.
مِنَ ٱلشَّرْقِ ثَلَاثَةُ أَبْوَابٍ، وَمِنَ ٱلشِّمَالِ ثَلَاثَةُ أَبْوَابٍ، وَمِنَ ٱلْجَنُوبِ ثَلَاثَةُ أَبْوَابٍ، وَمِنَ ٱلْغَرْبِ ثَلَاثَةُ أَبْوَابٍ. ١٣ 13
तीन द्वार पूर्व दिशा की ओर, तीन उत्तर की ओर, तीन दक्षिण की ओर तथा तीन पश्चिम की ओर थे.
وَسُورُ ٱلْمَدِينَةِ كَانَ لَهُ ٱثْنَا عَشَرَ أَسَاسًا، وَعَلَيْهَا أَسْمَاءُ رُسُلِ ٱلْخَرُوفِ ٱلِٱثْنَيْ عَشَرَ. ١٤ 14
नगर की शहरपनाह की बारह नीवें थी. उन पर मेमने के बारहों प्रेरितों के नाम लिखे थे.
وَٱلَّذِي كَانَ يَتَكَلَّمُ مَعِي كَانَ مَعَهُ قَصَبَةٌ مِنْ ذَهَبٍ لِكَيْ يَقِيسَ ٱلْمَدِينَةَ وَأَبْوَابَهَا وَسُورَهَا. ١٥ 15
जो स्वर्गदूत, मुझे संबोधित कर रहा था, उसके पास नगर, उसके द्वार तथा उसकी शहरपनाह को मापने के लिए सोने का एक मापक-दंड था.
وَٱلْمَدِينَةُ كَانَتْ مَوْضُوعَةً مُرَبَّعَةً، طُولُهَا بِقَدْرِ ٱلْعَرْضِ. فَقَاسَ ٱلْمَدِينَةَ بِٱلْقَصَبَةِ مَسَافَةَ ٱثْنَيْ عَشَرَ أَلْفَ غَلْوَةٍ. ٱلطُّولُ وَٱلْعَرْضُ وَٱلِٱرْتِفَاعُ مُتَسَاوِيَةٌ. ١٦ 16
नगर की संरचना वर्गाकार थी—उसकी लंबाई उसकी चौड़ाई के बराबर थी. उसने नगर को इस मापदंड से मापा. नगर 2,220 किलोमीटर लंबा, इतना ही चौड़ा और इतना ही ऊंचा था.
وَقَاسَ سُورَهَا: مِئَةً وَأَرْبَعًا وَأَرْبَعِينَ ذِرَاعًا، ذِرَاعَ إِنْسَانٍ أَيِ ٱلْمَلَاكُ. ١٧ 17
तब उसने शहरपनाह को मापा. वह सामान्य मानवीय मापदंड के अनुसार पैंसठ मीटर थी. यही माप स्वर्गदूत का भी था.
وَكَانَ بِنَاءُ سُورِهَا مِنْ يَشْبٍ، وَٱلْمَدِينَةُ ذَهَبٌ نَقِيٌّ شِبْهُ زُجَاجٍ نَقِيٍّ. ١٨ 18
शहरपनाह सूर्यकांत मणि की तथा नगर शुद्ध सोने का बना था, जिसकी आभा निर्मल कांच के समान थी.
وَأَسَاسَاتُ سُورِ ٱلْمَدِينَةِ مُزَيَّنَةٌ بِكُلِّ حَجَرٍ كَرِيمٍ. ٱلْأَسَاسُ ٱلْأَوَّلُ يَشْبٌ. ٱلثَّانِي يَاقُوتٌ أَزْرَقُ. ٱلثَّالِثُ عَقِيقٌ أَبْيَضُ. ٱلرَّابِعُ زُمُرُّدٌ ذُبَابِيٌّ ١٩ 19
शहरपनाह की नींव हर एक प्रकार के कीमती पत्थरों से सजायी गयी थी: पहला पत्थर था सूर्यकांत, दूसरा नीलकांत, तीसरा स्फटिक, चौथा पन्‍ना
ٱلْخَامِسُ جَزَعٌ عَقِيقِيٌّ. ٱلسَّادِسُ عَقِيقٌ أَحْمَرُ. ٱلسَّابِعُ زَبَرْجَدٌ. ٱلثَّامِنُ زُمُرُّدٌ سِلْقِيٌّ. ٱلتَّاسِعُ يَاقُوتٌ أَصْفَرُ. ٱلْعَاشِرُ عَقِيقٌ أَخْضَرُ. ٱلْحَادِي عَشَرَ أَسْمَانْجُونِيٌّ. ٱلثَّانِي عَشَرَ جَمَشْتٌ. ٢٠ 20
पांचवां गोमेद, छठा माणिक्य, सातवां स्वर्णमणि; आठवां हरितमणि; नवां पुखराज; दसवां चन्द्रकांत; ग्यारहवां धूम्रकांत और बारहवां नीलम.
وَٱلِٱثْنَا عَشَرَ بَابًا ٱثْنَتَا عَشَرَةَ لُؤْلُؤَةً، كُلُّ وَاحِدٍ مِنَ ٱلْأَبْوَابِ كَانَ مِنْ لُؤْلُؤَةٍ وَاحِدَةٍ. وَسُوقُ ٱلْمَدِينَةِ ذَهَبٌ نَقِيٌّ كَزُجَاجٍ شَفَّافٍ. ٢١ 21
नगर के बारहों द्वार बारह मोती थे—हर एक द्वार एक पूरा मोती था तथा नगर का प्रधान मार्ग शुद्ध सोने का बना था, जिसकी आभा निर्मल कांच के समान थी.
وَلَمْ أَرَ فِيهَا هَيْكَلًا، لِأَنَّ ٱلرَّبَّ ٱللهَ ٱلْقَادِرَ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ، هُوَ وَٱلْخَرُوفُ هَيْكَلُهَا. ٢٢ 22
इस नगर में मुझे कोई मंदिर दिखाई न दिया क्योंकि स्वयं सर्वशक्तिमान प्रभु परमेश्वर और मेमना इसका मंदिर हैं.
وَٱلْمَدِينَةُ لَا تَحْتَاجُ إِلَى ٱلشَّمْسِ وَلَا إِلَى ٱلْقَمَرِ لِيُضِيئَا فِيهَا، لِأَنَّ مَجْدَ ٱللهِ قَدْ أَنَارَهَا، وَٱلْخَرُوفُ سِرَاجُهَا. ٢٣ 23
नगर को रोशनी देने के लिए न तो सूर्य की ज़रूरत है न चंद्रमा की क्योंकि परमेश्वर का तेज उसे उजियाला देता है तथा स्वयं मेमना इसका दीपक है.
وَتَمْشِي شُعُوبُ ٱلْمُخَلَّصِينَ بِنُورِهَا، وَمُلُوكُ ٱلْأَرْضِ يَجِيئُونَ بِمَجْدِهِمْ وَكَرَامَتِهِمْ إِلَيْهَا. ٢٤ 24
राष्ट्र उसकी रोशनी में वास करेंगे तथा पृथ्वी के राजा इसमें अपना वैभव ले आएंगे.
وَأَبْوَابُهَا لَنْ تُغْلَقَ نَهَارًا، لِأَنَّ لَيْلًا لَا يَكُونُ هُنَاكَ. ٢٥ 25
दिन की समाप्‍ति पर नगर द्वार कभी बंद न किए जाएंगे क्योंकि रात यहां कभी होगी ही नहीं.
وَيَجِيئُونَ بِمَجْدِ ٱلْأُمَمِ وَكَرَامَتِهِمْ إِلَيْهَا. ٢٦ 26
सभी राष्ट्रों का वैभव और आदर इसमें लाया जाएगा.
وَلَنْ يَدْخُلَهَا شَيْءٌ دَنِسٌ وَلَا مَا يَصْنَعُ رَجِسًا وَكَذِبًا، إِلَّا ٱلْمَكْتُوبِينَ فِي سِفْرِ حَيَاةِ ٱلْخَرُوفِ. ٢٧ 27
कोई भी अशुद्ध वस्तु इस नगर में न तो प्रवेश हो सकेगी और न ही वह, जिसका स्वभाव लज्जास्पद और बातें झूठ से भरी है, इसमें प्रवेश वे ही कर पाएंगे, जिनके नाम मेमने की जीवन-पुस्तक में लिखे हैं.

< رُؤيا 21 >