< اَلْمَزَامِيرُ 96 >

رَنِّمُوا لِلرَّبِّ تَرْنِيمَةً جَدِيدَةً. رَنِّمِي لِلرَّبِّ يَا كُلَّ ٱلْأَرْضِ. ١ 1
सारी पृथ्वी याहवेह की स्तुति में नया गीत गाए; हर रोज़ उनके द्वारा दी गई छुड़ौती की घोषणा की जाए.
رَنِّمُوا لِلرَّبِّ، بَارِكُوا ٱسْمَهُ، بَشِّرُوا مِنْ يَوْمٍ إِلَى يَوْمٍ بِخَلَاصِهِ. ٢ 2
याहवेह के लिये गाओ. उनके नाम की प्रशंसा करो; प्रत्येक दिन उनका सुसमाचार सुनाओ कि याहवेह बचाने वाला है.
حَدِّثُوا بَيْنَ ٱلْأُمَمِ بِمَجْدِهِ، بَيْنَ جَمِيعِ ٱلشُّعُوبِ بِعَجَائِبِهِ. ٣ 3
देशों में उनके प्रताप की चर्चा की जाए, और उनके अद्भुत कामों की घोषणा हर जगह.
لِأَنَّ ٱلرَّبَّ عَظِيمٌ وَحَمِيدٌ جِدًّا، مَهُوبٌ هُوَ عَلَى كُلِّ ٱلْآلِهَةِ. ٤ 4
क्योंकि महान हैं याहवेह और सर्वाधिक योग्य हैं स्तुति के; अनिवार्य है कि उनके ही प्रति सभी देवताओं से अधिक श्रद्धा रखी जाए.
لِأَنَّ كُلَّ آلِهَةِ ٱلشُّعُوبِ أَصْنَامٌ، أَمَّا ٱلرَّبُّ فَقَدْ صَنَعَ ٱلسَّمَاوَاتِ. ٥ 5
क्योंकि अन्य जनताओं के समस्त देवता मात्र प्रतिमाएं ही हैं, किंतु स्वर्ग मंडल के बनानेवाले याहवेह हैं.
مَجْدٌ وَجَلَالٌ قُدَّامَهُ. ٱلْعِزُّ وَٱلْجَمَالُ فِي مَقْدِسِهِ. ٦ 6
वैभव और ऐश्वर्य उनके चारों ओर हैं; सामर्थ्य और महिमा उनके पवित्र स्थान में बसे हुए हैं.
قَدِّمُوا لِلرَّبِّ يَا قَبَائِلَ ٱلشُّعُوبِ، قَدِّمُوا لِلرَّبِّ مَجْدًا وَقُوَّةً. ٧ 7
राष्ट्रों के समस्त गोत्रो, याहवेह को पहचानो, याहवेह को पहचानकर उनके तेज और सामर्थ्य को देखो.
قَدِّمُوا لِلرَّبِّ مَجْدَ ٱسْمِهِ. هَاتُوا تَقْدِمَةً وَٱدْخُلُوا دِيَارَهُ. ٨ 8
याहवेह के नाम की सुयोग्य महिमा करो; उनकी उपस्थिति में भेंट लेकर जाओ;
ٱسْجُدُوا لِلرَّبِّ فِي زِينَةٍ مُقَدَّسَةٍ. ٱرْتَعِدِي قُدَّامَهُ يَا كُلَّ ٱلْأَرْضِ. ٩ 9
उनकी वंदना पवित्रता के ऐश्वर्य में की जाए. उनकी उपस्थिति में सारी पृथ्वी में कंपकंपी दौड़ जाए.
قُولُوا بَيْنَ ٱلْأُمَمِ: «ٱلرَّبُّ قَدْ مَلَكَ. أَيْضًا تَثَبَّتَتِ ٱلْمَسْكُونَةُ فَلَا تَتَزَعْزَعُ. يَدِينُ ٱلشُّعُوبَ بِٱلِٱسْتِقَامَةِ». ١٠ 10
राष्ट्रों के सामने यह घोषणा की जाए, “याहवेह ही शासक हैं.” यह एक सत्य है कि संसार दृढ़ रूप में स्थिर हो गया है, यह हिल ही नहीं सकता; वह खराई से राष्ट्रों का न्याय करेंगे.
لِتَفْرَحِ ٱلسَّمَاوَاتُ وَلْتَبْتَهِجِ ٱلْأَرْضُ، لِيَعِجَّ ٱلْبَحْرُ وَمِلْؤُهُ. ١١ 11
स्वर्ग आनंदित हो और पृथ्वी मगन; समुद्र और उसमें मगन सब कुछ इसी हर्षोल्लास को प्रतिध्वनित करें.
لِيَجْذَلِ ٱلْحَقْلُ وَكُلُّ مَا فِيهِ، لِتَتَرَنَّمْ حِينَئِذٍ كُلُّ أَشْجَارِ ٱلْوَعْرِ ١٢ 12
समस्त मैदान और उनमें चलते फिरते रहे सभी प्राणी उल्‍लसित हों; तब वन के समस्त वृक्ष आनंद में गुणगान करने लगेंगे.
أَمَامَ ٱلرَّبِّ، لِأَنَّهُ جَاءَ. جَاءَ لِيَدِينَ ٱلْأَرْضَ. يَدِينُ ٱلْمَسْكُونَةَ بِٱلْعَدْلِ وَٱلشُّعُوبَ بِأَمَانَتِهِ. ١٣ 13
वे सभी याहवेह की उपस्थिति में गाएं, क्योंकि याहवेह आनेवाला हैं और पृथ्वी पर उनके आने का उद्देश्य है पृथ्वी का न्याय करना. उनका न्याय धार्मिकतापूर्ण होगा; वह मनुष्यों का न्याय अपनी ही सच्चाई के अनुरूप करेंगे.

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